हेपेटाइटिस के लक्षण, कारण और इलाज | Hepatitis In Hindi

यदि हम इस विषय पर चर्चा करें कि हेपेटाइटिस क्या होता है, तो यह लिवर से जुड़ी एक बीमारी होती है। हेपेटाइटिस, ग्रीक शब्द हेपर से बना है। हेपर का अर्थ होता है यकृत यानी कि लिवर। इस बीमारी को साइलेंट किलर के नाम से भी जाना जाता है। यदि सरल शब्दों में समझें तो यकृत या लिवर की सूजन को ही हेपेटाइटिस कहते हैं और इसके कारणों में वायरल इंफेक्शंस, विषाक्त पदार्थ (टॉक्सिंस), ऑटोइम्यून डिसऑर्डर्स सहित अन्य अंतर्निहित कारक शामिल हैं। हेपेटाइटिस, क्रोनिक लिवर डिजीज, लिवर फैल्योर, सिरोसिस और लिवर कैंसर का कारण बन सकता है। हेपेटाइटिस के शीघ्र निदान, रोकथाम और उचित प्रबंधन के लिए इसे गहराई से समझना आवश्यक है। इस लेख के माध्यम से हमारा उद्देश्य हेपेटाइटिस के प्रकार, लक्षण, कारण, निदान, रोकथाम और उपचार विकल्पों के बारे में संपूर्ण जानकारी प्रदान करना है। इसके अतिरिक्त इस लेख में विशेष रूप से हेपेटाइटिस बी से संबंधित जानकारियाँ भी प्रदान की गई हैं।

हेपेटाइटिस के प्रकार

हेपेटाइटिस बी ठीक होता है कि नहीं

हेपेटाइटिस, वायरल इंफेक्शन के कारण होता है, और यह वायरल इंफेक्शंस पाँच प्रकार के वायरस के कारण हो सकते हैं। इसलिए यह कहा जा सकता है कि हेपेटाइटिस के जोखिम कारकों में पाँच वायरस शामिल हैं। हेपेटाइटिस को, वायरस के प्रकारों के आधार पर पाँच प्रकारों में विभाजित किया गया है। हेपेटाइटिस के पाँच प्रकारों को नीचे समझाने का प्रयास किया गया है:

1. हेपेटाइटिस ए (HAV): हेपेटाइटिस ए, दूषित भोजन या पानी के सेवन के कारण फैलता है। आमतौर पर हेपेटाइटिस ए एक स्व-सीमित बीमारी (जो बीमारी ख़ुद ठीक हो जाए बिना ट्रीटमेंट के) है। HAV के कारण होनेवाला संक्रमण लंबे समय तक नहीं रहता है। हेपेटाइटिस ए के लक्षण में शामिल हैं:

A. बुखार आना

B. थकान रहना 

C. जी मिचलाना

D. पीलिया होना (त्वचा और आँखों का पीला पड़ना)

E. पेट में दर्द होना 

2. हेपेटाइटिस बी (HBV): यदि इस विषय पर चर्चा करें कि हेपेटाइटिस बी कैसे फैलता है, तो यह संक्रमित रक्त के संपर्क और यौन संपर्क से या बच्चे के जन्म के दौरान संक्रमित माँ से नवजात शिशु में फैल सकता है। कुछ केसेस में, व्यक्ति क्रोनिक हेपेटाइटिस बी से भी पीड़ित हो सकता है, जो आगे चलकर सिरोसिस और लिवर कैंसर सहित अन्य गंभीर लिवर संबंधी समस्याओं का कारण बन सकता है। 

हेपेटाइटिस बी व्यक्ति को दो प्रकार से हो सकता है। कुछ लोग इससे कुछ समय तक (कम से कम 6 महीने के लिए) पीड़ित रह सकते हैं, कुछ समय तक रहनेवाले हेपेटाइटिस बी को एक्यूट हेपेटाइटिस बी कहा जाता है। कुछ लोग हेपेटाइटिस बी से लंबे समय तक पीड़ित रह सकते हैं, और लंबे समय तक (6 महीने से अधिक समय तक) रहनेवाले हेपेटाइटिस बी को क्रोनिक हेपेटाइटिस बी कहा जाता है। 

सरल शब्दों में समझें तो हेपेटाइटिस बी को दो चरणों में विभाजित किया गया है: एक्यूट फेज और क्रोनिक फेज। 

इन दोनों चरणों के लिए हेपेटाइटिस बी के लक्षण अलग-अलग हैं। 

एक्यूट हेपेटाइटिस बी के लक्षण निम्न हैं:

A. थकान और कमज़ोरी रहना 

B. भूख में कमी होना 

C. मतली (जी मिचलाना) और उल्टी आना 

D. पेट के ऊपरी दाएँ हिस्से में दर्द होना

E. पीलिया (त्वचा और आँखों का पीला पड़ना)

F. गहरे रंग का पेशाब होना 

G. हल्के रंग का मल होना 

H. लो-ग्रेड फीवर रहना

I. मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द होना और 

J. त्वचा में खुजली होना, एक्यूट हेपेटाइटिस बी के लक्षण में शामिल हैं।  

क्रोनिक हेपेटाइटिस बी के लक्षण निम्न हैं:

A. थकान और कमज़ोरी रहना 

B. हल्के से मध्यम रूप तक पेट में दर्द होना 

C. पीलिया होना (कुछ केसेस में)

D. भूख में कमी होना 

E. जी मिचलाना और उल्टी आना 

F. बिना कारण वजन कम होना

G. द्रव जमा होने के कारण पैरों और पेट में सूजन होना (Edema and Ascites)

H. त्वचा पर मकड़ी के जाले जैसी छोटे-छोटे ब्लड सेल्स उभरना (स्पाइडर एंजियोमास)

I. आसानी से खून बहना या चोट लगना

J. लिवर का बढ़ना (हेपेटोमेगाली) और प्लीहावृद्धि या तिल्ली का बढ़ना (स्प्लेनोमेगाली), क्रोनिक हेपेटाइटिस बी के लक्षण में शामिल हैं।  

यदि इस विषय पर चर्चा करें कि हेपेटाइटिस बी क्यों होता है, तो इसके कारणों में असुरक्षित संभोग, दूषित सुई का प्रयोग (संक्रमित व्यक्ति पर इस्तेमाल किए गए सुई का दूसरे व्यक्ति पर दुबारा इस्तेमाल), संक्रमित रक्त से संपर्क इत्यादि शामिल हैं। 

इसके अलावा हेपेटाइटिस बी ठीक होता है कि नहीं, इसके बारे में भी जानना आवश्यक है। हेपेटाइटिस बी का निदान यदि शुरुआत में हो जाए तो बेशक इसका इलाज संभव है, लेकिन क्रोनिक हेपेटाइटिस का इलाज संभव नहीं है। क्रोनिक हेपेटाइटिस बी के लक्षणों की प्रगति को कुछ उपचारों के द्वारा धीमा किया जा सकता है।  

3. हेपेटाइटिस सी (HCV): हेपेटाइटिस सी, संक्रमित रक्त के संपर्क और नशीली दवाइयों के उपयोगकर्ताओं या असुरक्षित चिकित्सा पद्धतियों के बीच संक्रमित सुइयों को साझा करने के माध्यम से फैलता है । हेपेटाइटिस बी की तरह, हेपेटाइटिस सी भी क्रोनिक लीवर डिजीज का कारण बन सकता है। यदि समय पर इसका इलाज नहीं किया जाए तो यह सिरोसिस और लिवर कैंसर का कारण भी बन सकता है। 

4. हेपेटाइटिस डी (HDV): हेपेटाइटिस डी, केवल उन लोगों को अपनी चपेट लेता है जिन्हें पहले से ही हेपेटाइटिस बी है। HDV, HBV के कारण होने वाली लिवर की क्षति को और बढ़ा सकता है। हेपेटाइटिस डी, हेपेटाइटिस का अधिक गंभीर रूप माना जाता है। 

5. हेपेटाइटिस ई (HEV): हेपेटाइटिस ई, मुख्य रूप से गंदगी वाले क्षेत्रों में दूषित पानी के माध्यम से फैलता है। यह आमतौर पर एक स्व-सीमित बीमारी है (जो बीमारी ख़ुद ठीक हो जाए बिना ट्रीटमेंट के)। हालाँकि, HEV से संक्रमित गर्भवती महिलाओं को गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।

प्रत्येक प्रकार के वायरल हेपेटाइटिस के लिए, अलग-अलग रोकथाम और उपचार रणनीतियाँ उपलब्ध हैं। हेपेटाइटिस ए और हेपेटाइटिस बी के लिए टीकाकरण उपलब्ध है, और हेपेटाइटिस सी के लिए एंटीवायरल दवाइयों का उपयोग किया जा सकता है।

हेपेटाइटिस के लक्षण

हेपेटाइटिस के लक्षण शुरूआती अवस्था में सूक्ष्म होते हैं, और इसके बढ़ने पर लक्षण भी अधिक स्पष्ट प्रकट हो सकते हैं। आमतौर पर हेपेटाइटिस के लक्षण, रोग के प्रकार और चरण पर निर्भर करते हैं। हेपेटाइटिस के लक्षण, इसके हर चरण के लिए निम्न हैं:

शुरूआती लक्षण:

A. थकान रहना

B. हल्का बुखार आना,

C. मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द होना,

D. भूख में कमी होना,

E. जी मिचलाना और उल्टी आना,

F. सामान्य असुविधा महसूस करना, यह सभी प्रारंभिक हेपेटाइटिस के लक्षण में शामिल हैं। 

एक्यूट हेपेटाइटिस के लक्षण:

A. पीलिया होना (त्वचा और आँखों का पीला पड़ना),

B. पेशाब के रंग में परिवर्तन होना (गहरे रंग का पेशाब होना),

C. मल के रंग में बदलाव होना या हल्के रंग का मल होना,

D. पेट में दर्द और कोमलता (Tenderness) होना और 

E. लिवर का बढ़ना (हेपेटोमेगाली), एक्यूट हेपेटाइटिस के लक्षण में सम्मिलित हैं। 

क्रोनिक हेपेटाइटिस के लक्षण:

A. लगातार थकान रहना,

B. बिना कारण अधिक वजन घटना,

C. पेट में द्रव जमा होने के कारण सूजन होना (जलोदर),

D. आसानी से चोट लगना और खून बहना,

E. त्वचा पर मकड़ी के जाले जैसी छोटे-छोटे ब्लड सेल्स उभरना (स्पाइडर एंजियोमास), क्रोनिक हेपेटाइटिस के लक्षण में शामिल हैं। 

फुल्मिनेंट हेपेटाइटिस के लक्षण:

फुल्मिनेंट हेपेटाइटिस, एक्यूट हेपेटाइटिस का एक गंभीर और ख़तरनाक रूप है, और इसके कारण तेज़ी से यकृत विफल (Liver Failure) हो सकता है। फुल्मिनेंट हेपेटाइटिस के लक्षण में शामिल हैं:

A. मानसिक भ्रम होना,

B. अत्यधिक रक्त का स्राव होना,

C. गंभीर रूप से पीलिया का बढ़ना 

D. पेट में सूजन और दर्द होना

हेपेटाइटिस के कारण / हेपेटाइटिस रोग कैसे होता है?

1. वायरल इन्फेक्शंस: हेपेटाइटिस के कारण में वायरल इन्फेक्शंस शामिल हैं। वायरल हेपेटाइटिस, विशिष्ट वायरस HAV, HBV, HCV, HDV और HEV के कारण हो सकता है। इन सभी वायरस के फैलने का तरीका अलग-अलग होता है। यह वायरस दूषित भोजन, पानी, संक्रमित रक्त के संपर्क, संक्रमित सुइयों के आदान-प्रदान और असुरक्षित यौन संपर्क के माध्यम से व्यक्ति को अपनी चपेट में ले सकते हैं।

2. ऑटोइम्यून रिएक्शंस: ऑटोइम्यून हेपेटाइटिस का सटीक कारण अभी तक पूरी तरह से ज्ञात नहीं हो पाया है, लेकिन कुछ शोधों के आधार पर यह पता चला है कि इसके कारणों में आनुवंशिक और पर्यावरणीय कारक शामिल हो सकते हैं। कई मामलो में, प्रतिरक्षा प्रणाली के गलती से यकृत कोशिकाओं पर हमला करना भी, लिवर में सूजन और लिवर के डैमेज होने का कारण बन सकता है। 

3. शराब का अत्यधिक सेवन: हेपेटाइटिस के कारण में शराब का अत्यधिक और लंबे समय तक सेवन भी शामिल है। शराब के अत्यधिक और लंबे समय तक सेवन से, अल्कोहलिक हेपेटाइटिस हो सकता है, जिससे लिवर को नुकसान पहुँच सकता है और यह लिवर की सूजन का कारण बन सकता है। 

4. दवाइयाँ और विषाक्त पदार्थ (Toxins): कुछ दवाइयाँ जैसे हर्बल दवाइयाँ और विषाक्त पदार्थ (टॉक्सिन्स), ड्रग इंड्यूज हेपेटाइटिस का कारण बन सकते हैं। 

5. मेटाबॉलिक और जेनेटिक डिसऑर्डर्स: कुछ मेटाबॉलिक और जेनेटिक डिसऑर्डर्स जैसे हेमोक्रोमैटोसिस, विल्सन डिजीज और अल्फा-1 एंटीट्रिप्सिन डेफिशिएंसी भी हेपेटाइटिस के कारण हो सकते हैं।

हेपेटाइटिस का निदान

1. शारीरिक परीक्षण और चिकित्सा इतिहास: हेपेटाइटिस का निदान करने के लिए, डॉक्टर रोगी के चिकित्सा इतिहास से शुरू कर सकता है। वह रोगी की पिछली और अभी की आदतों (जैसे शराब का सेवन) के बारे में पूछताछ कर सकता है। इसके अतिरिक्त वह रोगी के शरीर में, हेपेटाइटिस के लक्षणों जैसे पीलिया, पेट में कोमलता और बढ़े हुए लिवर की भी जाँच कर सकता है।

2. ब्लड टेस्ट: हेपेटाइटिस के निदान के लिए ब्लड टेस्ट एक महत्त्वपूर्ण परीक्षण है। सामान्य ब्लड टेस्ट्स में शामिल हैं:

A. लिवर फंक्शन टेस्ट (LFT): इस टेस्ट की मदद से रक्त में प्रोटीन या एंजाइम के स्तर का पता लगाकर, लिवर के सूजन या क्षति की जाँच की जा सकती है।

B. कम्पलीट ब्लड काउंट टेस्ट (CBC Test): कम्पलीट ब्लड काउंट टेस्ट की मदद से, इन्फेक्शन या एनीमिया के लक्षणों की जाँच की जा सकती है। 

C. जमावट परीक्षण (कोएगुलेशन टेस्ट): इस टेस्ट के द्वारा रक्त के थक्के बनने में लगनेवाले समय का पता लगाया जा सकता है। इसके अतिरिक्त इस टेस्ट की मदद से लिवर में थक्के बनाने वाले कारकों के कार्य का मूल्यांकन भी किया जा सकता है। 

D. वायरल हेपेटाइटिस सीरोलॉजी: इस टेस्ट की मदद से हेपेटाइटिस पैदा करने वाले विशिष्ट वायरस जैसे HBV और HCV का पता लगाया जा सकता है। 

3. इमेजिंग टेस्ट्स: लिवर के आंतरिक भाग की डिटेल्ड इमेजेस प्राप्त करने के लिए, अल्ट्रासाउंड, CT स्कैन या MRI स्कैन जैसे इमेजिंग टेस्ट्स का उपयोग किया जा सकता है। इमेजिंग टेस्ट्स के द्वारा, लिवर में हेपेटाइटिस से जुड़ी असामान्यताओं का पता लगाया जा सकता है। 

4. लिवर बायोप्सी: कुछ केसेस में, हेपेटाइटिस के निदान का सटीक परिणाम प्राप्त करने और यकृत क्षति की सीमा का निर्धारण करने के लिए के लिए, बायोप्सी की जा सकती है। बायोप्सी में, लिवर टिश्यू के एक छोटे से नमूने की जाँच माइक्रोस्कोप के द्वारा की जाती है।

हेपेटाइटिस की रोकथाम

हेपेटाइटिस की रोकथाम पूर्ण रूप से संभव नहीं है, लेकिन कुछ उपाय करके इससे बचने और बहुत हद तक इसके विकास को रोकने में मदद मिल सकती है। हेपेटाइटिस के विकास को रोकने के लिए कुछ रोकथाम रणनीतियाँ निम्न हैं:

1. टीकाकरण (Vaccination): वैक्सीनेशन, वायरल हेपेटाइटिस की रोकथाम के लिए एक उत्तम तरीका है। वर्तमान में हेपेटाइटिस ए और बी के लिए टीके उपलब्ध हैं। 

2. स्वच्छता बनाए रखना (Hygiene and Sanitation Practices):

अच्छी तरह से हाथ धोने से, दूषित भोजन और पानी के सेवन से बचने से और अच्छी स्वच्छता बनाए रखने से, हेपेटाइटिस के जोखिम को कम किया जा सकता है। 

3. सुरक्षित यौन व्यवहार (Safe sex practices):

सुरक्षित यौन संबंध बनाने से, जैसे सेक्स के समय कंडोम का उपयोग करने से, हेपेटाइटिस बी और सी के यौन संचरण को रोकने में मदद मिल सकती है। 

4. सुई विनिमय कार्यक्रम (Needle Exchange Program):

सुई विनिमय कार्यक्रम द्वारा, जो लोग दवाइयों का इंजेक्शन लगाते हैं, उन्हें साफ सुई और सीरिंज प्रदान करके, उनमें हेपेटाइटिस संचरण के जोखिम को कम किया जा सकता है। 

5. शराब और नशीली दवाइयों के सेवन से बचना:

शराब के सीमित सेवन से और अवैध नशीली दवाइयों के उपयोग से बचने से, हेपेटाइटिस के ख़तरे को टाला जा सकता है।

हेपेटाइटिस का इलाज

1. सहायक देखभाल (Supportive Care): माइल्ड एक्यूट हेपेटाइटिस के केसेस में, सहायक देखभाल में रोगियों को पर्याप्त आराम करने, उचित मात्रा में पानी पीने और संतुलित आहार लेने के लिए कहा जा सकता है। इसके अतिरिक्त इसमें शराब और कुछ हानिकारक दवाइयों के सेवन को छोड़ने के लिए भी कहा जा सकता है, क्योंकि यह दोनों ही लिवर की क्षति को बढ़ा सकते हैं।

2. एंटीवायरल दवाइयाँ (Antiviral Medications): HBV और HCV वायरस के कारण होनेवाले वायरल हेपेटाइटिस की पुनरावृत्ति को रोकने और लिवर की सूजन को कम करने के लिए कुछ स्पेसिफ़िक एंटीवायरल दवाइयों का उपयोग किया जा सकता है। इन दवाइयों की मदद से, क्रोनिक हेपेटाइटिस की प्रगति, सिरोसिस और लिवर कैंसर के विकास को रोका जा सकता है।

3. प्रतिरक्षादमनकारी (Immunosuppressive): इम्यूनोसप्रेसिव दवाइयों या इम्यूनोसप्रेसेन्ट दवाइयों का उपयोग करके, प्रतिरक्षा प्रणाली की गतिविधि (जैसे प्रतिरक्षा प्रणाली का यकृत कोशिकाओं पर हमला करना) को रोका जा सकता है। 

4. शराब छोड़ना (Stop Alcohol Consumption):

अल्कोहलिक हेपेटाइटिस से बचने के लिए, पूर्ण रूप से शराब छोड़ना ही एकमात्र उपाय है। शराब छोड़ने से लिवर को स्वस्थ रखने में मदद मिल सकती है और लिवर को डैमेज होने से रोका जा सकता है।

5. हानिकारक दवाइयों के सेवन से बचना (Avoid Consuming Harmful Drugs):

ड्रग इंड्यूज हेपेटाइटिस से बचने के लिए, हानिकारक दवाइयों का सेवन बंद करना आवश्यक है।

6. जीवनशैली में बदलाव करना (Lifestyle Changes):

नॉन-अल्कोहल फैटी लिवर डिजीज (NAFLD) और नॉन-अल्कोहलिक स्टीटोहेपेटाइटिस (NASH) जैसी स्थितियों को प्रबंधित करने के लिए, वजन घटाना,  नियमित व्यायाम करना और संतुलित आहार लेना आवश्यक है। जीवनशैली में सकारात्मक बदलाव करने से, हेपेटाइटिस के साथ बहुत सी स्वास्थ्य समस्याओं से बचने में मदद मिल सकती है।

क्या हेपेटाइटिस का इलाज संभव है?

यदि इस विषय पर चर्चा करें कि हेपेटाइटिस का इलाज संभव है या नहीं, तो कुछ प्रकार के हेपेटाइटिस का इलाज संभव है, लेकिन क्रोनिक हेपेटाइटिस बी का इलाज संभव नहीं है। यदि हेपेटाइटिस बी का निदान प्रारंभिक चरणों में हो पाता है, तो इसका पूर्णतः इलाज अवश्य संभव है। इसके विपरीत क्रोनिक हेपेटाइटिस का इलाज संभव नहीं है, लेकिन इसके लक्षणों की प्रगति को कम करने के लिए कुछ उपचार उपलब्ध हैं। 

हेपेटाइटिस के लिए सर्वाइवल रेट

हेपेटाइटिस के लिए सर्वाइवल रेट रोग के प्रकार और चरण, उपचार के परिणाम और रोगी के संपूर्ण स्वास्थ्य पर निर्भर करता है। 

आमतौर पर हेपेटाइटिस ए से पीड़ित अधिकांश लोग कुछ हफ़्तों से लेकर कुछ महीनों के भीतर पूरी तरह से ठीक हो सकते हैं। 

हेपेटाइटिस बी की बात करें तो, एक्यूट हेपेटाइटिस बी अक्सर अपने आप ठीक हो सकता है। इसके विपरीत यदि बात करें क्रोनिक हेपेटाइटिस बी की, तो इसका इलाज संभव नहीं है, लेकिन कुछ ऐसे उपचार उपलब्ध हैं जिनकी मदद से इसके लक्षणों की प्रगति को बहुत हद तक रोका जा सकता है। 

हेपेटाइटिस सी का पता यदि शुरूआती चरणों में चल जाए, तो प्रभावी उपचार से यह ठीक हो सकता है और व्यक्ति एक लंबा जीवन जी सकता है। 

हेपेटाइटिस डी, हेपेटाइटिस का एक दुर्लभ रूप है, और यह हेपेटाइटिस बी से संक्रमित व्यक्तियों में होता है। हेपेटाइटिस डी, अकेले हेपेटाइटिस बी की अपेक्षा अधिक गंभीर लिवर डिजीज का कारण बन सकता है। 

हेपेटाइटिस ई आमतौर पर तीव्र और स्व-सीमित होता है, लेकिन इससे संक्रमित गर्भवती महिलाओं के लिए ख़तरा बढ़ सकता है, और उन्हें गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। 

निष्कर्ष

हेपेटाइटिस एक गंभीर और ख़तरनाक बीमारी है जो विश्व स्तर पर लोगों को प्रभावित कर रही है। हेपेटाइटिस को प्रभावी ढंग से नियंत्रित और प्रबंधित करने के लिए इसके विभिन्न प्रकारों, लक्षणों, कारणों, निदान, रोकथाम के उपायों और उपचार विकल्पों के विषय में जानकारी होनाआवश्यक है। इसके अलावा इस रोग से बचने के लिए, टीकाकरण करना, स्वच्छ्ता बनाए रखना, सुरक्षित यौन संबंध बनाना, संक्रमित रक्त और सुई के संपर्क से बचना, शराब और नशीली दवाइयों के सेवन से बचना आवश्यक है। 

इस लेख के माध्यम से हमारा उद्देश्य भारत के लोगों को हेपेटाइटिस से संबंधित जानकारी प्रदान करना है। इसके अतिरिक्त भारत के प्रत्येक नागरिक से हमारा निवेदन है कि यदि वह इस रोग से परिचित हैं, तो अपने आस-पास के लोगों को इसके प्रकारों, लक्षणों, कारणों, निदान, रोकथाम के उपायों और उपचार विकल्पों के बारे में अवश्य जानकारी प्रदान करें, जिससे एक स्वस्थ भारत का निर्माण हो सके।

हेपेटाइटिस के लक्षण और उपचार के बारे में संक्षेप में 

इस भाग में हेपेटाइटिस के लक्षण और उपचार के बारे में, संक्षेप में समझाने का प्रयास किया गया है:

हेपेटाइटिस के लक्षण और उपचार की जानकारी होने से, बहुत हद तक हेपेटाइटिस से बचने में मदद मिल सकती है। यदि हेपेटाइटिस के लक्षण और उपचार के विषय में बात करें, तो हेपेटाइटिस के लक्षणों में थकान रहना, बिना कारण वजन घटना, पेट में द्रव जमा होने के कारण सूजन होना, आसानी से चोट लगना और खून बहना, त्वचा पर मकड़ी के जाले जैसी छोटे-छोटे ब्लड सेल्स उभरना (स्पाइडर एंजियोमास) इत्यादि शामिल हैं। हेपेटाइटिस के उपचार के लिए एंटीवायरल दवाइयों और इम्यूनोसप्रेसिव दवाइयों का उपयोग किया जा सकता है।यदि आप भी कैंसर के इलाज का खर्च नहीं जुटा पाने के कारण चिंतित हैं, तो इम्पैक्टगुरु से अवश्य संपर्क करें।

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