अग्नाशय का कैंसर, अग्नाशय के ऊतकों में शुरू होता है। अग्नाशय पेट के पीछे, पेट के ऊपरी हिस्से में छह इंच लंबा नाशपाती के आकार जैसा अंग होता है। अग्नाशय का मुख्य कार्य, हमारे शरीर में पाचन में सहायता करनेवाले एंजाइम और रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रित करने वाले हार्मोन को जारी करना होता है।
पाचन एंजाइम, अग्नाशय के एक्सोक्राइन कोशिकाओं द्वारा निर्मित होते हैं और अग्नाशय वाहिनी के माध्यम से छोटी आँत में छोड़े जाते हैं। अग्नाशय के एंडोक्राइन कोशिकाओं का कार्य इंसुलिन और ग्लूकागन सहित महत्त्वपूर्ण हार्मोन का उत्पादन करना है, जो हमारे रक्तप्रवाह में शर्करा की मात्रा को नियंत्रित करती हैं।
अग्नाशय का कैंसर, अग्नाशय में एक्सोक्राइन या एंडोक्राइन कोशिकाओं के अनियंत्रित रूप से बढ़ने के कारण होता है। जब अग्नाशय में कोशिकाएँ अनियंत्रित रूप से विभाजित होती हैं, तो मिलकर ट्यूमर का निर्माण करती हैं और यह ट्यूमर कैंसर का कारण बनता है।
एक्सोक्राइन कोशिकाओं में शुरू होनेवाला कैंसर, एंडोक्राइन कोशिकाओं में उत्पन्न होने वाले कैंसर से मूल रूप से भिन्न होता है। अधिकांश अग्नाशय के कैंसर एक्सोक्राइन कैंसर होते हैं, जिनमें अग्नाशय एडेनोकार्सिनोमा सबसे आम प्रकार है।
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Table of Contents
- अग्नाशय का कैंसर के प्रकार
- पैंक्रियाज कैंसर के लक्षण / अग्नाशय कैंसर के लक्षण
- अग्नाशय का कैंसर के कारण
- पैंक्रियाटिक कैंसर के चरण / अग्नाशय का कैंसर के चरण
- अग्नाशय कैंसर का निदान
- अग्नाशय कैंसर की रोकथाम
- अग्नाशय कैंसर का इलाज
- क्या अग्नाशय कैंसर जीवन के लिए ख़तरा है?
- अग्नाशय के कैंसर के लिए सर्वाइवल रेट
- अग्नाशय कैंसर के इलाज में लगनेवाला समय
- निष्कर्ष
अग्नाशय का कैंसर के प्रकार

पैंक्रियाटिक कैंसर या अग्नाशय कैंसर के प्रकारों का नाम, उन कोशिकाओं के नाम पर रखा गया है, जिनमें वह विकसित होते हैं। पैंक्रियाटिक कैंसर के प्रकार निम्न हैं:
1. एक्सोक्राइन पैंक्रियाटिक कैंसर: यह कैंसर, पैंक्रियाटिक कैंसर या अग्नाशय कैंसर का सबसे आम प्रकार है, और यह लगभग 95% मामलों के लिए ज़िम्मेदार होता है। एक्सोक्राइन कोशिकाओं (जो पाचन में सहायता करनेवाली एंजाइम प्रोड्यूज़ करती हैं) को प्रभावित करने वाले कैंसर को एक्सोक्राइन अग्नाशय कैंसर कहा जाता है। इसके प्रकारों में, एडेनोकार्सिनोमा (पैंक्रियाटिक डक्टल एडेनोकार्सिनोमा / PDAC- सबसे आम रूप), एडेनोस्क्वैमस कार्सिनोमा, स्क्वैमस सेल कार्सिनोमा और जायंट सेल कार्सिनोमा शामिल हैं।
2. एंडोक्राइन पैंक्रियाटिक कैंसर: इसे पैंक्रियाटिक न्यूरोएंडोक्राइन ट्यूमर (PNETs) या आइलेट सेल ट्यूमर के नाम से भी जाना जाता है। इसके मामले एक्सोक्राइन ट्यूमर की तुलना में बहुत कम पाए जा सकते हैं, और यह अग्नाशय के एंडोक्राइन कोशिकाओं (हार्मोन प्रोड्यूज़ करनेवाली कोशिकाएँ) में विकसित होता है। पैंक्रियाटिक न्यूरोएंडोक्राइन ट्यूमर (PNETs), फंक्शनल (हार्मोन का उत्पादन करने वाला) या नॉन-फंक्शनल (हार्मोन का उत्पादन नहीं करने वाला) दो प्रकार का हो सकता है। फंक्शनल ट्यूमर के प्रकारों का नाम उनके द्वारा प्रोड्यूज़ किए जानेवाले हार्मोन के नाम पर रखा गया है, जैसे इंसुलिन प्रोड्यूज़ करनेवाले ट्यूमर को इंसुलिनोमा, ग्लूकागन प्रोड्यूज़ करनेवाले ट्यूमर को ग्लूकागोनोमा कहा जाता है।पैंक्रियाटिक कैंसर के प्रकारों की जानकारी होने से, चिकित्सकों को इसे प्रभावी ढंग से प्रबंधित करने में मदद मिल सकती है।
पैंक्रियाज कैंसर के लक्षण / अग्नाशय कैंसर के लक्षण
पैंक्रियाज कैंसर के लक्षण या अग्नाशय कैंसर के लक्षण, शुरुआती चरणों में अक्सर बहुत ही सूक्ष्म होते हैं और कम गंभीर स्थितियों से संबंधित मानकर आसानी से नज़रअंदाज़ कर दिए जाते हैं। शोधों के आधार पर पहचान किए गए कुछ अग्नाशय कैंसर के लक्षण निम्न हैं:
1. त्वचा और आँखों के सफ़ेद भाग का पीला होना (पीलिया), पैंक्रियाज कैंसर के लक्षण या अग्नाशय कैंसर के लक्षण में से एक लक्षण हो सकता है।
2. ऊपरी पेट या पीठ में हल्का दर्द होना, पैंक्रियाज कैंसर के लक्षण या अग्नाशय कैंसर के लक्षण में शामिल है, और यह पैंक्रियाज कैंसर का प्रारंभिक लक्षण है।
3. बिना कारण वजन कम होना और भूख न लगना पैंक्रियाज कैंसर के लक्षण या अग्नाशय कैंसर के लक्षण में ही शामिल हैं।
4. मल का पीला, भारी या चिकना होना भी पैंक्रियाज कैंसर के लक्षण या अग्नाशय कैंसर के लक्षण में ही सम्मिलित है।
5. अनियंत्रित रूप से मधुमेह का बढ़ना भी पैंक्रियाज कैंसर के लक्षण या अग्नाशय कैंसर के लक्षण में शामिल है। पैंक्रियाज कैंसर होने पर, कैंसर इंसुलिन-उत्पादक कोशिकाओं को नष्ट कर सकता है, जिससे मधुमेह हो सकता है।6. मतली और उल्टी आना, पित्ताशय या यकृत का बढ़ना, पैरों में रक्त के थक्के बनना और लगातार थकान रहना, पैंक्रियाज कैंसर के अन्य लक्षणों में शामिल हैं, और यह अक्सर कैंसर के बढ़ने पर प्रकट हो सकते हैं।
अग्नाशय का कैंसर के कारण
अन्य कैंसरों की तरह, अग्नाशय कैंसर का सटीक कारण भी अब तक ज्ञात नहीं हो पाया है, लेकिन शोधों के निष्कर्षों के आधार पर यह कहा जा सकता है कि इसके विकास के कारणों में पर्यावरणीय कारक और थोड़े-बहुत आनुवंशिक कारक शामिल हो सकते हैं। कैंसर का मूल कारण जीनों में परिवर्तन होना है।
कुछ म्यूटेशन जो अग्न्याशय कैंसर के कारणों में शामिल हैं, वह BRCA2, P16/CDKN2A, CDKN2A और TP53 जैसे ट्यूमर सप्रेसर जीन के कार्य को प्रभावित करते हैं। अग्नाशय के कैंसर का केवल एक छोटा सा हिस्सा ही सीधे तौर पर वंशानुगत जीन उत्परिवर्तन से जुड़ा होता है, और कई अग्नाशय कैंसर किसी व्यक्ति के जीवनकाल में होने वाले जीन परिवर्तनों के परिणामस्वरूप हो सकते हैं, संभवतः तंबाकू के धुएँ के संपर्क के कारण। अग्नाशय कैंसर के कुछ जोखिम कारकों की पहचान की जा चुकी है, जो निम्न हैं:
1. बढ़ती उम्र (अधिकांश 60 वर्ष से अधिक आयु के लोग)
2. धूम्रपान
3. मोटापा (अधिक वजन वाले या मोटापे से ग्रस्त लोगों में 20% से अधिक अग्नाशय कैंसर होने का ख़तरा होता है।)
4. अग्नाशय कैंसर या कुछ आनुवंशिक सिंड्रोम का पारिवारिक इतिहास
5. टाइप 2 डायबिटीज
6. क्रोनिक पैंक्रियाटाइटिस (अग्नाशय की लंबे समय तक सूजन, जो अक्सर भारी मात्रा में शराब के सेवन से होता है)
7. रेड और प्रोसेस्ड मीट का अधिक सेवन8. कार्यस्थल पर कुछ रसायनों के संपर्क में आना
पैंक्रियाटिक कैंसर के चरण / अग्नाशय का कैंसर के चरण
पैंक्रियाटिक कैंसर या अग्नाशय का कैंसर के चरणों की जानकारी होने से, चिकित्सकों को इसे प्रबंधित करने के लिए उपचार योजना बनाने में मदद मिल सकती है। पैंक्रियाटिक कैंसर की स्टेजिंग TNM सिस्टम की मदद से की जा सकती है, जहाँ T ट्यूमर के आकार को दर्शाता है, N पास के लिम्फ नोड्स में फैले हुए कैंसर को दर्शाता है और M शरीर के दूर के अंगों में कैंसर के फैलने या मेटास्टेटिस होने को दर्शाता है। पैंक्रियाटिक कैंसर के चरणों को चरण 0 से चरण IV तक विभाजित किया गया है:
1. चरण 0 (कार्सिनोमा इन सीटू): चरण 0 प्रारंभिक चरण होता है, और इसमें असामान्य कोशिकाएँ केवल अग्नाशय की परत में मौजूद होती हैं।
2. चरण I: चरण I में कैंसर पूरी तरह से अग्नाशय के भीतर स्थित होता है। चरण I को चरण IA (ट्यूमर 2 सेमी या उससे छोटा है) और चरण IB (ट्यूमर 2 सेमी से बड़ा है) में विभाजित किया गया है।
3. चरण II: चरण II में, कैंसर आस-पास के ऊतकों और अंगों और/या लिम्फ नोड्स में फैल चुका होता है, लेकिन दूर के अंगों में नहीं फैला होता है।
4. स्टेज III: इस चरण में, कैंसर प्रमुख रक्त वाहिकाओं (Blood Vessels) या चार या उससे अधिक पास के लिम्फ नोड्स में फैल चुका होता है, लेकिन दूर के स्थानों में नहीं फैला होता है।
5. चरण IV: चरण IV सबसे उन्नत चरण और अंतिम चरण होता है, जिसमें कैंसर दूर के अंगों, जैसे कि यकृत, फेफड़े या पेरिटोनियल कैविटी तक फैल चुका होता है। चरण IV को मेटास्टेटिक अग्नाशय कैंसर भी कहा जाता है।
अग्नाशय कैंसर का निदान
अग्न्याशय कैंसर का निदान, संपूर्ण चिकित्सा इतिहास और शारीरिक परीक्षण से शुरू किया जा सकता है, जहाँ डॉक्टर पीलिया के लक्षणों और अग्नाशय कैंसर के अन्य लक्षणों की जाँच कर सकता है। यदि डॉक्टर को अग्नाशय कैंसर का संदेह होता है, तो वह रोगी को निम्नलिखित परीक्षणों को करवाने का सलाह दे सकता है:
1. इमेजिंग परीक्षण: पैंक्रियाटिक कैंसर के निदान के लिए, अग्नाशय और आसपास के अंगों को देखने के लिए अल्ट्रासाउंड, सीटी स्कैन, एमआरआई और पीईटी स्कैन जैसे इमेजिंग टेस्ट्स किए जा सकते हैं।
2. एंडोस्कोपिक अल्ट्रासाउंड (EUS): इस परीक्षण में एक पतली, लचीली ट्यूब एंडोस्कोप (जिसके सिरे पर एक छोटा अल्ट्रासाउंड उपकरण होता है) की मदद से, अग्नाशय की अल्ट्रासाउंड छवियाँ प्राप्त की जा सकती हैं।
3. बायोप्सी: इसमें कैंसर कोशिकाओं की माइक्रोस्कोप के द्वारा जाँच करने के लिए अग्नाशय या पैंक्रियाज से टिश्यू का एक छोटा सा नमूना निकाला जाता है। बायोप्सी, त्वचा (परक्यूटेनियस) के माध्यम से या एंडोस्कोप (एंडोस्कोपिक बायोप्सी) की मदद से की जा सकती है।
4. ब्लड टेस्ट: पैंक्रियाटिक कैंसर से पीड़ित व्यक्ति में, CA19-9 प्रोटीन का स्तर अधिक होता है। ब्लड टेस्ट द्वारा इस प्रोटीन के स्तर का पता लगाया जा सकता है। हालाँकि, यह परीक्षण हमेशा सटीक नहीं होता है और इसका उपयोग अन्य नैदानिक उपकरणों के साथ किया जाता है।
5. लैप्रोस्कोपी: कुछ केसेस में, पैंक्रियाटिक कैंसर की जाँच करने के लिए, अग्नाशय और पेट के अन्य अंगों को देखने के लिए लैप्रोस्कोपी की जा सकती है। इस परीक्षण में, पेट में छोटा चीरा लगाना और एक छोटा कैमरा डालना शामिल है।
अग्नाशय कैंसर की रोकथाम
अग्नाशय के कैंसर या पैंक्रियाटिक कैंसर को पूरी तरह से रोकना असंभव है, लेकिन कुछ उपाय करके इससे बचने में मदद अवश्य ज़रूर मिल सकती है:
1. धूम्रपान छोड़ना: धूम्रपान छोड़ने से, पैंक्रियाटिक कैंसर से बचने में सहायता मिल सकती है।
2. स्वस्थ वजन बनाए रखना: मोटापा से कैंसर ही नहीं अन्य बहुत तरह की बीमारियों का व्यक्ति शिकार हो सकता है। व्यक्ति यदि स्वस्थ वजन बनाए रखे तो वह ज़रूर पैंक्रियाटिक कैंसर और अन्य बीमारियों से बच सकता है।
3. स्वस्थ आहार लेना: फलों, सब्जियों और साबुत अनाज से भरपूर आहार का सेवन करने से, कैंसर के ख़तरे को कम करने में मदद मिल सकती है।
4. नियमित व्यायाम करना: नियमित व्यायाम करके स्वस्थ वजन बनाए रखने से, अग्नाशय कैंसर सहित विभिन्न प्रकार के कैंसर के ख़तरे को कम करने में मदद मिल सकती है।
5. शराब का सेवन सीमित करना: भारी मात्रा में शराब के सेवन से, व्यक्ति क्रोनिक पैंक्रियाटाइटिस का शिकार हो सकता है। इसलिए, क्रोनिक पैंक्रियाटाइटिस से बचने के लिए शराब के सेवन को सीमित करना आवश्यक है।
अग्नाशय कैंसर का इलाज
अग्नाशय कैंसर का इलाज, कैंसर के चरण, स्थान, रोगी के संपूर्ण स्वास्थ्य और उसके व्यक्तिगत प्राथमिकताओं पर निर्भर करता है। अग्नाशय कैंसर का इलाज करने के लिए निम्न उपचार विकल्पों का उपयोग किया जा सकता है:
1. सर्जरी: यदि ट्यूमर अग्नाशय या पैंक्रियाज में स्थानीयकृत है, तो इसे सर्जरी विकल्प का उपयोग करके हटाया जा सकता है। सर्जिकल प्रोसीजर्स में विप्पल प्रोसीजर (पैन्क्रियाटोडुओडेनेक्टॉमी), डिस्टल पैनक्रिएटेक्टॉमी, टोटल पैनक्रिएटेक्टॉमी और लैप्रोस्कोपिक सर्जरी शामिल हैं।
2. विकिरण थेरेपी / रेडिएशन थेरेपी: इस उपचार में कैंसर कोशिकाओं को नष्ट करने के लिए एक्स-रे और प्रोटॉन जैसे हाई-एनर्जी रेज़ का उपयोग किया जाता है। इस उपचार का उपयोग सर्जरी से पहले या बाद में, या सर्जरी का विकल्प नहीं होने पर कीमोथेरेपी के साथ कॉम्बिनेशन में किया जा सकता है।
3. कीमोथेरेपी: इसमें कैंसर कोशिकाओं को नष्ट करने के लिए, दवाइयों का उपयोग अंतःशिरा द्वारा या मौखिक रूप से किया जा सकता है। इसे रेडिएशन थेरेपी (कीमोरेडिएशन) के साथ कॉम्बिनेशन में भी उपयोग में लिया जा सकता है।
4. टार्गेटेड थेरेपी: इस थेरेपी में कैंसर कोशिकाओं के भीतर विशिष्ट असामान्यताओं को टार्गेट किया जाता है, वह असामान्यताएँ जो कैंसर कोशिकाओं को तेज़ी से बढ़ने के लिए प्रेरित करती हैं।
5. इम्यूनोथेरेपी: इस उपचार में, कैंसर से लड़ने के लिए शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली का उपयोग करना शामिल है। हालाँकि आम तौर पर, इसका उपयोग करके अग्नाशय कैंसर का इलाज नहीं किया जाता है, लेकिन कई केसेस में उन्नत चरणों में पैंक्रियाज कैंसर के लक्षणों को प्रबंधित करने के लिए इसका उपयोग किया जा सकता है।
6. प्रशामक देखभाल (Palliative Care): यह सहायक देखभाल एक विशेष चिकित्सा देखभाल है, जिसमें दर्द और गंभीर बीमारी के अन्य लक्षणों, जैसे अग्नाशय कैंसर से राहत प्रदान की जाती है।
क्या अग्नाशय कैंसर जीवन के लिए ख़तरा है?
अग्नाशय कैंसर के शुरूआती लक्षण बहुत ही सूक्ष्म होते हैं। इसके लक्षण अक्सर तब प्रकट होते हैं, जब ट्यूमर शरीर के अन्य भागों में मेटास्टेसाइज हो चुका होता है। अग्नाशय कैंसर के लक्षणों का देर से पता चलने के कारण यह वास्तव में जीवन के लिए ख़तरा बन सकता है।
अग्नाशय के कैंसर के लिए सर्वाइवल रेट
अग्नाशय कैंसर के लिए सर्वाइवल रेट निम्न है:
1. स्थानीयकृत या लोकलाइज़्ड अग्नाशय कैंसर (जब कैंसर अग्नाशय तक ही सीमित होता है): स्थानीयकृत या लोकलाइज़्ड अग्नाशय कैंसर के लिए 5 साल की सर्वाइवल रेट लगभग 39% है।
2. क्षेत्रीय या रीजनल अग्नाशय कैंसर (जब कैंसर आस-पास की संरचनाओं या लिम्फ नोड्स में फैल चुका होता है): क्षेत्रीय या रीजनल अग्नाशय कैंसर के लिए 5 साल की सर्वाइवल रेट लगभग 13% है।
3. दूर (जब कैंसर शरीर के दूर के हिस्सों में फैल चुका होता है): इस स्टेज में अग्नाशय के कैंसर के लिए 5 साल की सर्वाइवल रेट लगभग 3% है।
उपरोक्त सभी चरणों को मिलाकर 5 साल की सर्वाइवल रेट लगभग 10% है। अग्नाशय कैंसर के लिए जीवित रहने की दर, कैंसर के चरण और प्रकार, रोगी के संपूर्ण स्वास्थ्य और उपचार के परिणामों जैसे कई कारकों पर निर्भर करती है।
अग्नाशय कैंसर के इलाज में लगनेवाला समय
अग्नाशय कैंसर के इलाज में लगनेवाला समय कैंसर के प्रकार और चरण, चुने गए उपचार विकल्प, रोगी के संपूर्ण स्वास्थ्य जैसे कारकों पर निर्भर करता है। कैंसर का इलाज करने के लिए, सर्जरी में कई घंटों तक का समय लग सकता है और उसके बाद ठीक होने में कई सप्ताह से लेकर महीनों तक का समय लग सकता है। कीमोथेरेपी या रेडिएशन थेरेपी उपचार कई महीनों तक चल सकता है। उन्नत या मेटास्टैटिक अग्नाशय कैंसर का उपचार, उपशामक कीमोथेरेपी (Palliative Chemotherapy) द्वारा तब तक चल सकता है, जब तक लक्षण नियंत्रित नहीं हो जाते हैं।
निष्कर्ष
अग्नाशय कैंसर एक गंभीर और ख़तरनाक बीमारी है। पिछले कुछ वर्षों में, भारत में इसके मामलों में उल्लेखनीय बढ़ोतरी हुई है। इस बीमारी के लक्षण शुरूआती चरणों में अक्सर सूक्ष्म होते हैं और कम गंभीर स्थितियों से संबंधित मानकर नज़रअंदाज़ कर दिए जाते हैं। उन्नत चरणों में लक्षणों के प्रकट होने से, अक्सर यह बीमारी ख़तरनाक साबित होती है। इस लेख द्वारा, शोधों के आधार पर पहचान किए गए प्रारंभिक अग्नाशय कैंसर के लक्षणों को समझाने का प्रयास किया गया है। इसके अतिरिक्त इस लेख के माध्यम से अग्नाशय कैंसर के प्रकार, कारण, निदान, रोकथाम रणनीतियों, उपचार विकल्पों और सर्वाइवल रेट के बारे में भी जानकारी प्रदान की गई है। नियमित स्वास्थ्य जाँच से, समय-समय पर स्वास्थ्य पेशेवर से सलाह लेने से, स्वस्थ आहार लेने से, नियमित व्यायाम करने से बहुत हद तक अग्नाशय कैंसर के ख़तरे को टाला जा सकता है।
बहुत से लोग अपनी आर्थिक स्थिति के कमज़ोर होने के कारण, कैंसर का इलाज नहीं करवा पाते हैं। ऐसे लोगों से निवेदन है कि आशा ना हारें और पैसों की मदद के लिए तत्काल ‘इम्पैक्टगुरु’ से संपर्क करें।