टीबी, तपेदिक या फिर कहें क्षय रोग, यह एक संक्रामक बीमारी है जो माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरक्लोसिस जीवाणु के कारण होती है। भारत में यह बीमारी एक प्रमुख स्वास्थ्य चिंता का विषय बन चुका है। टीबी का पूरा नाम ट्यूबरक्लोसिस है। सामाजिक-आर्थिक स्थितियों और जागरूकता की कमी के कारण महिलाओं को टीबी का पता लगाने और उपचार करवाने में अद्वितीय चुनौतियों का सामना करना पड़ता है।
इस लेख के माध्यम से हमारा उद्देश्य महिलाओं में टीबी के लक्षण, कारण, उपचार, रोकथाम के बारे में सही और संपूर्ण जानकारी प्रदान करना है, ताकि महिलाएँ समय पर टीबी के लक्षणों को नोटिस कर पाएँ और समय पर इस बीमारी से मुक्ति पाने के लिए कदम उठा सकें।
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क्षय रोग क्या है?

क्षय रोग या तपेदिक मुख्य रूप से फेफड़ों को प्रभावित करता है, लेकिन शरीर के अन्य अंगों को भी नुकसान पहुँचा सकता है। यदि बात करें यह बीमारी कैसे एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैलती है, तो जब कोई संक्रमित व्यक्ति खाँसता या छींकता है तब टीबी के जीवाणु हवा में फैल जाते हैं, और यह जीवाणु हवा की बूंदों के माध्यम से दूसरे व्यक्ति में फैल जाता है। हालाँकि, टीबी बैक्टीरिया से संक्रमित हर व्यक्ति बीमार नहीं पड़ता है। टीबी बैक्टीरिया से संक्रमित जो लोग बीमार नहीं पड़ते हैं उनमें अव्यक्त टीबी होती है, और जिन केसेस में व्यक्ति के बैक्टीरिया से संक्रमित होने पर लक्षण प्रकट होते हैं, तब उस टीबी को सक्रिय टीबी के नाम से जाना जाता है।
महिलाओं में टीबी के लक्षण
हालाँकि, महिलाओं में टीबी के लक्षण बहुत हद तक पुरुषों के समान ही होते हैं, लेकिन कुछ ऐसे लक्षण भी हैं जो केवल महिलाओं में पाए जा सकते हैं। इन विशिष्ट लक्षणों की जानकारी होने से महिलाओं को बीमारी की प्रारंभिक पहचान करने में मदद मिल सकती है, जिससे समय पर उन्हें प्रभावी उपचार प्रदान किया जा सकता है।
A. सामान्य लक्षण
1. लगातार खाँसी: लगातार खाँसी, जैसे तीन सप्ताह या उससे अधिक समय तक बने रहना और खाँसी के साथ थूक या कफ़ आना, महिलाओं में टीबी के लक्षण में शामिल हैं।
2. सीने में दर्द और साँस फूलना: टीबी बढ़ने के साथ सीने में दर्द हो सकता है, और यह दर्द गहरी साँस लेने पर या खाँसी के दौरान अधिक बढ़ सकता है। सीने में दर्द होना और साँस फूलना भी महिलाओं में टीबी के लक्षण में ही सम्मिलित हैं।
3. हेमोप्टिसिस: टीबी के उन्नत चरणों में रोगी को खाँसी के साथ रक्त या रक्त-लकीर वाला थूक भी आ सकता है। हेमोप्टिसिस भी महिलाओं में टीबी के लक्षण में से ही एक है।
4. थकान और कमज़ोरी: यह लक्षण टीबी के लिए अद्वितीय नहीं है लेकिन क्रोनिक संक्रमण के कारण लगातार थकान, कमज़ोरी और ऊर्जा की कमी हो सकती है। इसलिए यह भी महिलाओं में टीबी के लक्षण में ही शामिल हैं।
5. भूख में कमी और वजन कम हो जाना: टीबी में अक्सर भूख में कमी हो सकती है जिससे वजन कम हो सकता है। भूख नहीं लगना भी महिलाओं में टीबी के लक्षण में से एक है।
6. बुखार और रात को पसीना आना: रात में पसीना और लो-ग्रेड, लगातार बुखार आना भी महिलाओं में टीबी के लक्षण में शामिल हैं।
B. प्रजनन स्वास्थ्य लक्षण
टीबी या तपेदिक एक महिला के प्रजनन प्रणाली(रिप्रोडक्टिव सिस्टम) को भी प्रभावित कर सकता है, और महिलाएँ जननांग तपेदिक(जो एक्स्ट्रापल्मोनरी टीबी का एक रूप है) का शिकार हो सकती हैं। हालाँकि एक्स्ट्रापल्मोनरी टीबी पल्मोनरी टीबी की तरह आम नहीं है, इसलिए महिलाओं को इस टीबी के लक्षणों की जानकारी होना आवश्यक है।
1. अनियमित मासिक धर्म: जननांग तपेदिक के कारण महिलाओं को अनियमित मासिक धर्म हो सकता है, पीरियड्स के दौरान असामान्य रूप से भारी या हल्का रक्तस्राव हो सकता है या कुछ सीरियस केसेस में पीरियड्स आना पूर्ण रूप से बंद(एमेनोरिया) भी हो सकता है। यह सभी महिलाओं में टीबी के लक्षण हैं।
2. पेट के निचले भाग या पेल्विक में दर्द: जननांग टीबी के कारण महिलाओं को पेट के निचले भाग या पेल्विक में दर्द का अनुभव हो सकता है, यह दर्द उन्हें निरंतर या आंतरायिक और हल्के रूप से लेकर गंभीर रूप तक भी हो सकता है। पेट में निचले भाग या पेल्विक में दर्द होना महिलाओं में टीबी के लक्षण में से एक लक्ष्ण है।
3. योनि से असामान्य स्राव: जननांग तपेदिक में, महिलाओं की योनि से बुरी गंध के साथ असामान्य सफ़ेद या पीले रंग का स्राव हो सकता है। योनि से असामान्य स्राव भी महिलाओं में टीबी के लक्षण में शामिल है।
4. बाँझपन: बाँझपन भी महिलाओं में जननांग तपेदिक के कारण हो सकता है, क्योंकि जननांग टीबी के कारण फैलोपियन ट्यूब, गर्भाशय या अंडाशय को नुकसान पहुँच सकता है। बाँझपन भी महिलाओं में टीबी के लक्षण में से एक है।
C. गर्भवती महिलाओं में लक्षण
गर्भवती महिलाओं को यदि टीबी हो जाए तो विशेष ध्यान देने की आवश्यकता होती है। गर्भवती महिलाओं में टीबी होने से, वह बच्चे को समय से पहले जन्म दे सकती हैं या उनके बच्चे के वजन पर असर पड़ सकता है।
महिलाओं में टीबी के लक्षण, स्वास्थ्य स्थिति और रोग के चरण के आधार पर प्रत्येक के लिए भिन्न हो सकते हैं। किसी भी लक्षण को लगातार महसूस करने पर तत्काल चिकित्सक से संपर्क करना आवश्यक है।
टीबी के लक्षणों की जानकारी होने से, महिलाओं को टीबी की प्रारंभिक पहचान करने और तत्काल उपचार शुरू करने में मदद मिल सकती है।
महिलाओं में टीबी के जोखिम कारक(महिलाओं में टीबी के कारण)
भारत में महिलाओं में टीबी के जोखिम कारकों या टीबी के कारण में, कुपोषण, एचआईवी जैसी स्थितियों के कारण कमज़ोर प्रतिरक्षा प्रणाली, जलते ईंधन से धुएँ के संपर्क में आना शामिल है। इसके अतिरिक्त एक अस्वस्थ जीवनशैलीन, अपर्याप्त स्वास्थ्य देखभाल पहुँच, स्टिग्मा, लिंग असमानता जैसे सामजिक कारक भी टीबी के विकास में सहायता प्रदान कर सकते हैं।
प्रारंभिक पहचान और उपचार का महत्त्व (महिलाओं में टीबी का इलाज)
टीबी का इलाज संभव है, लेकिन टीबी के प्रसार को रोकने और एक स्वस्थ जीवन जीने के लिए टीबी का प्रारंभिक अवस्था में पता लगना और रोगी को समय पर उपचार मिलना आवश्यक है। महिलाओं को टीबी के लक्षण यदि महसूस हो तो उन्हें लक्षणों को अनदेखा नहीं करना चाहिए और चिकित्सा ध्यान देने में देरी नहीं करनी चाहिए। इसके अतिरिक्त भारत की महिलाओं को घबराना नहीं चाहिए क्योंकि भारत में, संशोधित राष्ट्रीय क्षय रोग नियंत्रण कार्यक्रम(Revised National Tuberculosis Control Programme), टीबी का निदान और टीबी का इलाज मुफ़्त प्रदान करता है।
महिलाओं में टीबी की रोकथाम
टीबी के कारण का पता होने से, टीबी की रोकथाम संभव है। कुछ रोकथाम रणनीतियों का पालन करके टीबी के प्रसार को रोका जा सकता है, जैसे संतुलित आहार लेने से, नियमित रूप से व्यायाम करने से, धुएँ के संपर्क से बचने से और अच्छी व्यक्तिगत स्वच्छ्ता बनाए रखने से टीबी की रोकथाम संभव है। इसके अतिरिक्त डॉक्टर द्वारा दी गई टीबी की दवाइयों का पूरा कोर्स करना भी आवश्यक है।
टीबी की रोकथाम में टीकाकरण का भी एक इम्पॉर्टेंट रोल है। भारत में बीसीजी(बैसिलस कैलमेट-गुएरिन) का टीका, टीबी की रोकथाम के लिए उपयोग किया जाता है। शिशुओं को जन्म के बाद यह टीका दिया जाता है, जिससे वह आगे चलकर टीबी रोग के चपेट में ना आएँ।
निष्कर्ष
भारत में तपेदिक मुख्य रूप से एक स्वास्थ्य चिंता का विषय है। टीबी के लक्षणों के प्रति जागरूक होकर और समय पर उपचार प्राप्त कर, भारत की महिलाएँ टीबी से स्वंय को और अपने परिवार को बचा सकती हैं। यदि महिलाएँ टीबी के लक्षण महसूस करती हैं, तो तत्काल चिकित्सक से संपर्क करना उनके लिए आवश्यक है, क्योंकि एक चिकित्सक या चिकित्सा स्वास्थ्य पेशेवर ही सटीक निदान और उचित उपचार प्रदान कर सकता है।
हम में से हर एक महिला के लिए टीबी जैसे रोग से लड़ना किसी चुनौती से कम नहीं है। इसलिए हमारा आप सभी महिलाओं से निवेदन है कि स्वास्थ्य के प्रति जागरूक रहें और इस बीमारी से बचें।
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