फंगस या फंगी से होने वाला इन्फेक्शन को फंगल इंफेक्शन कहते हैं। संक्रमण में सबसे आम और प्रचलित रोग है जो पुरुष, महिलाओं, बच्चों आदि सबको हो सकता है। मूलतः यह शरीर के अंगों की ऊपरी सतह अर्थात त्वचा को प्रभावित करता है। नाखून और बाल भी इन्फेक्शन के चलते खराब होते हैं। इस लेख में फंगस क्या है, फंगल इन्फेक्शन क्या है, फंगल इन्फेक्शन क्यों होता है, फंगल इन्फेक्शन कैसे फैलता है, फंगल इन्फेक्शन के लक्षण, फंगल इंफेक्शन के कारण, फंगल इन्फेक्शन ट्रीटमेंट, फंगल इंफेक्शन का घरेलू इलाज, फंगल इन्फेक्शन में क्या खाना चाहिए, फंगल इन्फेक्शन में क्या नहीं खाना चाहिए और निष्कर्ष पर प्रकाश डाला गया है।
Table of Contents
- फंगस क्या है?
- फंगल इन्फेक्शन क्या है? (Fungal Infection Meaning In Hindi)
- फंगल इन्फेक्शन क्यों होता है?
- फंगल इंफेक्शन कैसे फैलता है?
- फंगल इन्फेक्शन के लक्षण
- फंगल इन्फेक्शन के कारण
- फंगल इन्फेक्शन ट्रीटमेंट
- फंगल इन्फेक्शन का घरेलू इलाज
- फंगल इन्फेक्शन में क्या खाना चाहिए?
- फंगल इन्फेक्शन में क्या नहीं खाना चाहिए?
- निष्कर्ष
फंगस क्या है?

फंगस यूकैरियोटिक परिवार का एक सदस्य है जिसमें यीस्ट, मोल्ड आदि प्रकार के माइक्रो ऑर्गेनिज्म शामिल हैं। फंगस की सेल वॉल कार्बोहाइड्रेट से बनी होती है इसलिए कार्बोहाइड्रेट मिलने पर यह और अधिक फलने फूलने लगता है। यीस्ट के अलावा अन्य सभी फंगस यूनिसेल्यूलर होते हैं। यूनिसेल्यूलर अर्थात जो केवल एक सेल से बना है। फंगस की संरचना एक धागे के समान होती है। कुछ फंगस अच्छे होते हैं जैसे यीस्ट जिसकी सहायता से ब्रेड बनाया जाता है और पेनेसिलियम जिसकी सहायता से पेनिसिलिन नामक एंटीबायोटिक बनाई जाती है। लेकिन कुछ फंगस बुरे भी होते हैं जिनसे फंगल इन्फेक्शन हो जाता है।
Read More: Impactguru hospital finder
फंगल इन्फेक्शन क्या है? (Fungal Infection Meaning In Hindi)
फंगल से होने वाले संक्रमण को फंगल इन्फेक्शन कहते हैं। इसका एक अन्य नाम माइकोसिस भी है। अधिकांश संक्रमण त्वचा संबंधित ही होते हैं यानी शरीर की त्वचा पर ही होते हैं। त्वचा के अतिरिक्त बाल और नाखूनों में भी हो सकता है। ये बात ध्यान में रहे कि इन्फेक्शन शरीर के अलग-अलग हिस्सों जैसे मुंह, गला, फेफड़े, मूत्राशय आदि में हो सकता है। फंगस या फंगी एक ऐसे सजीव वस्तु है जो वनस्पति और पशुओं से इतर एक अन्य श्रेणी में वर्गीकृत किये जाते हैं। त्वचा, बाल और नाख़ून में होने वाले फंगस से अगर कोई व्यक्ति संक्रमित है तो ये बहुत मामूली बात है। इस प्रकार का संक्रमण होने पर चिंता करने की और घबराने की आवश्यकता नहीं है। लेकिन अगर कोई व्यक्ति का इम्यून सिस्टम कमजोर है तो फिर फंगल संक्रमण एक गंभीर समस्या का रूप ले सकती है।
फंगल इन्फेक्शन क्यों होता है?
इस संसार में लाखों की संख्या में फंगस है लेकिन मेडिकल साइंस के अनुसार जिन फंगस के कारण इन्फेक्शन होता है उनकी संख्या बहुत कम है। किन्तु जिन फंगस के कारण इन्फेक्शन होता है वे स्वयं इतने शक्तिशाली नहीं होते कि बीमारी का कारण बन सके। अगर व्यक्ति का इम्यून सिस्टम कमजोर हो तो इंफेक्शन होने के आसार और भी बढ़ जाते हैं। डर्मेटोफिटे, कैंडिडा आदि कुछ प्रचलित और आम फंगल संक्रमण हैं जिसकी चपेट में लोग आ जाते हैं।
फंगल इंफेक्शन कैसे फैलता है?
खुली हुई नाली और गटर, सांस लेते समय और प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होने की कारण फंगल संक्रमण फैल सकता है। अगर लापरवाही बरती जाए तो फंगल संक्रमण आसानी से फैल सकता है।
आइए निम्न बिंदुओं से जानें कि फंगल संक्रमण कैसे फैलता है :
- आपके आस-पास कोई गटर या नाली खुली हुई हो
- कचरे की पेटी के कारण या यहाँ-वहाँ गंदगी फेंकने से
- फंगस के कारण हुए दूषित वातावरण में सांस लेने से
- दुर्घटना के चलते शरीर में चोट लगने से
फंगल इन्फेक्शन के लक्षण
फंगल संक्रमण में व्यक्ति को गहरे लाल रंग के चकत्ते हो जाते हैं। बार-बार खुजली और दर्द होने लगता है। त्वचा पर पपड़ी, दरार और दाने निकलने लगते हैं। नाखूनों का रंग भी बदल कर पीला, भूरा या सफेद हो जाता है। मेडिकल साइंस और डॉक्टरों के अनुसार सभी संक्रमित व्यक्तियों में एक समान फंगल इंफेक्शन के लक्षण नहीं दिखते लेकिन अधिकांश मामलों पर गहन अध्ययन के पश्चात डॉक्टर इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि अधिकतर संक्रमित व्यक्तियों में फंगल इंफेक्शन के लक्षण एक जैसे ही मिलते हैं। इसलिए इन लक्षणों की पहचान आसानी से की जा सकती है।
आइए जानें फंगल इंफेक्शन के लक्षण जो कि निम्नलिखित हैं :
- अत्यधिक खुजली : बार-बार खुजली होना फंगल संक्रमित व्यक्ति में सबसे आम लक्षण है। इसके चलते व्यक्ति को बार-बार खुजली होने लगती है और दाने निकल आते हैं। ये दाने तीव्र प्रक्रिया के माध्यम से पूरे शरीर में फैल जाते हैं। इसके अलावा संक्रमित स्थान या भाग में दर्द भी होने लगता है।
- सिर के बाल या दाढ़ी झड़ना : फंगल संक्रमण के चलते सिर के किसी भी एक हिस्से का बाल गुच्छे के रूप में झड़ जाता है। बाल भंगुर हो जाते हैं। दाढ़ी के बाल का गुच्छा भी झड़ जाता है। फंगल संक्रमण के चलते बाल झड़ना सबसे आम लक्षण हैं क्योंकी शरीर में एंटीऑक्सीडेंट कम हो जाने के कारण बाल और नाख़ून कमजोर हो जाते हैं।
- नाख़ून का रंग पीला होना : इन्फेक्शन में एंटीऑक्सीडेंट की कमी के कारण बाल के अलावा नाखून भी कमजोर हो जाते हैं जिस कारण उसमें पपड़ी बनने लगती है। इसके साथ ही नाखून का रंग पीला, भूरा, या सफेद हो जाता है।
- त्वचा पर पपड़ी : फंगल सक्रमण में एंटीऑक्सीडेंट की कमी के चलते संक्रमित व्यक्ति के बाल और नाखून के अतिरिक्त त्वचा पर भी दुष्प्रभाव होता है। संक्रमण के चलते त्वचा की कोशिकाओं इस कदर प्रभावित होती हैं की उसमें पपड़ी आने लगती है। इसके अतिरिक्त त्वचा में दरार भी होने लगती है।
- पैर में पपड़ी : फंगल संक्रमण में एंटीऑक्सीडेंट की कमी के चलते त्वचा पर पपड़ी बनना सबसे आम लक्षण है लेकिन पैर की अँगुलियों में भी पपड़ी बनने लगती है। ये पपड़ी अपने आप निकलने भी लगती है और इस कारण ऐसा प्रतीत होता है कि चमड़ी की एक परत निकल रही है।
- सिरदर्द : फंगल संक्रमित व्यक्ति को बार-बार सिरदर्द की शिकायत रहती है। संक्रमण में एंटीऑक्सीडेंट की कमी केवल त्वचा रोग को जन्म नहीं देती अपितु सिरदर्द का भी कारक होता है। हालांकि यह आवश्यक नहीं कि सामान्य परिस्थितियों में होने वाला सिरदर्द इंफेक्शन का लक्षण ही हो इसलिए सिरदर्द को भ्रामक लक्षण की संज्ञा में भी रख सकते हैं।
- बेहोशी : सिरदर्द की समस्या के चलते फंगल संक्रमित व्यक्ति को बेहोशी भी होने लगती है। ऐसा कमजोरी के कारण होता है। संक्रमित व्यक्ति को बार-बार चक्कर भी आने लगता है।
- मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द : संक्रमण के चलते एंटीऑक्सीडेंट की कमी मांसपेशियों और हड्डियों पर ऐसा प्रभाव छोड़ती है कि मांसपेशियों में एक असहनीय पीड़ा होने लगती है। संक्रमित व्यक्ति को यह दर्द बार-बार होने लगता है। इसके अलावा जोड़ों में भी दर्द की शिकायत रहती है।
- सांस फूलना : जो व्यक्ति फंगल संक्रमण से संक्रमित है उसमें अस्थमा या अस्थमा के जैसे लक्षण भी देखने को मिलते हैं। संक्रमित व्यक्ति को सांस फूलने की शिकायत रहती है जो कि ठीक दमा या अस्थमा की तरह ही होती है। अगर फंगल संक्रमण के साथ-साथ अस्थमा की समस्या भी हो रही है तो डॉक्टर से परामर्श कर उपयुक्त इलाज का मार्ग प्रशस्त करें।
- छाती या सीने में दर्द : संक्रमित व्यक्ति को फंगस के अतिरिक्त सांस फूलने या दमा की शिकायत रहती है इसलिए सीने में असहनीय पीड़ा का भी समाना करना पड़ सकता है। लेकिन ध्यान रहे कि फंगल संक्रमण के साथ-साथ सीने में दर्द की शिकायत हो तो ही इसे इंफेक्शन का लक्षण माना जाए अन्यथा नहीं।
- वजन कम हो जाना : संक्रमण में एंटीऑक्सीडेंट की कमी से भूख लगती है जिस कारण वजन कम होने लगता है। फंगल संक्रमण से संक्रमित व्यक्ति को भूख कम लगती है। तत्पश्चात् उसका आहार कम हो जाता है। फलस्वरूप उसका वजन घटने लगता है।
फंगल इन्फेक्शन के कारण
कमजोर इम्यून सिस्टम, बहुत गर्म या नरम वातावरण और चोट लगने पर त्वचा की क्षति फंगल संक्रमण के कारण होते हैं। वैसे तो फंगस या फंगी किसी भी सतह पर या वातावरण में कहीं भी हो सकता है और उसके कारण प्राकृतिक हैं लेकिन फंगल संक्रमण किसी व्यक्ति में किन कारणों से होता है यह बहुत से कारकों पर निर्भर करता है।
आइए निम्न बिंदुओं के माध्यम से जानें कि फंगल इंफेक्शन के कारण क्या है :
- कमजोर प्रतिरोधक क्षमता : फंगल संक्रमण स्वयं इतना घातक नहीं होता अपितु कमजोर इम्यून सिस्टम या प्रतिरोधक क्षमता को आधार बना कर स्वस्थ शरीर में प्रवेश करता है। अगर व्यक्ति के शरीर में रोगों से लड़ने की शक्ति कम हो तो उसे फंगल संक्रमण होने के आसार बढ़ जाते हैं।
- गर्म अथवा नरम तापमान : बहुत अधिक गर्म या अत्यधिक नरम वातावरण भी फंगल संक्रमण का कारण होता है। अगर गर्मी हो फिर भी जूते मोज़े बहुत देर तक पहन रखे हैं तो निश्चित ही पैर की अँगुलियों में पपड़ी आ जाती है।
- संक्रमित व्यक्ति से संपर्क : अगर स्वस्थ व्यक्ति के आस-पास कोई फंगल संक्रमित व्यक्ति है तो संक्रमण फैलने की संभावना बढ़ जाती है। इसलिए संक्रमित व्यक्ति से बचने के लिए आवश्यक दूरी बना कर रखें और मुंह को भी ढकें।
पारिवारिक इतिहास : अगर परिवार में फंगल संक्रमण का इतिहास रहा है अर्थात परिवार के किसी सदस्य को इन्फेक्शन की शिकायत रही है तो नए सदस्य को भी इन्फेक्शन हो सकता है। यानी फंगल संक्रमण का एक कारण अनुवांशिक भी हो सकता है।
फंगल इन्फेक्शन ट्रीटमेंट
संक्रमित स्थान विशेष के अनुरूप फंगल इन्फेक्शन ट्रीटमेंट किया जाता है जैसे ओरल मेडिकेशन, क्रीम, पाउडर, लोशन, आई ड्राप आदि डॉक्टर की सलाह पर लिया जाता है। अगर फंगल संक्रमण गंभीर रूप ले चुका है तो डॉक्टर के परामर्श से फंगल इन्फेक्शन ट्रीटमेंट किया जा सकता है। मेडिकेशन इस बात पर निर्भर करता है कि इंफेक्शन कहाँ हुआ है। मेडिकल इलाज के अलावा घरेलू इलाज भी बहुत कारगर होते हैं।
फंगल इन्फेक्शन का घरेलू इलाज
फंगल इन्फेक्शन ट्रीटमेंट के अंतर्गत संक्रमण को ठीक करने के लिए बहुत सारे घरेलू उपाय भी हैं। तुलसी, अदरक, नीम आदि को घरेलू नुस्खे के रूप में प्रयोग किया जाता है। खुजली, गहरे लाल रंग के चकत्ते, जलन आदि सभी फंगल इन्फेक्शन के लक्षण हैं जो घरेलू इलाज के माध्यम से ठीक हो सकते हैं। उन्हें ठीक करने के लिए शरीर को पर्याप्त मात्रा में एंटीऑक्सीडेंट, एंटी फंगल और एंटी माइक्रोबियल तत्वों की आवश्यकता होती है जो घर में बहुत से सामान में मिल जाती है।
आइए निम्नलिखित बातों से जानें कि फंगल इन्फेक्शन के घरेलू इलाज क्या है :
- तुलसी का पेस्ट : घर के आंगन में लगी तुलसी फंगल इन्फेक्शन में रामबाण इलाज है। तुलसी का पेस्ट संक्रमित क्षेत्र में लगाने से फंगल संक्रमण की समस्या जड़ से मिट जाती है। तुलसी में एंटी बैक्टीरियल गुण होते हैं। ये एक अद्भुत शक्ति है जो इन्फेक्शन को जड़ से समाप्त कर देती है। रोचक बात ये है कि तुलसी के कोई साइड इफेक्ट नहीं होते।
- नारियल तेल लगावे : त्वचा संबंधी रोग जैसे खुजली, चकत्ते आदि फंगल इन्फेक्शन से बचने के लिए नारियल तेल लगाना चाहिए। नारियल के तेल में लॉरिक एसिड, कैप्रीलिक एसिड और एंटी माइक्रोबियल शक्ति होती है जो फंगल संक्रमण और त्वचा संबंधी रोगों से लड़ने के काम आती है।
- नीम की पत्ती का लेप : संक्रमण जैसे कि फंगल इंफेक्शन और छोटी माता अर्थात स्मॉल पॉक्स होने पर नीम की पत्ती का पेस्ट बहुत लाभकारी होता है। नीम की पत्ती में एंटी बैक्टीरियल गुण होते हैं जो त्वचा पर बैक्टीरिया और फंगस को समाप्त हो जाते हैं। यह खून को साफ करता है जिस कारण रक्त संबंधी बीमारियां जैसे कील, मुंहासे आदि त्वचा रोग ठीक हो जाते हैं।
- हल्दी का लेप : शरीर के जिस स्थान पर फंगल इन्फेक्शन हो उस जगह पर हल्दी का लेप लगाने से संक्रमण ठीक हो जाता है। इंफेक्शन में हल्दी का लेप लगाने की सलाह इसलिए दी जाती है क्योंकि इसमें एंटी बैक्टीरियल और एंटीफंगल गुण होते हैं। इसके अतिरिक्त हल्दी सबसे अच्छा एंटीसेप्टिक है।
- चाय के पेड़ का तेल : एंटीफंगल गुण होने पर चाय के पेड़ का तेल को नारियल तेल के साथ मिलाकर लगाने से फंगल संक्रमण शीघ्र छू मंतर हो सके। लेकिन एक बात का ध्यान रहे कि चाय के पेड़ का तेल सीधे तौर पर नहीं लगाना चाहिए क्योंकि यह त्वचा संबंधी रोगों को बुलावा दे सकता है इसलिए इसे नारियल तेल के साथ मिलाकर लगाना चाहिए।
फंगल इन्फेक्शन में क्या खाना चाहिए?
म से जानें कि फंगल इन्फेक्शन में क्या खाना चाहिए :
- मुलेठी : फंगल संक्रमण को समाप्त करने के लिए संक्रमित व्यक्ति को मुलेठी चबाना चाहिए ताकि यह बीमारी छूमंतर हो जाए। मुलेठी में एंटीफंगल गुण होते हैं जो त्वचा पर मौजूद फंगस को समाप्त कर देते हैं। इसके अलावा त्वचा संबंधी रोग जैसे कील, मुंहासे के लिए मुलेठी रामबाण इलाज है। आप चाहे तो मुलेठी का रस अर्थात मुलेठी काढ़ा का भी प्रयोग में ला सकते हैं।
- दालचीनी : मुलेठी की तरह दालचीनी में भी एंटी फंगल गुण होते हैं। दालचीनी एक ऐसी औषधी है जो फंगल संक्रमण से लड़ने के लिए शरीर को भरपूर मात्रा में शक्ति प्रदान करती है। दालचीनी को पानी में उबाल कर काढ़ा बना लेने और उसका सेवन करने से फंगल संक्रमण जल्दी ठीक हो जाता है।
- अदरक : त्वचा रोग और फंगल इन्फेक्शन को ठीक करने के लिए सबसे अच्छा तरीका अदरक का सेवन है। अदरक में एंटी फंगल शक्ति होती है जो फंगस के इन्फेक्शन से लड़ने का काम करती है। इसके अतिरिक्त अदरक में एंटीऑक्सीडेंट होते हैं जो त्वचा संबंधी रोगों के इलाज के लिए बहुत अच्छा आहार होता है। अदरक को थोड़ा सा चबाये या फिर उसका गर्म पानी में बनाया गया काढ़ा भी उपयोगी है।
- लहसुन : इंफेक्शन में लहसुन का सेवन बहुत लाभकारी होता है। एंटीऑक्सीडेंट का सबसे अच्छा स्रोत लहसुन को माना जाता है। इसके अतिरिक्त यह रक्तस्राव को भी रोकता है। लहसुन प्रतिरोधक क्षमता अर्थात बीमारी से लड़ने की क्षमता को भी बढ़ाता है।
- हल्दी : एंटी बैक्टीरियल और एंटीफंगल ये दोनों गुण हल्दी में होते हैं। इस कारण फंगल संक्रमण में गर्म दूध के साथ हल्दी का सेवन करना चाहिए। हल्दी फंगस के कारण बने इंफेक्शन को को जड़ से समाप्त कर देता है।
फंगल इन्फेक्शन में क्या नहीं खाना चाहिए?
फंगल संक्रमण से बचने के लिए मिठाई, बेकरी, व्हाइट ब्रेड, पास्ता और लाल मांस नहीं खाना चाहिए। इन सभी खाद्य पदार्थों में चीनी, फैट और कोलेस्ट्रॉल की मात्रा अधिक होती है जो इन्फेक्शन को बढ़ाने का काम करते हैं। अगर कोई व्यक्ति अपने खानपान में सावधानी बरतें तो फंगल संक्रमण की बीमारी को जड़ से समाप्त किया जा सकता है।
आइए विस्तारपूर्वक जानें कि फंगल इन्फेक्शन में क्या नहीं खाना चाहिए :
- मिठाई, आइसक्रीम और सॉफ्ट ड्रिंक : खाने में घुली चीनी फंगल को बढ़ावा देने में मदद करती है। दरअसल अत्यधिक मात्रा में चीनी का सेवन करने से शरीर में शुगर की मात्रा बढ़ जाती है जो बीमारी से लड़ने की क्षमता को कम करती है। इसके अतिरिक्त सोडा और सॉफ्ट ड्रिंक का सेवन भी नहीं करना चाहिए। भारतीय मिठाइयों, बेकरी के उत्पादों, सॉफ्ट ड्रिंक और सोडा में चीनी की मात्रा अत्यधिक होती है इसलिए फंगल इन्फेक्शन में चीनी से परहेज करना चाहिए। चीनी के अत्यधिक सेवन से त्वचा संबंधी रोग होने के आसार बने रहते हैं। फंगल संक्रमण में त्वचा की कोशिकाएं भी कमजोर हो जाती है।
- बाहर का खाना : सफेद ब्रेड, पास्ता और बाजार से खरीदा गए खाने में आवश्यक पोषक तत्वों की कमी होती है। इसलिए ऐसे खाने से परहेज करना चाहिए जो शरीर के इम्यून सिस्टम को कमजोर कर देता है। इसके अतिरिक्त बाहर का खाना कोलेस्ट्रॉल और हाई शुगर युक्त होता है जो इन्फेक्शन को बढ़ने में मदद करता है। प्रोसेस्ड फ़ूड से भी परहेज करना चाहिए।
- बासी-तिबासी से परहेज : जो खाना ताजा नहीं है अर्थात कल या परसों का बचा हुआ खाना खाने से फंगल इन्फेक्शन होने का खतरा अधिक रहता है। भूल कर भी बासी खाना नहीं खाना चाहिए क्योंकि इसमें फंगस मौजूद हो सकते हैं जो आगे चलकर इन्फेक्शन का रूप ले सकते हैं।
- चाय और कॉफी : दूध, चाय पत्ती, कॉफी और चीनी यह सभी इन्फेक्शन को बढ़ावा देते हैं। इनके सेवन से संक्रमण होने का खतरा बढ़ जाता है इसलिए संक्रमित व्यक्ति को चाय और कॉफी से परहेज करना चाहिए। दूध में वसा की मात्रा बहुत अधिक होती है जो संक्रमण की समस्या पैदा कर सकती है। इसके अलावा चीनी भी त्वचा संबंधी रोगों को बढ़ावा देती है।
- लाल मास : सैचुरेटड फैट और कोलेस्ट्रॉल युक्त खाना खाने से शरीर में इन्फेक्शन होने की संभावना और अधिक बढ़ जाती है। इसलिए इस प्रकार के इंफेक्शन में लाल मांस नहीं खाने की सलाह दी जाती है।
- शराब से परहेज : इस बात में कोई शंका नहीं कि शराब हर बीमारी की मूल जड़ है। इससे लीवर खराब होता है, शुगर और बीपी की समस्या पैदा होती है और इम्यून सिस्टम भी कमजोर होता है। इम्यून सिस्टम कमजोर हो जाने से शरीर में रोगों से लड़ने की क्षमता कम जाती है।
निष्कर्ष
किसी भी व्यक्ति को होने वाले संक्रमण में सबसे आम और प्रचलित फंगल इन्फेक्शन है। यह बहुत सामान्य रोग और आसानी से ठीक भी हो सकता है। इस बीमारी के लक्षण की जांच बहुत आसान है तथा घरेलू उपायों के माध्यम से इन्फेक्शन को तुरंत हटाया जा सकता है।
अगर आने वाले समय में ऐसी परिस्थितियां बनती है कि गंभीर और जानलेवा बीमारी है जिसके लिए धन की कमी इलाज हेतु आड़े आ रही हो तो उन्हें घबराने की आवश्यकता नहीं है। निर्धन लोगों के जीवन से उस घातक रोग को हटाकर एक नई दिशा देने के लिए क्राउडफंडिंग एक अच्छा विकल्प हो सकता है जहाँ आप फंड रेज़र के माध्यम से कैम्पेन कर सकते हैं। कैंपेन के माध्यम से आप अपनी आवश्यकता को उन लोगों तक पहुंचाते हैं जो बुरे समय में आपकी मदद कर सकते हैं।