लू लगने के लक्षण, कारण, इलाज और बचने के उपाय

गर्मी के मौसम के जितने सुख हैं उतने ही दुख भी। चुभती, जलती गर्मी आपके दुख का कारण भी बन सकती है। गर्मी को घमौरियों का मौसम कहते हैं। इस मौसम में फ्लू भी होने की भी संभावना बनी रहती है। दरअसल गर्मी के मौसम का प्रकोप ही ऐसा है। अगर सतर्क और सुरक्षित नहीं रहे तो बीमारियां आपके शरीर में घर कर लेती हैं। इस मौसम के अनेक दुःख में से एक है लू लगना। एक कहावत बहुत प्रचलित है गर्मी में अगर लू नहीं लगी तो क्या लगा। ऐसा इसलिए कहते हैं क्योंकि लू लगना सबसे आम और प्रचलित रोग है। लू से कोई अछूता नहीं रहा। यह घातक बीमारी की श्रेणी में तो नहीं आता लेकिन इसके बचाव हेतु जानकारी का अभाव लोगों में आज भी है। आज के इस लेख में लू क्या होता है, लू कैसे लगती है, लू लगने की पहचान क्या है, लू लगने के लक्षण, लू लगने के कारण, लू लगने पर क्या करे, लू से बचने के उपाय, लू लगने पर क्या खाना पीना चाहिए और निष्कर्ष पर विस्तार से चर्चा करने वाले हैं।

लू क्या होता है?

Lu Lagne Ke Lakshan

लू एक अवस्था है जिसमें चुभती-तपती गर्मी (जो हमारे लिए हानिकारक है) में लंबे समय तक रहने से शरीर का तापमान अनियंत्रित हो जाता है। बाहर की गर्मी इतनी अधिक होती है कि दुष्प्रभाव के चलते शरीर का तापमान अचानक से बढ़ने लगता है। इस कारण शरीर के अंदर की गर्मी बाहर नहीं निकल पाती। तत्पश्चात् पसीना आना बंद हो जाता है। पसीना न आने का एक अर्थ यह भी है कि शरीर में पानी और नमक रुपी खनिज दोनों की कमी हो गई है। पानी की कमी को डिहाइड्रेशन या निर्जलीकरण भी कहते हैं। लू के अन्य नाम हीट स्ट्रोक, सन स्ट्रोक और हीट वेव भी है।

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लू कैसे लगती है?

गर्मी के मौसम में तापमान बढ़ने और गर्म हवाओं के चलने से एक ऐसा वातावरण बन जाता है जिसमें लंबे समय तक रहने से लू लग जाती है। लू लगने का एक विशेष समय होता है। सुबह 11 बजे से लेकर दोपहर तीन बजे तक रहने वाली चिलचिलाती धूप में लंबे समय तक रहने से लू लगती है। चिलचिलाती धुप में ठीक वैसा ही लगता है जैसे किसी आग की भट्टी के पास खड़े हो। तेज धूप और गर्म हवाओं के बीच रहने से शरीर में पानी और नमक रुपी खनिज की कमी हो जाती है। अंततः यह निर्जलीकरण की अवस्था को जन्म देता है।

लू लगने की पहचान क्या है?

शरीर का तापमान अचानक से बढ़ जाना, पसीना नहीं आना और त्वचा का रंग लाल हो जाना लू लगने की पहचान है। शरीर का तापमान 105 डिग्री फारेनहाइट से अधिक होना भी लू लगने की पहचान है। इसके अलावा सिरदर्द और चक्कर आने जैसे संकेत भी देखने को मिलते हैं। कुछ लोगों में ऐसे भी संकेत देखने को मिले हैं कि हृदय की गति अचानक से बढ़ जाती है।

लू लगने के लक्षण

उल्टी, बुखार, लूज मोशन, त्वचा का लाल हो जाना, पसीना नहीं आना, सिरदर्द, बेहोशी आदि लू लगने के लक्षण हैं। लू लगने पर शरीर का तापमान अचानक से बढ़ जाता है। इसके चलते तेज बुखार हो जाता है। ऐसी स्थिति में शरीर का अनियंत्रित तापमान १०५ डिग्री फारेनहाइट से अधिक होता है। चूंकि शरीर में नमक और पानी की कमी हो जाती है इसलिए पसीना भी नहीं आता है। मरीज को उल्टी आना और जी मचलने की भी शिकायत होती है। लू लगने पर पेट संबंधित समस्याएं जैसे लूज मोशन भी हो सकता है। हीट स्ट्रोक या लू लगने पर हृदय गति अचानक से बढ़ जाती है। कुछ मामलों मैं हृदय गति बढ़ने के कारण मरीज को हार्ट अटैक भी आ सकता है।

आइए जानें लू लगने के लक्षण जो कि निम्नलिखित हैं :

  • अचानक तेज बुखार आना : चिलाती धूप और गर्म हवाओं वाले वातावरण में रहने से शरीर का तापमान अनियंत्रित होने के कारण 105 डिग्री के पार चला जाता है। जिसके चलते व्यक्ति को तेज बुखार हो जाता है। चिलचिलाती गर्मी को न झेल पाने के कारण शरीर का तापमान सामान्य नहीं रह पाता। हमारा शरीर 40 डिग्री से अधिक तापमान नहीं झेल सकता।
  • निर्जलीकरण या डिहाइड्रेशन : सूरज की तपिश में लंबे समय तक रहने से न केवल शरीर का तापमान अनियंत्रित रहता है अपितु पानी की कमी भी हो जाती है। पानी की कमी को निर्जलीकरण या डिहाइड्रेशन भी कहते हैं। पानी की कमी के चलते शरीर से पसीना भी नहीं आता।
  • पसीना नहीं आना : पानी की कमी और शरीर के बढ़ते हुए तापमान के चलते मरीज को पसीना नहीं आता। अचानक से बढ़ते तापमान के कारण पानी का वाष्पीकरण हो जाता है। पसीना शरीर को ठंडा रखता है लेकिन लू लगने वाले व्यक्ति को पसीना नहीं आने के कारण शरीर का तापमान और अधिक बढ़ने लगता है।
  • नमक रुपी खनिज की कमी : लू लगने पर पसीना नहीं आने का एक अर्थ यह भी है कि नमक रुपी खनिज की कमी हो जाती है। तेज धूप में शरीर से पानी के साथ-साथ पोषक तत्वों का भी वाष्पीकरण हो जाता है अर्थात सूरज पानी और नमक दोनों खींच लेता है।
  • हृदय गति का बढ़ जाना : जब शरीर अचानक से बढ़े तापमान को झेल नहीं पाता तो फलस्वरूप हृदय संबंधी विकार होना स्वाभाविक है। सामान्य हृदय गति कि तुलना में लू लगने पर अचानक से हृदय गति बढ़ जाती है। मेडिकल टर्मिनोलॉजी में इसे टैचीकार्डिया भी कहते हैं। अधिक तापमान या गर्मी होने पर हार्ट बीट सामान्य नहीं रहती। कुछ मामलों में मरीज को हार्ट अटैक की समस्या का भी सामना करना पड़ा है।
  • अनावश्यक थकान और कमजोरी : पानी, नमक और अन्य पोषक तत्वों की कमी के चलते शरीर में कमजोरी छा जाती है। बिना कोई काम किए थकान की अनुभूति होने लगती है। दरअसल जब लू लग जाती है तो प्रतिरोधक क्षमता बीमारी से लड़ने लगता है जिस कारण शरीर की ऊर्जा कम होने लगती है। परिणामस्वरूप थकान और कमजोरी के संकेत दिखने लगते हैं।
  • त्वचा का लाल होना : चिलचिलाती धूप के कारण बहुत अधिक गर्मी हो जाती है जिसे शरीर झेल नहीं पाता। गर्मी न झेल पाने के दुष्प्रभाव केवल भीतर ही नहीं बाहर भी होते हैं। अत्यधिक गर्मी और गर्म हवाओं की चपेट में आने के कारण त्वचा का रंग लाल हो जाता है।
  • चक्कर और बेहोशी आना : कमजोरी और थकान के परिणामस्वरूप चक्कर आना स्वाभाविक बात है। चक्कर आना कमजोरी का संकेत है। यह भी देखा गया है कि मरीज को कमजोरी और चक्कर आने के कारण बेहोशी भी आ जाती है।
  • उल्टी और जी मचलना : किसी भी रोग की भांति लू लगने पर भी मरीज को बार-बार उल्टी आने लगती है। इसके साथ ही जी मचलने की शिकायत भी लू लगने के पश्चात हो सकती है।
  • उथली हुई सांस : लू लगने के पश्चात मरीज की श्वास की गति प्रभावित हो जाती है। उसे तेज, उथली हुई सांस की शिकायत हो जाती है। मेडिकल टर्मिनोलॉजी में इसे टेकिप्निया कहते हैं। कसरत या व्यायाम किए बिना भी उथली हुई तेज सांस की समस्या से जूझना पड़ सकता है।
  • अस्थाई दृष्टि समस्या : अनावश्यक थकान, कमजोरी, चक्कर आने और बेहोश होने से पूर्व दृष्टि की समस्या हो सकती है। अस्थायी रूप से दृष्टि धुंधली हो जाती है। लू लगने पर हुई दृष्टि की समस्या इस बात का संकेत है कि व्यक्ति को कमजोरी छा रही है।

लू लगने के कारण

अत्यधिक गर्मी, गर्म हवा, तापमान बढ़ना और पसीना नहीं आना लू लगने का कारण है। बाहर के वातावरण में तापमान बढ़ने के कारण शरीर का तापमान भी अचानक से बढ़ जाता है और तेज बुखार आ जाता है। तेज बुखार की ये अवस्था ही लू लगने की पहचान है।

आइए जानें लू लगने के कारण जो कि निम्नलिखित हैं :

  • गर्मी के कारण : गर्मी के मौसम में सूरज की तपिश और गर्म हवाओं के चलते तापमान जब इतना बढ़ जाता है कि शरीर गर्मी नहीं झेल पाता। यही लू लगने का कारण है अर्थात वातावरण की यह गर्मी हीट स्ट्रोक का प्रमुख कारण है। गर्मी न झेल पाने के कारण तेज बुखार आ जाता है। अत्यधिक गर्मी हमारे शरीर के भीतर उपस्थित नेचुरल कूलिंग सिस्टम अर्थात पसीना बनाने वाली कोशिकाओं पर दबाव डालती है।
  • पसीना न आ पाने के कारण : शरीर में अचानक से बढ़ी गर्मी के चलते त्वचा की कोशिकाएं पसीना बहाने में असमर्थ रहती हैं। पसीना नहीं आने से शरीर में तापमान अनियंत्रित हो जाता है क्योंकि पसीना शरीर को ठंडा रखता है।
  • अत्यधिक व्यायाम या कसरत के कारण : किसी भी प्रकार की शारीरिक गतिविधि जैसे कसरत, व्यायाम आदि जिसके चलते शरीर का तापमान अनियंत्रित हो जाए तो ऐसे में शरीर अचानक से बढे तापमान को झेल नहीं पाता और परिणामस्वरूप हीट स्ट्रोक हो सकता है। इस प्रकार के हीट स्ट्रोक में हार्ट अटैक की भी संभावना बनी रहती है। 

लू लगने पर क्या करे?

आईए निम्न बिंदुओं के माध्यम से जाने कि लू लगने पर क्या करें :

  • घर पर आराम करें और धूप में निकलने से बचें
  • शरीर को जितना हो सके ठंडा रखें, किसी ठंडे स्थान पर रहें
  • सूती कपड़े पहने, ढीले कपड़े पहने, हल्के रंग के कपड़े पहने

लू से बचने के उपाय

आइए जानें लू से बचने के उपाय जो कि निम्नलिखित हैं :

  • अगर पैदल भ्रमण पर हैं तो अपने साथ छाता अवश्य रखें
  • धूप में निकलने के पूर्व हाथ, पैर को ढक कर रखें
  • धूप में निकलने के पूर्व हल्के रंग के कपड़े पहनें
  • नारियल पानी, नींबू पानी, छाछ, दही, लस्सी, जलजीरा, आदि प्रकार के पेय पीते रहे
  • धूप में निकलने से पूर्व और पश्चात पानी पीते रहे
  • अगर बाहर जा रहे हैं तो काले कपड़े पहनने से बचे

लू लगने पर क्या खाना पीना चाहिए?

आइए निम्न बिंदुओं के माध्यम से जाने कि लू लगने पर क्या खाना चाहिए :

  • प्याज के रस का सेवन : गर्मी में लू लगने पर सबसे अच्छा घरेलू इलाज प्याज है। प्याज की सहायता से अचानक बढ़े हुए तापमान को तुरंत कंट्रोल किया जा सकता है। गर्मी में तापमान अधिक होने पर प्याज के सेवन की सलाह दी जाती है। खाने के साथ कच्ची प्याज खाने से लू नहीं लगती। इसके अलावा आप प्याज को अपने बगल में दबा कर रखें तो भी लू के प्रकोप से बचा जा सकता है। वैसे आप चाहें तो प्याज के रस का सेवन भी कर सकते हैं।
  • जी भर पियो नारियल पानी : संसार में साफ और स्वच्छ पानी का स्रोत केवल नदी, तालाब ही नहीं अपितु नारियल पानी भी है। इसलिए हीट स्ट्रोक होने पर नारियल पानी पीने से शरीर में पानी की कमी पूरी होती है और डिहाइड्रेशन तुरंत छूमंतर हो जाता है। इसके अतिरिक्त नारियल पानी में इलेक्ट्रोलाइट भी होता है जो शरीर को लू के कारण आई कमजोरी, थकान और उल्टी से भी राहत प्रदान करता है।
  • नींबू पानी बड़ा मजेदार : नींबू पानी बहुत अच्छा एंटीऑक्सीडेंट है इसलिए लू लगने पर होने वाली त्वचा संबंधित समस्या जैसे खुजली, चकत्ते आदि को जड़ से समाप्त कर देता है। नींबू में स्वयं पानी मात्रा बहुत अधिक होती है इसलिए यह पानी की कमी को भी पूरा करता है। इसके अलावा विटामिन सी से भरपूर नींबू पानी लू लगने के कारण होने वाली अपच की समस्या का तुरंत इलाज करता है।
  • सौंफ युक्त पानी का सेवन : लू लगने पर पाचन खराब हो जाता है जिससे लड़ने की शक्ति सौंफ के पानी को पीने से मिल जाती है। इसके अलावा सौंफ का पानी आपके शरीर में पानी की कमी को पूरा कर निर्जलीकरण से बचाव भी करता है।
  • छाछ है लाभकारी : लू से बचने का स्वादिष्ट तरीका छाछ का सेवन है। दूध से बना एक ऐसा उत्पाद जो आपको स्वाद और स्वास्थ्य दोनों प्रदान करता है। छाछ में पानी की मात्रा बहुत होती है इसलिए ये लू लगने पर हुई पानी की कमी को पूरा करता है। साथ ही लू के कारण शरीर में नमक की कमी को भी छाछ पूरा करता है।
  • बेल का शरबत पियो बिंदास : विटामिन सी और एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर बेल का शरबत चकत्ते और खुजली मिटाने में तुरंत असरकारक होता है। यह शरीर में अचानक से बढ़े तापमान को नियंत्रित करने के लिए ठंडक भी पहुंचाता है। इसमें फाइबर भी भरपूर मात्रा में होता है जो लूज मोशन को भी ठीक करने में मदद करता है।

निष्कर्ष

गर्मी और गर्म हवाओं के बीच लंबे समय तक रहने के कारण लू लग जाती है। शरीर का तापमान अचानक से बढ़ जाता है। लू लगने पर प्रमुख रूप से तेज बुखार की समस्या हो जाती है। साथ ही पानी और नमक रुपी खनिज की कमी हो जाती है। चकत्ते और खुजली की भी शिकायत होती है। इसके अलावा उल्टी, सिरदर्द, चक्कर आना जैसी समस्याएं भी हो सकती हैं।  लू से बचने के लिए पानी पीते रहना चाहिए और स्वास्थ्यवर्धक पेय जैसे छाछ, सौंफ का पानी, नींबू पानी, नारियल पानी, बेल रस आदि का भी सेवन करना चाहिए।

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