मुंह के कैंसर के लक्षण, कारण, उपचार विकल्प | Mouth Cancer In Hindi

मुंह का कैंसर, सिर और गर्दन के कैंसर का एक सब-ग्रुप(उप-समूह) है और प्रतिवर्ष भारत में हज़ारों जीवन को अपनी चपेट में लेता है, इसलिए यह एक गंभीर स्वास्थ्य का विषय बनता जा रहा है। इस कैंसर में मौखिक गुहा(ओरल कैविटी) में किसी भी कैंसर टिश्यू की वृद्धि संभव है, और यह होंठ, जीभ, मसूड़ों, गालों के भीतरी परत, मुंह के तल, कठोर और नरम तालु, साइनस और ग्रसनी पर हो सकता है। इस लेख का उद्देश्य, मुंह के कैंसर के लक्षण, कारण और उपचार विकल्प से सबंधित सही और सुलभ जानकारी प्रदान करना है। 

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मुंह के कैंसर के लक्षण(मुंह कैंसर के लक्षण)

मुंह के कैंसर के लक्षण

मुंह के कैंसर के शुरूआती लक्षण अधिकतर, मुंह में कहीं भी एक छोटे, अप्रत्यक्ष सफ़ेद या लाल धब्बे या खराश के रूप में पाए जा सकते हैं। यह कैंसर होंठ, मसूड़ों के ऊतकों, गाल अस्तर, जीभ, कठोर या नरम तालु समेत मौखिक गुहा के किसी भी हिस्से में विकसित हो सकता है। यह याद रखें कि यह लक्षण मुंह कैंसर के लक्षण से संबंधित नहीं भी सकते हैं, लेकिन इसके निदान के लिए चिकित्सक से सलाह लेना ज़रूरी है। 

कुछ सामान्य मुंह के कैंसर के लक्षण निम्न हैं:

१) लगातार मुंह में दर्द या खराश रहना मुंह के कैंसर के लक्षण या मुंह के कैंसर के शुरूआती लक्षण में सम्मिलित हो सकता है। 

२) मुंह के अंदर या होठों पर सफ़ेद या लाल निशान भी मुंह के कैंसर के लक्षण या मुंह कैंसर के लक्षण में शामिल है। 

३) होंठ, मसूड़ों या मुंह के अन्य हिस्सों में सूजन, गाँठ, खुरदरापन (रफ़ स्पॉट्स) या अपरदित क्षेत्र (एरोडेड एरिया) होना भी मुंह कैंसर के लक्षण ही हैं। 

४) गले में लगातार खराश या गले के पिछले हिस्से में जकड़न का अनुभव होना भी मुंह के कैंसर के लक्षण या मुंह कैंसर के लक्षण हैं। 

५) निगलते, बोलते और हिलाते समय जबड़े या जीभ में दिक्कत या असुविधा महसूस करना मुंह के कैंसर के लक्षण हैं इसके अतिरिक्त,

६) मुंह के कसी भी भाग में सुन्नता का अनुभव,

७) मुंह से बिना कारण खून आना,

८) लंबे समय से कर्कशता(गला बैठना) और 

९) अचानक से वजन घटना भी मुंह कैंसर के लक्षण में शामिल हो सकता है। 

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मुंह के कैंसर के कारण 

मुंह का कैंसर तब विकसित होता है जब मुंह में कोशिकाओं के डीएनए में कुछ स्थाई परिवर्तन(उत्परिवर्तन) होता है, और इस परिवर्तन से कोशिकाएँ अनियंत्रित रूप से विभाजित होने लगती हैं। कोशिकाओं के असामान्य रूप से बढ़ने से ट्यूमर का निर्माण होता है, जिससे कैंसर हो सकता है। नीचे कुछ ऐसे जोखिम कारकों के बारे में चर्चा की गई है जो इस कैंसर के बढ़ने में सहायक हो सकते हैं:

१)  तंबाकू का सेवन: सिगरेट, सिगार, पाइप, चबाने वाला तंबाकू या स्नफ इनमें से किसी भी रूप में तंबाकू का सेवन, दूसरे कारकों की तुलना में, मुंह के कैंसर का प्रमुख कारण है। भारत में लगभग दो-तिहाई मुंह के कैंसर के मामलों में यह कारक ज़िम्मेदार है। 

२) शराब का सेवन: शराब के लगातार और अत्यधिक सेवन से मुंह के कैंसर होने का ख़तरा अधिक होता है। यदि इसके साथ आप तंबाकू का सेवन भी करते हैं, तो ख़तरा और भी बढ़ जाता है।  

३) ह्यूमन पेपिलोमा वायरस: यौन संचारित वायरस, जैसे एचपीवी भी मुंह के कैंसर का एक जोखिम कारक है। 

४) सूर्य के संपर्क में अधिक आना: अत्यधिक समय तक सूर्य के संपर्क में रहने से होठ के कैंसर का ख़तरा बढ़ जाता है, और यह एक प्रकार का मुंह का कैंसर है। 

५) आहार: फलों और सब्जियों को आहार में कम या ना शामिल करने से भी इस कैंसर का ख़तरा होता है। 

६) सुपारी और गुटखा का सेवन: भारत में, सुपारी(बेटल क्विड) और गुटखा चबाना जोकि तंबाकू, सुपारी और अन्य सामग्रियों का मिश्रण है, विषेशतः ग्रामीण और सीमा क्षेत्र वाली शहरी आबादी के बीच सामान्य है। सुपारी और गुटखा का सेवन भी मुंह के कैंसर के लिए एक मुख्य जोखिम कारक है। 

मुंह के कैंसर का इलाज(मुंह के कैंसर का उपचार)

मुंह के कैंसर का इलाज संभव है, किंतु यदि मुंह के कैंसर के शुरुआती लक्षण पहचान में आ जाएँ तो समय पर इसका उपचार शुरू किया जा सकता है। मौखिक कैंसर का उपचार सर्जरी, रेडिएशन थेरेपी, कीमोथेरेपी, टार्गेटेड थेरेपी, इम्यूनोथेरपी  या इन उपचारों के संयोजन द्वारा किया जा सकता है। 

१) सर्जरी: सर्जरी अधिकतर कैंसर के लिए प्राथमिक उपचार के रूप में उपयोग किया जाता है। सर्जरी द्वारा ट्यूमर और उसके आसपास कुछ हेल्थी टिश्यू को हटाया जाता है। कुछ केसेस में मुंह या गले के कुछ हिस्सों को भी इस उपचार विधि द्वारा हटाया जा सकता है।

२) रेडिएशन थेरेपी: मुंह के कैंसर का इलाज के लिए, रेडिएशन थेरेपी के दौरान, एक्स-रे और प्रोटॉन जैसे उच्च ऊर्जा किरणों का उपयोग, कैंसर कोशिकाओं को नष्ट करने के लिए किया जाता है। यह उपचार बाहरी रूप या आंतरिक रूप(आतंरिक विकिरण या ब्रैकीथेरेपी) से किया जा सकता है, जिसमें विकिरण शरीर के भीतर, कैंसर कोशिकाओं के पास डाला जाता है। 

३) कीमोथेरेपी: इस थेरेपी में कैंसर सेल्स को नष्ट करने के लिए दवाइयों का उपयोग किया जाता है। इस थेरेपी का उपयोग उन्नत चरणों के मुंह के कैंसर के उपचार के लिए, विकिरण थेरेपी के साथ संयोजन में भी किया जाता है।

४) टार्गेटेड थेरेपी: इसमें कैंसर कोशिकाओं में हुए कुछ असामान्य बदलाव या कमज़ोरियों को टार्गेट कर उन पर दवाइयों का उपयोग करना शामिल है। टार्गेटेड थेरेपी दवाइयों का उपयोग प्रायः रेडिएशन थेरेपी या कीमोथेरेपी के साथ संयोजन में किया जाता है। 

५) इम्यूनोथेरपी: मुंह के कैंसर का इलाज के लिए, इस उपचार विधि में विशेष रूप से कैंसर से लड़ने के लिए, कुछ दवाइयों का उपयोग करके शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को मज़बूत बनाया जाता है। 

६) पुनर्वास(रिहैबिलिटेशन) और फॉलो-अप(अनुवर्ती) देखभाल: उपचार के बाद, रोगी को रिहैबिलिटेशन सपोर्ट या पुनर्वास की आवश्यकता पड़ सकती है, जिसमें डेंटल केयर, न्यूट्रिशनल काउन्सलिंग, स्पीच थेरेपी(भाषण चिकित्सा) या तंबाकू और शराब को छोड़ने के लिए सहायता प्रदान की जाती है। 

रोकथाम और प्रारंभिक पहचान 

मुंह के कैंसर को बढ़ने से रोकने के लिए, रोकथाम विकल्प बहुत ही अच्छी रणनीति(स्ट्रेटेजी) है। तंबाकू और शराब का सीमित सेवन या सेवन छोड़ने से, सूरज के संपर्क में कम आने से, आहार में फलों और सब्जियों को अत्यधिक शामिल करने से, मौखिक कैंसर को बढ़ने से अवश्य ही रोका जा सकता है। नियमित रूप से दाँतों की जाँच और स्व-परीक्षा से ही मुंह के कैंसर के शुरुआती लक्षण पकड़ में आ सकते हैं। 

भारत में तंबाकू और शराब के अधिक मात्रा में सेवन के कारण लोगों के बीच इस बीमारी के कारणों और लक्षणों के प्रति जागरूकता बढ़ाना अति आवश्यक है। वर्तमान में विभिन्न संगठन, लोगों के बीच जागरूकता बढ़ाने की दिशा में काम कर रहे हैं, मुंह के कैंसर की जाँच करने के साथ तंबाकू और शराब के सेवन से होनेवाली हानियों के बारे में भी शिक्षा प्रदान कर रहे हैं। 

भारत में मुंह के कैंसर का परिदृश्य(ओरल कैंसर सिनेरियो इन इंडिया )

तंबाकू का विभिन्न रूपों में अत्यधिक सेवन के कारण, भारत में मौखिक कैंसर एक महत्त्वपूर्ण स्वास्थ्य समस्या बन चुकी है। रिपोर्टों के अनुसार, दुनिया के कुल मौखिक कैंसर के मामलों का एक-तिहाई हिस्सा भारत में है। इसके अतिरिक्त, भारत के तीन टॉप कैंसर की सूची में, एक कैंसर मौखिक कैंसर भी है। 

मुंह के कैंसर का इलाज का सफ़ल परिणाम पाने के लिए, व्यापक निवारक उपायों और शीघ्र पहचान रणनीतियों की बहुत आवश्यकता है। स्वास्थ्य शिक्षा को आम जनता के अलावा स्वास्थ्य कर्मचारियों, जो इसमें महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, पर भी केंद्रित होना चाहिए।  

इसके अतिरिक्त मौखिक कैंसर से संबंधित सामाजिक कलंक पर नियंत्रण पाने के लिए, अधिकतर लोगों को शीघ्र चिकित्सा सहायता लेने के लिए प्रोत्साहन देना आवश्यक है। कई लोगों के लिए मुंह के कैंसर का इलाज करवाने के लिए लागत चुकाना संभव नहीं है, विशेष रूप से उन्हें वित्तीय सहायता भी प्रदान करना चाहिए।

निष्कर्ष

मुंह का कैंसर भारत में एक गंभीर और महत्त्वपूर्ण चिंता का विषय बनता जा रहा है, जिसका मुख्य कारण कुछ कल्चरल हैब्बिट्स और लाइफस्टाइल में बदलाव है। इस बीमारी के लक्षणों, कारणों और उपचार विकल्पों के प्रति जागरूकता, रोकथाम और शुरूआती पहचान की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण और पहला कदम है। 

वर्तमान में आधुनिक उपचार विकल्पों का प्रयोग करके मुंह के कैंसर का इलाज बहुत हद तक तो संभव है ही साथ में इसका निदान भी अच्छे से किया जा सकता है, यदि बीमारी का जल्दी पता लग जाता है। हालाँकि, रोकथाम सबसे असरदार स्ट्रेटेजी बन चुकी है। तंबाकू और शराब का सेवन छोड़कर और एक स्वस्थ जीवनशैली अपनाकर, भारत में मुंह के कैंसर के मामलों को बहुत कम किया जा सकता है। 

यह स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं, नीति-निर्माताओं और व्यक्तियों की सामूहिक ज़िम्मेदारी है कि वह जागरूकता फैलाने, स्वस्थ जीवनशैली विकल्पों को बढ़ावा देने, इस रोकने योग्य बीमारी की प्रारंभिक पहचान और प्रभावी उपचार की दिशा में साथ में मिलकर काम करें, जिससे हम एक साथ इस बीमारी को हराने में कामयाब हो सकें। 

कैंसर का इलाज अक्सर महंगा हो सकता है। ऐसे मामलों में, इम्पैक्ट गुरु जैसी वेबसाइट पर क्राउडफंडिंग कैंसर के इलाज के लिए धन जुटाने का एक शानदार तरीका हो सकता है।

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