माइग्रेन के लक्षण, कारण और इलाज | Migraine In Hindi

वर्तमान समय में बदलते लाइफस्टाइल और अस्वस्थ आहार के कारण, लोगों के जीवन में बहुत से बदलाव होते हुए देखे जा सकते हैं। बिज़ी शेड्यूल के कारण लोग सही समय पर खाना नहीं खा पाते हैं और ना ही सही समय पर सो पाते हैं। आज आधुनिक युग में, अधिकांश लोग अपना ज़्यादातर समय मोबाइल, लैपटॉप या टेलीविजन के स्क्रीन पर ही बिताते हैं, और इसका नतीजा यह हो रहा है कि वह मानसिक और शारीरिक दोनों रूप से बीमार पड़ रहे हैं। अनेकों प्रकार की बीमारियाँ, व्यक्ति के शरीर को अपना घर बना रही हैं। इन्हीं में से एक है माइग्रेन की बीमारी। इस लेख में हम, माइग्रेन क्या होता है, माइग्रेन से खतरा, माइग्रेन के लक्षण, माइग्रेन के कारण, माइग्रेन का इलाज और माइग्रेन की दवाएं, इन सभी विषयों पर चर्चा करेंगे।

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माइग्रेन क्या होता है?

यदि इस विषय पर चर्चा करें कि माइग्रेन क्या होता है, तो माइग्रेन एक तेज़ सिरदर्द की समस्या है। माइग्रेन आमतौर पर सिर के एक तरफ बहुत तीखे या तेज़ दर्द के साथ उत्पन्न होता है। इससे पीड़ित व्यक्ति को सिर दर्द के साथ, जी मिचलाना, उल्टी, दस्त, लाइट और साउंड के प्रति अत्यधिक संवेदनशीलता जैसे लक्षण भी महसूस हो सकते हैं। सामान्य बोलचाल की भाषा में माइग्रेन को अधकपारी के नाम से भी जाना जाता है। आमतौर पर माइग्रेन आधे सिर में होता है और इसमें दर्द आता-जाता रहता है, लेकिन कई लोगों को इसमें पूरे सिर में भी दर्द हो सकता है। सामान्य रूप से होनेवाले सिर दर्द और माइग्रेन में काफ़ी अंतर होता है। सामान्य सिर का दर्द अधिकतर कुछ मिनट या फिर घंटे तक रह सकता है लेकिन माइग्रेन में होनेवाले सिर दर्द को सह पाना बहुत ही मुश्किल होता है। माइग्रेन के दर्द के उत्पन्न होने से, दैनिक जीवन के कार्यों को करने में भी कठिनाई का सामना करना पड़ सकता है। इसमें दर्द इतना अधिक बढ़ जाता है कि इंसान किसी भी कार्य को करने में असमर्थ हो जाता है। माइग्रेन के कारण बार-बार सिरदर्द हो सकता है, जिससे दिनचर्या प्रभावित हो सकती है। अगले भाग में माइग्रेन से खतरा क्या-क्या हो सकता है, इस बारे में चर्चा की गई है।

माइग्रेन से खतरा / माइग्रेन से क्या खतरा है?

यदि इस पर चर्चा करें कि माइग्रेन से खतरा क्या-क्या हो सकता है, तो इसे समझाने का प्रयास नीचे किया गया है:

1. माइग्रेन से शरीर के ब्लड सर्कुलेशन पर असर पड़ता है, जिससे दिल की बीमारी या हार्ट अटैक जैसी बीमारियों का खतरा बढ़ सकता है।

2. माइग्रेन का असर व्यक्ति के मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ सकता है।माइग्रेन से पीड़ित व्यक्ति को मानसिक तनाव हो सकता है, जिसके कारण वह डिप्रेशन का शिकार हो सकता है।

3. ऑक्युलर माइग्रेन (नेत्र संबंधी माइग्रेन), आँखों से संबंधित माइग्रेन है। इसमें व्यक्ति को धुँधला दिखाई दे सकता है या उसे देखने में दिक्कत हो सकती है।

माइग्रेन के लक्षण

माइग्रेन के लक्षण

कई बार व्यक्ति के लिए यह पता लगाना मुश्किल होता है कि उसे सामान्य सिर दर्द हो रहा है या माइग्रेन वाला सिर दर्द। इन दोनों प्रकार के सिर दर्द में व्यक्ति अंतर कर सके, इसलिए हमने यहाँ माइग्रेन के लक्षण के बारे में जानकारी प्रदान की है। माइग्रेन के लक्षण निम्नलिखित हैं:

1. दर्द: एक तीव्र और दर्दनाक दर्द माइग्रेन के लक्षण में शामिल है। यह दर्द आमतौर पर सिर के एक तरफ अधिक हो सकता है। माइग्रेन में व्यक्ति को बहुत ही असहनीय दर्द हो सकता है, जिससे व्यक्ति की दिनचर्या प्रभावित हो सकती है।

2. संवेदनशीलता: माइग्रेन के लक्षण में, प्रकाश, ध्वनि और गंध परिवर्तनों के प्रति संवेदनशील होना शामिल है। माइग्रेन अटैक के समय, व्यक्ति प्रकाश, ध्वनि और गंध परिवर्तनों के प्रति अति संवेदनशीलता महसूस कर सकता है। यह लक्षण विशेष रूप से  माइग्रेन अटैक के शुरुआती चरणों में प्रकट हो सकता है।

3. उल्टी: माइग्रेन के लक्षण में उल्टी भी शामिल है। माइग्रेन अटैक के दौरान कई लोगों को उल्टी की समस्या हो सकती है। उल्टी से माइग्रेन का दर्द और भी अधिक बढ़ सकता है।

4. मूड में बहुत तेज़ी से परिवर्तन होना: मूड में बहुत तेज़ी से परिवर्तन होना जैसे अचानक बिना किसी कारण के बहुत ही उदास हो जाना या कभी ज़्यादा उत्साहित हो जाना, माइग्रेन के लक्षण में शामिल हैं। माईग्रेन के दर्द के दौरान थकान और नींद में कमी जैसे लक्षण भी मरीज़ महसूस कर सकता है। माइग्रेन से पीड़ित लोगों को नियमित गतिविधियों को करने में दिक्कत हो सकती है, उन्हें आँखों में दर्द हो सकता है, साथ ही मतली और उल्टी जैसे लक्षण भी प्रकट हो सकते हैं।

5. देखने में दिक्कत: माइग्रेन के दौरान व्यक्ति को देखने में दिक्कत हो सकती है। यह लक्षण दिखाई देने वाली वस्तुओं में बदलाव, ब्लिंकिंग लाइट्स की अत्यधिक परेशानी, और आँखों में दर्द की स्थिति के रूप में प्रकट हो सकता है। धुँधला या जिगजैग जैसा दिखाई देना भी माइग्रेन के लक्षण में शामिल हैं। 

ऊपर दिए हुए लक्षणों के लगातार बने रहने पर, डॉक्टर से कंसल्ट अवश्य करना चाहिए, जिससे माइग्रेन के लक्षण की समय पर पहचान हो सके।

माइग्रेन का कारण

माइग्रेन का सटीक कारण अभी तक ज्ञात नहीं हो पाया है, लेकिन यह माना जाता है कि मस्तिष्क में रसायन (Chemicals), नाड़ियों (Nerves) और रक्त कोशिकाओं (Blood Cells) में कुछ समय के लिए होने वाले परिवर्तनों के कारण, माइग्रेन हो सकता है। माइग्रेन के कारण निम्न हैं:

1. आनुवंशिक प्रवृत्ति (Genetic Predisposition): अगर परिवार में किसी सदस्य को माइग्रेन की समस्या है, तो उस सदस्य के आसपास के लोगों या परिवार के अन्य सदस्य में भी माइग्रेन के लक्षण उत्पन्न हो सकते हैं।

2. हार्मोनल परिवर्तन (Hormonal Changes): महिलाओं में पीरियड्स, गर्भावस्था, और मेनोपॉज़ के दौरान होनेवाले हार्मोनल परिवर्तन के कारण, माइग्रेन की समस्या उत्पन्न हो सकती है।

3. खान-पान और जीवनशैली (Diet and Lifestyle): अस्वस्थ खान-पान और जीवनशैली, माइग्रेन के जोखिम को बढ़ा सकते हैं।

4. न्यूरोलॉजिकल कारण (Neurological Causes): माइग्रेन के उत्पन्न होने के कारणों में, मस्तिष्क के रक्तसंचार में अव्यवस्था (Disturbance In The Blood Circulation of Brain) या मस्तिष्क की अत्यधिक संवेदनशीलता (Excessive Sensitivity of Brain) भी शामिल हैं।

5. मानसिक तनाव और दबाव (Mental Stress and pressure): तनाव, चिंता, और मानसिक दबाव भी माइग्रेन का ख़तरा बढ़ा सकते हैं।

6. अल्कोहल और निकोटीन (Alcohol and Nicotine): अल्कोहल और निकोटीन का अधिक सेवन भी माइग्रेन जैसी बीमारियों के उत्पन्न होने में अपना योगदान दे सकते हैं। 

उपरोक्त कारणों की जानकारी होने से, बहुत हद तक माइग्रेन से बचाव किया जा सकता है। माइग्रेन की समस्या होने पर, चिकित्सक से परामर्श लेना आवश्यक है। अगले भाग में हम माइग्रेन के निदान के बारे में चर्चा करेंगे।

माइग्रेन का निदान

माइग्रेन का निदान निम्न चरणों में किया जा सकता है:

1. चिकित्सा इतिहास: चिकित्सक सबसे पहले रोगी के चिकित्सा इतिहास से शुरू कर सकता है। वह सिरदर्द के पूरे इतिहास, माइग्रेन के लक्षण, दर्द की स्थिति, और माइग्रेन अटैक की सामान्य विशेषताओं के बारे में रोगी से पूछ सकता है। चिकित्सक के लिए, रोगी से माइग्रेन अटैक की विस्तृत जानकारी प्राप्त करना आवश्यक है। इससे अटैक के प्रकार और लक्षणों को समझने में उसे मदद मिल सकती है।

2. शारीरिक परीक्षण: शारीरिक परीक्षण में, चिकित्सक अन्य संभावित लक्षणों की पहचान करने के लिए, दर्द के स्थान की जाँच कर सकता है।

3. डायग्नोस्टिक क्रेनियल इमेजिंग: ज़रूरत पड़ने पर, डॉक्टर डायग्नोस्टिक क्रेनियल इमेजिंग जैसे कि MRI या CT स्कैन करवाने की सलाह दे सकता है। इन परीक्षणों से अन्य संभावित कारणों का पता लगाया जा सकता है।

4. ब्लड / यूरिन टेस्ट: अन्य संभावित कारणों का पता लगाया जा सके, इसके लिए ब्लड या यूरिन टेस्ट किया जा सकता है।

5. रोगी की प्रतिक्रिया: माइग्रेन अटैक के दौरान रोगी के रिस्पांस की जाँच की जा सकती है, जैसे कि रोगी किस प्रकार की दिक्कतों का सामना कर रहा है, और कैसे उसे आराम मिलता है।

माइग्रेन के निदान के लिए डॉक्टर से कंसल्ट करना आवश्यक है। एक सही निदान के आधार पर ही, एक सही उपचार योजना तैयार की जा सकती है। अगले भाग में माइग्रेन की रोकथाम के बारे में चर्चा की गई है।

माइग्रेन की रोकथाम

माइग्रेन की रोकथाम या माइग्रेन से बचाव के लिए, कुछ निम्न रणनीतियाँ अपनाई जा सकती हैं:

1. स्वस्थ जीवनशैली: एक स्वस्थ जीवनशैली अपनाने से बहुत हद तक माइग्रेन अटैक्स से बचाव में मदद मिल सकती है। नियमित स्वस्थ आहार लेने से, पर्याप्त नींद लेने से और नियमित व्यायाम करने से, माइग्रेन से बचना संभव है।

2. स्वच्छता रखना: हाथों को स्वच्छ रखने से, व्यक्तिगत स्वच्छता बनाए रखने से, अपने आस-पास स्वच्छता बनाए रखने से, इंफेक्शंस के कारण होनेवाले माइग्रेन को टाला जा सकता है।

3. तेज़ी से मूड में बदलाव और तनाव पर नियंत्रण: तेज़ी से मूड में होनेवाले बदलाव जैसे लक्षणों पर नियंत्रण करने और तनाव से बचने के लिए, सही तरीके से योग और प्राणायाम का अभ्यास किया जा सकता है।

4. अल्कोहल और निकोटीन का सीमित सेवन: अल्कोहल और निकोटीन का सेवन छोड़ने से या सीमित करने से, अत्यधिक माइग्रेन की समस्या को उत्पन्न होने से रोका जा सकता है।

5. स्वस्थ और उचित आहार: माइग्रेन वाले लोगों के लिए आवश्यक है कि वह स्वस्थ और उचित आहार का सेवन करें। ऐसा करने से माइग्रेन को ख़त्म किया जा सकता है।

6. नियमित खान-पान: समय-समय उचित आहार लेते रहने से भी माइग्रेन के आक्रमण को कम किया जा सकता है।

7. आराम और ध्यान: योग और मेडिटेशन के अभ्यास से तनाव को कम किया जा सकता है, जिससे माइग्रेन की संभावना कम हो सकती है।

8. समय-समय पर डॉक्टर से सलाह लेना: माइग्रेन से बचा जा सके, इसके लिए समय-समय पर डॉक्टर से कंसल्ट करना और सलाह लेना आवश्यक है।

9. माइग्रेन की दवाएं: माइग्रेन के आक्रमणों को रोकने में कुछ दवाइयाँ मदद कर सकती हैं। इन दवाइयों का सेवन चिकित्सक से सलाह लेने के बाद ही करना उचित है, और दवाइयों को सही तरीके और सही समय पर लेना आवश्यक है। 

उपरोक्त रणनीतियों को अपनाने से माइग्रेन के आक्रमण की संभावना कम हो सकती है और रोगी को आराम मिल सकता है। अगले भाग में माइग्रेन के इलाज के बारे में जानकारी प्रदान की गई है।

माइग्रेन के इलाज के बारे में जानकारी / माइग्रेन का इलाज

माइग्रेन को रोकने या माइग्रेन की समस्या से छुटकारा पाने के लिए, माइग्रेन के इलाज के बारे में जानकारी होना आवश्यक है। माइग्रेन का इलाज कैसे हो सकता है, इसे निम्न प्रकार से समझाने का प्रयास किया गया है:

1. दवाइयाँ: माइग्रेन का इलाज करने के लिए अब कई प्रकार की दवाइयों का उपयोग भी किया जा रहा है। डॉक्टर माइग्रेन अटैक के प्रकार, लक्षणों, और सामान्य स्वास्थ्य के आधार पर निम्न दवाइयों का सेवन करने के लिए सलाह दे सकता है:

A. ट्रिप्टैन्स: यह दवाइयाँ दर्द को रोकने और अटैक की अवधि को कम करने में मदद कर सकती हैं।

B. नॉनस्टेरॉयडल एंटी-इन्फ्लेमेटरी ड्रग्स (NSAID): इन दवाइयों का उपयोग दर्द को कम करने के लिए किया जा सकता है।

C. बीटा-ब्लॉकर्स: इन दवाइयों का उपयोग आक्रमण की संभावना को कम करने के लिए किया जा सकता है।

D. कैल्शियम चैनल ब्लॉकर्स: इन दवाइयों का उपयोग भी दर्द को कम करने के लिए किया जा सकता है।

E. एंटीडिप्रेसेंट्स: कुछ प्रकार के एंटीडिप्रेसेंट्स का उपयोग भी माइग्रेन के उपचार के लिए किया जा सकता है।

F. एंटी-नॉसीबो दवाइयाँ: इन दवाइयों का उपयोग वोमिटिंग और कन्फ्यूजन को कम करने के लिए किया जा सकता है। 

2. ट्रिगर फैक्टर्स की पहचान: माइग्रेन के आक्रमण को ट्रिगर करने वाले फैक्टर्स जैसे अस्वस्थ आहार, तनाव, नींद की कमी या अन्य कारणों को ध्यान में रखने से माइग्रेन के आक्रमणों से बहुत हद तक बचा जा सकता है।

3. स्पेसिफ़िक टेक्निक्स और ट्रीटमेंट्स: कुछ विशिष्ट उपचार तकनीकों का उपयोग भी माइग्रेन का इलाज करने के लिए किया जा सकता है।  

A. बायोफीडबैक (Biofeedback): बायोफीडबैक प्रक्रिया में, किसी व्यक्ति को यह सीखने में मदद मिलती है कि स्वास्थ्य और प्रदर्शन में सुधार के लिए शारीरिक गतिविधि को कैसे बदला जाए। सटीक उपकरण (Precise Device) मस्तिष्क तरंगों (Brain Waves), हृदय क्रिया (Heart Activity), श्वास (Breathing), मांसपेशियों की गतिविधि (Muscle Activity) और त्वचा के तापमान (Skin Temperature) जैसी शारीरिक गतिविधियों को मापता है, फिर यह उपकरण तेज़ी से और सटीक रूप से उपयोगकर्ता को जानकारी वापस भेजता है। बायोफीडबैक ट्रेनिंग एक प्रकार की बिहेवियर थेरेपी है। यह किसी विकार के लक्षणों (जैसे दर्द और मांसपेशियों में तनाव) को कम करने में बहुत मदद कर सकता है।

B. क्रेनियल मैग्नेटिक स्टिमुलेशन (CMS): इस तकनीक में मस्तिष्क के विशिष्ट हिस्से को स्टिमुलेट किया जाता है, जिससे दर्द कम हो सकता है।

4. हेल्थी लाइफस्टाइल: नियमित व्यायाम करने से, पर्याप्त नींद लेने से, सही आहार लेने से और तनाव प्रबंधन करने से, माइग्रेन की समस्या को बहुत हद तक कम किया जा सकता है।

माइग्रेन के उपचार के लिए व्यक्तिगत योग्यता, उपाय, और दवाइयाँ निर्धारित करने के लिए डॉक्टर से सलाह लेना आवश्यक है।

माइग्रेन के लिए सर्वाइवल रेट

आमतौर पर माइग्रेन कोई गंभीर बीमारी नहीं है, इसलिए इसके सर्वाइवल रेट के विषय पर भी चर्चा करने का कोई अर्थ नहीं है। यह एक दर्दनिवृत्ति आक्रमण (Analgesic Attack) होता है जिसमें सिरदर्द, अल्पकालिक उल्टी और कंफ्यूजन जैसे लक्षण प्रकट हो सकते हैं। माइग्रेन अटैक का ड्यूरेशन और इफ़ेक्ट, व्यक्ति के आराम और उपचार की गुणवत्ता पर निर्भर करते हैं। अटैक का ड्यूरेशन कुछ घंटों से लेकर 72 घंटे तक हो सकता है, लेकिन यह सामान्यत: कुछ घंटों तक ही रहता है। माइग्रेन के कारण बार-बार और तेज़ होनेवाला सिर दर्द, व्यक्ति की जीवनक्षमता को प्रभावित कर सकता है, क्योंकि यह दिनचर्या और कामकाज में बाधाएँ पैदा कर सकता है। हालाँकि, उपचार और बचाव के रणनीतियों का पालन करके माइग्रेन अटैक्स को कम किया जा सकता है और जीवन को खुशहाल बनाया जा सकता है।

निष्कर्ष

माइग्रेन मुख्य रूप से मस्तिष्क से जुड़ी एक बीमारी है, जो सिर दर्द के रूप में उत्पन्न होती है लेकिन यह सामान्य सिर दर्द से काफ़ी अलग होती है। इस बीमारी में सिर दर्द इतना अधिक बढ़ जाता है कि उसे सह पाना बहुत ही मुश्किल होता है। वैसे तो माइग्रेन में दर्द आधे सिर में होता है, लेकिन कई केसेस में लोगों को पूरे सिर में भी दर्द हो सकता है। माइग्रेन के लक्षण में सिर दर्द, जी मिचलाना, उल्टी, दस्त, लाइट और साउंड के प्रति अत्यधिक संवेदनशीलता शामिल हैं। 

माइग्रेन, विशेष रूप से महिलाओं को अधिक प्रभावित कर सकता है और उम्र के साथ भी इसका ख़तरा बढ़ सकता है। माइग्रेन के लक्षणों के आधार पर इसका निदान किया जा सकता है। निदान समय पर हो सके, इसके लिए व्यक्ति का समय-समय पर डॉक्टर से सलाह लेना आवश्यक है। माइग्रेन का इलाज करने के लिए विभिन्न दवाइयों, तकनीकों और आयुर्वेदिक तरीकों का उपयोग किया जा सकता है, लेकिन व्यक्ति के संपूर्ण स्वास्थ्य स्थिति के आधार पर, इलाज का प्रकार डॉक्टर ही निर्धारित कर सकता है। माइग्रेन को रोकने और प्रबंधित करने के लिए सही जीवनशैली अपनाना, स्वस्थ आहार लेना, नियमित व्यायाम करना, तनाव प्रबंधन करना आवश्यक है। माइग्रेन अटैक्स व्यक्ति के दैनिक दिनचर्या को प्रभावित कर सकते हैं, लेकिन सही उपचार से और बचाव के रणनीतियों को अपनाने से इससे छुटकारा पाया जा सकता है। 

इस लेख के माध्यम से हमारा उद्देश्य, माइग्रेन से संबंधित जानकारियाँ प्रदान करना है। आपसे निवेदन है कि इस लेख को अधिक से अधिक लोगों से शेयर करें, ताकि वह भी माइग्रेन से बच सकें।

माइग्रेन के लक्षण और उपाय संक्षेप में

इस भाग में माइग्रेन के लक्षण और उपाय के बारे में संक्षेप में समझाने का प्रयास किया गया है:

यदि माइग्रेन के लक्षण और उपाय के विषय में चर्चा करें, तो इसके लक्षणों में एक तीव्र और दर्दनाक दर्द होना, प्रकाश, ध्वनि और गंध परिवर्तनों के प्रति संवेदनशील होना, उल्टी होना, मूड में तेज़ी से परिवर्तन होना इत्यादि शामिल हैं। माइग्रेन के उपाय या बचाव के लिए स्वस्थ जीवनशैली अपनाना, स्वच्छता रखना, स्वस्थ और उचित आहार लेना, नियमित व्यायाम करना आवश्यक है। 

यदि आप भी कैंसर के इलाज का खर्च नहीं जुटा पाने के कारण चिंतित हैं, तो इम्पैक्टगुरु से अवश्य संपर्क करें।

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