थाइरॉयड कैंसर अन्य कैंसर की तुलना में एक दुर्लभ कैंसर है, लेकिन एक घातक बीमारी है। थाइरॉयड कैंसर, थाइरॉयड ग्रंथि(जो हमारे गले के आगे के भाग में या आधार पर एक तितली के आकार की ग्रंथि होती है) में विकसित होता है। थाइरॉयड ग्रंथि हार्मोन उत्पन्न करती है, जो हमारे चयापचय(Metabolism) को नियंत्रित करती है। थाइरॉयड कैंसर तब होता है जब थायरॉयड ग्रंथि में असामान्य कोशिकाएँ अनियंत्रित रूप से बढ़ने के कारण एक ट्यूमर का निर्माण करती हैं। इस लेख के माध्यम से हमारा उद्देश्य, महिलाओं में थायराइड कैंसर के लक्षण या थायराइड कैंसर के लक्षण, कारण, चरण, निदान, उपचार विकल्प, रोकथाम की रणनीति और सर्वाइवल रेट के संबंध में पूर्ण जानकारी प्रदान करना है।
Table of Contents
- थाइरॉयड कैंसर के लक्षण(थायराइड कैंसर के लक्षण)
- महिलाओं में थायराइड कैंसर के लक्षण:
- थाइरॉयड कैंसर के कारण
- थाइरॉयड कैंसर के चरण
- थाइरॉयड कैंसर का निदान
- थाइरॉयड कैंसर का परीक्षण
- थाइरॉयड कैंसर की रोकथाम
- क्या थाइरॉयड कैंसर का इलाज संभव है?(क्या थाइरॉयड कैंसर का उपचार संभव है?)
- थाइरॉयड कैंसर का उपचार(थाइरॉयड कैंसर का इलाज)
- क्या थाइरॉयड कैंसर जीवन के लिए ख़तरा है?
- थाइरॉयड कैंसर के लिए सर्वाइवल रेट
- निष्कर्ष
थाइरॉयड कैंसर के लक्षण(थायराइड कैंसर के लक्षण)

कुछ सामान्य थायराइड कैंसर के लक्षण निम्न हैं:
1. गर्दन में गाँठ या सूजन: गर्दन में गाँठ या सूजन का महसूस होना, थायराइड कैंसर के लक्षण में शामिल हो सकता है। यह गाँठ दर्दरहित भी हो सकते हैं या असुविधा का कारण बन सकते हैं।
2. आवाज में बदलाव या आवाज़ बैठना: आवाज में बदलाव या आवाज़ का बैठना, थाइरॉयड कैंसर या थायराइड कैंसर के लक्षण हो सकते हैं। निगलने या साँस लेने में परेशानी होना: निगलने या साँस लेने में परेशानी होना, थाइरॉयड कैंसर या थायराइड कैंसर के लक्षण में ही सम्मिलित हैं। यदि यह लक्षण अधिक समय तक बने रहते हैं तो इन्हें नज़रअंदाज़ करना ख़तरनाक साबित हो सकता है।
महिलाओं में थायराइड कैंसर के लक्षण:
महिलाओं में थायराइड कैंसर के लक्षण भिन्न प्रकार से प्रकट हो सकते हैं, महिलाओं में थायराइड कैंसर के लक्षण निम्न हैं:
1. मेंस्ट्रुअल साइकिल में परिवर्तन: मेंस्ट्रुअल साइकिल में परिवर्तन(भारी या हल्का ब्लीडिंग होना या अनियमित पीरियड आना), महिलाओं में थायराइड कैंसर के लक्षण में शामिल है।
2. लगातार थकान और वजन: लगातार थकान रहना और अचानक से वजन कम होना भी महिलाओं में थायराइड कैंसर के लक्षण हैं।
3. बाल और त्वचा परिवर्तन: बाल और त्वचा में परिवर्तन भी महिलाओं में थायराइड कैंसर के लक्षण में सम्मिलित है। थायराइड कैंसर के लक्षण जिन महिलाओं में प्रकट होते हैं, उन्हें शुष्क त्वचा या त्वचा में खुरदरापन, बालों का झड़ना(भंगुर और पतले बाल) या बालों की बनावट में बदलाव महसूस हो सकता है।
यदि किसी महिला में उपरोक्त थायराइड कैंसर के लक्षण में से कोई भी लक्षण लंबे समय से बने हुए हैं, तो उन्हें हेल्थ केयर प्रोफ़ेशनल से तत्काल संपर्क करना आवश्यक है।
थाइरॉयड कैंसर के कारण
थाइरॉयड कैंसर का सटीक कारण अभी तक अज्ञात है, लेकिन इसके विकास के कुछ रिस्क फैक्टर्स की पहचान की जा चुकी है, जो इस प्रकार हैं:
1. जेंडर: थाइरॉयड कैंसर पुरुषों की तुलना में महिलाओं में पाया जाना अधिक आम है। इस लिंग असमानता का कारण हार्मोनल कारक हो सकता है।
2. ऐज: बढ़ती ऐज के साथ थाइरॉयड कैंसर का ख़तरा भी बढ़ सकता है। वैसे तो थाइरॉयड कैंसर किसी भी उम्र के व्यक्ति को हो सकता है, लेकिन 40 वर्ष की आयु के बादवाले व्यक्ति इस कैंसर का शिकार अधिक हो सकते हैं।
3. फैमिली हिस्ट्री: यदि आपके परिवार में यह बीमारी किसी को पूर्व में हो चुकी है तो संभावना है कि थाइरॉयड कैंसर आपको भी आगे अपनी चपेट में ले ले। इसके अतिरिक्त, थाइरॉयड कैंसर के विकास का कारण कुछ आनुवंशिक कारक और विरासत में मिले जीन म्यूटेशन्स भी हो सकते हैं।
4. रेडिएशन: थाइरॉयड कैंसर के विकास के लिए, रेडिएशन एक मुख्य जोखिम कारक है। पूर्व में रेडिएशन से संपर्क, जैसे कुछ मेडिकल ट्रीटमेंट्स या बचपन में सिर या गर्दन के रेडिएशन ट्रीटमेंट, इलेक्ट्रिकल एक्सीडेंट्स, थायरॉइड कैंसर के विकास के जोखिम को बढ़ा सकते हैं।
थाइरॉयड कैंसर के चरण
थाइरॉयड कैंसर के चरण को चरण I से चरण IV तक विभाजित किया गया है। थाइरॉयड कैंसर के मंचन के आधार पर, कैंसर की सीमा और उसके आकार का पता लगाना आसान हो जाता है। कैंसर के चरणों का निर्धारण करने के लिए, TNM स्टेजिंग सिस्टम या टीएनएम स्टेजिंग प्रणाली (ट्यूमर, नोड्स, मेटास्टेटिस) का उपयोग अधिकतम किया जाता है। थाइरॉयड कैंसर के चरण निम्न हैं:
1.चरण I: इस चरण का अर्थ है, ट्यूमर जिस अंग में विकसित हुआ है यानी कि थाइरॉयड ग्रंथि में, अभी वहीं स्थानीयकृत है और आकार में २ cm से कम है, इसके अतिरिक्त ट्यूमर अभी आस-पास के ऊतकों या लिम्फ नोड्स में नहीं फैला है।
2.चरण II: इस चरण का अर्थ है, ट्यूमर पहले से अधिक विकसित हुआ है और आकार में २ cm से बड़ा है, लेकिन अभी भी थाइरॉयड ग्रंथि तक ही सीमित है।
3.चरण III: चरण III का अर्थ है, ट्यूमर आस-पास के लिम्फ नोड्स या आसन्न संरचनाओं जैसे, श्वासनली या अन्नप्रणाली में फैल चुका है, और अब इसका आकार पहले की अपेक्षा भिन्न हो सकता है।
4.चरण IV: चरण IV सबसे उन्नत चरण है, और इसका अर्थ है कि कैंसर दूर के अंगों जैसे, फेफड़ों, हड्डियों या दूर के हिस्सों में फैल चुका है।
थाइरॉयड कैंसर की स्टेजिंग से एक प्रभावी उपचार योजना बनाने में मदद मिल सकती है।
थाइरॉयड कैंसर का निदान
थाइरॉयड कैंसर के लक्षणों के आधार पर यदि आपको थाइरॉयड कैंसर का संदेह है, तो चिकित्सक आपको निम्न नैदानिक परीक्षण करवाने का सलाह दे सकता है:
1. शारीरिक परीक्षा और स्वास्थ्य इतिहास: थाइरॉयड ग्रंथि में किसी गाँठ या सूजन/नोड्यूल या किसी भी असामान्यता की जाँच करने के लिए चिकित्सक द्वारा गर्दन की पूरी तरह से जाँच की जा सकती है। इसके अतिरिक्त डॉक्टर पिछली बीमारियों या स्वास्थ्य संबंधी बातों पर चर्चा कर सकता है।
2. अल्ट्रासाउंड: अल्ट्रासाउंड एक इमेजिंग टेस्ट है, जिसमें शरीर के अंगों की डिटेल्ड इमेजेस प्राप्त करने के लिए साउंड वेव्स का यूज़ किया जाता है। इसका उपयोग थायरॉयड नोड्यूल्स की संख्या और आकार की जाँच करने के लिए भी किया जाता है। अल्ट्रासाउंड से यह पता लगाया जाना आसान होता है कि, थाइरॉयड नोड्यूल सॉलिड है या द्रव से भरा है।
3. फाइन नीडल एस्पिरेशन (एफएनए) बायोप्सी: बायोप्सी में अफ़ेक्टेड एरिया से कोशिकाओं को निकालने के लिए एक पतली सुई का उपयोग किया जाता है। बायोप्सी से यह पता लगाना आसान होता है कि थायरॉइड नोड्यूल कैंसर है या नहीं। कोशिकाओं की जाँच असामान्यताओं और कैंसर की विषेशताओं के संबध में जानकारी प्राप्त करने के लिए की जा सकती है।
4. ब्लड टेस्ट: थाइरॉयड हार्मोन(T3, T4) और थाइरॉयड-स्टिमुलेटींग हार्मोन (TSH) के स्तर को मापने के लिए ब्लड टेस्ट किया जा सकता है। इन हार्मोन्स का स्तर पता करने से थाइरॉयड ग्रंथि की कार्यप्रणाली के संबंध में इन्फॉर्मेशन एकत्र की जा सकती है।
थाइरॉयड कैंसर का परीक्षण
उपरोक्त नैदानिक परीक्षणों के अलावा थाइरॉयड कैंसर की सीमा का पता लगाने के लिए निम्न परीक्षण किए जा सकते हैं:
1. रेडियोआयोडीन स्कैन: रेडियोआयोडीन स्कैन के उपयोग से यह निर्धारित करने में मदद मिलती है कि थाइरॉयड कैंसर सेल्स रेडियोधर्मी आयोडीन को अवशोषित करने में सक्षम हैं या नहीं। इस स्कैन से थाइरॉयड ग्रंथि के बाहर, जैसे लिम्फ नोड्स या दूर के अंगों में थाइरॉयड कैंसर वाले टिश्यूज़ की उपस्थिति का भी पता लगाया जा सकता है।
2. कंप्यूटेड टोमोग्राफी (सीटी) स्कैन: सीटी स्कैन एक तरह का एक्स-रे टेस्ट है, और इसके उपयोग से शरीर की डिटेल्ड इमेजेस प्राप्त की जाती है। इसके अतिरिक्त इस परीक्षण की मदद से थाइरॉयड कैंसर के स्थान, आकार और आस-पास के क्षेत्रों या अन्य संरचनाओं में उसकी सीमा का आकलन करने में भी सहायता मिल सकती है।
3. मैग्नेटिक रेजोनेंस इमेजिंग (एमआरआई) स्कैन: एमआरआई स्कैन द्वारा शरीर की विस्तृत छवियाँ प्राप्त करने के लिए मैग्नेट और रेडियो वेव्स का उपयोग किया जाता है। इसका उपयोग आस-पास के हिस्सों या अंगों में कैंसर की सीमा का पता लगाने के लिए भी किया जाता है।
4. पॉज़िट्रॉन एमिशन टोमोग्राफी (पीईटी) स्कैन: इस परीक्षण में शरीर में कम खुराकवाली रेडियोधर्मी सामग्री को इंजेक्ट करना शामिल है। शरीर के भीतर जब कैंसर सेल्स द्वारा इन रेडियोधर्मी पदार्थों को अवशोषित किया जाता है, तो पॉज़िट्रॉन एमिशन टोमोग्राफी स्कैन के माध्यम से इसका पता लगाया जाता है। इस स्कैन की सहायता से दूर के हिस्सों में भी फैले हुए कैंसर का पता लगाया जा सकता है।
थाइरॉयड कैंसर की रोकथाम
थाइरॉयड कैंसर को पूरी तरह से रोकना संभव नहीं है, लेकिन कुछ रणनीतियाँ इसके विकास को कुछ हद तक कम करने या इसकी प्रारंभिक पहचान करने में सहायता कर सकती है:
1. स्व-जाँच: स्व-जाँच से कैंसर की लक्षणों को नोटिस करने में सहायता मिल सकती है। जिससे इसे कुछ हद तक रोकना संभव है। किसी भी असामान्यता या गाँठ की जाँच करने के लिए गर्दन की नियमित स्व-जाँच आवश्यक है।
2. नियमित चिकित्सा जाँच: समय-समय पर हेल्थ केयर प्रोफ़ेशनल से संपर्क करने से और चिकित्सा जाँच से थाइरॉयड कैंसर के विकास के जोखिम को कम किया जा सकता है। इसके अतिरिक्त थाइरॉयड कैंसर के अन्य जोखिम कारकों या फैमिली हिस्ट्री से संबंधित चर्चाएँ हेल्थ केयर प्रोफ़ेशनल से अवश्य करनी चाहिए।
3. रेडिएशन के संपर्क को सीमित करना: रेडिएशन के संपर्क में कम आने या रेडिएशन से संबंधित उपचार प्रक्रियाओं के दौरान कुछ विशेष सुरक्षा उपायों को करने से इस कैंसर से बचा जा सकता है।
4. आयोडीन का सेवन: पर्याप्त आयोडीन वाले संतुलित आहार के सेवन से इस कैंसर के ख़तरे को टाला जा सकता है, क्योंकि शरीर में आयोडीन की कमी थाइरॉयड कैंसर के विकास में सहायक होती है।
क्या थाइरॉयड कैंसर का इलाज संभव है?(क्या थाइरॉयड कैंसर का उपचार संभव है?)
यदि इस विषय पर चर्चा की जाए कि थाइरॉयड कैंसर का इलाज संभव है या नहीं, तो हाँ थाइरॉयड कैंसर का इलाज संभव है, और इसके इलाज के लिए उपचार विकल्पों के रूप में सर्जरी, रेडियोधर्मी आयोडीन थेरेपी, बाहरी बीम विकिरण चिकित्सा और टार्गेटेड थेरेपी का उपयोग किया जा सकता है। इसके अतिरिक्त उपचार योजना सर्जन्, एंडोक्रिनोलॉजिस्ट, ऑन्कोलॉजिस्ट सहित हेल्थ एक्सपर्ट्स की एक बहु-विषयक टीम द्वारा बनाई जाती है, और यह योजना कैंसर के प्रकार, चरण, स्थान, सीमा, रोगी के संपूर्ण स्वास्थ्य और उसके व्यक्तिगत प्राथमिकताओं पर निर्भर करता है।
थाइरॉयड कैंसर का उपचार(थाइरॉयड कैंसर का इलाज)
1. सर्जरी: थाइरॉयड कैंसर के इलाज के लिए सर्जरी का उपयोग प्राथमिक उपचार के रूप में किया जाता है। इसमें थायरॉयड ग्रंथि को हटाया जा सकता है और ज़रूरत पड़ने पर आस-पास के लिम्फ नोड्स को भी हटाया जा सकता है।
I. थायरॉयडेक्टॉमी: ट्यूमर के आकार और स्थान के आधार पर पूरी थायरॉयड ग्रंथि को हटाया जा सकता है।
II. आंशिक थायरॉयडेक्टॉमी(लोबेक्टोमी): इसमें थायरॉयड ग्रंथि का एक हिस्सा हटाया जा सकता है।
2. रेडियोधर्मी आयोडीन थेरेपी: सर्जरी के बाद रेडियोआयोडीन थेरेपी के द्वारा शेष बचे हुए कैंसर सेल्स को नष्ट किया जाता है। इसमें रोगी द्वारा रेडियोएक्टिव आयोडीन की गोली या तरल को निगला जाता है। थायरॉयड ग्रंथि इन रेडियोएक्टिव आयोडीन को अवशोषित कर लेती हैं, और कैंसर सेल्स नष्ट हो जाती हैं।
3. बाहरी रेडिएशन थेरेपी: इस उपचार में कैंसर कोशिकाओं को नष्ट करने के लिए या उन्हें बढ़ने से रोकने के लिए, बाहरी रेडिएशन थेरेपी द्वारा ट्यूमर क्षेत्र पर उच्च ऊर्जा एक्स-रे या विकिरण के अन्य रूपों को निर्देशित किया जाता है। इस उपचार का उपयोग कैंसर के अधिक फैलने वाले या पुनरावृत्ति वाले मामलों में किया जाता है।
4. टार्गेटेड थेरपी: यह उपचार विशेष कैंसर कोशिकाओं को टार्गेट करने और उन पर हमला करने के लिए दवाईयों का उपयोग करता है। इसका उपयोग तब किया जाता है जब अन्य उपचार अप्रभावी होता है।
5. हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी: सर्जरी के दौरान जब थाइरॉयड ग्रंथि को आंशिक या पूर्ण रूप से हटाया जाता है, तब शरीर में सामान्य थाइरॉयड हार्मोन का स्तर बनाए रखने के लिए हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी का उपयोग किया जाता है, और इसका उपयोग आजीवन भी किया जा सकता है।
क्या थाइरॉयड कैंसर जीवन के लिए ख़तरा है?
थाइरॉयड कैंसर के निदान का परिणाम कैंसर के चरण, रोगी की उम्र और कैंसर की सीमा पर निर्भर करता है। आम तौर पर थाइरॉयड कैंसर के अधिकतर केसेस में निदान के बाद रोगियों की सर्वाइवल रेट्स हाई होती है। भारत में थाइरॉयड कैंसर के लिए समग्र मृत्यु दर अन्य कैंसर की तुलना में कम है। हालाँकि, यदि थाइरॉयड कैंसर का निदान उन्नत चरण में हो तो परिणाम भयावह भी हो सकता है, और अधिक गहन उपचार की आवश्यकता हो सकती है।
थाइरॉयड कैंसर के लिए सर्वाइवल रेट
सामान्य तौर पर, थाइरॉयड कैंसर के लिए सर्वाइवल रेट अच्छी होती है, इसमें रोगी पाँच वर्ष या उससे अधिक वर्षों तक जीवित रह सकते हैं। कैंसर के चरण के आधार पर सर्वाइवल रेट्स भिन्न होते हैं:
1. चरण I: पाँच वर्ष की सर्वाइवल रेट लगभग ९९% है।
2. चरण II: पाँच वर्ष की सर्वाइवल रेट लगभग ९८% है।
3. चरण III: पाँच वर्ष की सर्वाइवल रेट लगभग ९५% है।
4. चरण IV: इस चरण में पाँच वर्ष की सर्वाइवल रेट लगभग ६०%-८५% तक होती है, और यह सर्वाइवल रेट प्रसार की सीमा और उपचार की प्रतिक्रिया पर निर्भर करती है।
इसके अतिरिक्त यह याद रखना आवश्यक है कि सर्वाइवल रेट केवल आँकड़ें हैं, यह व्यक्ति के पूर्वानुमान की कोई स्पष्ट जानकारी नहीं प्रदान करता है। थाइरॉयड कैंसर का निदान रोगी के उम्र, उसके संपूर्ण स्वास्थ्य, ट्यूमर की विशेषता और उपचार की प्रतिक्रिया जैसे कारकों पर निर्भर करता है।
निष्कर्ष
थाइरॉयड कैंसर गंभीर बीमारी है, और इस बीमारी से बचने के लिए प्रारंभिक पहचान, सटीक निदान और शीघ्र उपचार आवश्यक है। थाइरॉयड कैंसर के लक्षण(thyroid cancer ke lakshan), कारण, चरण, निदान, उपचार विकल्प और सर्वाइवल रेट्स के संबंध में जानकारी होने से और नियमित जाँच करते रहने से इस बीमारी की रोकथाम संभव है। नए नैदानिक उपकरणों और उपचार विकल्पों के उपयोग से थाइरॉयड कैंसर के लिए रोग का निदान बेहतर हो रहा है। हालाँकि प्रत्येक मामला अद्वितीय है, और प्रत्येक रोगी के लिए उसकी व्यक्तिगत स्थिति के अनुसार, उपयुक्त उपचार योजनाओं के लिए स्वास्थ्य पेशेवरों से सलाह लेना ज़रूरी है।
जागरूकता बढ़ाकार और समय पर हस्तक्षेप कर, भारत में थाइरॉयड कैंसर से पीड़ित रोगियों के सर्वाइवल रेट्स में सुधार लाने और उन्हें एक सुंदर जीवन जीने के लिए प्रेरित करने का प्रयास किया जा सकता है।
कैंसर का इलाज अक्सर महंगा हो सकता है। ऐसे मामलों में, इम्पैक्ट गुरु जैसी वेबसाइट पर क्राउडफंडिंग कैंसर के इलाज के लिए धन जुटाने का एक शानदार तरीका हो सकता है।























