हाई ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करने के उपाय | High Blood Pressure In Hindi

आधुनिक युग औद्योगीकरण और वैश्वीकरण का युग है। इसलिए आज के समय में कोई भी विकास की क्रान्ति से अछूता नहीं है। मनुष्य विकास की दौड़ में पीछे ना रह जाए इसलिए वह अनेक प्रयास करता रहता है। वह संसाधन जुटाना चाहता है। धन में श्री वृद्धि करना चाहता है। लोगों से मित्रता और घनिष्ठ संबंध बनाना चाहता है। सुखी रहना चाहता है। लेकिन चाहने से लाभ सिद्ध नहीं होता। सुख के साथ दुःख भी प्राप्त होता है। मित्र तो बनते हैं पर कुछ शत्रु भी हो जाते हैं। यह जीवन का दूसरा पहलू है। इस पहलू में नकारात्मक परिणाम भी सम्मिलित हैं। अगर मनुष्य को उसके परिश्रम का फल मीठा न मिले तो वह ग्लानि का अनुभव करेगा। यह ग्लानि चिंता से पनपती है। चिंता ही मनुष्य के सभी दुःख का कारण है। इसी चिंता से जन्म लेती है हाई ब्लड प्रेशर अर्थात उच्च रक्तचाप।
उच्च रक्तचाप एक ऐसा रोग है जो आपके जीवन शैली के उठा पटक से आकार लेती है। आपके खानपान और अन्य व्यसन से भी प्रतिफलित होती है। शरीर की धमनियों में रक्त प्रवाह के बल को मापने की इकाई रक्तचाप है। निश्चित ही ये बल कम या अधिक हो सकता है। रक्तचाप के बढ़ने या घटने से शरीर दो नयी बीमारियों का घर हो जाता है – लो ब्लड प्रेशर और हाई ब्लड प्रेशर। आज इस लेख में हम हाई ब्लड प्रेशर के बारे में बात करने वाले हैं।
सरल-सहज भाषा में उच्च रक्तचाप क्या है, उच्च रक्तचाप के प्रकार, उच्च रक्तचाप के लक्षण, उच्च रक्तचाप के कारण, उच्च रक्तचाप ठीक करने के घरेलू उपाय, उच्च रक्तचाप का इलाज और निष्कर्ष को इस लेख के माध्यम से जानेंगे।

उच्च रक्तचाप क्या है? (What is High Blood Pressure in Hindi)

हाई ब्लड प्रेशर

उच्च रक्तचाप क्या है से पूर्व हमें ब्लड प्रेशर अर्थात रक्तचाप की परिभाषा को समझ लेना चाहिए। असल में रक्तचाप की परिभाषा में ही इस बीमारी की परिभाषा निहित है। शरीर की धमनियों में रक्त प्रवाह के बल को मापने की इकाई ब्लड प्रेशर है। ब्लड प्रेशर या रक्तचाप को बीपी भी कहते हैं।

अब प्रश्न यह उठता है कि धमनियों में रक्त प्रवाह के लिए बल क्यों लगता है? इसका उत्तर आपके हृदय में छिपा है। मानव शरीर में स्थित हृदय के धड़कने से ही शरीर में जान है और जान है तो जहान है। हृदय की धड़कन से रक्त को आपके शरीर की कोशिकाओं और ऊतकों तक पहुंचाया जाता है। यह काम धमनियों के बिना संभव नहीं है। धमनियों में रक्त का प्रवाह बल के कारण ही संभव है।

लेकिन यह बल सब दिन एक समान नहीं रहता। कभी काम तो कभी अधिक। बस यहीं से जन्म लेती है एक अति गंभीर बीमारी जिसे हाई ब्लड प्रेशर कहते हैं। समय आ गया है कि हम उच्च रक्तचाप क्या है इस पर विस्तार से विचार कर लें।

हाई ब्लड प्रेशर की परिभाषा के अनुसार जब धमनियों में रक्त परवाह हेतु बल का मापन अधिक हो तो उसे उच्च रक्तचाप कहते हैं। रक्तचाप मापने की मशीन के माध्यम से इसे बेहद आसानी से पता लगाया जा सकता है। इसके लिए रक्तचाप मशीन में दिखाई गई रीडिंग की इकाई मिलीमीटर ऑफ मरक्यूरी अर्थात mmHG है। सामान्य बीपी की रीडिंग 120/80 mmHG होती है। इससे अधिक की रीडिंग हाई बीपी को दर्शाती है। बढ़ती उम्र के लोगों में यह समस्या बहुत आम मानी जाती है। हाई ब्लड प्रेशर होने से शरीर के अन्य अंग जैसे मस्तिष्क, फेफड़े आदि में समस्या पैदा होती है लेकिन हृदय में विशेष रूप से कई समस्याएं जन्म लेती हैं।

उच्च रक्तचाप कैसे पता करें?

हाई ब्लड प्रेशर कैसे पता करें यह प्रश्न इटली के एक व्यक्ति को इतना सताता था कि साल 1896 में उसने ब्लड प्रेशर मापने की मशीन का आविष्कार कर दिया। लेकिन तब से लेकर अब तक इसमें बहुत परिवर्तन आ चुके हैं। हालांकि सभी मशीन में मरक्यूरी का प्रयोग होता है किन्तु रीडिंग दिखाने वाला मॉनीटर जो पहले एनालॉग हुआ करता था, अब डिजिटल हो चुका है।

अगर आप यह जानना चाहते हैं कि उच्च रक्तचाप कैसे पता करें तो इसकी जांच बहुत आसान है। सामान्य बीपी की रीडिंग 120/80 mmHG होती है। सर्वप्रथम हमें इस रीडिंग पद्धति को समझना होगा। बीपी मशीन में दो तरह की रीडिंग प्रदर्शित होती है :

  • सिस्टोलिक प्रेशर : 120/80 mmHG की इस सामान्य रीडिंग में 120 को सिस्टोलिक प्रेशर कहते हैं।
  • डायस्टोलिक प्रेशर : बीपी की सामान्य रीडिंग 120/80 mmHG में 80 को ही डायस्टोलिक प्रेशर कहते हैं।

जब बीपी मापने की मशीन में सिस्टोलिक और डायस्टोलिक की सामान्य से अधिक रीडिंग प्राप्त हो तो मरीज हाई बीपी अर्थात हाई ब्लड प्रेशर का शिकार हो जाता है। सिस्टोलिक की 120 से अधिक और डायस्टोलिक की 80 से अधिक की रीडिंग पर ही उच्च रक्तचाप की समस्या होती है।

ध्यान रहे कि इस रीडिंग के आधार पर हाई उच्च रक्तचाप के प्रकार का पता लगता है। इन स्टेज अथवा प्रकार के आधार पर ही उच्च रक्तचाप का इलाज लक्षित किया जाता है।

उच्च रक्तचाप के प्रकार (High Blood Pressure Stages in Hindi)

बीपी मापने की मशीन में प्रदर्शित सिस्टोलिक और डायस्टोलिक प्रेशर के आधार पर उच्च रक्तचाप के प्रकार का पता चलता है। इसे पता लगाने की प्रक्रिया बहुत आसान है।

हाई ब्लड प्रेशर के पांच स्टेज हैं :

  • सामान्य स्टेज : इसकी रीडिंग 120/80 mmHG होती है। यह सामान्य बीपी है तथा इसमें घबराने की आवश्यकता नहीं है।
  • बढ़ी हुयी बीपी : इसमें सिस्टोलिक की रीडिंग 120 से 129 mmHG के बीच में होती है तथा डायस्टोलिक की रीडिंग 80 से कम होती है।
  • हाइपरटेंशन प्रथम चरण : इसे उच्च रक्तचाप का प्रथम चरण अर्थात हाई ब्लड प्रेशर फर्स्ट स्टेज कहते हैं। जिसमें सिस्टोलिक की रीडिंग 130 से 139 mmHG के बीच में तथा डायस्टोलिक की रीडिंग 80 से 89 mmHG के बीच में होती है।
  • हाइपरटेंशन द्वितीय चरण : इसे उच्च रक्तचाप की द्वितीय चरण अर्थात हाई ब्लड प्रेशर सेकंड स्टेज कहते हैं। जिसमें सिस्टोलिक की रीडिंग 140 mmHG या उससे अधिक होती है। वहीं डायस्टोलिक की रीडिंग 90 mmHG या उससे अधिक होती है।
  • हाइपरटेंशन क्राइसिस : यह हाइपरटेंशन की सबसे घातक स्टेज है। जिसमें सिस्टोलिक की रीडिंग 180 mmHG से अधिक और डायस्टोलिक की रीडिंग 120 mmHG से अधिक प्रदर्शित होती है।

उच्च रक्तचाप के लक्षण (High Blood Pressure Symptoms in Hindi)

किसी भी बीमारी की सबसे बड़ी समस्या यह है की उसके लक्षणों को पहचान लेना बहुत कठिन होता है। ठीक इसी प्रकार उच्च रक्तचाप के लक्षण भी आसानी से दिखाई नहीं देते। जब तक कोई मरीज इस बीमारी के प्रारम्भिक स्टेज में है तो लक्षणों का पता लगाना एक बहुत बड़ी चुनौती है। हर व्यक्ति में लक्षण भी एक समान नहीं होते। उच्च रक्तचाप के मरीज में अस्थायी और स्थायी दोनों प्रकार के लक्षण देखने को मिलते हैं। प्रारंभिक चरणों में ये लक्षण अस्थायी होते हैं। धीरे-धीरे ये लक्षण स्थायी होने लगते हैं।

उच्च रक्तचाप के कुछेक सामान्य लक्षण इस प्रकार हैं :

  • हृदय गति में अनियमितता : यह उच्च रक्तचाप के लक्षण का सबसे प्रमुख संकेत है। उच्च रक्तचाप के बढ़ने से हृदय गति में अचानक से वृद्धि हो जाती है। आगे चलकर हृदय गति या हृदय का धड़कना किसी नियम के अनुरूप नहीं होता।
  • सिर में दर्द होना : यह उच्च रक्तचाप के लक्षण में सबसे प्रमुख संकेत है। जब भी ब्लड प्रेशर हाई होता है तब मरीज को सिर दर्द की समस्या होती है। बीपी के बढ़ जाने से हृदय गति में अचानक से वृद्धि होती है। परिणामस्वरूप बेचैनी और घबराहट के चलते सिर दर्द होने लगता है।
  • नेत्र में दृष्टि रोग होना : आँखों की दृष्टि धीमे-धीमे ओझल हो जाती है। यही कारण है कि हाई बीपी के रोगी को नेत्र रोग की भी समस्या हो सकती है।
  • सांस लेने में समस्या : हृदय में उत्पन्न हुए अधिक तनाव के चलते सांस फूलने लगती है। बिना कोई काम किये अथवा हल्के से परिश्रम में भी सांस फूलने लगती है।
  • सीने में दर्द : हृदय गति की अनियमितता छाती में भी अनेक कष्टों को जन्म देती है। इनमें से एक है सीने में दर्द होना।
  • अनिद्रा : उच्च रक्तचाप की समस्या में घबराहट, बेचैनी और हृदय गति में तीव्रता मनुष्य को असंतुलित रखती है इसलिए मरीज को अनिद्रा की भी समस्या सताने लगती है। ऐसे में अनेकों प्रयास के बावजूद नींद नहीं आती।
  • चक्कर आना : हाई बीपी में कमजोरी और थकान की अनुभूति होना आम बात है। इस कारण मरीज को चक्कर आ सकते हैं।
  • कमजोरी और थकान : बढ़ी हुयी बीपी में हृदय अधिक तीव्रता के साथ रक्त का परवाह करता है। ऐसे में शरीर की ऊर्जा समाप्त होती रहती है। थकान और कमजोरी लगना आम लक्षण है।
  • उल्टी की अनुभूति : बार-बार उल्टी आना या उल्टी की अनुभूति होना भी हाई बीपी का लक्षण है।

उच्च रक्तचाप के लक्षण जान लेने के बाद उसके कारणों का पता लगाना और भी आसान हो जाता है। लेख के अगले भाग में हम उच्च रक्तचाप के कारण पर विस्तार से चर्चा करने वाले हैं।

उच्च रक्तचाप के कारण (High Blood Pressure Causes in Hindi)

धमनियों में बल के बढ़ जाने होनी वाली बीमारी के अनेक कारण हैं। अगर इन कारणों का समय रहते पहचान हो जाए तो जीवन को फिर से सुंदर बनाया जा सकता है।

उच्च रक्तपात के कारण निम्नलिखित हैं : 

  • तनाव : उच्च रक्तपात का प्रमुख कारण तनाव है जो चिंता से जन्म लेता है। आज के दौड़ भाग भरे जीवन में किसी भी मनुष्य को चिंता होना स्वाभाविक बात है। शिक्षा, रोजगार, भविष्य, परिवार, मित्र मंडल आदि से संबंधित चिंताएं मनुष्य को सताती रहती हैं। हालांकि उम्र की दहलीज पार कर लेने पर मनुष्य को चिंता घेर लेना आम बात है लेकिन जिस प्रकार से मनुष्य का जीवन, खान पान, वातावरण, संसाधन आदि में परिवर्तन देखने को मिला है उससे यह स्पष्ट होता है कि युवाओं में भी यह समस्या हो सकती है।
  • धूम्रपान : सिगरेट के तंबाकू में उपस्थित निकोटीन हृदय और फेफड़ों पर असर करता है। अगर कोई मनुष्य सिगरेट या किसी भी प्रकार का धूम्रपान करता है तो निश्चित ही उसे उच्च रक्तपात हो सकता है। धूम्रपान को उच्च रक्तचाप के कारण सूची में शीर्ष स्थान पर रखा जाता है।
  • मदिरा सेवन : अत्यधिक मदिरा सेवन करने से हाइपरटेंशन होने की संभावना बढ़ जाती है। उच्च रक्तपात के प्रमुख कारणों में से एक शराब पीना भी है। धूम्रपान की तरह यह भी सीधे हृदय और फेफड़ों पर असर करता है।
  • पारिवारिक इतिहास : अगर परिवार के अतीतकाल में कोई इस समस्या से पीड़ित रहा है तो निश्चित ही यह आने वाली पीढ़ियों में भी देखने को मिलेगी। चिकित्सक द्वारा परामर्श के उपरान्त पारिवारिक इतिहास (अगर हो) तो इसका उल्लेख करना न भूलें।

उच्च रक्तचाप ठीक करने के घरेलू उपाय

उच्च रक्तचाप एक ऐसी समस्या है जिसमें घरेलू उपायों के माध्यम से मरीज को शीघ्र राहत मिल जाती है। दरअसल यह बीमारी मनुष्य के जीवन शैली से जुड़ी हुयी है। इसलिए इसके उपचार हेतु घरेलू नुस्खे का प्रयोग अत्यंत लाभकारी होता है। केवल कुछ उपायों को नियमित इस्तेमाल करने से बहुत अच्छे परिणाम भी देखने को मिले हैं।

आइए क्रमानुसार इन उपायों पर विधिवत चर्चा करें : 

  • तनाव मुक्त जीवन निर्वाह : जितना संभव हो सके अपने जीवन से तनाव को दूर रखने का प्रयास करें। अनावश्यक बातों पर बहुत अधिक विचार करने से कुछ हासिल नहीं होगा। इसलिए तनाव से सौ कोस की दूरी बना लें और हर छोटी-छोटी बातों में खुशियों को ढूंढने का प्रयास करें। तन को सक्रिय किन्तु मन को शांत रखें ताकि बुरे विचार उसमें निवास न करें।
  • पोटेशियम युक्त आहार : अपने खानपान में ऐसे आहार को सम्मिलित करें जो पोटेशियम युक्त हो जैसे पालक, नारियल पानी, टमाटर, तरबूज आदि।
  • नशा मुक्त जीवन : धूम्रपान और मदिरा सेवन को त्याग कर नशे से बर्बाद होने से तथा हाइपरटेंशन से बचे रहें। धूम्रपान और शराब हाइपरटेंशन का प्रमुख कारण है।
  • नमक से बचना है : नमक तो जीवन का आधार है लेकिन जिन्हें उच्च रक्तपात की बीमारी है उनके लिए यह किसी अभिशाप से कम नहीं। ऐसे में नमक को संतुलित मात्रा में लेवे।
  • कसरत और योग : शरीर को स्वस्थ, सुंदर और हष्ट-पुष्ट रखने से अनेकों बीमारियों से बचा जा सकता है।

उच्च रक्तचाप का इलाज

हाई ब्लड प्रेशर की समस्या में घरेलू उपायों के प्रयोग से एक रोगी इस बीमारी से मुक्ति पा सकता है। अर्थात उच्च रक्तचाप ठीक करने के घरेलू उपाय शत प्रतिशत प्रभावकारी होते हैं। लेकिन यह उपाय तभी असर करते हैं जब यह बीमारी प्राथमिक स्तर पर हो अन्यथा मेडिकल इलाज की राह पकड़नी होती है। उच्च रक्तचाप के लक्षण दिखने पर डॉक्टर को अवश्य दिखाएं और यथासंभव सलाह लेने का प्रयास करें।

ध्यान देने योग्य बात यह है कि उच्च रक्तचाप का इलाज केवल दवाइयों तक सीमित है। डॉक्टरों द्वारा परामर्श से मरीज को हाइपरटेंशन तथा सम्बंधित बीमारियों की दवाइयां आवश्यक रूप से लेनी होती है।

निष्कर्ष

इस लेख के पहले भाग में ही यह उल्लेख कर दिया गया था की उच्च रक्तपात एक ऐसी बीमारी है जो तनाव से पनपती है। आपके तनाव का कारण चिंता है और चिंता ही सभी दुखों का और अनेक बीमारियों का कारण है। ऐसे में मरीज को एक ऐसी जीवन शैली अपनानी होती है जिसमें संतुलित आहार, कसरत और तनाव मुक्त जीवन जीना होता है। निश्चित जीवंत पर्यन्त चलने वाली बीमारी का इलाज भी अतिशय महंगा होगा। ऐसे में निर्धन लोगों के लिए इसका इलाज करवाना बहुत बड़ी चुनौती हो सकती है। अगर आपको या आपके किसी परिचित को हाई ब्लड प्रेशर की बीमारी है तो क्राउडफंडिंग एक अच्छा विकल्प हो सकता है।

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