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बच्चेदानी में कैंसर कैसे होता है
गर्भाशय का कैंसर को एंडोमेट्रियल कैंसर के नाम से भी जाना जाता है। यदि इस विषय पर चर्चा करें कि बच्चेदानी में कैंसर कैसे होता है तो यह कैंसर गर्भाशय में कोशिकाओं के असामान्य रूप से विभाजित या बढ़ने के कारण विकसित होता है। गर्भाशय, जिसमें भ्रूण का विकास होता है यह नासपाती के आकार जैसा होता है और यह महिला की श्रोणि यानी पेट के निचले हिस्से में होता है। गर्भाशय कैंसर के लक्षणों, कारणों और उपचार विकल्पों को समझना ज़रूरी है जिससे इसका निदान और समय पर उपचार हो सके। इस लेख के माध्यम से केवल हमारा उद्देश्य है, भारतीय महिलाओं को स्वास्थ्य-संबंधी और भारत में उपलब्ध स्वाथ्य सेवाओं के संदर्भ में सभी उचित और विस्तृत जानकारी प्रदान करना।
बच्चेदानी में कैंसर के लक्षण

बच्चेदानी में कैंसर के लक्षण या गर्भाशय कैंसर के लक्षण हर महिला में अलग-अलग हो सकते हैं और अधिकतर शुरुआत में इसके लक्षण पकड़ में नहीं आते, लेकिन फिर भी यहाँ गर्भाशय कैंसर से जुड़े कुछ सामान्य लक्षणों की चर्चा की गई है:
१) योनि से असामान्य रक्तस्राव होना: पीरियड्स के अलावा अन्य दिनों में योनि से असामान्य रूप से रक्तस्राव या स्पॉटिंग होना बच्चेदानी में कैंसर के लक्षण में से एक सामान्य लक्षण है और विशेष रूप से रजोनिवृत्ति(मेनोपॉज) के बाद स्पॉटिंग या डिस्चार्ज की शिकायत होना भी गर्भाशय कैंसर के लक्षण में ही शामिल है।
२) यौन संबंध बनाने के बाद दर्द महसूस करना: सेक्स के बाद यदि आप दर्द या कोई असुविधा महसूस करते हैं तो यह बच्चेदानी के कैंसर के लक्षण में से एक हो सकता है या यह गर्भाशय से संबंधित कोई और समस्या भी हो सकती है। संदेह दूर करने के लिए डॉक्टर से सलाह लें।
३) पेल्विक एरिया में दर्द महसूस करना: लगातार दर्द जो पीरियड्स से संबंधित ना हो या पेल्विक एरिया में दर्द, बच्चेदानी में कैंसर के लक्षण में से एक हो सकता है।
४) पेशाब या शौच के समय दिक्कत महसूस करना: पेशाब या शौच के समय दिक्कत या असुविधा या दर्द, बच्चेदानी में कैंसर के लक्षण में शामिल हो सकता है।
५) बिना कारण वजन कम हो जाना: बिना कारण अचानक से वजन कम होना गर्भाशय कैंसर के लक्षण के अलावा अन्य कैंसर के लक्षण में भी शामिल हो सकता है। अतः ऐसा होने पर एक्सपर्ट से सलाह लें।
इस बात को याद रखें कि उपरोक्त लक्षण, बच्चेदानी में कैंसर के लक्षण नहीं भी हो सकते हैं, लेकिन इस बात की पुष्टि के लिए चिकित्सक से जाँच कराना आवश्यक है।
गर्भाशय कैंसर के कारण
गर्भाशय का कैंसर क्यों होता है इसका कोई अभी तक स्पष्ट कारण ज्ञात नहीं हो पाया है, लेकिन कुछ ऐसे कारक जो इसके विकसित होने में सहायक हो सकते हैं वह इस प्रकार हैं:
१) बढ़ती उम्र: बढ़ती उम्र के साथ या रजोनिवृत्ति(मेनोपॉज) के बाद महिलाओं को गर्भाशय का कैंसर होने का ख़तरा बढ़ सकता है। महिलाओं की उम्र ५० वर्ष से अधिक होने पर उनमें बच्चेदानी में कैंसर के लक्षण प्रकट हो सकते हैं।
२) एंडोमेट्रियल हाइपरप्लासिया: एंडोमेट्रियल हाइपरप्लासिया यानी जब गर्भाशय की अस्तर(एंडोमेट्रियल) बहुत मोटी हो जाती है, तब महिलाओं को गर्भाशय का कैंसर होने ख़तरा अधिक होता है।
३) हार्मोनल परिवर्तन: प्रोजेस्टेरोन की अपेक्षा एस्ट्रोजेन का स्तर अधिक बढ़ने से एंडोमेट्रियम की परत अधिक मोटी या बढ़ सकती है जिससे महिलाओं को गर्भाशय कैंसर होने की संभावना बढ़ जाती है।
४) मोटापा: मोटापा के कारण शरीर में एस्ट्रोजेन का स्तर बढ़ सकता है जो गर्भाशय कैंसर को विकसित होने मदद कर सकता है।
५) आनुवंशिक कारक: यदि परिवार में किसी महिला को गर्भाशय कैंसर पूर्व में हो चुका है, तो यह संभव है कि यह आगे भी उसी परिवार की किसी महिला को अपनी चपेट में ले सकता है। इसके अलावा जिन महिलाओं को कोई अनुवांशिक विकार जैसे लिंच सिड्रोम है तो उन्हें भी यह कैंसर हो सकता है।
६) पुराने रोग: जिन महिलाओं को पॉलीसिस्टिक ओवरी(अंडाशय) सिंड्रोम (पीसीओएस) या डायबिटीज़ की शिकायत होती है उन महिलाओं में भी यह कैंसर पाया जा सकता है।
यह सत्य है कि बढ़ती उम्र और अनुवांशिक विकार जैसे कारकों पर नियंत्रण नहीं पाया जा सकता लेकिन स्वस्थ वजन बनाए रखने से और पुराने रोग का उपचार करने से इस रोग से बचना संभव हो सकता है।
गर्भाशय कैंसर के लिए उपचार विकल्प (बच्चेदानी में कैंसर का इलाज)
बच्चेदानी में कैंसर का इलाज या उपचार कैंसर के चरण, रोगी का संपूर्ण स्वास्थ्य और व्यक्तिगत प्राथमिकताओं जैसे कारकों पर निर्भर करता है। बच्चेदानी में कैंसर का इलाज जिन उपचार विकल्पों के द्वारा किया जा सकता है नीचे दिए गए बिंदुओं के माध्यम से उन्हें समझाने का प्रयास किया गया है:
१) सर्जरी: गर्भाशय के कैंसर में, हिस्टेरेक्टॉमी सर्जिकल प्रोसीजर के द्वारा गर्भाशय और गर्भाशय ग्रीवा को हटाया जाता है। इसके अतिरिक्त अंडाशय और फैलोपियन ट्यूब में फैले हुए कैंसर को ओओफोरेक्टॉमी (बीएसओ) द्वारा और लिम्फ नोड्स में फैले हुए कैंसर को लिम्फ नोड विच्छेदन या लिम्फैडेनेक्टॉमी प्रक्रिया द्वारा हटाया जा सकता है। गर्भाशय के कैंसर के उपचार के लिए सर्जरी प्राथमिक उपचार के रूप में माना जाता है।
२) रेडिएशन थेरेपी: रेडिएशन थेरेपी के दौरान, उच्च ऊर्जा एक्स-रे या कणों का उपयोग कैंसर कोशिकाओं को नष्ट करने के लिए किया जाता है। बचे हुए कैंसर कोशिकाओं को नष्ट करने के लिए सर्जरी के बाद या बड़े ट्यूमर को सिकोड़ने के लिए सर्जरी के पहले इसका उपयोग किया जाता है।
३) कीमोथेरेपी: कीमोथेरेपी के दौरान, दवाइयों का उपयोग करके कैंसर सेल्स को नष्ट करना या ख़त्म करना शामिल है। शरीर के अन्य हिस्सों में कैंसर फैलने के बाद या प्रारंभिक उपचार के बाद भी कैंसर के वापस आने के बाद कीमोथेरेपी का उपयोग किया जाता है।
४) हार्मोन थेरेपी: हार्मोन थेरेपी का उपयोग, गर्भाशय कैंसर के अधिक विकसित होने पर या इसकी पुनरावृत्ति पर किया जाता है। इस थेरेपी के दौरान कुछ दवाइयों का इस्तेमाल करके गर्भाशय के कैंसर कोशिकाओं को बढ़ने से रोका या इसके विकास को कम किया जाता है।
५) टार्गेटेड थेरेपी: टार्गेटेड थेरेपी के द्वारा कैंसर कोशिकाओं की कुछ असामान्य विशेषताओं को लक्षित किया जाता है, जैसे कोई असामान्य प्रोटीन या म्यूटेशन। टार्गेटेड थेरेपी में, म्यूटेशन के लिए डिज़ाइन की गई दवाइयों का उपयोग करके कैंसर के विकास या इसके प्रसार को रोकना शामिल है।
६) इम्यूनोथेरपी: इम्यूनोथेरपी एक नया उपचार विकल्प है, जिसमें कैंसर सेल्स से लड़ने के लिए शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली का उपयोग किया जाता है। गर्भाशय कैंसर के उपचार के लिए इस उपचार विकल्प पर अभी भी शोध चल रहे हैं, लेकिन बहुत से केसेस में इस विकल्प का उपयोग करने से सफ़लता भी मिली है।
इस बात का स्मरण रखें कि गर्भाशय कैंसर से लड़ना हर रोगी के लिए किसी चुनौती से कम नहीं है। ऐसे में स्वास्थ्य सेवा टीम के द्वारा रोगी की स्थिति के अनुसार तैयार किए गए उपचार योजना की मदद से रोगी की सेहत में सुधार संभव है।
क्या गर्भाशय का कैंसर ठीक हो सकता है?(क्या गर्भाशय कैंसर का इलाज संभव है?)गर्भाशय कैंसर के लक्षण और उपचार के बीच निदान की प्रक्रिया महत्त्वपूर्ण होती है। गर्भाशय कैंसर का इलाज भी अन्य कैंसर की तरह कैंसर के उस चरण पर निर्भर करता है जिस चरण पर उसका निदान हुआ है। यदि कैंसर का निदान जल्दी हो जाए तो रोगी के जीवित रहने की दर पाँच साल तक अधिक संभव है। हालाँकि भारत में सामजिक आर्थिक कारक (सोशल इकोनॉमिकल फैक्टर्स जैसे आय, शिक्षा, रोजगार इत्यादि) और जागरूकता की कमी के कारण गर्भाशय कैंसर की पहचान उन्नत चरणों में हो पाती है, जिससे रोगी को कैंसर से लड़ने में बहुत सी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है।
हालाँकि, चिकित्सा प्रौद्योगिकी में प्रगति के कारण पिछले कुछ समय में रोग का जल्दी निदान आसानी से संभव हो गया है, और जागरूकता अभियानों के कारण लोगों के नज़रिए में भी सुधार हुआ है। इसके अतिरिक्त स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं और नीति निर्माताओं (हेल्थकेयर प्रोवाइडर्स एंड पॉलिसी मेकर्स) का भी प्रयास रहा है कि कैंसर के हर एक रोगी की देखभाल उसकी सामजिक आर्थिक स्थिति के बारे में बिना सोचे की जाए, जिससे रोग का निदान और सही समय पर महिला रोगी का उपचार हो सके।
निष्कर्ष
भारत में गर्भाशय कैंसर, महिलाओं के लिए चिंता का विषय बनता जा रहा है और विशेष रूप से रजोनिवृत्ति के बाद की आयु वर्ग की महिलाओं के बीच। स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता और नियमित स्वास्थ्य जाँच से रोग के प्रारंभिक पहचान में सहायता मिल सकती है।
बढ़ती उम्र और अनुवांशिकी विकार पर नियंत्रण नहीं पाया जा सकता है, लेकिन एक स्वस्थ जीवनशैली अपनाने से स्वस्थ वजन बनाए रखने से और पुराने रोगों पर काबू पाने से काफ़ी सहायता मिल सकती है।
पिछले कुछ वर्षों में, सर्जरी, रेडिएशन थेरेपी, कीमोथेरेपी, टार्गेटेड थेरेपी और इम्यूनोथेरपी जैसे नए उपचार विकल्पों के उपयोग से कैंसर के उन्नत मामलों में भी रोगी को ठीक करना संभव हो रहा है।
भारतीय स्वास्थ्य सेवा प्रणाली द्वारा कैंसर रोगियों की देखभाल ठीक ढंग से नहीं होने के कारण रोग का निदान समय पर नहीं हो पाता है, लेकिन पब्लिक हेल्थ एजुकेशन में चल रहे प्रयास, अच्छे स्क्रीनिंग प्रोग्राम्स और आधुनिक उपचार विकल्पों के कारण भविष्य में गर्भाशय कैंसर से पूर्णतः लड़ना संभव हो सकता है।
याद रहे कि गर्भाशय कैंसर से लड़ना प्रत्येक महिला रोगी के लिए एक चुनौती से कम नहीं है और इस लड़ाई में चिकित्सक, परिवार, दोस्त के समर्थन से ही वह इस बीमारी से जीत सकती है।
कैंसर का इलाज अक्सर महंगा हो सकता है। ऐसे मामलों में, इम्पैक्ट गुरु जैसी वेबसाइट पर क्राउडफंडिंग कैंसर के इलाज के लिए धन जुटाने का एक शानदार तरीका हो सकता है।























