मायस्थेनिया ग्रेविस के लक्षण, कारण और इलाज से जुड़ी जानकारी

मायस्थेनिया ग्रेविस मांसपेशियों की थकान और कमजोरी से जुड़ी एक ऐसी बीमारी जिसका कोई स्थाई इलाज नहीं है। इस रोग के चलते लाचारी उसके जीवन का अभिन्न अंग हो जाती है। इस रोग में अंग विशेष की मांसपेशियां कुछ इस प्रकार प्रभावित हो जाती हैं कि अपने कार्यों को करने की क्षमता और शक्ति खो देती हैं। लक्षण की जांच और कारणों का पता चलने से इस बीमारी से निपटने का रास्ता खोजा जा सकता है।

आज के इस लेख में मायस्थेनिया ग्रेविस क्या है, मायस्थेनिया ग्रेविस किसे होता है, मायस्थेनिया ग्रेविस क्यों होता है, मायस्थेनिया ग्रेविस कितने समय तक रहता है, मायस्थेनिया ग्रेविस के प्रकार, मायस्थेनिया ग्रेविस के लक्षण, मायस्थेनिया ग्रेविस के कारण, मायस्थेनिया ग्रेविस के कारण, मायस्थेनिया ग्रेविस के टेस्ट, मायस्थेनिया ग्रेविस का इलाज, मायस्थेनिया ग्रेविस में क्या खाना चाहिए और निष्कर्ष पर विधिवत तथा विस्तार से चर्चा हुई है।

मायस्थेनिया ग्रेविस क्या है?

Myasthenia Gravis In Hindi

जब मांसपेशियों और तंत्रिकाओं के बीच में संचार स्थापित होने के स्थान पर किसी प्रकार का व्यवधान या रुकावट की स्थिति पनप जाती है तो उस अवस्था में मांसपेशियां बहुत आसानी से कमजोर हो जाती हैं। मेडिकल टर्मिनोलॉजी में इसे मायस्थेनिया ग्रेविस कहा जाता है। शरीर के किसी अंग विशेष मांसपेशियों के कमजोर होने की शिकायत नहीं होती अपितु कोई भी अंग की मांसपेशियां कमजोर हो जाती हैं। हालांकि ये अस्थाई अवस्था है अर्थात कुछ देर आराम कर लेने से मांसपेशियां पुनः सामान्य हो जाती है।

मायस्थेनिया ग्रेविस किसे होता है?

पुरुष और महिला दोनों को ये रोग अलग-अलग उम्र या आयु वर्ग में प्रभावित करता है। पुरुषों को ये बीमारी वृद्धावस्था अर्थात 60 वर्ष की आयु वर्ग में आने के पश्चात ही अपनी चपेट में लेती है। वहीं स्त्रियों की बात करें तो 40 वर्ष या उससे अधिक आयु वर्ग इससे प्रभावित होता है। हालांकि कोई भी आयु वर्ग इस बीमारी से अछूता नहीं रहता यानी उम्र के हर पड़ाव पर इस रोग से ग्रसित होने का खतरा बना रहता है।

मायस्थेनिया ग्रेविस क्यों होता है?

प्रतिरोधक प्रणाली में आयी समस्या के चलते मायस्थेनिया ग्रेविस होता है। मेडिकल टर्मिनोलॉजी के अनुसार मायस्थेनिया ग्रेविस को ऑटो इम्यून डिजीज की श्रेणी में रखा जाता है। किसी व्यक्ति के शरीर में एक विशेष प्रकार की एंटीबॉडी निर्मित होने के चलते ये रोग हो जाता है। मांसपेशियों और तंत्रिकाओं के बीच किसी जंक्शन के समान कार्य करने वाली एसिटाइलकोलाइन रिसेप्टर्स(ऐसीएचआर) को जब ये एंटीबॉडी नष्ट कर देता है परिणामस्वरूप मांसपेशियां कमजोर हो जाती है। सामान्य परिस्थितियों या बहुत कम ऊर्जा लगने वाली दैहिक गतिविधियों को मूर्त रूप देने में मांसपेशियां आसानी से तथा असामान्य रूप से थक जाती हैं।

मायस्थेनिया ग्रेविस कितने समय तक रहता है?

दुर्भाग्य से ये आजीवन चलने वाली बीमारी है। अगर लंबे समय तक इलाज किया जाए तो मरीज की सेहत में सुधार संभव है।

मायस्थेनिया ग्रेविस के प्रकार

आइए विस्तार से जानें मायस्थेनिया ग्रेविस के प्रकार जो कि निम्नलिखित हैं:

  • ऑटोइम्यून मायस्थेनिया : प्रतिरोधक प्रणाली से जुड़ी समस्या होने के कारण इसका एक प्रकार ऑटोइम्यून भी है। शरीर में एक विशेष प्रकार के एंटीबॉडी निर्मित होने के चलते मांसपेशियां और तंत्रिका का संचार बाधित हो जाता है और फलस्वरूप ये रोग व्यक्ति को हो जाता है।
  • नवजात शिशु को होने वाला मायस्थेनिया : जैसा कि विदित है अनुवांशिक कारणों के चलते माता-पिता से जन्म लेने वाले नवजात शिशु में ऑटोइम्यून डिजीज एजेंट अर्थात ‘एंटीबॉडी’ ट्रांसफर हो जाती है जिसके चलते छोटे-छोटे बच्चे इस गंभीर बीमारी की चपेट में आ जाते हैं। इसके चलते नवजात शिशु रोने में असमर्थ रहता है। हालांकि ये समस्या आजीवन नहीं रहती अपितु तीन माह की आयु पार कर लेने के पश्चात स्वतः ठीक भी हो जाती है।
  • जन्मजात दोष : इसमें भी अनुवांशिक कारण ही मायस्थेनिया को नई पीढ़ी में ट्रांसफर करते हैं लेकिन इसमें केवल एंटीबॉडी नहीं अपितु पीड़ित रोगी का डीएनए शिशुओं में स्थानांतरित हो जाता है। हालांकि इसे ऑटोइम्यून डिजीज की श्रेणी में नहीं रखा जा सकता।

ध्यान देने योग्य बात है कि ऑटोइम्यून के भी दो प्रकार हैं:

  • ऑक्युलर : ऑयलिड को हिलाने-डुलाने का प्रमुख कार्य करने वाली मांसपेशी जो अगर ठीक से कार्य न करे तो आँखें बंद हो जाती हैं। आँखें आसानी से खुलती नहीं। इस रोग के चलते व्यक्ति को डबल विजन अर्थात दोहरी दृष्टि रोग भी हो जाता है। अन्य प्रकार का नेत्र रोग भी हो सकता है। कुल पीड़ित मरीजों में कम से कम 50% लोग रोग की इस श्रेणी में है।
  • सामान्यीकृत : केवल आँख की मांसपेशियां ही नहीं अपितु उसके आस-पास की मांसपेशियां भी प्रभावित होती हैं। चेहरा, गला, गर्दन, हाथ और पैर की मांसपेशियों में खिंचाव के चलते परेशानी का सामना करना पड़ता है।

मायस्थेनिया ग्रेविस के लक्षण

मायस्थेनिया ग्रेविस के लक्षण व्यापक स्तर पर दो वर्गों में श्रेणीगत होते हैं:

  • आँख से संबंधित लक्षण और
  • चेहरे तथा गर्दन की परेशानी

आइए जानें मायस्थेनिया ग्रेविस के आँख से संबंधित लक्षण जो कि निम्नलिखित हैं:

  • आँख की मांसपेशियां : पलकों को झपकाने में प्रमुख भूमिका निभाने वाली ऊपरी आईलिड ड्रूप की मांसपेशियां अपना काम करने में असमर्थ हो जाती हैं और फलस्वरूप आपकी आँखों को ढक देते हैं। वैसे तो इस बीमारी से पीड़ित व्यक्ति में उसके शरीर के किसी भी अंग की मांसपेशियां प्रभावित होती हैं लेकिन आँख की मांसपेशियां विशेष रूप से प्रभावित होती हैं। मेडिकल टर्मिनोलॉजी में इसे पीटोसिस भी कहते हैं। कुल सामने आने वाले मामलों की संख्या अगर हम सौ प्रतिशत मान लें तो 50% से भी अधिक मामलों में ये प्रमुख लक्षण के रूप में मरीज द्वारा प्रदर्शित किया जाता है।
  • डिप्लोपिया : इसे दोहरी दृष्टि रोग भी कहते हैं। इस प्रकार के रोग में व्यक्ति को एक वस्तु की दो छवि दिखने लगती है। अंग्रेजी में इसे डबल विजन कहते हैं और मेडिकल टर्मिनोलॉजी में इसे डिप्लोपिया कहते हैं। अपनी प्रवृत्ति के अनुसार ये एक अस्थाई समस्या है लेकिन कुछ मामलों में ये गंभीर रूप भी ले सकती है। अगर सही उपचार न मिले तो ये व्यक्ति में अन्य प्रकार के दृष्टि रोग का कारक बन सकती है।

जिन लोगों के चेहरे और गर्दन की मांसपेशियों में परेशानी होती है उनमें कुछ अलग लक्षण प्रदर्शित होते हैं जो कि निम्नलिखित हैं:

  • अन्य मांसपेशियों की परेशानी : आँख की मांसपेशियों के अलावा चेहरे और गले की मांसपेशियों में भी शिकायत रहती है। हालांकि ये समस्या अधिकतर मरीजों में देखने को नहीं मिलती लेकिन कुछ मामलों में ये भी लक्षण प्रदर्शित होते हैं।
  • बोलने में कठिनाई : चूंकि चेहरे और गले की मांसपेशियों में समस्या का सामना करना पड़ता है इसलिए व्यक्ति को बोलने में कठिनाई या परेशानी होती है। मांसपेशियों में अधिक खिंचाव होने के चलते एक पूरा वाक्य बोलने में बहुत अधिक बल का प्रयोग करना पड़ता है। इसके अतिरिक्त वाक्य पूरा करने में बहुत परेशानी हो सकती है।
  • चबाने और निगलने में परेशानी : चेहरे और गले की मांसपेशियों में खिंचाव के चलते इस अंग विशेष का दैनिक कार्य भोजन चबाना और निगलना बहुत कठिन कार्य जान पड़ता है। ऐसे में ये भी हो सकता है कि खाना ग्रहण करने के दौरान मांसपेशियां कमजोर और थकी हुई लगती है जिसके चलते व्यक्ति इस असामान्य अवस्था में खाना नहीं खाता तथा कुछ क्षण आराम कर लेने के पश्चात वह पुनः सामान्य हो जाता है।
  • जबरन शून्य भाव : व्यक्ति को मांसपेशी में खिंचाव के चलते चेहरे पर हाव भाव लाना कठिन कार्य जान पड़ता है और एक शून्य भाव उसके चेहरे पर विद्यमान हो जाता है। इच्छा होते हुए भी अपने चेहरे पर कोई भाव नहीं ला पाता।

मायस्थेनिया ग्रेविस के कारण

आइए विस्तार से जानें मायस्थेनिया ग्रेविस के कारण जो कि निम्नलिखित हैं:

  • एंटीबॉडी के कारण : मानव शरीर में बनने वाली एंटीबॉडी या तो रिसेप्टर्स को ब्लॉक कर देती है या फिर उसका नाश कर देते हैं। रिसेप्टर की कमी के चलते मांसपेशियों को कम संकेत मिलते हैं और मांसपेशियां कमजोर हो जाती हैं। इसी कारण व्यक्ति को मायस्थेनिया ग्रेविस हो जाता है। रिसेप्टर्स वह स्थान है जहाँ नीरोमीटर वास करता है। शरीर की तंत्रिकाएं नीरोमीटर के द्वारा मांसपेशियों से संचार स्थापित करती हैं।
  • थाइमस ग्लैंड या ग्रंथि के कारण : किसी भ्रम के चलते इम्यून सिस्टम जब स्वयं पर हमला कर दे तो इस प्रकार के रोग का शरीर में जन्म होता है। हालांकि शोधकर्ता इस बात से आज भी हैरान हैं कि प्रतिरोधक  पर घात क्यों करता है। हालांकि एक कारण ये बताया जाता है कि थाइमस ग्रंथि शरीर के लिए खतरा पैदा करने वाले कारकों  पहचानने में भ्रमित हो जाता है। ये ग्रंथि छाती के ऊपरी भाग पीछे स्थित होती है। रोग से लड़ने की प्रक्रिया के अंतर्गत ये एंटीबॉडी बनाती है इसलिए ये ग्रंथि प्रतिरक्षा प्रणाली में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
  • अनुवांशिक कारणों के चलते : जब मानव शरीर किसी नवजात शिशु को जन्म देता है तो पुरानी पीढ़ी से नई पीढ़ी में एंटीबॉडी आसानी से ट्रांसफर हो जाते हैं। हालांकि अनुवांशिक कारण सबसे प्रमुख कारण नहीं माने जाते।

मायस्थेनिया ग्रेविस के टेस्ट

अगर आपके मन में ये प्रश्न है कि मायस्थेनिया ग्रेविस की जांच कैसे होती है तो आपकी समस्या का समाधान लेख के इस भाग में सम्मिलित किया गया है। आइए जानें कि मायस्थेनिया ग्रेविस के टेस्ट जो कि निम्नलिखित हैं:

  • ब्लड एंटीबॉडी टेस्ट : इस जांच की सहायता से मरीज के रक्त में एसिटिलकोलाइन रिसेप्टर एंटीबॉडी का पता लगाया जाता है क्योंकि मायस्थेनिया ग्रेविस के मरीज के रक्त में इस एंटीबॉडी की संख्या अत्यधिक मात्रा में पाई जाती है।
  • इलेक्ट्रोमायोग्राफी : इस टेस्ट का शॉर्ट फॉर्म ईएमजी है। मांसपेशियों और तंत्रिकाओं की इलेक्ट्रिक गतिविधि की जांच करने के लिए ये परीक्षण किया जाता है। ये टेस्ट तंत्रिका और मांसपेशियों के बीच संचार में आई रुकावट या बाधा का सटीक अवलोकन करता है।
  • न्यूरोलॉजिकल टेस्ट : ये मांसपेशियों को समर्पित एक परीक्षण है जिसमें उससे जुडी समस्या का बारीक विश्लेषण होता है। ये इतनी गहनता से जांच करता है कि मांसपेशियों के टन, खिंचाव आदि का स्पष्ट विश्लेषण रिपोर्ट पर प्रदर्शित हो जाता है।
  • पल्मोनरी फंक्शन टेस्ट : ये श्वास की जांच का सबसे सटीक विश्लेषण करने वाला परीक्षण है। अगर कोई व्यक्ति की श्वास अगर मायस्थेनिया ग्रेविस के कारण प्रभावित हुई है तो इस जांच की सलाह डॉक्टर द्वारा सुझाई जाती है।
  • एड्रोफोनियम टेस्ट : इस टेस्ट में एड्रोफोनियम क्लोराइड केमिकल की सहायता से मायस्थेनिया ग्रेविस है या नहीं इसका पता लगया जाता है। इस हेतु मरीज के शरीर में ये केमिकल इंजेक्ट किया जाता है और तत्पश्चात अवलोकन किया जाता है।

मायस्थेनिया ग्रेविस में क्या खाना चाहिए?

यदि मायस्थेनिया ग्रेविस के कारण चबाने और निगलने में परेशानी हो रही है तो निम्नलिखित उपाय किए जा सकते हैं:

  • द्रव्य रूप में भोजन लेवे : खाना या भोजन को ठोस पदार्थ(सॉलिड फॉर्म) के रूप में ग्रहण करने के बजाए द्रव्य(लिक्विड फॉर्म) जैसे जूस, ग्रेवी) के रूप में ग्रहण करने से कोई दिक्कत या परेशानी नहीं होगी।
  • सात्विक आहार सर्वश्रेष्ठ : खिचड़ी, दलिया, दही, दाल-भात आदि का सेवन सबसे सही होगा। इसे बनाने में मसाले तथा किसी भी प्रकार के हानिकारक सामग्री की आवश्यकता नहीं होती। इसे चबाना और निगलना भी बहुत आसान होता है।
  • विटामिन डी की शक्ति : विटामिन डी से भरपूर संतरे का रस, दुग्ध उत्पाद, कुछ विशेष प्रकार की मछलियां जैसे सालमन आदि का सेवन बहुत लाभकारी माना जाता है। इसे खाना और निगलना आसान होता है तथा ये शरीर के लिए लाभकारी होने वाले पोषक तत्वों से भी भरपूर है।

मायस्थेनिया ग्रेविस में क्या नहीं खाना चाहिए?

अधिकांश मरीजों में ये देखा गया है कि उन्हें खाने का निवाला चबाने और निगलने में कठिनाई होती है। खाना चबाने के दौरान ही मांसपेशियां कमजोर हो जाती हैं जिसके चलते थकान की अनुभूति होती है। थोड़ी देर आराम कर लेने के पश्चात व्यक्ति पुनः सामान्य अवस्था में लौट आता है और ठीक तरह से खाना चबाने और निगलने लगता है।

आइए विस्तार से जानें कि मायस्थेनिया ग्रेविस में क्या नहीं खाना चाहिए:

  • चिप्स, स्नैक्स, नमकीन आदि जिसे निगने में समस्या हो उससे परहेज करें।
  • किसी भी प्रकार का मांस खाने से बचें क्यूंकि उसे चबाने के लिए बहुत अधिक मुंह चलना पड़ता है।
  • चिविंग गम या बबल गम भी इस अवस्था में नहीं खाने की सलाह दी जाती है।
  • बहुत अधिक नमक, मसाले, तेल से भरे भोजन को खाने से बचें क्योंकि ये मांसपेशियों के लिए नुकसानदायक हो सकता है।

निष्कर्ष

मायस्थेनिया मांसपेशी और तंत्रिका के संचार में रुकावट या बाधा आने से होने वाली बीमारी है। मेडिकल साइंस के पास इस बीमारी का कोई स्थाई इलाज नहीं है। चूंकि मायस्थेनिया ग्रेविस व्यक्ति को जीवन भर सताती है इसलिए इसका उपचार भी जीवन भर चलता है। इसके इलाज की प्रक्रिया के अंतर्गत मांसपेशियों के कार्य क्षमता को बढ़ाने का लक्ष्य साधा जाता है। अच्छी खबर ये है कि इस दीर्घकालिक उपचार की सहायता से धीरे-धीरे ही सही लेकिन मरीज अपने स्वास्थ्य में बहुत अच्छा सुधार कर लेता है। इस रोग में मरीज की मांसपेशियों द्वारा निभाई जाने वाली दैनिक गतिविधियों में कठिनाई का सामना करना पड़ता है इसलिए उपचार की प्रक्रिया के अंतर्गत मरीज की दिन-प्रतिदिन की गतिविधियां जैसे खाना चबाना, सांस लेना आदि को विशेष तरीकों से सुधार किया जाता है।

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