कैंसर के लक्षण और इलाज | Cancer Symptoms & Treatment In Hindi

कैंसर, एक ऐसी बीमारी है जो कि पूरी दुनिया में मृत्यु के कारणों में से प्रमुख कारण है और भारत में चिंता का महत्त्वपूर्ण विषय बनता जा रहा है। जिस प्रकार १.३ बिलियन से अधिक आबादी वाले देश भारत में हर वर्ष कैंसर की बीमारी के मामलों में भयावह वृद्धि हो रही है, यह हम सभी के लिए संकेत है कि इस बीमारी यानी कि कैंसर का इलाज ढूँढ़ना हमारे लिए अतिशीघ्र आवश्यक है। इस लेख के माध्यम से हमारा मुख्य उद्देश्य है कि हम आपको कैंसर के लक्षण और उपाय के संदर्भ में जानकारी प्रदान करें, जिससे आपको कैंसर के शुरूआती लक्षण की पहचान करने और इसके शुरुआरी उपचार करने में सहायता प्राप्त हो। आमतौर पर कैंसर के शुरूआती लक्षण पकड़ में नहीं आते लेकिन यदि पकड़ में आ जाएँ तो कैंसर का इलाज पूर्णतः संभव है। 

कैंसर’ कैसे होता है? 

कैंसर के लक्षण

सबसे पहले हमें यह समझना होगा कि कैंसर कैसे होता है या ‘कैंसर’ क्या है? हमारा शरीर कोशिकाओं (सेल्स) से बना होता है। शरीर में कोशिकाओं का लगातार विभाजन होते रहना एक सामान्य प्रक्रिया है और इस पर शरीर का नियंत्रण होता है। सामान्य भाषा में असामान्य रूप से कोशिकाओं के बढ़ने या फैलने के रोग को ही कैंसर कहा जाता है। कैंसर हमारे शरीर के किसी भी भाग या अंग के कोशिकाओं को प्रभावित कर सकता है, परिणामस्वरूप यह कोशिकाएँ विभाजित होने लगती हैं या तेज़ी से फैलने लगती हैं और ट्यूमर का रूप ले लेती हैं। यदि बात करें कैंसर में होनेवाले ट्यूमर की तो यह दो प्रकार के होते हैं; बिनाइन ट्यूमर और मालिग्नैंट ट्यूमर। इन दो ट्यूमरों में से बिनाइन ट्यूमर शरीर के एक भाग से दूसरे भाग में नहीं फैलता। बिनाइन ट्यूमर शरीर के जिस हिस्से में होता है वह वहीं रहता है और केवल उस हिस्से में सर्जरी के माध्यम से उसे हटाया जा सकता है जबकि दूसरी ओर मालिग्नैंट ट्यूमर शरीर के अन्य हिस्सों में फैलने में पूर्णतः सक्षम होता है। इस ट्यूमर की कोशिकाएँ अनियंत्रित रूप से विभाजित होकर रक्त में घुस जाती हैं और इसका असर यह होता है कि यह ट्यूमर बहुत ही तेज़ी से शरीर के दूसरे हिस्सों में फैलने लगता है। जब इस प्रकार का ट्यूमर शरीर के एक हिस्से से दूसरे हिस्से में फैलता है तो इसे मेटास्टेटिस कैंसर कहा जाता है और इसी प्रकार का ट्यूमर जानलेवा साबित होता है। 

कैंसर के लक्षण और उपाय: 

हमारे शरीर में कैंसर के लक्षण यदि शुरूआती अवस्था में ही पहचान में आ जाए, तब निश्चित रूप से इस रोग के उपचार के लिए हम कदम उठा सकते हैं। आइए जानें कि कैसे हम कैंसर के शुरूआती लक्षणों की पहचान करें:  

१) पेशाब करते समय दर्द होना या पेशाब में ख़ून आना या बार-बार पेशाब आना प्रोस्टेट कैंसर या ब्लैडर कैंसर के लक्षण हो सकते हैं।  

२) यदि आपके मुँह में घाव है और यह ठीक नहीं हो रहा है या मुँह में गाँठ बन गई है तो यह ओरल कैंसर या मुँह के कैंसर के संकेत हो सकते हैं। ओरल कैंसर के होने का मुख्य कारण तम्बाकू या शराब का सेवन भी हो सकता है। यदि बात करें पुरुषों में कैंसर के लक्षण की तो पुरुषो में ओरल कैंसर के लक्षण स्त्रियों की तुलना में अधिक देखे जा सकते हैं।  

३) शौच के समय रक्तस्त्राव होना कोलोरेक्टल कैंसर का लक्षण हो सकता है, जबकि पेशाब के समय रक्त आना ब्लैडर या किडनी के कैंसर का लक्षण हो सकता है। यदि बात करें गर्भाशय या बच्चेदानी के कैंसर के लक्षण की तो इसका मुख्य कारण है असामान्य रूप से योनि से रक्त का स्त्राव होना।  

४) कई बार स्तन और शरीर के अन्य हिस्सों में कैंसर के लक्षण को त्वचा के माध्यम से भी पहचाना जा सकता है, जैसे स्तन कैंसर, वृषण कैंसर या लिम्फ नोड्स में कैंसर। स्तन में गाँठ होना स्तन कैंसर का लक्षण हो सकता है, इसी प्रकार अण्डकोष में गाँठ होना या अण्डकोष की थैली में भारीपन महसूस करना वृषण कैंसर के लक्षण हो सकते हैं।  

५) पेट में अपच होना या निगलते समय कठिनाई होना ग्रासनली के कैंसर अथवा पेट के कैंसर का संकेत हो सकता है।  

६) यदि बात करें त्वचा कैंसर के लक्षण की तो यदि आपकी त्वचा पर तिल या मस्से का रंग और आकर बदल रहा हो या उसमें से ख़ून निकल रहा हो तो यह त्वचा कैंसर का लक्षण हो सकता है। इसके अतिरिक्त यदि आपकी त्वचा पर पपड़ी समेत सपाट घाव हो या भूरे रंग का सपाट घाव हो तो यह भी त्वचा कैंसर का संकेत हमें देते हैं। त्वचा कैंसर के मुख्य में लक्षण मेलोनेमा, बेसल सेल कार्सिनोमा या स्क्वैमस सेल कार्सिनोमा हो सकता है। 

७) लंबे समय तक खाँसी का रहना और उपचार कराने के बाद भी ठीक ना होना या आवाज़ में बदलाव होना फेफड़े के कैंसर का लक्षण हो सकता है।  

८) शरीर का वजन अचानक से बहुत ज़्यादा कम हो जाना, बार-बार बुखार आना और शरीर में थकान या दर्द रहना यह भी कैंसर के लक्षणों में से एक हो सकता है।  

उपरोक्त लक्षणों में से यदि आप किसी भी लक्षण का अनुभव करते हैं तो अतिशीघ्र चिकित्सक से संपर्क करें या सलाह लें, क्योंकि शरीर में कैंसर के लक्षण की प्रारंभिक अवस्था में ही यदि पहचान हो जाए तो रोगी को इस बीमारी से जल्द ही पूर्णतः  मुक्ति मिल सकती है। 

कैंसर का इलाज: 

कैंसर का इलाज मुख्य रूप से कैंसर के प्रकार और चरण (स्टेज) पर निर्भर करता है। यदि कैंसर के पहले और दूसरे चरण की बात करें तो इन चरणों में चिकित्सक के लिए रोग को पूरी तरह से ख़त्म करना आसान होता है, लेकिन कैंसर के तीसरे चरण में रोग को पूरी तरह ठीक करना आसान नहीं होता पर चिकित्सक का पूरा प्रयास होता है कि वह रोग को कुछ हद तक ख़त्म करे। ऐसे में कैंसर के शुरूआती लक्षण की पहचान यदि हो जाए तो यह रोगी के साथ-साथ चिकित्सक के लिए भी मददगार साबित हो सकता है।  

यदि बात करें कैंसर के उपचार की, तो कैंसर का उपचार सर्जरी, कीमोथेरेपी, रेडिएशन, हार्मोन थेरेपी, इम्यूथेरेपी और स्टेम सेल ट्रांसप्लांट्स के माध्यम से संभव है। यदि आप इन उपचार विधियों के बारे में जानना चाहते हैं, तो नीचे दिए गए लेख के माध्यम से आप जानकारी प्राप्त कर सकते हैं : 

१) सर्जरी: सर्जरी, कैंसर के इलाज के लिए बहुत ही पुराना उपाय है। सर्जरी के माध्यम से शरीर के अन्य हिस्सों को बिना प्रभावित किए ही ट्यूमर का इलाज किया जा सकता है। कई बार चिकित्सक कैंसर के चरण(स्टेज) को निर्धारित करने के लिए सर्जरी उपचार विधि की सहायता लेता है।  

२) रेडिएशन थेरेपी: रेडिएशन थेरेपी एक ऐसी थेरेपी है जिसमें उच्च ऊर्जा कणों या तरंगों का उपयोग करके कैंसर कोशिकाओं को नष्ट करने का प्रयास किया जाता है। कई बार चिकित्सक, रोगी के लिए केवल इस उपचार विधि की ही सहायता लेता है और कई बार चिकित्सक कुछ रोगियों के लिए रेडिशन थेरेपी, सर्जरी और कीमोथेरेपी इन तीनों उपचार विधि का साथ में उपयोग करता है। 

३) कीमोथेरेपी: कीमोथेरेपी की प्रक्रिया कई चरणों में पूरी होती है। कीमोथेरेपी में दवाइयों के माध्यम से कैंसर कोशिकाओं को नष्ट करने का प्रयास किया जाता है। कीमोथेरेपी के दौरान रोगी को दवाई खाना होता है या चिकित्सक द्वारा रोगी के नसों में दवाई इंजेक्ट किया जाता है। यह प्रक्रिया बहुत ही शक्तिशाली है और यह शरीर को प्रभावित भी करता है। कई बार कीमोथेरेपी के साथ भी सर्जरी और रेडिएशन थेरेपी उपचारों का प्रयोग संयोजन में किया जाता है।  

४) इम्यूनोथेरेपी: इम्यूनोथेरेपी एक प्रकार से जैविक चिकित्सा के रूप में भी जाना जाता है।  इस  विधि में शरीर के इम्यून सिस्टम को कैंसर से लड़ने के लिए मज़बूत किया जाता है।  

५) टार्गेटेड थेरेपी: यह थेरेपी एक नए प्रकार की उपचार विधि है जिसमें शरीर के सामान्य कोशिकाओं को प्रभावित किए बिना ही मुख्य कैंसर कोशिकाओं की पहचान करके उसे नष्ट करने का प्रयास किया जाता है। थेरेपी के दौरान दवाइयों या अन्य पदार्थों का उपयोग किया जाता है। इस प्रक्रिया में कैंसर कोशिकाओं में उपस्थित जीन या प्रोटीन को टारगेट किया जाता है, उदाहरण के लिए रक्त वाहिका कोशिकाएँ।   

६) हार्मोन थेरेपी: हार्मोन थेरेपी उपचार विधि के माध्यम से स्तन और प्रोस्टेट कैंसर के विकास को  नियंत्रित किया जाता है। हार्मोन थेरेपी उपचार विधि का प्रयोग भी अक्सर अन्य कैंसर उपचारों के साथ किया जाता है। 

 ७) स्टेम सेल ट्रांसप्लांट: स्टेम सेल ट्रांसप्लांट, जिसे बोन मैरो ट्रांसप्लांट भी कहा जाता है, यह एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमे कैंसर रोगी के शरीर में रक्त बनाने वाली स्टेम कोशिकाओं को पुनर्स्थापित करने का पूर्णतः  प्रयास किया जाता है। इस प्रक्रिया में रक्त बनानेवाली स्टेम कोशिकाओं को कीमोथेरेपी या रेडिएशन थेरेपी की सहायता से नष्ट किया है।  

कैंसर होने पर शरीर क्या संकेत देता है: 

आज के समय में कैंसर एक ऐसी बीमारी है, जिसके लक्षण यदि शरीर में समय पर पकड़ में आ जाएँ तो उपलब्ध संसाधनों की मदद से इसे पूरी तरह से ठीक किया जा सकता है लेकिन समस्या यह है कि, कैंसर बीमारी के लक्षण हमारी पकड़ में कैसे आएँगे? इसका जवाब हम आपको सामान्य तरीके से नीचे समझाने का प्रयास कर रहे हैं।

कैंसर होने पर शरीर क्या संकेत देता है इसे आप नीचे दिए हुए बिंदुओं के माध्यम से समझ सकते हैं: 

१) वजन कम होना: वजन कम होना कैंसर बीमारी के लक्षण में से मुख्य और पहला लक्षण हो सकता है। cancer.net (USA) की रिसर्च के अनुसार, जब ४० % लोगों को पहली बार कैंसर होने का पता चला था तब उनका वजन बहुत ही कम हो गया था।  

२) हमेशा थकान का महसूस करना: कैंसर बीमारी के लक्षण में हमेशा थकान महसूस करना भी प्रारंभिक लक्षणों में से एक हो सकता है। जॉन्स हॉपकिन्स मेडिसिन (Johns Hopkins Medicine) की रिपोर्ट के अनुसार कैंसर में जो थकान शरीर को महसूस होता है वह सामान्य थकान से अलग होता है यानी कि हम खेल या काम के बाद जो महसूस करते हैं उससे बिल्कुल अलग। वह एक ऐसी थकान होती है जो आराम करने से भी ठीक नहीं होती और जो लंबे समय से शरीस महसूस कर रहा हो। कैंसर रिसर्च यूके चैरिटी के अनुसार, यदि लंबे समय से सुबह थकान के कारण आपका उठना मुश्किल हो रहा है तो यह भी एक स्पष्ट संकेत है कैंसर बीमारी के लक्षण का।  

३) बार-बार बुखार आना: बुखार, सर्दी या फ्लू हम सभी को होता है और यह ठीक भी हो जाता है, लेकिन यदि बुखार लंबे समय से आपको आ रहा है और जाँच कराने पर भी यह ठीक नहीं हो पा रहा है तो यह भी कैंसर के प्रथम चरण का संकेत हो सकता है।  

४) शरीर में दर्द रहना: WebMD American Corporation के अनुसार कुछ प्रकार के कैंसर में शुरूआती अवस्था में ही दर्द शुरू हो जाता है। यदि हड्डी के कैंसर की बात करें तो इसमें प्रारंभिक स्थिति में ही दर्द शुरू हो जाता है। ब्रेन ट्यूमर में भी सिरदर्द लंबे समय तक रहता है और यह जाँच कराने पर भी ठीक नहीं होता है।   

५) लंबे समय से कफ़ की समस्या रहना: यदि आपको लंबे समय से कफ़ की समस्या है और अगर यह इलाज के बाद भी तीन से चार हफ़्ते तक ठीक नहीं हो रहा है तो यह भी कैंसर होने के लक्षण की तरफ़ इशारा करता है। 

पुरुषों और महिलाओं को होनेवाले सबसे अधिक कैंसर कौन से हैं? 

एक्सपर्ट्स के अनुसार कई कैंसर के लक्षण शुरूआती अवस्था में पता चल जाते हैं, लेकिन कुछ ऐसे कैंसर भी होते हैं जो जिनके लक्षणों का पता नहीं चल पता, यह साइलेंट होते हैं और अंतिम स्टेज में आकर ही इनका पता चल पाता है। अब यदि चर्चा करें कि पुरुषों और महिलाओं को किन कैंसर से अधिक ख़तरा होता है, तो विश्व स्वास्थ्य संगठन और ग्लोबोकैन के 2020 के डेटा के अनुसार, महिलाओं को स्तन, सर्वाइकल, गर्भाशय ग्रीवा, अंडाशय, मुँह का कैंसर और बड़ी आँत के कैंसर से अधिक ख़तरा होता है वहीं अगर पुरुषों में कैंसर के लक्षण की बात की जाए तो पुरुषों को लिप, मुँह के कैंसर, फेफड़ों के कैंसर, पेट के कैंसर, बड़ी आँत के कैंसर और खाने के नली के कैंसर से बहुत अधिक ख़तरा होता है।  

पुरुषों में कैंसर के लक्षण महिलाओं की तुलना में अधिक होते हैं या कम: 

मेडिकल न्यूज़ टुडे की रिपोर्ट के अनुसार, पुरुषों में कैंसर के लक्षण महिलाओं की तुलना में अधिक पाए जाते हैं। महिलाओं की तुलना में पुरुषों में ब्लैडर कैंसर का ख़तरा ३.३० गुना अधिक होता है। इसी प्रकार गैस्ट्रिक कार्डिया कैंसर ३.४९ गुना, लैरिंजीयल कैंसर ३.५३ गुना अधिक पुरुषों में महिलाओं की अपेक्षा पाया जाता है।   

कैंसर के निवारण के लिए उपाय और रोग की प्रारंभिक पहचान कैसे करें: 

कैंसर को जड़ से ख़त्म करना हमेशा संभव नहीं होता लेकिन कुछ उपायों के माध्यम से कोशिश अवश्य की जा सकती है। सबसे पहले आवश्यक है एक स्वस्थ जीवन शैली को अपनाना, भोजन में संतुलित आहार लेना, प्रतिदिन नियमित रूप से व्यायाम करना, तम्बाकू और शराब से परहेज करना, इत्यादि से बहुत हद तक बीमारी को कम किया जा सकता है।   

कुछ नियमित जाँच से भी कैंसर के शुरूआती लक्षण को पहचानने में सहायता मिल सकती है जैसे स्तन कैंसर के लिए मैमोग्राम और कोलोरेक्टल कैंसर के लिए कोलोनोस्कोपी जाँच प्रक्रिया। त्वचा कैंसर के शुरूआती लक्षणों की पहचान के लिए हम स्वयं भी नियमित रूप से अपनी त्वचा में हुए बदलाव की जाँच कर सकते हैं और इसी प्रकार हम स्तन या अंडकोष में हो रहे बदलाव को स्व-जाँच की सहायता से महसूस कर सकते हैं।  

निष्कर्ष: 

कैंसर वास्तव में बहुत ही चुनौतीपूर्ण बीमारी है, लेकिन चिकित्सा विज्ञान में हुई उन्नति के कारण इसके कई प्रभावी उपचार भी ढूँढ़े जा चुके हैं फिर भी शुरूआती लक्षणों की पहचान के आधार पर अतिशीघ्र उपचार करने से ही इस बीमारी को पूर्णतः नष्ट किया जा सकता है। एक स्वस्थ जीवन शैली, नियमित जाँच या स्व-जाँच ही शुरुआती पहचान और बीमारी की रोकथाम में सहायता कर सकती है। इस बीमारी की प्रारंभिक पहचान के लिए सरल उपाय है कि आप निरंतर स्वास्थ्य के प्रति जागरूक रहें और इस बात को ना भूलें कि कैंसर से लड़ना बहुत ही मुश्किल है और कई लोगों के लिए बीमारी से बचना असंभव है। ऐसे में व्यक्ति की आर्थिक और शारीरिक दोनों ही अवस्था पर असर पड़ता है।यदि आप या आपके घर में कोई भी व्यक्ति कैंसर से पीड़ित है, तो हमेशा याद रखिए कि आप अकेले नहीं हैं।  इस सफ़र में आपकी मदत के लिए भारत में कई सहायता समूह और संसाधन उपलब्ध हैं। याद रहे, “यदि आप स्वास्थ्य के प्रति जागरूक रहेंगे केवल तब आप इस बीमारी को हरा पाएँगे”।

कैंसर का इलाज अक्सर महंगा हो सकता है। ऐसे मामलों में, इम्पैक्ट गुरु जैसी वेबसाइट पर क्राउडफंडिंग कैंसर के इलाज के लिए धन जुटाने का एक शानदार तरीका हो सकता है।

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