पहला सुख निरोगी काया, दूजा सुख हो घर में माया। ईश्वर का दिया हुआ सबसे सुंदर उपहार मानव शरीर है। यह संसार की सबसे अनोखी संरचना है। ऐसा अवश्य हो सकता है कि आपकी सूरत हर किसी से मिले लेकिन यह कदापि संभव नहीं कि आपके फिंगर प्रिंट को कोई मैच नहीं कर सके। ये है मानव शरीर की अनोखी और दुर्लभ विशेषता जिस पर आपको गर्व होना चाहिए। अब विचार करें कि इस काया को हर प्रकार के रोग से अगर दूर रखा जाए तो निश्चित ही आपसे अधिक बलवान, धनवान और भाग्यशाली कोई नहीं होगा। अर्थात आपके जीवन के सुख का केंद्र बिंदु निरोगी शरीर है। शरीर तभी चलायमान होगा जब हृदय भी धड़कता रहेगा। हृदय की गति में जीवन की कुंजी है और अगर उसकी गति प्रभावित हो जाए तो हृदय रोग की समस्या से जूझना पड़ सकता है। इस लेख में हृदय रोग की परिभाषा, हृदय रोग के प्रकार, हृदय रोग के आधुनिक उपचार, मिनिमल इनवेसिव ट्रीटमेंट, सर्जिकल ट्रीटमेंट या सर्जरी, तकनीक एवं नवाचार, आधुनिक उपचार की चुनौतियां तथा निष्कर्ष पर विस्तार से प्रकाश डाला गया है।
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हृदय रोग की परिभाषा

हृदय रोग एक गंभीर, घातक मेडिकल अवस्था है। इसे जानलेवा रोग की श्रेणी में रखा जाता है। घातक कारकों के चलते हृदय की संरचना, गति, क्षमता और कार्य प्रणाली प्रभावित हो जाती है। हृदय मांसपेशियों से बना एक मुलायम अंग है जो शरीर के केंद्र में अर्थात छाती की दाहिनी ओर स्थित होता है। हृदय की लयबद्ध गति या धड़कन के माध्यम से मानव शरीर को रक्त और आक्सीजन प्राप्त होता है। हृदय की लयबद्ध गति अर्थात धड़कने से ब्लड पंप होता है। शरीर में सत्तर मिलीमीटर खून संचारित करने के लिए हृदय एक मिनट में बहत्तर बार धड़कता है।
हृदय रोग के प्रकार
हृदय रोग अन्य किसी बिमारी की तरह कोई एक विशेष रोग नहीं है अपितु यह हृदय से संबंधित अनेक बीमारियों का समूह है। अर्थात हृदय से संबंधित अनेक बीमारियों के समूह को संयुक्त रूप से हृदय रोग कहा जाता है। इसके अनेक प्रकार हैं।
आइए जानें हृदय रोग के प्रकार जो कि निम्नलिखित हैं :
- धमनी रोग : हृदय की धमनी में होने वाली परेशानी हृदय रोग में रूपायित हो जाती है। मेडिकल टर्मिनोलॉजी में इसे कोरोनरी आर्टरी डिजीज या कैड कहते हैं। धमनी रोग या कैड में धमनियों के संकुचित या अवरुद्ध होने के कारण शरीर को रक्त, ऑक्सीजन और अन्य पोषक तत्व प्राप्त नहीं हो पाते।
- गति रोग : इस प्रकार के हृदय रोग में उसकी गति प्रभावित हो जाती है। मेडिकल टर्मिनोलॉजी में इसे अर्थेमिया कहते हैं। इस रोग के अंतर्गत रोगी की हृदय गति सामान्य की तुलना में धीमी, तेज या अव्यवस्थित हो जाती है।
- मांसपेशियों का रोग : हृदय रोग का वह प्रकार जिसमें मरीज को हृदय की बाहरी मांसपेशियों में दिक्कत होती है। मेडिकल टर्मिनोलॉजी में इसे कार्डियोमायोपैथी कहते हैं। मांसपेशियों की सहायता से हृदय ब्लड पंप कर पाता है।
- रक्त वाहिका रोग : फैट, कोलेस्ट्रॉल या अन्य किसी प्रकार के अनावश्यक पदार्थ के रक्त वाहिका में जमा हो जाने से आर्टरी वाल ब्लॉक हो जाती है। रक्त वाहिका में जमे इस अनावश्यक पदार्थ को प्लेक कहते हैं। यह प्लेक आगे चलकर ब्लड क्लॉट का कारण बनती है।
- जन्मजात हृदय दोष : इस प्रकार के हृदय रोग में व्यक्ति के हृदय की संरचना में कोई कमी या गड़बड़ी होती है। इस प्रकार के हृदय रोग में छेंद, वाल्व में गड़बड़ी जैसी समस्या होती है। ये परेशानियां जन्मजात होती हैं तथा इनका एकमात्र उपचार सर्जरी ही है।
इसके अतिरिक्त संक्रमण और ज्वलनशील ज्वर जैसी समस्याएं भी हृदय रोग की श्रेणी में रखी जाती हैं। इन विभिन्न प्रकार के हृदय रोग के लक्षण और उपचार अलग-अलग हैं। हृदय रोग के प्रकार के आधार पर उसका उचित उपचार किया जाता है।
हृदय रोग के आधुनिक उपचार
विश्व में हर प्रकार के हृदय रोग का संभव उपचार आधुनिक तरीकों से किया जाने लगा है। भारत भी इस दिशा में बहुत सारे सफल प्रयास कर चुका है। कुशल विशेषज्ञ, नवीन उपचार तकनीक और सर्वश्रेष्ठ सुविधाओं से युक्त अस्पतालों के कारण भारत हृदय रोग के आधुनिक उपचार के क्षेत्र में अग्रणी स्थान ग्रहण कर चुका है। विकसित देशों की तुलना में भारत में उपलब्ध हृदय रोग उपचार का खर्च बहुत कम है। इलाज की लागत परिजनों की जेब और जीवन पर बोझ नहीं बनती। परिणामस्वरूप विश्व में हृदय रोग के इलाज के लिए पहली प्राथमिकता भारत को ही मिलती है। एंजियोप्लास्टी, बाईपास सर्जरी, रोबोट की सहायता से किया जाने वाला ऑपरेशन आदि नवाचार ने उपचार को दक्षता, सहजता और सरलता प्रदान की है। उपचार के आसान तरीक़ों के चलते लोगों के जीवन में फिर से खुशियां लौट आयी हैं।
आइए निम्न बिंदुओं के माध्यम से हृदय रोग के आधुनिक उपचार को विस्तार से जाने :
- मिनिमली इनवेसिव ट्रीटमेंट : अंग्रेजी शब्द इनवेसिव का अर्थ हमलावर, आक्रामक और चीर-फाड़ होता है। किन्तु यहाँ इनवेसिव के पूर्व मिनिमल शब्द का प्रयोग हुआ है इसलिए इस उपचार का अर्थ हुआ कम से कम चीर-फाड़ करना। मूल रूप से इसमें हृदय रोग का अवलोकन किया जाता है ताकि सूक्ष्म स्तर पर उसकी स्थिति का स्पष्ट ब्योरा मिल सके।
- सर्जिकल ट्रीटमेंट या सर्जरी : हृदय रोग उपचार हेतु सर्जरी या शल्य चिकित्सा का प्रयोग कर हृदय तथा रक्त वाहिका का उपचार सर्जिकल ट्रीटमेंट या सर्जरी कहलाता है। कार्डियक सर्जन इस चिकित्सा पद्धति का उपयोग करते हैं।
- तकनीक एवं नवाचार : अत्याधुनिक तकनीक और मेडिकल साइंस की शल्य चिकित्सा का अद्भुत समागम उपचार के नवीन प्रयास को प्रतिफलित करता है। इस तकनीक में चिकित्सा के नए आयाम देखने को मिलते हैं जो मशीन की सहायता से उपचार को और भी अधिक सरल, सहज और आसान बनाते हैं।
मूल रूप से उपचार की यही तीन पद्धतियां हैं जिसके अंतर्गत अनेक उपप्रकार हैं। आइए इन उप प्रकारों का विधिवत और विस्तार से अध्ययन करें।
मिनिमल इनवेसिव ट्रीटमेंट
- एंजियोप्लास्टी और स्टेनिंग : ऐसे मरीज जिनकी आर्टरी ब्लॉक अथवा बाधित हो चुकी है, उनके लिए एंजियोप्लास्टी बहुत कारगर उपचार पद्धति है। मरीज की कलाई के माध्यम से ब्लड वेसल में कैथेटर को भेजा जाता है। इस कैथेटर से एक गुब्बारा जुड़ा होता है जिसे अवरोध या ब्लॉकेज पर हवा के माध्यम से फुलाया जाता है। ऐसा करने से आर्टरी अपनी सामान्य आकर की तुलना में और अधिक चौड़ी हो जाती है। एक तारनुमा स्टेंट्स को आर्टरी में डाला जाता है ताकि यह खुली रहे।
- किसके लिए उपयोगी है : जिन मरीजों को सीने में असहनीय पीड़ा होती है उनके लिए यह बहुत कारगर उपचार पद्धति है। इसके अलावा जिनकी आर्टरी ब्लॉक हो चुकी है वह भी इससे उपचार कर सकते हैं।
- लाभ क्या है : इस उपचार पद्धति में कोई चीर-फाड़ नहीं होती। साथ ही मरीज को अस्पताल से तुरंत डिस्चार्ज कर दिया जाता है। केवल 48 घंटे के भीतर मरीज रिकवर होने लगता है। लक्षणों से भी तुरंत राहत मिल जाती है।
- इलाज का खर्च : भारत में एंजियोप्लास्टी के इलाज का खर्च कम से कम 1 लाख और अधिक से अधिक 2.5 लाख रुपये है।
- कैथेटर एब्लेशन : रोगी के नस में विशेष प्रकार के ऊर्जा युक्त पदार्थ डाले जाते हैं जो समस्या जनक टिश्यू को लक्षित कर उसे जड़ से समाप्त कर देता है ताकि हृदय गति पुनः सामान्य हो जाए।
- किसके लिए उपयोगी है : जिन मरीजों को अर्थेमिया की समस्या है उनका उपचार इस पद्धति से किया जाता है।
- लाभ क्या है : अर्थेमिया से लंबे समय के लिए छुटकारा दिलाता है। इस उपचार के पश्चात मरीज को दवाइयों की आवश्यकता नहीं होती।
- इलाज का खर्च : भारत में कैथेटर एब्लेशन के इलाज का खर्च कम से कम 1 लाख और अधिक से अधिक 3 लाख रुपये है।
सर्जिकल ट्रीटमेंट या सर्जरी
- बाईपास सर्जरी : मेडिकल टर्मिनोलॉजी में इसे कोरोनरी आर्टरी बाईपास ग्राफ्ट कहते हैं लेकिन इसका प्रचलित नाम बाईपास सर्जरी है। इस उपचार पद्धति में सर्जन हाथ, पैर या छाती की स्वस्थ ब्लड वेसल को लेकर ब्लॉक आर्टरी के पास एक ग्राफ्ट बनाते हैं ताकि रक्त के प्रवाह का (हृदय तक) नया मार्ग प्रशस्त किया जा सके। इसके दो प्रकार हैं ऑन पंप और ऑफ पंप। ऑन पंप में हृदय की गति को एक मशीन द्वारा नियंत्रित किया जाता है ताकि सर्जरी में कोई समस्या ना आए। वहीं ऑफ पंप में सर्जरी के उपरान्त हृदय की गति चलती रहती है।
- किसके लिए उपयोगी है : जिन मरीजों को बार-बार ब्लॉकेज की समस्या होती है उनके लिए सबसे अच्छा इलाज बाईपास सर्जरी माना जाता है।
- लाभ क्या है : सीने में असहनीय पीड़ा, बेहोशी और चक्कर आने के लक्षण तुरंत छूमंतर हो जाते हैं। हार्ट अटैक के खतरे को भी बाईपास सर्जरी कम कर देता है।
- इलाज का खर्च : भारत में बाईपास सर्जरी के इलाज का खर्च कम से कम 3 लाख और अधिक से अधिक 5 लाख रुपये है।
- हार्ट वाल्व रिप्लेसमेंट : इस उपचार पद्धति के माध्यम से सर्जन क्षतिग्रस्त वाल्वस को अलग करने के पश्चात उसके स्थान पर जैविक या कृत्रिम वाल्वस को लगा देते हैं। कृतिम का जीवनकाल जैविक की तुलना में बहुत कम होता है।
- किसके लिए उपयोगी है : जिन मरीजों की वाल्वस सही तरह से खुलती और बंद नहीं होती उनके लिए यह उपचार पद्धति बहुत कारगर साबित होती है।
- लाभ क्या है : असामान्य रक्त प्रवाह को ठीक कर पुनः सामान्य कर देता है। हृदय की कार्य प्रणाली को ठीक करने के साथ-साथ सांस फूलने, सूजन और बेहोशी से भी राहत दिला देता है।
- इलाज का खर्च : भारत में हार्ट वाल्व रिप्लेसमेंट के इलाज का खर्च कम से कम 2.5 लाख और अधिक से अधिक 4.5 लाख रुपये है।
तकनीक एवं नवाचार
- रोबोट द्वारा संचालित : मेडिकल सर्जरी की प्रोग्रामिंग युक्त रोबोट की सहायता से सर्जरी को सफल किया जाता है। इस पद्धति के अंतर्गत रोबोट को कमांड देने के पश्चात वह अपने हाथों से सूक्ष्म बारीकियों पर सफाई से काम करता है।
- किसके लिए उपयोगी : जिन मरीजों को बारीक सर्जरी की आवश्यकता है तथा जिसे करने के लिए पारंपरिक पद्धति जटिल और खतरनाक हो सकती है।
- लाभ क्या है : सर्जरी के समय दुर्घटना होने की संभावना कम होती है। शून्य त्रुटियों के साथ-साथ वांछित परिणाम प्राप्त होते हैं।
- इलाज का खर्च : भारत में रोबोट द्वारा संचालित सर्जरी के इलाज का खर्च कम से कम 5 लाख और अधिक से अधिक 8 लाख रुपये है।
- ट्रांसकैथेटर आर्टिक वाल्व रिप्लेसमेंट : मरीज की छाती में कैथेटर डाला जाता है ताकि क्षतिग्रस्त आर्टिक को बदला जा सके।
- किसके लिए उपयोगी : ऐसे मरीज जिनका ओपन हार्ट सर्जरी नहीं किया जा सकता।
- लाभ क्या है : बिना चीर-फाड़ के इलाज होता है और मरीज की हालत में सुधार 2 सप्ताह के भीतर हो जाता है। छाती के दर्द और बेहोशी से भी राहत मिल जाती है।
- इलाज का खर्च : भारत में हार्ट वाल्व रिप्लेसमेंट के इलाज का खर्च कम से कम 12 लाख और अधिक से अधिक 15 लाख रुपये है।
इसके अलावा सर्जरी के आधुनिक विकल्प भी उपलब्ध हैं। इन विकल्पों में सर्जरी के स्थान पर पद्धति के नवीन प्रयोग किए जाते हैं। आइए उनके बारे में अगले भाग में विस्तार से जानें।
सर्जरी के आधुनिक विकल्प
- इम्प्लांटेबल उपकरण
- पेसमेकर : यह विद्युत तरंगों के माध्यम से हृदय गति को नियंत्रित करता है। ऐसा कह सकते हैं कि एक प्रकार से मशीन के रूप में मनुष्य के भीतर पेसमेकर नहीं हृदय ही निवास करता है।
- आईसीडी : खतरनाक अर्थेमिया की जांच पश्चात झटके प्रदत्त करता है ताकि हृदय गति पुनः सामान्य हो जाए।
- लाभ क्या है : हार्ट अटैक के खतरे को कम करता है और जीवन को फिर से जीने लायक बनाता है।
- दाम : पेसमेकर की कीमत 1-3 लाख रुपये जबकि आईसीडी की कीमत 4-6 लाख रुपये है।
- एक्स्ट्राकॉरपोरेल मेम्ब्रेन ऑक्सीजिनेशन : यह मरीज के लिए एक अस्थाई जीवन रक्षा प्रणाली के तौर करता है। हृदय और फेफड़ों के कार्य ये स्वयं करता है ताकि वे दोनों अंग आराम कर सके और उन पर कोई अतिरिक्त बोझ न हो।
- किसके लिए उपयोगी : ऐसे मरीज जो हार्ट अटैक से उबरे हैं। इंफेक्शन और हार्ट ट्रांसप्लांट के योग्य मरीजों के लिए कारगर पद्धति है।
- इलाज का खर्च : कम से कम 5 लाख और अधिक से अधिक दस लाख।
आधुनिक उपचार की चुनौतियां
भले ही भारत ने हृदय रोग के आधुनिक उपचार के अंतर्गत अग्रणी स्थान अर्जित कर लिया हो किन्तु अभी भी इस देश को कुछ चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। उपचार में आने वाली बाधा के चलते हृदय रोग अभी भी एक संकट बना हुआ है।
आइए जानें आधुनिक उपचार की चुनौतियाँ :
- ग्रामीण क्षेत्रों में उपलब्धता : भारत की कुल ग्रामीण इलाकों में से केवल दस प्रतिशत क्षेत्रों तक ही हृदय रोग से जुड़ी सर्वश्रेष्ठ सुविधाएं पहुँच पाई हैं। अच्छे अस्पताल और विशेषज्ञों की कमी के चलते यह समस्या विकराल रूप ले चुकी है।
- इलाज का खर्च : भले ही अन्य देशों की तुलना में भारत में कार्डियोलॉजी का खर्च बहुत कम है लेकिन बिना किसी मेडिकल बीमा के मध्यम वर्गीय और निर्धन लोगों के लिए दो-तीन लाख पैसे इकठ्ठा जुटा पाना बहुत कठिन है।
जागरूकता : आज भी भारत के अनेक इलाकों में, विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में हृदय रोग के उपचार की सीमित जानकारी है। सुविधाओं की कमी तथा पहुँच भी इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
निष्कर्ष
हाल-फिलहाल भारत में हृदय रोग के मरीजों की संख्या में बहुत अधिक बढ़ोत्तरी देखने को मिली है। विश्व की कुल पीड़ितों की संख्या में सबसे अधिक मरीज हमारे देश से हैं। केवल वृद्धावस्था ही नहीं अपितु युवावस्था भी इसकी चपेट में आ चुकी है। भारत में हृदय रोगियों की बढ़ती संख्या केवल राष्ट्रीय ही नहीं अपितु वैश्विक संकट का रूप ले चुकी है। ये चिंताजनक बात है। लेकिन हृदय रोग के मरीजों तथा उनके परिवारजनों की पीड़ा पर मेडिकल साइंस ने मिलकर विचार विर्मश तथा शोध किया। फलस्वरूप इस गंभीर समस्या का समाधान खोज लिया गया। अंततः अनेकों शोधकर्ताओं की कड़ी मेहनत रंग लायी।
अगर भविष्य में आपको या आपके चित परिचित को किसी प्रकार का हृदय रोग हो जाए और धन की कमी के चलते इलाज नहीं हो पा रहा है तो निराश होने की आवश्यकता नहीं है। अब हर इलाज संभव है। क्राउडफंडिंग आपको इस संकट काल से बाहर निकालने में मदद कर सकता है। क्राउडफंडिंग के कैंपेन के माध्यम से आप अपनी आवश्यकता को उन लोगों तक पहुंचाते हैं जो बुरे समय में आपकी मदद कर सकते हैं।