लिम्फ नोड कैंसर के लक्षण / लिम्फोमा कैंसर के लक्षण और इलाज

लिम्फोमा कैंसर को लिम्फ नोड का कैंसर भी कहा जाता है जोकि ब्लड कैंसर के सेल्स का समूह है या यह कहा जा सकता है कि यह ब्लड कैंसर का एक प्रकार है। इसके अतिरिक्त लिम्फोमा कैंसर, लिम्फेटिक सिस्टम या लसीका प्रणाली में शुरू होता है। सामान्य भाषा में लिम्फोमा कैंसर का अर्थ समझें तो यह कैंसर हमारे शरीर के इम्यून सिस्टम के लिम्फोसाइट्स सेल्स में फैलता है। लिम्फोसाइट्स सेल्स वह सेल्स हैं जो शरीर को संक्रमण से लड़ने में मदद करती हैं। यदि लिम्फोमा के प्रकार की बात करें तो इसके दो प्रकार हैं: (१) हॉजकिन लिम्फोमा और (२) गैर-हॉजकिन लिम्फोमा। इन दिनों, भारत में लिम्फोमा कैंसर के मामलों में भी बढ़ोतरी होती दिख रही है, ऐसे में यदि बीमारी की पहचान शुरूआती दिनों में ही हो जाए तो लिम्फोमा कैंसर से बचना संभव हो सकता है। इस लेख के माध्यम से हमारा केवल एक उद्देश्य आपको लिम्फोमा कैंसर से संबंधित लक्षणों, कारणों, निदान और उपचार विकल्पों की जानकारी प्रदान करना है। 

लिम्फोमा कैंसर के लक्षण (लिम्फ नोड कैंसर के लक्षण)

लिम्फ नोड कैंसर के लक्षण

लिम्फोमा कैंसर के लक्षण या लिम्फ नोड कैंसर के लक्षण, कैंसर के प्रकार और चरण के आधार पर भिन्न हो सकते हैं। लिम्फ नोड कैंसर के लक्षण में जो लक्षण शामिल हैं वह इस प्रकार हैं:

१) लिम्फ नोड्स में सूजन होना: यदि आप अपने गर्दन, बगल(अंडरआर्म) या कमर में लिम्फ नोड्स में सूजन महसूस करते हैं और सूजन दर्द रहित है तो यह लिम्फ नोड कैंसर के लक्षण या लिम्फोमा कैंसर के लक्षण में प्रारंभिक लक्षण के रूप में माना जा सकता है। 

२) लगातार थकान रहना: लगातार शरीर में थकान या कमज़ोर महसूस करना भी लिम्फोमा कैंसर के लक्षण में से एक लक्षण हो सकता है।  

३) बुखार का बार-बार आना: लंबे समय से बुखार का रहना या बार-बार बुखार का आना या रात को बुखार के साथ अत्यधिक पसीना आना, इन लक्षणों को भी आप इस कैंसर में महसूस कर सकते हैं। 

४) रात में अक्सर पसीना आना: लिम्फोमा कैंसर के लक्षण या लिम्फ नोड कैंसर के लक्षण में, रात में अत्यधिक पसीना आना एक समान्य लक्षण है। 

५) वजन कम हो जाना: यदि अचानक से आपका वजन बिना कारण ही कम हो गया है या आपके खान-पान के तरीकों में बदलाव हुआ हो तो यह भी लिम्फ नोड कैंसर के लक्षण हो सकता है। 

६) त्वचा में खुजली होना: त्वचा के किसी भी भाग में, खुजली होना और यदि खुजली बिना दाने के हो तो यह इस बीमारी के लक्षणों में से एक हो सकता है। 

७) साँस लेने में दिक्कत, खाँसी या छाती में दर्द: इस बीमारी में, साँस लेने में दिक्कत महसूस करना, लंबे समय से खाँसी की शिकायत रहना या छाती में दर्द रहना तभी संभव है, जब लिम्फोमा, छाती में लिम्फ नोड्स को प्रभावित करता है।  

८) पेट में दर्द या सूजन: पेट में दर्द या सूजन महसूस करना भी लिम्फ नोड कैंसर के लक्षण या लिम्फोमा कैंसर के लक्षण में शामिल है। 

९) त्वचा पर लाल धब्बे: लिम्फोमा कैंसर के कुछ केसेस में, लिम्फोमा त्वचा को भी प्रभावित कर सकता है जिससे त्वचा पर लाल धब्बे हो सकते हैं। 

महिलाओं में लिम्फोमा के लक्षण

महिलाओं में लिम्फोमा के लक्षण की बात जाए तो महिलाओं में लिम्फोमा के लक्षण पुरुषों की तुलना में बहुत ही कम पाए जाते हैं। यदि भारत में लिम्फोमा कैंसर के मामलों की बात की जाए तो एक्सपर्ट्स के अनुसार हर वर्ष केवल दिल्ली में लगभग ५०० लिम्फोमा कैंसर के मामलों का निदान होता है। इन मामलों में, महिलाओं में लिम्फोमा के लक्षण पुरुषों की तुलना बहुत ही कम पाए जाते हैं जबकि लगभग ५०० मामलों में दो-तिहाई से अधिक मामले पुरुषों के होते हैं।  

लिम्फोमा कैंसर के कारण

लिम्फोमा कैंसर का कारण अभी तक स्पष्ट रूप से पता नहीं चल पाया है, लेकिन कुछ ऐसे कारण जो इसके फैलने में सहायक हो सकते हैं, यहाँ उन्हें समझाने का प्रयास किया गया है:

१) बढ़ती उम्र: उम्र बढ़ने के साथ-साथ, लिम्फोमा कैंसर का ख़तरा बढ़ सकता है। लिम्फोमा कैंसर, ६० वर्ष से अधिक उम्र वाले लोगों में पाया जाना अधिक आम है। 

२) लिंग: यदि महिलाओं और पुरुषों की बात करें तो महिलाओं की तुलना में पुरुषों में लिम्फोमा कैंसर अधिक पाया जा सकता है। 

३) पारिवारिक इतिहास: यदि आपके परिवार में यह बीमारी किसी को हो चुकी है तो आपको भी लिम्फोमा कैंसर होने का ख़तरा बढ़ सकता है। बीमारी से बचने के लिए नियमित परीक्षण आवश्यक है। 

४) कमज़ोर प्रतिरक्षा प्रणाली: ऑटोइम्यून विकार जैसे सीलिएक रोग, ल्यूपस, मल्टीपल स्केलेरोसिस, सोरायसिस गठिया से पीड़ित लोगों को यह कैंसर होने का ख़तरा अधिक होता है। 

५) संक्रमण: एचआईवी, कुछ वायरल या बैक्टीरियल संक्रमण एप्सटीन-बार वायरस(EBV), हेलिकोबैक्टर पाइरोली से लिम्फोमा कैंसर के बढ़ने का ख़तरा अधिक होता है। 

६) कुछ प्रकार के रसायनों के संपर्क में रहना: कुछ हानिकारक रसायनों, जैसे कीटनाशक सॉल्वैंट्स के संपर्क में रहने से भी लिम्फ नोड कैंसर, व्यक्ति को अपनी चपेट में ले सकता है। 

७) इम्यूनोस्प्रेसिव थेरेपी: यदि व्यक्ति का इम्यून सिस्टम(प्रतिरक्षा प्रणाली) कमज़ोर हो तो यह संभव है कि वह इस बीमारी का शिकार हो सकता है। 

लिम्फोमा कैंसर का निदान

यदि आप लिम्फोमा के लक्षणों में से कोई लक्षण अपने शरीर में महसूस करते हैं तो चिकित्सक आपको निम्न परीक्षण करवाने के लिए सलाह दे सकते हैं:

१) शारीरिक परीक्षण: शारीरिक परीक्षण के माध्यम से चिकित्सक लिम्फ नोड में सूजन या लिम्फोमा कैंसर के अन्य लक्षण की पहचान कर सकता है। 

२) रक्त परीक्षण: रक्त परीक्षण के माध्यम से मरीज़ के शरीर में रक्त कोशिकाओं की संख्या, कोशिकाओं का आकार और उसके स्वास्थ्य से संबंधित सभी जानकारियाँ को प्राप्त किया जा सकता है।  

३) इमेजिंग टेस्ट्स: इमेजिंग टेस्ट्स जैसे एक्स-रे, सीटी स्कैन, एमआरआई और पीईटी स्कैन के द्वारा शरीर में, लिम्फोमा कैंसर की कोशिकाएँ किस भाग में विकसित हुई हैं और कितनी विकसित हुई हैं इस सभी बातों का पता लगाया जा सकता है। 

४) बायोप्सी: लिम्फ नोड में सूजन या कैंसर कोशिकाओं की जाँच के लिए बायोप्सी की जाती है। इस दौरान कैंसर से प्रभावित भाग से एक छोटा सा सैंपल निकाला जाता है और माइक्रोस्कोप के माध्यम से जाँच की जाती है। 

५) बोन मैरो बायोप्सी: लिम्फोमा कैंसर के कुछ केसेस में, बोन मैरो बायोप्सी द्वारा यह पता लगाया जाता है कि लिम्फोमा अस्थि मज्जा में फैला है या नहीं।  

६) काठ पंचर (स्पाइनल टैप): इस प्रक्रिया में, केंद्रीय तंत्रिका तंत्र में लिम्फोमा कैंसर कोशिकाओं के परीक्षण के लिए मस्तिष्कमेरु द्रव का एक नमूना एकत्रित किया जाता है। 

लिम्फोमा कैंसर के लिए उपचार विकल्प

लिम्फोमा कैंसर के लिए उपचार विकल्पों के विषय पर चर्चा करें तो, कैंसर का उपचार कैंसर के प्रकार, चरण, शरीर में कैंसर कितना विकसित हुआ है इन सब के साथ मरीज़ के संपूर्ण स्वास्थ्य और उसकी प्रथमिकताओं पर निर्भर करता है। लिम्फोमा कैंसर के लिए प्राथमिक उपचार विकल्प कुछ इस प्रकार हैं:

१) कीमोथेरेपी: कीमोथेरेपी में, कैंसर सेल्स को नष्ट करने या उन्हें बढ़ने से रोकने के लिए दवाइयों का उपयोग किया जाता है। यह दवाइयाँ, मरीज़ों को खाने के लिए दी जा सकती हैं या फिर इंजेक्शन द्वारा या अन्तः शिरा(IV) के माध्यम से मरीज़ के शरीर में डाली जाती हैं। कीमोथेरेपी का उपयोग लिम्फोमा कैंसर में कई बार अन्य उपचार विकल्पों के साथ किया जा सकता है। 

२) रेडिएशन थेरेपी: रेडिएशन थेरेपी में, कैंसर कोशिकाओं को नष्ट करने के लिए उच्च ऊर्जा एक्स-रे या कणों का उपयोग किया जाता है। लिम्फोमा कैंसर में, इस विकल्प का उपयोग अकेले या कीमोथेरेपी के साथ संयोजन में भी किया जा सकता है। 

३) इम्म्यूनोथेरेपी: इम्म्यूनोथेरपी उपचार विकल्प में, कैंसर सेल्स की पहचान करने या उनसे लड़ने में मरीज़ की प्रतिरक्षा प्रणाली को मज़बूत बनाया जाता है। इस विकल्प का उपयोग अकेले और कई बार कीमोथेरेपी या रेडिएशन थेरेपी के साथ संयोजन में भी किया जा सकता है। 

४) टार्गेटेड थेरेपी: टार्गेटेड थेरेपी में, अन्य स्वस्थ कोशिकाओं को नुकसान पहुँचाए बिना कैंसर कोशिकाओं को टार्गेट कर, इन पर दवाइयों का प्रयोग किया जाता है।  इस विकल्प का उपयोग अकेले या लिम्फोमा कैंसर में अन्य विकल्पों के साथ संयोजन में भी  किया जाता है।  

५) स्टेम सेल ट्रांसप्लांटेशन: स्टेम सेल ट्रांसप्लांटेशन का उपयोग, अस्थि मज्जा कोशिकाओं को बदलने के लिए किया जाता है। इस प्रक्रिया में उन सेल्स को बदला जाता है जो कैंसर से नष्ट हो जाते हैं या जो कीमोथेरेपी या रेडिएशन थेरेपी के दौरान नष्ट हो जाते हैं। 

६) सतर्क परीक्षा: धीरे-धीरे फैल रहे लिम्फोमा कैंसर वाले या बिना लक्षण वाले मरीज़ों को चिकित्सक सतर्क प्रतीक्षा की सलाह दे सकते हैं, जिसमें बिना किसी तत्काल इलाज के मरीज़ की स्थिति की बहुत ही बारीकी से जाँच की जाती है।  

लिम्फोमा का इलाज(लिम्फोमा कैंसर का इलाज)

लिम्फोमा का इलाज पूर्णतः कैंसर के प्रकार, उसके चरण, कैंसर किस भाग में फैला है इन सभी बातों के साथ रोगी के पूर्ण स्वास्थ्य पर निर्भर करता है। आम तौर पर लिम्फोमा का इलाज संभव है। इलाज के दौरान रोगी पूर्ण रूप से ठीक हो सकते हैं या उनके सर्वाइवल रेट में सुधार हो सकता है। आधुनिक नैदानिक उपकरणों, आधुनिक उपचार विकल्पों और एक बेहतर इम्म्यूनोथेरपी के द्वारा लिम्फोमा का इलाज अब संभव हो गया है, लेकिन फिर भी लिम्फोमा कैंसर से पीड़ित हर मरीज़ का अनुभव भिन्न हो सकता है। सफ़ल परिणाम के लिए आवश्यक है कि चिकित्सक से स्वास्थ्य संबंधी विषयों पर चर्चा की जाए और अनुशंसित उपचार योजना का पालन किया जाए।  

निष्कर्ष

लिम्फोमा एक प्रकार का ब्लड कैंसर है या यह कहा जा सकता है कि यह ब्लड कैंसर कोशिकाओं का समूह है। यह कैंसर लिम्फेटिक सिस्टम या लसीका प्रणाली में विकसित होता है। लिम्फोमा कैंसर का कारण अभी तक स्पष्ट रूप से सामने नहीं आया है लेकिन कुछ ऐसे भी कारक हैं जो बीमारी के फैलने में सहायक हैं। लिम्फोमा कैंसर के सफ़ल इलाज और रोगी के सर्वाइवल रेट में सुधार के लिए बीमारी की पहचान शुरुआती अवस्था में आवश्यक है। चिकित्सा अनुसंधान और प्रौद्योगिकी में प्रगति के कारण, पिछले कुछ वर्षों में लिम्फोमा मरीज़ों के सर्वाइवल रेट में काफ़ी सुधार हुआ है और कई रोगी पूर्णतः ठीक भी हुए हैं। यह स्मरण रखें कि, लिम्फोमा का इलाज पूर्णतः तभी सफ़ल हो सकता है जब इसकी पहचान शुरूआती अवस्था में हो जाए। इसके अतिरिक्त एक स्वस्थ जीवनशैली अपनाने से और नियमित जाँच की सहायता से इस बीमारी के ख़तरे को टाला जा सकता है।

कैंसर का इलाज अक्सर महंगा हो सकता है। ऐसे मामलों में, इम्पैक्ट गुरु जैसी वेबसाइट पर क्राउडफंडिंग कैंसर के इलाज के लिए धन जुटाने का एक शानदार तरीका हो सकता है।

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