रेबीज क्या होता है? जानिए इसके लक्षण, कारण, टीकाकरण और बचाव

शायद आपको ये बात जानकर हैरानी होगी कि एड्स और रेबीज दोनों लाइलाज बीमारी है।  हालांकि संक्रामक रोग एड्स बीसवीं शताब्दी में जन्मी बीमारी है जिसके इलाज हेतु शोध अभी भी जारी है लेकिन रेबीज 4000 साल पुरानी बीमारी है किंतु आज भी इसका कोई ठोस इलाज उपलब्ध नहीं है। दुनिया का सबसे शक्तिशाली देश अमेरिका भी रेबीज के आतंक से बच नहीं पाया है। भारत में प्रतिवर्ष 1.5 करोड़ लोगों को कुत्ते द्वारा काट लेने से रेबीज हो जाता है। आज के इस लेख में रेबीज क्या होता है, रेबीज के लक्षण, रेबीज के कारण, रेबीज का इलाज, रेबीज के विषय में पूछे जाने वाले प्रश्न और निष्कर्ष पर विस्तार से प्रकाश डाला गया है।

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रेबीज क्या है?

Rabies Ke Lakshan

कुछ विशेष चार पैर वाले जानवरों के काटने पर होने वाले संक्रामक रोग को रेबीज कहते हैं। अधिकांश मामले कुत्तों के काटने पर रेबीज होने के होते हैं। हालांकि जंगली जानवरों के द्वारा भी रेबीज फैल सकता है। कुत्तों के काटने से रेबीज होने के मामले इतने अधिक इसलिए है क्योंकि आवारा कुत्तों की संख्या निरंतर बढ़ती जा रहै। एक रुचिकर तथ्य यह भी है कि पालतू कुत्तों के द्वारा काटने से होने वाले रेबीज के मामले भी हाल-फिलहाल में देखे गए हैं।

रेबीज के लक्षण

अगर हम इस संक्रमण रोग के लक्षण पकी चर्चा कर रहे हैं तो सबसे पहले हमें समझना होगा कि रेबीज का वायरस मनुष्य में कैसे प्रवेश करता है। दरअसल इंसान को रेबीज संक्रमण का लास्ट होस्ट बोला जाता है। इसका अर्थ यह हुआ कि कुत्ते में रेबीज का संक्रमण केवल उसी मनुष्य के शरीर में प्रवेश करता है जिसे कुत्ते ने काटा है। इसलिए मनुष्य और कुत्ते दोनों में इसके लक्षण की जांच करना अनिवार्य है।

आइए पहले जानें कुत्तों में रेबीज के लक्षण जो कि निम्नलिखित हैं:

  • हवा को काटने दौड़ता है : रेबीज से संक्रमित कुत्ते को तेज़ हवा के कारण चिड़चिड़ापन की शिकायत रहती है इसलिए वह हवा को काटने दौड़ता है। मेडिकल टर्मिनोलॉजी में इसे एरोफोबिया कहते हैं। इसका अर्थ है तेज़ हवा से डर। अगर कुत्ते को एरोफोबिया है तो वह हवा को काटने का प्रयास करता है। जब रेबीज संक्रमित कुत्ता किसी व्यक्ति को काट ले तो उसे भी एरोफोबिया हो जाता है।
  • पानी में ज़हर है : इंटरनेट में एक मीम बहुत वायरल हो रहा है। कुत्तों में पानी को लेकर खौफ है क्योंकि पानी में ज़हर है। असल जीवन में भी उन्हें पानी से डर लगता है। रेबीज से संक्रमित कुत्तों को हाइड्रोफोबिया अर्थात पानी का डर सताने लगता है क्योंकि लार में वायरस होने के कारण पानी पीने में ऐंठन की समस्या हो सकती हैं। अगर संक्रमित कुत्ता किसी व्यक्ति को काट ले तो उसे भी हाइड्रोफोबिया हो जाता है।
  • आक्रामक व्यवहार : कुछ कुत्तों का व्यवहार सामान्य रूप से आक्रामक होता है लेकिन रेबीज संक्रमित कुत्ते में आक्रामक व्यवहार का लक्षण विशेष रूप से प्रदर्शित होता है। अगर अनावश्यक रूप से कुत्ता आक्रामक दिखाई दे तो इसका अर्थ है कि उसमें प्रकृति और मनुष्य का भय समाप्त हो चुका है। हालांकि जिन कुत्तों को अतीत में किसी प्रकार की प्रताड़ना मिली है वे भी आक्रामक होते हैं इसलिए किसी भी निष्कर्ष पर पहुँचने से पूर्व विशेषज्ञों की सलाह आवश्यक है।
  • लार बहना : अनावश्यक रूप से जानवरों में लगातार लार बहना रेबीज का लक्षण है। किसी कुत्ते के मुंह में लार बनना सामान्य बात है लेकिन ध्यान रहे बहुत अधिक मात्रा में बनने के कारण अगर लार मुंह से बाहर निकल रही है तो ऐसे में वह कुत्ता रेबीज से संक्रमित है।
  • निगलने में परेशानी : अगर कुत्ते को खाने का निवाला निगलने में कठिनाई हो रही है या खाना खाने में किसी प्रकार की समस्या का सामना करना पड़ रहा है तो निश्चित ही ये एक लक्षण हो सकता है।
  • लकवा मारना : लकवा कुत्तों में रेबीज का लक्षण है। शरीर हिलने डुलने में असमर्थ रहता है। प्रारंभिक स्तर पर केवल कुछ अंग लकवा ग्रस्त हो सकते हैं लेकिन धीरे-धीरे ये लकवा कुत्ते के पूरे शरीर में फैल सकता है।
  • मतिभ्रम होना : कुत्तों के मति का भ्रमित होना अर्थात उसे कुछ ऐसा दिखने लगता है जो हुआ ही नहीं है। मेडिकल टर्मिनोलॉजी में उसे हैलुसिनेशन कहते हैं।
  • बुखार या ज्वर : कुत्ते को अगर बुखार है तो ये भी एक लक्षण हो सकता है। रेबीज एक संक्रामक रोग है इसलिए जब कुत्ते के लार में संक्रमण या वायरस फैलता है तो वायरल बुखार हो सकता है।
  • आलस और सुस्ती चढ़ना : अगर कुत्ते में रेबीज का संक्रमण है तो सुस्ती चढ़ने लगती है। दरअसल संक्रमण फैलने के कारण कुत्ते के शरीर में तुरजा की कमी होने लगती है। इससे थकान और कमजोरी लगने लगती है।

आइए अब जानें आदमी में रेबीज के लक्षण जो कि निम्नलिखित हैं:

  • अत्यधिक और अनावश्यक लार आना
  • खाने का निवाला निगलने में कठिनाई
  • भ्रम, घबराहट, चिंता अथवा मतिभ्रम होना(हैलुसिनेशन)
  • बार-बार उल्टी करना और जी मचलना
  • सिरदर्द की शिकायत रहना
  • वायरल फीवर जैसा बुखार या ज्वर
  • अनिद्रा की शिकायत रहना तथा बुरे सपने आना
  • शरीर के आधे या एक भाग में लकवा मारना(पार्शियल पैरालिसिस)
  • बहुत अधिक सक्रिय रहना, उछलना, कूदना(हाइपरएक्टिव)

रेबीज के कारण

जैसा कि विदित है कुत्तों के काटने से रेबीज होना अन्य सभी कारणों में सबसे प्रमुख, आम और प्रचलित कारण है। लेकिन इसके अलावा और भी कई कारण हैं जिससे रेबीज होता है जिसकी जानकारी अवश्य रूप से मनुष्य के पास होनी चाहिए।

आइए विस्तार से जानें रेबीज के कारण जो कि निम्नलिखित है:

  • कुत्तों द्वारा काट लेने के कारण : संसार में इंसानों में रेबीज फैलने के सर्वाधिक मामले में कुत्तों के द्वारा काटने सबसे प्रमुख कारण है। दरअसल मनुष्य के वातावरण या समाज में रहने वाला एकमात्र जानवर जिससे रेबीज का खतरा हो सकता है, वह कुत्ता है। वह पालतू जानवर तो है ही लेकिन एक और कारण है कि कुत्तों के काटने के इतने अधिक मामले क्यों है। दरअसल समाज में आवारा कुत्तों की संख्या में दिन-प्रतिदिन वृद्धि होती जा रही है। कुत्ते में मौजूद रेबीज का संक्रमण(काटने के बाद) आदमी के शरीर में प्रवेश कर जाता है।
  • पालतू जानवरों के काट लेने से : कुत्ते के अलावा अन्य किसी भी प्रकार के पालतू जानवर जैसे बिल्ली, गाय, घोड़ा और बकरी के द्वारा काट लेने से भी संक्रमण मनुष्यों में संचारित होता है। हालांकि कुत्ते के अलावा अन्य किसी भी पालतू जानवर द्वारा काटने के मामले बहुत कम देखने को मिलते हैं लेकिन बिल्लियों द्वारा फैले रेबीज के केसेस भी अस्पताल में दर्ज हैं।
  • जंगली जानवर के संपर्क में आने से : जंगली जानवर जैसे बंदर, लोमड़ी, चमगादड़ आदि के द्वारा काट लेने से रेबीज का संक्रमण फैल सकता है। जंगली जानवर के काटने से होने वाले रेबीज के मामले बहुत कम देखने को मिलते हैं लेकिन बंदरों द्वारा फैले रेबीज के केसेस भी अस्पतालों में दर्ज हैं।
  • रेबीज संक्रमित स्थान : ऐसा कोई भी गांव, कस्बा, शहर, राज्य अथवा देश जहाँ रेबीज के मामले बहुत हों उस जगह यात्रा करने से रेबीज होने की संभावना बनी रहती है। अगर आप रेबीज संक्रमित स्थान में निवास करते हैं तो भी संक्रमण फैलने का खतरा बना रहता है।
  • जानवरों के डॉक्टर/कंपाउंडर होने के कारण : अगर कोई व्यक्ति पशु चिकित्सक के रूप में कार्यरत है तो उसे रेबीज होने का खतरा अधिक रहता है। जानवरों के समीप रहने का अवसर यह पेशा या नौकरी बहुत आसानी से व्यक्ति को प्रदान करता है इसलिए जानवरों के संपर्क में आने से रेबीज का संक्रमण व्यक्ति के शरीर में फैल सकता है।
  • वैक्सीन बनाने वाली प्रयोगशाला कर्मी होने के कारण : वैक्सीन प्रयोगशाला में विभिन्न वायरस से लड़ने हेतु एक विशेष दवा बनाई जाती है जिसे वैक्सीन कहते हैं। इस वैक्सीन प्रयोगशाला को वायरोलॉजी कहते हैं। हालांकि ऐसे प्रयोगशाला में सुरक्षा के कड़े प्रबंध होते हैं लेकिन हल्की सी चूक के चलते वायरस कर्मचारियों के शरीर में प्रवेश कर सकता है। 

रेबीज का इलाज

रेबीज एक ऐसा संक्रमण है जो बता कर नहीं आता। लोगों को इस बात की जानकारी है कि अमूमन कुत्ते के काटने पर रेबीज होता है इसलिए कुत्तों द्वारा काटने पर मरीज को तुरंत उपचार हेतु अस्पताल ले जाया जाता है। ये एक प्रकार से आपातकालीन स्थिति है तो ऐसे में शांत मन से मरीज की सहायता करना अधिक जरूरी है।

आइए निम्न बिंदुओं से जानें कि रेबीज का इलाज कैसे होता है:

  • घाव धो लें : सबसे पहले व्यक्ति के शरीर में जिस स्थान पर कुत्ते ने काटा है, उसे साबुन अथवा पानी या दोनों की सहायता से अच्छे से धो लें। घाव धोने से कुत्ते का लार(जिसमें वायरस होता है) वह धोने से बहुत हद तक साफ हो जाता है। फिर अस्पताल ले जाकर टीका अवश्य लगाना है क्योंकि इस बीमारी का एकमात्र इलाज टीका है।
  • टीका है जरूरी : जिस कुत्ते या अन्य जानवर ने काटा है, उसमें रेबीज का संक्रमण है या नहीं इसकी पुष्टि कर पाना आसान नहीं होगा लेकिन सुरक्षा के नाते आपको तुरंत टीका लगा लेना चाहिए। रेबीज की टीकाकरण प्रक्रिया में एक से अधिक टीके लगते हैं जो व्यक्ति के घाव पर निर्भर करते हैं। इसलिए कितने टीके लग सकते हैं यह केवल डॉक्टर द्वारा उचित परामर्श से ही पता चल सकता है। रेबीज बिना टीके के ठीक नहीं होता। अगर सही समय पर टीका नहीं लगा तो व्यक्ति की मौत भी हो सकती है।
  • जानवरों का टीका : अगर कोई व्यक्ति पालतू जानवर का स्वामी है तो उसे अवश्य टीका लगाना चाहिए। सुनिश्चित करें कि कम से कम साल में एक बार टीका अवश्य लगाएं।

रेबीज के विषय में पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)

रेबीज से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण प्रश्नों को श्रृंखलाबद्ध किया गया है जिनको लेकर लोगों में उत्तर पाने की उत्सुकता बनी रहती है:

  1. रेबीज से क्या होता है?

रेबीज होने से बेचैनी, भ्रम और लकवा में से कोई एक या तीनों होने की आशंका बनी रहती है। व्यक्ति में लार टपकने के लक्षण भी प्रदर्शित होते हैं।

  1. रेबीज का दूसरा नाम क्या है?

रेबीज का दूसरा नाम हाइड्रोफोबिया है। हाइड्रोफोबिया का अर्थ पानी का डर है। दरअसल रेबीज का वायरस मनुष्य के लार में निवास करता है जो उसे पानी पीने से रोकता है। आम जनमानस में इसे अलर्क या जलकांटा के नाम से जाना जाता है।

  1. हाइड्रोफोबिया क्या होता है?

हाइड्रोफोबिया का मतलब होता है पानी का डर। दरअसल रेबीज का संक्रमण फैलने के बाद संक्रमित व्यक्ति को पानी पीने से डर लगता है। अगर प्यास लगने पर संक्रमित व्यक्ति पानी पीने का प्रयास करे तो गले में ऐंठन हो सकती है।

  1. किस जानवर के काटने से रेबीज होता है?

सर्वाधिक मामलों में कुत्तों के काटने से ही रेबीज होता है। आंकड़ें बहुत चौंकाने वाले हैं। अस्पताल आने वाले मरीजों में 90% लोगों को कुत्ते के काटने से रेबीज हुआ है। बंदर और बिल्लियों से होने वाले रेबीज की संख्या बहुत कम है। जिन जानवरों के काटने से रेबीज होता है उन्हें दो श्रेणी में बांटा जा सकता है:

  • जंगली जानवर
  • पालतू जानवर

आइए पहले जानें किन जंगली जानवरों के काटने से रेबीज हो सकता है:

  • चमगादड़
  • लोमड़ी
  • बंदर
  • रैकून
  • बीवर
  • वूडचुक्स

आइए अब जानें किन पालतू जानवरों के काटने से रेबीज हो सकता है:

  • कुत्ता
  • बिल्ली
  • गाय
  • बकरी
  • घोड़ा
  1. क्या रेबीज इंसान से इंसान में फैल सकता है?

मनुष्य को रेबीज का लास्ट होस्ट कहते हैं अर्थात कुत्ते ने जिस व्यक्ति को काटा है उसके ही शरीर में रेबीज का संक्रमण फैलता है। अगर अंग प्रत्यारोपण नहीं हुआ तो इंसान से इंसान में रेबीज फैलने की संभावना न के बराबर होती है।

  1. रेबीज का मरीज कितने दिन तक जीवित रहता है?

रेबीज का मरीज बिना किसी उपचार के जीवित नहीं रहता। अस्पताल या रुग्णालय में भर्ती के दो-तीन दिन में ही उसकी मृत्यु हो सकती है। रेबीज को न केवल गंभीर और घातक संक्रामक रोग माना जाता है अपितु जानलेवा रोग की श्रेणी में भी रखा जाता है।

  1. रेबीज का इंजेक्शन कितने साल तक काम करता है?

व्यक्ति पर निर्भर करता है कि टीका या वैक्सीन कितना असरकारक होगा। अमूमन इसका प्रभाव इंजेक्शन लगाने के एक वर्ष तक या कुछेक परिस्थितियों में दो वर्षों तक भी रह सकता है। एक निश्चित अंतराल में टीका लगाने की अनिवार्यता आजीवन बनी रहती है।

निष्कर्ष

किसी पालतू अथवा जंगली जानवर द्वारा काट लेने से व्यक्ति में संक्रमण फैल जाता है जिसे रेबीज कहते हैं। इस अवस्था में मुंह से लार बहना, लकवा, भ्रम, पानी का डर आदि लक्षण शरीर द्वारा प्रदर्शित किया जाता है। रेबीज संक्रमित कुत्ते में भी यही लक्षण होते हैं और ये संक्रमण अर्थात वायरस उसकी लार में होता है जो काटने के बाद व्यक्ति के स्वस्थ शरीर में चला जाता है। रेबीज का एकमात्र इलाज टीका है जिसे समय रहते लगवा लेना चाहिए अन्यथा व्यक्ति की मौत भी हो सकती है।

धन की कमी के चलते या पर्याप्त धन नहीं होने के कारण गंभीर और जानलेवा बीमारी का इलाज संभव नहीं हो पाता। निश्चित रूप से ये आपके जीवन का बहुत बड़ा संकट काल है। ऐसे में क्राउडफंडिंग एक अच्छा विकल्प हो सकता है। ये आपको ऐसे लोगों से जोड़ता है जो कठिन समय में आपकी मदद कर सकते हैं।

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