पेट में इन्फेक्शन होने के लक्षण, कारण और इलाज।

एक कहावत तो आपने सुनी होगी कि पहले पेट पूजा फिर काम दूजा। ठीक ही कहा है। आदमी खाने के लिए कमाता है। दो प्रहर के भोजन की व्यवस्था ही मनुष्य के जीवन की गाथा है। भरपेट खाना ही आदमी की सबसे बड़ी खुशी है। इसलिए खाने का शौक हरेक को होता है। आप कहीं बाहर गए हो और समोसे दिख जाए तो रहा नहीं जाता। चाट, गोलगप्पे, मोमोज, बर्गर के बिना हम अपने जीवन की कल्पना भी नहीं कर सकते। अगर बहुत भूख लगी हो और खाने के विकल्प नहीं हो तो आदमी उतावलेपन में कुछ भी खा लेता है। यानी जब आदमी को भूख लगती है तो वह कुछ भी खा लेता है। कारण? पेट में चूहे दौड़ रहे हो तो फिर उसे कुछ भी दिखाई नहीं आता। बस जो मिल जाए वही खा लेता है। उपरोक्त दोनों परिस्थितियों में मनुष्य अपने खानपान में लापरवाही बरत लेता है और उसके पेट से संबंधित समस्या हो जाती है। ऐसी ही एक समस्या का नाम पेट में इन्फेक्शन है। इस बीमारी में पाचन तंत्र में वायरस के कारण संक्रमण होने से वह ठीक से काम नहीं करता और शरीर में अनेक समस्याएं जन्म ले लेती हैं। इस लेख में पेट में इन्फेक्शन क्या है, पेट में इन्फेक्शन कैसे होता है, पेट में इन्फेक्शन क्यों होता है, पेट में इन्फेक्शन के लक्षण, पेट में इन्फेक्शन के लक्षण और उपाय, पेट में इन्फेक्शन का इलाज, पेट में इन्फेक्शन में क्या खाना चाहिए, पेट में इन्फेक्शन में क्या नहीं खाना चाहिए, पेट में इन्फेक्शन के घरेलू उपाय, बच्चों के पेट में इन्फेक्शन कैसे होता है, बच्चों के पेट में इन्फेक्शन की दवा और निष्कर्ष पर विस्तार से प्रकाश डाला गया है।

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पेट में इन्फेक्शन क्या है?

पेट में इन्फेक्शन में क्या खाना चाहिए

पेट में संक्रमण को पेट में इन्फेक्शन के नाम से जाना जाता है। पेट का इन्फेक्शन एक वायरल डिजीज है इसलिए मेडिकल टर्मिनोलॉजी में इसे वायरल गैस्ट्रोएंटेराइटिस कहते हैं। जनमानस में इस बीमारी को पेट का फ्लू भी कहते हैं। पाचन तंत्र का वायरस, बैक्टीरिया और पैरासाइट के प्रवेश से पेट में संक्रमण हो जाता है।

पेट में इन्फेक्शन कैसे होता है?

खराब और बासी खाना खाने से तथा दूषित पानी पीने से पेट में इन्फेक्शन हो जाता है। पेट का इन्फेक्शन से संक्रमित व्यक्ति के सम्पर्क में आने से भी पेट में संक्रमण फैल सकता है। इसके अतिरिक्त संक्रमित वस्तुओं के सम्पर्क में आने से भी पेट का इन्फेक्शन हो सकता है। 

पेट में इन्फेक्शन क्यों होता है?

खराब या बासी खाना खाने से, गंदा पानी पीने से, संक्रमित वस्तुओं और संक्रमित व्यक्ति में बसे संक्रमण या वायरस का जब स्वस्थ शरीर में प्रवेश होता है तो वह सीधे पेट में स्थान ग्रहण करता है और परिणामस्वरूप पेट का इन्फेक्शन हो जाता है। दूषित खाना खाने से और गंदा पानी पीने से पेट का इन्फेक्शन होता है। संक्रमित व्यक्ति का जूठा भोजन ग्रहण करने से भी पेट में संक्रमण हो सकता है। कुछ दवाओं के रिएक्शन से भी पेट का इन्फेक्शन हो सकता है। संक्रमित वस्तुओं के सम्पर्क में आने के कारण भी पेट का इन्फेक्शन हो जाता है। 

पेट में इन्फेक्शन के लक्षण

बार-बार उल्टी होना, दस्त लगना, पेट में दर्द या ऐंठन पेट में इन्फेक्शन के लक्षण हैं। वैसे तो पेट में इन्फेक्शन के लक्षण आसानी से पहचान में आ जाते हैं लेकिन लोगों में इसकी सही और सम्पूर्ण जानकारी न होने के कारण पेट में इन्फेक्शन का इलाज सही तरह से नहीं हो पाता है। इसलिए लोगों में जागरूकता और सतर्कता को लाने के लिए पेट में इन्फेक्शन के लक्षण की जानकारी को अनिवार्य रूप से सरल-सहज भाषा में प्रदत्त करना होगा।

आइए क्रमानुसार और विधिवत तरीके से पेट में इन्फेक्शन के लक्षण को जानें :

  • बार-बार दस्त लगना : पेट के इन्फेक्शन में संक्रमित व्यक्ति का पाचन तंत्र ठीक नहीं रहता जिस कारण दस्त की समस्या हो जाती है। अगर दो दिन से अधिक दस्त हो रही है तो यह पेट के इन्फेक्शन का लक्षण हो सकता है।
  • बार-बार उल्टी आना : पाचन तंत्र सही न रहने से लगातार उल्टी आती है। यह पेट के फ्लू का सबसे आम और प्रमुख लक्षण है। इस समस्या में यह आवश्यक नहीं कि उल्टी ही आये बल्कि उल्टी की अनुभूति भी हो सकती है।
  • चिड़चिड़ापन : बार-बार दस्त, उलटी और जी मचलने के कारण मानसिक स्थिति ठीक नहीं रहती और चिड़चिड़ेपन का भाव भी रहता है।
  • निर्जलीकरण : दस्त और उल्टी की समस्या होने पर शरीर में पानी की कमी होने लगती है। इसके चलते मुंह सूखने लगता है। शरीर में पानी की कमी के चलते मुंह सूखने लगता है और सिरदर्द भी होने लगता है। हूंठ काले पड़ सकते हैं तथा बोलने में परेशानी भी हो सकती है।
  • पेट में दर्द : आंत में सूजन और पेट में इन्फेक्शन के चलते दर्द होना सबसे आम और प्रमुख लक्षण है। पेट में दर्द होने का तात्पर्य पेट में होने वाली असहनीय पीड़ा से है जो बार-बार होने लगती है। दर्द होने के अतिरिक्त पेट में मरोड़ और अकड़न भी होने लगाती है।
  • पेशाब के रंग में परिवर्तन : पेट में इन्फेक्शन के चलते निर्जलीकरण अर्थात पानी की कमी होने लगती है जिस कारण पेशाब का रंग परिवर्तित हो जाता है। पेशाब का रंग सफेद होने के स्थान पर गहरा रंग का हो जाता है।
  • मल के रंग में परिवर्तन : पेट में फ्लू या इन्फेक्शन के कारण मल का रंग पीला होने के स्थान पर अत्यधिक काला हो जाता है। मल का काला होने मल के न निकलने या रुके मल का प्रतीक होता है। हो सकता है मल के साथ खून भी निकले।

पेट में इन्फेक्शन के लक्षण और उपाय

अगर कोई व्यक्ति पेट के फ्लू या इन्फेक्शन से संक्रमित है तो उल्टी और दस्त सबसे आम लक्षण है। दस्त होने का प्रमुख कारण पाचन तंत्र का ठीक तरीके से काम नहीं करना है। पेट में असहनीय पीड़ा की अनुभूति होती है जिसे पेट में दर्द या ऐंठन कहते हैं। उल्टी होने के चलते संक्रमित व्यक्ति का जी भी मचलने लगता है। कुछ मामलों में बुखार के लक्षण भी देखने को मिले हैं। लेकिन लक्षण की सही पहचान न हो पाने के कारण पेट में इन्फेक्शन के लक्षण और उपाय को लेकर जागरूकता और सतर्कता का अभाव देखने को मिलता है। इसलिए पेट में इन्फेक्शन के लक्षण और उपाय एक महत्वपूर्ण विषय है। अगर समस्या गंभीर नहीं है तो पेट के इन्फेक्शन को ठीक किया जा सकता है। इसे ठीक करने के लिए घरेलू उपायों की सहायता ले सकते हैं। पेट में इन्फेक्शन के लक्षण और उपाय के अंतर्गत पेट में इन्फेक्शन में क्या खाना चाहिए और पेट में इन्फेक्शन में क्या नहीं खाना चाहिए इसकी जानकारी होना आवश्यक है।

पेट में इन्फेक्शन का इलाज

जानकारी के अभाव में यह आम सी लगने वाली समस्या बहुत घातक रूप भी ले सकती है। इसलिए लोगों को पेट में इन्फेक्शन के लक्षण की सही और सम्पूर्ण जानकारी अवश्य होनी चाहिए। पेट में इन्फेक्शन के लक्षण को आसानी से पहचान लिया जाए तो पेट में इन्फेक्शन का इलाज किया जा सकता है। 

अगर पेट का इन्फेक्शन गंभीर समस्या नहीं है तो पेट में इन्फेक्शन का इलाज किया जा सकता है। पेट में इन्फेक्शन के इलाज के अंतर्गत घरेलू उपाय, क्या खाना चाहिए और क्या नहीं खाना चाहिए का पालन करने से पेट का फ्लू ठीक हो जाता है। पेट में इन्फेक्शन के लक्षण और उपाय के अंतर्गत क्या खाना चाहिए और क्या नहीं खाना चाहिए, इन दोनों विषयों को लेख के अगले भाग में टंकित किया गया है।

पेट में इन्फेक्शन में क्या खाना चाहिए?

संक्रमित व्यक्ति के खराब पाचन तंत्र के अनुकूल भोजन की जानकारी से ही संक्रमण को समाप्त किया जा सकता है। इसलिए पेट में इन्फेक्शन में क्या खाना चाहिए की जानकारी लोगों को जागरूकता के उद्देश्य से मिलनी चाहिए। पेट में इन्फेक्शन में क्या खाना चाहिए और पेट में इन्फेक्शन में क्या नहीं खाना चाहिए की सटीक जानकारी होना अति आवश्यक है। पेट में इन्फेक्शन के घरेलू उपाय के अंतर्गत पेट में इन्फेक्शन में क्या खाना चाहिए और पेट में इन्फेक्शन में क्या नहीं खाना चाहिए, इन दोनों की जानकारी हो तो पेट में इन्फेक्शन का इलाज किया जा सकता है।

आइए जानें कि पेट में इन्फेक्शन में क्या खाना चाहिए :

  • नारियल पानी पीना चाहिए : पेट के इन्फेक्शन में होने वाले दस्त और उल्टी के लक्षण से निजात पाने का सबसे अच्छा तरीका नारियल पानी है। दरअसल नारियल पानी में इलेक्ट्रोलाइट्स और एंजाइम होते हैं जो पाचन तंत्र को मजबूत बनाने का सबसे अच्छा स्रोत है। ये एसिड के स्तर को निम्न कर एंजाइम की वृद्धि में सहायक होते हैं। पेट के इन्फेक्शन में निर्जलीकरण अर्थात पानी की समस्या से भी नारियल पानी निजात दिलाता है।
  • नींबू पानी का सेवन करना चाहिए : लौंग की तरह नींबू में भी एंटी बैक्टीरियल गुण होते हैं इसलिए पेट के इन्फेक्शन में नींबू पानी पीने से तुरंत आराम मिलता है। नींबू पानी पीने से पेट जल्दी साफ होता है। साथ ही पेट का दर्द, अकड़न भी छूमंतर हो जाता है।
  • पुदीना रस : पेट में इन्फेक्शन के चलते एसिड का स्तर आवश्यकता से अधिक हो जाता है जिस कारण पाचन भी ठीक नहीं रहता और जलन भी होती है। पुदीने का रस पेट की जलन को कम करता है और साथ में एसिड के स्तर को ठीक रखता है।
  • दही और छांछ पीना चाहिए : दुग्ध पदार्थ जैसे दही और छांछ में प्रोबायोटिक्स होते हैं जो पाचन तंत्र की समस्या को चुटकी में दूर कर देते हैं। प्रोबायोटिक्स में उपस्थित अच्छे बैक्टीरिया पेट के फ्लू में मौजूद बुरे बैक्टेरिया से लड़ने और जड़ से समाप्त करने में सक्षम होते हैं।
  • खिचड़ी और दलिया खाना चाहिए : बिना मसाले के तैयार होने वाले खिचड़ी और दलिया में तेल, मसाले और ऐसे अनावश्यक तत्व नहीं होते जो पेट के इंफेक्शन को हानि पहुंचाए। दरअसल खिचड़ी और दलिया में प्रोटीन होता है जो पचाने में आसान होता है। यह शरीर को बहुत जल्दी ऊर्जा भी देता है।
  • केला, सेब और मौसमी खाना चाहिए : मुलायम, गूदेदार और पानी से युक्त इन फलों को खाना और पचाना बहुत आसान होता है इसलिए पेट के इन्फेक्शन में इसे खाना चाहिए। प्रोटीन, कार्ब्स, फाइबर, आयरन और पोटेशियम से भरपूर ये फल खाने और पचाने दोनों में आसान होते है।
  • नमक और चीनी का घोल पीना चाहिए : पानी में नमक और चीन घोल कर पीने से पेट के इंफेक्शन से राहत मिलती है। पेट के इन्फेक्शन में सोडियम, पोटेशियम तथा आवश्यक मिनरल्स की कमी हो जाती है जिसकी पूर्ति इलेक्ट्रॉल घोल या नमक-चीनी घोल से हो जाती है।
  • काले नमक के साथ अनार का बीज खाना चाहिए : अनार को काली मिर्च के साथ खाने से पेट का इंफेक्शन जड़ से समाप्त हो जाता है। अनार में एंटी इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं जो आंत की सूजन को कम करने में सहायक होते हैं।

पेट में इन्फेक्शन में क्या नहीं खाना चाहिए

आइए जानें कि पेट में इन्फेक्शन में क्या खाना चाहिए :

  • चाय और कॉफी नहीं पीना चाहिए : पेय पदार्थ जो कैफीन से युक्त हो जैसे गर्म कॉफी  कॉफी तथा कैफीन से रहित पेय चाय को पीने से शरीर में निर्जलीकरण अर्थात पानी की कमी हो जाती है। इसके अतिरिक्त कॉफी आंत को सिकोड़ देता है इसलिए पेट के इंफेक्शन में कॉफी पीना बहुत घातक हो सकता है।
  • दूध नहीं पीना चाहिए : दूध से गैस की समस्या हो सकती है। गैस पेट के इन्फेक्शन में बहुत खरतनाक होता है और परिणामस्वरूप संक्रमण कम होने के स्थान पर और अधिक बढ़ जाता है।
  • मसालेदार भोजन नहीं करना चाहिए : अत्यधिक तेल और मसाले से बने भोजन को पचाना आसान नहीं होता। इसलिए ऐसा कोई भोजन ग्रहण नहीं करना चाहिए जिसमें तेल और मसाले की मात्रा अधिक हो तथा जिसको पचा पाना कठिन हो।
  • फास्ट फूड और कोल्ड ड्रिंक से परहेज : बाजार में बनने वाला तेल मसाले से युक्त भोजन मिलावट और गंदगी से भी भरा होता है। इसलिए फास्ट फूड अपच, दस्त और पेट के संक्रमण को न्योता देता है। कोल्ड ड्रिंक को भी पेट का दुश्मन माना जाता है।

पेट में इन्फेक्शन के घरेलू उपाय

पेट के इन्फेक्शन का इलाज घरेलू उपायों की सहायता से किया जा सकता है। पेट में इन्फेक्शन के घरेलू उपाय के अंतर्गत आयुर्वेदिक औषधि और घर में आसानी से मिलने वाले नुस्खे की मदद से पेट के इन्फेक्शन को ठीक किया जाता है।

आइए क्रमानुसार और विधिवत तरीके से पेट में इन्फेक्शन के घरेलू उपाय को जानें :

  • पानी में लौंग उबालकर पीना चाहिए : लौंग को गर्म पानी में पीने से पेट संबंधित सभी प्रकार की समस्याओं का निवारण हो जाता है। एंटी इंफ्लेमेटरी गुण होने के कारण लौंग कब्ज, डायरिया और पेट के इन्फेक्शन को जड़ से समाप्त कर देता है। इसके अतिरिक्त लौंग में एंटी बैक्टीरियल गुण भी होते हैं जो पेट की वायरल या वायरस से हुई बीमारी में सबसे अच्छी दवा है।
  • पानी पीते रहना चाहिए : पेट के इंफेक्शन के कारण शरीर में पानी की कमी हो जाती है। पानी की कमी की पूर्ति के लिए पानी पीते रहना चाहिए अन्यथा निर्जलीकरण पेट के फ्लू को बढ़ाने का काम करता है। इसलिए पानी पीते रहने से पेट के फ्लू को आसानी से समाप्त किया जा सकता है।
  • खाली पेट शहद का सेवन करना चाहिए : खाली पेट एक चम्मच शहद पीने से दस्त और उलटी तुरंत छूमंतर हो जाते हैं। पेट में दर्द, ऐंठन, अकड़न और मरोड़ के लिए शहद सबसे अच्छी दवाई है। न केवल पेट संबंधी बीमारी ठीक होती है अपितु उल्टी को भी भगा देता है।
  • जायफल के तेल का सेवन : एंटी इंफ्लेमेटरी गुण के कारण जायफल का तेल आंत की सूजन को जड़ से समाप्त कर देता है। पेट में खिंचाव, मरोड़ और दर्द के लिए जायफल का तेल बहुत अच्छा होता है। जायफल के तेल में एंटी बैक्टीरियल गुण होते हैं जो पेट के इन्फेक्शन के बैक्टेरिया से लड़ कर उसे समाप्त कर देते हैं।

बच्चों के पेट में इन्फेक्शन कैसे होता है?

रोटावायरस और नोरोवायरस के कारण बच्चों के पेट में इंफेक्शन होता है। संक्रमित बच्चों को मुख्य रूप से उल्टी और दस्त होने लगती है। इसके अतिरिक्त बुखार और कम पेशाब आना जैसे लक्षण भी देखने को मिलते हैं। हालांकि पेट में दर्द, मरोड़ के कारण चिड़चिड़ापन भी होने लगता है जिस कारण बच्चे रोने लगते हैं। अधिकतर लोगों को बच्चों के पेट में इन्फेक्शन कैसे होता है की सही और सम्पूर्ण जानकारी नहीं है जिस कारण बच्चों के पेट के इन्फेक्शन का सही इलाज नहीं मिल पाता।

बच्चों के पेट में इन्फेक्शन की दवा

अगर बच्चों के पेट में इन्फेक्शन है तो घबराना नहीं है। इसका सही उपचार चिकित्सक के पास उपलब्ध है। हालांकि कुछेक घरेलू उपाय अपनाकर इन्फेक्शन से मुक्ति पा सकते हैं।

आइए क्रमानुसार बच्चों के पेट में इन्फेक्शन की दवा को जानें :

  • ओआरएस : बच्चों के शरीर में दस्त और उल्टी लगने से पानी और आवश्यक विटामिन मिनरल्स की कमी हो जाती है जिसकी पूर्ति ओआरएस के घोल से हो जाती है। ओरल रिहाइड्रेशन सलूशन को ओआरएस के नाम से जाना जाता है। यह एक प्रकार का इलेक्ट्रॉल पाउडर है जो शरीर को इलेक्ट्रोलाइट प्रदान करता है।
  • नमक-चीन घोल : अगर ओआरएस उपलब्ध न हो तो नमक और चीनी का घोल भी बहुत असरकारक होता है। दरअसल नमक-चीन घोल नेचुरल इलेक्ट्रॉल पाउडर है।
  • उबला हुआ पानी : उबले हुए पानी में दूषित कण नहीं होते इसलिए यह पेट के इन्फेक्शन के समय बहुत लाभकारी होता है। दूषित पानी पीने से दस्त और उल्टी होती है इसलिए बच्चों को दस्त और उल्टी लगने पर उबला हुआ पानी पीने की सलाह दी जाती है।

निष्कर्ष

पेट के इन्फेक्शन को पेट में संक्रमण या पेट का फ्लू भी कहते हैं। मनुष्य की जीवन शैली ही ऐसी है कि अनजाने में पेट का फ्लू हो सकता है। दूषित और मिलावटी भोजन करने से तथा दूषित पानी पीने से पेट का इन्फेक्शन हो जाता है। संक्रमित व्यक्ति के सम्पर्क में आने से तथा संक्रमित वस्तुओं के सम्पर्क में आने से भी पेट का इन्फेक्शन हो जाता है। प्रमुख रूप से पेट में बैक्टीरिया, पैरासाइट और वायरस के प्रवेश करने से पेट में संक्रमण हो जाता है।

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