एंजियोग्राफी के फायदे, साइड इफेक्ट और अन्य महत्वपूर्ण जानकारियाँ

स्वस्थ शरीर पाने के लिए आदमी क्या कुछ नहीं करता। शरीर हमारा सबसे बड़ा धन है। यह तन अमूल्य है। इसलिए अपने शरीर को हमेशा सुरक्षित रखें। तभी तो बड़े बुजुर्ग कह गए हैं कि स्वस्थ्य तन से अताह धन प्रतिफलित होता है। यानी तन सही तो सब सही। इस तन की सुरक्षा के लिए मनुष्य डॉक्टर के पास जाता है। अगर आप ठीक नहीं है तो डॉक्टर लक्षण की जांच के अतिरिक्त कुछ परीक्षण अर्थात टेस्ट का सुझाव देता है। ऐसा ही एक परीक्षा है एंजियोग्राफी टेस्ट जिस पर हम इस लेख में विस्तार से चर्चा करने वाले हैं।

आज के इस लेख में एंजियोग्राफी क्या है, एंजियोग्राफी क्यों किया जाता है, एंजियोग्राफी कैसे होती है, एंजियोग्राफी कितने प्रकार की होती है, एंजियोग्राफी के फायदे, एंजियोग्राफी के साइड इफेक्ट, एंजियोग्राफी का खर्च, एंजियोग्राफी के बाद सावधानियां, एंजियोग्राफी और एंजियोप्लास्टी में क्या अंतर है, एंजियोप्लास्टी के बाद सावधानियां, निष्कर्ष पर विस्तार से प्रकाश डाला गया है ताकि लोगों में इस विषय के प्रति जागरूकता हो।

एंजियोग्राफी क्या है?

Angiography In Hindi

रक्त के प्रवाह (ब्लड फ्लो) और रक्त परिसंचरण (ब्लड सप्लाई) की जांच जिस परीक्षण के माध्यम से की जाती है उसे एंजियोग्राफी टेस्ट कहते हैं। इसका एक अन्य नाम आर्टिरियोग्राफी भी है। ये मेडिकल इमेजिंग की एक तकनीक है जिसमें एक्स-रे के माध्यम से ब्लड फ्लो और ब्लड सप्लाई की जांच की जाती है। इस टेस्ट के समय सूक्ष्म जानकारियां स्क्रीन और रिपोर्ट पर स्पष्ट दिखे इस हेतु एक विशेष प्रकार के पदार्थ को मानव शरीर में इंजेक्ट किया जाता है। यानी यह टेस्ट आर्टरी, वेन्स और हृदय के ओझल हिस्सों का चित्रण आधुनिक प्रक्रिया के माध्यम से करता है। इस टेस्ट के लिए जिस पदार्थ को प्रयोग में लाया जाता है उसे रेडियो-ओपेक कंट्रास्ट एजेंट कहते हैं। जिस एक्स-रे तकनीक का इस टेस्ट में प्रयोग किया जाता है उसे फ्लोरोस्कोपी कहते हैं। फ्लोरोस्कोपी के माध्यम से जिस फिल्म पर आर्टरी और वेन्स का छायांकन किया जाता है उसे एंजियोग्राफ कहते हैं।

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एंजियोग्राफी क्यों किया जाता है?

अगर किसी व्यक्ति को सीने में असहनीय पीड़ा का सामना करना पड़ रहा है और छाती में दर्द के साथ-साथ हाफने की शिकायत रहती है तो उसका रक्त परिसंचरण ठीक नहीं है। यानी आर्टरी और वेन्स में ब्लड सर्कुलेशन और ब्लॉकेज की समस्या है। ब्लड की सर्कुलेशन, ब्लॉकेज आदि की जानकारी इस एंजियोग्राफी टेस्ट के माध्यम से प्राप्त होती है।

एंजियोग्राफी कैसे होती है?

सबसे पहले मानव शरीर में एक पदार्थ इंजेक्शन के माध्यम से डाला जाता है जिसे रेडियो-ओपेक कंट्रास्ट एजेंट कहते हैं। यह पदार्थ की संरचना इस प्रकार होती है कि यह पारदर्शी नहीं होता। इस पदार्थ के कारण एंजियोग्राफ पर वेन्स और आर्टरी स्पष्ट दिखाई देते हैं। एंजियोग्राफ वह फिल्म है जिस पर आर्टरी और वेन्स की छवि फ्लोरोस्कोपी के माध्यम से खींची जाती है। फ्लोरोस्कोपी एक प्रकार की एक्स-रे तकनीक है। रेडियो-ओपेक कंट्रास्ट पदार्थ को कैथेटर नामक ट्यूब के माध्यम से हाथ या पैर में भेजा जाता है।

एंजियोग्राफी कितने प्रकार की होती है

परीक्षण का प्रकार उपयोग में लाये जाने वाले उपकरण और पद्धति के अनुसार वर्गीकृत किया गया है। टेस्ट के प्रकार में परिणाम कितना सटीक होगा यह भी उस विशेष परीक्षण पद्धति पर निर्भर करता है।

आइए जानें एंजियोग्राफी टेस्ट के प्रकार जो कि निम्नलिखित हैं :

  • कम्प्यूटेड टोमोग्राफी : यह नाम से ही स्वयं को परिभाषित कर रहा है। इस प्रकार के परीक्षण की पद्धति में कम्प्यूटर की सहायता से जांच की जाती है। रक्त वाहिकाओं का स्पष्ट चित्रण तथा सम्पूर्ण जानकारी सीटी स्कैन की सहायता से प्राप्त की जाती है। एमआरआई तकनीक का प्रयोग भी कम्प्यूटेड टोमोग्राफी में किया जाता है
  • कोरोनरी एंजियोग्राफी : इस तकनीक में एक्स-रे का प्रयोग कर हृदय के धमनियों की जांच की जाती है। विशेष डाई को शरीर में प्रवेश कराया जाता है ताकि एक्स-रे फिल्म में हृदय की धमनियों का स्पष्ट चित्रण हो सके और वांछित परिणाम प्राप्त हो सके।
  • मैग्नेटिक रेजोनेंस एंजियोग्राफी : इस प्रकार के परीक्षण की पद्धति में मैग्नेटिक रेजोनेंस अर्थात रेडियो तरंगों की सहायता से रक्त वाहिकाओं का चित्रण कम्प्यूटर स्क्रीन पर उतारा जाता है ताकि जांच हो सके।
  • डिजिटल सबट्रैक्शन एंजियोग्राफी : यह एक प्रकार की फ्लोरोस्कोपी तकनीक है जिसमें हड्डियों की जांच की जाती है। इस प्रकार के अंतर्गत इंटरवेंशनल रेडियोलॉजी का प्रयोग कर सफल जांच और परिणाम प्राप्त किये जाते हैं।
  • पल्मोनरी एंजियोग्राम : फेफड़ों में रक्त का प्रवाह किस तरह हो रहा है, यह प्रवाह ठीक है या नहीं इसकी जांच जिस प्रकार से की जाती है उसे पल्मोनरी एंजियोग्राम कहते हैं।
  • रेडियोन्यूक्लाइड एंजियोग्राम : टिश्यू या ऊतकों की विशेष प्रकार की जांच की जाती है उसे रेडियोन्यूक्लाइड एंजियोग्राम कहते हैं। इस प्रकार की जांच करने हेतु न्यूक्लियर मेडिसिन को प्रयोग में लाया जाता है।
  • रेनल एंजियोग्राम : किडनी की वेसल्स की जांच करने हेतु जिस प्रक्रिया को प्रयोग में लाया जाता है उसे रेल एंजियोग्राम कहते हैं। इस प्रक्रिया के अंतर्गत इमेज टेस्टिंग की जाती है।

एंजियोग्राफी के फायदे

चूंकि यह समस्या का निदान है इसलिए इसके एक नहीं अनेक फायदे हैं। यही कारण है कि हम एंजियोग्राफी के फायदे को आलेख के इस भाग में विस्तार से चर्चा करने वाले हैं। रक्त परिसंचरण में गंभीर समस्या का इलाज इसके माध्यम से प्राप्त किया जाता है इसलिए लोगों को इस  जानकारी मिलनी चाहिए।

आइए जानें एंजियोग्राफी के फायदे जो की निम्नलिखित हैं :

  • समस्या का समाधान : ये धमनियों में ब्लॉकेज की सही जानकारी स्पष्ट चित्रण के माध्यम से प्रदान करता है। स्पष्ट चित्रण के माध्यम से डॉक्टर सही समय पर उचित उपचार दे सकता है।
  • रोकथाम की प्रक्रिया : इसकी रोकथाम कैसे हो इस हेतु डॉक्टर आराम से और सही योजना बना सकते हैं ताकि मरीज के जीवन की दिशा और दशा बदल सके।
  • खतरा कम है : उपचार की प्रक्रिया बहुत ही सरल है और इसमें जोखिम भी कम है। अन्य किसी भी सर्जरी की तुलना में यह सर्जरी कम जोखिम वाली है।
  • भविष्य की राह : सर्जरी के पश्चात डॉक्टर आगे की भी तैयारी करते हैं अर्थात सर्जरी के पश्चात अन्य कोई सर्जरी की आवश्यकता है या नहीं इसकी भी योजना बनाई जाती है।

एंजियोग्राफी के साइड इफेक्ट

सर्जरी के बाद मरीज की समस्या का निदान होता है लेकिन इसका अर्थ यह कदापि नहीं कि उसे सर्जरी के कारण फलस्वरूप हानि न हो। अर्थात सर्जरी के पश्चात मरीज को नुकसान हो सकता है जिसे सर्जरी के साइड इफेक्ट के रूप में जाना जाता है। सर्जरी के पश्चात कुछेक मामलों में देखा गया है कि उन्हें साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं।

आइए जानें एंजियोग्राफी के साइड इफेक्ट्स जो कि निम्नलिखित हैं :

  • दिल का दौरा : बहुत कम मामलों में ऐसा पाया गया है कि सर्जरी के पश्चात मरीज को दिल का दौरा होने की संभावना बनी रहती है। इसलिए घबराने की बात नहीं है क्योंकि सर्जरी के पश्चात हार्ट अटैक आने की संभावना बहुत कम होती है।
  • स्ट्रोक : हालांकि इसके आसार कम है लेकिन सर्जरी के पश्चात स्ट्रोक आ सकता है। हृदय की गति अनियमित हो सकती है।
  • एलर्जी : टेस्ट और सर्जरी के उपरांत प्रयोग में लायी जाने वाली डाई या रेडियो-ओपेक कंट्रास्ट एजेंट के कारण मरीज को एलर्जी भी हो सकती है। इस एलर्जी से बचने हेतु डॉक्टर से परामर्श सही समय पर करना चाहिए।
  • अत्यधिक रक्त रिसाव : सर्जरी के पश्चात मरीज को आवश्यकता से अधिक रक्त का रिसाव हो सकता है। यानी अनावश्यक खून बहने लगता है।
  • संक्रमण : रक्त संबंधित संक्रमण यानी ब्लड इन्फेक्शन भी हो सकता है। हालांकि ब्लड इन्फेक्शन होने के आसार वृद्धावस्था में अधिक होते हैं।
  • क्षतिग्रस्त धमनियां : सर्जरी के कारण धमनियों में चोट भी लग सकती है। सर्जन इतने कुशल होते हैं कि इसकी संभावना बहुत कम होती है।

एंजियोग्राफी का खर्च

रक्त परिसंचरण की जांच करने वाले इस टेस्ट में कितना पैसा लगता है ये इस बात पर निर्भर करता है कि जांच किस शहर में हो रही है। इसके अतिरिक्त जांच का प्रकार और उसके दौरान मरीज को मिलने वाली सुविधाएं कौन-कौन सी हैं। अगर अधिकतर जांच का औसत निकाला जाए तो ये जांच कराने के लिए कम से कम बारह हजार की लागत लगती है। यह रकम बीस हजार या उसके ऊपर भी जा सकती है।

एंजियोग्राफी के बाद सावधानियां

डॉक्टर से परामर्श मिलने के पश्चात एंजियोग्राफी टेस्ट अगर कोई करता है और जांच रिपोर्ट में समस्या का उल्लेख होता है तो समस्या के निदान के लिए सर्जरी का मार्ग प्रशस्त किया जाता है। सरल भाषा में समझें तो जांच या टेस्ट हो जाने के पश्चात एंजियोप्लास्टी सर्जरी की जाती है। जिस व्यक्ति का एंजियोप्लास्टी सर्जरी हुआ है तो उसे कुछ बातों का ध्यान रखना होता है क्योंकि केवल सर्जरी से मरीज को आराम नहीं मिलता। सर्जरी के बाद भी मेडिकल नियमों का पालन करना होता है ताकि मरीज को किसी प्रकार की समस्या का सामना न करना पड़े।

आइए जानें निम्नलिखित बातों के माध्यम से एंजियोप्लास्टी के बाद सावधानियां जो मरीज को बरतनी होती है :

  • ब्लड प्रेशर की जांच : सर्जरी हो जाने के पश्चात ब्लड प्रेशर की जांच समय-समय पर करते रहना आवश्यक है ताकि ब्लड प्रेशर कंट्रोल रहे और आगे हल कर कोई समस्या न हो।
  • दस्त की समस्या : एंजियोप्लास्टी की सर्जरी के पश्चात मरीज को दस्त की समस्या भी हो सकती है। इसके उपचार के लिए डॉक्टर से परामर्श बहुत जरूरी है।
  • सांस फूलना और हांफना : एंजियोप्लास्टी के लक्षण सर्जरी के बाद भी जीवित रह सकते हैं। इसलिए समय-समय पर  की जांच करते रहें।
  • मदिरा का सेवन और धूम्रपान वर्जित : जितना हो सके धूम्रपान न करें और मदिरा के सेवन से बचें। शराब और सिगरेट हर बीमारी का मूल कारण है।
  • भार न उठायें : सर्जरी के कम से कम पांच सप्ताह तक बाद ऐसा कोई काम न करें जिस काम को करने के लिए बहुत अधिक बल की आवश्यकता होती है क्योंकि बार उठाने या ढोने वाले कार्यों को करने से सांस फूलने और हांफने की समस्या हो सकती है।
  • संभोग न करे : सर्जरी के बाद संभोग अर्थात सेक्स न करें क्योंकि शारीरिक संबंध बनाने के लिए अत्यधिक ऊर्जा लगती है और परिणामस्वरूप मरीज हांफने लगता है।
  • डॉक्टर से नियमित परामर्श : अपने डॉक्टर से रेगुलर चेकअप करवाते रहें ताकि आप अपनी सेहत को मॉनिटर और कंट्रोल दोनों कर सके। परामर्श के पश्चात जो भी दवाइयों का उल्लेख उनके द्वारा किया गया है उसे समय-समय पर लेते रहें।

एंजियोग्राफी में क्या खाना चाहिए?

अगर मरीज अपने खानपान को संतुलित रखे तो यह उसके सेहत के लिए वरदान साबित हो सकता है। सर्जरी के बाद व्यक्ति को संतुलित आहार लेना चाहिए और कुछेक खाद्य पदार्थ का सेवन करने से बचना चाहिए।

आइए जानें एंजियोग्राफी में क्या खाना चाहिए :

  • ड्राई फ्रूट या सूखे मेवे : बादाम, काजू , अखरोट और पिस्ता खाना चाहिए। इन सभी ड्राई फ्रूट्स में कैल्शियम, मैग्नीशियम, आयरन, विटामिन सी और ई, फास्फोरस, विटामिन बी 6 और ओमेगा फैटी एसिड होता है।
  • नाशपाती और स्ट्रॉबेरी : खट्टे फल यानी सिट्रस युक्त फल को ग्रहण करना चाहिए जैसे नाशपाती और स्ट्रॉबेरी ताकि शरीर शीघ्र चुस्त और दुरुस्त होता है।
  • ब्रोकोली और फूलगोभी : ब्रोकोली हृदय को स्वस्थ रखता है और ब्लड प्रेशर कंट्रोल करता है। यह मोटापा कम करने में मदद करता है और कोलेस्ट्रॉल के लेवल को भी संतुलित करता है। फूल गोभी भी वजन कम करने और कोलेस्ट्रॉल कंट्रोल करने में मदद करता है साथ ही त्वचा, बाल और नाखून के लिए फायदेमंद होता है।
  • जैतून का तेल : इसमें ओमेगा फैटी एसिड होता है जो मनुष्य के शरीर में नहीं पाया जाता। जैतून का तेल हृदय संबंधी रोगों के उपचार के लिए भी अच्छा होता है। जैतून के तेल उन लोगों के लिए एक अच्छा विकल्प है जो फिश तेल का उपयोग सकते।

एंजियोग्राफी और एंजियोप्लास्टी में क्या अंतर है?

एंजियोप्लास्टी और एंजियोग्राफी दोनों ही रक्त वाहिकाओं की चिकित्सा प्रक्रिया हैं लेकिन इन दोनों की पद्धति और उद्देश्य अलग-अलग है। आइए इसे विस्तार से समझने का प्रयास करते हैं। एंजियोग्राफी में रक्त वाहिकाओं, धमनियों और हृदय सभी का परीक्षण किया जा सकता है लेकिन एंजियोप्लास्टी में बाधित, संकुचित रक्त वाहिकाओं या रुकावट पैदा करने वाली रक्त वाहिकाओं का सर्जरी के माध्यम से उपचार किया जाता है। एंजियोप्लास्टी शल्य चिकित्सा है लेकिन रक्त परिसंचरण जांच आधुनिक तकनीक के प्रयोग से की जाने वाली परीक्षण प्रक्रिया है।

निष्कर्ष

एंजियोग्राफी एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके माध्यम से ब्लड का ब्लॉकेज और सर्कुलेशन पता लगाया जाता है। एंजियोप्लास्टी के माध्यम से उसकी सर्जरी को अंजाम दिया जाता है। इस सर्जरी के फायदे और नुकसान दोनों है। सर्जरी के पश्चात व्यक्ति को कुछ सावधानियां भी बरतनी चाहिए ताकि उसे फिर से समस्या का सामना न करना पड़े।

लेकिन एंजियोग्राफी का इलाज महंगा हो सकता है और जिसके पास धन की कमी है उनके लिए समस्याएं पैदा कर सकता है। अगर आपके जान-पहचान में ऐसा कोई है जिसे धन की कमी के चलते इलाज कराने में समस्या आ रही है तो क्राउडफंडिंग एक अच्छा विकल्प हो सकता है।

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