हार्ट अटैक के लक्षण, कारण, इलाज और उपचार | Heart Attack In Hindi

मायोकार्डियल इनफार्क्शन या मायोकार्डियल रोधगलन या फिर कहें हार्ट अटैक, एक गंभीर और जानलेवा बीमारी है। सामान्य भाषा में हार्ट अटैक को दिल का दौरा भी कहा जाता है, और यह स्थिति दिल की मांसपेशियों को रक्त की आपूर्ति करनेवाली कोरोनरी धमनियों के पूर्ण रूप से अवरुद्ध होने के कारण जब दिल तक खून नहीं पहुँच पाता है तब उत्पन्न होती है। जब कोरोनरी धमनी में खून जमना या खून का थक्का बनना शुरू हो जाता है, तो हृदय तक रक्त का पहुँचना बंद हो जाता है और परिणामस्वरूप, हृदय तक ऑक्सीजन नहीं पहुँच पाता है, जिससे हार्ट अटैक या दिल का दौरा की समस्या उत्पन्न होती है। हृदय तक खून नहीं पहुँचने के कारण, हृदय की मांसपेशियों की कोशिकाएँ ऑक्सीजन की कमी के कारण मरने लगती हैं, जिससे हृदय के प्रभावित हिस्से की क्षति या गंभीर स्वास्थ्य संबंधी समस्याएँ उत्पन्न होने लग जाती हैं।

भारत में हार्ट अटैक या दिल का दौरा, एक महत्त्वपूर्ण स्वास्थ्य चिंता का विषय बनता जा रहा है, क्योंकि यह मृत्यु के प्रमुख कारणों में से एक है। ग्लोबल बर्डन ऑफ़ डिजीज के २०१६ की स्टडी के अनुसार, दक्षिण एशियाई क्षेत्रों में हार्ट अटैक या दिल का दौरा से होनेवाले मौतों में भारत की हिस्सेदारी दो-तिहाई थी। इन आँकड़ों से यह तो स्पष्ट हो गया है कि लोगों को अब अपने स्वास्थ्य के प्रति जागरूक होना अति आवश्यक है, जिससे वह इस बीमारी से बच सकें। 

हार्ट अटैक के प्रकार 

हार्ट अटैक के तीन प्रकारों को नीचे समझाने का प्रयास किया गया है:

1. एसटी-सेगमेंट एलिवेशन मायोकार्डियल इनफार्क्शन  (STEMI): एसटी-सेगमेंट एलिवेशन मायोकार्डियल इनफार्क्शन एक बहुत ही गंभीर प्रकार का हार्ट अटैक या दिल का दौरा है, जो आमतौर पर हृदय की मांसपेशियों को ऑक्सीजन और पोषक तत्वों से भरपूर रक्त की आपूर्ति करने वाली कोरोनरी धमनी के अवरुद्ध होने का परिणाम होता है। इस तरह के हार्ट अटैक से हृदय की मांसपेशियों के एक बड़े क्षेत्र को व्यापक नुकसान पहुँच सकता है और व्यक्ति की जान भी जा सकती है। 

2. नॉन-एसटी सेगमेंट एलिवेशन मायोकार्डियल इनफार्क्शन (NSTEMI): नॉन-एसटी सेगमेंट एलिवेशन मायोकार्डियल इनफार्क्शन दिल का दौरा या हार्ट अटैक का कारण आमतौर पर एक या अधिक कोरोनरी धमनियों में आंशिक ब्लॉकेज होता है, और इसके परिणामस्वरूप हृदय की मांसपेशियों के एक छोटे हिस्से को नुकसान पहुँचता है। हालाँकि, ऐसा होने पर तत्काल चिकित्सक से संपर्क करना आवश्यक है।  

3. कोरोनरी आर्टरी स्पैस्म: हालाँकि यह दिल का दौरा या हार्ट अटैक के अन्य दो प्रकारों की तरह गंभीर नहीं है, लेकिन भविष्य में दोबारा या फिर से इस हार्ट अटैक के आने की संभावना अधिक होती है। यह दिल का दौरा या हार्ट अटैक तब होता है जब कोरोनरी धमनियाँ अस्थाई रूप से संकुचित हो जाती हैं या इन धमनियों में ऐंठन होती है, जिससे रक्त के प्रवाह में रुकावट उत्पन्न होती है।

हार्ट अटैक के लक्षण

हार्ट अटैक के लक्षण

यदि इस विषय पर चर्चा करें कि हार्ट अटैक के लक्षण क्या है, तो हार्ट अटैक के लक्षण अलग-अलग लोगों के लिए भिन्न हो सकते हैं। कुछ केसेस में हार्ट अटैक के लक्षण अधिक ध्यान देने योग्य नहीं होते हैं या बहुत हल्के लक्षण हो सकते हैं, तो कुछ केसेस में बहुत गंभीर लक्षण भी हो सकते हैं, लेकिन हार्ट अटैक के लक्षण में कुछ आम लक्षण भी शामिल हैं, जो इस प्रकार हैं:

1. सीने या छाती में दर्द: सीने में केंद्र या बाईं और दर्द, दबाव या निचोड़ने जैसा महसूस होना(छाती पर भारी वजन जैसा महसूस करना), हार्ट अटैक के लक्षण में शामिल है। 

2. शरीर के ऊपरी हिस्सों में दर्द: शरीर के ऊपरी हिस्से जैसे बाँह, पीठ, गर्दन या  जबड़े में दर्द का होना भी हार्ट अटैक के लक्षण में ही शामिल है। 

3. साँस लेने में दिक्कत: लगातार साँस लेने में दिक्कत का अनुभव करना भी हार्ट अटैक के लक्षण में से ही एक लक्षण है। 

4. अन्य लक्षण: इसके अतिरिक्त हार्ट अटैक के लक्षण में मतली आना, चक्कर आना, ठंडा पसीना आना या असामान्य थकान महसूस करना शामिल हो सकता है। फ्लू के समान गंभीर कमज़ोरी महसूस करना भी हार्ट अटैक के लक्षण में ही सम्मिलित है। 

हार्ट अटैक का कारण 

हार्ट अटैक का प्राथमिक कारण कोरोनरी हृदय रोग(सीएचडी) होता है, सीएचडी एक ऐसी स्थिति है जिसमें धमनियों के भीतर वसा जमने के कारण दिल या हृदय तक ऑक्सीजन युक्त रक्त की आपूर्ति करनेवाली रक्त वाहिकाएँ संकीर्ण हो जाती हैं। समय के साथ वसा के जमाव से धमनियाँ कठोर और संकीर्ण हो जाती हैं, जिससे हृदय तक रक्त पहुँचना कम हो जाता है। 

धमनियों के सिकुड़ने या धमनियों में गंभीर ब्लॉकेज होने के कारण एथेरोस्क्लेरोसिस जैसी स्थिति भी उत्पन्न हो सकती है। धमनियों के संकीर्ण होने का कारण, धमनियों की दीवारों पर वसा, कॉलेस्ट्रॉल और अन्य रसायनों का जमना या निर्माण होना होता है, जिसे प्लाक भी कहते हैं। यदि पट्टिका टूट जाती है तो रक्त का थक्का बन सकता है, जो रक्त के प्रवाह को बाधित करता है।

यदि हार्ट अटैक के जोखिम कारकों की बात करें, तो इसमें  बढ़ती उम्र, पुरुष लिंग(पुरुष आमतौर पर अधिक संवेदनशील होते हैं), धूम्रपान का सेवन, उच्च रक्तचाप, उच्च कॉलेस्ट्रॉल, मधुमेह, हार्ट अटैक की फैमिली हिस्ट्री, अस्वस्थ आहार, मोटापा, शारीरिक गतिविधि की कमी, अधिक तनाव और वायु प्रदुषण के बढ़ते स्तर के संपर्क में आना शामिल हैं। 

हार्ट अटैक का निदान 

हार्ट अटैक के निदान के लिए, सबसे पहले रोगी से लक्षणों और चिकित्सा इतिहास के बारे में पूछताछ की जा सकती है। हार्ट अटैक के निदान के लिए कुछ परीक्षण किए जा सकते हैं, जैसे ईसीजी के द्वारा दिल की विद्युत गतिविधि को रिकॉर्ड किया जाता है, जिससे हार्ट से जुड़ी किसी असामान्य स्थिति का पता लगाया जा सकता है।  

कुछ विशिष्ट प्रकार के प्रोटीन, जो हृदय कोशिकाओं के मरने पर रक्त प्रवाह में जारी होते हैं, उनका पता लगाने के कार्डियक मार्कर ब्लड टेस्ट किया जा सकता है। 

हार्ट अटैक के निदान के लिए कुछ नैदानिक परीक्षण इस प्रकार हैं:

1. कोरोनरी एंजियोग्राफी: इस प्रक्रिया के दौरान कैथेटर(एक पतली ट्यूब) के माध्यम से कंट्रास्ट डाई(तरल डाई) को दिल की धमनियों में इंजेक्ट किया जाता है, और एक्स-रे स्क्रीन पर हृदय के रक्त प्रवाह को देखकर उसकी जाँच की जाती है। 

2. इकोकार्डियोग्राफी: इस इमेजिंग परीक्षण में हृदय की छवियों को प्राप्त करने के लिए ध्वनि तरंगों का उपयोग किया जाता है, जिससे इसके आकार, संरचना और कार्य का पता लगाया जाता है। हार्ट अटैक के दौरान आपके दिल का कोई हिस्सा घायल हुआ है या नहीं हुआ है, इस परीक्षण की मदद से यह पता लगाया जाना आसान होता है।

3. कार्डियक एमआरआई: कार्डियक एमआरआई इमेजिंग परीक्षण में हृदय और इसके विभिन्न संरचनाओं की डिटेल्ड इमेजेस प्राप्त करने के लिए चुंबकीय क्षेत्र और रेडियो तरंगों का उपयोग किया जाता है। इस परीक्षण से हृदय के मांसपेशियों की क्षति की सीमा और स्थान का पता लगाना आसान होता है। 

हार्ट अटैक की रोकथाम 

रोकथाम रणनीतियों की सहायता से हार्ट अटैक की रोकथाम बहुत हद तक संभव है। दिल के दौरे की रोकथाम के लिए कुछ निम्न उपाय किए जा सकते हैं:

1. स्वस्थ वजन बनाए रखना: मोटापा हार्ट अटैक का प्रमुख जोखिम कारक है। संतुलित आहार लेने से और नियमित शारीरिक गतिविधि के माध्यम से दिल के दौरे के जोखिम को बहुत हद तक कम किया जा सकता है।  

2. नियमीत व्यायाम करना: नियमित व्यायाम करके, स्वस्थ वजन बनाए रखने में, कॉलेस्ट्रॉल और रक्तचाप के स्तर को कम रखने में मदद मिल सकती है, जिससे दिल के दौरे के ख़तरे को टाला जा सकता है।  

3. संतुलित आहार लेना: फलों, सब्जियों, लीन प्रोटीन और साबुत अनाज से भरपूर आहार के सेवन से, स्वस्थ वजन बनाए रखने में, कॉलेस्ट्रॉल और रक्तचाप को नियंत्रित करने में मदद मिल सकती है। 

4. तंबाकू से बचना और शराब का सीमित सेवन: तंबाकू छोड़ने से और शराब का सीमित सेवन करने से, दिल के दौरे से बचा जा सकता है। 

5. तनाव से बचना: अत्यधिक तनाव हार्ट अटैक के जोखिम को बढ़ा सकता है, इसलिए तनाव से बचना ज़रूरी है। 

6. नियमित स्वास्थ्य जाँच:  रेग्युलर चेक-अप की सहायता से हृदय रोग के प्रमुख जोखिम कारक उच्च रक्तचाप, उच्च कॉलेस्ट्रॉल और मधुमेह का पता लगाया जा सकता है। इसलिए नियमित स्वास्थ्य जाँच आवश्यक है। 

हार्ट अटैक के लिए लिए उपचार विकल्प(हार्ट अटैक का इलाज / हृदयाघात के इलाज के बारे में जानकारी)

हार्ट अटैक का इलाज या हृदयाघात के इलाज के बारे में जानकारी की बात करें तो हार्ट अटैक का इलाज, स्थिति की गंभीरता पर निर्भर करता है। यदि रोगी की स्थिति बहुत ही गंभीर है, तो आपातकालीन उपचार की आवश्यकता पड़ सकती है। एक गंभीर स्थिति वाले रोगी के लिए यह ज़रूरी है कि उसे जल्द से जल्द इलाज मिले। 

इसके अतिरिक्त उपचार में एस्पिरिन, थ्रोम्बोलाइटिक्स, एंटीप्लेटलेट एजेंट, नाइट्रोग्लिसरीन, बीटा ब्लॉकर्स और एसीई इनहिबिटर जैसी दवाइयाँ शामिल हो सकती हैं। इन दवाइयों का उपयोग रक्त के थक्के को रोकने, रक्त वाहिकाओं को पतला करने, दिल के कार्यभार को कम करने और दिल की क्षति को सीमित करने के लिए किया जाता है। 

कुछ केसेस में हार्ट अटैक का इलाज निम्न प्रक्रियाओं के माध्यम से किया जा सकता है:

1. कोरोनरी एंजियोप्लास्टी और स्टेंटिंग: एंजियोप्लास्टी में हृदय के धमनी के संकुचित खंड में या रुकावट स्थल पर एक पतली, लचीली ट्यूब (कैथेटर) को रक्त वाहिका के माध्यम से पिरोया जाता है। कैथेटर टिप पर धमनी को चौड़ा करने के लिए एक गुब्बारा फुलाया जाता है और और अंत में ब्लॉक के स्थल पर एक स्टेंट लगाया जाता है, जिससे धमनी खुला रहे और ब्लड इजीली फ्लो हो सके।  

2. कोरोनरी धमनी बाईपास ग्राफ्टिंग (सीएबीजी): इस प्रक्रिया में शरीर के दूसरे हिस्से से एक नस या धमनी का उपयोग कोरोनरी धमनी के अवरुद्ध हिस्से को बायपास करने के लिए किया जाता है, जिससे हृदय की मांसपेशियों में खून के लिए एक नया मार्ग बनता है। 

हार्ट अटैक के लिए सर्वाइवल रेट 

दिल का दौरा वास्तव में जीवन के लिए ख़तरा है। इससे हृदय की मांसपेशियों को अत्यधिक नुकसान पहुँच सकता है। WHO के अनुसार हार्ट अटैक दुनिया भर में होनवाले मौतों का प्रमुख कारण है, इस रोग से हर वर्ष लाखों लोगों की मृत्यु होती है। हालाँकि, उपचार में प्रगति के कारण जीवित रहने की दर में बहुत हद तक सुधार हुआ है। 

हार्ट अटैक के लिए एक वर्ष की जीवित रहने की दर रोगी की उम्र, उसके संपूर्ण स्वास्थ्य, रोग की गंभीरता और उपचार के परिणाम जैसे कारकों के आधार पर लगभग ६०% से ९०% तक है।  

हार्ट अटैक के उपचार के लिए अवधि 

हार्ट अटैक के लिए उपचार की अवधि अलग-अलग केस के लिए भिन्न हो सकता है। इसके उपचार की अवधि, मुख्य रूप से रोगी की स्थिति, संसाधनों की उपलब्धता और प्रक्रिया करने में सक्षम स्वास्थ्य सुविधा से निकटता जैसे विभिन्न कारकों पर निर्भर करती है। 

निष्कर्ष 

भारत जैसे देशों में जहाँ हार्ट अटैक के मामलों में ख़तरनाक रूप से बढ़ोतरी हो रही है, यह एक महत्त्वपूर्ण स्वास्थ्य चिंता का विषय बन चुका है। हार्ट अटैक के लक्षण, जोखिम कारण, निदान, रोकथाम और उपचार विकल्पों के बारे में जानकारी होने से इस बीमारी से बचना संभव हो सकता है। 

इसके अतिरिक्त नियमित स्वास्थ्य जाँच भी आवश्यक है, जिससे बीमारी की प्रारंभिक पहचान करने और तत्काल उपचार शुरू करने में मदद मिल सकती है। 

उपचार में प्रगति से इसके सर्वाइवल रेट में सुधार होते हुए देखा जा सकता है, लेकिन फिर भी व्यक्ति को अपने स्वास्थ्य के प्रति जागरूक रहना आवश्यक है, जिससे ऐसी नौबत ही ना आए कि इस रोग से पीड़ित होकर वह अस्पताल में भर्ती हो जाए। 

इस लेख के माध्यम से हमारा उद्देश्य हार्ट अटैक के लक्षण, कारण, रोकथाम, उपचार और सर्वाइवल रेट से संबंधित उचित और पूर्ण जानकारी प्रदान करना है। अंत में हमारा आपसे यही निवेदन है कि अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखें और हार्ट अटैक के लक्षण महसूस करने पर तत्काल चिकित्सक से संपर्क कर उससे सलाह लें। 

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हार्ट अटैक आने से 1 महीने पहले ही शरीर देने लगता हैं ये संकेत

कुछ शोधों से यह पता चला है कि हार्ट अटैक आने से 1 महीने पहले ही शरीर देने लगता हैं ये संकेत: अत्यधिक थकान रहना, नींद नहीं आना, साँस लेने में दिक्कत होना, चिंता होना, छाती में दबाव महसूस करना, खट्टी डकार आना, भूख नहीं लगना।

यदि उपरोक्त लक्षण आप महसूस कर रहे हैं, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। 

हार्ट अटैक के लक्षण और उपाय 

हार्ट अटैक के लक्षण और उपाय के बारे में यहाँ संक्षेप में समझाने का प्रयोग किया गया है:

हार्ट अटैक के लक्षण और उपाय की बात करें, तो हार्ट अटैक के लक्षण में सीने या छाती में दर्द होना, शरीर के ऊपरी हिस्सों में दर्द होना, साँस लेने में दिक्कत होना, अत्यधिक थकान रहना, नींद नहीं आना इत्यादि शामिल हैं। 

हार्ट अटैक का इलाज करने के लिए, दवाइयों, कोरोनरी एंजियोप्लास्टी और स्टेंटिंग, कोरोनरी धमनी बाईपास ग्राफ्टिंग (सीएबीजी) का उपयोग किया जा सकता है। 

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