मानव शरीर का प्राण उसकी सांस में बसता है। अगर मनुष्य सांस या श्वास नहीं ले तो वह जीवित ही नहीं रह सकता क्योंकि बिना सांस लिए कोई व्यक्ति अधिक से अधिक तीन मिनट तक ही जीवित रह सकता है। श्वसन प्रक्रिया का सबसे महत्वपूर्ण काम सांस लेना है। लेकिन इसमें एक और अंग है जो इस पूरे श्वसन तंत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है और वह है फेफड़े। अगर फेफड़े प्रभावित हो जाए तो मनुष्य को अनेक प्रकार के रोग घेर लेते हैं। इन फेफड़ों पर स्मोकिंग या धूम्रपान का सबसे अधिक दुष्प्रभाव होता है। स्मोकिंग करने से फेफड़े खराब होते हैं और सांस भी ठीक से नहीं आती। अंततः आदमी का जीवन ही नष्ट हो जाता है। इसलिए सतर्कता और जागरूकता के अंतर्गत धूम्रपान से जुड़ी सभी जानकारी इस लेख में सम्मिलित है। आज के इस लेख में धूम्रपान करने के नुकसान, धूम्रपान छोड़ने के फायदे, धूम्रपान छोड़ेने के उपाय, पूछे गए प्रश्न और निष्कर्ष पर विस्तार से प्रकाश डालने वाले हैं।
Table of Contents
धूम्रपान करने के नुकसान

आइए निम्न बिन्दुओं के माध्यम से जानें धूम्रपान करने के नुकसान जो कि निम्नलिखित हैं:
- शरीर में ऊर्जा की कमी
- भूख कम लगना या अल्पहारी
- ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई
- सोने में कठिनाई अर्थात अनिद्रा की शिकायत
- हृदय गति असामान्य होना
- मसूड़े की बीमारी
- रूखी, बेजान त्वचा
- वजन घटना
- दांत पीले होना तथा काले भी
- सीने में असहनीय पीड़ा अर्थात दर्द की शिकायत
- सांस लेने में कठिनाई
- श्वास रोग
- कमजोर इम्यून सिस्टम
- कैंसर
- पानी की कमी अर्थात निर्जलीकरण(डिहाइड्रेशन)
धूम्रपान छोड़ने के फायदे
आइए विस्तार से जानें धूम्रपान छोड़ने जे फायदे जो कि निम्नलिखित हैं:
- ब्लड प्रेशर नॉर्मल : सिगरेट या धूम्रपान छोड़ने के केवल 6 घंटे पश्चात व्यक्ति का रक्तचाप(ब्लड प्रेशर) का स्तर सामान्य हो जाता है। दरअसल स्मोकिंग से हुई क्लॉटिंग धूम्रपान को छोड़ देने पर पुनः अपने नॉर्मल लेवल पर आ जाती है।
- हृदय रोग से मुक्ति : सिगरेट छोड़ देने के बाद रक्त से संबंधित बीमारियां ठीक होने लगती है इसलिए व्यक्ति के शरीर से हृदय रोग का खतरा भी टल जाता है। ब्लड और हृदय का सीधा-सीधा कनेक्शन है इसलिए अगर किसी व्यक्ति के ब्लड की हेल्थ सही है तो उसके हृदय का स्वास्थ्य भी अच्छा ही होगा।
- ऑक्सीजन लेवल नॉर्मल : धूम्रपान छोड़ने के 1 दिन पश्चात व्यक्ति के शरीर में सिगरेट के धुएं से बढ़े कार्बोन मोनोऑक्साइड की मात्रा कम होने लगती है। तत्पश्चात् शरीर की मांसपेशियों को ऑक्सीजन आसानी से प्राप्त होने लगता है। जो व्यक्ति धूम्रपान करता है उसके शरीर के सभी अंगों को ऑक्सीजन ठीक तरह से सप्लाई नहीं हो पाता जिसके चलते मांसपेशियों में परेशानी होने लगती है।
- श्वास रोग से मुक्ति : धूम्रपान छोड़ने के एक महीने पश्चात व्यक्ति को श्वास रोग के लक्षण से मुक्ति मिल जाती है। कफ या बलगम की परेशानी भी स्वतः ठीक हो जाती है। फेफड़े भी पहले की तरह अधिक खुल जाते हैं और सांस लेने में कोई कठिनाई या समस्या नहीं होती। फेफड़ों के स्वास्थ्य में सुधार हो जाता है। बल्कि काली खांसी भी छूमंतर हो जाती है।
- सेंस की वापसी : धूम्रपान छोड़ने के 1 सप्ताह बाद व्यक्ति का खाने पीने में खोया हुआ स्वाद वापिस लौट आता है। साथ ही सूंघने की शक्ति भी पुनः लौट आती है। दरअसल सिगरेट का धुंआ मुंह के भीतर की मुलायम कोशिकाओं पर दुष्प्रभाव छोड़ देता है जिस कारण वे खराब हो जाती है।
धूम्रपान छोड़ेने के उपाय
धूम्रपान छोड़ने के लिए आप इन उपायों को अपना सकते हैं:
- ठान लो एक दिन : सिगरेट या धूम्रपान छोड़ने का सबसे आसान तरीका यही है कि आज, इसी समय यह ठान लेना है कि इस बुरी लत को आप छोड़ रहे हैं। अगर मन में है विश्वास तो आप अवश्य कामयाब होंगे।
- बना लो योजना : आपको एक ऐसी बुरी लत से छुटकारा पाना है जो सिगरेट में पाए जाने वाले निकोटिन की वजह से है। इसलिए आपको एक सुनियोजित रणनीति की आवयश्कता है ताकि उसका पालन कड़ाई से किया जा सके। सिगरेट छोड़ना आसान भी है लेकिन कठिन भी।
- डॉक्टर से सलाह : अगर आपको घरेलू उपायों से अच्छा इलाज नहीं मिल पा रहा है तो ऐसे में यही बेहतर होगा कि आप डॉक्टर से परामर्श कर सिगरेट की लत से मुक्ति प्राप्त करें। यह भी हो सकता है कि डॉक्टर्स आपको सिगरेट छोड़ने के लिए कुछ विशेष दवाइयों को खाने का सुझाव प्रदान करें।
- साइड इफेक्ट्स होते हैं : सिगरेट छोड़ने पर चिड़चिड़ापन, बेचैनी, चक्कर आना, अनिद्रा आदि साइड इफेक्ट्स अवश्य होते हैं। लेकिन इनसे घबराना नहीं है अपितु इनका डट कर सामना करना है।
पूछे गए प्रश्न(FAQs)
- धूम्रपान करने से कौन-कौन से रोग हो जाते है?
- धूम्रपान करने से निम्न रोग हो जाते हैं:
- फेफड़ों का कैंसर : फेफड़ों के कैंसर को ‘फेफड़ों का कर्क रोग’ के नाम से भी जाना जाता है। हालांकि मेडिकल टर्मिनोलॉजी में इसे ‘लंग कैंसर’ कहते हैं। सिगरेट पीने से फेफड़ों में गांठ बन जाती है जिसे मेडिकल टर्मिनोलॉजी में ‘मेटास्टेटिक ट्यूमर’ कहते हैं। ये ट्यूमर इतना घातक होता है कि एक बार फेफड़ों में इसने स्थान ग्रहण कर लिया तो शीघ्र प्रक्रिया के माध्यम से फेफड़ों तथा अन्य अंगों में व्यापक विस्तार कर लेता है। लगातार खांसी, बलगम, सांस फूलना आदि इसके लक्षण होते हैं।
- किडनी का कैंसर : किडनी के कैंसर को रीनल कैंसर भी कहते हैं। पेशाब में खून निकलना, भूख नहीं लगना, वजन घटना आदि इसके लक्षण हैं। धूम्रपान किडनी पर इतना अधिक दुष्प्रभाव छोड़ता है कि उसकी शक्ति और क्षमता दोनों कम हो जाते हैं। परिणामस्वरूप वह अपना कार्य करने में असमर्थ रहता है।
- लिवर कैंसर : दुनिया की सबसे घातक बीमारी ‘लिवर कैंसर’ सिगरेट पीने से ही होती है। सिगरेट का धुंआ किडनी में रीनल सेल कार्सिनोमा को जन्म देता है। इन घातक सेल्स की संख्या व्यक्ति के धूम्रपान की लत के अनुरूप होती है और अगर वह सिगरेट पीना छोड़ दे तो इस समस्या से निजात मिल जाता है।
- स्तन कैंसर : महिलाओं को धूम्रपान से होने वाले कैंसर में केवल फेफड़ों का कैंसर नहीं है अपितु उन्हें स्तन कैंसर की भी परेशानी से जूझना पड़ता है। जो महिलाएं पिछले दस वर्षों या उससे अधिक समय से सिगरेट पी रही हैं उन्हें स्तन कैंसर होने का खतरा बहुत अधिक रहता है और ऐसी संभावना बनी रहती है कि उनके स्तन(जो कैंसर से प्रभावित हैं) उन्हें सर्जरी की सहायता से शरीर से निकाल कर अलग कर दिया जाए।
- हृदय रोग : कार्डियोवस्कुलर डिजीज या हृदय रोग का सबसे प्रमुख कारण सिगरेट पीना या धूम्रपान करना है। धूम्रपान करने से कोरोनरी आर्टरी संकरी और बाधित हो जाती है। इसके चलते व्यक्ति को कभी भी हार्ट अटैक होने का खतरा बना रहता है।
- स्ट्रोक : केवल व्यक्ति द्वारा सिगरेट पीने से ही नहीं अपितु सेकंड हैंड स्मोकिंग से भी स्ट्रोक का खतरा बना रहता है। सेकंड हैंड स्मोकिंग अर्थात जो व्यक्ति धूम्रपान नहीं करता लेकिन ऐसे लोग या लोगों के पास खड़ा हो तो भी धूम्रपान नहीं करने वाले स्वस्थ व्यक्ति के फेफड़ों में भी हानिकारक धुआं चला जाता है।
- किडनी फेलियर : सिगरेट पीने वाले व्यक्ति को किडनी की समस्या निश्चित रूप से होती है। धूम्रपान व्यक्ति की किडनी पर इतना अधिक दुष्प्रभाव छोड़ता है कि न केवल उसकी शक्ति और क्षमता कम होती है अपितु वो कार्य करने में भी असमर्थ रहता है। धूम्रपान करने से किडनी फेलियर होने के अतिरिक्त वह पूर्णतः क्षतिग्रस्त(डैमेज) भी हो जाती है।
- टाइप टू डायबिटीज या मधुमेह : धूम्रपान करने से ब्लड शुगर लेवल बढ़ जाता है जो आगे चलकर टाइप टू डायबिटीज बन जाता है। इसलिए जो व्यक्ति सिगरेट पीता है उसे टाइप टू डायबिटीज होने की संभावना बहुत अधिक रहती है।
- हाई ब्लड प्रेशर : चूंकि धूम्रपान ब्लड शुगर लेवल में बढ़ोत्तरी करता है इसलिए ब्लड प्रेशर का बढ़ना भी स्वाभाविक है। सिगरेट में पाया जाने वाला निकोटिन इस रोग को जन्म देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। ब्लड प्रेशर बढ़ने से हृदय गति अर्थात हार्ट बीट भी बढ़ जाती है। सिगरेट पीने से आर्टरी संकरी हो जाती है तथा उसकी बाहरी दीवार कठोर हो जाती है। इससे रक्त प्रवाह बाधित हो जाता है और क्लॉटिंग की समस्या उत्पन्न हो जाती है।
- रुमेटॉयड आर्थराइटिस : क्रोनिक इंफ्लेमेटरी डिजीज का एक विशेष प्रकार जो रुमेटॉयड आर्थराइटिस के नाम से जाना जाता है, सिगरेट पीने वाले व्यक्ति को हो सकता है। हालांकि ये अनुवांशिक और बाहरी दोनों प्रकार के कारणों से हो सकता है। धूम्रपान करने से ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस बढ़ता है जो इस बीमारी का एजेंट माना जाता है।
- धूम्रपान करने से शरीर का कौन सा अंग खराब होता है?
धूम्रपान करने से सबसे पहले और प्रमुख रूप से फेफड़े खराब होते हैं। सिगरेट का धुआं फेफड़े में सबसे पहले जाता है इसलिए फेफड़े के लिंफ नॉड्स में ट्यूमर बनने लगते हैं। इसके अलावा किडनी, लिवर और हड्डियां भी प्रभावित होती हैं।
- धूम्रपान में हानिकारक पदार्थ क्या है?
सिगरेट में सबसे अधिक हानिकारक पदार्थ तंबाकू में छिपा हुआ निकोटिन है। तंबाकू में पाया जाने वाला निकोटिन अमृत नहीं विष है। निकोटीन के कारण ही लोगों को सिगरेट पीने की लत लगती है। निकोटिन फेफड़ों पर बहुत अधिक प्रभाव डालता है जिस कारण वे डैमेज हो जाते हैं। निकोटिन के अलावा इसमें अन्य कई प्रकार के रसायन हैं जो सिगरेट के धुएं के साथ फेफड़ों में प्रवेश करते हैं और हानिकारक प्रभाव छोड़ते हैं।
- सिगरेट पीने से चेहरे पर क्या होता है?
सिगरेट पीने या धूम्रपान करने से त्वचा संबंधी समस्याएं उत्पन्न होने लगती है। दरअसल सिगरेट से निकलने वाला धुआं बहुत अधिक तापमान का होता है। ये तापमान आपके चेहरे की मुलायम कोशिकाओं से बनी त्वचा के बहुत हानिकारक होता है। चेहरे पर झुर्रियां पड़ने लगती हैं। सिगरेट के फिल्टर में भी इतना ताप होता है कि आपके होंठ काले हो जाते हैं। हमारे मुंह के भीतर जो मुलायम टिश्यू हैं उन पर भी सिगरेट के धुएं से हानिकारक प्रभाव होते हैं। इसके अलावा ये धुंआ दांतों को पीला कर देता है और साथ ही टूथ डीके यानी दांत सड़ जाने की भी परेशानी हो सकती है।
- धूम्रपान छोड़ने के कितने समय बाद लाभ मिलता है?
धूम्रपान या स्मोकिंग छोड़ने के 8 महीने बाद ही शरीर को अनेक प्रकार के लाभ मिलते हैं। फेफड़ों से कफ और टार खत्म हो जाता है। श्वसन प्रक्रिया में सुधार हो जाता है। रेस्पिरेटरी डिजीज अर्थात श्वास संबंधित समस्याएं भी दूर हो जाती है। हृदय की गति सामान्य और उससे जुड़े रोग होने की संभावना भी कम हो जाती है। अगर लंबे समय से स्मोकिंग कर रहे हैं तो निश्चित ही व्यक्ति के फेफड़े बर्बाद या डैमेज हो चुके हैं। डैमेज फेफड़े में कुछ हद तक सुधार होने में 15 वर्ष तक का समय लग सकता है।
- 6 महीने तक धूम्रपान छोड़ने के बाद क्या होता है?
धूम्रपान छोड़ने के 6 महीने बाद ही व्यक्ति को स्वास्थ लाभ मिलने प्रारंभ हो जाते हैं। सबसे पहले उसकी हृदय गति सामान्य हो जाती है तथा हृदय रोग होने का खतरा भी टल जाता है। इसके अलावा व्यक्ति की सांस लेने की कठिनाई भी लगभग समाप्त हो जाती है और श्वास रोग भी जड़ से समाप्त हो जाते हैं। शरीर में पानी की समस्या (जिसे निर्जलीकरण या डिहाइड्रेशन कहते हैं) का भी समाधान हो जाता है। 6 महीने तक सिगरेट छोड़ने से आहार शक्ति में बढ़ोत्तरी होती है अर्थात भूख भी अधिक लगने लगती है। दांतों का पीलापन भी स्वतः ठीक हो जाता है। कुछ मामलों में ये भी देखा गया है कि टूथ डीके अर्थात दांतों की सड़न भी कम हो जाती है।
- धूम्रपान छोड़ने के बाद फेफड़े ठीक होने में कितना समय लगता है?
अगर कोई व्यक्ति लंबे समय से धूम्रपान कर रहा है तो उसके फेफड़े बहुत हद तक डैमेज हो चुके हैं। इसलिए स्मोकिंग छोड़ने पर भी उनका पुनः सामान्य होना असंभव है लेकिन ऐसी परिस्थिति में सुधार के लिए कम से कम 15 वर्ष का समय लग सकता है। अगर किसी व्यक्ति को अभी-अभी स्मोकिंग की लत लगी हो तो ऐसी परिस्थिति में फेफड़े बहुत अधिक डैमेज नहीं होते और धूम्रपान छोड़ने पर बहुत अधिक लाभ मिलता है। जितना जल्दी धूम्रपान करना छोड़ दे उतना ही अधिक फेफड़ों के स्वास्थ में सुधार देखने को मिलता है।
निष्कर्ष
निरोगी काया वाला स्वस्थ शरीर पाने के लिए सिगरेट की बुरी लत से छुटकारा पाना होगा। सिगरेट में सुख भले ही क्षणिक(थोड़े समय के लिए) हो लेकिन उससे मिलने वाले दुःख आजीवन साथ निभाते हैं। सिगरेट पीने से लाभ कुछ भी नहीं है पर नुकसान अनेक हैं। फेफड़ों का संक्रमण, फेफड़ों का कैंसर, मुंह का कैसंर, श्वास रोग, हृदय रोग, किडनी और लिवर कैंसर आदि प्रकार की बीमारियां शरीर को घेर लेती हैं। लेकिन अगर कोई व्यक्ति सिगरेट पीना छोड़ देता है तो उसके स्वास्थ्य में बहुत सुधार देखने को मिलता है।
कैंसर हो जाए तो इलाज के लिए पैसे जुटा पाना आपके लिए आसान नहीं होगा। अगर पर्याप्त धन नहीं होने के कारण बीमारी का इलाज संभव नहीं हो पाता तो निश्चित रूप से ये आपके जीवन का सबसे बड़ा संकट काल है। ऐसे में क्राउडफंडिंग एक अच्छा विकल्प हो सकता है। ये आपको ऐसे लोगों से जोड़ता है जो कठिन समय में आपकी मदद कर सकते हैं।