एक कहावत प्रचलित है कि मनुष्य के दिल का रास्ता पेट से होकर जाता है। इसका अर्थ यह हुआ कि किसी को अपार ख़ुशी देनी हो तो अच्छा भोजन खिला दो। यह सच भी है। संसार के समस्त प्राणियों में मनुष्य एक ऐसा जीव है जो खाना खाने का रौसी(शौक़ीन) है। लेकिन खाना केवल स्वाद और मन भरने के लिए नहीं किया जाता अपितु यह आपको पौष्टिक तत्व और ऊर्जा प्रदत्त करता है जिसकी सहायता से आप हष्ट पुष्ट रहते हैं। एक अच्छा सेहतमंद और पौष्टिक आहार हमारे स्वास्थ्य और शरीर के विकास के लिए बहुत आवश्यक है। पेट सही तो सब सही, पेट खराब तो सब खराब। पेट संबंधी विकार होना बहुत ही आम बात है। ये समस्याएँ हैं गैस और कब्ज। आदमी जितना परेशान कब्ज में रहता है उतना ही चिंतित इस बात पर रहता है पेट में गैस हो तो क्या करें? या पेट में गैस बने तो क्या करें?
ऐसी परिस्थिति में मरीज गैस की दवा के बारे में जानने को उत्साहित रहता है। इस संदर्भ में एक रुचिकर तथ्य यह है कि मनुष्य को किसी भी उम्र में गैस की शिकायत होना स्वाभाविक है। नवजात शिशु, बच्चों, युवाओं और बूढ़ो सभी को गैस की समस्या बनी रहती है। वहीं अगर कब्ज की बात करें तो तो आज के समय में युवा इससे अछूता नहीं है।
आज के इस लेख में पेट की कुछेक समस्या से जुड़े विषय पेट में गैस क्यों बनती है, कब्ज क्या होता है, कब्ज और गैस में अंतर, ज्यादा गैस बनने का कारण, कब्ज का कारण, गैस के लक्षण, कब्ज के लक्षण, पेट में गैस हो तो क्या करें, गैस की दवा तथा निष्कर्ष पर विस्तार से चर्चा करने वाले हैं।
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पेट में गैस क्यों बनती है?

इस सवाल का जवाब तो व्यक्ति विशेष पर निर्भर करता है कि पेट में गैस क्यों बनती है लेकिन सामान्य रूप से इस समस्या के कारण एक समान होते हैं। पेट में वायु संबंधी विकार अर्थात गैस बनने का कारण पाचन तंत्र में समस्या का संकेत है। पाचन में होने वाली समस्या को अपच भी कहते हैं। आहार लेने के पश्चात पाचन की प्रक्रिया में होने वाली जटिलता ही गैस का रूप लेती है। पेट में ग्रहण किया हुआ आहार पाचन तंत्र के महत्वपूर्ण अंग अंतड़ियों द्वारा तोड़ा जाता है ताकि उससे आवश्यक तत्व को सोखकर विकार को मलाशय छिद्र की और प्रशस्त कर दिया जाए।
खाना पचाने में समस्या के कारण पेट में गैस बनती है। यानी पाचन की समस्या क्यों होती है इस पर भी विचार करने की आवश्यकता है। अपच की समस्या मूल रूप से आहार पर निर्भर करती है। ऐसा भोजन ग्रहण करना अर्थात ऐसा खाना खा लेना जिसे पचा पाना कठिन हो। ध्यान रहे कि केवल खाद्य पदार्थ ही नहीं अपितु किसी प्रकार का पेय भी अपच की समस्या को जन्म दे सकता है।
खानपान के अतिरिक्त धूम्रपान और शराब सेवन से भी गैस बनती है। साथ ही किसी बीमारी के समय डॉक्टर द्वारा दी गयी दवाइयों से गैस न बन जाए इसलिए भी मरीज को अन्य दवाओं के साथ-साथ गैस की दवा भी दी जाती है। लेकिन गैस की समस्या कब्ज के कारण भी हो सकती है। इसलिए कब्ज के बारे में जानकारी होनी चाहिए ताकि कब्ज के साथ-साथ गैस का इलाज भी किया जा सके।
कब्ज क्या होता है? (Constipation in Hindi)
कब्ज भी एक आम किन्तु गंभीर मानव रोग है। यह एक पेट संबंधी विकार है। कब्ज से पीड़ित व्यक्ति को गैस की भी समस्या हो सकती है। हालांकि कब्ज रोग पेट में बनने वाली गैस की समस्या से बहुत अलग है। कब्ज के रोग में गैस की समस्या तो होती ही है लेकिन यह व्यक्ति के मल से संबंधित विकार की श्रेणी में रखा जाता है। कारण? कब्ज के रोगी को मल न निकलने की या निकलने में समस्या की शिकायत रहती है।
कब्ज होने पर व्यक्ति का मल कठोर या सख्त हो जाता है। कठोर मल को निकालना में कठिनाई और असहनीय पीड़ा का समना करना पड़ता है। कब्ज का कारण भी पाचन तंत्र में समस्या होता है। अर्थात अपच के कारण कब्ज हो जाती है। कब्ज से पीड़ित व्यक्ति को पेट दर्द की शिकायत भी होती है।
आमतौर पर यह रोग वृद्धावस्था में ही होती है लेकिन हाल ही में युवाओं को भी कब्ज की समस्या से पीड़ित पाया गया है। वर्तमान समय की आधुनिकता, वैश्वीकरण और आहार में फास्टफ़ूड की अधिकता ने युवाओं को भी कब्ज की चपेट में ला दिया है। व्यायाम, कसरत और स्वस्थ जीवन के जानकारी का अभाव भी कब्ज को जन्म देता है।
कब्ज और गैस में अंतर
वैसे तो कब्ज और गैस पेट संबंधी विकार हैं। कब्ज की समस्या होने पर गैस की शिकायत भी होती है। कब्ज और गैस दोनों में पेट दर्द की शिकायत भी रहती है। लेकिन इन दोनों में अंतर भी देखने को मिलते है। इसलिए कब्ज और गैस में अंतर को समझना अति आवश्यक है। अन्यथा इसके उपचार में बाधाएं आ सकती हैं।
कब्ज और गैस में अंतर इस प्रकार हैं :
- आहार ग्रहण करते समय या उसके पश्चात गैस की समस्या भले ही अपच से पैदा होती है लेकिन यह मूल रूप से पेट में बनी वह गैस है जो बाहर का मार्ग प्रशस्त नहीं कर पा रही। पाचन प्रक्रिया के उपरान्त पेट में गैस बनती है। गैस बनने के पश्चात अंतड़ियों का यह काम होता है कि वह इस गैस या वायु का मार्ग प्रशस्त करे ताकि यह पेट में न रह जाए। गैस बाहर निकलना पाचन तंत्र के सही तरह से काम करने का संकेत होता है। लेकिन जब किसी भोजन को पचाने में पाचन तंत्र को कठिनाई का सामना करना पड़ता है तो गैस भीतर ही रह जाती है। गैस की समस्या के साथ एसिडिटी भी हो सकती है।
- कब्ज से पीड़ित व्यक्ति को गैस और पेट दर्द दोनों होता है लेकिन प्रमुख रूप से मल त्यागने में कठिनाई का सामना करना पड़ता है। इस रोग में तो मल त्यागने के उपरान्त पीड़ा और कठिनाई होती है या फिर मल त्यागने के पश्चात भी ऐसी अनुभूति होती है कि मल अभी भी मलाशय द्वार में अटका हुआ है। अर्थात कब्ज को मल संबंधी विकार कहना सर्वथा उपयुक्त होगा।
- गैस केवल अपच से भी हो सकती है। इसलिए नवजात शिशु, बच्चों, युवाओं और बूढ़ों सभी को हो सकती है। हालांकि उम्र के अनुसार गैस के होने का कारण भी अलग हो सकता है। लेकिन कब्ज का होना या न होना इसका व्यक्ति के आयु और प्रतिरोधक क्षमता से लेना देना है। बढ़ती उम्र में रोग से लड़ने वाली सकती क्षीण होने लगती है इसलिए भी कब्ज होती है।
- कब्ज में गैस की भी शिकायत होती है लेकिन गैस के ठीक होने से भी कब्ज की समस्या बनी रहती है। जबकि गैस की समस्या में गैस और डकार दोनों बनती हैं और गैस का उपचार ही इसमें सबसे प्रमुख होता है।
लेख के इस भाग में हमने कब्ज और गैस में अंतर को भली-भाँति जाना तथा जागरूकता और सतर्कता की ओर एक कदम बढ़ाया। ऐसा करने से बीमारी की पहचान और इलाज में आसानी होती है।
ज्यादा गैस बनने का कारण
जब अपच होने लगे तो पेट से यह गैस बाहर नहीं जा पाती। ऐसी परिस्थिति में ज्यादा गैस बनने लगती है जो आगे चलकर समस्या का रूप ले सकती है। अपच या पाचन में कठिनाई को ज्यादा गैस बनने का कारण माना जाता है। अपच या पाचन में कठिनाई को ज्यादा गैस बनने का कारण माना जाता है। हालांकि पेट में गैस क्यों बन रही है यह व्यक्ति विशेष पर निर्भर करता है। हर एक में गैस बनने का कारण एक समान नहीं होता। लेकिन सभी व्यक्तियों में सामान्य रूप से कुछेक कारण देखने को मिलते हैं।
पेट में ज्यादा गैस बनने का कारण निम्नलिखित है :
- गाय के दूध का सेवन : गाय के दूध में लैक्टोज होता है जो शरीर के विकास और हड्डी की मजबूती के लिए लाभकारी होता है। किन्तु कुछ लोगों को इस लैक्टोज को पचाने में समस्या का सामना करना पड़ता है जिस कारण पेट में गैस बन सकती है। इसे लैक्टोज इन्टॉलरेंस भी कहते हैं।
- सोडा युक्त पेय : कार्बोनेटेड सोडा युक्त शीतल पेय जैसे कोल्ड ड्रिंक, सॉफ्ट ड्रिंक आदि के सेवन से पेट में ज्यादा गैस बनती है। इन शीतल पेय में शुगर की मात्रा भी अधिक होती है जो पेट फूलने के कारण में गिना जाता है।
- तली हुई चीजें खाना : बहुत अधिक तला हुआ भोजन या जिसमें तेल और मसाले की मात्रा अधिक हो उसे पचाने में भी पाचन तंत्र को कठिनाई का सामना करना पड़ता है। इसलिए तेल मसाले युक्त भोजन से परहेज की सलाह दी जाती है।
- छोटी आंत में बैक्टीरिया के कारण : पाचन प्रक्रिया फर्मेंटेशन के कारण भी संभव हो पाता है। लेकिन फर्मेंटेशन के कारण भी गैस बनती है जो कि पाचन की सामान्य प्रक्रिया का एक हिस्सा है। फर्मेंटेशन पाचन के उपरान्त गैस को प्रतिफलित करता है। अर्थात गैस को फर्मेंटेशन का बाय प्रोडक्ट कहते हैं।
- कब्ज होने के कारण : कब्ज से पीड़ित व्यक्ति का सबसे प्रमुख लक्षण गैस की शिकायत होना है। गैस सबसे प्रमुख लक्षण है इसलिए कब्ज की समस्या के दौरान असहनीय पीड़ा और मल त्यागने में समस्या के अतिरिक्त पीड़ित को गैस की भी शिकायत रहती है।
- संक्रमण : पेट संबंधी किसी संक्रमण के कारण या किसी भी बीमारी के कारण से पीड़ित व्यक्ति को गैस की भी शिकायत हो सकती है।
- खाना पचने के कारण : पेट में गैस क्यों बनती है पर विस्तार से चर्चा करने के पश्चात हमने यह जाना कि गैस पाचन प्रक्रिया का ही अभिन्न अंग है। पाचन तंत्र की पाचन प्रक्रिया के उपरान्त निर्मित गैस को बाहर का मार्ग प्रशस्त किया जाता है। पाचन सही से हो रहा है तो भी गैस की समस्या हो सकती है।
- फाइबर फ़ूड का अधिक सेवन : यह बात अचरज में दाल सकती है लेकिन शरीर की अनेकों बीमारियों को ठीक करने वाला फाइबर अगर आवश्यकता से अधिक आहार में लिया जाए तो यह भी गैस का कारण बन सकता है। अत्यधिक मात्रा में प्राप्त फाइबर को पचा पाना हमारे पाचन तंत्र के लिए कठिन होता है। ऐसे में पेट में बहुत अधिक गैस बनने लगती है।
कब्ज का कारण
कब्ज होने के कई कारण हो सकते हैं। इन कारणों की जानकारी से आम जन जीवन में जागरूकता और सतर्कता फैलती है।
आइए, सरल-सहज भाषा में जानें की कब्ज होने के मुख्य कारण क्या-क्या हो सकते हैं :
- उम्र की दहलीज पार कर लेने पर : उम्र के बढ़ते कर्म में रोग या बीमारी से लड़ने की शक्ति कम हो जाती है। ऐसे में कब्ज की शिकायत वृद्धावस्था में होना आम बात है। हालांकि वर्तमान समस्य में युवाों को भी यह समस्या से पीड़ित पाया गया है।
- फाइबर कम खाना : आहार में फाइबर की कमी कब्ज की बीमारी को जन्म देती है। फाइबर युक्त भोजन केवल कब्ज ही नहीं अपितु अनेकों बीमारियों को जड़ से नष्ट कर देता है।
- ठीक से शौच न करना : सही तरीके से पेट साफ़ न होने के कारण या अन्य किसी भी कारण से मल त्यागने की प्रक्रिया में बाढ़ हो तो कब्ज होने की संभावना बनी रहती है।
- अंतड़ियों का कमजोर होना : छोटी और बड़ी आँतों के कमजोर हो जाने से भी कब्ज रोग की शिकायत हो सकती है।
व्यायाम और कसरत : शरीर अगर चुस्त और दुरुस्त न रहे तो बीमारियों का घर बन जाता है। इसलिए मनुष्य को व्यायाम और कसरत करते रहना चाहिए।
गैस के लक्षण
कब्ज और गैस के लक्षण की पहचान से बीमारी के इलाज का मार्ग स्पष्ट हो जाता है। हालांकि दोनों बीमारियों के एक समान लक्षण नहीं है। इसलिए कब्ज और गैस के भिन्न-भिन्न लक्षणों की चर्चा अलग-अलग भागों में की गयी है ताकि कोई भ्रम न पैदा हो।
गैस के लक्षण इस प्रकार हैं :
- पेट दर्द : गैस की समस्या में मरीज को पेट में असहनीय पीड़ा का सामना करना पड़ता है। पेट में दर्द और मरोड़ इसका प्रमुख लक्षण है। पेट में दर्द के अतिरिक्त गांठ या ऐंठन की भी अनुभूति होती है।
- पेट फूलना : गैस की शिकायत में पेट असामान्य रूप से फूल जाता है। अत्यधिक गैस के बनने तत्पश्चात जमा होने के कारण पेट फूल जाता है क्योंकि गैस को बाहर निकलने का रास्ता नहीं मिलता। हालांकि बीच-बीच में गैस निकल भी सकती है। पेट के आकार में भी वृद्धि हो जाती है।
- डकार आना : पेट में गैस की समस्या होने पर पीड़ित व्यक्ति को गैस के अतिरिक्त अनावश्यक और बार-बार डकार भी आने लगती है।
पेट भरा हुआ लगना : गैस के मरीज को पेट के खाली होने पर भी पेट भरा हुआ लगता है। पेट में अत्यधिक गैस होने के कारण ऐसा लगता है।
कब्ज के लक्षण
कब्ज के लक्षण इस प्रकार हैं :
- ठीक से शौच न होना : तीन सप्ताह से अधिक अगर शौच ठीक तरीके से न हो तो यह कब्ज का संकेत हो सकता है।
- शौच के दौरान दर्द होना : मल त्याग के दौरान अगर मलाशय छिद्र में असहनीय पीड़ा हो तो यह भी कब्ज का संकेत हो सकता है।
- शौच के बाद भी अतृप्ति : मल त्याग के बाद भी ऐसी अनुभूति होना कि अभी भी गगोड़े में मल भरा हुआ है।
- गूदे में रुकावट : मलाशय छिद्र में किसी प्रकार की रुकावट का आभास होना।
पेट में गैस हो तो क्या करें?
पेट में गैस बनना एक आम बीमारी है। यही कारण है कि पेट में गैस हो तो क्या करें इस प्रश्न का मन में उठना एक स्वाभाविक चिंता है। पाचन प्रकिया के दौरान फर्मेंटेशन के प्रतिफल अर्थात बायप्रोडक्ट के तौर पर पेट में सामान्य रूप से गैस बनती है लेकिन पाचन तंत्र में परेशानी के कारण गैस की समस्या हो सकती है। अगर आप भी इस बात से चिंतित हैं कि पेट में गैस बने तो क्या करें तो सबसे पहले तो घबराने की आवश्यकता नहीं है। यह एक आम समस्या है और अच्छी बात यह है कि आपको घरेलू इलाज से ही राहत मिल जाती है। लेख के अगले भाग में हम गैस की दवा पर विस्तार से चर्चा करने वाले हैं।
गैस की दवा
गैस जैसी आम और गंभीर बीमारी में चिंतित होकर यह सोचना निरर्थक है कि पेट में गैस हो तो क्या करें। अपितु पेट में गैस बने तो क्या करें पर परेशान होने के बजाए त्वरित उपचार के लिए प्रयास करना चाहिए। घरेलू इलाज से गैस को तुरंत ठीक किया जा सकता है। इसलिए गैस के घरेलू उपचार या उपायों को गैस की दवा कहते हैं। स्वयं डॉक्टर या अन्य किसी भी प्रकार के चिकित्सक गैस की दवा के रूप में घरेलू उपायों को अपनाने की सलाह देते हैं। गैस की दवा के अंतर्गत हम पेट में गैस हो तो क्या करें तथा पेट में जलन हो तो क्या करें पर विस्तार से चर्चा करने वाले हैं।
आइए जानें कि पेट में जलन हो तो क्या करें :
- हींग है हीरा : हींग में एन्टासिड होता है जो गैस को कम करने के लिए फायदेमंद होता है। एक गिलास गर्म पानी में केवल दो चम्मच हींग का पाउडर मिला लें और चाय की तरह एक-एक घूँट पिये।
- ठंडा दूध : गैस बनने में तुरंत इलाज करता है। दूध गैस निकालने के साथ-साथ गैस में फूले हुए पेट को पचकाता है और जलन भी कम करता है। पेट में जलन हो तो क्या करें? बस एक गिलास ठंडा दूध का सेवन और गैस की छुट्टी।
- नींबू पानी : गैस और एसिड को कम करने का इलाज है गर्म पानी में बनाया गया नींबू पानी। लेकिन मिठास के लिए केवल शहद का इस्तेमाल करें।
- आस-पास टहलें : पैदल चलने से हल्की कसरत होती है और यह गैस को निकालने में भी सहायक होती है।
आइए आप चिंतित हैं कि पेट में गैस हो तो क्या करें तो आपकी चिंता का निवारण अब हो गया है।
आइए जानें की गैस बनने पर क्या खाएं :
- भुना हुआ जीरा : जब भी कोई पूछे कि गैस बनने पर क्या खाएं तो जवाब है भुना हुआ जीरा। हमारे प्रकृति में जीरा एक ऐसी औषधि है जो पेट संबंधी विकार अर्थात पेट में होने वाली बीमारियों को जड़ से समाप्त करने की ताकत रखती है। बच्चों से लेकर बड़ों तक, गैस और कब्ज दोनों में जीरा राहत दिलाता है। बस एक गिलास गुनगुने पानी में भुना हुआ जीरा डाल कर सेवन करें आपको तुरंत आराम मिलेगा। पेट दर्द, पेट फूलना और पेट संबंधी रोगों का रामबाण इलाज है भुना हुआ जीरा।
- बढ़िया सा छाछ : दुग्ध पदार्थ छाछ में लैक्टिक एसिड होता है। यह एक ऐसा अम्ल है जो लैक्टोज से निर्मित गैस को तुरंत समाप्त करता है। गैस बनने पर क्या खाएं सवाल का एक ही जवाब है – बढ़िया सा छांछ। छाछ में भुना हुआ जीरा और काला नमक का सेवन अवश्य करना चाहिए क्योंकि ये गैस को तुरंत ठीक करते हैं।
- चमत्कारी तुलसी : पानी में तुलसी डाल कर उसे उबाल लें। अब इस पानी को पी लें तुरंत आराम मिलेगा। यह गैस को तुरंत ठीक करता है। साथ ही तुलसी हर घर में आसानी से मिल जाती है।
- जबरदस्त अदरक : अदरक का रस गैस की जलन में बहुत जल्दी राहत देता है। दांत के बीच दबा कर अदरक का रस चूसने से तुरंत राहत मिलती है। आप चाहें तो अदरक वाली चाय भी इस परिस्थिति में पी सकते हैं।
निष्कर्ष
पेट संबंधी विकार में गैस और कब्ज होना एक आम बात है। हालांकि कब्ज की समस्या वृद्धावस्था में अधिक होती है इसलिए उस विषय में सभी आयु वर्ग के लोगों को चिंता करने की आवश्यकता नहीं है। लेकिन गैस किसी को भी हो सकती है। लेकिन अधिकांश मामलों में केवल घरेलू इलाज ही गैस का उपचार करते हैं। इसलिए पेट में गैस हो तो क्या करें पर चिंतित होने के बाजए गैस की दवा के रूप में गहरीलो उपायों का इस्तेमाल करें। अगर फिर भी समस्या का निदान न मिलें तो डॉक्टर से सलाह लेने में न हिचकिचाएं। अच्छे खानपान और व्यायाम से गैस और कब्ज से राहत मिल सकती है।