ओवेरियन कैंसर या ओवरी कैंसर को अंडाशय या अंडाशयी कैंसर भी कहते हैं। ओवेरियन कैंसर या ओवरी कैंसर, महिला के प्रजनन ग्रंथि(अंडाशय), जो अंडे का उत्पादन करते हैं, में शुरू होता है। अंडाशयी कैंसर एक जानलेवा बीमारी है और भारत में महिलाओं की कैंसर से होनेवाली मृत्यु में पाँचवे नंबर पर सबसे आम कारण माना जा सकता है। ओवेरियन कैंसर या अंडाशयी कैंसर के लक्षणों, कारणों, निदान, उपचार और रोकथाम के प्रति जागरूकता ही इस बीमारी की प्रारंभिक पहचान करने में और इससे बचने में सहायता प्रदान कर सकती है।
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ओवेरियन कैंसर के लक्षण(ओवरी कैंसर के लक्षण)(अंडाशयी कैंसर के लक्षण)

ओवेरियन कैंसर या अंडाशयी कैंसर के लक्षण अक्सर प्रारंभिक चरण में प्रकट नहीं होते हैं, लेकिन बीमारी बढ़ने के साथ अंडाशयी कैंसर के लक्षण दिखाई दे सकते हैं। कई बार ओवरी कैंसर के लक्षण नज़रअंदाज़ कर दिए जाते हैं, और इन्हें गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल जैसी स्थितियों के लक्षण मान लिए जाते हैं, जिसका प्रभाव ख़तरनाक भी हो सकता है। कुछ सामान्य ओवेरियन कैंसर के लक्षण निम्न हैं:
१) पेट में सूजन महसूस करना, ओवरी कैंसर के लक्षण या ओवेरियन कैंसर के लक्षण में शामिल हो सकता है।
२) भूख में कमी या थोड़ा खाने पर पेट भरा हुआ महसूस होना भी ओवरी कैंसर के लक्षण या ओवेरियन कैंसर के लक्षण ही हैं।
३) पेट या श्रोणि में लगातार दर्द होना, ओवरी कैंसर के लक्षण या ओवेरियन कैंसर के लक्षण में से एक लक्षण हो सकता है।
४) बार-बार पेशाब का आना, यह भी एक ओवरी कैंसर के लक्षण या ओवेरियन कैंसर के लक्षण में से ही है। इसके अतिरिक्त,
५) अधिकतर कब्ज रहना,
६) बिना कारण वजन घटना या बढ़ना,
७) लागतार थकान महसूस करना और
८) मासिक धर्म में बदलाव महसूस करना, यह सभी भी ओवरी कैंसर के लक्षण में शामिल हैं।
ओवेरियन कैंसर के कारण(ओवरी कैंसर या अंडाशयी कैंसर के कारण)
ओवेरियन कैंसर या ओवरी कैंसर का स्पष्ट कारण अभी तक अज्ञात है। ओवेरियन कैंसर या अंडाशयी कैंसर तब शुरू होता है जब अंडाशय की कोशिकाएँ असामान्य रूप से बढ़ने लगती हैं, जिससे इसके डीएनए में कुछ उत्परिवर्तन होते हैं, और यह उत्परिवर्तन कोशिकाओं के तेज़ी से विभाजित होने का कारण बनते हैं। तेज़ी से विभाजित होने के बाद यह कोशिकाएँ ट्यूमर का निर्माण करती हैं, जो आसपास के टिश्यूज़ पर अटैक कर सकता है और शरीर के अन्य हिस्सों में भी फैल सकता है।
ओवेरियन कैंसर या अंडाशयी कैंसर के विकास के कुछ जोखिम कारक इस प्रकार हैं:
१) बढ़ती उम्र: यह कैंसर किसी भी उम्र में हो सकता है, लेकिन ५० से ६० वर्ष की महिलाओं में पाया जाना अधिक आमा है।
२) परिवार का इतिहास: यदि परिवार में किसी को पहले ओवेरियन कैंसर हुआ है, तो यह संभव है कि यह कैंसर आगे भी किसी सदस्य को हो सकता है।
३) जेनेटिक म्यूटेशन: जीन बीआरसीए १ और बीआरसीए २ में वंशानुगत उत्परिवर्तन से, ओवेरियन कैंसर के होने का ख़तरा बढ़ सकता है।
४) प्रजनन का इतिहास: जो महिलाएँ कभी प्रेग्नेंट नहीं हुईं, उन्हें भी इस कैंसर के होने का ख़तरा अधिक होता है।
५) एंडोमेट्रियोसिस: एंडोमेट्रियोसिस वाली महिलाओं को भी यह कैंसर अपनी चपेट में ले सकता है।
६) हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी: कुछ शोधों से इस बात का पता चला है कि, जो लेडीज़ मेनोपॉज़ के बाद हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी का उपयोग करती हैं, उन्हें भी यह कैंसर हो सकता है।
ओवेरियन कैंसर का निदान
ओवेरियन कैंसर का निदान मुश्किल हो सकता है, क्योंकि इसके लक्षण बहुत कम पकड़ में आते हैं और अन्य स्थितियों से मिलते-जुलते होने के कारण कई बार यह लक्षण नज़रअंदाज़ भी कर दिए जाते हैं। ओवेरियन कैंसर के निदान के लिए, डॉक्टर द्वारा कुछ फिजिकल टेस्ट्स किए जा सकते हैं, जिसमें पेल्विक परीक्षण भी शामिल है। ओवेरियन कैंसर के निदान के लिए किए जानेवाले कुछ परीक्षण इस प्रकार हैं:
१) ब्लड टेस्ट: ओवेरियन कैंसर से पीड़ित महिलाओं के ब्लड में, CA125 प्रोटीन का स्तर उच्च होता है। हालाँकि, अन्य स्थितियों के कारण भी CA125 का स्तर बढ़ सकता है।
२) इमेजिंग टेस्ट: ओवेरियन कैंसर के निदान के लिए, अल्ट्रासाउंड, सीटी स्कैन और एमआरआई द्वारा अंडाशय और आसपास के हिस्सों का इमेजिंग टेस्ट किया जा सकता है।
३) बायोप्सी: बायोप्सी से ओवेरियन कैंसर का सटीक निदान संभव है। बयोप्सी में, एक ऊतक के नमूने की माइक्रोस्कोप के द्वारा जाँच करना शामिल है।
ओवेरियन कैंसर के उपचार विकल्प(ओवरी कैंसर का इलाज)(अंडाशयी कैंसर का इलाज)
ओवेरियन कैंसर का उपचार या ओवरी कैंसर का इलाज कैंसर के प्रकार, चरण, रोगी के संपूर्ण स्वास्थ्य और उसकी व्यक्तिगत प्राथमिकताओं पर पूर्णतः निर्भर करता है। अंडाशयी कैंसर का इलाज या ओवेरियन कैंसर का इलाज कुछ निम्न उपचार विकल्पों द्वारा किया जा सकता है :
१) सर्जरी: ओवेरियन कैंसर का इलाज सर्जरी द्वारा किया जा सकता है जोकि एक प्राथमिक उपचार विकल्प माना जा सकता है। इस उपचार विधि में अधिक से अधिक कैंसर को हटाया जा सकता है, जिसमें अंडाशय, फैलोपियन ट्यूब, गर्भाशय, पास के लिम्फ नोड्स और कुछ अन्य हिस्से शामिल हो सकते हैं, जहाँ कैंसर फैल चुका हो।
२) कीमोथेरेपी: ओवेरियन कैंसर का इलाज या ओवरी कैंसर का इलाज कीमोथेरेपी द्वारा भी किया जाता है। कीमोथेरेपी में, कैंसर कोशिकाओं को नष्ट करने के लिए दवाइयों का प्रयोग किया जाता है। इस उपचार विकल्प का उपयोग ट्यूमर को सिकोड़ने के लिए सर्जरी(नियोएडजुवेंट थेरेपी) से पूर्व या बचे हुए कैंसर सेल्स को नष्ट करने के लिए सर्जरी(एडजुवेंट थेरेपी) के बाद किया जा सकता है।
३) टार्गेटेड थेरेपी: ओवेरियन कैंसर का इलाज या ओवरी कैंसर का इलाज करने के लिए, टार्गेटेड थेरेपी में, कैंसर कोशिकाओं में कुछ असामान्यताओं को टार्गेट किया जाता है, जो कैंसर के विकास के कारक होते हैं। कीमोथेरेपी की तुलना में टार्गेटेड थेरेपी के कम दुष्प्रभाव देखे जा सकते हैं।
४) इम्यूनोथेरपी: इम्यूनोथेरपी में, कैंसर सेल्स से शक्तिशाली ढंग से लड़ने के लिए रोगी के प्रतिरक्षा प्रणाली को अत्यधिक मज़बूत किया जाता है।
ओवेरियन कैंसर के लिए सर्वाइवल रेट
कैंसर के लिए सर्वाइवल रेट अक्सर कैंसर के उस चरण पर निर्भर करता है, जिस चरण पर उसका निदान हुआ हो। अमेरिकन कैंसर सोसाइटी के अनुसार, ओवेरियन कैंसर के सभी स्टेजेस के लिए तुलनात्मक रूप से ५ वर्ष की सर्वाइवल रेट लगभग ४७% है। यदि ओवेरियन कैंसर का निदान प्रारंभिक चरण में हो जाए, तो रोगी महिलाओं के लिए सर्वाइवल रेट में सुधार भी अवश्य संभव है।
ओवेरियन कैंसर की रोकथाम
ओवेरियन कैंसर को पूर्णतः रोकना संभव नहीं है, लेकिन कुछ उपाय करके इसके जोखिम कारकों को बहुत हद तक कम किया जा सकता है।
१) जेनेटिक काउन्सलिंग और टेस्टिंग: जिन महिलाओं के परिवार में ओवेरियन कैंसर किसी को हो चुका है, उन्हें जेनेटिक काउन्सलिंग के ज़रिए इस कैंसर के जोखिम कारकों को समझने में मदद मिल सकती है। कुछ केसेस में निवारक सर्जरी द्वारा ओवरी और फैलोपियन ट्यूब को हटाया जा सकता है।
२) मौखिक रूप से गर्भ निरोधकों का उपयोग: लंबे समय तक गर्भ निरोधकों के उपयोग से ओवरियन कैंसर का ख़तरा टल सकता है।
३) प्रेगनेंसी और ब्रेस्ट फीडिंग: प्रेगनेंसी और ब्रेस्ट फीडिंग, इस कैंसर के जोखिम को कम करने में सहायक होते हैं।
४) जीवनशैली में बदलाव: स्वस्थ वजन बनाए रखने से, नितमित व्यायाम करने से, फलों, सब्जियों और साबुत अनाज का भरपूर आहार लेने से, स्वास्थ्य पर सकारात्मक असर पड़ सकता है, जिससे ओवेरियन कैंसर का ख़तरा भी कम हो सकता है।
निष्कर्ष
ओवेरियन कैंसर एक चुनौतीपूर्ण बीमारी है, और इसका सफ़ल इलाज इसके प्रारंभिक पहचान और तत्काल उपचार पर पूर्णतः निर्भर करता है। हालाँकि इसके लक्षण बहुत कम पकड़ में आते हैं, लेकिन लक्षणों के प्रति जागरूकता और नियमित जाँच से महिलाओं को इस रोग की प्रारंभिक पहचान करने में बहुत मदद मिल सकती है। वर्तमान में, यदि रोग का जल्दी निदान हो जाए, तो टार्गेटेड थेरेपी और इम्यूनोथेरेपी सहित उपचार विकल्पों में प्रगति के कारण, इस कैंसर का प्रभावी इलाज संभव हो गया है। इसके अतिरिक्त, भारत की महिलाओं को ओवेरियन कैंसर से बचने के लिए, इसके लक्षणों और जोखिम कारकों को समझने के लिए किसी हेल्थकेयर प्रोवाइडर के साथ अवश्य बिना संकोच के इन विषयों पर चर्चा करनी चाहिए।
कैंसर का इलाज अक्सर महंगा हो सकता है। ऐसे मामलों में, इम्पैक्ट गुरु जैसी वेबसाइट पर क्राउडफंडिंग कैंसर के इलाज के लिए धन जुटाने का एक शानदार तरीका हो सकता है।























