अंडकोष में कैंसर के लक्षण, पहचान और इलाज- Testicular Cancer In Hindi

अंडकोष में कैंसर के लक्षण

वृषण कैंसर जिसे अंडकोष के कैंसर या टेस्टिकुलर कैंसर के नाम से भी जाना जाता है। यह एक दुर्लभ प्रकार का कैंसर है। भारत में इस कैंसर के प्रति बढ़ती जागरूकता और बेहतर नैदानिक उपकरणों के कारण वृषण कैंसर एक आकर्षण का विषय बन चुका है। वृषण कैंसर के लक्षण या अंडकोष में कैंसर के लक्षण पुरूषों में ही पाए जाते हैं, इसलिए पुरुषों को इस इस बीमारी के लक्षणों, कारणों और उपचार विकल्पों की पूर्णतः जानकारी होना आवश्यक है। इस लेख के माध्यम से हमारा उद्देश्य है वृषण कैंसर के लक्षणों, कारणों, इलाज और भारत में उपलब्ध उपचार विकल्पों पर चर्चा करना। 

टेस्टिकुलर कैंसर के लक्षण (अंडकोष में कैंसर के लक्षण) (वृषण कैंसर के लक्षण)

यदि शुरूआती चरणों में अंडकोष में कैंसर के लक्षण पकड़ में आ जाएँ तो इसका पूर्णतः सफ़ल उपचार संभव है। वृषण कैंसर के कुछ लक्षण इस प्रकार हैं:

  1. अंडकोष में सूजन या गाँठ महसूस करना: अंडकोष में सूजन या गाँठ (दर्दरहित) महसूस करना वृषण कैंसर के लक्षण में एक आम लक्षण है। नियमित सेल्फ़-टेस्ट से अंडकोष में किसी भी प्रकार का बदलाव आसानी से पकड़ में आ सकता है। 
  2. अंडकोष में असुविधा या दर्द: वृषण कैंसर में वृषण में दर्द की बात करें तो ऐसे मामले बहुत ही कम देखे जाते हैं, लेकिन कुछ पुरुषों को अंडकोष , कमर या पेट के नीचे के भाग में असुविधा या दर्द महसूस हो सकता है।
  3. वृषण के आकार में बदलाव महसूस करना: वृषण या अंडकोष में भारीपन महसूस करना या वृषण के आकार में कुछ परिवर्तन अनुभव करना, अंडकोष में कैंसर के लक्षण या वृषण कैंसर के लक्षण में से एक लक्षण हो सकता है। ऐसा होने पर हेल्थ एक्सपर्ट से सलाह लें। 
  4. वृषण में लिक्विड जमना: वृषण में लिक्विड जमना, वृषण या अंडकोष में कैंसर के लक्षण में शामिल हो सकता है पर कभी-कभी यह वृषण के किसी अन्य समस्या से भी संबंधित हो सकता, इसलिए ऐसा होने पर डॉक्टर से जाँच अवश्य कराएँ। 
  5. पीठ में दर्द रहना: अंडकोष का कैंसर आपके पीठ के लिम्फ नोड्स में भी फैल सकता है जिससे आप पीठ में दर्द महसूस कर सकते हैं, इसलिए पीठ में दर्द होना भी अंडकोष में कैंसर के लक्षण से संबंधित हो सकता है। 
  6. स्तन में वृद्धि या (टेंडरनेस)छूने पर दर्द होना: कुछ केसेस में, अंडकोष में कैंसर के लक्षण में हार्मोनल बदलाव के कारण ब्रेस्ट में ग्रोथ या ब्रेस्ट को छूने पर दर्द होना भी शामिल है। 
  7. साँस लेने में दिक्कत और छाती में दर्द महसूस करना, खाँसी रहना: वृषण कैंसर अधिक विकसित होने पर फेफड़ों में भी फैल सकता है जिससे साँस लेने में दिक्कत, छाती में दर्द और खाँसी जैसी समस्याएँ पैदा हो सकती हैं। 

यह संभव है कि उपरोक्त लक्षण, अंडकोष में कैंसर के लक्षण से संबंधित नहीं भी हो सकते हैं लेकिन डॉक्टर से सलाह लेने से ही हमारा संदेह दूर हो सकता है। 

टेस्टिकुलर कैंसर के कारण

टेस्टिकुलर कैंसर या वृषण कैंसर के कारण अभी भी पूर्ण रूप से ज्ञात नहीं हो पाए हैं लेकिन शोधकर्ताओं ने कुछ ऐसे जोखिम कारक, जिससे इस कैंसर को विकसित होने में सहायता मिल सकती है, उनकी पहचान की है जोकि इस प्रकार हैं:

  1. उम्र: टेस्टिकुलर कैंसर या वृषण कैंसर युवा पुरुषों में अधिकतर पाया जाता है और विशेषतः यह १५ से ३५ वर्ष की आयु के बीचवाले पुरूषों को अपनी चपेट में लेता है। 
  2. परिवार का इतिहास: परिवार के किसी पुरुष को यह बीमारी यदि पहले हो चुकी है तो संभव है कि यह कैंसर आगे भी उस परिवार के किसी अन्य पुरुष को हो सकता है। 
  3. क्रिप्टोर्चिडिज़्म(Cryptorchidism): क्रिप्टोर्चिडिज़्म का अर्थ है जन्म से पहले दोनों वृषण अंडकोश में नहीं उतरना। जिन पुरुषों में जन्म से पहले दोनों वृषण अंडकोश में नहीं उतरते ऐसे पुरुषों को भी वृषण कैंसर होने का ख़तरा अधिक होता है। 
  4. एथ्निसिटी(जातीयता): काकेशस देशों जैसे अबखाजिया, एडीजिया, अद्जारा इत्यादि में रहनेवाले पुरुषों (कोकेशियान पुरुषों या गोरे पुरुषों) में वृषण कैंसर अधिक आम हैं लेकिन भारत में  भी अब इस कैंसर के मामलों में बढ़ोतरी हो रही है। कोकेशियान व्यक्ति का अर्थ होता है गोरा या श्वेत व्यक्ति। 
  5. टेस्टिकुलर कैंसर का पूर्व में अनुभव: जिस पुरुष को एक अंडकोष में वृषण कैंसर हो चुका है, उन्हें उनके दूसरे अंडकोष में भी यह कैंसर होने का ख़तरा बहुत अधिक होता है। 

क्या अंडकोष कैंसर का इलाज संभव है?

यदि आपके मन में यह सवाल है कि अंडकोष कैंसर का इलाज संभव है या नहीं तो इसका उत्तर सरल शब्दों में यहाँ समझाने का प्रयास किया गया है:

अंडकोष कैंसर का इलाज सामान्यतः संभव है, विशेषतः तब जब इसकी पहचान प्रारंभिक चरणों में ही हो जाए। इसके अतिरिक्त, अंडकोष कैंसर का इलाज ९५ % मामलों में सफ़ल होता है। इस कैंसर में जीवित रहने की दर(सर्वाइवल रेट) भी अधिक होती है, सयुंक्त रूप से सभी चरणों के लिए, ५ साल की जीवित रहने की दर(सर्वाइवल रेट) ९५% से अधिक होती है। आधुनिक नैदानिक उपकरणों और उपचार विकल्पों की सहायता से पिछले कुछ समय से पुरुषों में इस कैंसर का निदान कर पाना अधिक संभव हो गया है। 

वृषण कैंसर के उपचार के विकल्प (वृषण कैंसर के इलाज के बारे में जानकारी)

वृषण कैंसर या टेस्टिकुलर कैंसर का उपचार अन्य कैंसर की तरह, कैंसर के चरण, कैंसर के प्रकार और रोगी के संपूर्ण स्वास्थ्य पर निर्भर करता है। वर्तमान में, भारत में टेस्टिकुलर कैंसर के उपचार के लिए कई उपचार विकल्प उपलब्ध हैं, जोकि इस प्रकार हैं:

  1. सर्जरी: वृषण कैंसर में प्रभावित अंडकोष को हटाने के लिए ऑर्किएक्टॉमी सर्जिकल  प्रोसीजर का उपयोग किया जाता है और कुछ केसेस में कैंसर को फैलने से रोकने के लिए पेट में लिम्फ नोड्स को रेट्रोपेरिटोनियल लिम्फ नोड विच्छेदन सर्जिकल प्रोसीजर के माध्यम से हटाया जाता है। सर्जरी का उपयोग वृषण कैंसर में प्राथमिक उपचार के रूप में किया जाता है। 
  2. रेडिएशन थेरेपी: रेडिएशन थेरेपी में, ऊर्जा एक्स-रे का उपयोग कैंसर कोशिकाओं को नष्ट करने और ट्यूमर को सिकोड़ने के लिए किया जाता है। शरीर में बचे हुए कैंसर सेल्स को ख़त्म करने के लिए इस उपचार विकल्प का उपयोग सर्जरी के बाद किया जाता है। इसके अतिरिक्त रेडिएशन थेरेपी का उपयोग सेमिनोमा जैसे वृषण कैंसर के केसेस में भी किया जाता है। 
  3. कीमोथेरेपी: कीमोथेरेपी में, दवाइयों का उपयोग कर कैंसर सेल्स को नष्ट या उन्हें बढ़ने से रोका जाता है। इन दवाइयों को अन्तः शिरा, मौखिक रूप या इंजेक्शन द्वारा रोगी के शरीर में पहुँचाया जाता है। इस उपचार विकल्प का उपयोग, सर्जरी और रेडिएशन थेरेपी के साथ संयोजन में, वृषण कैंसर के उन्नत चरणों में या कैंसर के शरीर में बहुत अधिक फैलने पर किया जाता है। 
  4. स्टेम सेल ट्रांसप्लांटेशन: कई केसेस में कीमोथेरेपी उपचार विकल्प का बहुत अधिक उपयोग करने के बाद स्टेम सेल ट्रांसप्लांटेशन किया जाता है। इस प्रक्रिया में उन रक्त बनानेवाली सेल्स को बदला जाता है जो कीमोथेरेपी के दौरान नष्ट हो जाते हैं। उपचार से पहले, स्टेम सेल्स को रोगी के अस्थि मज्जा या रक्त से कलेक्ट किया जाता है और कीमोथेरेपी के बाद रोगी के शरीर में वापस इंजेक्ट किया जाता है। 
  5. टार्गेटेड थेरेपी: टार्गेटेड थेरेपी में, अन्य कोशिकाओं को नुकसान ना पहुँचे इस बात को ध्यान में रखकर कैंसर कोशिकाओं को टार्गेट कर दवाइयों का उपयोग किया जाता है। इस उपचार विकल्प का उपयोग उन्नत या आवर्तक(जो बार-बार वापस आ जाए) वृषण कैंसर के लिए किया जाता है जब अन्य उपचार विकल्पों के द्वारा इस कैंसर उपचार नहीं हो पाता है। 
  6. रोग निगरानी: वृषण कैंसर के प्रारंभिक उपचार के बाद, कई रोगी निगरानी का विकल्प चुनते हैं। इसमें कैंसर की पुनरावृत्ति के लक्षण की जाँच के लिए नियमित रूप से ब्लड टेस्ट, इमेजिंग अध्ययन और फिजिकल एग्ज़ाम्स  के द्वारा रोगी की बारीकी से जाँच की निगरानी की जाती है। इसके बाद यदि कैंसर वापस आता है या फिर से बढ़ता है, तो रोगी का उपचार फिर से शुरू किया जाता है। 

रोकथाम और प्रारंभिक पहचान

 टेस्टिकुलर कैंसर को पूर्णतः रोकना संभव तो नहीं है लेकिन कुछ उपाय करके इस बीमारी का शुरूआती चरणों में पता लगाने और बीमारी से बचने में बहुत हद तक सहायता मिल सकती है:

  1. नियमित रूप से सेल्फ़-टेस्ट्स करना: अपने अंडकोष के आकार या स्थिरता में कोई बदलाव का पता लगाने के लिए पुरुषों को हर महीने अपने वृषण का सेल्फ़-टेस्ट करना आवश्यक है, जिससे वृषण कैंसर के लक्षणों का जल्दी पता लगाने में उन्हें सहायता मिल सकती है। 
  2. तत्काल डॉक्टर से संपर्क: यदि आप अपने वृषण में कोई बदलाव या असामान्य लक्षण महसूस करते हैं तो शीघ्र चिकित्सक से संपर्क करें और सलाह लें। 
  3. स्वस्थ जीवनशैली अपनाना: संतुलित आहार लेने से, नियमित रूप से व्यायाम करने से, स्वस्थ वजन बनाए रखने से और धूम्रपान और शराब के अत्यधिक सेवन से बचने से, वृषण कैंसर के जोखिम को कम करने और शरीर को स्वस्थ रखने में बहुत अधिक सहायता मिल सकती है। 

सपोर्ट एंड रिसोर्सेज

वृषण कैंसर से लड़ना, रोगी और उसके परिवार के लिए बहुत बड़ी चुनौती होती है, जिसका असर उनके शरीर पर तो पड़ता ही है और मानसिक रूप से भी वह अस्वस्थ हो जाते हैं। किसी भी कैंसर रोगी के लिए हेल्थ एक्सपर्ट, परिवार, दोस्त इन सभी से सहायता लेना बहुत ही आवश्यक होता है। वर्तमान में भारत में, वृषण कैंसर से पीड़ित रोगियों के लिए बहुत से संगठन और संसाधन ऐसे हैं जो इन रोगियों को जानकारी, मार्गदर्शन और भावनात्मक सहायता इत्यादि प्रदान कर सकते हैं। जिनमें से कुछ निम्न हैं:

  1. इंडियन कैंसर सोसायटी(आईसीएस): आईसीएस द्वारा कैंसर पीड़ितों और उनके परिवारों को विभिन्न सेवाएँ प्रदान की जाती हैं, जिनमें सपोर्ट ग्रुप्स, काउन्सलिंग और फिनैन्शल सपोर्ट शामिल हैं। 
  2. कैंसर पेशेंट्स एंड एसोसिएशन(सीपीएए): सीपीएए कैंसर रोगियों को चिकित्सा सहायता, काउन्सलिंग, पोषण और पुनर्वास सहायता जैसी सेवाएँ प्रदान करता है। 
  3. टाटा मेमोरियल हॉस्पिटल: टाटा मेमोरियल हॉस्पिटल मुंबई में स्थित है। यह कैंसर पेशेंट्स को विशेष प्रकार की सेवाएँ जैसे काउन्सलिंग और रोगी की शिक्षा में सहायता मुख्य रूप से प्रदान करता है। 

निष्कर्ष

टेस्टिकुलर कैंसर एक दुर्लभ(रेयर) कैंसर है लेकिन भारत में यह चिंता का विषय बनता जा रहा है। इस बीमारी से छुटकारा पाने के लिए लक्षणों का जल्दी पता लगना और स्वास्थ्य के प्रति जागरूक रहना आवश्यक है। भारतीय पुरुषों के स्वास्थ्य के प्रति सतर्क रहने से, नियमित सेल्फ़-टेस्ट्स करने से और अंडकोष में कुछ बदलाव महसूस करने पर तत्काल चिकित्सक से संपर्क करने से, निदान, रोग का सफ़ल उपचार और सर्वाइवल रेट में सुधार संभव है। हेल्थ एक्सपर्ट्स, परिवार, दोस्तों और सहायता संगठनों का समर्थन, पीड़ितों को वृषण कैंसर से लड़ने में और सर्वाइवल रेट में सुधार प्राप्त करने में मदद कर सकता है। 

कैंसर का इलाज अक्सर महंगा हो सकता है। ऐसे मामलों में, इम्पैक्ट गुरु जैसी वेबसाइट पर क्राउडफंडिंग कैंसर के इलाज के लिए धन जुटाने का एक शानदार तरीका हो सकता है।

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