Table of Contents
- एड्स क्या है
- एड्स के प्रकार
- एड्स के लक्षण(एड्स बीमारी के लक्षण / एचआईवी के लक्षण)
- वयस्कों में एड्स के लक्षण या एड्स बीमारी के लक्षण
- एड्स के कारण(एच आई वी होने के कारण / एड्स के कारण क्या हैं)
- एड्स का निदान
- एड्स की रोकथाम
- क्या एड्स के लिए कोई उपचार है?(एड्स का इलाज है या नहीं / एचआईवी का इलाज है या नहीं / एड्स के इलाज के बारे में जानकारी / एचआईवी पूरी तरह से ठीक हो सकता है)
- एचआईवी/एड्स के उपचार(एड्स का इलाज / एचआईवी का इलाज / शरीर से एचआईवी वायरस को निकालने का तरीका)
- क्या एड्स जीवन के लिए ख़तरा है?
- एड्स के लिए सर्वाइवल रेट
- निष्कर्ष
एड्स क्या है

यदि इस विषय पर चर्चा करें कि एड्स क्या है, तो एड्स(एक्वायर्ड इम्यूनोडेफिशिएंसी सिंड्रोम), एचआईवी(ह्यूमन इम्यूनोडेफिशिएंसी वायरस) का उन्नत चरण है या यह कह सकते हैं कि एड्स, एचआईवी का ही एक विस्तृत रूप है।
एड्स तब होता है, जब व्यक्ति का इम्यून सिस्टम कमजोर हो जाता है। इम्यून सिस्टम हमारे शरीर को बैक्टीरिया, वायरस और अन्य सभी प्रकार के रोगाणुओं से बचाने का काम करता है या यह कहा जा सकता है कि शरीर को इन्फेक्शंस या अन्य बीमारियों से लड़ने में सहायता प्रदान करता है।
एचआईवी, जो आगे जाकर एड्स का कारण बनता है, प्रतिरक्षा प्रणाली की सीडी4 कोशिकाओं(CD4 सेल्स) पर हमला कर इसे कमज़ोर बनाता है। सीडी4 सेल्स को टी कोशिकाओं के रूप में भी जाना जाता है। यह टी कोशिकाएँ प्रतिरक्षा प्रणाली को व्यवस्थित करने का काम करती हैं। जब एचआईवी इन कोशिकाओं में घुसपैठ करता है या घुसता है तब इन कोशिकाओं का लाखों वायरस का निर्माण करने के लिए उपयोग करता है। परिणामस्वरूप टी सेल्स नष्ट हो जाते हैं और शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली कमज़ोर हो जाती है। इसके बाद शरीर की संक्रमण और बीमारियों से लड़ने की क्षमता कम हो जाती है। जब सीडी4 काउंट एक निश्चित सीमा से नीचे(संख्या 200 से कम) गिर जाती है, तब उस स्तर पर एचआईवी संक्रमण प्रगति करता है, और इस स्थिति को एड्स कहा जाता है।
एचआईवी कुछ शारीरिक तरल पदार्थों, जैसे खून या पीरियड ब्लड, वीर्य(सीमेन), योनि तरल पदार्थ और स्तन के दूध के संपर्क में आने से एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैलता है। इसके अतिरिक्त इसका संचरण कैसे होता है यदि इस विषय पर चर्चा करें, तो असुरक्षित यौन संपर्क बनाने से, इंजेक्शन या सुइयों को साझा करने से, गर्भावस्था, प्रसव या स्तनपान के दौरान माँ से बच्चे में सकता है।
उचित उपचार(एंटीरेट्रोवाइरल थेरेपी) के बिना, एचआईवी संक्रमण लगभग एक दशक में एड्स में रूपांतरित हो सकता है। हालाँकि, उचित उपचार और देखभाल के साथ एचआईवी रोगी एक स्वस्थ और लंबा जीवन जी सकते हैं, और एड्स के विकास को रोका जा सकता है।
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एड्स के प्रकार
जैसा कि हम जानते हैं कि एड्स का कारण एचआईवी वायरस होता है। एचआईवी को दो प्रकारों में वर्गीकृत किया गया है: एचआईवी-1 और एचआईवी-2
1. एचआईवी 1: एचआईवी 1 अधिक आम है और दुनिया भर में अधिकांश एचआईवी संक्रमणों के लिए ज़िम्मेदार माना जा सकता है। एचआईवी के बहुत से उपप्रकार हैं, जिनमें से सबकी आनुवंशिक संरचना में थोड़ा अंतर होता है। इसके कुछ उपप्रकार, विशिष्ट भौगोलिक क्षेत्रों में प्रचलित हैं। उदाहरण के लिए, भारत में एचआईवी-1 का उपप्रकार C पाया जाना अधिक आम है।
2. एचआईवी 2: एचआईवी-2, एचआईवी-1 की तुलना में कम आम है। एचआईवी-2 मुख्य रूप से पश्चिम अफ्रीका के कुछ क्षेत्रों में पाया जाता है। हालाँकि, भारत सहित अन्य जगहों पर इसके केसेस एचआईवी-1 की तुलना में कम पाए गए हैं। हालाँकि ऐसा नहीं है कि एचआईवी-2, एड्स का कारण नहीं है, लेकिन यह एचआईवी-1 की तुलना में धीरे प्रगति करता है और कम गंभीर है।
एड्स के लक्षण(एड्स बीमारी के लक्षण / एचआईवी के लक्षण)
एड्स के लक्षण या एचआईवी के लक्षण, रोग के चरण और स्वास्थ्य स्थिति के आधार पर बहुत भिन्न हो सकते हैं। एचआईवी संक्रमण के प्रारंभिक चरणों में, फ्लू जैसे लक्षणों का अनुभव किया जा सकता है, और यह शरीर में वायरस के प्रवेश करने के कारण हो सकता है। एचआईवी के लक्षण या एड्स के लक्षण में बुखार, सिरदर्द, थकान, लिम्फ नोड्स में सूजन और गले में खराश सम्मिलित हैं, और अक्सर यह एचआईवी के लक्षण नहीं मानकर, सामान्य फ्लू और मोनोन्यूक्लिओसिस के लक्षण मानकर नज़रअंदाज़ कर दिए जाते हैं। एड्स के लक्षण या एचआईवी के लक्षण में दाने और मुँह के छाले भी शामिल हैं।
जब एचआईवी वायरस प्रतिरक्षा कोशिकाओं की अनगिनत प्रतियाँ बनाता और कोशिकाओं को नष्ट करता है, यह प्रारंभिक लक्षण गायब हो जाते हैं, और व्यक्ति कई वर्षों तक खुद को पूर्ण रूप से स्वस्थ महसूस करता है, जबकि वायरस अभी भी शरीर के भीतर सक्रीय होते हैं।
हालाँकि एचआईवी जैसे-जैसे प्रगति करता है, इम्यून सिस्टम और भी कमज़ोर होता जाता है और एचआईवी के लक्षण अधिक स्पष्ट होने लगते हैं और यह लक्षण एड्स के शुरुआत के संकेत होते हैं। एड्स के लक्षण या एड्स बीमारी के लक्षण में शामिल हैं:
1. तेज़ी से वजन घटना: अचानक तेज़ी से वजन घटना, एड्स के लक्षण या एड्स बीमारी के लक्षण में शामिल है।
2. लगातार बुखार या रात को पसीना आना: बार-बार बुखार या रात को पसीना आना, एड्स के लक्षण या एड्स बीमारी के लक्षण में से ही एक है।
3. लंबे समय तक लिम्फ नोड्स में सूजन: बगल, कमर या गर्दन में लिम्फ नोड्स में यदि लंबे समय से सूजन है, तो यह एड्स के लक्षण या एड्स बीमारी के लक्षण हो सकते हैं।
4. घाव होना और त्वचा में कुछ चेंजेस होना: मुँह, जननांग या गुदा क्षेत्र में लगातार घाव और लगातार या आवर्ती त्वचा की कुछ समस्याएँ, जैसे त्वचा पर चकते और घाव होना, एड्स के लक्षण या एड्स बीमारी के लक्षण में शामिल हैं।
यह संभव है कि उपरोक्त लक्षण एचआईवी के लक्षण या एड्स के लक्षण नहीं भी हों, लेकिन यदि यह लक्षण अधिक समय तक बने रहते हैं, तो चिकित्सा सलाह लेना आवश्यक है।
वयस्कों में एड्स के लक्षण या एड्स बीमारी के लक्षण
एड्स एक ऐसी बीमारी है जो किसी भी उम्र के व्यक्ति को हो सकता है, लेकिन वयस्कों में प्रचलित कुछ विशिष्ट लक्षण इस प्रकार हैं:
1. क्रोनिकल डायरिया: लगातार दस्त जो एक सप्ताह से अधिक समय तक रहे, तो यह एचआईवी के शुरूआती लक्षण हो सकते हैं। जैसे-जैसे संक्रमण एड्स में रूपांतरित होना शुरू करता है, दस्त और भी अधिक हो सकता है।
2. गंभीर बैक्टीरियल इन्फेक्शन्स: उन्नत एचआईवी या एड्स वाले वयस्कों को बार-बार बैक्टीरियल इन्फेक्शन्स हो सकते हैं। इन इन्फेक्शन्स में, बैक्टीरियल निमोनिया और दूसरे बैक्टीरियल इन्फेक्शन्स, जैसे टीबी शामिल हैं, जिससे शरीर के विभिन्न हिस्से प्रभावित हो सकते हैं।
3. ट्यूबरक्लोसिस (TB): भारत में एड्स के लक्षण में टीबी भी शामिल है। टीबी के लक्षणों में खाँसी, छाती में दर्द, वजन घटना, बुखार और रात को पसीना आना शामिल है।
4. कैंसर: वयस्कों में एड्स के लक्षणों में कैंसर भी शामिल हो सकता है, ख़ासकर कपोसी का सारकोमा, नॉन-हॉजकिन लिम्फोमा, सर्वाइकल कैंसर।
यदि आप उपरोक्त लक्षणों का अनुभव करते हैं, तो इसका अर्थ यह नहीं है कि आपको एचआईवी या एड्स है। एचआईवी की उपस्थिति की पुष्टि के लिए उचित चिकित्सा परीक्षण आवश्यक है।
एड्स के कारण(एच आई वी होने के कारण / एड्स के कारण क्या हैं)
जब एचआईवी संक्रमण प्रगति करता है तो एड्स में रूपांतरित हो जाता है, अर्थात उन्नत एचआईवी संक्रमण को ही एड्स के नाम से जाना जाता है। एचआईवी वायरस कुछ शारीरिक तरल पदार्थों, जैसे खून या पीरियड ब्लड, वीर्य, योनि और मलाशय के तरल पदार्थ और स्तन के दूध के संपर्क में आने से फैलता है। एचआईवी का संचरण एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में किन कारणों से होता है या एड्स के कारण क्या हैं, वह इस प्रकार हैं:
1. असुरक्षित यौन संबंध: एच आई वी होने के कारण या एड्स के कारण में, असुरक्षित यौन संबंध बनाना शामिल है। यदि कोई संक्रमित व्यक्ति के साथ असुरक्षित यौन संबंध बनाता है(योनि, गुदा और मौखिक) तो संक्रमित व्यक्ति से, उसमें एचआईवी का संचरण हो सकता है। संभोग के समय, संक्रमित व्यक्ति के यौन तरल पदार्थों में उपस्थित वायरस जननांग, गुदा या मुँह के श्लेष्म झिल्ली में छोटे कट या घावों के माध्यम से उसके साथी के शरीर में प्रवेश कर सकता है।
2. सुई साझा करना: एच आई वी होने के कारण या एड्स के कारण में सुई साझाकरण भी शामिल है। सुई, सिरिंज या अन्य इंजेक्शन उपकरण साझा करने से एचआईवी होने का ख़तरा बढ़ सकता है।
3. माँ के स्तन के दूध से: एचआईवी से संक्रमित माँ से, गर्भ धारण करने, प्रसव या स्तनपान के दौरान उसके बच्चे में एचआईवी का संचरण हो सकता है।
रक्त आधान और अंग प्रत्यारोपण: अतीत में, एचआईवी के संचरण के कारण में रक्त आधान या अंग प्रत्यारोपण भी शामिल था, लेकिन वर्तमान में यह एक बहुत ही दुर्लभ कारण है।
4. व्यवसायिक जोखिम: स्वास्थ्य कर्मियों को सुइयों और अन्य तेज़ उपकरणों से आकस्मिक चोटों के माध्यम से भी एचआईवी संचरण का ख़तरा बढ़ सकता है।
एड्स का निदान
एड्स के निदान के लिए एचआईवी संक्रमण परीक्षण किया जा सकता है। यह परीक्षण आमतौर पर रक्त या लार या मौखिक तरल पदार्थ का उपयोग करके किया जा सकता है। यदि आप एचआईवी संक्रमण के लक्षणों को महसूस कर रहे हैं, तो एचआईवी परीक्षण आवश्यक है। एचआईवी के शीघ्र निदान और उपचार से एड्स की प्रगति को रोका जा सकता है। एचआईवी निदान के लिए निम्न परीक्षण किए जा सकते हैं:
1. एंटीबॉडी स्क्रीनिंग टेस्ट(इम्यूनोऐसे): यह परीक्षण सबसे आम परीक्षण है। एंटीबॉडी परीक्षण से रक्त या मौखिक तरल पदार्थ में एंटीबॉडी का पता लगाया जाता है, यह एंटीबॉडी शरीर द्वारा एचआईवी वायरस से लड़ने के लिए पैदा किया जाता है।
2. एंटीबॉडी/एंटीजन कॉम्बिनेशन टेस्ट: जब शरीर किसी वायरस के संपर्क में आता है तो इम्यून सिस्टम एंटीबॉडी का निर्माण करना शुरू करता है, और एंटीजन पी24 संक्रमण के तुरंत बाद वायरस द्वारा एक उत्पादित प्रोटीन होता है। एंटीबॉडी/एंटीजन कॉम्बिनेशन टेस्ट द्वारा एचआईवी एंटीबॉडी और एचआईवी एंटीजन पी24 का पता लगाया जाता है।
3. न्यूक्लिक एसिड टेस्ट (NAT): इस परीक्षण से रक्त में वायरस की उपस्थिति का पता लगाया जाता है। यह परीक्षण उन मामलों में किया जाता है, जहाँ एचआईवी के हालिया संपर्क का संदेह होता है, और संक्रमण के उच्च जोखिम का ख़तरा होता है।
एड्स की रोकथाम
एड्स की रोकथाम के लिए एचआईवी के प्रसार को रोकना अति आवश्यक है। एचआईवी के प्रसार को रोकने के लिए कुछ रणनीतियाँ इस प्रकार हैं:
1. सुरक्षित यौन संबंध: सुरक्षित यौन संबंध बनाने से, जैसे सेक्स के समय कंडोम का उपयोग करने से, एचआईवी के यौन संचरण के जोखिम को रोका जा सकता है।
2. नियमित HIV परीक्षण: नियमित रूप से HIV परीक्षण करवाने से, एचआईवी का शुरूआती अवस्था में पता चल सकता है, जिससे शीघ्र उपचार के माध्यम से इसकी प्रगति को रोकना संभव हो सकता है।
3. इंजेक्शन उपकरण साझा करने से बचना: एचआईवी संचरण को रोकने के लिए, इंजेक्शन उपकरण साझा करने से बचना आवश्यक है।
4. पीआरईपी और पीईपी: एचआईवी के संपर्क में आने से पहले संक्रमण से बचने के लिए पीआरईपी दवाई ली जाती है। दूसरी तरफ़, एचआईवी के संभावित जोखिम के तुरंत बाद एचआईवी संक्रमण को रोकने के लिए पीईपी दवाई ली जाती है।
5. गर्भवती महिलाओं के लिए उपचार: गर्भवती महिलाओं को, उनके बच्चे में उनमें से एचआईवी वायरस का संचरण ना हो पाए, उसके लिए उपचार प्राप्त करना आवश्यक है।
क्या एड्स के लिए कोई उपचार है?(एड्स का इलाज है या नहीं / एचआईवी का इलाज है या नहीं / एड्स के इलाज के बारे में जानकारी / एचआईवी पूरी तरह से ठीक हो सकता है)
हालाँकि वर्तमान में शरीर से एचआईवी वायरस को निकालने का तरीका या एचआईवी के लिए कोई इलाज उपलब्ध नहीं है, लेकिन इसे एंटीरेट्रोवायरल थेरेपी के द्वारा प्रभावी ढंग से प्रबंधित किया जा सकता है, एंटीरेट्रोवायरल थेरेपी दवाईयों का एक संयोजन है, और इसका उपयोग शरीर में वायरस के प्रसार को रोकने या धीमा करने के लिए किया जाता है। एआरटी एचआईवी वायरस को नियंत्रित करता है, सीडी-4 कोशिकाओं की रक्षा करने में मदद करता है और प्रतिरक्षा प्रणाली को संक्रमण और बीमारियों से लड़ने के लिए मज़बूत बनाता है।
यदि एआरटी का उपयोग लगातार और सही तरीके से किया जाए, तो एचआईवी वाले लोग लम्बा और स्वस्थ जीवन जी सकते हैं, इसके अतिरिक्त वायरस के प्रसार को भी बहुत हद तक रोकना संभव हो सकता है।
एचआईवी/एड्स के उपचार(एड्स का इलाज / एचआईवी का इलाज / शरीर से एचआईवी वायरस को निकालने का तरीका)
एचआईवी/एड्स के उपचार के लिए एंटीरेट्रोवायरल थेरेपी का उपयोग किया जा सकता है। एंटीरेट्रोवायरल थेरेपी में दवाईयों का एक संयोजन शामिल है, जिससे वायरस के प्रसार को रोकने या धीमा करने में मदद मिल सकती है।
एचआईवी/एड्स के उपचार या एचआईवी का इलाज के लिए, एंटीरेट्रोवायरल दवाइयों के कई वर्ग हैं, जो इस प्रकार हैं:
1. एनआरटीआई और एनएनआरटीआई: न्यूक्लियोसाइड रिवर्स ट्रांसक्रिप्टेस इनहिबिटर (NRTIs), रिवर्स ट्रांसक्रिप्टेस एचआईवी एंजाइम को रोकता है, और इस एंजाइम को ब्लॉक करके एचआईवी को प्रतिकृति बनने से रोका जाता है।
2. पीआई: पीआई एचआईवी प्रोटीज एंजाइम को रोकते हैं। प्रोटीज इनहिबिटर प्रोटीज एंजाइम को ब्लॉक करके अपरिपक्व एचआईवी को परिपक्व वायरस बनने से रोकता है।
3. फ्यूज़न इनहिबिटर: यह वायरस को, प्रतिरक्षा प्रणाली की CD-4 कोशिकाओं में प्रवेश करने से रोकता है।
4. सीसीआर5 एंटागोनिस्ट्स: यह सीसीआर5 को-रिसेप्टर्स को CD-4 सेल्स की सतह पर पर ब्लॉक करता है, और एचआईवी को इन सेल्स में जाने से रोकता है।
5. आईएनएसटीआई: यह एक एचआईवी एंजाइम इंटीग्रेज़ को रोकते हैं, इसका उपयोग एचआईवी वायरस मेजबान सेल के डीएनए में अपनी आनुवंशिक सामग्री को एकीकृत करने के लिए करता है।
इन दवाईयों के संयोजन का उपयोग, अक्सर तीन या अधिक वायरस को प्रभावी ढंग से नियंत्रित करने के लिए, एचआईवी की प्रगति को रोकने के लिए किया जाता है। इस उपचार को हाइली एक्टिव एंटीरेट्रोवायरल थेरेपी(HAART) के रूप में भी जाना जाता है।
क्या एड्स जीवन के लिए ख़तरा है?
यदि एड्स का इलाज संभव नहीं है, तो यह वास्तव में जीवन के लिए ख़तरा है। एड्स पूर्णरूप से रोग प्रतिरक्षा प्रणाली को कमज़ोर करता है, जिससे शरीर संक्रमण और कैंसर का शिकार हो सकता है। यह स्थितियाँ आमतौर पर एड्स वाले व्यक्ति के लिए मौत का कारण बन सकती हैं।
हालाँकि, एड्स के उपचार में प्रगति के कारण और विशेष रूप से एंटीरेट्रोवायरल थेरेपी के उपयोग से, पिछले कुछ दशकों में, एचआईवी/एड्स के लिए रोग के निदान में बहुत ही सुधार हुआ है। उचित उपचार और प्रबंधन से, एचआईवी वाले लोग एक दीर्घ और खुशनुमा जीवन जी सकते हैं।
एड्स के लिए सर्वाइवल रेट
एड्स रोग के शुरुआती वर्षों में, इस बीमारी का निदान बेहतर ढंग से संभव नहीं था। हालाँकि, एंटीरेट्रोवायरल थेरेपी के आगमन और व्यापक उपलब्धता के कारण, सर्वाइवल रेट में काफ़ी सुधार हुआ है।
इंडियन कॉउंसिल ऑफ़ मेडिकल रिसर्च के वर्ष २०१७ के अध्ययन के अनुसार, एड्स के निदान के बाद, भारत में १५-४९ वर्ष की आयु के लोगों के लिए, औसत जीवित रहने की समय की बात करें, तो वह लगभग १२ वर्ष है। हालाँकि, सर्वाइवल रेट, व्यक्ति के संपूर्ण स्वास्थ्य जैसे कारकों के आधार पर भिन्न हो सकते हैं। यदि एचआईवी के लिए सर्वाइवल रेट में सुधार की बात करें, तो संक्रमण के जल्दी निदान और एंटीरेट्रोवायरल थेरेपी के लगातार उपयोग से सर्वाइवल रेट में सुधार संभव है।
एड्स के बारे में जागरूकता बढ़ाने से, एचआईवी के नियमित परीक्षण से और संक्रमण के निदान की पुष्टि होने पर तत्काल उपचार से, एड्स से बचा जाना संभव है।
निष्कर्ष
यदि इस विषय पर चर्चा करें कि एड्स क्या है, तो एड्स ह्यूमन इम्यूनोडेफिशिएंसी वायरस का उन्नत चरण है, और यह भारत सहित विश्व भर में एक स्वास्थ्य चिंता का विषय बन चुका है। जब एड्स होता है, तब व्यक्ति का इम्यून सिस्टम कमज़ोर हो जाता है, जिससे शरीर की संक्रमण और बीमारियों से लड़ने की क्षमता कम हो जाती है, और शरीर में कैंसर के लक्षण भी प्रकट हो सकते हैं, और अंततः यह सभी स्थितियाँ एचआईवी संक्रमण के प्रगति का कारण बनती हैं।
यह कहना अनुचित नहीं होगा कि चुनौतियों का सामना करने के बाद भी एड्स को समझने और इसको प्रबंधित करने में महत्त्वपूर्ण प्रगति हुई है। एंटीरेट्रोवायरल थेरेपी के उपयोग से एड्स के लिए रोग के निदान में काफ़ी सुधार होते हुए देखा जा सकता है। इसके अतिरिक्त एआरटी के लगातार और सही तरीके से उपयोग करने से, एचआईवी वाले लोग लम्बा और स्वस्थ जीवन जी सकते हैं और वायरस के प्रसार को भी रोकना या धीमा करना संभव हो सकता है।
एड्स के बारे में जागरूक रहने से, एचआईवी के नियमित परीक्षण से, रोकथाम की रणनीतियों का पालन करने से और संक्रमण के निदान की पुष्टि होने पर तत्काल उपचार से, एड्स से बचना संभव है।
कई बार ख़ुद की सेविंग्स से इलाज के लिए पैसे जुटाना मुश्किल हो जाता है।
ऐसे केसेस में जहाँ इलाज का खर्च बहुत अधिक हो, इम्पैक्ट गुरु जैसी वेबसाइट पर फंडरेज़िंग के लिए एक बहुत ही शानदार तरीका उपलब्ध है।