वह अपशिष्ट जो द्रव्य(लिक्विड फॉर्म) में हैं उन्हें शरीर से बाहर निकालने का काम किडनी करती है। अपशिष्ट के र्रोप में किडनी मूत्र को भी शरीर से बाहर प्रशस्त करता है। साथ ही ये ब्लड को फिल्टर अर्थात रक्त को साफ करता है। इस के अलावा किडनी अम्ल और क्षार संतुलन(एसिड-बेस बैलेंस) में अहम भूमिका निभाता है जिस कारण इलेक्ट्रोलाइट का संतुलन भी बना रहता है। लेकिन किडनी की क्षति गंभीर बीमारी का रूप ले लेती है। किडनी से जुड़ी क्षति का एक प्रकार हाइड्रोनफ्रोसिस भी कहलाता है। जब पेशाब करने में अवरोध पैदा हो तो उस अवस्था को हाइड्रोनफ्रोसिस कहते हैं। किडनी विफलता और हाइड्रोनफ्रोसिस के लक्षण एक समान हैं।
आज के इस लेख में हाइड्रोनफ्रोसिस क्या है, हाइड्रोनफ्रोसिस क्यों होता है, हाइड्रोनफ्रोसिस कितने समय तक रहता है, किडनी क्यों सूज जाती है, किडनी में सूजन हो जाए तो क्या होता है, क्या सूजी हुई किडनी अपने आप ठीक हो सकती है, हाइड्रोनफ्रोसिस के लक्षण, हाइड्रोनफ्रोसिस के कारण क्या हैं, हाइड्रोनफ्रोसिस का सबसे अच्छा इलाज क्या है, क्या बिना सर्जरी के हाइड्रोनफ्रोसिस का इलाज किया जा सकता है, हाइड्रोनफ्रोसिस में क्या नहीं खाना चाहिए और निष्कर्ष पर विस्तार से प्रकाश डाला गया है।
Table of Contents
- हाइड्रोनफ्रोसिस क्या है?
- हाइड्रोनफ्रोसिस क्यों होता है?
- हाइड्रोनफ्रोसिस कितने समय तक रहता है?
- किडनी क्यों सूज जाती है?
- किडनी में सूजन हो जाए तो क्या होता है?
- क्या सूजी हुई किडनी अपने आप ठीक हो सकती है?
- हाइड्रोनफ्रोसिस के लक्षण
- हाइड्रोनफ्रोसिस के कारण क्या हैं?
- हाइड्रोनफ्रोसिस का सबसे अच्छा इलाज क्या है?
- क्या बिना सर्जरी के हाइड्रोनफ्रोसिस का इलाज किया जा सकता है?
- हाइड्रोनफ्रोसिस में क्या नहीं खाना चाहिए?
- निष्कर्ष
हाइड्रोनफ्रोसिस क्या है?

किडनी या गुर्दे में आई सूजन को हाइड्रोनफ्रोसिस कहते हैं। ये सूजन अचानक से एकत्रित हुए पेशाब के कारण है। जब किसी रुकावट या बाधा के चलते जब पेशाब मूत्र मार्ग और किडनी से मूत्र निकालने वाली नलियों से बाहर निकलने में असमर्थ होता है तो वह भीतर जमा होने लगता है और परिणामस्वरूप किडनी में सूजन आ जाती है। इस अवस्था को मेडिकल टर्मिनोलॉजी में हाइड्रोनफ्रोसिस कहते हैं। इसका एक अन्य नाम ‘मूत्र पथ में रुकावट’ भी है। यह आवश्यक नहीं कि सूजन दोनों किडनी में हो अपितु एक किडनी में भी सूजन हो सकती है। पेशाब करते समय दर्द और जलन, पेशाब में खून, उल्टी, बुखार, पेट के निचले भाग में दर्द, कमर और पीठ में दर्द आदि इसके लक्षण है। हाइड्रोनफ्रोसिस किसी भी आयु वर्ग के व्यक्ति को हो सकती है। नवजात शिशुओं को ये समस्या हो सकती है। हालांकि इस रोग से ग्रसित शिशुओं की संख्या वयस्कों की तुलना में बहुत कम है।
हाइड्रोनफ्रोसिस क्यों होता है?
मूत्र वाहिनी में पेशाब के प्रवाह में अवरोध आने से हाइड्रोनफ्रोसिस होता है। मूत्र वाहिनी वह नली है जो किडनी से पेशाब को मूत्राशय तक ले जाती है। जबकि मूत्राशय अथवा मूत्र मार्ग पेशाब को शरीर से बाहर निकालने वाली नली या नलिका है।
हाइड्रोनफ्रोसिस कितने समय तक रहता है?
अगर डॉक्टर द्वारा सही समय पर उचित उपचार किया जाए तो छह सप्ताह तक ही हाइड्रोनफ्रोसिस रह सकता है। लेकिन किसी भी कारणवश इलाज या उपचार न हो पाने के कारण ये गंभीर बीमारी का रूप ले सकता है।
किडनी क्यों सूज जाती है?
किसी रुकावट या बाधा(ब्लॉकेज के रूप में परिभाषित किया जाता है) के चलते जब पेशाब बाहर नहीं निकल पाता तो वह भीतर जमा होने लगता है। इससे किडनी में सूजन आ जाती है। किडनी की इस सूजन को हाइड्रोनफ्रोसिस कहते हैं।
किडनी में सूजन हो जाए तो क्या होता है?
किडनी में सूजन हो जाए तो पेशाब या तो बहुत कम या बहुत अधिक आने लगती है। इसके अलावा निर्जलीकरण(पानी की कमी की समस्या अथवा डिहाइड्रेशन) भो हो जाता है। संभव है कि किडनी में सूजन के चलते पेशाब में खून भी आ सकता है।
क्या सूजी हुई किडनी अपने आप ठीक हो सकती है?
हालांकि इसका कोई ठोस प्रमाण तो नहीं है लेकिन अगर सामान्य कारणों में सूजी हुई किडनी अपने आप ठीक हो सकती है। हालांकि सूजी हुई किडनी के संकेत मिलने पर तुरंत डॉक्टर को दिखाएं ताकि सही समय पर इलाज का मार्ग प्रशस्त किया जा सके।
हाइड्रोनफ्रोसिस के लक्षण
अगर किसी व्यक्ति को हाइड्रोनफ्रोसिस है तो उसमें इस बीमारी के लक्षण प्रायः प्रदर्शित नहीं होते अपितु इसके स्थान पर मरीज को किडनी फेलियर अर्थात गुर्दे की विफलता के लक्षण प्रदर्शित होते हैं। इसलिए हाइड्रोनफ्रोसिस के लक्षण को भ्रामक लक्षण की संज्ञा प्रदान की गई है। जागरूकता और सतर्कता दोनों को ध्यान में रख कर, इसके लक्षण की जानकारी को अधिक से अधिक लोगों तक प्रेषित करना चाहिए।
आइए विस्तार से जानें कि हाइड्रोनफ्रोसिस के लक्षण जो कि निम्नलिखित हैं:
- पेशाब में खून आना : किडनी या गुर्दे की क्षति होने से रक्त का रिसाव या हानि होने लगता है। इसलिए व्यक्ति के मूत्र में खून भी आने लगता है। ऐसी अवस्था में व्यक्ति को तुरंत डॉक्टर से परामर्श लेकर उचित उपचार का मार्ग प्रशस्त करना चाहिए।
- पेशाब करते समय दर्द होना : चूंकि किडनी यूरिनरी सिस्टम का एक अभिन्न अंग है इसलिए हाइड्रोनफ्रोसिस से पीड़ित व्यक्ति को यूरिन अथवा पेशाब से संबंधित शिकायत अवश्य होती है। पेशाब में दर्द होना सबसे आम और प्रचलित संकेत है। पेशाब करते समय किसी भी प्रकार की बाधा या रुकावट के चलते एक असहनीय पीड़ा की समस्या से जूझना पड़ता है।
- पेशाब करते समय जलन की शिकायत : यूरिनरी सिस्टम अर्थात मूत्र प्रणाली में रुकावट या बाधा के चलते असहनीय पीड़ा के सतह-साथ जलन की भी शिकायत हो सकती है। इस रुकावट को मेडिकल टर्मिनोलॉजी में ब्लॉकेज कहते हैं।
- मूत्र मार्ग के आस-पास दर्द होना : यूरिन पास करते समय अर्थात पेशाब करते समय होने वाला दर्द और जलन अपना व्यापक विस्तार करता है। फलस्वरूप मूत्र मार्ग के आस-पास के जो अंग है जैसे पेट, कमर और पीठ के निचले भाग में भी दर्द होने लगता है।
- अनावश्यक थकान और कमजोरी : जैसा कि विदित है किडनी का काम ग्लूकोज को फिल्टर करना है ताकि शरीर को पर्याप्त मात्रा में ऊर्जा मिल सके लेकिन जब किडनी से जुड़ी कोई समस्या हो जैसे हाइड्रोनफ्रोसिस तो ऐसे में गुर्दा इस ग्लूकोज को फिल्टर नहीं कर पाता और शरीर को ऊर्जा नहीं मिलती। परिणामस्वरूप व्यक्ति के शरीर में ऊर्जा की कमी के चलते थकान और कमजोरी होने लगती है।
- उल्टी और मतली : किडनी की रक्त छानने की क्षमता कम हो जाने से शरीर में हीमोग्लोबिन की मात्रा सामान्य व्यक्ति की तुलना में कम हो जाता है। हीमोग्लोबिन की ये कमी उल्टी और मतली के संकेत प्रदर्शित करने लगती है।
- तेज बुखार की समस्या : जब किडनी ग्लूकोज को फिल्टर नहीं कर पाता तो शरीर में ग्लूकोज और ऊर्जा दोनों की कमी हो जाती है। परिणामस्वरूप व्यक्ति को तेज बुखार होने लगता है। शरीर में ठंड लगने की भी शिकायत हो सकती है।
हाइड्रोनफ्रोसिस के कारण क्या हैं?
आइए विस्तार से जानें हाइड्रोनफ्रोसिस के कारण जो कि निम्नलिखित हैं:
- पथरी के कारण : किडनी स्टोन अथवा गुर्दे में पथरी होने के कारण हाइड्रोनफ्रोसिस होता है क्योंकि पथरी को इसका प्रमुख और घातक कारक माना जाता है। मूत्र वाहिनी, मूत्राशय और किडनी में जब पत्थर के समान कण जमा होने लगे तो पेशाब करने में समस्याओं का सामना करना पड़ता है। चूंकि पथरी और हाइड्रोनफ्रोसिस यूरिनरी सिस्टम से जुड़ी बीमारी है इसलिए इन दोनों के लक्षण एक सामान हैं। दर्द और जलन, पेशाब में खून,थकान, कमजोरी, बुखार आदि संकेत मरीज द्वारा प्रदर्शित होते हैं।
- यूटीआई के कारण : यूरिनरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन या मूत्र पथ संक्रमण के कारण भी हाइड्रोनफ्रोसिस हो सकता है। हालांकि यूटीआई का वह प्रकार जो गुर्दे में फैलता है, वही हाइड्रोनफ्रोसिस का कारण बन सकता है। मूत्र के पथ अर्थात यूरिनरी ट्रैक्ट में होने वाला संक्रमण पेशाब में बाधा या रुकावट पैदा कर सकता है।
- निर्जलीकरण या डिहाइड्रेशन के कारण : हमें दिन में कम से आठ से दस गिलास पानी पीना चाहिए लेकिन आवश्यकता से कम पानी पीने के कारण शरीर में अम्ल और क्षार संतुलन अर्थात एसिड-बेस बैलेंस ठीक नहीं रहता। साथ ही मूत्र या पेशाब में नमक की सांद्रता भी कम हो जाती है। मेडिकल टर्मिनोलॉजी में पानी की इस कमी को डिहाइड्रेशन या निर्जलीकरण कहते हैं।
- मिनरल में अधिकता के कारण : अगर व्यक्ति अपने खानपान अथवा आहार में मिनरल्स जैसे कैल्शियम, यूरिक एसिड आदि का सेवन अधिक मात्रा में करता है तो इससे शरीर में इन तत्वों की मात्रा अधिक हो जाती है जो आगे चलकर किडनी में सूजन और पथरी का कारण बनता है। बहुत अधिक मात्रा में लिया गया मिनरल पेशाब में रुकावट पैदा करता है।
- मोटापे की शिकायत के कारण : मोटापे और गुर्दे की पथरी का सीधा-सीधा संबंध है। अगर कोई व्यक्ति मोटापे से परेशान है तो उसे पथरी होने का खतरा बहुत अधिक होता है। बढ़ा हुआ वजन अर्थात मिनरल्स की अधिकता जिसके चलते पेशाब करने में रुकावट या बाधा उत्पन्न होती है।
- मेडिकल हिस्ट्री : अगर परिवार के किसी सदस्य को अतीत में पथरी, हाइड्रोनफ्रोसिस या यूरिनरी सिस्टम में कोई रोग हुआ है तो निश्चित ही भविष्य में परिवार की नई पीढ़ी को ये बीमारी होने की संभावना बहुत अधिक रहती है। इस अवस्था को बीमारी का पारिवारिक इतिहास, अनुवांशिक कारण या जन्मजात समस्याएं भी कहते हैं।
- गर्भावस्था के कारण : अगर कोई महिला गर्भवती है तो उसे पेशाब करते समय रुकावट या बाधा का सामना करना पड़ सकता है। हालांकि गर्भवती महिला को पथरी की समस्या होने की संभावना न के बराबर होती है लेकिन पेशाब करते समय दर्द और जलन की शिकायत हो सकती है।
हाइड्रोनफ्रोसिस का सबसे अच्छा इलाज क्या है?
यूरिन कैथीटेराइजेशन हाइड्रोनफ्रोसिस का सबसे अच्छा इलाज है। इस प्रक्रिया के अंतर्गत मरीज के गुर्दे में एकत्रित पेशाब विशेष उपचार पद्धति के माध्यम से बाहर निकाला जाता है। इसके अतिरिक्त दवा और खाने-पीने में परहेज की सलाह भी डॉक्टरों द्वारा दी जाती है।
क्या बिना सर्जरी के हाइड्रोनफ्रोसिस का इलाज किया जा सकता है?
जी हाँ, अगर हाइड्रोनफ्रोसिस के सही कारणों का पता लग जाए तो इसका इलाज बिना सर्जरी के किया जा सकता है। उदाहरण स्वरूप गुर्दे की पथरी हाइड्रोनफ्रोसिस का कारण होता है तो ऐसे में पथरी के इलाज से इसके उपचार का मार्ग प्रशस्त किया जा सकता है अन्यथा डॉक्टर ने सर्जरी की सलाह दे सकते हैं।
हाइड्रोनफ्रोसिस में क्या नहीं खाना चाहिए?
आइए विस्तार से जानें कि हाइड्रोनफ्रोसिस में क्या नहीं खाना चाहिए:
- संतरा से परहेज करें : संतरा एक ऐसा फल है जिसमें न केवल विटामिन सी होता है अपितु यह पोटेशियम का भी अच्छा स्रोत है। एक संतरे में 333 मिलीग्राम पोटेशियम होता है जो लेकिन किडनी के मरीज के लिए बहुत हानिकारक है। इसलिए किडनी से जुड़ी बीमारी जैसे हाइड्रोनफ्रोसिस में संतरा खाने से परहेज करना चाहिए।
- केला खाने से बचें : आयरन के साथ-साथ केले में पोटेशियम की मात्रा भी बहुत अधिक होती है। एक नग केले में 422 मिलीग्राम पोटेशियम पाया जाता है जो आपके सेहत के लिए वरदान नहीं श्राप है। ऐसे में हाइड्रोनफ्रोसिस के रोगी को केला खाने से बचना चाहिए।
- डार्क कलर सोडा : चीनी, कैलोरी, फ्लेवर तथा अन्य हानिकारक रासायनिक पदार्थों से भरपूर डार्क कलर सोडा अमृत का प्याला तो कदापि नहीं है। इसमें इतने विषाक्त पदार्थ हैं कि इसका एक घूँट आदमी को बीमार, बहुत बीमार करने के लिए पर्याप्त है।
- दुग्ध उत्पाद : यह तो सत्य है कि दूध या उससे बने उत्पाद विटामिन, मिनरल तथा अन्य आवश्यक पोषक तत्वों से युक्त हैं लेकिन इसमें कोई संदेह नहीं कि दुग्ध उत्पाद किसी के लिए वरदान तो किसी के लिए श्राप है। खराब किडनी खून में फास्फोरस की सहायता से हड्डियों को नुकसान पहुंचाता है।
- आलू : ऐसी कहावत है कि आलू सब्जियों का राजा है। इसलिए आलू को आप जब चाहें, जैसे चाहें खा सकते हैं। हालंकि आलू को मोटापे के साथ भी जोड़ा जाता है। इसकी वजह है इसमें पाई जाने वाली पोटेशियम की अत्यधिक मात्रा। एक मध्यम आकार के आलू में 610 मिलीग्राम पोटेशियम पाया जाता है जो किडनी के मरीज के लिए बहुत हानिकारक साबित हो सकता है।
- शकरकंद : एक औसत आकार के शकरकंद में 541 मिलीग्राम पोटेशियम पाया जाता है जो आपके शरीर को सीधे तौर पर नुकसान पहुंचाता है। ऐसे में जितना हो सके इससे परहेज करें या अगर संभव नहीं हो पा रहा तो अपने जीवन से इसकी कटौती करें।
निष्कर्ष
हाइड्रोनफ्रोसिस एक ऐसी अवस्था है जिसमें अचानक से एकत्रित हुए पेशाब के कारण किडनी(एक अथवा दोनों) में सूजन आ जाती है। ये समस्या किसी भी आयु वर्ग को प्रभावित कर सकती है। पथरी, मोटापे, यूटीआई के कारण हाइड्रोनफ्रोसिस हो सकता है। पेशाब करते समय दर्द और जलन, पेशाब में खून आदि इस समस्या के लक्षण हैं। सौभाग्य से सही समय पर उचित उपचार बीमारी को बढ़ने से रोकने तथा जड़ से समाप्त कर सकता है।
मान लीजिये आप या आपके कोई चित-परिचित जो किसी गंभीर, घातक और जानलेवा बीमारी से जूझ रहे हैं। ज़रा सोचिए धन की कमी के चलते उनका टेस्ट और इलाज नहीं हो पा रहा है। जीवन में इससे बड़ा कष्ट कुछ नहीं हो सकता। लेकिन आपको निराश नहीं होना है। क्राउडफंडिंग आपकी समस्या का सबसे अच्छा निदान है। क्राउडफंडिंग के कैंपेन के माध्यम से आप अपनी आवश्यकता को उन लोगों तक पहुंचाते हैं जो बुरे समय में आपकी मदद कर सकते हैं।