आज के आपाधापी भरे जीवन में मनुष्य को संतुलित आहार मिले यह किसी सुंदर स्वप्न की तरह है जो आसानी से पूरा नहीं हो सकता। आहार में असंतुलन तथा पोषक तत्वों की कमी या अधिकता के चलते लिवर कमजोर हो जाता है। लिवर की कमजोरी को लिवर इन्फेक्शन कहते हैं। आधुनिक जीवनशैली, शहर का वर्चस्व और पोषक तत्वों से रहित भोजन के चलते लिवर कमजोर हो जाता है। ऐसे में लिवर इन्फेक्शन एक आम और प्रचलित समस्या बन चुकी है। इस समस्या से कोई अछूता नहीं है। इसलिए ऐसे कठोर कदम उठाने की आवश्यकता है
आज के इस लेख में लिवर का क्या काम है, लिवर कमजोर क्यों होता है, लिवर में इन्फेक्शन कैसे होता है, क्या लिवर इन्फेक्शन खतरनाक है, लिवर में इन्फेक्शन के लक्षण, लिवर में इन्फेक्शन के कारण, लिवर ठीक करने के उपाय, लिवर इन्फेक्शन का सबसे अच्छा इलाज, लिवर कितने दिन में ठीक हो जाता है और निष्कर्ष पर विस्तार से प्रकाश डाला गया है।
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Table of Contents
- लिवर का क्या काम है?
- लिवर इन्फेक्शन क्या है? / लिवर में इन्फेक्शन क्या है?(लिवर में इन्फेक्शन कैसे होता है?)
- लिवर इन्फेक्शन के प्रकार / लिवर में इन्फेक्शन के प्रकार
- लिवर इन्फेक्शन के लक्षण(लिवर में इन्फेक्शन के लक्षण / लीवर इंफेक्शन के लक्षण)
- लिवर इन्फेक्शन का कारण
- क्या लिवर इन्फेक्शन खतरनाक है?
- लिवर इन्फेक्शन या यकृत संक्रमण का निदान
- यकृत संक्रमण परीक्षण(लिवर इन्फेक्शन टेस्ट)
- लिवर या यकृत संक्रमण की रोकथाम(लिवर इन्फेक्शन के उपाय)
- लिवर इन्फेक्शन के लिए उपचार विकल्प(लिवर इन्फेक्शन के उपाय / लिवर में इन्फेक्शन कैसे ठीक होगा? / लिवर इन्फेक्शन कितने दिन में ठीक होता है?)
- लिवर ठीक करने के उपाय
- लिवर इन्फेक्शन का सबसे अच्छा इलाज क्या है?
- लिवर कितने दिन में ठीक हो जाता है?
- क्या यकृत संक्रमण जीवन के लिए ख़तरा है?
- यकृत संक्रमण के लिए जीवित रहने की दर(सर्वाइवल रेट) और उपचार की अवधि
- निष्कर्ष
लिवर का क्या काम है?
लिवर के प्रमुख कार्यों में रक्त को छानना और उसकी मात्रा को नियंत्रित करना है। इसकी सहायता से रक्त के थक्के बनते हैं जो चोटिल अवस्था में मानव शरीर की रक्षा करते हैं। इसके अलावा रक्त से हानिकारक पदार्थों को अलग करने का काम भी लिवर करता है। यह पित्त की उतपत्ति करता है जो पेट में भोजन को तोड़ने के काम आता है। भोजन से प्राप्त ‘ग्लाइकोजन’ लिवर की सहायता से शरीर के सभी अंगों तक पहुंचता है ताकि उन्हें आवश्यक ऊर्जा मिल सके। ग्लाइकोजन के अलावा लिवर का काम विटामिन को भी संग्रहित करना है। प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट और अन्य आवश्यक पोषक तत्व को संग्रहित करता है।
लिवर इन्फेक्शन क्या है? / लिवर में इन्फेक्शन क्या है?(लिवर में इन्फेक्शन कैसे होता है?)
लिवर इन्फेक्शन या लिवर में इन्फेक्शन, एक गंभीर समस्या है और यदि इस विषय पर चर्चा करें की लिवर में इन्फेक्शन कैसे होता है, तो यह तब होता है जब रोगजनक सूक्ष्मजीव या परजीवी लिवर या यकृत पर आक्रमण करते हैं, और तब बीमारी की शुरुआत होती है। यदि लिवर इन्फेक्शन के विकास में सहायक एजेंटों की बात करें, तो इन एजेंटों में विभिन्न प्रकार के बैक्टीरिया, वायरस या पैरासाइट्स शामिल हो सकते हैं। इन रोगाणुओं द्वारा लिवर पर आक्रमण करने पर, इनकी संख्या में वृद्धि होती है, जो यकृत में सूजन का और यकृत के कार्यक्षमता को बाधित करने का कारण बनते हैं। यदि इस स्थिति पर तत्काल ध्यान नहीं दिया जाए, तो संक्रमण बढ़ सकता है और एक गंभीर समस्या उत्पन्न हो सकती है।
लिवर इन्फेक्शन के प्रकार / लिवर में इन्फेक्शन के प्रकार
विभिन्न प्रकार के लिवर इन्फेक्शन में, मुख्य रूप से कुछ वायरल संक्रमण शामिल होते हैं, जैसे हेपेटाइटिस ए, बी और सी। यकृत में होनेवाले संक्रमण इस प्रकार हैं:
1. हेपेटाइटिस ए: यह संक्रमण आमतौर पर दूषित भोजन या पानी के माध्यम से फैल सकता है। यदि इस संक्रमण का उचित उपचार हो तो यह कुछ हफ़्तों या फिर महीनों में ठीक हो जाता है।
2. हेपेटाइटिस बी: हेपेटाइटिस बी संक्रमण रक्त और वीर्य या संक्रमित शरीर के तरल पदार्थों के संपर्क में आने से फैलता है। हेपेटाइटिस बी एक्यूट और क्रॉनिक दोनों तरह के संक्रमण का कारण बन सकता है, जो बाद में सिरोसिस या लिवर कैंसर जैसे ख़तरनाक बीमारियों का कारण बनता है। भारत में टीककरणों के प्रयासों के बावजूद, हेपेटाइटिस बी प्रचलित है और एक महत्त्वपूर्ण स्वास्थ्य चिंता का विषय है।
3. हेपेटाइटिस सी: संक्रमित व्यक्ति के रक्त के संपर्क में आने से हेपेटाइटिस सी संक्रमण फैलता है, यह संक्रमण अधिकांश पुराने यकृत रोग में विकसित होता है। भारत में यकृत प्रत्यारोपण का प्रमुख कारण हेपेटाइटिस सी संक्रमण है और उचित उपचार नहीं होने से यकृत डैमेज होने का कारण भी बन सकता है।
इसके अतिरिक्त लिवर इन्फेक्शन के अन्य प्रकारों में, हेपेटाइटिस डी, ई, अल्कोहलिक हेपेटाइटिस(लंबे समय तक शराब के सेवन से), पैरासाइटिक इन्फेक्शन्स, जैसे एमेबिक लिवर एब्सेस(अमीबिक लिवर फोड़ा), हाइडेटिड सिस्ट रोग(इकिनोकॉकस ग्रैनुलोसस के कारण) शामिल हैं।
लिवर इन्फेक्शन के लक्षण(लिवर में इन्फेक्शन के लक्षण / लीवर इंफेक्शन के लक्षण)
पेशाब का रंग बदल जाना, पेट में सूजन और दर्द, बार-बार उल्टी होना, जी मचलना, अनावश्यक थकान और कमजोरी, अनिद्रा आदि लिवर में इन्फेक्शन के लक्षण हैं। इसके अलावा अपच की शिकायत भी लिवर में इन्फेक्शन के लक्षण में सम्मिलित है। आँखों का रंग पीला पड़ सकता है। बार-बार खुजली होती है जिसके चलते त्वचा पर चकत्ते पड़ जाते हैं। पैर और ऐड़ी में दर्द तथा सूजन की शिकायत भी इन्फेक्शन के मरीज को हो सकती है। समस्या जितनी गंभीर होती जाती है, मरीज की स्थिति उतनी ही नाजुक हो सकती है। लिवर संबंधित रोग जैसे हेपेटाइटिस, ट्यूमर आदि के लक्षण भी इन्फेक्शन में दिखाई दे सकते हैं।
आइए जानें लिवर में इन्फेक्शन के लक्षण जो कि निम्नलिखित हैं :
- पेशाब का रंग बदल जाना : लिवर में इन्फेक्शन के मरीज के पेशाब का रंग सफेद या पीले के स्थान पर गहरा हो जाता है। इन्फेक्शन के चलते रक्त प्रवाह में बिलीरुबिन का स्तर बढ़ जाता है जिसके चलते पेशाब का रंग परिवर्तित हो जाता है। अगर किसी व्यक्ति के पेशाब का रंग सफेद या पीले के स्थान अन्य किसी रंग का हो जावे तो उसे तुरंत डॉक्टर से परामर्श करना चाहिए।
- पेट में दर्द और सूजन की शिकायत : जब कोई मरीज लिवर इन्फेक्शन के आरंभिक चरण में होता है तो उसे पेट दर्द की शिकायत रहती है। इन्फेक्शन के चलते लीवर के ब्लड वेसल में प्रेशर बढ़ जाता है और परिणामस्वरूप व्यक्ति के पेट में असहनीय पीड़ा होने लगती है। यह दर्द प्रवृत्ति में असहनीय, तेज और बार-बार होता है।
- चकत्ते और खुजली होना : चकत्ते पड़ना खून में एंटीऑक्सीडेंट की कमी को दिखाता है। इन्फेक्शन के चलते लिवर द्वारा रक्त छानने की प्रक्रिया भी प्रभावित होती है। अगर खून साफ़ नहीं रहता तो त्वचा संबंधित समस्याएं पैदा होने लगती हैं। तत्पश्चात् बार-बार खुजली होने लगती है और चकत्ते पड़ जाते हैं। अगर उपचार के बाद भी चकत्ते और खुजली बार-बार वापिस आ रही है तो ये कमजोर लिवर की और इशारा कर रही है।
- अनावश्यक थकान और कमजोरी : इन्फेक्शन के चलते शरीर में आवश्यकता से अधिक ऊर्जा की खपत होने लगती है जिसके चलते व्यक्ति को थकान की अनुभूति होती है। ऐसा इसलिए क्योंकि आवश्यकता से अधिक ऊर्जा की खपत होने से शरीर में पोषक तत्वों की कमी हो जाती है। इन पोषक तत्वों की कमी के कारण शरीर का क्रियान्वयन संभव नहीं हो पाता इसलिए कमजोरी आने लगती है और थकान होने लगती है।
- उल्टी और मतली की समस्या : थकान और कमजोरी के कारण बार-बार उल्टी होने लगती है। लगातार उल्टी होने के अलावा मरीज को जी मचलने की भी शिकायत रहती है। इससे अन्य समस्याएं भी जन्म लेती हैं। लिवर इन्फेक्शन में कमजोरी से लड़ने के लिए शरीर अपनी भूमिका तय करता है। लेकिन बीमारी से लड़ने पर ऊर्जा कम होने लगती है और परिणामस्वरूप शरीर में जी मचलना, मतली और उल्टी की शिकायत होने लगती है।
- अल्प आहार करना : थकान, कमजोरी और उल्टी के चलते भूख कम लगती है। इसलिए व्यक्ति अल्प आहारी हो जाता है अर्थात उसकी आहार कम हो जाती है। ऊर्जा की कमी, उल्टी और जी मचलने के कारण न भूख लगती है और न खाना खाने की इच्छा होती है।
- मल के रंग में परिवर्तन : लिवर इन्फेक्शन के मरीज को हल्के रंग का मल आने लगता है। अपर्याप्त पित्त बनने के कारण मल का रंग हल्का हो जाता है। लिवर कमजोर होने के चलते शरीर को प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट और विटामिन नहीं मिल पाता जिस कारण अपच की समस्या होती है और मल के रंग में परिवर्तन दृष्टिगत होता है।
- पैरों का सूज जाना : लिवर इन्फेक्शन के चलते अनावश्यक पदार्थ अर्थात द्रव्य रुपी विकार शरीर से बाहर निकलने के बजाय पैरों में इकठ्ठा होने लगता है जिस कारण सूजन होने लगती है। पैरों की इस सूजन को मेडिकल टर्मिनोलॉजी में एडेमा कहते हैं। हालांकि सूजन को अंग्रेजी में स्वेलिंग भी कहते हैं।
- आसानी से रक्त का रिसाव होना : कमजोर लिवर रक्त के थक्के बनाने में असमर्थ होता है। रक्त के थक्के न बन पाने के कारण शरीर में आसानी से चोट लग जाती है जिससे रक्त का अत्यधिक और अनावश्यक रिसाव होने लगता है।
लिवर इन्फेक्शन का कारण
लिवर में इंफेक्शन का कारण शरीर में हानिकारक पदार्थों का प्रवेश है। हानिकारक पदार्थ जैसे शराब, नमक, लाल मांस आदि का अत्यधिक मात्रा में शरीर में प्रवेश करने से लिवर पर दुष्प्रभाव पड़ता है। इसके अलावा अगर लिवर इन्फेक्शन का पारिवारिक इतिहास रहा है तो नई पीढ़ी को होने की संभावना बनी रहती है। अगर लिवर से संबंधित कोई समस्या पूर्व में रही है तो आगे चलकर यह इन्फेक्शन का रूप ले सकती है। जिन लोगों की प्रतिरक्षा प्रणाली (अर्थात बीमारी से लड़ने की शक्ति कम हो) कमजोर हो उनका लिवर आगे चलकर कमजोर हो सकता है। इसके अलावा अपच, कब्ज आदि पेट की समस्या भी लिवर इन्फेक्शन का घातक कारक होती है।
आइए जानें लिवर में इन्फेक्शन के कारण जो कि निम्नलिखित हैं :
- मदिरा सेवन के कारण : शराब और सिगरेट का सेवन हर समस्या की मुल जड़ है। शराब का सेवन सीधे तौर पर लिवर पर दुष्प्रभाव छोड़ता है। शराब को पचाने के लिए लिवर जो प्रक्रिया अपनाता है उसमें अत्यधिक मात्रा में ऐसे पदार्थों का निर्माण होने लगता है जो लिवर के लिए हानिकारक हैं। ये पदार्थ लिवर की कोशिकाओं को इस कदर प्रभावित करते हैं कि लिवर से संबंधित अनेक प्रकार की समस्याओं से व्यक्ति पीड़ित हो सकता है।
- धूम्रपान के कारण : केवल शराब ही नहीं अपितु धूम्रपान करने के कारण भी लिवर कमजोर हो जाता है। सिगरेट पीने से लिवर संबंधित रोग होने का खतरा बढ़ जाता है। सिगरेट पीने वालों को लिवर कैंसर होने की संभावना भी बनी रहती है। प्रारम्भिक चरण में यह लिवर को कमजोर भी कर देता है।
- लाल मांस खाने के कारण : सैचुरेटेड फैट की मात्रा लाल मांस में बहुत होती है जो लिवर को कमजोर कर देता है। इसलिए लाल मांस खाने से नॉन एल्कोहोलिक फैटी लिवर डिजीज हो सकता है। दरअसल लाल मांस में मौजूद सैचुरेटेड फैट ‘मेटाबॉलिज्म’ को खराब कर देता है इसलिए लिवर संबंधित रोग होने की संभावना बढ़ जाती है।
- फैटी लिवर रोग के कारण : फैटी लिवर रोग के अंतर्गत अत्यधिक मात्रा में बनने वाला फैटी लिवर के कारण जलन होने लगती है और फलस्वरूप लिवर डैमेज हो सकता है। लिवर की ये जलन जिसके चलते लिवर डैमेज हो जाता है, स्टीटोहेपेटाइटिस कहलाता है।
- प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर होने के कारण : अगर किसी व्यक्ति का इम्यून सिस्टम या प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर हो तो उसके ऊपर लिवर में इन्फेक्शन होने का खतरा मंडराता रहता है। कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली लिवर से संबंधित समस्याओं से लड़ने में सक्षम नहीं होती।
- लिवर इन्फेक्शन का पारिवारिक इतिहास : अगर पूर्व में परिवार के सदस्य को लिवर में इन्फेक्शन की शिकायत रही है तो उसी परिवार की आने वाली पीढ़ी को कमजोर लिवर या लिवर इंफेक्शन की समस्या होने की आसार अधिक होते हैं।
इन सभी कारणों के अलावा लिवर इन्फेक्शन के और भी कई कारण हैं। कुछ दवाइयों के कारण भी इन्फेक्शन की समस्या हो सकती है। इसलिए बिना डॉक्टर का परामर्श लिए दवाइयों का सेवन नहीं करना चाहिए अन्यथा यह आपके शरीर और लिवर दोनों के लिए हानिकारक हो सकता है।
क्या लिवर इन्फेक्शन खतरनाक है?
लिवर इंफेक्शन कितना खतरनाक हो सकता है यह समस्या की गंभीरता पर निर्भर करता है। इन्फेक्शन के कारण लिवर अपने प्रमुख कार्यों को करने में असमर्थ रहता है। लिवर कमजोर होने के चलते शरीर में अनेक गंभीर समस्याएं पैदा हो सकती हैं। लंबे अंतराल तक इन समस्याओं की अनदेखी लिवर फेलियर का खतरा भी बढ़ा देती है। लिवर फेलियर के अलावा ब्लड शुगर और रक्त संबंधित समस्याएं भी हो सकती हैं।
लिवर इन्फेक्शन या यकृत संक्रमण का निदान
सर्वप्रथम यकृत संक्रमण के निदान के लिए, डॉक्टर मरीज़ से उसके पुराने चिकित्सा इतिहास यानी पुरानी बीमारी या पुरानी स्वास्थ्य संबंधी समस्या के बारे में पूछ सकता है, फिर इसके बाद बढ़े हुए यकृत या पीलिया की जाँच के लिए शारीरिक परीक्षण कर सकता है। इसके बाद निदान की पुष्टि करने के लिए कुछ प्रयोगशाला परीक्षण भी किए जा सकते हैं। लिवर इन्फेक्शन के निदान के लिए कुछ परीक्षण इस प्रकार हैं:
1. लिवर फंक्शन टेस्ट(एलएफटी): यह परीक्षण खून में प्रोटीन, यकृत एंजाइम और बिलीरुबिन के स्तर को मापने के लिए किया जाता है। यदि इनका स्तर इनके सामान्य स्तर से अलग हुआ तो यह यकृत के संक्रमण का संकेत है।
2. वायरल हेपेटाइटिस के लिए ब्लड टेस्ट: यह परीक्षण विशिष्ट वायरस हेपेटाइटिस(ए, बी, सी, डी, ई ) या एंटीबॉडी की जाँच करने के लिए किया जाता है।
कुछ केसेस में यकृत की संरचना की जाँच करने के लिए, यकृत क्षति या ट्यूमर के संकेतों की जाँच करने के लिए अल्ट्रासाउंड, सीटी स्कैन, एमआरआई स्कैन जैसे इमेजिंग परीक्षण किए जा सकते हैं। कुछ केसेस में यकृत बायोप्सी भी की जा सकती है, जहाँ सूक्ष्म परीक्षण के लिए यकृत से एक ऊतक का नमन लिया जाता है।
यकृत संक्रमण परीक्षण(लिवर इन्फेक्शन टेस्ट)
लिवर इन्फेक्शन के सटीक निदान और लिवर इन्फेक्शन के उपाय या उपचार के लिए, लिवर इन्फेक्शन के लिए परीक्षण आवश्यक है। ब्लड टेस्ट और लिवर फंक्शन टेस्ट के अलावा रोगी के लक्षणों और मेडिकल हिस्ट्री के आधार पर कुछ अन्य परीक्षण भी किए जा सकते हैं, जिनमें शामिल हैं:
1. सीरोलॉजिकल टेस्ट: यह टेस्ट ब्लड में विशिष्ट एंटीबॉडी या एंटीजन की उपस्थिति की जाँच करने के लिए किया जाता है, जो चल रहे या पिछले संक्रमण का संकेत हो सकते हैं।
2. पोलीमरेज़ चेन रिएक्शन(PCR) टेस्ट: यह टेस्ट ब्लड में वायरस की आनुवंशिक सामग्री का पता लगाने के लिए किया जा सकता है, आनुवंशिक सामग्री का पता लगने से, वायरल हेपेटाइटिस का जल्दी पता लगाने और इलाज करने में मदद मिल सकती है।
3. इमेजिंग टेस्ट्स: अल्ट्रासाउंड, सीटी स्कैन और एमआरआई स्कैन द्वारा लिवर की डिटेल्ड इमेजेस प्राप्त करके, संक्रमण की वृद्धि, ट्यूमर या फोड़े जैसे शारीरिक बदलाव का पता लगाया जा सकता है।
4. लिवर बायोप्सी: कुछ केसेस में यकृत ऊतक का एक छोटा सा नमूना निकालकर, लिवर डैमेज और सूजन की डिग्री निर्धारित करने के लिए, माइक्रोस्कोप के द्वारा इसकी जाँच की जाती है।
लिवर या यकृत संक्रमण की रोकथाम(लिवर इन्फेक्शन के उपाय)
टीकाकरण, अच्छी स्वस्छता, और कुछ सुरक्षित अभ्यास के माध्यम से, लिवर इन्फेक्शन की रोकथाम संभव है।
1. वैक्सिनेशन: लिवर इन्फेक्शन के उपाय के लिए, हेपेटाइटिस ए, बी के टीके लगवाना आवश्यक है, यह टीके बहुत ही प्रभावी होते हैं। वर्तमान में हेपेटाइटिस सी, डी और ई के टीके उपलब्ध नहीं हैं।
2. स्वच्छ पेयजल और भोजन: स्वच्छ पानी पीने से और स्वस्छ भोजन ग्रहण करने से, हेपेटाइटिस ए और ई का ख़तरा टल सकता है।
3. सुरक्षित रहने के लिए प्रयास: रेज़र, टूथब्रश शेयर नहीं करने से, सुरक्षित यौन संबंध बनाने से, टैटू, पियर्सिंग और मेडिकल प्रोसीजर्स के लिए स्टर्लाइज्ड नीडल्स के उपयोग से वायरल हेपेटाइटिस के विकास को रोकना संभव है।
4. शराब का सीमित सेवन: शराब का सेवन सीमित करने से अल्कोहलिक हेपेटाइटिस और अन्य यकृत रोगों से बचा जा सकता है।
5. रेग्यूलर हेल्थ चेक-अप्स: नियमित जाँच से, यकृत संक्रमण की प्रारंभिक पहचान और उपचार में मदद मिल सकती है।
लिवर इन्फेक्शन के लिए उपचार विकल्प(लिवर इन्फेक्शन के उपाय / लिवर में इन्फेक्शन कैसे ठीक होगा? / लिवर इन्फेक्शन कितने दिन में ठीक होता है?)
यदि इस विषय पर चर्चा करें कि लिवर इन्फेक्शन के उपाय क्या हैं या लिवर में इन्फेक्शन कैसे ठीक होगा, तो लिवर इन्फेक्शन कितने दिन में ठीक होता है यह पूर्णतः लिवर इन्फेक्शन के प्रकार पर निर्भर करता है। आमतौर पर वायरल हेपेटाइटिस के कुछ रूप जैसे हेपेटाइटिस ए और ई के लिए किसी विशिष्ट उपचार की आवश्यकता नहीं होती है, लेकिन हेपेटाइटिस बी और सी जैसे पुराने संक्रमणों के लिए एंटीवायरल दवाइयों की आवश्यकता पड़ सकती है। इन दवाइयों का उपयोग रोग की प्रगति को धीरे करने के लिए, यकृत की क्षति को कम करने के लिए और जटिलताओं को रोकने के लिए किया जा सकता है। यह ध्यान रखना आवश्यक है कि यह दवाइयाँ पूर्ण रूप से लिवर इन्फेक्शन के उपाय या लिवर इन्फेक्शन का उपचार नहीं है, इन दवाइयों के उपयोग से संक्रमण को नियंत्रित किया जा सकता है लेकिन पूरी तरह से ठीक नहीं किया जा सकता है।
गंभीर मामलों में लिवर इन्फेक्शन के उपाय के लिए या लिवर की क्षति के मामलों में यकृत प्रत्यारोपण ही केवल एकमात्र विकल्प है। ऐसी स्थिति में, क्षतिग्रस्त यकृत को स्वस्थ यकृत के साथ बदला जाता है।
वर्तमान में भारत में, लिवर इन्फेक्शन के उपाय के लिए एंटीवायरल थेरेपी का उपयोग किया जा रहा है, और इसके उपयोग से उपचार के परिणाम में बहुत हद तक सुधार होते हुए भी देखा जा सकता है। हालाँकि, देश अभी भी प्रत्यारोपण के लिए उच्च उपचार लागत और सीमित अंग उपलब्धता जैसे दिक्कतों का सामना कर रहा है।
लिवर ठीक करने के उपाय
भले ही लिवर इन्फेक्शन बहुत गंभीर और जटिल समस्या हो लेकिन एक अच्छी बात यह है कि इसका घरेलू इलाज है। अर्थात लिवर ठीक करने के उपाय आज के युग में उपलब्ध हैं। ये घरेलू उपचार आपके रसोई में ही हैं बीएस आपको थोड़ा सा समय निकाल कर नुस्खों का अमल करना है। इन उपायों से लिवर मजबूत हो सकता है।
आइए जानें लिवर ठीक करने के उपाय के अंतर्गत कुछ घरेलू उपाय जो कि निम्नलिखित हैं :
- हल्दी में है सारे गुण : हल्दी का सेवन लिवर की सूजन को तुरंत ठीक कर देता है। हल्दी में करक्यूमिन एक बायोएक्टिव कंपाउंड है जो सूजन की समस्या को जड़ से समाप्त कर देता है। इसलिए हल्दी को लिवर मजबूती का सबसे अच्छा आहार माना जाता है।
- नींबू में है जादू : कौन कहता है कि केवल हल्दी ही सूजन का इलाज कर सकती है। नींबू से भी लिवर की सूजन ठीक हो सकती है। दरअसल नींबू में मौजूद विटामिन सी लिवर की सूजन को जड़ से समाप्त करने की शक्ति रखता है।
- ग्रीन टी है अच्छी : एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर ग्रीन टी उन समस्याओं से लड़ती है जो एंटीऑक्सीडेंट की कमी से जन्म लेते हैं। लिवर कमजोर होने पर एंटीऑक्सीडेंट की कमी हो जाती है और फलस्वरूप लाल चकत्ते, खुजली और त्वचा संबंधी रोग भी हो जाता है।
- आंवला है मजेदार : विषाक्त पदार्थ या हानिकारक पदार्थों को समाप्त करने में आंवला मदद करता है जिस कारण पेशाब की मात्रा बढ़ जाती है। इसलिए लिवर में आंवला बहुत फायदेमंद है।
लिवर इन्फेक्शन का सबसे अच्छा इलाज क्या है?
लिवर इन्फेक्शन का सबसे अच्छा इलाज जीवनशैली में परिवर्तन है। अपने शरीर में अनावश्यक फैट न जमा होने दे। कोलेस्ट्रॉल, शुगर को भी नियंत्रित करने से लिवर ठीक रहता है। लीवर ठीक करने के लिए मदिरा अर्थात शराब का सेवन न करें और धूम्रपान का आजीवन निषेध करना चाहिए। डॉक्टर से उचित परामर्श पश्चात स्वस्थ आहार वाली चार्ट का अनुपालन करना चाहिए। चीनी और तेल-मसाले से युक्त भोजन से परहेज करना चाहिए। हरी और पत्तेदार सब्जी खाना चाहिए।
लिवर कितने दिन में ठीक हो जाता है?
अगर लिवर की क्षति या डैमेज बहुत अधिक नहीं है तथा सुधार की संभावना है तो कुछ ही सप्ताह के भीतर ये ठीक हो सकता है। लेकिन गंभीर स्थिति में लिवर को ठीक होने के लिए कई महीने भी लग सकते हैं। डॉक्टर द्वारा सुझाई गई सुनियोजित मेडिकल योजना के अंतर्गत इसे शीघ्र ठीक किया जा सकता है। इस मेडिकल योजना में उपचार प्रक्रिया, आहार तथा अन्य आवश्यक और कठोर कदम सम्मिलित हैं।
क्या यकृत संक्रमण जीवन के लिए ख़तरा है?
यदि लिवर इन्फेक्शन का समय पर उचित ढ़ंग से उपचार नहीं किया जाए, तो वास्तव में यह जीवन के लिए ख़तरा बन सकता है। क्रोनिक यकृत संक्रमण से सिरोसिस(यकृत के निशान), लिवर डैमेज और लिवर कैंसर हो सकता है और इन सभी का घातक परिणाम हो सकता है। गंभीर यकृत रोगों और दुनिया भर में लिवर कैंसर के कारणों में मुख्य रूप से हेपेटाइटिस बी और सी शामिल हैं।
यकृत संक्रमण के लिए जीवित रहने की दर(सर्वाइवल रेट) और उपचार की अवधि
यकृत संक्रमण के लिए जीवित रहने की दर(सर्वाइवल रेट), संक्रमण के प्रकार, यकृत क्षति(लिवर डैमेज) की सीमा, व्यक्ति के संपूर्ण स्वास्थ्य, उपचार की समयबद्धता और उसके परिणाम जैसे कारकों पर निर्भर करती है। जल्दी निदान और उचित उपचार होने से, लिवर इन्फेक्शन वाले लोग एक बेहतर जीवन जी सकते हैं।
इसके अतिरिक्त संक्रमण के प्रकार के आधार पर, उपचार की अवधि भिन्न हो सकती है। तीव्र हेपेटाइटिस ए और ई का उपचार करने के लिए हफ़्तों से महीनों के भीतर तक का समय लग सकता है, लेकिन हेपेटाइटिस बी और सी जैसे पुराने संक्रमणों का उपचार दीर्घकाल या आजीवन भी चल सकता है। एंटीवायरल थेरेपी के उपयोग से हेपेटाइटिस सी के उपचार में कम समय(उच्च इलाज दर के साथ ८-१२ सप्ताह के आसपास) लग सकता है।
निष्कर्ष
यकृत संक्रमण के व्यापक प्रसार और दुष्प्रभावों को कम करने या रोकने के लिए, यकृत संक्रमण को पूर्ण रूप से समझना आवश्यक है। लिवर इन्फेक्शन एक महत्त्वपूर्ण स्वास्थ्य चिंता का विषय बनता जा रहै है, और भारत जैसे देशों में इसके जोखिम को बढ़ाने में, सामजिक-आर्थिक और पर्यावरणीय कारक ज़िम्मेदार हो सकते हैं।
टीकाकरण करने से, अच्छी स्वस्छता रखने से, और कुछ सुरक्षित अभ्यास करने से और नियमित स्वास्थ्य जाँच करवाने से, लिवर इन्फेक्शन के प्रसार को बहुत हद तक रोकना संभव है। जल्दी निदान होने से लिवर इन्फेक्शन का समय पर और उचित ढ़ंग से उपचार हो सकता है, नहीं तो वास्तव में यह जीवन के लिए ख़तरा बन सकता है।
करना है, इसके अतिरिक्त इस योजना के लाभ में, भारत के अनऑर्गेनाइज़्ड सेक्टर्स के आर्थिक रूप से कमज़ोर मजदूरों को भी सूचीबद्ध अस्पतालों में निःशुल्क इलाज करवाने के लिए स्वास्थ्य बीमा प्रदान करना शामिल है।
कई बार ख़ुद की सेविंग्स से इलाज के लिए पैसे जुटाना मुश्किल हो जाता है।
ऐसे केसेस में जहाँ इलाज का खर्च बहुत अधिक हो, इम्पैक्ट गुरु जैसी वेबसाइट पर फंडरेज़िंग के लिए एक बहुत ही शानदार तरीका उपलब्ध है।