Table of Contents
- रक्त कैंसर (ब्लड कैंसर)
- ब्लड कैंसर में क्या परेशानी होती है?/रक्त कैंसर में क्या परेशानी होती है?
- ब्लड कैंसर कैसे होता है/ब्लड कैंसर क्यों होता है:
- ब्लड कैंसर के लक्षण और उपचार
- रक्त कैंसर के प्रकार:
- रक्त कैंसर के लक्षण/रक्त का कैंसर के लक्षण/ब्लड कैंसर सिम्पटम्स:
- रक्त कैंसर का निदान:
- रक्त कैंसर का उपचार/रक्त का कैंसर के इलाज के बारे में जानकारी:
- रक्त कैंसर का इलाज संभव है या नहीं/ब्लड कैंसर का इलाज संभव है या नहीं :
- निष्कर्ष:
रक्त कैंसर (ब्लड कैंसर)

रक्त कैंसर (ब्लड कैंसर) जिसे ल्यूकेमिया भी कहा जाता है, एक बहुत ही गंभीर और घातक बीमारी है। सामान्य भाषा में समझें तो यह कैंसर रक्त(खून) या अस्थि मज्जा से संबंधित होता है। जब हमारे शरीर में वाइट ब्लड सेल्स बढ़ जाते हैं तब ब्लड कैंसर के लक्षण देखे जा सकते हैं। इस रोग में कैंसर की कोशिकाएँ अनियंत्रित तरीके से हड्डियों के अस्थि मज्जा में बढ़ने लगती हैं। यह कोशिकाएँ जब खून में फैल जाती हैं तब जाँच द्वारा इसकी पहचान भी मुश्किल होती है, क्योंकि इस कैंसर में अन्य कैंसर की तरह ट्यूमर नहीं बनता जिसकी पहचान एक्स-रे के माध्यम से की जा सके और यह स्थिति बहुत ही भयावह होती है। ब्लड कैंसर के लक्षण बच्चों में भी देखे जा सकते हैं और वयस्क में अधिक सामान्य हैं।
इस लेख के माध्यम से हमारा केवल एक उद्देश्य है कि हम आपको ब्लड कैंसर के लक्षण और उपचार विधियों, कारण और इसके पूर्णतः इलाज के संदर्भ में ज्ञान प्रदान कर सकें।
ब्लड कैंसर में क्या परेशानी होती है?/रक्त कैंसर में क्या परेशानी होती है?
सामान्य रूप से यदि हम यह समझना चाहें कि ब्लड कैंसर में क्या परेशानी होती है तो ब्लड और कैंसर इन दो शब्दों से ही स्पष्ट हो रहा है जो कैंसर ब्लड या रक्त से संबंधित हो। ब्लड कैंसर या रक्त कैंसर में असामान्य रूप से ब्लड सेल्स बनने लग जाते हैं। स्वस्थ ब्लड सेल्स का प्रभाव कम होने लगता है, जिससे शरीर की बीमारियों से लड़ने की क्षमता ख़त्म होने लगती है और हमारा शरीर संक्रमित रहने लगता है। रक्त कैंसर के लक्षणों में शामिल है: वजन अचानक से कम होना, लगातार शरीर में थकान रहना, भूख में कमी, असामान्य रक्तस्त्राव, हड्डियों में दर्द रहना इत्यादि।
ब्लड कैंसर कैसे होता है/ब्लड कैंसर क्यों होता है:
यदि इस विषय पर बात करें कि रक्त का कैंसर कैसे होता है या ब्लड कैंसर क्यों होता है तो बहुत से रक्त कैंसर का कारण अब तक पता नहीं चल पाया है। सामान्यतः यह तब होता है जब रक्त कोशिकाओं के जीन में कुछ असामान्य बदलाव होते हैं और सफ़ेद रक्त कोशिकाएँ अनियंत्रित रूप से बढ़ने लगती हैं। वैसे कई बार रक्त कैंसर होने के कुछ और भी कारण हो सकते हैं जिन्हें यहाँ समझाने का प्रयास किया गया है:
१) उम्र: ब्लड कैंसर या रक्त कैंसर का अधिकतर ख़तरा उम्र के साथ बढ़ता है। सामान्यतः इस बीमारी से ग्रसित व्यक्ति की उम्र ६५ वर्ष या उससे अधिक हो सकती है।
२) पारिवारिक इतिहास: वैसे तो अधिकांश रक्त का कैंसर पारिवारिक इतिहास से नहीं जुड़ा होता है, लेकिन यदि पहले यह रोग आपके परिवार में किसी को हो चुका है तब यह रोग परिवार के किसी सदस्य को होने की भी संभावना होती है।
३) केमिकल के संपर्क में रहने से: पेट्रोल में पाए जानेवाले बेंजीन जैसे रसायनों के संपर्क में अधिक समय तक रहने वाले व्यक्ति को रक्त का कैंसर होने का ख़तरा बढ़ जाता है।
४) रेडिएशन: हाई एनर्जी वाले रेडिएशन जैसे परमाणु बम विस्फोट या एलेक्ट्रोमॅग्नेटिक क्षेत्र के संपर्क में आने से भी रक्त कैंसर होने का ख़तरा बढ़ जाता है।
५) लिम्फोमा वायरस: लिम्फोमा वायरस या एप्सटीन-बार वायरस जैसे वायरस भी रक्त कैंसर होने के कारक हो सकते हैं।
६) आनुवंशिक विकार: अनुवांशिक विकार जैसे डाउन सिंड्रोम से पीड़ित व्यक्ति को भी रक्त कैंसर होने का ख़तरा अधिकतर होता है।
ब्लड कैंसर के लक्षण और उपचार
रक्त कैंसर के प्रकार:
रक्त कैंसर तीन प्रकार के होते हैं।
१) ल्यूकेमिया: इस प्रकार का रक्त कैंसर तब होता है जब सफ़ेद रक्त कोशिकाओं का अनियंत्रित रूप से उत्पादन होना शुरू होता है। अनियंत्रित रूप से बढ़ती यह कोशिकाएँ अस्थि मज्जा की लाल रक्त कोशिकाएँ और प्लेटलेट्स के विकास को रोकती है।
२) लिम्फोमा: इस तरह का रक्त कैंसर लिम्फोसाइट्स या लिम्फ नोड्स के साथ लसीका तंत्र को प्रभावित करता है। सामान्य भाषा में कहा जाए तो सफ़ेद रक्त कोशिकाओं को ही लिम्फोसाइट्स कहा जाता है जो हमारे शरीर में संक्रमण से लड़ती है। असामान्य लिम्फोमा कोशिकाएँ जब उत्पादित होती हैं तब यह प्रतिरक्षा प्रणाली को प्रभावित करती हैं।
३) मायलोमा: यह कैंसर प्लाज़्मा कोशिकाओं के असामान्य रूप से प्रसार के कारण होता है। प्लाज़्मा कोशिकाएँ एक प्रकार की सफ़ेद रक्त कोशिकाएँ होती हैं जो एंटीबॉडी के विकास का कारण होती हैं और संक्रमण से लड़ने में सहायक होती है। कैंसर प्लाज़्मा कोशिकाएँ एंटीबॉडी के उत्पादन को रोकती हैं साथ ही इसके कार्य के मार्ग में भी रूकावट उत्पन्न करती हैं।
रक्त कैंसर के लक्षण/रक्त का कैंसर के लक्षण/ब्लड कैंसर सिम्पटम्स:
रक्त या ब्लड कैंसर के कोई मुख्य लक्षण नहीं हैं, लेकिन रक्त कैंसर के अलग-अलग प्रकार के आधार पर इसके लक्षण अलग-अलग हो सकते हैं जो कि इस प्रकार हैं:
१) शरीर में थकान और कमज़ोरी रहना: यह एनीमिया(लाल रक्त कोशिकाओं की कमी) के कारण होता है।
२) शरीर में लगातार संक्रमण रहना: जब शरीर में स्वस्थ सफ़ेद रक्त कोशिकाओं की कमी होने लग जाती है, शरीर की संक्रमण से लड़ने की क्षमता कम होने लग जाती है और लगातार संक्रमण होने का ख़तरा बढ़ता है।
३) असामान्य रक्तस्त्राव और घाव ठीक ना होना: जब रक्त में प्लेटलेट्स की कमी होती है तब मसूड़ों, नाक से खून बह सकता है या अधिक चोट लग सकती है।
४) लगातार बुखार आना और रात में पसीना आना: लगातार बुखार आना, जाँच करने पर ठीक ना होना और रात में पसीना आना यह भी ब्लड कैंसर के लक्षण में से एक हो सकते हैं।
५) हड्डी में दर्द रहना: जोड़ों और हड्डियों में लगातार दर्द रहना भी हड्डियों में कैंसर होने का संकेत होता है।
६) लिम्फ नोड्स में सूजन रहना: लिम्फ नोड्स में सूजन भी ब्लड कैंसर के लक्षण में से एक है।
७) वजन घटना: भूख ना लगना और वजन अचानक से कम हो जाना ब्लड कैंसर के लक्षण में प्रारंभिक लक्षण माना जा सकता है।
यदि आपको उपरोक्त लक्षणों में से कोई भी लक्षण अपने शरीर में महसूस हो तो आपको स्वास्थ्य के प्रति जागरूक होने की आवश्यकता है। प्रारंभिक अवस्था में बीमारी की पहचान ही आपको इस बीमारी से पूर्णतः मुक्ति दिला सकती है।
रक्त कैंसर का निदान:
उपरोक्त लक्षणों में से यदि आप अपने शरीर में कोई भी लक्षण महसूस करते हैं तो आपको चिकित्स्क से सलाह लेने की अतिशीघ्र आवश्यकता है। आप रक्त कैंसर से पीड़ित हैं या नहीं इसका पता लगाने के लिए डॉक्टर आपको कुछ परीक्षण(टेस्ट्स) कराने की सलाह देंगे जो परीक्षण(टेस्ट्स) इस प्रकार हैं:
१) पूर्ण रक्त परीक्षण: पूर्ण रक्त परीक्षण के माध्यम से आपके शरीर में रक्त कोशिकाओं की संख्या कितनी है, उनका आकर कैसा है और स्वास्थ्य संबंधी बहुत सी जानकारियाँ इन सभी बातों का पता लगाया जा सकता है। इसमें लाल रक्त कोशिकाएँ, सफ़ेद रक्त कोशिकाएँ और प्लेटलेट्स भी सम्मिलित है।
२) अस्थि मज्जा आकांक्षा और बायोप्सी(बोन मेरो टेस्ट और बायोप्सी): इस परीक्षण में डॉक्टर अस्थि मज्जा का एक सैंपल लेता है जो कि कूल्हे की हड्डी से लिया जाता है। इसके अतिरिक्त अस्थि मज्जा बायोप्सी के माध्यम से डॉक्टर ब्लड सेल्स की सेहत का परीक्षण करता है।
३) लिम्फ नोड बायोप्सी: लिम्फ नोड के बढ़ने के कारण, कैंसर कोशिकाओं के परीक्षण के लिए यह बायोप्सी की जाती है।
४) इमेजिंग टेस्ट: इमेजिंग टेस्ट में एक्स-रे, सीटी स्कैन और अल्ट्रासाउंड शामिल है जिसके माध्यम से शरीर में बढे हुए लिम्फ नोड्स की या अंगों का परीक्षण किया जाता है।
५) काठ पंचर(स्पाइनल टैप): कुछ केस में कैंसर कोशिकाओं के परीक्षण के लिए मस्तिष्कमेरु द्रव का एक सैंपल लिया जाता है।
६) फ्लो साइटोमेट्री: कोशिकाओं में डीएनए की मात्रा का पता लगाने के लिए यह परिक्षण सामान्यतः किया जाता है। फ्लो साइटोमेट्री परीक्षण के माध्यम से रक्त कैंसर की जाँच आसानी संभव है।
रक्त कैंसर का उपचार/रक्त का कैंसर के इलाज के बारे में जानकारी:
ब्लड कैंसर का इलाज संभव है या नहीं यह रक्त कैंसर के प्रकार, रोगी की उम्र, कैंसर आपके शरीर में किन हिस्सों में फैला है और कितनी तेज़ी से कैंसर विकसित हो रहा है इन सभी बातों पर निर्भर करता है। यहाँ नीचे कुछ उपचार विधियों के संदर्भ में जानकारी दी गई है।
१) कीमोथेरेपी: यह बहुत से प्रकार के रक्त कैंसर का प्रमुख उपचार है। कीमोथेरेपी में सेल्स को बढ़ने से रोकने के लिए दवाइयों का उपयोग किया जाता है।
२) विकिरण चिकित्सा: इस उपचार विधि में कैंसर सेल्स को नष्ट करने और ट्यूमर को सिकोड़ने के लिए उच्च ऊर्जा विकिरण का उपयोग किया जाता है।
३) स्टेम सेल प्रत्यारोपण: इस विधि में मरीज़ के शरीर में स्वस्थ ब्लड सेल्स को डाला जाता है जो कि अस्वस्थ ब्लड सेल्स से लड़ने में सक्षम होती है।
४) इम्यूनोथेरपी: इस उपचार विधि में कैंसर रोग से लड़ने के लिए शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को मज़बूत बनाकर इसका उपयोग किया जाता है। इस विधि का उपयोग अन्य उपचार विधि के साथ भी किया जाता है।
५) लक्षित थेरेपी: लक्षित थेरेपी में अन्य कोशिकाओं को प्रभावित किए बिना केवल कैंसर कोशिकाओं को टार्गेट कर उन पर दवाइयों का उपयोग किया जाता है।
६) सतर्क प्रतीक्षा: शरीर में धीरे-धीरे फैल रही कैंसर के लिए, कैंसर की जाँच और पुष्टि होने पर ही डॉक्टर उपचार प्रारंभ करने का निर्णय ले सकते हैं।
रक्त कैंसर का इलाज संभव है या नहीं/ब्लड कैंसर का इलाज संभव है या नहीं :
हाँ, अब रक्त कैंसर का इलाज संभव है। चिकित्सा विज्ञान के प्रयासों और उन्नति के आधार पर यह कहा जा सकता है कि अब रक्त कैंसर का इलाज संभव है। बस इसके लिए आवश्यक है व्यक्ति का अपने स्वास्थ्य के प्रति जागरूक रहना। सामान्यतः जीवित रहने की दर और रोग का निदान, कैंसर के प्रकार और उसके चरण के आधार पर निर्धारित की जाती है। जितनी जल्दी बीमारी का निदान होगा, जीवित रहने की दर में भी उतना ही सुधार होगा।
चिकित्सा प्रौद्योगिकी और अनुसंधान में हुए प्रगति के कारण पिछले कुछ दशकों में रक्त कैंसर के उपचार विधियों में बहुत से नए बदलाव किए गए हैं। जिसका उत्तम परिणाम और कम से कम दुष्प्रभाव भी हम सब के सामने आए हैं।
निष्कर्ष:
रक्त कैंसर का निदान, भयावह संभव है लेकिन यह बात याद रखें कि अब आधुनिक उपचार विधियों की सहायता से इसे पूर्णतः ठीक भी किया जा सकता है। शुरूआती अवस्था में ही यदि लक्षणों की पहचान कर ली जाए तब निश्चित रूप से रोगी इस रोग से मुक्त होकर अपना पूरा जीवन आनंद के साथ बिता सकते हैं, बस इसके लिए ज़रूरी है स्वास्थ्य के प्रति जागरूक रहना। एक स्वस्थ जीवन शैली, नियमित चिकित्सा जाँच और स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता ही इस बीमारी के प्रभाव को बहुत हद तक ख़त्म कर सकता है।
यदि आप अपने शरीर में किसी भी रक्त कैंसर संबंधी लक्षण को महसूस करते हैं तो तत्काल चिकित्सक से सलाह लें। दोस्त, परिवार और कैंसर सहायता समूहों का समर्थन भी आपको रक्त कैंसर से उत्पन्न चुनौतियों से लड़ने के लिए योग्य बनाता है। हमेशा याद रहे, आप इस सफ़र में अकेले बिल्कुल नहीं हैं।
कैंसर का इलाज अक्सर महंगा हो सकता है। ऐसे मामलों में, इम्पैक्ट गुरु जैसी वेबसाइट पर क्राउडफंडिंग कैंसर के इलाज के लिए धन जुटाने का एक शानदार तरीका हो सकता है।























