मानव शरीर संसार की सबसे सुंदर संरचनाओं में से एक है। इसमें ऐसी अनेक विशेषताएं है जो इसको अनोखी संरचनाओं की श्रेणी में सर्वोच्च स्थान पर स्थापित करती हैं। हमारे हाथ की रेखाएं, अंगूठे और उंगलियों के निशान, शरीर पर तिल, मसा, लहसुन आदि शरीर को एक विशेष पहचान के साथ-साथ आपको कुछ खूबियां भी देते हैं। हमारे शरीर के इन सभी विशेषताओं में से एक प्लेटलेट्स भी है। ये प्लेटलेट्स क्या होता है? प्लेटलेट्स एक ऐसी कोशिका है जो चोटिल आदमी के घाव को भरने और खून रोकने का काम करती है। यानी हमारे शरीर का कोई भी भाग चोट लगने से अगर क्षतिग्रस्त हो जाए तो उसकी भरपाई का काम प्लेटलेट्स का है। आपने देखा होगा की किसी को मामूली चोट लगी हो तो बिना दवाई के ही उसके घाव स्वतः भर जाते हैं। प्लेटलेट्स की यह विशेषता किसी जादू की तरह है।
लेकिन यहीं से एक रुचिकर और गंभीर प्रश्न जन्म लेता है – क्या हो अगर प्लेटलेट्स अपना काम न करें? ऐसा तभी संभव है जब शरीर में प्लेटलेट्स काउंट या प्लेटलेट्स संख्या की कमी से हो जाती है। प्लेटलेट्स कम होने के कारण मरीज को प्लेटलेट्स कैसे बढ़ाएं की चिंता सताती रहती है। इस समस्या का निवारण करने के लिए प्लेटलेट्स बढ़ाने का तरीका मरीज को बताया जाता है ताकि वह अपने जीवन को फिर से सुंदर बना सके।
इस लेख में प्लेटलेट्स क्या होता है, प्लेटलेट्स काउंट, प्लेटलेट्स कितना होना चाहिए, प्लेटलेट्स कम होने से क्या होता है, प्लेटलेट्स कम होने के लक्षण, प्लेटलेट्स कम होने के कारण, प्लेटलेट्स कैसे बढ़ाएं, प्लेटलेट्स बढ़ाने का तरीका, प्लेटलेट्स बढ़ाने के लिए क्या खाना चाहिए और निष्कर्ष का वृहत्तर उल्लेख किया गया है।
Table of Contents
प्लेटलेट्स क्या होता है? (Platelets In Hindi)

मानव शरीर की एक विशेष कोशिका को प्लेटलेट्स के नाम से जाना जाता है। प्लेटलेट्स को हिंदी में क्षतिग्रस्त पुनः निर्माण कोशिका कह सकते है। प्लेटलेट्स के हिंदी नाम से इसके उत्तरदायित्वों का स्पष्ट चित्र उभर आता है। मनुष्य को चोट लगने की परिस्थिति में उसकी क्षतिग्रस्त कोशिकाओं अर्थात चोटिल अंग की कोशिकाओं को पुनः ठीक करने का काम प्लेटलेट्स का है। इसके अतिरिक्त यह चोटिल अवस्था में रक्तस्राव (रक्त के बहाव) को रोकने का काम भी बखूबी करता है।अगली बार जब आपसे कोई पूछे कि प्लेटलेट्स क्या होता है तो उसे कहें कि ये एक ऐसा जादू है जो आदमी के घाव को भर देता है साथ ही चोट के समय शरीर से बहने वाले खून को भी रोकने का काम करता है।
प्लेटलेट्स काउंट को भी जानें (Platelets Count In Hindi)
हमारे शरीर के रक्त में प्लेटलेट्स स्थित होते हैं। इन प्लेटलेट्स की एक निश्चित संख्या होती है जिसे प्लेटलेट्स की सामान्य गणना अथवा प्लेटलेट्स नार्मल रेंज कहते हैं। मानव शरीर के प्रति माइक्रोलीटर रक्त में अगर प्लेटलेट्स की गणना 1,50,000 से 4,50,000 के बीच में है तो उसे नार्मल प्लेटलेट्स काउंट या प्लेटलेट्स नार्मल रेंज कहते हैं।
प्लेटलेट्स कितना होना चाहिए?
हमारे शरीर में प्लेटलेट्स की पूर्व निर्धारित संख्या की एक विशेष श्रेणी है। इस श्रेणी अथवा रेंज को प्लेटलेट्स की सामान्य गणना कहते हैं। यदि आपके रक्त में प्लेटलेट्स की संख्या 1,50,000 से 4,50,000 प्लेटलेट्स प्रति माइक्रोलीटर के बीच में है तो इसे सामान्य या नार्मल रेंज कहते हैं।
प्लेटलेट्स काउंट को जानने के लिए एक मेडिकल टेस्ट की आवश्यकता होती है जिसे सीबीसी कहते हैं। सीबीसी का फुल फॉर्म कम्पलीट ब्लड काउंट है। इस जांच की सहायता से प्लेटलेट्स के संख्या को आसानी से पता लगाया जा सकता है।
इन प्लेटलेट्स की संख्या के कम या अधिक होने पर अनेक प्रकार की समस्याएं पैदा होती हैं। प्लेटलेट्स की कमी या अधिकता को इन मेडिकल टर्मिनोलॉजी के नाम से जाना जाता है :
- थ्रोम्बोसाइटोपेनिया : प्लेटलेट्स की न्यूनतम सामान्य गणना 1,50,000 प्लेटलेट्स प्रति माइक्रोलीटर से भी कम हो तो उस स्थिति को थ्रोम्बोसाइटोपेनिया कहते हैं।
- थ्रोम्बोसाइटोसिस : प्लेटलेट्स की अधिकतम सामान्य गणना 4,50,000 प्लेटलेट्स प्रति माइक्रोलीटर से अधिक हो तो उस स्थिति को थ्रोम्बोसाइटोसिस कहते हैं।
आपने जाना की रक्त में प्लेटलेट्स की कमी और अधिकता दोनों प्रकार की समस्या देखने को मिल सकती है। इस लेख में हम प्लेटलेट्स की कमी पर चर्चा करने वाले हैं।
प्लेटलेट्स कम होने से क्या होता है?
प्लेटलेट्स कम होने से जो समस्या पैदा होती है उसे थ्रोम्बोसाइटोपेनिया कहते हैं। इसके अतिरिक्त प्लेटलेट्स की कमी से किसी भी परिस्थिति में रक्त का रिसाव होने के आसार बढ़ जाते हैं। यानी जिस मनुष्य में प्लेटलेट्स की कमी है तो उसके शरीर से रक्तस्राव बहुत आसानी से हो जाता है। प्लेटलेट्स कम होने से नाक, मसूड़े, मलाशय और योनि से रक्त के रिसाव का खतरा बना रहता है। यह त्वचा संबंधी रोगों को भी निमंत्रण देता है। डेंगू की बीमारी में भी प्लेटलेट्स की संख्या कम हो जाती है। आइए इस विषय पर प्लेटलेट्स कम होने के लक्षण के अंतर्गत विस्तार से चर्चा करें ताकि मरीज के प्लेटलेट्स कैसे बढ़ाएं की समस्या का निवारण आसानी से हो सके।
प्लेटलेट्स कम होने के लक्षण
प्लेटलेट्स के कम होने से हमारे शरीर में अनेक प्रकार की समस्याएं पैदा होती है। लेकिन प्लेटलेट्स कम होने के लक्षण को आसानी से पहचान कर हम इसका इलाज भी बड़ी ही आसानी से कर सकते हैं। इस संदर्भ में राहत देने वाली बात यह है कि प्लेटलेट्स कम होने के लक्षण आसानी से पहचाने जा सकते हैं। ऐसा इसलिए है कि इसके लक्षण आंतरिक से अधिक बाह्य यानी बाहरी हैं। अर्थात प्लेटलेट्स कम होने के लक्षण शरीर में स्पष्ट रूप से देखे जा सकते हैं। सबसे आम समस्या जो प्लेटलेट्स की कमी पर देखने को मिली है वह है शरीर के छिद्रों से रक्त का अनावश्यक रिसाव। इसके अतिरेक प्लेटलेट्स कम होने से त्वचा के दुर्लभ रोग भी हो जाते हैं।
प्लेटलेट्स कम होने के लक्षण निम्नलिखित हैं :
- नाक से खून बहना : प्लेटलेट्स की संख्या में कमी के चलते मरीज के नाक से खून बहने लगता है। नासिका से रक्त का रिसाव प्लेटलेट्स कम होने के लक्षण में सबसे प्रमुख संकेत है। जब प्लेटलेट्स की संख्या अपने पूर्व निर्धारित न्यूनतम से भी कम हो जाती है तो नाक के भीतर स्थित रक्त वाहिकाएं टूट जाती है। परिणामस्वरूप नाक से खून बहने लगता है।
- मसूड़े से खून बहना : प्लेटलेट्स की कमी के कारण शरीर के छिद्र से रक्त का रिसाव होना तो प्रमुख लक्षण है लेकिन इसके अतिरिक्त मसूड़े से भी रक्त का बहाव देखने को मिलता है। प्लेटलेट्स की कमी में मसूड़े से होने वाले रक्त के रिसाव का कारण दरअसल मसूड़े की रक्त वाहिकाओं का टूट जाना है।
- मल में खून : प्लेटलेट्स के इस लक्षण को बवासीर के लक्षण के साथ भ्रमित भी किया जाता है और यही कारण है कि इस संकेत से प्लेटलेट्स की कमी का पता लगा पाना कठिन हो जाता है। लेकिन मल के साथ रक्त का रिसाव प्लेटलेट्स की कमी का लक्षण है।
- पेशाब में खून : प्लेटलेट्स कम होने के चलते मनुष्य के योनि में स्थित मूत्राशय से पेशाब के साथ खून भी निकलता है। ऐसी परिस्थिति में डॉक्टर को दिखाना अनिवार्य हो जाता है।
- चोट लगने पर अनावश्यक रक्त रिसाव : प्लेटलेट्स की कमी से पीड़ित व्यक्ति को चोटिल अवस्था में रक्त का रिसाव अत्यधिक होता है। अर्थात किसी भी प्रकार की चोट लगने पर प्लेटलेट्स की कमी वाले मरीज का इतना खून बहता है कि उसका घाव लम्बे समय तक हरा-भरा रहता है।
- त्वचा पर लाल और बैंगनी चकत्ते : प्लेटलेट्स की कमी के चलते त्वचा संबंधी रोग होना सबसे आम लक्षण है। इसके अंतरगर्त प्लेटलेट्स की कमी से पीड़ित व्यक्ति के त्वचा पर बैंगनी और लाल रंग के चकत्ते देखने को मिलते हैं। हालांकि यह चकत्ते या रैशेज आकर में बहुत छोटे हैं।
- थकान और कमजोरी : प्लेटलेट्स की कमी के लक्षण में मरीज को थकान और कमजोरी की भी अनुभूति होती है। अत्यधिक और अनावश्यक रक्त का रिसाव होने के कारण शरीर से ऊर्जा क्षीण हो जाती है। मरीज हमेशा थका हुआ, कमजोर और लाचार महसूस करता है।
- माहवारी में अत्यधिक रक्त का रिसाव : महिलाओं के मासिक धर्म अर्थात पीरियड्स में अनावश्यक और अत्यधिक रक्त का रिसाव भी प्लेटलेट्स का प्रमुख संकेत है। महिलाओं को प्लेटलेट्स होने की संभावना पुरुषों की तुलना में इसलिए भी अधिक होती है क्योंकि मासिक धर्म के उपरान्त सामान्य परिस्थितियों में भी उन्हें रक्त का रिसाव होता रहता है।
प्लेटलेट्स कम होने के कारण
अगर प्लेटलेट्स की कमी के लक्षण से इस बीमारी को पहचान लिया गया है तो प्लेटलेट्स कम होने के कारण का पता भी स्वतः लग जाता है। प्लेटलेट्स कम होने के कारण शरीर में आयरन, विटामिन बी12 और अनेक पोषक तत्वों की कमी है। अगर मरीज को प्लेटलेट्स अनुकूल आहार मिले तो इस कमी की भरपाई आसानी से हो सकती है।
प्लेटलेट्स कम होने के कारण निम्नलिखित हैं :
- आयरन की कमी के कारण : आयरन की कमी को प्लेटलेट्स कम होने के कारण में सबसे प्रमुख रूप से गिना जाता है। जब शरीर को आवश्यकता के अनुरूप आयरन की पूर्ति नहीं हो पाती तो आयरन की कमी हो जाती है। आयरन की कमी के कारण लाल रक्त कोशिकाओं का निर्माण कम होने लगता है। परिणामस्वरूप प्लेटलेट्स की कमी हो जाती है।
- विटामिन बी 12 की कमी के कारण : दुग्ध पदार्थों जैसे दूध, दही और पनीर का सेवन कम मात्रा में करने से शरीर में विटामिन बी 12 की कमी हो जाती है। विटामिन बी 12 की कमी से लाल रक्त कोशिकाओं का निर्माण कम होता तथा त्वचा संबंधी रोग होने के आसार भी अधिक रहते हैं।
- फोलेट की कमी : विटामिन बी 9 को फोलेट कहते हैं। आयरन, विटामिन बी 12 के साथ-साथ फोलेट की भी कमी को भी प्लेटलेट्स कम होने के कारण में गिना जाता है। फोलेट लाल रक्त कोशिकाओं के निर्माण में सहायक होता है। फोलेट से ही फोलिक एसिड बनता है।
- डेंगू के कारण : अगर आपको डेंगू हुआ है या अतीत में कभी डेंगू हुआ था तो प्लेटलेट्स की कमी होने की संभावना अधिक हो जाती है। डेंगू की बीमारी को प्लेटलेट्स कम होने के कारण में सबसे प्रमुख कारण माना जाता है। डेंगू की बीमारी के कारण प्लेटलेट्स की कमी हो जाती है। इसलिए डेंगू के मरीज का सीबीसी टेस्ट कराना अनिवार्य हो जाता है क्योंकि इस जांच की सहायता से मरीज में प्लेटलेट्स की संख्या का पता लगाया जा सकता है।
- एनीमिया : शरीर में आयरन की कमी से लाल रक्त कोशिकाओं का निर्माण कम होने लगता है और ऐसे में एनीमिया होना स्वाभाविक है। एनीमिया की बीमारी को प्लेटलेट्स कम होने के कारण में सबसे प्रमुख कारण माना जाता है। यही कारण है कि एनीमिया के रोगी को प्लेटलेट्स होने की संभावना भी बहुत अधिक रहती है। इसलिए एनीमिया के रोगी में प्लेटलेट्स की संख्या सामान्य से कम रहती है।
- आम बुखार के कारण : अगर ज्वर का रोग विशेष रूप से बालपन या बचपन में हुआ है तो यह प्लेटलेट्स की कमी का कारण बन सकता है। ज्वर के कारण प्लेटलेट्स की संख्या कम हो जाती है।
- शराब के सेवन के कारण : शरीर में होने वाली सभी बीमारियों का एकमात्र कारण शराब का सेवन है। शराब पीने से शरीर में अनेकों समस्याएं पैदा होती हैं। इसी में से एक है प्लेटलेट्स की कमी।
प्लेटलेट्स कैसे बढ़ाएं?
प्लेटलेट्स की कमी होने से रक्त वाहिकाओं का निर्माण कम होने लगता है। ये रक्त वाहिकाएं शरीर में चोट लगने पर रक्त के रिसाव को रोकने का कार्य करती हैं ताकि घाव अपने आप भर सके। सरल शब्दों में समझें तो रक्त वाहिका खून रोकने अर्थात ब्लड क्लॉटिंग की विशेषता से युक्त होता है। रक्त वाहिका का पुनः निर्माण प्लेटलेट्स की सामान्य गणना के कारण ही संभव हो पता है।
प्लेटलेट्स की कमी के चलते मरीज के मन में प्लेटलेट्स कैसे बढ़ाएं प्रश्न का उठना स्वाभाविक है। लेकिन ऐसी परिस्थिति में घबराने की आवश्यकता नहीं है। अगर मन में यह शंका है की प्लेटलेट्स कैसे बढ़ाएं तो इसका निवारण बहुत आसान है। प्लेटलेट्स की संख्या को सामान्य करने के लिए घरेलू उपचार ही पर्याप्त है। दरअसल रक्त वाहिकाओं के निर्माण के लिए उपयुक्त आहार लेने से ही इस बीमारी का इलाज हो जाता है। यही कारण है कि इस समस्या के निवारण के अंतर्गत यह जानना आवश्यक हो जाता है कि मरीज को प्लेटलेट्स बढ़ाने का तरीका बताया जाए।
प्लेटलेट्स कैसे बढ़ाएं समस्या या चिंता का निवारण आसान शब्दों में यह है की आयरन, विटामिन बी 12, विटामिन बी 9, फोलेट और पौष्टिक आहार ग्रहण करें। रक्त संबंधी रोगों का इलाज भी इसमें सहायक होता है।
प्लेटलेट्स बढ़ाने के लिए क्या खाना चाहिए?
प्लेटलेट्स बढ़ाने का तरीका के अंतर्गत प्लेटलेट्स कैसे बढ़ाएं पर विस्तार से प्रकाश डालने के लिए खानपान पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है। प्लेटलेट्स बढ़ाने के लिए क्या खाना चाहिए और क्या नहीं खाना चाहिए इसकी चर्चा मरीज के लिए आवश्यक नहीं अनिवार्य है। रोगी को न केवल प्लेटलेट्स की संख्या को नॉर्मल रेंज में लाना है अपितु रक्त वाहिका का निर्माण भी करना है। यह तभी संभव है जब यह पता हो कि प्लेटलेट्स बढ़ाने के लिए क्या खाना चाहिए और क्या नहीं खाना चाहिए। यह संतुलित आहार रक्त वाहिका का निर्माण क्र रक्त के अनावश्यक और अत्यधिक रिसाव को रोकने में सहायक होता है।
आइए निम्नलिखित बातों से जानें कि प्लेटलेट्स बढ़ाने के लिए क्या खाना चाहिए :
- हरी सब्जी : जब कोई पूछे की प्लेटलेट्स बढ़ाने के लिए क्या खाना चाहिए तो इसका जवाब हरी सब्जी ही होना चाहिए। प्लेटलेट्स की कमी के कारण शरीर में आयरन, विटामिन बी 12, विटामिन बी 9 और फोलेट की कमी हो जाती है। इन सभी पौष्टिक तत्वों की पूर्ति हरी और पत्तेदार सब्जी को खाने से हो जाती है। पालक आयरन का सबसे अच्छा स्रोत है और इसमें फोलेट भी होता है। पालक खाने से रक्त वाहिका का भी निर्माण होता है। रक्त वाहिका के निर्माण से रक्त का अनावश्यक और अत्यधिक रिसाव अर्थात ब्लड क्लॉटिंग भी रुक जाती है। पालक के अलावा लौकी, मेथी, बथुआ, चने की भाजी और अन्य किसी भी प्रकार की पत्तेदार हरी सब्जी का सेवन कर प्लेटलेट्स की कमी को पूरा किया जा सकता है। प्लेटलेट्स बढ़ाने का तरीका में सबसे अच्छा तरीका हरी सब्जी और पत्तेदार सब्जी का सेवन है।
- नारियल पानी : नारियल पानी प्रकृति का एक ऐसा खाद्य पदार्थ है जिसमें लगभग सभी पौष्टिक तत्व भरे हुए हैं। प्लेटलेट्स की कमी की भरपाई के लिए पोटेशियम, कैल्शियम और मैग्नीशियम की आवश्यकता होती है। तभी तो डॉक्टर से जब यह पूछा जाए कि प्लेटलेट्स बढ़ाने के लिए क्या खाना चाहिए तो जवाब में नारियल पानी का उल्लेख अवश्य मिलेगा।
- अनार : प्लेटलेट्स अनुकूल खानपान में अनार सबसे अच्छा विकल्प है। यह आयरन का एक बहुत बढ़िया स्रोत है और ऐसा कोई भी खाद्य पदार्थ जो आयरन की कमी को पूरा करे वह निश्चित ही प्लेटलेट्स की कमी को भी पूरा करता है।
- कीवी और चुकंदर : वैसे तो किसी भी ताजे फल को खाने से अनेक लाभ मिलते हैं लेकिन कीवी और चुकंदर में मिलने वाले ऐंटिऑक्सिडेंट तथा अन्य विटामिन और मिनरल्स प्लेटलेट्स की कमी की भरपाई करते हैं। प्लेटलेट्स की कमी में रक्त वाहिकाओं द्वारा ऊतकों को ऑक्सीजन नहीं मिल पाता। ऐसे में कीवी और पपीता से ऑक्सीजन की पूर्ति हो जाती है।
निष्कर्ष
शरीर के रक्त में स्थित प्लेटलेट्स क्षतिग्रस्त रक्त वाहिकाओं को ठीक कर रक्त रोकने और घाव भरने का काम करता है। लेकिन प्लेटलेट्स की कमी के कारण रक्त वाहिकाओं का निर्माण भी कम हो जाता है। सामान्य या नार्मल प्लेटलेट्स काउंट रेंज रक्त में 1,50,000 से लेकर 4,50,000 प्लेटलेट्स प्रति माइक्रोलीटर होता है। अगर न्यूनतम पूर्व निर्धारित 1,50,000 प्लेटलेट्स प्रति माइक्रोलीटर से कम हो तो प्लेटलेट्स की कमी हो जाती है। इसे थ्रोम्बोसाइटोपेनिया भी कहते हैं।
प्लेटलेट्स की कमी के के लक्षण और कारणों का पता आसानी से लगाया जा सकता है। आयरन, विटामिन बी 12, विटामिन बी 9 और फोलेट की कमी ही प्लेटलेट्स की कमी के मुख्य कारण हैं। संकेतों और कारणों के पता चलने से यथासंभव इलाज भी लक्षित किया जा सकता है। प्लेटलेट्स की कमी में उसे बढ़ाने का लक्ष्य साध कर क्या खाना चाहिए और क्या नहीं खाना चाहिए इस और ध्यान देने की आवयश्कता है।
हरी सब्जी और पत्तेदार सब्जी के सेवन से प्लेटलेट्स की संख्या बढ़ाई जा सकती है। नारियल पानी भी इसमें अत्यंत लाभकारी होता है। अनार और चुकंदर से आयरन तथा ऐंटिऑक्सिडेंट की प्राप्ति होती है। केवल छोटी-छोटी बातों का ध्यान रखने से प्लेटलेट्स काउंट को बढ़ाया जा सकता है।