एडिसन रोग या एडिसंस डिजीज को एड्रेनल इंसफिशियंसी डिजीज (Adrenal Insufficiency Disease) के नाम से भी जाना जाता है। इस बीमारी का उल्लेख सबसे पहले थॉमस एडीसन ने सन् 1855 में किया था इसीलिए इस बीमारी को एडिसन डिजीज नाम दिया गया। एडिसन रोग का कारण जानना चाहें, तो जब शरीर में किडनी के ठीक ऊपर स्थित एड्रेनल ग्लैंड कुछ प्रकार के हार्मोन्स जैसे कोर्टिसोल और एल्डोस्टेरोन, पर्याप्त मात्रा में प्रोड्यूज़ नहीं करता है, तब एडिसन रोग के लक्षण उत्पन्न हो सकते हैं।
कोर्टिसोल को “स्ट्रेस हार्मोन” भी कहा जाता है क्योंकि यह तनावपूर्ण स्थितियों में शरीर की प्रतिक्रिया को कंट्रोल करता है। यह ब्लड शुगर को कंट्रोल करने में, शरीर को संक्रमण से लड़ने में, हृदय और रक्त वाहिका (Blood Vessel) के कार्य को बनाए रखने में भी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है। एल्डोस्टेरोन शरीर में पोटेशियम और सोडियम के बैलेंस को प्रबंधित करके रक्तचाप को कंट्रोल करता है।
एड्रेनल ग्लैंड के बाहरी परत को कॉर्टेक्स और भीतरी हिस्से को मेडुला कहते हैं। जब किसी कारणवश कॉर्टेक्स डैमेज हो जाता है या सही से काम करना बंद कर देता है तब यह स्टेरॉइड हार्मोन कॉर्टिसोल और एल्डोस्टेरोन हार्मोन्स ढंग से प्रोड्यूज़ नहीं कर पाता है और यह स्थिति एडिसन रोग का कारण बनती है। इस लेख के माध्यम से एडिसन रोग के प्रकार, लक्षण, कारण, चरण, निदान, रोकथाम रणनीतियों और उपचार के विकल्पों के बारे में समझाने का प्रयास किया गया है। इसके अतिरिक्त इस लेख में एडिसन रोग जीवन के लिए ख़तरा है या नहीं, इसके लिए सर्वाइवल रेट क्या हैं और इसके इलाज में कितना समय लग सकता है, इन सभी विषयों पर भी चर्चा की गई है।
Read More: Impactguru hospital finder
Table of Contents
एडिसन रोग के प्रकार

एडिसन रोग के दो मुख्य प्रकारों को नीचे समझाने का प्रयास किया गयाहै:
1. प्राइमरी एड्रेनल इंसफिशियंसी: प्राइमरी एड्रेनल इंसफिशियंसी में, अधिवृक्क ग्रंथियाँ (Adrenal Glands) स्वयं डैमेज हो जाती हैं और परिणामस्वरूप, कोर्टिसोल और एल्डोस्टेरोन की अपर्याप्त मात्रा का उत्पादन होता है। औद्योगिक देशों (Industrialized Countries) में प्राइमरी एड्रेनल इंसफिशियंसी का प्रमुख कारण एक ऑटोइम्यून डिजीज है, जहाँ शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली गलती से अपने ऊतकों पर हमला करती है, जिससे समय के साथ एड्रेनल कोर्टेक्स डैमेज हो जाती है, और एड्रेनल हार्मोन के उत्पादन में कमी आ जाती है।
2. सेकेंडरी एड्रेनल इंसफिशियंसी: सेकेंडरी एड्रेनल इंसफिशियंसी में, समस्या स्वयं एड्रेनल ग्लैंड्स के साथ नहीं बल्कि पिट्यूटरी ग्लैंड के साथ होती है। पिट्यूटरी ग्लैंड ब्रेन के बेस पर एक छोटा, सेम के आकार का अंग होता है। पिट्यूटरी ग्लैंड एड्रेनोकोर्टिकोट्रोपिक हार्मोन (ACTH) प्रोड्यूज़ करता है, जो अधिवृक्क ग्रंथियों को कोर्टिसोल का उत्पादन करने के लिए प्रेरित करता है। यदि पिट्यूटरी ग्लैंड पर्याप्त मात्रा में ACTH प्रोड्यूज़ नहीं करता है, तो अधिवृक्क ग्रंथियाँ पर्याप्त मात्रा में कोर्टिसोल का उत्पादन नहीं करती हैं, जिससे सेकेंडरी एड्रेनल इंसफिशियंसी जैसी स्थिति उत्पन्न हो सकती है। हालाँकि सेकेंडरी एड्रेनल इंसफिशियंसी, प्राइमरी एड्रेनल इंसफिशियंसी की तुलना में कम आम है और एल्डोस्टेरोन उत्पादन में कमी से नहीं जुड़ा है।
प्राइमरी और सेकेंडरी एड्रेनल इंसफिशियंसी के लक्षण काफी हद तक समान होते हैं क्योंकि दोनों में कोर्टिसोल हार्मोन की कमी होती है, जो कई शारीरिक कार्यों में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है। प्राइमरी एड्रेनल इंसफिशियंसी के लिए कोर्टिसोल और एल्डोस्टेरोन दोनों के रिप्लेसमेंट की आवश्यकता होती है, जबकि सेकेंडरी एड्रेनल इंसफिशियंसी के लिए आमतौर पर अकेले कोर्टिसोल के रिप्लेसमेंट की आवश्यकता होती है।
एडिसन रोग के लक्षण
एडिसन रोग के लक्षण, अक्सर प्रारंभिक चरणों में इसलिए पकड़ में नहीं आते हैं, क्योंकि वह बहुत ही सूक्ष्म होते हैं। लक्षणों की पहचान देर से होने के कारण, एडिसन रोग का निदान अच्छा नहीं होता है। ऐसे में यदि इसके सूक्ष्म लक्षणों को याद रखा जाए, और उनके बने रहने पर स्वास्थ्य पेशेवर से संपर्क किया जाए, तो बीमारी का निदान और इलाज अच्छा हो सकता है।
कुछ प्रारंभिक एडिसन रोग के लक्षण हैं:
1. पुरानी थकान और मांसपेशियों की कमज़ोरी: लगातार थकान का एहसास जो आराम करने पर भी ठीक नहीं होता है, एडिसन रोग के लक्षण में से एक है।
2. भूख और वजन में कमी: बिना कारण भूख में कमी और वजन कम होना, एडिसन रोग के लक्षण में सम्मिलित हैं।
3. लो ब्लड प्रेशर: इसे हाइपोटेंशन के रूप में भी जाना जाता है, इससे चक्कर या बेहोशी का अनुभव हो सकता है, ख़ासकर बैठने या लेटने की स्थिति से खड़े होने पर। इस स्थिति को ऑर्थोस्टेटिक हाइपोटेंशन के रूप में जाना जाता है। ब्लड प्रेशर का लो होना भी एडिसन रोग के लक्षण में से एक है।
4. नमकीन खाद्य पदार्थ खाने की इच्छा: नमकीन खाद्य पदार्थों की इच्छा अधिक होना भी एडिसन रोग के लक्षण में शामिल है।
5. त्वचा में परिवर्तन: त्वचा का काला पड़ना (हाइपरपिग्मेंटेशन), जिसमें सूर्य के संपर्क में न आने वाले क्षेत्र भी शामिल हैं, एडिसन रोग के लक्षण में से एक है। एडिसन रोग में त्वचा की सिलवटों, निशानों, जोड़ों, कोहनी और घुटनों जैसे दबाव वाले स्थानों पर कालापन देखा जा सकता है। इसके अतिरिक्त, म्यूकस मेम्ब्रेन (Lining of the Mouth), निपल्स, एरिओला और जननांग क्षेत्र के आसपास की त्वचा भी काली पड़ सकती है।
6. लो ब्लड शुगर (हाइपोग्लाइसीमिया): रक्त शर्करा का स्तर गिरना या हाइपोग्लाइसीमिया होना एडिसन रोग के लक्षण में शामिल हैं। इसके लक्षणों में कँपकँपी, अत्यधिक पसीना आना, चिंतित रहना, चक्कर आना और भूख महसूस होना शामिल हैं।
7. मासिक धर्म अनियमित या बंद होना / पीरियड में चेंजेस: एडिसन रोग के लक्षण में मासिक धर्म चक्र में बदलाव होना भी शामिल है।
8. अन्य लक्षण: जैसे-जैसे एडिसन रोग की बीमारी बढ़ती है, लक्षण और भी गंभीर प्रकट हो सकते हैं। इन लक्षणों में, पेट में दर्द होना, दस्त और उल्टी होना, अवसाद और चिड़चिड़ापन होना, अधिक प्यास लगना और बार-बार पेशाब आना शामिल हैं।
यदि आप या आपका कोई परिचित इन लक्षणों का अनुभव करता है, तो तुरंत चिकित्सा सहायता लेना आवश्यक है। हालाँकि यह लक्षण किसी अन्य कम गंभीर स्थिति से भी संबंधित हो सकते हैं, लेकिन लक्षणों को नज़रअंदाज़ करना ख़तरनाक साबित भी हो सकता है। समय पर डॉक्टर से संपर्क करने से, भविष्य में बहुत सी स्वास्थ्य समस्याओं से बचा जा सकता है।
एडिसन रोग का कारण
एडिसन रोग तब होता है जब अधिवृक्क ग्रंथियाँ (एड्रेनल ग्लैंड्स) शरीर की आवश्यकतानुसार पर्याप्त हार्मोन का उत्पादन नहीं करती हैं। यदि बात करें प्राइमरी एड्रेनल इंसफिशियंसी की तो यह आमतौर पर एक ऑटोइम्यून बीमारी के परिणामस्वरूप होता है। इस बीमारी में प्रतिरक्षा प्रणाली गलती से शरीर के अपने ऊतकों पर हमला करती है, जिससे एड्रेनल कॉर्टेक्स डैमेज हो जाती है और हार्मोन का उत्पादन पर्याप्त मात्रा में नहीं कर पाती है।
सेकेंडरी एड्रेनल इंसफिशियंसी का ख़तरा तब बढ़ता है, जब मस्तिष्क में पिट्यूटरी ग्रंथि पर्याप्त ACTH का उत्पादन नहीं करती है, हार्मोन जो अधिवृक्क ग्रंथियों को उनके हार्मोन का उत्पादन करने के लिए उत्तेजित करता है। यह ट्यूमर, संक्रमण, रक्तस्राव से पिट्यूटरी ग्रंथि को नुकसान के कारण हो सकता है या अगर कोई कॉर्टिकोस्टेरॉयड दवाई जैसे प्रेडनिसोन लेना बंद कर देता है, जो लंबी अवधि के लिए निर्धारित की गई हो। एडिसन रोग के जोखिम कारकों के बारे में नीचे समझाने का प्रयास किया गया है:
1. ऑटोइम्यून बीमारियाँ (Autoimmune Diseases): टाइप 1 डायबिटीज, विटिलिगो, थायरॉयड डिजीज (Graves’ Disease or Hashimoto’s thyroiditis), या घातक एनीमिया (Vitamin B12 Deficiency) जैसी अन्य ऑटोइम्यून बीमारियों वाले लोगों को एडिसन रोग का ख़तरा अधिक होता है।
2. क्षय रोग (Tuberculosis): Tuberculosis भारत जैसे विकासशील देशों में एडिसन रोग के सबसे आम कारणों में से एक है। यह संक्रामक रोग एड्रेनल ग्लैंड्स को नुकसान पहुँचा सकता है।
3. पारिवारिक इतिहास: एडिसन रोग या अन्य ऑटोइम्यून बीमारी के पारिवारिक इतिहास वाले लोगों को, एडिसन रोग अपनी चपेट में आसानी से ले सकता है।
4. उम्र और लिंग: एडिसन रोग किसी भी उम्र के लोगों को प्रभावित कर सकता है, लेकिन यह 30 से 50 वर्ष के लोगों में पाया जाना अधिक आम है। साथ ही यह बीमारी पुरुषों की तुलना में महिलाओं में अधिक पाया जा सकता है।
5. कैंसर: कुछ प्रकार के कैंसर, जैसे फेफड़ों का कैंसर, अधिवृक्क ग्रंथियों में जब फैलते हैं या मेटास्टेसिस करते हैं, तब उन्हें नुकसान पहुँचा सकते हैं और संभावित रूप से एडिसन रोग का कारण बन सकते हैं।
एडिसन रोग का निदान
एडिसन रोग का इलाज सही ढंग हो सके, इसके लिए इसका सही ढंग से निदान होना भी आवश्यक है। एडिसन रोग के निदान में कई चरण शामिल किए जा सकते हैं। नैदानिक प्रक्रिया चिकित्सा इतिहास से शुरू की जा सकती है। यदि डॉक्टर एडिसन रोग के लक्षणों की पहचान करता है, तो वह निदान के लिए कुछ शारीरिक परीक्षण कराने का आदेश दे सकता है। एडिसन रोग के निदान के लिए कुछ परीक्षण निम्न हैं:
1. चिकित्सा इतिहास और शारीरिक परीक्षण: चिकित्सक एडिसन रोग के निदान के लिए रोगी के चिकित्सा इतिहास से शुरू सकता है। वह एडिसन रोग से जुड़े लक्षणों जैसे हाइपरपिग्मेंटेशन या त्वचा का काला पड़ना, इत्यादि की जाँच कर सकता है।
2. एसीटीएच उत्तेजना परीक्षण (ACTH Stimulation Test): इस परीक्षण में सिंथेटिक ACTH के इंजेक्शन से पहले और बाद में ब्लड में कोर्टिसोल के स्तर को मापना शामिल है। एडिसन रोग से पीड़ित लोगों के रक्त में कोर्टिसोल का स्तर कम हो सकता है।
3. ऑटोएंटीबॉडी टेस्ट: कुछ ऑटोएंटीबॉडीज़ – प्रोटीन जो एडिसन रोग वाले लोगों में पाए जा सकते हैं, इस परीक्षण के द्वारा रक्त में इन ऑटोएंटीबॉडी की जाँच की जा सकती है। इस परीक्षण से एडिसन रोग के निदान में मदद मिल सकती है।
4. इमेजिंग टेस्ट्स: एडिसन रोग से जुड़े किसी भी शारीरिक असामान्यता की जाँच, एड्रेनल या पिट्यूटरी ग्लैंड्स में करने के लिए, MRI या CT स्कैन जैसे इमेजिंग परीक्षण किए जा सकते हैं।
एडिसन रोग की रोकथाम
एडिसन रोग को रोकने का कोई सीधा तरीका नहीं है, ख़ासकर जब यह आनुवंशिक कारकों (Genetic Factors) या ऑटोइम्यून प्रतिक्रिया (Autoimmune Response) के कारण होता है। हालाँकि, जिन लोगों में इस रोग का निदान पहले ही हो चुका है, उनके लिए जटिलताओं को रोकना और स्थिति को प्रभावी ढंग से प्रबंधित करना आवश्यक है:
1. स्ट्रेस मैनेजमेंट: फिजिकल स्ट्रेस से एडिसन रोग वाले लोगों में, एड्रेनल से सबंधित समस्याएँ पैदा हो सकती हैं। इसलिए जितना संभव हो सके तनावपूर्ण स्थितियों से बचना आवश्यक है।
2. नियमित जाँच: हार्मोन के स्तर की जाँच करने के लिए और आवश्यकतानुसार दवाई की खुराक को एडजस्ट करने के लिए नियमित चिकित्सा जाँच आवश्यक है।
3. मेडिकल अलर्ट डिटेक्शन: मेडिकल अलर्ट ब्रेसलेट पहनने से आपातकालीन स्थिति में स्वास्थ्य देखभाल पेशेवरों को रोगी की स्थिति के बारे में सूचित किया जा सकता है, जिससे रोगी का तुरंत उपचार किया जा सकता है।
4. दवाई का पूरा कोर्स: दवाई का पूरा कोर्स करने से, एड्रेनल से संबंधित समस्याओं और एडिसन रोग के लक्षणों को प्रभावी ढंग से प्रबंधित किया जा सकता है।
एडिसन रोग का इलाज
एडिसन रोग का इलाज करने के लिए निम्न उपचार विकल्पों का उपयोग किया जा सकता है:
1. कोर्टिसोल रिप्लेसमेंट (Cortisol Replacement): शरीर के कोर्टिसोल को बदलने के लिए हाइड्रोकार्टिसोन, प्रेडनिसोन या कोर्टिसोन एसीटेट निर्धारित किए जा सकते हैं।
2. एल्डोस्टेरोन रिप्लेसमेंट (Aldosterone Replacement): फ्लुड्रोकार्टिसोन दवा का उपयोग एल्डोस्टेरोन को बदलने के लिए किया जा सकता है, जो शरीर में सोडियम और पानी के संतुलन को बनाए रखने और ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करने में मदद करता है।
3. एंड्रोजन रिप्लेसमेंट (Androgen Replacement): एडिसन रोग से पीड़ित महिलाओं के लिए डीहाइड्रोएपियनड्रोस्टेरोन (DHEA) की सिफारिश की जा सकती है। यह हार्मोन आम तौर पर एड्रेनल ग्लैंड्स द्वारा निर्मित होता है और संपूर्ण स्वास्थ्य, मनोदशा (Mood) और कामुकता (Sexuality) में सुधार कर सकता है।
4. अधिवृक्क संकट का प्रबंधन (Management of Adrenal crisis): अधिवृक्क संकट की स्थिति में, तत्काल चिकित्सा देखभाल की आवश्यकता पड़ सकती है। अधिवृक्क संकट के प्रबंधन में अक्सर हाइड्रोकार्टिसोन, सेलाइन और डेक्सट्रोज़ के इंजेक्शन शामिल किए जा सकते हैं।
नियमित डॉक्टर के पास जाना और निरंतर निगरानी महत्वपूर्ण है क्योंकि दवा की खुराक को समायोजित करने की आवश्यकता हो सकती है। विशेष रूप से तनावपूर्ण समय के दौरान, जैसे सर्जरी, बीमारी या गर्भावस्था के दौरान, दवा में समायोजन की आवश्यकता हो सकती है।
क्या एडिसन रोग जीवन के लिए ख़तरा है?
एडिसन रोग एक गंभीर बीमारी है, लेकिन यदि इसे ठीक ढंग से प्रबंधित किया जाए तो इसका इलाज संभव है। एडिसन रोग से पीड़ित लोग सही उपचार और नियमित चिकित्सा देखभाल के साथ सामान्य और स्वस्थ जीवन जी सकते हैं। एडिसन रोग के लक्षणों को नियंत्रित करने के लिए शीघ्र निदान और उचित प्रबंधन आवश्यक है।
हालाँकि एड्रेनल संकट, एडिसन रोग की एक गंभीर जटिलता, जीवन के लिए ख़तरा अवश्य बन सकता है। यह कोर्टिसोल के स्तर के अत्यधिक कम हो जाने पर होता है, जिससे लो ब्लड प्रेशर, गंभीर पेट दर्द, भ्रम और चेतना की हानि जैसी समस्याएँ उत्पन्न होती हैं। यदि तुरंत इलाज नहीं किया जाए तो अधिवृक्क संकट घातक हो सकता है। एडिसन रोग से पीड़ित व्यक्तियों और उनके परिवारों के लिए एड्रेनल संकट के संकेतों को समझना और लक्षणों की पहचान होने पर चिकित्सा सहायता लेना आवश्यक है।
एडिसन रोग के लिए सर्वाइवल रेट
एडिसन रोग का उपचार और प्रबंधन सही ढंग से किया जाए, तो इस रोग से पीड़ित व्यक्तियों के लिए सर्वाइवल रेट सामान्य होती है। द जर्नल ऑफ क्लिनिकल एंडोक्रिनोलॉजी एंड मेटाबॉलिज्म (The Journal of Clinical Endocrinology and Metabolism) के 2003 के एक अध्ययन के अनुसार, एडिसन रोग से पीड़ित व्यक्तियों के लिए सर्वाइवल रेट थोड़ी कम हो सकती है, लेकिन विशेष स्वास्थ्य देखभाल और नए उपचार विकल्पों के प्रयोग से सर्वाइवल रेट में सुधार होने की संभावना है।
एडिसन रोग का इलाज कितने दिनों तक चल सकता है?
एडिसन की बीमारी एक पुरानी स्थिति (Chronic Condition) है, इसलिए एडिसन रोग का इलाज आजीवन चल सकता है। एक बार एडिसन रोग का निदान हो जाता है और उपचार शुरू हो जाता है, तो अधिकांश लोगों में कुछ दिनों से लेकर कुछ हफ़्तों के भीतर लक्षणों में महत्त्वपूर्ण सुधार दिखाई दे सकता है। हालाँकि, लक्षणों को पूर्ण रूप से नियंत्रित करने के लिए और अधिवृक्क संकट को रोकने के लिए, अच्छा महसूस होने पर भी, स्वास्थ्य देखभाल पेशेवर द्वारा उपचार जारी रखा जा सकता है।
निष्कर्ष
एडिसन रोग एक गंभीर बीमारी है, लेकिन सही ढंग से इलाज करके इसका प्रबंधन किया जा सकता है। नियमित चिकित्सा जाँच की मदद से एडिसन रोग का शीघ्र निदान हो सकता है, जिससे समय पर इलाज होने पर सर्वाइवल रेट में भी सुधार संभव है। हालाँकि एडिसन रोग को रोकने या ठीक करने का कोई सीधा तरीका नहीं है, लेकिन इसके लक्षणों, कारणों और जोखिम कारकों की जानकारी होने से इसका शीघ्र पता अवश्य लगाया जा सकता है, जिससे स्थिति को जल्दी प्रबंधित करने में मदद मिल सकती है।
भारत में, वर्तमान में ट्यूबरक्लोसिस के कारण होनेवाला एडिसन रोग एक महत्त्वपूर्ण स्वास्थ्य चिंता का विषय बना हुआ है। ट्यूबरक्लोसिस या तपेदिक का शीघ्र निदान और समय पर उपचार होने से एडिसन रोग की शुरुआत को रोका जा सकता है। एडिसन रोग को पूर्ण रूप से समझने के लिए शिक्षा, जागरूकता और स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं से खुलकर बातचीत करना आवश्यक है।
कैंसर एक ऐसी बीमारी है जिसका नाम सुनते ही लोग डर जाते हैं, क्योंकि कैंसर का नाम सुनते ही लोगों के मन में सबसे पहला सवाल यही आता है कि वह इलाज के लिए पैसा कहाँ से लाएँगे। ऐसे लोगों के लिए क्राउडफ़ंडिंग एक विकल्प अवश्य हो सकता है।