मखाना खाने के फायदे क्या हैं? इसके नुकसान भी जानें

पोषक तत्वों से भरपूर मखाने के एक नहीं अनेक चमत्कारिक फायदे हैं। ये दुर्लभ फल फाइबर, पोटेशियम, सोडियम, मैग्नीशियम आदि पोषक तत्वों का खजाना है। ये संसार में सबसे अधिक खाये जाने वाले ड्राई फ्रूट्स में से एक है क्योंकि जो भी व्यक्ति इसका सेवन करता है वो सेहत से मालामाल हो जाता है। यानी मखाना एक ऐसा स्वादिष्ट फल  है जो पौष्टिक होने के कारण अनेक स्वास्थ्य लाभ प्रदान करता है। आज के इस लेख में मखाना क्या है, मखाना खाने के फायदे, मखाना खाने के नुकसान, कुछ पूछे गए प्रश्न और निष्कर्ष पर विस्तार से प्रकाश डाला गया है।

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मखाना क्या है?

Makhana In Hindi

यूरीले फेरोक्स नामक पौधे से प्राप्त होने वाला फल रुपी बीज मखाना कहलाता है। इसका एक अन्य नाम ‘कमल का बीज’ भी है। अंग्रेजी में इसे ‘फॉक्स नट’ के नाम से जाना जाता है। इसे सूखे मेवे की श्रेणी में रखा जाता है। इसमें फाइबर भरपूर मात्रा में पाया जाता है जो वजन घटाने में मदद करता है। साथ ही ये मैग्नीशियम का सबसे अच्छा स्रोत है जो रक्तचाप(ब्लड प्रेशर) और हृदय की गति को नियंत्रित करता है। प्रतिदिन मखाना खाने से सोडियम और प्रोटीन की कमी पूरी होती है। इतना ही नहीं, रोजाना इसका सेवन करने से अनियंत्रित कोलेस्ट्रॉल कम हो जाता है।

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मखाना खाने के फायदे

आइए जानें मखाना खाने के फायदे जो कि निम्नलिखित हैं:

  • वजन घटाने में मददगार : मखाने में फाइबर पाया जाता है जिसे पचाने में समय लगता है और लंबे समय तक पेट भी भरा रहता है। साथ ही इसमें कैलोरी कम होती है जो वजन को घटाने का काम करता है। अगर कोई व्यक्ति मोटापे का शिकार है तो उसे ऐसे खाद्य पदार्थ या भोजन की आवश्यकता होती है जिसे खाने के बाद उसे पचाने में समय लगे ताकि लंबे समय तक भूख न लगे। यानी भूख नहीं लगने से व्यक्ति बार-बार और अनावश्यक रूप से भोजन ग्रहण करने से परहेज करता है जिससे शरीर में फैट, कोलेस्ट्रॉल, वजन आदि न बढ़े। अनावश्यक और बार-बार भोजन खाने की इस समस्या को मेडिकल टर्मिनोलॉजी में ओवर ईटिंग या एक्सेस इनटेक कहते हैं।
  • मधुमेह या डायबिटीज कंट्रोल करें : ब्लड शुगर और डायबिटीज एक दूजे के पूरक हैं। अगर ब्लड शुगर ठीक नहीं है तो डायबिटीज होने की संभावना बहुत अधिक होती है। अर्थात ब्लड शुगर और मधुमेह के बीच संबंध होने के कारण सबसे पहले ब्लड शुगर को कंट्रोल करना आवश्यक है। ब्लड शुगर को कंट्रोल करने के लिए न केवल हानिकारक पदार्थों के सेवन से बचना है अपितु ऐसे खाद्य भोजन को ग्रहण करना है जो ब्लड शुगर को सोख कर मधुमेह की समस्या को बहुत हद तक कम कर दे और व्यक्ति पुनः एक स्वस्थ जीवन का मार्ग प्रशस्त कर सके। मखाने में वो शक्ति होती है कि वह ब्लड शुगर को कम करने के पश्चात डायबिटीज को कंट्रोल कर लेता है।
  • ब्लड प्रेशर कम करता है : मखाना रक्त से जुड़ी समस्याओं के लिए रामबाण इलाज है। इसमें पोटेशियम और मैग्नीशियम भरपूर मात्रा में पाया जाता है जो ब्लड प्रेशर को आसानी से कंट्रोल करता है। अगर किसी व्यक्ति में ब्लड प्रेशर की समस्या है तो निश्चित रूप से उसके ब्लड में आयरन, पोटेशियम और मैग्नीशियम की कमी है। दरअसल आर्टरी वाल में फैट और बुरे कोलेस्ट्रॉल के कारण ब्लॉकेज हो जाता है। इस ब्लॉकेज के चलते रक्त का दबाव और प्रवाह प्रभावित हो जाता है। इस ब्लॉकेज के चलते पोषक तत्वों की कमी हो जाती है। अगर शरीर को ये पोषक तत्व पर्याप्त मात्रा में प्राप्त हो जाए तो ब्लॉकेज की समस्या का निवारण हो जाता है तथा रक्तचाप पुनः सामान्य हो जाता है।
  • कोलेस्ट्रॉल कंट्रोल करता है : व्यक्ति के आहार में कोलेस्ट्रॉल ना हो ऐसा हो ही नहीं सकता। उसे आहार से इतना कोलेस्ट्रॉल जाने-अनजाने मिल जाता है कि वह उसके शरीर के लिए अत्यधिक, अनावश्यक और हानिकारक हो जाता है। ऐसे में ये बुरा कोलेस्ट्रॉल शरीर के लिए वरदान बनने के स्थान पर अभिशाप बन जाता है। इस कोलेस्ट्रॉल को कम करने की आवश्यकता है क्योंकि बुरे कोलेस्ट्रॉल के कारण ब्लड प्रेशर, हृदय रोग, अपच और मोटापे की शिकायत हो जाती है। इस समस्या का निवारण केवल एक है – मखाना। सुपर-डूपर फ़ूड की उपाधि प्राप्त कर चुका मखाना इस बुरे कोलेस्ट्रॉल को सोखने में बहुत मदद करता है। कोलेस्ट्रॉल सोख लेने के पश्चात शरीर पुनः सामान्य और स्वस्थ हो जाता है।
  • एनीमिया दूर भगाता है : क्रॉनिक डिजीज की श्रेणी में आने वाला एनीमिया एक ऐसी अवस्था है जिसमें स्वस्थ लाल कोशिकाओं और हीमोग्लोबिन का स्तर कम होने लगता है। ये अंतर्निहित कारणों से हो सकता है लेकिन आयरन की कमी इसका प्रमुख कारण है। जब भोजन या आहार से आयरन की पर्याप्त मात्रा शरीर को नहीं मिलती तो आयरन की कमी ही आगे चलकर एनीमिया का रूप लेती है। ऐसे में उस भोजन को अवश्य रूप से ग्रहण करना चाहिए जिसमें आयरन भरपूर मात्रा में उपलब्ध हो ताकि रक्त संबंधी विकार ‘एनीमिया’ को तुरंत ठीक किया जा सके। शरीर में आयरन की उस कमी को मखाना पूरा करता है।
  • पाचन ठीक करता है : मखाना में मौजूद फाइबर पाचन तंत्र को मजबूती प्रदान कर अपच की समस्या को दूर कर देता है। जिन लोगों को पेट से जुड़ी समस्याएं जैसे अपच की शिकायत रहती है उनको मखाना खाने से बहुत लाभ मिलता है। अपच की समस्या किसी व्यक्ति में तभी जन्म लेती है जब उसका पाचन तंत्र कमजोर होता है। अगर व्यक्ति को आहार फाइबर युक्त है तो उसके मल के आकार में बढ़ोत्तरी होती है। स्वस्थ इंसान का मल बेलन के आकार का होता है। कब्ज, अपच आदि के मरीज का मल स्वस्थ व्यक्ति के सामान्य मल की तरह नहीं होता और इसलिए अपच की समस्या का सबसे पहला निदान उसके मल के आकार को सामान्य करना होता है। इसके अलावा स्वस्थ व्यक्ति का ये बेलन के आकार का मल किसी पेस्ट की भांति मुलायम होना चाहिए। फाइबर मल को पुनः सामान्य कर देता है ताकि मल त्यागने की प्रक्रिया आसान रहे।
  • चेहरे पर निखार लाता है : मखाने में पाया जाने वाला एंटीऑक्सीडेंट चेहरे की त्वचा को उसका आवश्यक पोषक तत्व प्रदान कर समग्र विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। जिन लोगों में एंटीऑक्सीडेंट की कमी होती है उनके चेहरे पर चकत्ते या दाने निकलने लगते हैं। दरअसल रक्त में एंटीऑक्सीडेंट की कमी से खून शुद्ध नहीं होता और फलस्वरूप त्वचा को एंटीऑक्सीडेंट पर्याप्त मात्रा में मिल नहीं पाता। एंटीऑक्सीडेंट त्वचा का पोषक तत्व है जो उसमें सफाई और निखार को बरकरार रखता है। त्वचा की कोशिकाओं को मजबूती की आवश्यकता होती है जो एंटीऑक्सीडेंट से ही प्राप्त होती है। मखाने से मिलने वाला एन्टिओक्सीडेंट चेहरे की रंगत के लिए सबसे अच्छा उपाय है।

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मखाना खाने के नुकसान

आइए विस्तार से जानें कि मखाना किन लोगों को नहीं खाना चाहिए:

  • डायबिटीज में नहीं खाना चाहिए : यह बात सच है कि मधुमेह या डायबिटीज के मरीज को मखाना खाने से स्वास्थ लाभ मिलता है किंतु इसका अत्यधिक सेवन सेहत के लिए वरदान बनने के बजाए श्राप भी बन सकता है। बहुत अधिक मखाना खाने से शरीर में इन्सुलिन लेवल बढ़ सकता है जो मधुमेह के लिए अनुकूल वातावरण तैयार करता है। इसलिए मधुमेह या डायबिटीज के मरीज को मखाना नहीं खाना चाहिए।
  • किडनी रोग होने पर न खाएं : पोटेशियम एक ऐसा पोषक तत्व है जो अगर पर्याप्त मात्रा में शरीर को मिले तो आदमी की किडनी चुस्त और दुरुस्त रहती है लेकिन अत्यधिक मात्रा में इसका सेवन किडनी को बहुत नुकसान पहुंचा सकता है। मखाना में पोटेशियम की मात्रा बहुत अधिक होती है इसलिए इसका सेवन किडनी को तथा पूरे शरीर को रोगी बना सकता है। विशेष रूप से किडनी की समस्या ही देखने को मिलती है अगर पोटेशियम का अत्यधिक और अनावश्यक सेवन किया जाए।
  • कब्ज, दस्त या पेट की बीमारी में : जैसा कि विदित है मखाना में फाइबर भरपूर मात्रा में पाया जाता है। फाइबर को पचा पाना पेट के लिए अत्यंत कठिन कार्य जान पड़ता है। इसलिए मनुष्य को चाहिए कि वह अगर कब्ज की समस्या से परेशान है तो फाइबर युक्त मखाना उसे नहीं खाना चाहिए अन्यथा मल त्यागने में कठिनाई होगी और ये समस्या आगे चलकर गंभीर रूप ले सकती है। कब्ज के अलावा एक और पेट की समस्या है जिसमें मखाना नहीं खाना चाहिए। इस समस्या को दस्त या लूज मोशन कहते हैं। दरअसल ऐसी कोई भी बीमारी जिसमें मल त्यागने की शिकायत रहती है तो फाइबर ऐसे ही कार्य करता है जैसे आग में तेल।
  • प्रेग्नेंसी में नहीं खाना चाहिए : ब्लड शुगर लेवल को कम करने, मधुमेह को बढ़ाने और कब्ज की समस्या पैदा करने के लिए मखाना जिम्मेदार है। इसलिए मखाना को केवल रोगी व्यक्ति ही नहीं अपितु उन्हें भी इससे परहेज करना चाहिए जिनके गर्भ में शिशु है अर्थात गर्भवती महिलाएं। अगर प्रेगनेंसी के दौरान महिला को कोई बीमारी होती है तो उसका दुष्प्रभाव सीधे तौर पर उसके गर्भ में रह रहे अजन्मे भ्रूण को हो सकता है।
  • बुढ़ापे में नहीं खाना चाहिए : अगर आप 60 वर्ष या उससे अधिक आयु वर्ग में आते हैं तो उम्र के उस मोड़ पर आपको पेट की समस्या जैसे कब्ज, गैस, दस्त आदि की शिकायत हो सकती है। ऐसे में डॉक्टर द्वारा कम फाइबर खाने की सलाह दी जाती है क्योंकि फाइबर को पचाना अत्यंत कठिन हो जाता है। मखाने में फाइबर की मात्रा बहुत अधिक होती है इसलिए ये कमजोर पाचन वाले बूढ़े लोगों के लिए नुकसानदायक हो सकता है।

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पूछे गए प्रश्न (FAQs)

  1. मखाना किसका बीज होता है?

सूखा मेवा मखाना यूरीले फेरोक्स नामक पौधे का बीज है। ये पौधा पूर्वी एशिया में प्रमुख रूप से पाया जाता है। ये कमल की भांति तालाब या जल के किसी स्रोत में पाया जाता है।

  1. मखाना का दूसरा नाम क्या है?

मखाना को अंग्रेजी में ‘फॉक्स नट’ के नाम से जाना जाता है। हिंदी में ये ‘कमल का बीज’ के नाम से जाना जाता है।

  1. सुबह खाली पेट मखाना खाने से क्या होता है?

सुबह खाली पेट मखाना खाने से पाचन तंत्र मजबूत होता है। साथ ही पेट संबंधी रोग जैसे कब्ज, अपच आदि की शिकायत भी दूर होती है। ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करने और हृदय रोग के घरेलू उपचार हेतु भी सुबह खाली पेट मखाना खाना चाहिए।

  1. रात में मखाना खाने से क्या होता है?

रात में मखाना खाने से चिंता और तनाव का नाश होता है। दरअसल इसमें पाया जाने वाला मैग्नीशियम और कैल्शियम हड्डी और मांसपेशियों को अर्थात आपके पूरे शरीर को आराम मुहैया  कराता है।

  1. दूध में मखाना डालकर खाने से क्या फायदा होता है?

दूध में मखाना डालकर खाने से पेट की समस्याएं तो ठीक होती ही हैं साथ ही अनिद्रा की समस्या भी दूर होती है क्योंकि दूध के साथ मखाना खाने पर नींद बहुत अच्छी आती है। अनिद्रा की समस्या का समाधान होने से कई बीमारियों का नाश हो जाता है।

  1. एक दिन में कितना मखाना खाना चाहिए?

किसी भी व्यक्ति को एक दिन में कम से कम 10 ग्राम और अधिक से अधिक 20 ग्राम मखाना खाना चाहिए। इससे अधिक मखाना का सेवन उसकी सेहत के लिए नुकसानदायक हो सकता है। दरअसल मखाना में फाइबर की मात्रा इतनी अधिक होती है कि इसका अत्यधिक सेवन कब्ज की शिकायत का निवारण करने के बजाए उसे और अधिक बढ़ा देता है।

  1. मखाना कब नहीं खाना चाहिए?

अगर कोई व्यक्ति पहले से ही पेट की समस्या जैसे कब्ज का मरीज है तो उसे मखाना नहीं खाना चाहिए क्योंकि ये कब्ज का इलाज करने के बजाए मरीज की समस्या और अधिक बढ़ा देगा। इसमें बहुत अधिक मात्रा में पाया जाने वाले फाइबर को पचा पाना पेट के लिए बहुत कठिन होता है।

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निष्कर्ष

फॉक्स नट्स के नाम से जाना जाने वाला ‘मखाना’ आपकी सेहत के लिए किसी वरदान से कम नहीं है। इसमें कैल्शियम, मैग्नीशियम, फाइबर आदि पोषक तत्व भरपूर मात्रा में पाया जाता है। इसमें कैलोरी बहुत कम होती है इसलिए मोटापे का रामबाण इलाज मखाने में ही छिपा है। मखाना वजन घटाने, ब्लड प्रेशर और कोलेस्ट्रॉल कम करने, पाचन मजबूत करने और एनीमिया ठीक करने में मदद करता है। हालांकि जिन लोगों को कब्ज और दस्त की समस्या है उन्हें मखाना नहीं खाना चाहिए।

अगर पर्याप्त धन नहीं होने के कारण बीमारी का इलाज संभव नहीं हो पाता तो निश्चित रूप से ये आपके जीवन का सबसे बड़ा संकट काल है। ऐसे में क्राउडफंडिंग एक अच्छा विकल्प हो सकता है। ये आपको ऐसे लोगों से जोड़ता है जो कठिन समय में आपकी मदद कर सकते हैं।

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