ब्रेस्ट कैंसर के लक्षण, पहचान और इलाज | Breast Cancer In Hindi

स्तन या ब्रेस्ट कैंसर एक जानलेवा बीमारी है। स्तन कैंसर, स्तन में विकसित होता है। जब स्तन में कोशिकाएँ असामान्य रूप से बढ़ने लगती हैं तब यह एक ट्यूमर का रूप ले लेती है। पुरुषों की तुलना में महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर के लक्षण पाना अधिक आम है। यह कैंसर पुरुषों में भी पाया जाता है लेकिन बहुत कम। भारत के साथ दुनिया भर में, पिछले कुछ समय में महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर के लक्षण बहुत अधिक पाए गए हैं। बीमारी के सफ़ल इलाज के लिए ज़रूरी है कि ब्रेस्ट कैंसर की पहचान शुरूआती चरणों में ही हो जाए। इसके लिए आवश्यक है कि हम सभी अपने स्वास्थ्य के प्रति सतर्क और सचेत रहें। इस लेख के माध्यम से हमारा प्रयास है कि स्तन कैंसर के लक्षण या ब्रेस्ट कैंसर के लक्षण, कारण, निदान और उपचार विकल्प, इन सभी की उचित जानकारी हम आपको प्रदान कर सकें। 

क्या ब्रेस्ट कैंसर में दर्द होता है

ब्रेस्ट कैंसर का लक्षण

हम में से बहुत सी महिलाओं के मन में यह सवाल होता है कि क्या ब्रेस्ट कैंसर में दर्द होता है, तो इसका जवाब यहाँ समझाने का प्रयास किया गया है:

कई बार जब महिलाओं के स्तन में दर्द होता है तो उन्हें यह लगता है कि वह ब्रेस्ट कैंसर की शिकार हो चुकी हैं, पर ऐसा बहुत ही कम होता है। विशेषज्ञों के अनुसार ब्रेस्ट कैंसर में ब्रेस्ट में दर्द नहीं होता है और ऐसे बहुत ही कम मामले होते हैं जब ब्रेस्ट कैंसर में स्तन या ब्रेस्ट में दर्द हो। स्तन कैंसर से पीड़ित महिलाएँ, स्तन में गाँठ की शिकायत कर सकती हैं, पर यह गाँठ दर्दरहित होते हैं। यदि कोई महिला स्तन में दर्द की शिकायत करती है तो ऐसा केवल गंभीर मामलों में पाया जा सकता है। 

ब्रेस्ट कैंसर के लक्षण (ब्रेस्ट कैंसर के लक्षण हिंदी में)

महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर के लक्षण यदि प्रारंभिक अवस्था में ही पकड़ में आ जाएँ तो सफ़ल उपचार पूर्णतः संभव है। ब्रेस्ट कैंसर की पहचान के लिए कुछ सामान्य ब्रेस्ट कैंसर के लक्षण निम्न हैं:

a. ब्रेस्ट या अंडरआर्म में दर्दरहित गाँठ महसूस करना ब्रेस्ट कैंसर का लक्षण हो सकता है। 

b. यदि आप स्तन के आकार में परिवर्तन महसूस कर रहे हैं तो यह भी ब्रेस्ट कैंसर के लक्षण या स्तन कैंसर के लक्षण में से एक लक्षण हो सकता है। 

c. स्तन के स्किन पर परिवर्तन महसूस करना, जैसे त्वचा का झड़ना या सिकुड़ना, यह भी ब्रेस्ट कैंसर का लक्षण हो सकता है। 

d. निप्पल में परिवर्तन महसूस करना या निप्पल का भीतर की ओर चले जाना (उल्टा निप्पल) भी ब्रेस्ट कैंसर का लक्षण है। ऐसा होने पर आप एक्सपर्ट से सलाह ज़रूर लें। 

e. निप्पल से दूध के अलावा किसी द्रव या डार्क कलर का कोई लिक्विड निकलना या फिर खून निकलना यह भी ब्रेस्ट कैंसर के लक्षण या स्तन कैंसर के लक्षण में शामिल है। 

f. ब्रेस्ट की स्किन का कलर लाल या काला हो जाना या ब्रेस्ट में सूजन आना यह भी एक प्रकार का ब्रेस्ट कैंसर का लक्षण ही है। 

g. स्तन कैंसर में त्वचा से संबंधित किसी अन्य लक्षण की बात करें तो स्तन की त्वचा के बनावट में बदलाव महसूस करना, त्वचा पर छिलने जैसा निशान बन जाना, निप्पल या एरिओला के आसपास की त्वचा पर पपड़ी या मोटी पपड़ी बनना, स्तन या ब्रेस्ट कैंसर का लक्षण है।  

h. स्तन या अंडरआर्म में लगातार दर्द रहना भी ब्रेस्ट कैंसर के लक्षण या स्तन कैंसर के लक्षण में से एक लक्षण हो सकता है, पर ऐसे मामले बहुत कम देखे गए हैं। 

यह संभव है कि यह लक्षण अन्य कारणों से भी हो सकते हैं लेकिन फिर भी इन लक्षणों को शरीर में महसूस करने पर ब्रेस्ट कैंसर की पहचान के लिए या संदेह दूर करने के लिए चिकित्सक से अवश्य संपर्क करें। 

ब्रेस्ट कैंसर का सामान्य कारण

ब्रेस्ट कैंसर क्यों होता है या ब्रेस्ट कैंसर होने का क्या कारण है इसका कोई स्पष्ट कारण अभी तक नहीं पता चल पाया है, लेकिन कुछ शोधों के आधार पर इसके कुछ सामान्य कारण नीचे समझाने का प्रयास किया गया है:

a. बढ़ती उम्र: उम्र बढ़ने के साथ ब्रेस्ट कैंसर का लक्षण महिलाओं में प्रकट हो सकता है। ब्रेस्ट कैंसर होने का ख़तरा अधिकतर ५० वर्ष से अधिक की महिलाओं को होता है। 

b. लिंग: पुरुषों की तुलना में ब्रेस्ट कैंसर या स्तन कैंसर महिलाओं में अधिक पाया जाता है। 

c. पारिवारिक इतिहास: यदि आपके परिवार में किसी अन्य महिला को पूर्व में स्तन कैंसर हो चुका है, तो इस कारण से भी यह बीमारी परिवार के किसी अन्य स्त्री को हो सकती है।  

d. जीन में वंशानुगत उत्परिवर्तन: कुछ जीन जैसे बीआरसीए1(BRCA1) और बीआरसीए2(BRCA2) में वंशानुगत परिवर्तन या आनुवंशिकी उत्परिवर्तन, स्तन या ब्रेस्ट कैंसर के विकास के जोखिम को बढ़ा सकते हैं। 

e. हार्मोन उपचार: एस्ट्रोजेन के संपर्क में लंबे समय तक रहना, प्रारंभिक मासिक धर्म समय से पहले होना, देर से रजोनिवृत्ति और हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी, यह सब भी स्तन कैंसर के होने के अति प्रभावशाली कारक हैं। 

f. अस्वस्थ जीवनशैली: अधिक मोटापा, बिज़ी लाइफस्टाइल, अत्यधिक मात्रा में शराब का सेवन और धूम्रपान, इस कैंसर के बढ़ने में सहायक हो सकते हैं। 

g. पूर्व में स्तन कैंसर बीमारी का अनुभव: यदि किसी महिला को पूर्व में स्तन कैंसर या ब्रेस्ट कैंसर हो चुका है तो यह संभव है कि उसे यह बीमारी फिर हो सकती है। स्तन रोग के होने का ख़तरा गैर-कैंसर वाले स्तन रोग जैस एटिपिकल हाइपरप्लासिया (Atypical Hyperplasia) या लोबुलर कार्सिनोमा इन सीटू (Lobular Carcinoma in Situ – LCIS) के इतिहास से भी जुड़ा हो सकता है। 

महिलाओं में स्तन कैंसर के कारण

महिलाओं में स्तन कैंसर के विकास के बहुत से कारण असाधारण हो सकते हैं। कुछ ऐसे ही कारकों का उदाहरण नीचे समझाया गया है:

a. देर से प्रेग्नेंसी और ब्रेस्टफीडिंग नहीं कराना: जो महिलाएँ देर से गर्भ धारण करती हैं जैसे ३० वर्ष के बाद उन महिलाओं में स्तन कैंसर होने का ख़तरा अधिक होता है। इसके अतिरिक्त जो महिलाएँ अपने शिशु को ब्रेस्टफीडिंग या स्तनपान नहीं करवाती हैं या कम करवाती हैं उन महिलाओं में भी स्तन कैंसर होने का ख़तरा होता है।

b. गर्भनिरोधक गोलियाँ खाना: लंबे समय तक गर्भनिरोधक गोलियाँ लेनेवाली लेडीज़ को भी स्तन कैंसर होने का ख़तरा होता है। इसलिए प्रयास करें कि गर्भनिरोधक गोलियों का प्रयोग कम से कम करें या ना करें। 

c. हॉर्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी(एचआरटी): मेनोपॉज यानी रजोनिवृत्ति के समय जो महिलाएँ हॉर्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी (एस्ट्रोजेन-प्रोजेस्टिन थेरेपी) का उपयोग अधिक समय तक करती हैं उनमें भी स्तन कैंसर होने का ख़तरा बढ़ सकता है। 

स्तन कैंसर निदान(ब्रेस्ट कैंसर की पहचान)

स्तन कैंसर का सफ़ल इलाज तभी संभव है जब इसका निदान शुरूआती चरणों में ही हो जाए। स्तन कैंसर के लक्षण महसूस करने पर, स्तन कैंसर के निदान या पुष्टि के लिए डॉक्टर निम्न टेस्ट्स करवाने की सलाह दे सकता है:

a. ब्रेस्ट सेल्फ एग्ज़ामिनेशन(बीएसई): स्तन स्व-परीक्षा या ब्रेस्ट सेल्फ-एग्ज़ामिनेशन में महिलाएँ स्तन का आत्म-परीक्षण यानी कि स्वयं अपने स्तन की बनावट, आकार  या कोई भी बदलाव की जाँच करती हैं, जिससे उन्हें ब्रेस्ट कैंसर के लक्षणों की शुरूआती अवस्था में पहचान करने में मदद मिल सकती है। 

b. क्लिनिकल ब्रेस्ट एग्ज़ामिनेशन(सीबीई): क्लीनिकल ब्रेस्ट एग्ज़ामिनेशन में एक स्वास्थ्य विशेषज्ञ, ब्रेस्ट में किसी बदलाव की पहचान के लिए ब्रेस्ट और अंडरआर्म के एरियाज़ की जाँच करता है। 

c. मैमोग्राफी: मैमोग्राफ एक इमेजिंग टेस्ट या लो-डोज़ एक्स-रे टेक्नीक है। मैमोग्राफी में शुरूआती चरणों में ब्रेस्ट-कैंसर का पता लगाने के लिए  स्तन के ऊतक में असामान्य बदलाव की जाँच की जाती है। 

d. अल्ट्रासाउंड: ब्रेस्ट अल्ट्रासाउंड एक इमेजिंग टेस्ट है जिसमें स्तन के ऊतकों  (ब्रेस्ट के टिश्यू ) का टेस्ट किया जाता है। अल्ट्रासाउंड में उच्च आवृति ध्वनि तरंगों (हाई फ्रीक्वेंसी साउंड वेव्स) की सहायता से स्तन के ऊतकों की छवियाँ या फोटोज़ तैयार किए जाते हैं। इसके अतिरिक्त यदि स्तन में गाँठ हैं तो अल्ट्रासाउंड के दौरान गाँठ का भी टेस्ट किया जाता है यह पता लगाने के लिए कि यह कोई ट्यूमर है या तरल पदार्थों से भरी हुई कोई सिस्ट। ब्रेस्ट सिस्ट का अर्थ होता है ब्रेस्ट के भीतर द्रव से भरा कोई थैला।

e.  मैग्नेटिक रेज़ोनेंस इमेजिंग स्कैन(एमआरआई स्कैन ): मैग्नेटिक रेज़ोनेंस इमेजिंग (एमआरआई) स्कैन से स्तन के ऊतकों की विस्तृत छवि या यह कहें कि स्तन कैंसर की पहचान के लिए स्तन के ऊतकों की विस्तृत (डिटेल्ड) फोटोज़ चुंबकीय क्षेत्र और रेडियो तरंगों का उपयोग कर तैयार किए जाते हैं। घने स्तन ऊतक वाली महिलाओं या जिन्हें इस कैंसर से अत्यधिक ख़तरा होता है उनके लिए एमआरआई स्कैन बहुत ही उपयोगी है। 

f. बायोप्सी: बायोप्सी में स्तन कैंसर का पता लगाने के लिए स्तन ऊतक के एक छोटे से नमूने को प्रयोगशाला भेजा जाता है। बायोप्सी द्वारा स्तन कैंसर का निदान पूर्ण रूप से संभव है। बायोप्सी के कुछ प्रकार में फाइन-नीडल एस्पिरेशन, कोर-नीडल एस्पिरेशन और सर्जिकल बायोप्सी शामिल हैं।

स्तन कैंसर उपचार के विकल्प

स्तन कैंसर का उपचार कैंसर के चरण, रोगी के संपूर्ण स्वास्थ्य और व्यक्तिगत प्राथमिकताओं पर निर्भर करता है। स्तन कैंसर के कुछ सामान्य उपचार विकल्प इस प्रकार हैं:

a. सर्जरी: ब्रेस्ट कैंसर के उपचार के लिए सर्जरी एक प्राथमिक उपचार विकल्प है। सर्जरी के द्वारा ट्यूमर को और उसके आसपास के कैंसर सेल्स और ऊतकों को हटाया जाता है। सर्जिकल प्रक्रियाओं में, लम्पेक्टोमी अर्थात ट्यूमर और उसके आसपास के ऊतकों की थोड़ी मात्रा हटाना और मास्टेक्टॉमी जिसमें पूरे स्तन को हटाना शामिल है। 

b. रडिएशन थेरेपी: रेडिएशन थेरेपी में कैंसर कोशिकाओं को नष्ट करने या उसके विकास को धीमा करने के लिए उच्च ऊर्जा विकिरण या उच्च ऊर्जा एक्स-रे का उपयोग किया जाता है। इस उपचार विकल्प का उपयोग सर्जरी के बाद बचे हुए कैंसर कोशिकाओं को नष्ट करने के लिए किया जाता है। कई बार इस थेरेपी का उपयोग उन रोगियों के लिए स्टैंडअलोन उपचार विकल्प के रूप में भी किया जाता है जिनके लिए सर्जरी उपचार विकल्प का उपयोग नहीं किया जा सकता है। 

c. कीमोथेरेपी: कीमोथेरेपी के दौरान कैंसर कोशिकाओं को नष्ट करने के लिए या उसे बढ़ने से रोकने के लिए दवाइयों का प्रयोग किया जाता है। कीमोथेरेपी उपचार विकल्प का उपयोग ट्यूमर को सिकोड़ने के लिए सर्जरी(एडजुवेंट थेरेपी) से पहले या कैंसर की पुनरावृत्ति को रोकने के लिए सर्जरी(सहायक चिकित्सा) के बाद किया जा सकता है। 

d. हॉर्मोन थेरेपी: हॉर्मोन थेरेपी का उपयोग हॉर्मोन पॉजिटिव स्तन कैंसर के इलाज के लिए किया जाता है। इन स्तन कैंसर कोशिकाओं में रिसेप्टर्स होते हैं जोकि एक प्रकार के प्रोटीन हैं और यह हॉर्मोन से संबंधित होते हैं। कैंसर कोशिकाओं के विकास में यही हॉर्मोन्स सहायक होते हैं।

e. टार्गेटेड थेरेपी: टार्गेटेड थेरेपी में स्वस्थ या सामान्य कोशिकाओं को प्रभावित किए  बिना कैंसर कोशिकाओं की कुछ विशेषताओं जैसे, असामान्य प्रोटीन या जेनेटिक म्यूटेशन्स को लक्षित कर दवाइयों का उपयोग करना शामिल है। 

f. इम्यूनोथेरपी: इम्यूनोथेरपी में, कैंसर से लड़ने के लिए रोगी के प्रतिरक्षा प्रणाली का उपयोग किया जाता है। इम्यूनोथेरपी के द्वारा कुछ प्रकार के स्तन कैंसर के उपचार के लिए कैंसर सेल्स में मौजूद PD-L1( प्रोग्राम्ड सेल डेथ लिगैंड 1) प्रोटीन को लक्षित किया जाता है। PD-L1 एक प्रोटीन है जो प्रतिरक्षा प्रणाली के कार्य में अवरोधक होती है।  

क्या ब्रेस्ट कैंसर का इलाज संभव है?

यदि यह सवाल आपके मन में है कि ब्रेस्ट कैंसर का इलाज संभव है या नहीं तो इसका जवाब है, हाँ इसका इलाज हो सकता है और इसके शुरूआती पहचान से सफ़ल उपचार भी संभव है। रोग का निदान, कैंसर के चरण, ट्यूमर किस प्रकार का है, ट्यूमर की विकसित होने की क्षमता(ट्यूमर का ग्रेड) कितनी है और रोगी का संपूर्ण स्वास्थ्य इन सभी बातों पर निर्भर करता है। पिछले कुछ वर्षों में, चिकित्सा अनुसंधान और प्रौद्योगिकी में प्रगति के कारण आधुनिक नैदानिक उपकरणों और नए उपचार विकल्पों की सहायता से कैंसर मरीज़ों के जीवित रहने की दर में बहुत सुधार हुआ है। 

निष्कर्ष

भारत में ब्रेस्ट कैंसर एक महत्त्वपूर्ण चिंता का विषय बन चुका है। ब्रेस्ट कैंसर से पूर्ण रूप से मुक्ति पाने के लिए यह ज़रूरी है कि इसकी पहचान प्रांरभिक अवस्था में ही हो जाए, जिससे समय पर इसका उपचार शुरू किया जा सके। इस कैंसर से बचने के लिए भारत की महिलाओं को इसके लक्षण और जोखिम कारकों की पूर्ण रूप से जानकारी होना और ब्रेस्ट सेल्फ-एग्ज़ामिनेशन्स करना आवश्यक है। रोग के प्रारंभिक निदान और सफ़ल उपचार के लिए चिकित्सक द्वारा नियमित जाँच करवाना और चिकित्सक से सलाह लेना भी महत्त्वपूर्ण है। एक स्वस्थ जीवनशैली अपनाने से, स्वस्थ वजन बनाए रखने से और फिजिकल एक्टिविटीज़ में शामिल होने से स्तन कैंसर के ख़तरे को कम करना संभव है। 

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ब्रेस्ट कैंसर के लक्षण और उपाय

यदि अब भी आपके मन में सवाल हैं ब्रेस्ट कैंसर के लक्षण और उपाय से संबंधित तो यहाँ इसे संक्षेप में समझाने का प्रयास किया गया है :

ब्रेस्ट कैंसर के लक्षण (ब्रेस्ट कैंसर के लक्षण हिंदी में)

ब्रेस्ट कैंसर के सामान्य लक्षणों में ब्रेस्ट या अंडरआर्म में दर्दरहित गाँठ महसूस करना,  स्तन के आकार में बदलाव महसूस करना ,निप्पल में परिवर्तन महसूस करना, स्तन या अंडरआर्म में दर्द रहना, ब्रेस्ट में सूजन महसूस करना, ब्रेस्ट के स्किन का कलर काला या लाल पड़ना इत्यादि शामिल हैं। 

ब्रेस्ट कैंसर से बचने के उपाय

नियमित रूप से व्यायाम करने से, शराब के सेवन से बचने से, गर्भनिरोधक गोलियाँ नहीं खाने से, स्तनपान कराने से, स्वस्थ आहार लेने से ब्रेस्ट कैंसर से बचा जा सकता है। 

कैंसर का इलाज अक्सर महंगा हो सकता है। ऐसे मामलों में, इम्पैक्ट गुरु जैसी वेबसाइट पर क्राउडफंडिंग कैंसर के इलाज के लिए धन जुटाने का एक शानदार तरीका हो सकता है।

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