हेमेटोक्रिट टेस्ट लाल रक्त कोशिकाओं अर्थात रेड ब्लड सेल्स की जांच से जुड़ा महत्वपूर्ण परीक्षण है। इस जांच या टेस्ट के माध्यम से रेड ब्लड सेल्स की गणना होती है। यह एक एकल परीक्षण(सिंगल टेस्ट) नहीं है इसलिए इस जांच को सी-बी-सी टेस्ट(कंप्लीट ब्लड काउंट) के साथ किया जाता है। इस टेस्ट के लिए कोई विशेष उपवास या तैयारी करने की आवश्यकता नहीं होती। आज के इस लेख में एचसीटी क्या है, एचसीटी क्यों किया जाता है, एचसीटी के पूर्व की तैयारी, एचसीटी के उपरान्त की प्रक्रिया, एचसीटी के बाद, एचसीटी के साइड इफेक्ट्स, एचसीटी से जुड़े फैक्ट्स और निष्कर्ष पर विस्तार से प्रकाश डालने वाले हैं।
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एचसीटी क्या है?

एचसीटी का फुल फॉर्म हेमेटोक्रिट टेस्ट है। इसका एक अन्य नाम पी-सी-वी टेस्ट भी है। पीसीवी टेस्ट का फुल फॉर्म पैक्ड-सेल वॉल्यूम टेस्ट भी है। सरल भाषा में समझें तो एक ऐसा रक्त परीक्षण जो शरीर में लाल रक्त कोशिकाओं की सही मात्रा की जानकारी प्रदान करता है। इस टेस्ट से यह भी पता चलता है कि आपके शरीर में हेमेटोक्रिट कम है या अधिक। टेस्ट के बाद मिलने वाली रिपोर्ट्स के अध्ययन से मानव शरीर के रक्त संबंधी स्वास्थ्य के वृहद अवलोकन की सटीक जानकारी भी इसी टेस्ट से प्राप्त होती है। ये टेस्ट लाल रक्त कोशिकाओं द्वारा ऑक्सीजन ले जाने की क्षमता का भी पता लगाता है।
पीसीवी का फुल फॉर्म क्या है?
पीसीवी का फुल फॉर्म पैक्ड-सेल वॉल्यूम टेस्ट है। ये एचसीटी का ही एक अन्य नाम है। अमूमन लोगों को पीसीवी और एचसीटी में भ्रम हो जाता है लेकिन ये दोनों एक ही टेस्ट के अलग-अलग नाम हैं।
एचसीटी का स्तर
नीचे दी गई तालिका में आयु और लिंग के अनुसार हेमेटोक्रिट के सामान्य स्तर का उल्लेख किया गया है:
प्रभावित वर्ग | हेमेटोक्रिट का सामान्य स्तर |
नवजात शिशु | 45 से 61% के बीच |
बच्चे | 32 से 42% के बीच |
महिला | 36 से 46% के बीच |
पुरुष | 41 से 51% के बीच |
इस तालिका से हमें यह जानकारी मिली कि एचसीटी अर्थात हेमेटोक्रिट का सामान्य स्तर सभी के लिए एक समान नहीं होता। पुरुष, स्त्री, नवजात शिशु और बच्चों के नॉर्मल रेंज अलग-अलग हैं। इस रेंज में उल्लेखित गणना हमेशा प्रतिशत में निकाली जाती है। तालिका के अनुसार सबसे अधिक रेंज नवजात शिशुओं में होती है और सबसे कम रेंज महिलाओं में होती है। अगर टेस्ट के बाद मिले रिपोर्ट्स के अनुसार आपका रेंज इस तालिका के अनुरूप नहीं है निश्चित ही यह चिंता का विषय है। ऐसा होने पर अपने नजदीकी डॉक्टर या विशेषज्ञ से अवश्य परामर्श लेवे।
एचसीटी क्यों किया जाता है?
एचसीटी क्यों किया जाता है इसका कोई एक कारण नहीं है। केवल मोटापे या कोलेस्ट्रॉल के चलते इस जांच की सलाह विशेषज्ञों या डॉक्टरों द्वारा नहीं दी जाती अपितु को ध्यान में रखते हुए टेस्ट कराने का सुझाव दिया जाता है। इसलिए टेस्ट के चरण में गुजरने से पूर्व कई सारे संकेतों को देखना और समझना होता है।
आइए निम्न बिंदुओं के माध्यम से जानें कि एचसीटी क्यों किया जाता है:
- रक्त से संबंधित कोई बीमारी होने पर : इस जांच से मिली लाल रक्त कोशिकाओं की गणना का मानव शरीर के स्वास्थ्य से सीधा संबंध है। प्लाज्मा( जो कि लाल और सफेद रक्त कोशिकाओं तथा प्लेटलेट्स से युक्त होता है) रक्त संचार के लिए जाना जाता है। इसके अलावा फेफड़ों और अन्य अंगों तक ऑक्सीजन पहुंचाने का कार्य भी प्लाज्मा करता है।
- लाल चकत्ते और रूखी त्वचा होने पर : अगर रक्त से जुड़ी कोई समस्या है तो निश्चित ही शरीर में एंटीऑक्सीडेंट की कमी हो जाती है। ये एंटीऑक्सीडेंट की कमी से त्वचा को आवश्यक पोषक तत्व नहीं मिल पाते इसलिए त्वचा संबंधी समस्याएं जैसे लाल चकत्ते और रूखी-सूखी त्वचा हो जाती है। इस अवस्था में एचसीटी की सलाह दी जाती है।
- खुजली और पसीने की शिकायत : अगर व्यक्ति को बार-बार या लगातार खुजली और पसीने की शिकायत है तो ऐसी अवस्था में डॉक्टर एचसीटी कराने की सलाह दे सकते हैं। शरीर में एंटीऑक्सीडेंट की कमी त्वचा संबंधी समस्याएं जैसे खुजली और पसीना आना आदि हो सकता है।
- नेत्र रोग की शिकायत : अगर व्यक्ति को विशेष प्रकार के नेत्र रोग की समस्या है तो निश्चित ही एचसीटी कराने की दी जा सकती है। विशेष प्रकार के नेत्र रोग जैसे दोहरी दृष्टि(डबल विजन) या कोई अन्य गंभीर दृष्टि की समस्या से जूझ रहे व्यक्ति को ये संकेत हल्के में नहीं लेना चाहिए।
- डिहाइड्रेशन की समस्या होने पर : एचसीटी स्तर असामान्य होने के कारण निर्जलीकरण से जूझना पड़ता है इसलिए शरीर में पानी की मात्रा कम होने पर एचसीटी की सलाह भी दी जाती है। रक्त से जुड़ी समस्याओं के चलते शरीर में पानी की भी कमी हो जाती है।
- अनावश्यक थकान और कमजोरी होने पर : अगर कोई व्यक्ति बिना अधिक परिश्रम किए थकान और कमजोरी की अनुभूति करे तो ऐसी अवस्था में डॉक्टरों द्वारा एचसीटी कराने की सलाह दी जाती है क्योंकि ये प्रमुख संकेत है। इसके अलावा व्यक्ति को अगर बार-बार चक्कर आने की शिकायत हो रही है तो भी इस जांच को कराने की सलाह दी जाती है।
हेमेटोक्रिट कम होने से क्या होता है?
हेमेटोक्रिट लो होने से एनीमिया, विटामिन सी की कमी, खून की कमी, एंटीऑक्सीडेंट की कमी, रेड ब्लड सेल डिजीज आदि रोग हो सकते हैं। इसके अलावा शरीर में ठंड लगना तथा हाथ-पैर ठंडे पड़ जाना अन्य संकेत हो सकते हैं। हेमेटोक्रिट का स्तर सामान्य से कम होना आपके स्वास्थ्य के लिए बिलकुल भी अच्छा संकेत नहीं है।
हेमेटोक्रिट और हीमोग्लोबिन में क्या अंतर है?
शरीर में मौजूद लाल रक्त कोशिकाओं अर्थात रेड ब्लड सेल की प्रतिशत में गणना को हेमेटोक्रिट कहते हैं। वहीं लाल रक्त कोशिकाएं हीमोग्लोबिन से युक्त होती हैं। लाल रक्त कोशिकाओं की मात्रा का पता लगाने के लिए जो टेस्ट किया जाता है उसे हेमेटोक्रिट कहते है। लेकिन ये लाल रक्त कोशिकाएं जिस तत्व से मिलकर बनी है उसे हीमोग्लोबिन कहते हैं।
एचसीटी के पूर्व की तैयारी
किसी भी टेस्ट की तरह इसकी प्रक्रिया में टेस्ट के पूर्व, दौरान और बाद की तैयारियां सम्मिलित हैं। ये तीनों समानता नहीं है इसलिए इन चरणों विशेष तैयारी होती है। यानी इस टेस्ट की तैयारी और प्रक्रिया तीन चरणों से होकर गुजरती है।
आइए विस्तार से जानें कि एचसीटी के पूर्व की तैयारी कैसे करते हैं:
- सभी दवाइयों अर्थात मेडिकेशन को बंद कर तुरंत डॉक्टर से चेकअप कराना चाहिए।
- अगर विशेषज्ञ आपको टेस्ट कराने की सलाह दे तो ही अगले चरण में प्रवेश करें।
- इसके लिए उपवास, टेस्ट के पूर्व भोजन नहीं लेना या चाय, कॉफी और पानी नहीं पीना जैसे तैयारी करने की आवश्यकता नहीं है।
एचसीटी के उपरान्त की प्रक्रिया
अब आप एचसीटी के अगले चरण में आ चुके हैं। इस चरण में टेस्ट की प्रक्रिया को मूर्त रूप दिया जाता है ताकि परीक्षण या जांच के परिणाम प्राप्त हो सके। ये एक त्वरित परीक्षण है तथा जांच के लिए लगने वाला समय केवल 20 मिनट ही है।
आइए विस्तार से जानें कि एचसीटी के उपरान्त की प्रक्रिया क्या है:
- रक्त का नमूना : चूंकि यह एक प्रकार का ब्लड टेस्ट ही है इसलिए पैथोलॉजिस्ट आपके ब्लड का एक सैंपल ले लेता है। किसी भी ब्लड टेस्ट की भाँती बांह या नस से रक्त को एक ट्यूब में बड़ी ही सावधानी से एकत्रित कर लिया जाता है। रक्त निकालने से पूर्व रुई के एक टुकड़े तथा पानी की सहायता से बांह के उस क्षेत्र को साफ़ किया जाता है जहाँ से रक्त निकला जाता है। नस मिलने के बाद सूजन न हो इस हेतु बांह के चारो और एक पट्टी कस क्र बाँध दी जाती है। प्रायः कोहनी के भीतर से रक्त का सैंपल लिया जाता है।
- लैब टेस्ट : अब टेक्नीशियन एकत्रित किए गए सैंपल में रसायन की सहायता से कुछ विशेष प्रकार के प्रयोजन करता है ताकि प्लाज्मा में मौजूद लाल और सफेद रक्त कोशिकाएं तथा प्लेटलेट्स, ये सभी अलग-अलग हो जाए। ऐसा करने से इन तीनों की गणना और अवलोकन की प्रक्रिया आसान हो जाती है। यानी कोशिकाओं और प्लेटलेट्स के अलग-अलग अवलोकन हेतु इन्हें विशेष रूप से टेस्ट ट्यूब में अलग-अलग किया जाता है।
- गणना : विभिन्न कोशिकाओं के प्रतिशत और प्लेटलेट्स की संख्या को नॉट डाउन किया जाता है ताकि रिपोर्ट्स में प्राप्त परिणाम लिखा सके। इन परिणामों से स्वास्थ्य संबंधी टिप्पणी और अवलोकन को भी रिपोर्ट में टंकित किया जाता है।
प्रक्रिया पूरी होने के पश्चात यह रिपोर्ट डॉक्टर को दिखाई जाती है ताकि रिपोर्ट्स के आधार पर उचित परामर्श की सहायता से दवाइयां और खानपान की सलाह दी जा सके।
एचसीटी के बाद
जैसा कि विदित है एचसीटी एक त्वरित परीक्षण है। टेस्ट के पूर्व और बाद में कोई विशेष तैयारी नहीं करनी होती। जांच के लिए केवल 20 मिनट लगते हैं। यानी टेस्ट के पूर्व और उपरान्त पूरी प्रक्रिया को मूर्त रूप देने और परीक्षण का परिणाम प्राप्त करने हेतु समय नहीं लगता।
एचसीटी के साइड इफेक्ट्स
टेस्ट के पश्चात ऐसी अवस्था न के बराबर होती है जब किसी व्यक्ति को एचसीटी के इफेक्ट्स देखने को मिले हैं। इस टेस्ट के पूर्व कोई विशेष तैयारी नहीं करनी होती न ही टेस्ट के दौरान कोई विशेष जटिल प्रक्रिया अपनाई जाती है। हालांकि टेस्ट के बाद कुछ बातों का विशेष ध्यान देना होता है:
- टेस्ट हो जाने के पश्चात अगर मरीज की हालत गंभीर है तो ही उसे भर्ती किया जाता है अन्यथा नहीं।
- रक्त का सैंपल एकत्रित करने के दौरान अगर नस या बांह में सुई डालने के कारण चुभन या दर्द है तो केवल रुई को उस क्षेत्र विशेष में दबा कर रखना है। ये दर्द स्वतः ही ठीक हो जाता है।
- अगर टेस्ट के बाद किसी व्यक्ति को चक्कर आ जाए तो मरीज को टेस्ट जगह पर विश्राम करने की सलाह दी जाती है। हालांकि ऐसा बहुत कम देखने को मिलता है।
खून में एचसीटी कैसे बढ़ाएं?
खून में एचसीटी का स्तर बढ़ाने के लिए आप आहार के उस तरीके को अपना सकते हैं जो निम्नलिखित हैं:
- ब्रेड का सेवन करें : गेहूं की ब्रेड का सेवन आपके लिए सबसे अच्छा होगा। आप रे ब्रेड का भी सेवन कर सकते हैं। होल वीट पास्ता, ओट्स और सीरियल्स भी बहुत फायदेमंद है।
- फलाहार करें भरपूर : तरबूज और अंजीर आपकी सेहत के लिए वरदान है। सूखे मेवे में किशमिश और खजूर का सेवन आपको बनाएगा चुस्त और दुरुस्त। चीकू भी बहुत लाभकारी है।
- हरी सब्जी है जरूरी : पालक में आयरन की मात्रा बहुत अधिक होती है। खून से संबंधित किसी प्रकार के रोग में व्यक्ति को आयरन से भरपूर पालक खाने की सलाह दी जाती है। इसके अलावा मटर और ब्रोकोली भी आपके लिए बहुत लाभकारी है। बीमारी जो भी हो हरी सब्जी उसमें रामबाण इलाज प्रदान करती है।
- एंटीऑक्सीडेंट्स लेवे : स्ट्रॉबेरी, ब्लूबेरी, रैस्बेरी को एंटीऑक्सीडेंट्स के सबसे अच्छे स्रोत माना जाता है। इसके अलावा संतरे, लाल अंगूर और अमरूद भी एंटीऑक्सीडेंट्स से भरपूर हैं।
निष्कर्ष
एचसीटी रेड ब्लड सेल की गणना करने का एक आसान और प्रभावी तरीका है। इस जांच की सहायता से रक्त में लाल रक्त कोशिकाओं के अनुपात को प्रतिशत के रूप में मापा जाता है। एनीमिया, डिहाइड्रेशन तथा अन्य रक्त संबंधी बीमारियों का पता लगाने के लिए ये टेस्ट किया जाता है। इन समस्याओं को मॉनिटर करने तथा उचित इलाज का मार्ग प्रशस्त करने के लिए एचसीटी कराया जाता है। पोलिथीसेमिया, एनीमिया, एरिथ्रिसाइटोसिस आदि की समस्या अगर किसी व्यक्ति को है तो डॉक्टर द्वारा इस टेस्ट का सुझाव दिया जाता है।
थकान, सांस लेने में समस्या, चक्कर आना, कमजोरी और थकान, लाल चकत्ते, खुजली और पसीना, रूखी त्वचा और डिहाइड्रेशन के लक्षण दिखने पर तुरंत डॉक्टर से परामर्श करें। इस टेस्ट को करने के लिए उपवास या पानी नहीं पीने जैसी कोई तैयारी नहीं करनी होती। केवल 20 मिनट में ही ये टेस्ट हो जाता है। टेस्ट के बाद मरीज को तुरंत डिस्चार्ज कर दिया जाता है। दरअसल ये एक प्रकार का ब्लड टेस्ट ही है।
अगर आप या आपके कोई चित-परिचित जो किसी गंभीर, घातक और जानलेवा बीमारी से जूझ रहे हैं और धन की कमी के चलते उनका टेस्ट और इलाज नहीं हो पा रहा है तो निराश होने की आवश्यकता नहीं है। आपकी समस्या का निदान क्राउडफंडिंग है। क्राउडफंडिंग के कैंपेन के माध्यम से आप अपनी आवश्यकता को उन लोगों तक पहुंचाते हैं जो बुरे समय में आपकी मदद कर सकते हैं।