यदि इस विषय पर चर्चा करें कि फाइब्रोमायल्जिया क्या है, तो फाइब्रोमायल्जिया एक दीर्घकालिक और जटिल विकार है जो दर्द, कोमलता (Tenderness) और कठोरता (Stiffness) का कारण बनता है। फाइब्रोमायल्जिया (Fibromyalgia), लैटिन और ग्रीक शब्दों से मिलकर बना है, जिसमें फाइब्रो का अर्थ होता है रेशेदार ऊतक (Fibrous Tissue), मायो का अर्थ होता है मांसपेशियाँ, और एल्गोस का अर्थ होता है दर्द। इस रोग में, मांसपेशियों और हड्डियों में दर्द होता है, साथ ही थकान का अनुभव भी हो सकता है। इसके अतिरिक्त, इसमें मस्तिष्क और नींद से जुड़ी समस्याएँ भी उत्पन्न हो सकती हैं। सरल भाषा में कहें तो फाइब्रोमायल्जिया एक पेन डिसऑर्डर है। फाइब्रोमायल्जिया में मस्तिष्क के दर्द के संकेतों के प्रभावित होने से, दर्द के साथ सनसनी का अनुभव भी किया जा सकता है।
फाइब्रोमायल्जिया एक लंबी बीमारी (Chronic Disease) है, और अक्सर व्यक्ति इससे आजीवन ग्रसित रह सकता है। फाइब्रोमायल्जिया के कुछ लक्षण गठिया जैसे हो सकते हैं, जैसे दर्द और थकान। हालाँकि, यह गठिया का रूप नहीं है, लेकिन इसे आमवाती स्थिति (Rheumatic Condition) माना जाता है। आमवाती स्थिति (Rheumatic Condition) का अर्थ है, एक ऐसी स्थिति जिसमें जॉइंट्स और/या सॉफ्ट टिश्यूज़ को नुकसान पहुँचने के कारण लंबे समय तक दर्द (Chronic Pain) हो
फाइब्रोमायल्जिया वैश्विक स्तर पर लगभग 2-8% आबादी को प्रभावित करती है। इंडियन जर्नल ऑफ रुमेटोलॉजी के अनुसार, 2017 में लगभग 0.94% भारतीय आबादी फाइब्रोमायल्गिया या फाइब्रोमायल्जिया से ग्रसित थी। हालाँकि, भारत में बहुत से लोग आज भी अपने स्वास्थ्य के प्रति जागरूक नहीं हैं, इसलिए कई बार तो उन्हें पता ही नहीं चलता कि वह फाइब्रोमायल्जिया या किसी अन्य रोग से ग्रसित हैं। इस लेख के माध्यम से हमारा उद्देश्य, फाइब्रोमायल्जिया के लक्षण, कारण, चरण, निदान, रोकथाम रणनीतियों, उपचार विकल्पों और सर्वाइवल रेट के विषय में पूर्ण जानकारी प्रदान करना है।
Table of Contents
- फाइब्रोमायल्जिया के प्रकार
- फाइब्रोमायल्जिया के लक्षण
- फाइब्रोमायल्जिया का कारण
- फाइब्रोमायल्जिया के चरण
- फाइब्रोमायल्जिया का निदान
- फाइब्रोमायल्जिया की रोकथाम
- क्या फाइब्रोमायल्जिया का इलाज संभव है?
- क्या फाइब्रोमायल्जिया जीवन के लिए ख़तरा है?
- फाइब्रोमायल्जिया के लिए सर्वाइवल रेट
- फाइब्रोमायल्जिया के इलाज में लगनेवाला समय
- निष्कर्ष
फाइब्रोमायल्जिया के प्रकार

फाइब्रोमायल्जिया को लक्षणों की गंभीरता के आधार पर दो प्रकारों में विभाजित किया गया है: प्राइमरी फाइब्रोमायल्जिया और सेकेंडरी फाइब्रोमायल्जिया।
प्राइमरी फाइब्रोमायल्जिया, फाइब्रोमायल्जिया का सबसे आम रूप है, और यह किसी अन्य स्वास्थ्य स्थिति या बीमारी से नहीं जुड़ा है। प्राइमरी फाइब्रोमायल्जिया का सटीक कारण अभी तक ज्ञात नहीं हो पाया है, लेकिन शोधों के आधार पर यह पता चला है कि इसके कारणों में आनुवंशिक और पर्यावरणीय कारक शामिल हो सकते हैं। प्राइमरी फाइब्रोमायल्जिया होने पर मांसपेशियों में दर्द के साथ थकान, नींद, संज्ञानात्मक और मनोदशा (चिंता और बार-बार मूड का बदलना) संबंधित समस्याएँ उत्पन्न हो सकती हैं।
सेकेंडरी फाइब्रोमायल्जिया आमतौर पर रूमेटाइड अर्थराइटिस, ल्यूपस या एंकिलॉजिंग स्पॉन्डिलाइटिस जैसी बीमारियों से जुड़ा होता है। इसके लक्षण प्राइमरी फाइब्रोमायल्जिया के समान ही होते हैं, लेकिन इसके अंतर्निहित कारणों (मूल बीमारी से जुड़े कारण) को प्रबंधित करने से कभी-कभी इसकी प्रगति को कम किया जा सकता है।
लक्षणों की गंभीरता के आधार पर, चिकित्सकों को फाइब्रोमायल्जिया के उपचार के लिए योजना बनाने में बहुत हद तक मदद मिल सकती है।
अगले भाग में हम फाइब्रोमायल्जिया के लक्षणों पर चर्चा करेंगे।
फाइब्रोमायल्जिया के लक्षण
फाइब्रोमायल्जिया के लक्षण शुरूआती चरणों में बहुत ही सूक्ष्म होते हैं, इसलिए रोगी इन लक्षणों को नोटिस नहीं कर पाता है, जिसके कारण इसका शीघ्र निदान संभव नहीं हो पाता है। यहाँ फाइब्रोमायल्जिया के कुछ आम लक्षणों को समझाने का प्रयास किया गया है:
1. व्यापक दर्द / दूर तक फैला हुआ दर्द (Widespread pain): कम से कम तीन महीने तक लगातार सुस्त दर्द जो शरीर के दोनों तरफ़ और कमर के ऊपर और नीचे हो, फाइब्रोमायल्जिया के लक्षण में शामिल है।
2. थकान (Fatigue): लंबे समय तक नींद लेने के बाद भी थका हुआ महसूस करना, फाइब्रोमायल्जिया के लक्षण में से एक है। फाइब्रोमायल्जिया में दर्द के कारण नींद की समस्या भी उत्पन्न हो सकती है, और कई रोगी नींद संबंधी अन्य विकार से भी पीड़ित हो सकते हैं, जैसे रेस्टलेस लेग्स सिंड्रोम और स्लीप एपनिया।
3. संज्ञानात्मक कठिनाइयाँ (Cognitive Difficulties): स्मरण शक्ति कमज़ोर होना, ध्यान केंद्रित नहीं कर पाना, मानसिक थकान महसूस करना (फाइब्रो फॉग स्थिति), यह सभी फाइब्रोमायल्जिया के लक्षण में शामिल हैं।
4. अवसाद और चिंता (Depression and Anxiety): पुराने या लंबे समय से दर्द (Chronic Pain) और थकान के कारण या सिंड्रोम के कारण, डिप्रेशन और एंग्जायटी (Anxiety) जैसी समस्या उत्पन्न होना, फाइब्रोमायल्जिया के लक्षण में शामिल हैं।
5. अन्य लक्षण: जैसे-जैसे फाइब्रोमायल्जिया बढ़ता है, अधिक स्पष्ट लक्षण पैदा हो सकते हैं। इन लक्षणों में शामिल हैं:
A. पाचन संबंधी समस्याएँ जैसे कब्ज, दस्त, सूजन और मतली
B. सिरदर्द
C. टेम्पोरोमैंडिबुलर जॉइंट डिसऑर्डर
D. एंडोमेट्रियोसिस (गर्भाशय संबंधी समस्या), क्रोनिक थकान सिंड्रोम (Chronic Fatigue Syndrome) और इंटरस्टिशियल सिस्टिटिस (मूत्राशय संबंधी समस्या)
E. हाथ, बाँह, पैर, टाँगों या चेहरे पर सुन्नता या झुनझुनी
F. दर्द, शोर, गंध, कुछ खाद्य पदार्थों और प्रकाश के प्रति संवेदनशीलता में वृद्धि
यह सभी लक्षण व्यक्ति के दैनिक जीवन को प्रभावित कर सकते हैं। फाइब्रोमायल्जिया होने पर व्यक्ति के काम करने या नियमित गतिविधियों को करने की क्षमता कम होने के कारण, वह डिप्रेशन और एंग्जायटी का शिकार हो सकता है।
अगले भाग में हम फाइब्रोमायल्जिया के कारणों के बारे में जानने का प्रयास करेंगे।
फाइब्रोमायल्जिया का कारण
फाइब्रोमायल्जिया का सटीक कारण अभी भी अज्ञात है, लेकिन अध्ययनों से पता चला है कि इसके कारणों में आनुवंशिक और पर्यावरणीय कारक शामिल हो सकते हैं। ऐसा माना जाता है कि फाइब्रोमायल्जिया, मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी के द्वारा मिलनेवाले दर्द संकेतों को प्रभावित करता है। इसके कई ऐसे जोखिम कारकों की पहचान की जा चुकी है जो इसके विकास के लिए ज़िम्मेदार हैं। इसके जोखिम कारकों में शामिल हैं:
1. लिंग (Gender): कुछ शोधों के आधार पर यह पता चला है कि फाइब्रोमायल्जिया पुरुषों की अपेक्षा महिलाओं को अधिक प्रभावित करता है।
2. उम्र (Age): वैसे तो फाइब्रोमायल्जिया किसी भी उम्र के व्यक्ति को हो सकता है, लेकिन अधिकतर इसका ख़तरा मध्य आयु (Middle Age) में होता है।
3. पारिवारिक इतिहास (Family History): यदि किसी परिवार का कोई सदस्य फाइब्रोमायल्जिया से पीड़ित है, तो यह अन्य सदस्य को भी अपनी चपेट में ले सकता है।
4. रूमेटिक रोग (Rheumatic Disease): यदि कोई व्यक्ति रूमेटाइड आर्थराइटिस या ल्यूपस जैसे रूमेटिक डिजीज से पीड़ित है, तो वह आसानी से फाइब्रोमायल्जिया का शिकार हो सकता है।
5. तनावपूर्ण या दर्दनाक घटनाएँ (Stressful or Traumatic Events): कुछ दर्दनाक घटनाएँ फाइब्रोमायल्जिया का ख़तरा बढ़ा सकती हैं या इसके लक्षणों को बढ़ा सकती हैं।
6. संक्रमण: कुछ बीमारियाँ फाइब्रोमायल्जिया के ख़तरे को बढ़ा सकती हैं।
प्रत्येक व्यक्ति के लिए फाइब्रोमायल्जिया का कारण अलग-अलग हो सकता है। कुछ को किसी दर्दनाक घटना या दीर्घकालिक तनाव का सामना करना पड़ सकता है, तो कुछ में फाइब्रोमायल्जिया आनुवंशिक कारक के कारण विकसित हो सकता है।
फाइब्रोमायल्जिया के चरण
फाइब्रोमायल्जिया के चरणों को ऑफिशियली मान्यता नहीं दी गई है, लेकिन यहाँ इसकी प्रगति को चरणों के आधार पर समझाने का प्रयास किया गया है:
1. प्री-फाइब्रोमायल्जिया चरण (Pre-Fibromyalgia Stage): इस चरण में किसी तनावपूर्ण घटना के बाद फाइब्रोमायल्जिया के लक्षण दिखाई देने लगते हैं, जैसे लंबे समय तक थकान, कुछ अस्पष्ट मांसपेशियों में दर्द और नींद संबंधी समस्याएँ, लेकिन यह लक्षण इतने गंभीर नहीं होते हैं कि व्यक्ति का दैनिक जीवन प्रभावित हो।
2. प्रारंभिक फ़ाइब्रोमायल्जिया चरण (Early fibromyalgia stage): इस चरण में लक्षण अधिक स्पष्ट हो सकते हैं और लगातार रह सकते हैं, जिससे व्यक्ति का दैनिक जीवन प्रभावित हो सकता है। इस चरण में लगातार दर्द और फाइब्रो फॉग का अनुभव हो सकता है।
3. पूर्ण रूप से विकसित फाइब्रोमायल्जिया चरण (Full-blown fibromyalgia stage): इस चरण में, फाइब्रोमायल्जिया अधिक बढ़ सकता है। इसमें रोगी को दर्द, थकान और नींद संबंधी समस्याओं के साथ-साथ संज्ञानात्मक कठिनाइयों का भी सामना करना पड़ सकता है।
4. गंभीर फाइब्रोमायल्जिया चरण (Severe fibromyalgia stage): इस चरण में फाइब्रोमायल्जिया के अत्यधिक बढ़ने के कारण व्यक्ति के जीवन पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता है। इस चरण में व्यक्ति को अपनी नौकरी छोड़नी पड़ सकती है और वह सामान्य कार्यों को करने में भी असमर्थ हो सकता है।
फाइब्रोमायल्जिया के चरण, प्रत्येक रोगी के लिए भिन्न हो सकते हैं। कई रोगी जीवन भर एक ही अवस्था या स्टेज में रह सकते हैं।
फाइब्रोमायल्जिया का निदान
फाइब्रोमायल्जिया का निदान, रक्त परीक्षण या एक्स-रे जैसे किसी विशिष्ट नैदानिक परीक्षण द्वारा नहीं किया जा सकता है। इसका निदान अक्सर लक्षणों के मूल्यांकन के आधार पर किया जाता है। इन लक्षणों में शामिल हैं, दर्द, थकान और फाइब्रो फॉग जैसी संज्ञानात्मक कठिनाइयाँ। यदि शरीर में दर्द कम से कम तीन महीने तक रहता है या कोई लक्षण लंबे समय तक बना रहता है, तो इस स्थिति में स्वास्थ्य पेशेवर से संपर्क करना आवश्यक है। जल्दी निदान से उपचार भी समय पर संभव हो सकता है।
हालाँकि फाइब्रोमायल्जिया का निदान करने के लिए कोई विशिष्ट परीक्षण नहीं किया जाता है, लेकिन अन्य स्थितियाँ जैसे हाइपोथायरायडिज्म, आमवाती रोग (Rheumatic Diseases) या न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर्स का पता लगाने के लिए कुछ परीक्षण किए जा सकते हैं, जिनमें फाइब्रोमायल्जिया के समान लक्षण प्रकट हो सकते हैं। इन परीक्षणों में शामिल हैं:
1. पूर्ण रक्त गणना (CBC): इस टेस्ट के ज़रिए ब्लड में विभिन्न ब्लड सेल्स की मात्रा की जाँच करके किसी संक्रमण (Infection), सूजन या रक्त विकार (Blood Disorder) का पता लगाया जा सकता है।
2. एरिथ्रोसाइट सेडीमेंटशन रेट टेस्ट (ESR): इस टेस्ट के द्वारा ल्यूपस और रुमेटाइड आर्थराइटिस जैसी स्थितियों का पता लगाया जा सकता है।
3. साइक्लिक सिट्रुलिनेटेड पेप्टाइड (CCP): यह रक्त परीक्षण रूमेटाइड आर्थराइटिस के निदान के लिए किया जाता है।
4. थायरॉइड फंक्शन टेस्ट: यह टेस्ट हाइपोथायरायडिज्म का पता लगाने के लिए किया जाता है, क्योंकि हाइपोथायरायडिज्म में भी फाइब्रोमायल्जिया के समान लक्षण पैदा हो सकते हैं।
5. विटामिन D लेवल्स: विटामिन D का लेवल लो होने से, फाइब्रोमायल्जिया के समान हड्डियों और मांसपेशियों में दर्द हो सकता है। इसलिए इस टेस्ट के माध्यम से विटामिन D का लेवल चेक किया जा सकता है।
उपरोक्त परीक्षणों द्वारा फाइब्रोमायल्जिया का निदान नहीं किया जा सकता है, लेकिन उन स्थितियों का पता लगाया जा सकता है जिनमें फाइब्रोमायल्जिया के समान लक्षण पैदा हो सकते हैं।
फाइब्रोमायल्जिया की रोकथाम
फाइब्रोमायल्जिया का सटीक कारण अभी तक अज्ञात है, इसलिए इसे रोकने के लिए कोई निश्चित उपाय नहीं किया जा सकता है। हालाँकि, नियमित व्यायाम करने से, स्वस्थ आहार लेने से, पर्याप्त मात्रा में नींद लेने से और तनाव से बचने से या तनाव का अच्छा प्रबंधन करने से, संपूर्ण स्वास्थ्य में सुधार हो सकता है और बहुत हद तक क्रोनिक पेन की स्थिति विकसित होने के जोखिम को कम किया जा सकता है।
इसके अलावा, तनावपूर्ण जीवन की घटनाओं या आघात (Stressful Life Events or Trauma) के शीघ्र प्रबंधन से फाइब्रोमायल्जिया की शुरुआत को रोका जा सकता है। नियमित जाँच से शुरुआत के दिनों में लक्षणों की पहचान की जा सकती है, और स्थिति को गंभीर होने से पहले प्रबंधित किया जा सकता है।
क्या फाइब्रोमायल्जिया का इलाज संभव है?
वर्तमान में फाइब्रोमायल्जिया का इलाज संभव नहीं है, लेकिन कुछ ऐसे उपचार उपलब्ध हैं जिनकी मदद से इसके लक्षणों की प्रगति को कम किया जा सकता है। रोगियों के सर्वाइवल रेट में सुधार करने के लिए, चिकित्सक दवाइयों और कॉग्निटिव बिहेवियरल थेरेपी का सहारा ले सकते हैं, इसके अतिरिक्त रोगियों को उनके जीवनशैली में बदलाव करने के लिए कहा जा सकता है।
फाइब्रोमायल्जिया के इलाज के लिए उपचार योजना एक टीम द्वारा बनाई जा सकती है। इस टीम में रुमेटोलॉजिस्ट, न्यूरोलॉजिस्ट, पेन मैनेजमेंट स्पेशलिस्ट, साइकोलॉजिस्ट्स और फिजिकल थेरेपिस्ट के साथ डॉक्टर्स शामिल हो सकते हैं। फाइब्रोमायल्जिया का इलाज निम्न प्रकार से किया जा सकता है:
1. दवाई: पेन रिलीवर्स, एंटीडिप्रेसेंट्स दवाइयों और एंटी-सीज़र दवाइयों का उपयोग फाइब्रोमायल्जिया के लक्षणों को प्रबंधित करने के लिए किया जा सकता है। ट्राइसाइक्लिक एंटीडिप्रेसेंट्स या सेलेक्टिव सेरोटोनिन रीपटेक इनहिबिटर (SSRI) का उपयोग दर्द और थकान को कम करने और नींद में सुधार करने के लिए किया जा सकता है।
2. फिजिकल थेरेपी: एक फिजिकल थेरेपिस्ट से शक्ति (Strength), लचीलेपन (Flexibility) और सहनशक्ति में सुधार के लिए व्यायाम सीखा जा सकता है।
3. ऑक्यूपेशनल थेरेपी: ऑक्यूपेशनल थेरेपिस्ट से, कार्यस्थल पर किस प्रकार काम करें कि शरीर पर कम तनाव पड़ेगा, इसके लिए सलाह ली जा सकती है।
4. काउन्सलिंग: एक काउंसलर से तनावपूर्ण स्थितियों (Stressful Situations) से डील करने के तरीकों को सीखने के लिए काउन्सलिंग ली जा सकती है।
5. जीवनशैली में बदलाव: नियमित व्यायाम करने से, स्वस्थ आहार लेने से, पर्याप्त नींद और तनाव का बेहतर प्रबंधन करने से, फाइब्रोमायल्जिया के लक्षणों को प्रबंधित करने में मदद मिल सकती है।
उपचार योजना अक्सर रोगी के संपूर्ण स्वास्थ्य स्थिति और रोग के लक्षणों की गंभीरता के आधार पर तैयार की जाती है।
क्या फाइब्रोमायल्जिया जीवन के लिए ख़तरा है?
फाइब्रोमायल्जिया कोई जानलेवा बीमारी नहीं है, और इसमें अंगों को नुकसान नहीं पहुँचता है और ना यह अन्य बीमारियों का कारण बनता है, लेकिन व्यक्ति के जीवन को गंभीर रूप से प्रभावित कर सकता है, व्यक्ति के दैनिक कार्य करने की क्षमता को सीमित कर सकता है। इसके अतिरिक्त इस बीमारी में, थकान और स्लीप डिसऑर्डर्स जैसी स्वास्थ्य समस्याओं के साथ संज्ञानात्मक कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है। फाइब्रोमायल्जिया अक्सर डिप्रेशन और एंग्जायटी जैसे मानसिक स्वास्थ्य मुद्दों से जुड़ा होता है, इसलिए समय पर ऐसी स्वास्थ्य स्थितियों का इलाज करना आवश्यक है।
फाइब्रोमायल्जिया के लिए सर्वाइवल रेट
फाइब्रोमायल्जिया जीवन के लिए ख़तरा नहीं है, इसलिए कैंसर या अन्य गंभीर बीमारियों की तरह इसके सर्वाइवल रेट के विषय में चर्चा करने का कोई अर्थ नहीं निकलता है। हालाँकि, यह ध्यान रखना आवश्यक है कि फाइब्रोमायल्जिया सीधे तौर पर सर्वाइवल रेट को प्रभावित नहीं करता है, लेकिन इसके कुछ लक्षण जैसे क्रोनिक पेन, थकान इत्यादि किसी व्यक्ति के जीवन की गुणवत्ता (Quality of Life) को बहुत प्रभावित कर सकते हैं।
फाइब्रोमायल्जिया के इलाज में लगनेवाला समय
फाइब्रोमायल्जिया एक क्रोनिक कंडीशन है, इसलिए इसका इलाज लगातार चल सकता है। इलाज में लगनेवाला समय रोग की प्रगति, व्यक्ति के संपूर्ण स्वास्थ्य स्थिति और उपचार के प्रति उसकी प्रतिक्रिया पर निर्भर करता है। कुछ व्यक्तियों में फाइब्रोमायल्जिया के लक्षण समय के साथ कम हो सकते हैं, तो कुछ का इलाज आजीवन चल सकता है।
निष्कर्ष
फाइब्रोमायल्जिया एक कॉम्प्लेक्स और क्रोनिक कंडीशन है, जो व्यक्तियों के जीवन की गुणवत्ता को गंभीर रूप से प्रभावित कर सकती है। फाइब्रोमायल्जिया अक्सर डिप्रेशन और एंग्जायटी जैसे मानसिक स्वास्थ्य स्थितियों से जुड़ा होता है। इसलिए यदि समय पर इन स्वास्थ्य स्थितियों का इलाज किया जाए तो बहुत हद तक फाइब्रोमायल्जिया के ख़तरे को टाला जा सकता है। इस लेख के माध्यम से हमारा उद्देश्य भारत के लोगों को फाइब्रोमायल्जिया बीमारी के बारे में जानकारी प्रदान करना है।
इसके अतिरिक्त हम आपसे निवेदन करते हैं कि यदि आप इस बीमारी के बारे में जानते हैं, तो अधिक से अधिक लोगों को इसके बारे में बताएँ, साथ ही लोगों से हमारा यह आर्टिकल शेयर करें, जिससे वह इस बीमारी के बारे में पूर्ण रूप से जानकारी प्राप्त कर सकें।
यदि आप भी कैंसर के इलाज का खर्च नहीं जुटा पा रहे हैं, तो क्राउडफंडिंग की मदद से आपकी समस्या हल हो सकती है।