प्रोस्टेट कैंसर के लक्षण, कारण, उपचार विकल्प | Prostate Cancer In Hindi

प्रोस्टेट कैंसर या प्रोस्टेट ग्लैंड कैंसर भारत के साथ दुनिया भर के पुरुषों में पाया जाना आम है। जागरूकता की कमी और कई बार शुरूआती चरणों में लक्षणों के नहीं प्रकट होने के कारण, इस कैंसर को साइलेंट किलर का नाम दिया जा सकता है। इस लेख का उद्देश्य केवल भारत के पुरुषों को प्रोस्टेट कैंसर के लक्षणों, कारणों और उपचार विकल्पों से संबंधित जानकारी प्रदान करना है। 

प्रोस्टेट कैंसर क्या है?(प्रोस्टेट ग्लैंड कैंसर क्या है?)

प्रोस्टेट कैंसर के लक्षण

प्रोस्टेट एक अखरोट के आकार की छोटी ग्रंथि है, और यह पुरुषों के मूत्राशय के ठीक नीचे होती है। प्रोस्टेट एक दूधिया रंग का द्रव यानी कि सेमिनल द्रव(वीर्य का एक अंश) बनाता है जो शुक्राणुओं के लिए भोजन के रूप में काम आता है। प्रोस्टेट कैंसर या प्रोस्टेट ग्लैंड कैंसर तब होता है जब प्रोस्टेट ग्रंथि में कोशिकाएँ अनियंत्रित रूप से बढ़ने लगती हैं। प्रोस्टेट कैंसर प्रायः धीमी गति से विकसित होता है और शुरुआत में यह प्रोस्टेट ग्रंथि तक ही सीमित रहता है, जहाँ यह अधिक नुकसान नहीं पहुँचाता। 

प्रोस्टेट कैंसर के लक्षण(प्रोस्टेट ग्लैंड कैंसर के लक्षण)

शुरूआती चरणों में पोटेस्ट कैंसर के लक्षण प्रकट नहीं होते, बीमारी बढ़ने के साथ लक्षण सामने आ सकते हैं। प्रोस्टेट कैंसर के कुछ लक्षण इस प्रकार हैं:

१) पेशाब करने में दिक्कत होना: पेशाब करने में दिक्कत होना, धीमी गति से पेशाब की धारा या बार-बार पेशाब आना, प्रोस्टेट कैंसर के लक्षण में से एक है। 

२) वीर्य(सीमेन) में खून: हेमेटोस्पर्मिया, वीर्य या मूत्र में खून आना भी प्रोस्टेट कैंसर के लक्षण हैं। 

३) पेल्विक एरिया में असुविधा: पेल्विक एरिया में बैठी हुई स्थिति में दर्द या असुविधा होना, जोकि प्रोस्टेट के बढ़ने के कारण होती है, प्रोस्टेट कैंसर के लक्षण या प्रोस्टेट ग्लैंड कैंसर के लक्षण हैं। 

४) हड्डी में दर्द: पीठ, कूल्हों या श्रोणि में सुस्त, गहरा या तेज़ दर्द होना भी प्रोस्टेट कैंसर के लक्षण में सम्मिलित है। 

५) इरेक्टाइल डिस्फंक्शन: इरेक्शन बनाए रखने में कठिनाई होना, प्रोस्टेट कैंसर के लक्षण में शामिल है। 

यह संभव है कि उपरोक्त लक्षण प्रोस्टेट कैंसर के लक्षण नहीं होकर अन्य स्थितियों, जैसे बढ़े हुए प्रोस्टेट या मूत्र मार्ग के संक्रमण से भी संबंधित हो सकते हैं। इसलिए लक्षण महसूस करने पर, बीमारी के उचित निदान के लिए हेल्थ केयर प्रोफेशनल से संपर्क अवश्य करें।  

प्रोस्टेट कैंसर के कारण(प्रोस्टेट ग्लैंड कैंसर के कारण)

प्रोस्टेट कैंसर का स्पष्ट कारण अभी तक अज्ञात है। हालाँकि, अन्य कैंसर की तरह इस कैंसर में भी, प्रोस्टेट कोशिकाएँ अपने डीएनए में परिवर्तन के कारण असामान्य रूप से बढ़ने और विभाजित होने लगती हैं। असामान्य रूप से बढ़ने के बाद, यह कोशिकाएँ ट्यूमर का निर्माण करती हैं। प्रोस्टेट कैंसर के विकास के कुछ जोखिम कारक इस प्रकार हैं:

१) बढ़ती ऐज: बढ़ती उम्र के साथ पुरुषों में प्रोस्टेट कैंसर के लक्षण प्रकट हो सकते हैं। ४० वर्ष से कम उम्र के पुरुषों में यह कैंसर अधिक नहीं पाया जाता, लेकिन ५० वर्ष से अधिक उम्र के लोगों में यह पाया जाना आम है। 

२) फैमिली हिस्ट्री: घर में यदि किसी पुरुष को पूर्व में प्रोस्टेट कैंसर था, तो यह आगे घर के अन्य पुरुषों को भी हो सकती है। 

३) जातीयता(एथ्निसिटी): अफ्रीकी मूल के पुरुषों में प्रोस्टेट कैंसर अधिक आम है।  भारत में, पश्चिमी देशों की तुलना में इसके कम मामले पाए जाते हैं, लेकिन अब मामलों में बढ़ोतरी हो रही है। 

४) डाइट: फलों और सब्जियों को आहार में कम शामिल करने से, अधिक लाल मांस या हाई फैट वाले डेयरी प्रोडक्ट्स खाने से प्रोस्टेट कैंसर होने की संभावना बढ़ सकती है। 

५) ऑबेसिटी(फैट): कुछ शोधों से यह बात पता चला है कि, अधिक मोटापा भी प्रोस्टेट कैंसर का कारण बन सकता है। 

क्या प्रोस्टेट कैंसर का इलाज संभव है ?

हाँ, प्रोस्टेट कैंसर का इलाज संभव है, विशेषतः तब जब इसका निदान जल्दी हो जाता है। कुछ केसेस में, यदि कैंसर छोटा और प्रोस्टेट ग्रंथि तक ही सीमित होता है, तो चिकित्सक सक्रीय निगरानी या “सतर्क प्रतीक्षा” का सलाह दे सकता है। यदि कैंसर प्रोस्टेट से बाहर फैल जाता है, तो विभिन्न उपलब्ध उपचार विकल्पों का उपयोग किया जाता है।  

१) सर्जरी: यह एक आम उपचार विकल्प है। इस उपचार में, प्रोस्टेटक्टोमी सर्जिकल प्रक्रिया द्वारा पूरे प्रोस्टेट ग्रंथि और उसके आसपास के कुछ टिश्यू को हटाया जाता है। 

२) रेडिएशन थेरेपी: रेडिएशन थेरेपी में, कैंसर सेल्स को नष्ट करने के लिए हाई पावर एनर्जी वाली रेज़ या किरणों का उपयोग किया जाता है। रेडिएशन थेरेपी दो प्रकार की होती है:

a) बाहरी बीम विकिरण(रेडिएशन): इसमें शरीर के बाहरी भाग से प्रोस्टेट ग्रंथि को टार्गेट कर रेडिएशन पहुँचाया जाता है। यह थेरेपी कई हफ़्तों में पूरी होती है। 

b) ब्रैकीथेरेपी (आंतरिक रेडिएशन): इस थेरेपी में, प्रोस्टेट टिश्यू में रेडियोधर्मी स्रोत वाले कई छोटे बीज या कैप्सूल रखे जाते हैं। ये बीज लंबे समय में रेडिएशन की कम खुराक प्रदान करते हैं। 

३) हार्मोन थेरेपी: प्रोस्टेट कैंसर कोशिकाओं के बढ़ने का कारण एण्ड्रोजन हार्मोन , जैसे टेस्टोस्टेरोन है। एण्ड्रोजन डेप्रिवेशन थेरेपी (एडीटी ) या एण्ड्रोजन सप्रेशन थेरेपी एक एंटीहार्मोन थेरेपी है। इस थेरेपी में, शरीर में पुरुष हार्मोन (एण्ड्रोजन) के स्तर को कम करना या प्रोस्टेट कैंसर कोशिकाओं को बढ़ने से रोकना शामिल है। इसका उपयोग प्रायः कैंसर के प्रोस्टेट ग्रंथि के बाहर फैलने पर किया जाता है। 

४) कीमोथेरेपी:  यह थेरेपी तेज़ी से बढ़ती हुई कैंसर सेल्स को नष्ट करने के लिए दवाइयों का उपयोग करती है। इसका उपयोग, आमतौर पर प्रोस्टेट कैंसर के शरीर के अन्य हिस्सों में फैलने पर किया जाता है।  

५) इम्यूनोथेरपी: इम्यूनोथेरपी कैंसर से लड़ने के लिए, शरीर के इम्यून सिस्टम का उपयोग करती है। प्रोस्टेट कैंसर के केस में, टीका उपचार का उपयोग करने से प्रतिरक्षा प्रणाली को कैंसर सेल्स से लड़ने में काफ़ी मदद मिलती है। 

६) क्रायोथेरेपी: क्रायोथेरपी में कैंसर सेल्स को नष्ट करने के लिए, टिश्यू को फ्रीज किया जाता है। इसका उपयोग उन पुरुषों के लिए किया जाता है जिनके लिए सर्जरी या रेडिएशन थेरेपी का उपयोग नहीं किया जा सकता। 

७) हाई-इंटेंसिटी फोकस्ड अल्ट्रासाउंड(HIFU): HIFU में, हाई फ्रीक्वेंसी अल्ट्रासाउंड एनर्जी का उपयोग कैंसर सेल्स को गर्म करने और नष्ट करने के लिए किया जाता है। 

उपचार का परिणाम, कैंसर के चरण और ग्रेड, रोगी की आयु, उसके संपूर्ण स्वास्थ्य और व्यक्तिगत प्राथमिकताओं समेत कई कारकों पर निर्भर करता है। कुछ केसेस में डॉक्टर उपचार विकल्पों का संयोजन करके भी इलाज कर सकते हैं। 

प्रोस्टेट कैंसर के लिए स्क्रीनिंग (प्रोस्टेट कैंसर का निदान)

प्रोस्टेट कैंसर के सफ़ल इलाज के लिए आवश्यक है कि बीमारी की पहचान शुरूआती अवस्था में ही हो जाए। प्रोस्टेट कैंसर के निदान के लिए सामान्यतः चिकित्सक द्वारा दो टेस्ट्स करवाने का सलाह दिया जा सकता है:

१) प्रोस्टेट-विशिष्ट एंटीजन टेस्ट (पीएसए टेस्ट): पीएसए ब्लड टेस्ट द्वारा पीएसए के स्तर का पता लगाया जाता है। पीएसए, प्रोस्टेट ग्रंथि में कोशिकाओं द्वारा उत्पादित प्रोटीन है। पीएसए का ऊँचा स्तर, शरीर में प्रोस्टेट कैंसर का संकेत हो सकता है। 

२) डिजिटल रेक्टल टेस्ट (डीआरई): डीआरई में, प्रोस्टेट के आकार और गाँठ या अन्य असामान्यताओं का पता लगाने के लिए, डॉक्टर द्वारा मलाशय में साफ़-सुथरी ऊँगली डाल कर जाँच करना शामिल है। 

 उपरोक्त परीक्षण प्रारंभिक चरण में बीमारी का पता लगाने के लिए किया जा सकता है, लेकिन उनके कुछ लिमिटेशंस भी हैं। परीक्षण के बाद ही अधिक निदान या अधिक उपचार संभव है। इसलिए प्रोस्टेट कैंसर के लिए स्क्रीनिंग का निर्णय लेने से पूर्व डॉक्टर से, जोखिम कारकों, लाभ और संभावित नुकसान जैसे विषयों पर चर्चा अवश्य करें। 

रोकथाम 

प्रोस्टेट कैंसर को रोका नहीं जा सकता, लेकिन जीवनशैली में कुछ सकारात्मक बदलाव करने से इससे बचना संभव है:

१) स्वस्थ आहार: फल, सब्जियों को आहार में अत्यधिक शामिल करने से, साबुत अनाज खाने से और लाल मांस या उच्च वसा वाले डेयरी प्रोडक्ट्स के सीमित सेवन से इसे बढ़ने से रोका जा सकता है। 

२) व्यायाम: नियमित व्यायाम करने से स्वस्थ वजन बनाए रखना संभव है, जिससे प्रोस्टेट कैंसर के ख़तरे को टाला जा सकता है।

३) नियमित परीक्षण: प्रोस्टेट स्क्रीनिंग के साथ नियमित चिकित्सा परीक्षण से, प्रारंभिक पहचान संभव है। 

निष्कर्ष

प्रोस्टेट कैंसर एक घातक बीमारी है लेकिन इसका इलाज संभव है, यदि इसका निदान जल्दी हो जाए। बीमारी के लक्षणों, कारणों और उपचार विकल्पों के प्रति जागरूकता आवश्यक है। नियमित जाँच और एक स्वस्थ जीवनशैली अपनाने से इसके विकास को रोका जा सकता है, और परिणाम में सुधार किया जा सकता है। इस बात को याद रखें कि, लक्षण महसूस करने पर डॉक्टर से चर्चा करने में संकोच करना गलत है। प्रोस्टेट कैंसर से होनेवाले मौत को रोकना संभव है; प्रारंभिक पहचान और उचित उपचार के साथ, अधिकतर पुरुष निदान के पश्चात् सामान्य जीवन जीने की आशा कर सकते हैं। 

कैंसर का इलाज अक्सर महंगा हो सकता है। ऐसे मामलों में, इम्पैक्ट गुरु जैसी वेबसाइट पर क्राउडफंडिंग कैंसर के इलाज के लिए धन जुटाने का एक शानदार तरीका हो सकता है।

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