महिलाओं में हाइपरटेंशन: समस्या के लक्षण, कारण और बचाव

एक महिला का जीवन बहुत कठिन होता है। इस पापी संसार का कटु सत्य है। वैसे तो पुरुष और महिलाओं दोनों के जीवन के अपने संघर्ष और चुनौतियां हैं जो एक दूसरे से कमतर नहीं है लेकिन समाज में रहने, जीने और आगे बढ़ने के लिए लिंग के आधार पर भेद और समस्याएं अनेक हैं। अपनी आधारभूत आवश्यकताओं, अधिकारों और जिम्मेदारियों के बीच एक महिला सदैव पिसती है। कई बार वह समझौता करती है और कई बार उसकी इच्छा को दबा दिया जाता है। इन सभी प्रकार की समस्याओं के चलते महिलाओं में जन्म लेती है एक शारीरिक और मानसिक समस्या जिसे हाइपरटेंशन या हाई बीपी कहते हैं। महिलाओं में हाइपरटेंशन एक वैश्विक चिंता और चुनौती बन चुकी है। वर्तमान परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए इस समस्या पर केवल चर्चा करने से काम नहीं चलेगा। हमें मिलकर इसका कोई स्थाई समाधान खोजना होगा। इसी दिशा में ये जानकारी युक्त ब्लॉग प्रेषित किया जा रहा है ताकि समाज में एक अच्छा परिवर्तन आये।

आज के इस लेख में महिलाओं में हाइपरटेंशन, महिलाओं की बीपी कितनी होनी चाहिए, महिलाओं में बीपी क्यों बढ़ता है, बीपी बढ़ने से क्या-क्या समस्याएं होती हैं, महिलाओं में हाई ब्लड प्रेशर के लक्षण, महिलाओं में हाई ब्लड प्रेशर के कारण, हाई ब्लड प्रेशर का इलाज, हाई ब्लड प्रेशर को कम कैसे करे और निष्कर्ष पर विस्तार से प्रकाश डालने वाले हैं।

महिलाओं में हाइपरटेंशन

महिलाओं में हाइपरटेंशन

धमनियों में होने वाले रक्त के दबाव की अवस्था को हाइपरटेंशन या हाई ब्लड प्रेशर कहते हैं। इसे हिंदी में उच्च रक्तचाप भी कहते हैं। महिलाओं में होने वाले हाई बीपी की समस्या के अनेक कारण हैं। ये बीमारी इतनी खतरनाक है कि मरीज को पता भी नहीं लगता और वह इसकी चपेट में अपना जीवन स्वाहा कर लेता है। इसलिए इसे साइलेंट किलर कहते हैं अर्थात एक ऐसी बीमारी जो चुपके से आती और खामोशी से व्यक्ति को बीमार, बहुत बीमार कर देती है। हाइपरटेंशन की समस्या से केवल पुरुष ही नहीं जूझ रहे अपितु महिलाएं भी इसकी चपेट में आ चुकी हैं।

महिलाओं की बीपी कितनी होनी चाहिए?

महिलाओं की बीपी कितनी होनी चाहिए यह उनके उम्र पर निर्भर करती है। अठारह से उनतालीस आयु वर्ग की महिलाओं में 110/68 mm HG, चालीस से छप्पन आयु वर्ग में 124/74 और साठ वर्ष के ऊपर की महिलाओं में 139/68 होना चाहिए। ब्लड प्रेशर की रीडिंग पद्धति भी विशेष प्रकार की होती है। आइए इसे समझने का प्रयास करते हैं।

बीपी की रीडिंग कैसे चेक करे?

ब्लड प्रेशर की रीडिंग में दो प्रकार की संख्या प्रदर्शित होती है जिसका अर्थ निम्न बिंदुओं में किया गया है  :

  • सिस्टोलिक प्रेशर : महिलाओं की सामान्य बीपी की रीडिंग 110/68 mm HG में 110 को सिस्टोलिक प्रेशर कहते हैं।
  • डायस्टोलिक प्रेशर : 110/68 की इस सामान्य रीडिंग में 68 को डायस्टोलिक प्रेशर कहते हैं।

सिस्टोलिक और डायस्टोलिक प्रेशर के संयुक्त माप (कंबाइन रीडिंग) को ही बीपी की रीडिंग कहते हैं। महिलाओं की उम्र के अनुसार सामान्य रीडिंग भी भिन्न-भिन्न हैं।

महिलाओं में बीपी क्यों बढ़ता है?

स्त्री शरीर के समग्र विकास और क्रियान्वन के लिए जिन पोषक तत्वों की आवयश्कता होती है अगर उनकी कमी हो जाए तो महिलाओं में बीपी बढ़ जाता है। इसके अतिरिक्त अत्याधुनिक जीवन, रहन-सहन, खान पान, प्रतिस्पर्धा तथा अन्य कारणों से भी ब्लड प्रेशर प्रभावित होता है। लेकिन सभी महिलाओं में बीपी बढ़ने के कारण एक समान नहीं होते। इसलिए महिलाओं में बीपी बढ़ने के कारणों की सटीक जानकारी हेतु डॉक्टर से परामर्श अनिवार्य है।

बीपी बढ़ने से क्या-क्या समस्याएं होती हैं?

बीपी बढ़ने से (उच्च रक्तचाप के अनियंत्रित होने से) हृदय रोग जैसे हार्ट अटैक, स्ट्रोक आदि की समस्या हो सकती है। इसके अतिरिक्त किडनी फेलियर और ब्रेन हेमरेज की भी समस्या पैदा हो सकती है। गंभीर बीमारियों के अलावा कुछ सामान्य और प्रचलित रोग जैसे सिरदर्द, अनिद्रा, चोट लगने पर खून बहना, बाल, नाखून और त्वचा संबंधी बीमारियां भी हो सकती है। बीपी बढ़ने से महिलाओं को कमजोरी और थकान दोनों हो सकती है जिसके चलते चक्कर और बेहोशी भी होने लगती है। हालांकि चक्कर की प्रवृत्ति (हल्के या गंभीर चक्कर) सभी तरह के हो सकते हैं।

महिलाओं में हाई ब्लड प्रेशर के लक्षण

सीने में असहनीय पीड़ा, सांस लेने में समस्या और सिरदर्द महिलाओं में हाई ब्लड प्रेशर के लक्षण में से कुछ प्रमुख लक्षण हैं। हालांकि पुरुष और महिलाओं में बीपी के संकेत एक समान होते हैं लेकिन कुछ अंतर भी देखने को मिलते हैं। इन लक्षणों की जांच आसानी से की जा सकती है।

आइए जानें महिलाओं में हाई ब्लड प्रेशर के लक्षण जो कि निम्नलिखित हैं :

  • हृदय गति प्रभावित होना : महिलाओं को हाइपरटेंशन होने के पश्चात प्रमुख रूप से हृदय गति की अनियमितता दिखने लगती है। सामान्य रूप से हृदय धड़कने का जो नियम है, हाई बीपी से पीड़ित महिला की हृदय गति उसके अनुरूप नहीं चलती। यानी बीपी हाई होने से महिलाओं की हृदय गति अचानक से बढ़ जाती है।
  • सांस लेने में परेशानी : धमनियों पर दबाव और हृदय पर अतिरिक्त बोझ के चलते सांस लेने में परेशानी का सामना करना पड़ता है। महिलाओं में हाई ब्लड प्रेशर के कारण सांस लेने की समस्या को सांस फूलना भी कहते हैं। इसमें श्वास की गति प्रभावित हो जाती है। बिना कोई परिश्रम किए सांस फूलने लगती है।
  • सीने में असहनीय पीड़ा : हाइपरटेंशन होने के कारण हृदय की गति तो प्रभावित होती ही है साथ ही यह सीने में एक असहनीय पीड़ा को भी जन्म देता है। सीने में दर्द होना महिलाओं में हाई बीपी या हाइपरटेंशन का संकेत है।
  • अनावश्यक थकान और कमजोरी : हाई बीपी के चलते महिलाओं में आयरन, मैग्नीशियम, कैल्शियम, पोटेशियम आदि पोषक तत्वों की कमी हो जाती है जो रक्त के माध्यम से शरीर में पहुंचते हैं। इन आवश्यक पोषक तत्वों की कमी के कारण शरीर में ऊर्जा की निरंतर कमी होने लगती है और फलस्वरूप थकान तथा कमजोरी होने लगती है।
  • हल्के या गंभीर चक्कर आना : जिन महिलाओं को हाइपरटेंशन की समस्या होती है उन्हें अनावश्यक कमजोरी और थकान की अनुभूति होती है। आगे चलकर इस समस्या के चलते चक्कर आने की भी समस्या हो सकती है।
  • बार-बार सिरदर्द होना : महिलाओं को जब हाइपरटेंशन की समस्या होती है तो इसके चलते अनेक समस्याएं पैदा होती हैं जिनमें से एक सिरदर्द भी है। थकान, कमजोरी, चक्कर आना और अनिद्रा के कारण दैनिक गतिविधियां प्रभावित होती हैं। साथ ही शरीर में आवश्यक पोषक तत्वों की कमी भी हो जाती है। परिणामस्वरूप सिरदर्द की शिकायत हो सकती है।
  • बार-बार उल्टी आना : प्रमुख और आम लक्षणों में उल्टी आना भी महिलाओं में हाइपरटेंशन भी संकेत के रूप में चिन्हित किया जाता है। इसके अलावा जी मचलना, घबराना और उल्टी आने का भ्रम भी हो सकता है।
  • दृष्टि संबंधी परेशानी : नेत्र रोग जैसे पास का या दूर का दिखाई नहीं देना भी हाइपरटेंशन का संकेत है। महिला में हाई बीपी के कारण नेत्र रोग हो सकते हैं। अगर किसी महिला को चश्मा लगा है किन्तु उसका बीपी भी हाई है तो उसके चश्मे का नंबर बढ़ भी सकता है।

महिलाओं में हाई ब्लड प्रेशर के कारण

महिलाओं में धमनियों के दबाव वाले रोग अर्थात हाइपरटेंशन होने के कारण एक नहीं अनेक हैं। हालांकि चिकित्सक (डॉक्टर) से परामर्श के पश्चात ही कारणों की सटीक जानकारी प्राप्त हो सकती है लेकिन सामान्य रूप से उपलब्ध कारण मेडिकल साइंस ने खोज निकाला है।

आइए जानें महिलाओं में हाई ब्लड प्रेशर के कारण जो कि निम्नलिखित हैं :

  • मासिक धर्म के कारण : माहवारी समस्या के चलते महिलाओं के शरीर से विकार और अन्य पदार्थ के साथ-साथ रक्त की भी बर्बादी होती है इसलिए मासिक धर्म को महिलाओं में होने वाले हाई ब्लड प्रेशर का प्रमुख कारण माना जाता है। वैसे तो पुरुष और महिलाओं में ब्लड प्रेशर हाई होने के कारण एक जैसे ही हैं लेकिन शारीरिक बनावट, विकास और क्रियान्वयन के कारण कारणों में कुछ अंतर भी देखने को मिलते हैं।
  • गर्भावस्था के कारण : महिलाओं के जीवन का सबसे बड़ा सुख माँ बनना है लेकिन गर्भ धारण करने के पश्चात एक माँ को अनेक समस्याओं का भी सामना करना पड़ता है। गर्भावशा के चलते एक महिला को थायराइड और हाई ब्लड प्रेशर की शिकायत हमेशा हमेशा के लिए हो सकती है।
  • गर्भनिरोधक गोली का सेवन : कॉन्ट्रासेप्टिव पिल अर्थात गर्भनिरोधक गोलियों का सेवन करने के कारण शरीर पर हानिकारक प्रभाव या दुष्प्रभाव भी होते हैं जिनमें से एक है गोली के सेवन पश्चात उच्च रक्तचाप की समस्या। इसलिए गर्भनिरोधक गोली का सेवन बहुत अधिक न करने की सलाह दी जाती है ताकि इसके साइड इफेक्ट के कारण महिलाओं को हाई बीपी की समस्या का सामना न करना पड़े।
  • तनाव : आज के आपा-धापी से भरे जीवन में तनाव सभी दुखों का मूल कारण है। चिंता ही तनाव की जननी है। तनाव यानी स्ट्रेस चिंता से ही जन्म लेता है। आदमी को अनेक प्रकार की चिंता है जो आगे चलकर बहुत सारी बीमारियों को शरीर में जन्म देती है। पारिवारिक, सामाजिक, शैक्षणिक, रोजगार या व्यवसाय, शारीरिक बनावट तथा अन्य कारणों के चलते आदमी बहुत चिंता पाल लेता है और फिर तरह-तरह के रोगों का इलाज खोजता रहता है।
  • धूम्रपान और मदिरापान : सिगरेट में मौजूद निकोटीन केवल फेफड़ों के रोग का घातक कारक नहीं होता अपितु वह रक्त संबंधी और हृदय संबंधी रोगों को भी जन्म देता है। धूम्रपान से हाई ब्लड प्रेशर का खतरा बना रहता है। साथ ही मदिरा अर्थात शराब का सेवन भी महिलाओं के लिए इतना घातक होता है कि हाई ब्लड प्रेशर होने की संभावना बढ़ जाती है।
  • बीपी का पारिवारिक इतिहास : अगर अतीत में परिवार के किसी भी सदस्य को बीपी की समस्या या शिकायत रही है तो उसी परिवार की आने वाली महिलाओं की पीढ़ी को भी हाइपरटेंशन की बीमारी हो सकती है। अमूमन महिला सदस्य से ही आने वाली पीढ़ी को कोई रोग स्थानन्तरित या ट्रांसफर होता है।

हाई ब्लड प्रेशर का इलाज

अगर हाइपरटेंशन या हाई बीपी प्रारम्भिक स्तर पर है तो घरेलू उपायों से इसका अचूक इलाज आसानी से उपलब्ध है। लेकिन अगर बीपी की समस्या गंभीर और जटिल हो चुकी है तो ऐसी परिस्थिति में डॉक्टर से सलाह या परामर्श लेना अति आवश्यक हो जाता है। हाइपरटेंशन के लक्षण दिखने पर डॉक्टर से अवश्य परामर्श लें ताकि उच्च रक्तचाप के इलाज की राह आसान हो सके और मरीज के जीवन को एक नई दिशा प्रदान की जा सके। 

हाई ब्लड प्रेशर को कम कैसे करे?

क्या आप जानते हो कि आपकी रसोई में ही हाई ब्लड प्रेशर के रामबाण इलाज उपलब्ध हैं? महिलाओं में होने वाले हाइपरटेंशन का इलाज घरेलू उपायों से किया जा सकता है। किचन में मिलने वाली सामग्रियां आपके रक्तचाप को कम करने में मदद कर सकती हैं।

आइए निम्न बिंदुओं के माध्यम से जाने कि घरेलू उपायों की सहायता से है हाई ब्लड प्रेशर को कम कैसे करे :

  • नमक से परहेज : खाने में नमक न हो तो स्वाद और स्वास्थ्य दोनों का लोप हो सकता है लेकिन नमक का सीमित मात्रा में सेवन करने की सलाह दी जाती है ताकि आगे चलकर कोई समस्या न खड़ी हो। वे महिलाएं जिन्हें हाइपरटेंशन की समस्या है, उन्हें नमक का संतुलित मात्रा में सेवन करना चाहिए।
  • हरी सब्जी है सबसे अच्छी : पोटेशियम, आयरन, मैग्नीशियम आदि आवश्यक तत्वों से भरपूर हरी सब्जियां आपके स्वास्थ्य के समग्र विकास और रोगों से बचाव के लिए बहुत जरूरी है। हरी सब्जी जैसे लौकी, पालक, करेला, तरोई, मेथी, आदि का सेवन हाई बीपी के मरीज को करना चाहिए।
  • पानी से भरे फल : नारियल पानी, तरबूज, अनार आदि में ऐसे पोषक तत्व होते हैं जो रक्त संबंधी विकारों को जड़ से समाप्त करने में तुरंत सहायक होते हैं। इन फलों के सेवन से पोटेशियम जैसे तत्व मिलते हैं जो हाई ब्लड प्रेशर को जड़ से मिटाते हैं, एंटीऑक्सीडेंट की कमी की भरपाई करते हैं, शरीर में पानी की कमी को पूरा करते हैं और ये फल आपको तरो ताजा भी रखते हैं।
  • तनाव से लें परमानेंट छुट्टी : तनाव को कहें टाटा बाय-बाय और खुशियों को कहें हेलो, नमस्कार, सुस्वागतम। चिंता और तनाव ही दुःख का असली कारण है। इसलिए जितना हो सके तनाव से दूर रहे। अत्यधिक और अनावश्यक बातों पर सोच कर न तो अपना समय नष्ट करे और न ही अपना स्वास्थ्य बिगाड़ लेवे।
  • शराब, सिगरेट है बुरी : सिगरेट पीने से कर्क रोग होता है और शराब पीने से लीवर खराब होता है लेकिन इन दोनों के सेवन से बीपी भी हाई होता है। इसलिए सब कुछ खाना-पीना चाहिए लेकिन धूम्रपान और मदिरापान नहीं करना चाहिए।
  • कसरत, व्यायाम और योग : अगर शारीरिक गतिविधि होती रहे, शरीर ऐसे कार्यों में व्यस्त रहे जो चुस्ती और फुर्ती प्रदान करे तो यह शरीर के समग्र विकास के लिए तो अच्छा होता ही है लेकिन ये महिलाओं में हाई ब्लड प्रेशर की समस्या का भी निवारण करता है।

निष्कर्ष

आधुनिक दौर में प्रतिस्पर्धा, भाग-दौड़ और आप-धापी से भरे जीवन में एक महिला का जीवन केवल चुनौतियों और कष्टों से नहीं अपितु चिंता और तनाव से भी भरा हुआ है। ये तनाव आगे चलकर महिलाओं में हाइपरटेंशन का कारण बनता है। हाइपरटेंशन में महिलाओं को सीने में दर्द, सांस लेने में समस्या और सिरदर्द की शिकायत रहती है। इसके अलावा उल्टी, थकान, कमजोरी आदि के भी संकेत दिखाई दे सकते हैं। मासिक धर्म, गर्भावस्था, गर्भनिरोधक गोली, धूम्रपान और मदिरापान आदि महिलाओं में होने वाले उच्च रक्तचाप के कारण हैं। उच्च रक्तचाप से बचाव के लिए नमक खाने से बचें और पोटेशियम युक्त आहार भरपूर मात्रा में सेवन करें।

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