लो बीपी, जिसे हाइपोटेंशन भी कहा जाता है, एक स्वास्थ्य स्थिति है जिसमें व्यक्ति के रक्तचाप का स्तर (Blood Pressure Level) सामान्य से कम हो जाता है। एक सामान्य स्थिति होने के बावजूद, यह स्वास्थ्य चिंता का विषय है, क्योंकि लो ब्लड प्रेशर की स्थिति में शरीर के अंगों में पर्याप्त रक्त नहीं पहुँच पाता है, और अंगों को ऑक्सीजन नहीं मिल पाता है, जिससे स्ट्रोक, हार्ट अटैक और किडनी फेलियर जैसी बीमारियों का ख़तरा बढ़ सकता है।
लो बीपी के लक्षण में चक्कर आना, थकान, मुँह में सूखापन, निम्न स्वर (Low Tone), और छाती में दबाव (Chest Pressure) शामिल हैं। इन लक्षणों के बने रहने पर डॉक्टर से कंसल्ट करना आवश्यक है। लो बीपी का उपचार, डॉक्टर कुछ विशेष दवाइयों का उपयोग करके कर सकता है। इसके अतिरिक्त वह रोगी को उपयुक्त पूर्ण आहार लेने और अधिक पानी पीने की सलाह दे सकता है।
निम्न रक्तचाप के विभिन्न कारण हो सकते हैं, इन कारणों में थकान, पानी की कमी, कमज़ोरी, अधिक शारीरिक काम, खानपान की कमी, तापमान में बदलाव, हीमोफीलिया (एक प्रकार का ब्लीडिंग डिसऑर्डर), कुछ बीमारियाँ और दवाइयाँ शामिल हैं।
इस लेख के माध्यम से हमारा उद्देश्य, लो बीपी के लक्षण, बीपी बढ़ने का कारण, लो बीपी कितना होना चाहिए, तुरंत बीपी कम करने के उपाय इत्यादि विषयों के बारे में जानकारी प्रदान करना है।
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लो बीपी के लक्षण

इस भाग में लो बीपी के लक्षण के बारे में चर्चा की गई है। लो बीपी के लक्षण निम्न हैं:
1. चक्कर आना: लो बीपी के लक्षण में चक्कर आना शामिल है। निम्न रक्तचाप के कारण व्यक्ति को चक्कर आ सकता है, जिससे वह संतुलन खो सकता है और गिर सकता है।
2. थकान और कमज़ोरी: लो बीपी के कारण, शरीर को पर्याप्त ऑक्सीजन और पोषण नहीं मिल पाता है, जिससे थकान और कमज़ोरी जैसे लक्षण प्रकट हो सकते हैं।
3. मुँह में सूखापन: निम्न रक्तचाप के कारण शरीर में पर्याप्त खून नहीं पहुँच पाता है, जिससे मुँह में सूखापन या दर्द हो सकता है।
4. निम्न स्वर: रक्तचाप कम होने से गले की नसों में ब्लड फ्लो में कमी हो सकती है, जिससे आवाज़ में बदलाव हो सकता है और बोलने का टोन लो हो सकता है।
5. चेस्ट प्रेशर: लो बीपी के लक्षण में चेस्ट प्रेशर भी शामिल है। कुछ लोगों को इस स्थिति में छाती में दबाव महसूस हो सकता है, जिससे पीड़ित व्यक्ति असहजता महसूस कर सकता है।
लो बीपी के लक्षण, व्यक्ति के संपूर्ण स्वास्थ्य स्थिति, आयु और जीवनशैली पर निर्भर करता है। उरोक्त लक्षण बने रहने पर, डॉक्टर से परामर्श लेना आवश्यक है, ताकि सही उपचार और प्रबंधन की दिशा में मार्गदर्शन मिल सके। अगले भाग में हम लो बीपी के कारणों पर चर्चा करेंगे।
लो बीपी के कारण
लो बीपी के कारणों में शामिल हैं:
1. थकान और थकावट (Exhaustion): अधिक शारीरिक काम करने, थकान या अत्यधिक व्यायाम से बीपी कम हो सकता है।
2. पानी की कमी: पर्याप्त मात्रा में पानी नहीं पीने से, शरीर में खून की मात्रा कम हो सकती है, जिससे ब्लड प्रेशर कम हो सकता है।
3. खानपान की कमी: नमक और अन्य मिनरल्स की कमी के कारण भी रक्तचाप गिर सकता है।
4. गर्मियों में भीषण तापमान: बहुत अधिक तापमान के कारण, अत्यधिक पसीना निकलने से, शरीर में खून की मात्रा कम हो सकती है, जिससे रक्तचाप गिर सकता है।
5. रक्त की गिरावट और हेमोप्टीसिस: बहुत अधिक रक्तहावी (Heavy Hemoptysis) या रक्त की गिरावट के कारण भी रक्तचाप कम हो सकता है।
6. बीमारियाँ और दवाइयाँ: कुछ बीमारियाँ और दवाइयाँ भी निम्न रक्तचाप का कारण बन सकती हैं, इन बीमारियों में डायबिटीज, हार्ट की समस्याएँ, किडनी की बीमारियाँ या नियंत्रित नहीं होने वाली बीमारियाँ शामिल हैं।
7. गर्भावस्था: गर्भावस्था के दौरान, गर्भवती महिलाओं का भी रक्तचाप कम हो सकता है।
8. बढ़ती उम्र / बुढ़ापा: बढ़ती उम्र के साथ या बुढ़ापे में भी लो बीपी का ख़तरा बढ़ सकता है।
निम्न रक्तचाप का कारण व्यक्ति के संपूर्ण स्वास्थ्य स्थिति और आयु पर भी निर्भर कर सकता है। निम्न रक्तचाप के लक्षणों के बने रहने पर, डॉक्टर से परामर्श ज़रूर लेना चाहिए ताकि सही कारणों की पहचान हो सके और उपचार की आवश्यकता हो तो उपचार किया जा सके।
लो बीपी का निदान
1. हेल्थ हिस्ट्री के बारे में पूछताछ: डॉक्टर सबसे पहले स्वास्थ्य इतिहास के बारे में पूछताछ से शुरू कर सकता है। वह लो बीपी के लक्षणों जैसे चक्कर आना, थकान या मुँह में सूखापन के बारे में पूछताछ कर सकता है, पूर्व या वर्तमान में किसी बीमारी का सामना करने के बारे में भी पूछ सकता है, जो निम्न रक्तचाप का कारण बन सकता है।
2. फिजिकल एग्ज़ामिनेशन: डॉक्टर फिजिकल एग्ज़ामिनेशन के दौरान, शरीर का परीक्षण कर सकता है, ताकि वह शरीर के विभिन्न हिस्सों में किसी भी संकेत का पता लगा सके, जो लो बीपी का कारण बन सकता है।
3. ब्लड प्रेशर मेजरमेंट्स: ब्लड प्रेशर के मेजरमेंट के लिए एक स्फिग्मोमैनोमीटर (ब्लड प्रेशर मीटर) का उपयोग किया जा सकता है। इसे ब्लड प्रेशर मॉनिटर भी कहा जा सकता है। इस उपकरण की मदद से रक्तचाप को मापने में मदद मिल सकती है।
4. ब्लड टेस्ट: हीमोग्लोबिन की कमी या एनीमिया की समस्या, खून का रासायनिक संतुलन सही है या नहीं, दिल सही तरीके से पंप कर रहा है या नहीं, इन सभी बातों का पता डॉक्टर ब्लड टेस्ट के माध्यम से लगा सकता है, और यह सभी निम्न रक्तचाप का कारण बन सकते हैं।
5. अन्य टेस्ट्स: ज़रूरत पड़ने पर डॉक्टरऔर भी विशेष जाँच करवाने के लिए कह सकता है, जैसे हार्ट टेस्ट, किडनी टेस्ट या न्यूरोलॉजिक टेस्ट।
निम्न रक्तचाप (Low Blood Pressure) की निदान प्रक्रिया के माध्यम से, डॉक्टर शरीर की स्थिति का मूल्यांकन करके, एक बेहतर उपचार योजना बनाने में मदद प्राप्त कर सकता है।
लो बीपी की रोकथाम के उपाय
बहुत से लोगों को अभी भी यह जानकारी नहीं है कि लो बीपी कितना होना चाहिए। यदि इस विषय पर चर्चा करें कि लो बीपी कितना होना चाहिए, तो 2017 में अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन, द अमेरिकन कॉलेज ऑफ कार्डियोलॉजी और 9 अन्य हेल्थ ऑर्गनाइजेशन की रिपोर्ट के अनुसार, वयस्कों का सिस्टोलिक प्रेशर (Systolic Pressure) यानी कि हाई बीपी 120 mmHg होना चाहिए और डायस्टोलिक प्रेशर (Diastolic Pressure) यानी कि लो बीपी 80mmHg या इससे कम होना चाहिए। अगर ब्लड प्रेशर 120/80 mmHg है, तो इसका अर्थ है कि ब्लड प्रेशर नॉर्मल है। यहाँ लो बीपी की रोकथाम के लिए कौन-कौन से उपाय किए जा सकते हैं, इसकी चर्चा की गई है:
1. पर्याप्त पानी पीना: पर्याप्त मात्रा में पानी पीना आवश्यक है, ताकि शरीर में खून की पर्याप्त मात्रा बनी रहे और रक्तचाप सामान्य रहे।
2. स्वस्थ आहार: स्वस्थ आहार का सेवन करने से निम्न रक्तचाप से बचाव किया जा सकता है। लो बीपी जैसी स्थिति से बचाव के लिए हाई फाइबर आहार, फल, सब्जियाँ, अनाज, और प्रोटीन युक्त आहार लेना आवश्यक है।
3. नमक की मात्रा: अधिक नमक का सेवन करने से ब्लड प्रेशर बढ़ सकता है, इसलिए नमक की मात्रा को संतुलित रखना भी आवश्यक है।
4. नियमित व्यायाम करना: नियमित व्यायाम करना स्वास्थ्य के लिए आवश्यक है, लेकिन अधिक शारीरिक काम से बचना भी आवश्यक है, क्योंकि यह रक्तचाप को कम कर सकता है।
5. प्रीकॉशन्स: जल्दी उठकर बैठने या खड़े होने से पहले सावधानी बरतना आवश्यक है, विशेष रूप से सुबह के समय।
6. सफलता से संघटित व्यवस्था: अच्छी तरीके से टाइम शेड्यूल करने और काम के बीच में संवाद नहीं करने से, तनाव को कम किया जा सकता है और रक्तचाप को सामान्य रखा जा सकता है।
7. अच्छे तरीके से सोना: अच्छे तरीके से सोने से भी रक्तचाप को सामान्य रखने में मदद मिल सकती है। अधिक समय तक उल्टे नहीं सोना चाहिए और नींद पर पूरा ध्यान देना चाहिए।
8. नियमित चिकित्सा जाँच: निम्न रक्तचाप के लक्षणों का जल्दी पता लग सके, इसके लिए नियमित चिकित्सा जाँच कराना आवश्यक है। जल्दी निदान होने से, आगे उत्पन्न होनेवाली गंभीर स्वास्थ्य समस्यायों से बचा जा सकता है।
निम्न रक्तचाप से बचाव के लिए, उपरोक्त रणनीतियों को अपनाने से स्वास्थ्य को सुरक्षित रखा जा सकता है और स्वस्थ जीवनशैली का पालन किया जा सकता है।
लो बीपी का इलाज
1. जीवनशैली में कुछ स्थायी बदलाव: निम्न रक्तचाप के मामूली लक्षणों (Minor Symptoms) के लिए, जीवनशैली में कुछ स्थायी बदलाव करने की आवश्यकता पड़ सकती है। पर्याप्त पानी पीने से, स्वस्थ आहार लेने से, सही नींद लेने से और नियमित व्यायाम करने से ब्लड प्रेशर को सामान्य रखा जा सकता है।
2. नमक की मात्रा बढ़ाना: भोजन में नमक की मात्रा बहुत कम होने से भी लो बीपी जैसी स्थिति उत्पन्न हो सकती है, इसलिए डॉक्टर नमक की मात्रा बढ़ाने की सलाह दे सकता है। नमक में मौजूद सोडियम रक्तचाप को बढ़ाने में मदद कर सकता है।
3. दवाइयाँ: मामूली लक्षण वाले निम्न रक्तचाप के लिए आमतौर पर विशेष दवाइयों की आवश्यकता नहीं होती है, लेकिन यदि लक्षण गंभीर हैं, तो डॉक्टर दवाइयाँ दे सकता है। डॉक्टर रोगी के स्वास्थ्य स्थिति के आधार पर उपयुक्त दवाइयाँ निर्धारित कर सकता है।
4. कैफ़ीन की मात्रा बढ़ाना: कैफ़ीन ब्लड प्रेशर को बढ़ाने में मदद कर सकता है, इसलिए संतुलित मात्रा में डॉक्टर कॉफ़ी, चाय या अन्य कैफ़ीन स्रोतों का सेवन करने की सलाह दे सकता है।
5. न्यूरोलॉजिक या कार्डियोलॉजिक ट्रीटमेंट: यदि लो ब्लड प्रेशर किसी अन्य स्वास्थ्य समस्या के कारण उत्पन्न हुआ हो, तो डॉक्टर न्यूरोलॉजिक या कार्डियोलॉजिक ट्रीटमेंट के लिए सलाह दे सकता है।
6. एजिंग कंडीशंस: अधिक उम्र या बुढ़ापे में निम्न रक्तचाप की समस्या बढ़ने पर, डॉक्टर उम्र के अनुसार इलाज कर सकता है।
7. बुढ़ापे में सावधानी: बुढ़ापे में निम्न रक्तचाप की समस्या अधिक हो सकती है, इसलिए इस उम्र में डॉक्टर की सलाह पर आधारित उपचार और सावधानी बरतना आवश्यक है।
निम्न रक्तचाप का इलाज, रोगी के स्वास्थ्य स्थिति, आयु और लक्षणों की गंभीरता पर निर्भर करता है। डॉक्टर द्वारा दिए गए सलाह का पालन करने से और स्वस्थ जीवनशैली अपनाने से, निम्न रक्तचाप की समस्या से मुक्ति पाई जा सकती है।
लो बीपी के उपचार में लगनेवाला समय
लो बीपी के उपचार में लगनेवाला समय, उसके कारणों, लक्षणों, और व्यक्ति की स्वास्थ्य स्थिति पर निर्भर करता है। यदि कोई व्यक्ति निम्न रक्तचाप से पीड़ित है, तो उसे तत्काल डॉक्टर से कंसल्ट करना चाहिए, जिससे उसका उपचार समय पर शुरू किया जा सके। सही समय पर उपचार करने से समस्या को सुधारने में मदद मिल सकती है और गंभीरता को कम किया जा सकता है।
कुछ लोगों में, निम्न रक्तचाप के अत्यधिक गंभीर लक्षण प्रकट हो सकते हैं और उन्हें तत्काल उपचार की आवश्यकता हो सकती है। ऐसी स्थितियों में शामिल हैं:
1. दिल की बीमारी के मरीज़: जिन लोगों को हार्ट की समस्याएँ होती हैं, उनमें निम्न रक्तचाप के ज़्यादा गंभीर लक्षण प्रकट हो सकते हैं। ऐसे मामलों में डॉक्टर के पास तुरंत जाना चाहिए, जिससे वह समय पर उपचार का प्रारंभ कर सकें।
2. अन्य स्वास्थ्य समस्याएँ: कुछ बीमारियाँ और स्थितियाँ, जैसे डायबिटीज, किडनी की समस्याएँ और थायरॉयड की समस्याएँ भी निम्न रक्तचाप का कारण बन सकती हैं। ऐसे मामलों में भी तुरंत उपचार की आवश्यकता हो सकती है।
3. गंभीर लक्षणों की स्थितियाँ: निम्न रक्तचाप के गंभीर लक्षणों में, बेहोशी, दिल के धड़कन का तेज़ होना या साँस लेने में दिक्कत होना शामिल हैं। ऐसे लक्षण प्रकट होने पर भी तुरंत चिकित्सक से सलाह लेना आवश्यक है, जिससे उपचार जल्दी शुरू हो सके।
4. स्वास्थ्य इतिहास: पहले से ही निम्न रक्तचाप की समस्या होने पर, डॉक्टर के सलाह पर आधारित उपचार की शुरुआत करना लाभदायक हो सकता है।
लो बीपी के लिए सर्वाइवल रेट
लो बीपी आमतौर पर गंभीर या जीवनघातक नहीं होता है, और यह अक्सर मामूली लक्षणों के साथ प्रकट होता है। निम्न रक्तचाप के कुछ लक्षणों में सामान्यत: चक्कर आना, थकान, मुँह में सूखापन, दिल की धड़कन में बदलाव और कभी-कभी चक्कर आने की स्थिति शामिल हैं। यदि लक्षण अधिक गंभीर हैं और यह अन्य स्वास्थ्य समस्याओं के साथ जुड़े हैं, तो डॉक्टर की सलाह लेना आवश्यक है।
बीमारियों का सामना करने वाले व्यक्तियों में निम्न रक्तचाप की समस्या अधिक पाई जा सकती है। इसके अलावा, कुछ बीमारियाँ और स्थितियाँ, जैसे हार्ट डिजीज, डायबिटीज और किडनी प्रॉब्लेम्स भी निम्न रक्तचाप का कारण बन सकती हैं।
निम्न रक्तचाप के लक्षणों की सही पहचान और समय पर उपचार से, लोगों की स्थिति में सुधार हो सकता है और सर्वाइवल रेट में भी बेहतर सुधार संभव है। लो ब्लड प्रेशर के लक्षणों के लगातार बने रहने पर डॉक्टर से संपर्क करना और उसके द्वारा दिए गए सलाह का पालन करना अत्यंत आवश्यक है।
निष्कर्ष
निम्न रक्तचाप एक सामान्य स्थिति होती है जो अक्सर लंबे समय तक बैठने या खड़े होने के बाद उत्पन्न हो सकती है। लो ब्लड प्रेशर जानलेवा नहीं है, लेकिन कुछ लोगों में इसके गंभीर लक्षण पैदा हो सकते हैं, जैसे बेहोशी या साँस लेने में दिक्कत होना। निम्न रक्तचाप की समस्या उत्पन्न होने के कई कारण हो सकते हैं, जैसे हार्ट प्रॉब्लेम्स, गर्मियों में पसीना आना, अन्य बीमारियाँ या खून की कमी।
लो ब्लड प्रेशर के लक्षणों के समय पर निदान और उपचार से, इससे बचने में मदद मिल सकती है। इसके अतिरिक्त निम्न रक्तचाप से बचाव के लिए सही आहार, पर्याप्त पानी, स्वस्थ आदतें, और नियमित व्यायाम आवश्यक है। अगर किसी को पहले से ही निम्न रक्तचाप की समस्या है, तो उसके लिए डॉक्टर की सलाह का पालन करना और निरंतर चेकअप करवाना आवश्यक है।
कुछ महत्त्वपूर्ण बातें
यदि इस विषय पर चर्चा की जाए कि लो बीपी कितना होना चाहिए, तो एक रिपोर्ट के अनुसार वयस्कों का लो बीपी 80 mmHg या इससे कम होना चाहिए। अगर ब्लड प्रेशर 120/80 mmHg है, तो इसका अर्थ है कि ब्लड प्रेशर नॉर्मल है।
वयस्कों का सामान्य रक्तचाप 120/80 mmHg से 90/60 mmHg के बीच रहता है, लेकिन यदि रक्तचाप 90/60 mmHg से कम हो जाए, तो लो बीपी जैसी स्थिति उत्पन्न हो सकती है।
उम्र के हिसाब से लो बीपी कितना होना चाहिए?
1. 15 से 19 वर्ष की उम्र में लो बीपी कितना होना चाहिए?
15 से 19 वर्ष की उम्र में लो बीपी 105/73 mmHg होना चाहिए।
2. 20 से 24 वर्ष की उम्र में लो बीपी कितना होना चाहिए?
20 से 24 वर्ष की उम्र में लो बीपी 108/75 mmHg होना चाहिए।
3. 25 से 29 वर्ष की उम्र में लो बीपी कितना होना चाहिए?
25 से 29 वर्ष की उम्र में लो बीपी 109/76 mmHg होना चाहिए।
4. 30 से 34 वर्ष की उम्र में लो बीपी कितना होना चाहिए?
30 से 34 वर्ष की उम्र में लो बीपी 110/77 mmHg होना चाहिए।
5. 35 से 39 वर्ष की उम्र में लो बीपी कितना होना चाहिए?
35 से 39 वर्ष की उम्र में लो बीपी 111/78 mmHg होना चाहिए।
6. 40 से 44 वर्ष की उम्र में लो बीपी कितना होना चाहिए?
40 से 44 वर्ष की उम्र में लो बीपी 112/79 mmHg होना चाहिए।
7. 45 से 49 वर्ष की उम्र में लो बीपी कितना होना चाहिए?
45 से 49 वर्ष की उम्र में लो बीपी 115/80 mmHg होना चाहिए।
8. 50 से 54 वर्ष की उम्र में लो बीपी कितना होना चाहिए?
50 से 54 वर्ष की उम्र में लो बीपी 116/81 mmHgहोना चाहिए।
9. 55 से 59 वर्ष की उम्र में लो बीपी कितना होना चाहिए?
55 से 59 वर्ष की उम्र में लो बीपी 118/82 mmHg होना चाहिए।
10. 60 से 64 वर्ष की उम्र में लो बीपी कितना होना चाहिए?
60 से 64 वर्ष की उम्र में लो बीपी 121/83 mmHg होना चाहिए।
तुरंत बीपी कम करने के उपाय
कुछ तुरंत बीपी कम करने के उपाय निम्न हैं:
1. नमक का सेवन: संतुलित मात्रा में नमक का सेवन करना, तुरंत बीपी कम करने के उपाय में शामिल है। नमक में सोडियम होता है जो रक्तचाप को बढ़ाने में मदद कर सकता है।
2. नींबू पानी: तुरंत बीपी कम करने के उपाय में, एक गिलास नींबू पानी में थोड़ा सा नमक मिलाकर पीना भी शामिल है। इससे तेज़ी से रक्तचाप में सुधार हो सकता है।
3. अदरक: अदरक का रस बनाकर शहद के साथ मिलाकर सेवन करना, तुरंत बीपी कम करने के उपाय में सम्मिलित है।
4. कैफ़ीन: संतुलित मात्रा में कॉफ़ी या चाय का सेवन करने से रक्तचाप में तेज़ी से वृद्धि हो सकती है, इसलिए कैफ़ीन भी तुरंत बीपी कम करने के उपाय में शामिल है।
5. खजूर, किशमिश और मुनक्का: तुरंत बीपी कम करने के उपाय में इन ड्राई फ्रूट्स का सेवन करना भी सम्मिलित है, लेकिन इन्हें खाने से पहले डॉक्टर की सलाह लेना भी आवश्यक है।
6. ठंडे पानी से स्नान और तुलसी के पत्ते का सेवन: ठंडे पानी से स्नान करना और तुलसी के पत्तों को पीसकर शहद के साथ मिलाकर सेवन करना भी, तुरंत बीपी कम करने के उपाय हैं।
7. योग और प्राणायाम: योग और प्राणायाम का अभ्यास करना भी तुरंत बीपी कम करने के उपाय हैं। योग और प्राणायाम से शरीर की संवेदनशीलता बढ़ सकती है और रक्तचाप में सुधार हो सकता है।
उपरोक्त तरीके तुरंत बीपी कम करने के उपाय में शामिल हैं, लेकिन यदि लक्षण गंभीर हैं, तो डॉक्टर से सलाह लेना आवश्यक है। गंभीर लक्षणों की स्थिति में, डॉक्टर द्वारा चुने गए उपचार विकल्प द्वारा ही उपचार करवाना चाहिए।
बीपी बढ़ने का कारण
यदि इस विषय पर चर्चा करें कि बीपी बढ़ने का कारण क्या हो सकता है, तो बीपी बढ़ने का कारण धूम्रपान, मोटापा, नमक और शराब का अधिक सेवन, तनाव, आनुवंशिकी, स्लीप एपनिया जैसी चिकित्सीय स्थिति और क्रोनिक किडनी डिजीज हो सकता है।
लो बीपी के लक्षण और इलाज
इस भाग में लो बीपी के लक्षण और इलाज के बारे में संक्षिप्त में समझाने का प्रयास किया गया है:
लो बीपी के लक्षण और इलाज के बारे में बात करें, तो लो बीपी के लक्षणों में, चक्कर आना, थकान, मुँह में सूखापन, दिल की धड़कन में बदलाव और बेहोशी शामिल हैं। लो बीपी के इलाज के लिए दवाइयों का उपयोग किया जा सकता है। डॉक्टर नमक और पानी का सेवन, खजूर, किशमिश, मुनक्का, तुलसी के पत्ते, नींबू पानी, और अदरक का सेवन करने के लिए भी कह सकता है। इसके अलावा, कैफ़ीन के सेवन से रक्तचाप में सुधार हो सकता है। योग, प्राणायाम, और सही आहार भी मददगार हो सकते हैं।
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