पैरागैंग्लिओमा, न्यूरोएंडोक्राइन ट्यूमर्स की श्रेणी में आता है। न्यूरोएंडोक्राइन ट्यूमर, न्यूरोएंडोक्राइन कोशिकाओं में विकसित होता है, और इन कोशिकाओं के लक्षण तंत्रिका कोशिकाओं (न्यूरॉन) और हार्मोन-उत्पादक कोशिकाओं (एंडोक्राइन) के समान होते हैं।
न्यूरोएंडोक्राइन ट्यूमर्स अधिकांश फेफड़े, अपेंडिक्स, छोटी आँत, रेक्टम और पैंक्रियाज में होते हैं। इनमें से कुछ धीरे-धीरे विकसित होते हैं तो कुछ तेज़ी से। कुछ प्रकार के न्यूरोएंडोक्राइन ट्यूमर्स अधिक मात्रा में हॉर्मोन प्रोड्यूज़ करते हैं तो कुछ हॉर्मोन रिलीज़ नहीं करते हैं। न्यूरोएंडोक्राइन ट्यूमर्स का निदान और उपचार, ट्यूमर के प्रकार और उसके लोकेशन पर निर्भर करता है।
पैरागैंग्लिओमा एक दुर्लभ और आमतौर पर गैर-कैंसरयुक्त (बिनाइन / नॉन-कैंसरस) ट्यूमर होता है, जो पैरागैन्ग्लिया नामक कोशिकाओं से शुरू होता है (पैरागैन्ग्लिया, न्यूरोएंडोक्राइन सिस्टम का हिस्सा होता है)। पैरागैन्ग्लिया पूरे शरीर में फैली हुई कोशिकाओं का वह समूह है, जो एक केमोरिसेप्टर के रूप में कार्य करता है। यह कोशिकाएँ आमतौर पर परिधीय तंत्रिका तंत्र (peripheral Nervous System) से जुड़ी होती हैं, विशेष रूप से नर्व पाथवेज़ और ब्लड वेसल्स के आसपास स्थित होती हैं।
शरीर में जहाँ-जहाँ पैरागैन्ग्लिया पाए जाते हैं वहाँ पैरागैंग्लिओमा विकसित हो सकता है। अधिकतर पैरागैंग्लिओमा सिर और गर्दन के क्षेत्र (विशेषकर गर्दन और मध्य कान में कैरोटिड आर्टरी के आसपास) में विकसित होते हैं, इन्हें कैरोटिड बॉडी ट्यूमर या सिर और गर्दन पैरागैंग्लिओमा कहा जाता है। अधिवृक्क ग्रंथि (एड्रेनल ग्लैंड) में विकसित होने वाले पैरागैन्ग्लिओमा को फियोक्रोमोसाइटोमा कहा जाता है।
थोरैक्स (छाती) और पेट में होनेवाले पैरागैंग्लिओमा को थोरैकोएब्डॉमिनल पैरागैन्ग्लिओमा के नाम से जाना जाता है। अधिकांश पैरागैंग्लिओमा सौम्य (Benign) होते हैं, और लगभग 10-15% घातक (Malignant) हो सकते हैं।
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पैरागैंग्लिओमा के प्रकार

पैरागैंग्लिओमा को दो मुख्य प्रकारों में विभाजित किया गया है, जो निम्न हैं:
1. फियोक्रोमोसाइटोमा: यह ट्यूमर अधिवृक्क मज्जा (Adrenal Medulla) की क्रोमैफिन कोशिकाओं में शुरू होता है। अधिवृक्क मज्जा (Adrenal Medulla), अधिवृक्क ग्रंथि (Adrenal Gland) का सेंट्रल पार्ट होता है, जो किडनी के ऊपर स्थित एक अंतःस्रावी अंग (Endocrine Organ) है। क्रोमैफिन कोशिकाएँ, न्यूरोएंडोक्राइन कोशिकाएँ होती हैं जो कैटेकोलामाइन, जैसे एड्रेनालाईन (Epinephrine) और नॉरएड्रेनालाईन (Norepinephrine) को ब्लडस्ट्रीम में प्रोड्यूज़ और रिलीज़ करती हैं। परिणामस्वरूप फियोक्रोमोसाइटोमा, कैटेकोलामाइन की अधिकता से संबंधित लक्षणों के साथ प्रकट होता है। इन लक्षणों में ब्लडप्रेशर हाई होना, हार्ट रेट (Tachycardia) फ़ास्ट होना, अत्यधिक पसीना (Hyperhidrosis) आना, और चिंता के कारण घबराहट होना, शामिल हैं।
2. एक्स्ट्रा-एड्रेनल पैरागैंग्लिओमा: यह ट्यूमर अधिवृक्क ग्रंथि (Adrenal Gland) के बाहर स्थित पैरागैन्ग्लिया में विकसित होते हैं। ट्यूमर के विकसित होनेवाले स्थान के आधार पर, एक्स्ट्रा-एड्रेनल पैरागैंग्लिओमा को आगे इस प्रकार वर्गीकृत किया जा सकता है:
A. सिर और गर्दन पैरागैंग्लिओमा (HNPGL): यह आमतौर पर कैरोटिड बॉडी, ग्लोमस जुगुलर (खोपड़ी की अस्थायी हड्डी में एक क्षेत्र) और वेगस नर्व (एक क्रेनियल नर्व) के साथ पाए जाते हैं। HNPGL आमतौर पर गैर-स्रावी (Non-Secretory) होते हैं, यानी कि वह कैटेकोलामाइन प्रोड्यूज़ नहीं करते हैं।
B. थोरैकोएब्डॉमिनल पैरागैंग्लिओमा: यह ट्यूमर छाती और पेट में सिम्पैथेटिक श्रृंखला (Sympathetic Chain) के साथ हो सकते हैं, जैसे मीडियास्टिनम, जुकरकंदल के अंग (एओर्टा के द्विभाजन के पास एक क्रोमैफिन सेल मास) और मूत्राशय में। HNPGL के विपरीत, थोरैकोएब्डॉमिनल पैरागैन्ग्लिओमा अक्सर स्रावी होते हैं और कैटेकोलामाइन की अधिकता के लक्षण पैदा कर सकते हैं।
3. फ़ंक्शनल और नॉन-फ़ंक्शनल पैरागैंग्लिओमा: फ़ंक्शनल पैरागैन्ग्लिओमा अधिक कैटेकोलामाइन का उत्पादन करता है, जिससे इसके लक्षण पकड़ में आ सकते हैं, जबकि नॉन-फ़ंक्शनल ट्यूमर इन हार्मोनों का उत्पादन नहीं करते हैं और सीधे एक ट्यूमर के रूप में प्रकट होते हैं। पैरागैंग्लिओमा के प्रकारों की जानकारी होने से, चिकित्सकों को इसके उपचारे के लिए एक बेहतर योजना तैयार करने में मदद मिल सकती है।
पैरागैंग्लिओमा के लक्षण
पैरागैंग्लिओमा के लक्षण, आमतौर पर ट्यूमर के स्थान और हार्मोन स्रावित करने की क्षमता पर निर्भर करते हैं। कुछ शुरूआती पैरागैंग्लिओमा के लक्षण निम्न हैं:
1. कैटेकोलामाइन की अधिकता के लक्षण: फियोक्रोमोसाइटोमा और कुछ एक्स्ट्रा-एड्रेनल पैरागैंग्लिओमा जैसे फ़ंक्शनल पैरागैंग्लिओमा के लक्षण, कैटेकोलामाइन के अधिक उत्पादन के कारण उत्पन्न होते हैं। इसके एपिसोडिक या लगातार लक्षणों में शामिल हैं:
A. हाइपरटेंशन: लगातार या पैरॉक्सिस्मल हाई ब्लड प्रेशर, फ़ंक्शनल पैरागैंग्लिओमा के लक्षण में शामिल है।
B. टैकीकार्डिया (Tachycardia): टैकीकार्डिया अर्थात दिल की धड़कन का तेज़ होना (प्रति मिनट 100 से अधिक धड़कन), फ़ंक्शनल पैरागैंग्लिओमा के लक्षण में से ही एक है।
C. पसीना आना: फ़ंक्शनल पैरागैंग्लिओमा के लक्षण में अत्यधिक, अस्पष्ट पसीना आना भी शामिल है।
D. सिरदर्द: लगातार या बार-बार गंभीर सिरदर्द होना, फ़ंक्शनल पैरागैंग्लिओमा के लक्षण में सम्मिलित है।
E. चिंता या पैनिक अटैक: लगातार चिंता के कारण घबराहट होना या पैनिक अटैक आना, फ़ंक्शनल पैरागैंग्लिओमा के लक्षण में शामिल हैं।
2. सिम्पटम्स ऑफ़ मास इफ़ेक्ट: नॉन-फ़ंक्शनल पैरागैंग्लिओमा, जैसे कि अधिकांश HNPGL, कैटेकोलामाइन का उत्पादन नहीं करते हैं। ऐसे पैरागैंग्लिओमा के लक्षण, ट्यूमर के आकार और स्थान पर निर्भर करते हैं। इसके लक्षणों में शामिल हैं:
A. सूजन या गाँठ: गर्दन में सूजन या गाँठ होना, सिर और गर्दन के पैरागैन्ग्लिओमा या नॉन-फ़ंक्शनल पैरागैंग्लिओमा के लक्षण में शामिल हैं।
B. क्रेनियल नर्व डिसफंक्शन: HNPGL के बढ़ने पर, पास की क्रेनियल नर्व्स संकुचित (Compress) हो सकते हैं, जिससे आवाज़ बैठना, निगलने में कठिनाई होना (Dysphagia), जीभ की कमज़ोरी, चेहरे की कमज़ोरी या सुन्नता जैसे लक्षण प्रकट हो सकते हैं।
C. दर्द: पैरागैंग्लिओमा के बढ़ने पर, ट्यूमर के क्षेत्र में दर्द हो सकता है।
3. पैरागैंग्लिओमा के अन्य लक्षण: पैरागैंग्लिओमा ट्यूमर के अधिक बढ़ने पर अन्य लक्षण पैदा हो सकते हैं। इन लक्षणों में, तेज़ या अनियमित दिल की धड़कन का अनुभव होना, अनैच्छिक कँपकँपी या कंपन का अनुभव, गर्मी लगना और अत्यधिक पसीना आना, बिना कारण वजन में कमी होना शामिल हैं।
सिर और गर्दन के क्षेत्र में ट्यूमर के बढ़ने पर, टिनिटस (एक या दोनों कानों में बजने या भिनभिनाने की आवाज़) या सुनने की हानि जैसे लक्षण पैदा हो सकते हैं। यदि ट्यूमर ऑप्टिक तंत्रिका या अन्य दृश्य मार्गों के पास है, तो इससे दृश्य गड़बड़ी या दृष्टि की हानि हो सकती है। पेट या छाती में पैरागैंग्लिओमा (थोरैकोएब्डॉमिनल पैरागैन्ग्लिओमा) होने के कारण, इन क्षेत्रों में दर्द का अनुभव हो सकता है। यदि पैरागैंग्लिओमा ट्यूमर मूत्राशय के पास या उसके भीतर स्थित है, तो मूत्र में रक्त आना (हेमट्यूरिया), पेशाब के दौरान दर्द होना (डिस्यूरिया) या बार-बार पेशाब आना, जैसे लक्षण पैदा हो सकते हैं। अधिकांश पैरागैंग्लिओमा सौम्य या बिनाइन होते हैं, लेकिन ट्यूमर के दूर के अंगों में मेटास्टेसिस होने पर, अस्पष्टीकृत वजन घटना, हड्डी में दर्द होना, पेट में दर्द होना या न्यूरोलॉजिकल लक्षण प्रकट हो सकते हैं।
पैरागैंग्लिओमा का कारण
पैरागैंग्लिओमा का सटीक कारण अभी तक अज्ञात है, लेकिन कुछ अध्ययनों से यह पता चला है कि इसके कारणों में आनुवंशिक और पर्यावरणीय कारक शामिल हो सकते हैं। जीन में उत्परिवर्तन जैसे आनुवंशिक कारक और क्रोनिक हाइपोक्सिया जैसे पर्यावरणीय कारक, पैरागैंग्लिओमा के विकास में मुख्य रूप से योगदान कर सकते हैं। पैरागैंग्लिओमा के जोखिम कारकों में शामिल हैं:
1. आनुवंशिक कारक / जेनेटिक फैक्टर्स: शोधों के आधार पर यह पता चला है कि 40% पैरागैन्ग्लिओमा के मामलों के लिए वंशानुगत सिंड्रोम ज़िम्मेदार हैं। पैरागैन्ग्लिओमा से जुड़े विशिष्ट जीन उत्परिवर्तन में सक्सिनेट डिहाइड्रोजनेज (SDH) कॉम्प्लेक्स (SDHA, SDHB, SDHC, SDHD, SDHAF2), वॉन हिप्पेल-लिंडौ रोग (VHL), न्यूरोफाइब्रोमैटोसिस टाइप 1 (NF1), ट्रांसमेम्ब्रेन प्रोटीन 127 (TMEM127), और MYC-रिलेटेड कारक X (MAX) शामिल हैं।
2. पारिवारिक इतिहास / फैमिली हिस्ट्री: पैरागैंग्लिओमा या फियोक्रोमोसाइटोमा के पारिवारिक इतिहास वाले लोगों को, पैरागैंग्लिओमा के फिर से होने का ख़तरा अधिक होता है।
3. आयु: पैरागैंग्लिओमा किसी भी उम्र के व्यक्ति को हो सकता है लेकिन यह 30 से 50 वर्ष की आयु के लोगों में पाया जाना अधिक आम है।
4. पर्यावरणीय कारक / एनवायर्नमेंटल फैक्टर्स: क्रोनिक हाइपोक्सिया, उच्च ऊँचाई पर रहना और रेडिएशन से संपर्क, सिर और गर्दन के पैरागैंग्लिओमा के ख़तरे को बढ़ा सकते हैं।
पैरागैंग्लिओमा के चरण
अधिकांश ट्यूमर की तरह, पैरागैन्ग्लिओमा की स्टेजिंग से ट्यूमर के आकार, प्रकार और सीमा का पता लगाया जा सकता है। कैरोटिड बॉडी और जुगुलोटिम्पेनिक पैरागैन्ग्लिओमा की स्टेजिंग के लिए टीएनएम स्टेजिंग सिस्टम का उपयोग किया जा सकता है, जहाँ:
1. T (ट्यूमर), प्राथमिक ट्यूमर के आकार और सीमा को दर्शाता है।
2. N (नोड्स), कैंसर के आसपास के (क्षेत्रीय) लिम्फ नोड्स में फैलने को दर्शाता है।
3. M (मेटास्टैसिस), कैंसर के शरीर के दूर के हिस्सों में मेटास्टेसाइज होने या फैलने को दर्शाता है।
पैरागैंग्लिओमा के चरणों को चार चरणों (चरण I-चरण IV) में विभाजित किया गया है। आम तौर पर चरण I और II (प्रारंभिक चरण) में ट्यूमर जहाँ विकसित होते हैं वहीं तक सीमित रहते हैं, जबकि चरण III और IV में ट्यूमर शरीर के दूर के अंगों में फैल या मेटास्टेसाइज हो जाते हैं।
पैरागैंग्लिओमा का निदान
पैरागैंग्लिओमा के नैदानिक प्रक्रिया में नैदानिक मूल्यांकन (Clinical Evaluation), जैव रासायनिक परीक्षण (Biochemical Tests) और इमेजिंग टेस्ट्स (Imaging Tests) का संयोजन शामिल है।
1. नैदानिक मूल्यांकन (Clinical Evaluation): पैरागैंग्लिओमा के नैदानिक प्रक्रिया में डॉक्टर सर्वप्रथम रोगी के चिकित्सा इतिहास से शुरू कर सकता है। वह किसी भी संभावित लक्षण और संभावित जोखिम कारकों (जैसे पैरागैन्ग्लिओमा का पारिवारिक इतिहास) के बारे में पूछताछ कर सकता है। इसके बाद संपूर्ण शारीरिक परीक्षण भी किया जा सकता है।
2. जैव रासायनिक परीक्षण (Biochemical Tests): फ़ंक्शनल पैरागैंग्लिओमा का पता लगाने के लिए, ब्लड या 24 घंटे के यूरिन के सैंपल्स में कैटेकोलामाइन (एड्रेनालाईन और नॉरएड्रेनालाईन) और उनके मेटाबोलाइट्स (मेटानेफ्रिन) के स्तर का पता लगाया जा सकता है। इन पदार्थों का ऊँचा स्तर, पैरागैंग्लिओमा के नैदानिक प्रक्रिया में बेहतर मदद प्रदान कर सकता है।
3. इमेजिंग परीक्षण (Imaging Tests): इमेजिंग टेस्ट्स से, ट्यूमर के स्थान और सीमा का पता लगाया जा सकता है, जिससे उपचार की योजना बनाने में चिकित्सकों को मदद मिल सकती है। इमेजिंग टेस्ट्स में सीटी और एमआरआई स्कैन शामिल किए जा सकते हैं। फ़ंक्शनल इमेजिंग टेक्निक्स, जैसे 123I-MIBG स्किंटिग्राफी, 68Ga-DOTATATE के साथ PET/CT, या 18F-FDOPA की मदद से, पैरागैंग्लिओमा की पहचान की जा सकती है और किसी मेटास्टेटिक बीमारी का पता भी आसानी से लगाया जा सकता है।
4. बायोप्सी: पैरागैंग्लिओमा के कुछ केसेस में, निदान की पुष्टि के लिए बायोप्सी की जा सकती है। बायोप्सी में, ऊतक का एक छोटा नमूना निकालकर, माइक्रोस्कोप के द्वारा उसकी जाँच की जाती है। हालाँकि, फ़ंक्शनल पैरागैंग्लिओमा में उच्च रक्तचाप से ग्रस्त संकट पैदा होने के जोखिम के कारण, आमतौर पर बायोप्सी का विकल्प नहीं चुना जाता है।
पैरागैंग्लिओमा का इलाज
पैरागैंग्लिओमा का इलाज, रोगी के संपूर्ण स्वास्थ्य, ट्यूमर के स्थान, आकार, हार्मोन स्रावित करने की क्षमता और उसकी सीमा पर निर्भर करता है।
1. सर्जरी: पैरागैंग्लिओमा का इलाज करने के लिए, सर्जरी का उपयोग प्राथमिक उपचार के रूप में किया जा सकता है। सर्जरी का प्रकार, ट्यूमर के स्थान पर निर्भर करता है। लक्षणों को नियंत्रित करने और सर्जरी के दौरान उच्च रक्तचाप के संकट से बचने के लिए फ़ंक्शनल पैरागैंग्लिओमा में दवाइयों के साथ प्रीऑपरेटिव मैनेजमेंट आवश्यक है।
2. रेडिएशन थेरेपी: इसका उपयोग प्राथमिक उपचार के रूप में उन पैरागैंग्लिओमा का इलाज करने के लिए किया जाता है, जो अपने स्थान या रोगी के स्वास्थ्य के कारण निष्क्रिय या इनऑपरेबल होते हैं। इसका उपयोग सर्जरी के बाद बचे हुए ट्यूमर सेल्स को नष्ट करने लिए भी किया जा सकता है।
3. रेडियोफ्रीक्वेंसी एब्लेशन या क्रायोएब्लेशन: यह लेस इनवेसिव प्रोसीजर्स हैं। पैरागैंग्लिओमा का इलाज करने के लिए, इन उपचार विधियों में ट्यूमर सेल्स को गर्म या फ्रीज करके नष्ट किया जाता है। इसका उपयोग कभी-कभी छोटे पैरागैंग्लिओमा के लिए किया जा सकता है।
4. दवाइयाँ / मेडिकेशन्स: कुछ दवाइयों का उपयोग करके फ़ंक्शनल पैरागैंग्लिओमा के लक्षणों को नियंत्रित किया जा सकता है। इन दवाइयों में, उच्च रक्तचाप और कैटेकोलामाइन की अधिकता के अन्य लक्षणों को प्रबंधित करने के लिए अल्फा और बीटा-ब्लॉकर्स शामिल हैं।
5. कीमोथेरेपी: मैलिग्नेंट पैरागैंग्लिओमा का इलाज करने के लिए कीमोथेरेपी का उपयोग किया जा सकता है।
6. रेडियोफार्मास्यूटिकल्स: ल्यूटेटियम-177 डोटेटेट के साथ I-131 MIBG या पेप्टाइड रिसेप्टर रेडियोन्यूक्लाइड थेरेपी (PRRT) जैसी थेरेपीज़ का उपयोग मेटास्टेटिक या इनऑपरेबल पैरागैंग्लिओमा का इलाज करने के लिए किया जा सकता है।
7. जेनेटिक काउन्सलिंग और स्क्रीनिंग: पैरागैंग्लिओमा के पारिवारिक इतिहास वाले लोगों को जेनेटिक काउन्सलिंग अवश्य लेना चाहिए। जिससे आगे के लिए वह मार्गदर्शन प्राप्त कर सकें। इसके अतिरिक्त, उनके परिवार के सदस्यों को भी इस स्थिति के लिए जाँच करवाना चाहिए।
क्या पैरागैंग्लिओमा जीवन के लिए ख़तरा है?
पैरागैंग्लिओमा आम तौर पर धीमी गति से प्रगति करनेवाला ट्यूमर है, और इनमें से अधिकांश ट्यूमर बिनाइन होते हैं, जिसका अर्थ है कि वह शरीर के अन्य भागों में नहीं फैलते हैं। हालाँकि, इसका एक छोटा सा हिस्सा मैलिग्नेंट हो सकता है और शरीर के अन्य अंगों में फैल सकता है। ट्यूमर के अन्य अंगों में फैल जाने के बाद पैरागैंग्लिओमा जीवन के लिए ज़रूर ख़तरा बन सकता है। इसके अतिरिक्त बिनाइन पैरागैंग्लिओमा भी यदि महत्वपूर्ण संरचनाओं के पास स्थित हैं या एक्स्ट्रा हार्मोन प्रोड्यूज़ करते हैं तो इससे गंभीर स्वास्थ्य समस्याएँ उत्पन्न हो सकती हैं।
पैरागैंग्लिओमा के मैलिग्नेंट होने का जोखिम, कुछ आनुवंशिक उत्परिवर्तन (विशेष रूप से SDHB), ट्यूमर के स्थान, आकार और स्पेसिफ़िक हिस्टोलॉजिकल फीचर्स जैसे कई कारकों पर निर्भर करता है। मैलिग्नेंट पैरागैंग्लिओमा, नॉन-क्रोमैफिन टिश्यूज़ जैसे लिम्फ नोड्स, हड्डियों, यकृत या फेफड़ों में मुख्य रूप से फैल सकते हैं।
पैरागैंग्लिओमा के लिए सर्वाइवल रेट
पैरागैंग्लिओमा के लिए सर्वाइवल रेट ट्यूमर के स्थान और आकार, कार्यात्मक स्थिति (Functional Status), जेनेटिक प्रोफ़ाइल और उसकी सीमा सहित कई कारकों पर निर्भर करती है।
अधिकांश पैरागैंग्लिओमा धीमी गति से बढ़ते हैं। ऐसे पैरागैंग्लिओमा का निदान और प्रबंधन अच्छा होता है। बिनाइन पैरागैंग्लिओमा वाले रोगियों के लिए 5 साल की सर्वाइवल रेट लगभग 95% से अधिक है। हालाँकि मैलिग्नेंट पैरागैंग्लिओमा के लिए, 5 साल की सर्वाइवल रेट लगभग 40-60% तक हो सकती है।
पैरागैंग्लिओमा के इलाज में लगनेवाला समय
पैरागैंग्लिओमा के इलाज में लगनेवाला समय ट्यूमर के प्रकार, स्थान, प्रसार, चुने गए उपचार विकल्प और रोगी के संपूर्ण स्वास्थ्य जैसे कई कारकों पर निर्भर करता है।
सर्जिकल ट्रीटमेंट में पेरिऑपरेटिव उच्च रक्तचाप संकट (Perioperative Hypertensive Crisis) से बचने के लिए, विशेष रूप से फ़ंक्शनल पैरागैंग्लिओमा के लिए व्यापक तैयारी की जा सकती है। इसके लिए आमतौर पर कम से कम 1-2 सप्ताह की प्रीऑपरेटिव मेडिकेशन की आवश्यकता होती है। सर्जरी में कई घंटे लग सकते हैं और सर्जरी के बाद ठीक होने में हफ़्तों से लेकर महीनों तक का समय लग सकता है।
रेडिएशन थेरेपी उपचार में आम तौर पर कई हफ़्तों तक का समय लग सकता है। आनुवंशिक प्रवृत्ति वाले लोगों में, ट्यूमर या लक्षणों की पुनरावृत्ति की जाँच करने के लिए फॉलो-अप की आवश्यकता आजीवन पड़ सकती है।
मेटास्टैटिक बीमारी के लिए, कीमोथेरेपी, टार्गेटेड थेरेपी या रेडियोन्यूक्लाइड थेरेपी का उपचार कई महीनों तक चल सकता है, और प्रतिक्रिया का आकलन करने या किसी दुष्प्रभाव को प्रबंधित करने के लिए नियमित रूप से फॉलो-अप की आवश्यकता भी पड़ सकती है।
निष्कर्ष
पैरागैंग्लिओमा दुर्लभ न्यूरोएंडोक्राइन ट्यूमर है। हालाँकि अधिकांश पैरागैंग्लिओमा बिनाइन होते हैं, लेकिन इसका एक छोटा सा हिस्सा मैलिग्नेंट हो सकता है और शरीर के अन्य अंगों में फैल सकता है। ट्यूमर के अन्य अंगों में फैल जाने के बाद पैरागैंग्लिओमा जीवन के लिए निश्चित रूप से ख़तरा बन सकता है। बिनाइन पैरागैंग्लिओमा भी यदि महत्त्वपूर्ण संरचनाओं के पास स्थित हैं या एक्स्ट्रा हार्मोन प्रोड्यूज़ करते हैं तो इससे गंभीर स्वास्थ्य समस्याएँ उत्पन्न हो सकती हैं।
पैरागैंग्लिओमा के पारिवारिक इतिहास वाले लोग जेनेटिक काउन्सलिंग और स्क्रीनिंग के माध्यम से आगे के लिए मार्गदर्शन प्राप्त कर सकते हैं। इसके अतिरिक्त जो लोग या जिन परिवारों के सदस्य पैरागैंग्लिओमा जैसे रोग का पूर्व में शिकार हो चुके हैं, उन्हें अधिक से अधिक लोगों को इस बीमारी के लक्षण, कारण, निदान, रोकथाम और उपचार से संबंधित जानकारी अवश्य प्रदान करनी चाहिए। इससे भविष्य में बहुत से लोग पैरागैंग्लिओमा की चपेट में आने से बच सकते हैं।
आर्थिक स्थिति कमज़ोर होने के कारण, कई परिवारों के लिए कैंसर के इलाज का पूरा खर्च जुटाना मुश्किल हो जाता है। ऐसे में आप ‘इम्पैक्टगुरु’ की मदद से इलाज का खर्च जुटा सकते हैं।