शुगर कम करने के उपाय | Diabetes In Hindi

हमारे आसपास किसी न किसी को शुगर की बीमारी है। कारणवश आपके मन में यह प्रश्न कभी न कभी तो आया होगा कि डायबिटीज क्या है और यह एक स्वाभाविक चिंता भी है। बहुत आम सी लगने वाली बीमारी शुगर घातक रोग की श्रेणी में स्थान ग्रहण करता है। हाल ही में इसे वैश्विक समस्या के रूप में चिन्हित किया गया है। अगर सही समस्या पर शुगर को कंट्रोल अर्थात कम न किया जाए तो यह एक घातक बीमारी का रूप धारण कर लेती है। शायद इसलिए शुगर कंट्रोल कैसे करे वैश्विक चिंता बन चुकी है।

दुनिया की सभी बड़ी मेडिकल संस्थान और सरकारें मिल कर शुगर की बीमारी पर मिलकर काम कर रही है ताकि दुनिया को इस आम सी दिखने वाली किन्तु घातक बीमारी से मुक्ति मिल सके। हालिया समय में बहुत अच्छे प्रयास देखने को मिले हैं लेकिन बढ़ती जनसंख्या, वैश्वीकरण, औद्योगीकरण तथा गाँव, क़स्बा का शहरीकरण इस समस्या को दिन-प्रतदिन बढ़ा रहा है। 

इस लेख में हम शुगर की बीमारी, डायबिटीज क्या है, इसके विभिन्न प्रकार, शुगर के लक्षण, शुगर कम कैसे करें, शुगर कम करने के उपाय, शुगर में क्या खाना चाहिए, शुगर कंट्रोल कैसे करे और निष्कर्ष को सरल-सहज भाषा में जानने का प्रयास करने वाले हैं।

शुगर की बीमारी (Diabetes In Hindi)

Diabetes In Hindi

शुगर को हिंदी में मधुमेह कहते हैं। इसका अंग्रेजी में शुगर के अतिरेक एक अन्य नाम डायबिटीज भी है। यह एक रक्त संबंधी रोग है। इस बीमारी से पीड़ित मरीज के रक्त में जब ग्लूकोज की अधिकता हो जाती है तब उसे शुगर की बीमारी हो जाती है। ग्लूकोज की अधिकता का मुख्य कारण पेट के निचले भाग में स्थित पैंक्रियाज में इंसुलिन हार्मोन का कम बनना या बिलकुल भी न बनना है।

डायबिटीज क्या है (Diabetes In Hindi)

इंटरनेट पर डायबिटीज क्या है बहुत खोजा जा रहा है। खोजना भी चाहिए क्योंकि यह दुनिया की सबसे आम किन्तु घातक बीमारियों में से एक है। अगर आप भी इस सवाल का जवाब जानना चाहते हैं तो आप सही जगह पधारे हैं। मेडिकल साइंस ने इसका बहुत ही उलझी हुई कठिन परिभाषा दी है लेकिन पाठकों के लिए इसे आसान भाषा में समझ लेते हैं। शुगर का मेडिकल टर्मिनोलॉजी डायबिटीज है। इसे हिंदी में मधुमेह कहते हैं। मानव शरीर में उपस्थित ग्लूकोज की मात्रा अधिक हो जाने से मधुमेह की समस्या हो जाती है।

ग्लूकोज को रक्त शर्करा भी कहते हैं। ग्लूकोज हमारी ऊर्जा का प्रमुख स्रोत है। रक्त में उपस्थित ग्लूकोज के अतिरिक्त शरीर को इस पूर्ती खानपान से भी होती है। इसलिए खानपान पर विशेष ध्यान न दे पाने के कारण रक्त में ग्लूकोज की मात्रा बढ़ जाती है और परिणामस्वरूप मधुमेह की समस्या हो जाती है। चाहे किसी भी कारण ग्लूकोज की अधिकता आपके रक्त में हो जाए उसे रोकने का काम पैंक्रियाज का है। पैंक्रियाज को हिंदी में इन्सुलिन अग्नाशय भी कहते हैं। यह पेट के निचले भाग में स्थित होता है। इन्सुलिन अग्नाशय या पैंक्रियाज रक्त में ग्लूकोज की अधिकता को इंसुलिन नामक हार्मोन के माध्यम से संतुलित करता है। मधुमेह की समस्या में या तो इंसुलिन हार्मोन कम मात्रा में बन रहा होता है या फिर इंसुलिन बिलकुल भी नहीं बनता। तत्पश्चात रक्त में बनने वाला ग्लूकोज शरीर तक पहुंच नहीं पाता और व्यक्ति को मधुमेह हो जाता है।

डायबिटीज के प्रकार

रक्त में ग्लूकोज की अधिकता से होने वाली बीमारी शुगर या डायबिटीज का मेडिकल और घरेलू उपचार उसके प्रकार पर निर्भर करता है। आम तौर पर मधुमेह के दो प्रकार हैं :

  • डायबिटीज और
  • प्री-डायबिटीज

इन दोनों प्रकार अर्थात डायबिटीज और प्री-डायबिटीज का विस्तार से वर्गीकरण कर उनके उपप्रकार को सुनियोजित श्रेणियों में बांटा गया है। डायबिटीज के तीन प्रकार हैं जो सबसे आम भी हैं और सर्वाधिक प्रचलित भी : 

  • टाइप वन : पेट के निचले भाग में उपस्थित पैंक्रियाज के द्वारा बहुत कम मात्रा में इंसुलिन हार्मोन बनाया जाता है। ऐसा भी हो सकता है कि इंसुलिन बने ही नहीं। टाइप वन की समस्या किसी भी उम्र में हो सकती है लेकिन बच्चों और किशोरों में यह समस्या सर्वाधिक देखने को मिलती है। प्रतिरोधक क्षमता अर्थात रोग से लड़ने वाली व्यवस्था पैंक्रियाज के हार्मोन बनाने वाली कोशिकाओं में इंसुलिन को समाप्त कर देती है। ऐसी परिस्थिति में मरीज को प्रतिदिन इंजेक्शन के माध्यम से इंसुलिन देकर उसकी कमी को पूरा किया जाता है।
  • टाइप टू : टाइप वन की तुलना में टाइप टू के मरीज में इंसुलिन सही मात्रा में नहीं बन रही होती है। इस कारण रक्त में ग्लूकोज की मात्रा आवश्यकता अनुरूप नहीं बन पा रही है। मोटापा इसका सबसे बड़ा कारण होता है। परिवार में अगर किसी सदस्य को यह बीमारी रही थी तो निश्चित ही आने वाली पीढ़ी को भी यह बीमारी हो सकती है। बच्चों को टाइप टू होने की संभावना अधिक होती है।
  • जेस्टेशनल डायबिटीज : गर्भवती महिलाओं को होने वाला शुगर जेस्टेशनल डायबिटीज के नाम से जाना जाता है। इसे हिंदी में गर्भकालीन मधुमेह भी कहते हैं। महिलाओं को जेस्टेशनल डायबिटीज होने के आसार गर्भ धारण के समय अधिक होते हैं। लेकिन प्रसव के बाद भी महिलाओं को इस प्रकार की समस्या हो सकती है।

इसके अतिरिक्त मनुष्य को प्री-डायबिटीज की भी समस्या हो सकती है। प्री-डायबिटीज में ब्लड शुगर लेवल सामान्य स्तर से अधिक होता है लेकिन यह अधिकता टाइप टू की श्रेणी में नहीं रखी जा सकती। जिन लोगों को प्री-डायबिटीज की समस्या होती है उन्हें निकट समय या भविष्य में भी डायबिटीज होने की संभावना बनी रहती है। इसका एक अन्य नाम बॉर्डर लाइन डायबिटीज भी है।

शुगर के लक्षण

मधुमेह के रोगी के लक्षणों को पहचान कर इसकी रोकथाम आसानी से की जा सकती है। हालांकि इन संकेतों को समझना एक आम मनुष्य के लिए थोड़ा कठिन हो सकता है। फिर भी, मधुमेह के रोगी में ये समान्य लक्षण देखने को मिल सकते हैं :

  • बार-बार प्यास लगना : ब्लड में बनने वाला ग्लूकोज शरीर को नहीं मिल पाता इस कारण शरीर में ऊर्जा नहीं रहती। शरीर को ऊर्जावान और फिट रखने के लिए प्यास का सिग्नल मस्तिष्क को दिया जाता है। कारणवश शुगर का मरीज बार-बार पानी पीता है।
  • बार-बार पेशाब लगना : बार-बार पानी पीने से पेशाब भी नियमित रूप से अधिक लग सकती है। लेकिन बार-बार पानी पीने के अतिरिक्त शरीर में बढ़ा हुआ ग्लूकोज मूत्राशय के माध्यम से बाहर निकलने का रास्ता खोजता है।
  • कमजोरी और थकान : ग्लूकोज हमारी ऊर्जा का मुख्य स्रोत है। लेकिन मधुमेह की समस्या में ब्लड में बना ग्लूकोज शरीर तक नहीं पहुंच पाता और इस कारण कमजोरी और थकान की अनुभूति होती है।
  • वजन घटना : टाइप टू को छोड़कर, मधुमेह के सभी मरीजों में वजन घटने के लक्षण देखे गए हैं। अचानक से शुगर के मरीज का वजन घटने लगता है।
  • नेत्र रोग : डायबिटीज के मरीज को नेत्र संबंधी विकार अर्थात आँखों का रोग होना प्रमुख लक्षण के रूप में चिन्हित किया जाता है। मधुमेह के रोगी की नज़र धुंधली हो जाती है। परिणामस्वरूप उसे देखने में समस्या का सामना करना पड़ सकता है।
  • सिर दर्द : मधुमेह के कारण शरीर में ऊर्जा की कमी, थकान और कमजोरी मनुष्य के खोपड़ी में एक असहनीय पीड़ा को जन्म देती है जिसे सिर दर्द भी कहते हैं।

शुगर कम कैसे करें? 

दुनिया में जितने भी देश हैं उनमें बसे अधिकांश नागरिकों को शुगर की समस्या है। निर्धन और धनवान दोनों को इस बीमारी ने अपने चंगुल में जकड़ रखा है। इसलिए संसार सकल में शुगर कम कैसे करें प्रश्न की प्रतिध्वनि गूंज रही है। कुल मरीजों की संख्या के अनुसार अगर किसी बीमारी से सबसे अधिक पीड़ित मरीजों वाले देशों को सूचीबद्ध किया जाए तो शुगर से संबंधित आंकड़ें चौंकाने वाले हैं। संसार सकल की सबसे बड़ी और वैश्विक संकट में से एक शुगर है। शुगर की बिमारी से पीड़ित सर्वाधिक मरीजों की सूची में भारत दूसरे स्थान पर खड़ा है। भारत में मधुमेह की बीमारी से पीड़ित 70 लाख से अधिक लोगों की आयु केवल अठारह वर्ष है। आने वाले समय में यह संख्या और अधिक बढ़ने वाली है।

ऐसे में हर इंसान को शुगर कम कैसे करें की चिंता सता रही है। चिंता होनी भी चाहिए क्योंकि मधुमेह को हल्के में लेना विनाशकारी परिस्थितियों को जन्म देता है। अगर शुगर के मरीज को सही समय पर यथासंभव इलाज नहीं मिलता तो ऐसे में इस घातक बीमारी के अतिरिक्त अनेक प्रकार की बीमारियां शरीर में निवास करने लगती हैं। हृदय संबंधी रोगों को बढ़ावा देने के अतिरिक्त मधुमेह मानव शरीर के विभिन्न अंगों जैसे आँख, किडनी, पैर आदि को भी प्रभावित कर उससे संबंधित रोगों को निमंत्रण देता है।

अगर किन्तु परन्तु को त्याग कर आपने शुगर कम कैसे करें सवाल का हल खोजने का मन बना लिया है तो निश्चित ही आप प्रशंसा के पात्र हैं। मधुमेह को कम किया जा सकता है। बस, शुगर कम करने के उपाय को आत्मसात कर लेने से आप इस बीमारी से हमेशा-हमेशा के लिए छुटकारा पा सकते हैं। सबसे पहले डॉक्टर की सहायता से डायबिटीज की जांच करवा लेना उचित रहेगा। अर्थात मेडिकल टेस्ट के माध्यम से डायबिटीज के प्रकार का पता लगाया जाता है। इसके बाद उचित दवाइयों और परहेज का पालन करें। इन सभी के अतिरिक्त शुगर कम कैसे करें के अंतर्गत खानपान, कसरत और योग तथा घरेलू उपचार या देसी नुस्खे भी बहुत लाभकारी होते हैं। आइए, इन सभी उपायों को विस्तार पूर्वक समझने का प्रयास करें।

शुगर कम करने के उपाय

शुगर के मरीजों की कुल संख्या को अगर 100% मान लिया जाए तो उसमें 50% से अधिक लोगों को मधुमेह से होने वाले हानिकारक नुकसान की कोई जानकारी नहीं है। यानी मधुमेह की लड़ाई हम केवल इसलिए हार रहे हैं क्योंकी शुगर कम करने के उपाय के बारें में अधिकतर लोगों को पता ही नहीं है। सही और सम्पूर्ण जानकारी लोगों तक पहुँच जाए तो इस बीमारी से बचाव किया जा सकता है।

शुगर कम करने के उपाय के अंतर्गत सर्वप्रथम यह पता लगाना आवश्यक होता है कि मरीज डायबिटीज के कौन से प्रकार से पीड़ित है। यह जानकारी प्राप्त कर लेने के पश्चात से यथासंभव शुगर कम करने के उपाय के माध्यम से मधुमेह को कम किया जा सकता है। चिकित्सक या विशेषज्ञ मरीज में शुगर पता लगाने के लिए कई टेस्ट  कराने के लिए कहते हैं। इन टेस्ट के माध्यम से डायबिटीज के प्रकार का पता चलता है। मरीज के रक्त में उपस्थित ग्लूकोज का स्तर कितना है इसकी जांच भी टेस्ट के माध्यम से संभव हो जाती है।

मरीज में डायबिटीज का पता लगाने के लिए डॉक्टर निम्न जांच कराने की सलाह देता है :

  • फास्टिंग ब्लड शुगर : शुगर पता लगाने का सर्वाधिक प्रचलित टेस्ट फास्टिंग ब्लड शुगर जो अपने नाम से ही स्वयं को परिभाषित कर रहा है। इस टेस्ट में मरीज के ब्लड में शुगर लेवल को तब मापा जाता है जब वह भूखे पेट हो। इस जांच में सामान्य रीडिंग 126 mg/dl से अधिक आने पर शुगर होने के आसार बढ़ जाते हैं।
  • ओरल ग्लूकोज टॉलरेंस टेस्ट : यह टेस्ट भी अपने नाम के अनुरूप है। ग्लूकोज के प्रति मरीज की सहिष्णुता को मापा जाता है। इस बाबत मरीज की दो जांच बारी-बारी होती है। एक में ग्लूकोज पेय पीने से पूर्व ब्लड शुगर की जांच की जाती है और दूसरे में ग्लूकोज पेय पीने के पश्चात। इस जांच में सामान्य रीडिंग 200 mg/dl से अधिक आने पर मधुमेह के संकेत होते हैं।
  • ग्लाइकेटेड हीमोग्लोबिन टेस्ट : इस टेस्ट में मधुमेह के मरीज के रक्त की पिछले तीन माह में ब्लड शुगर को चेक किया जाता है।

इन जांच की रिपोर्ट के आधार पर डॉक्टर मरीज को यथासंभव दवा खाने की सलाह देते हैं। लेकिन केवल दवाइयों और जांच के सहारे मरीज की मधुमेह को ठीक नहीं किया जा सकता। इसके लिए मरीज के जीवन शैली में भी सुधार किया जाता है। विशेष रूप से आहार में अति आवश्यक खाद्य सामग्री को सम्मिलित किया जाता है। आइए इसे विस्तार से समझें।

शुगर में क्या खाना चाहिए? (Sugar Control Food In Hindi)

मधुमेह अर्थात शुगर एक ऐसी बीमारी है जिसमें शरीर में ब्लड शुगर लेवल बढ़ जाता है। रक्त में ग्लूकोज के बढ़ने से होता है। ऐसे में शुगर लेवल को संयमित रखने के लिए और मधुमेह के कारण होने वाली अन्य समस्याओं से निजात पाने के लिए विशेष प्रकार के आहार को रोगी के जीवन चर्या में सम्मिलित किया जाता है। अर्थात मरीज को यह ध्यान रखना होता है कि शुगर में क्या खाना चाहिए और क्या नहीं खाना चाहिए। मरीज को मधुमेह के अंतर्गत दिए जाने वाले घरेलू उपायों में आहार ही सबसे प्रमुख उपचार की पद्धति है।

मरीज को यह जान लेना आवश्यक है कि शुगर में क्या खाना चाहिए और क्या नहीं खाना चाहिए। मधुमेह अनुकूल आहार की चर्चा साबुत अनाज के बिना अधूरी है। दरअसल साबुत अनाज को मधुमेह के उपचार पद्धति में रामबाण इलाज की श्रेणी में रखा जाता है। इसलिए साबुत अनाज को शुगर कम करने के उपाय में सबसे अच्छा घरेलू उपचार माना जाता है।

आइए जाने कि शुगर कम करने के उपाय के अंतर्गत कौन-कौन से साबुत अनाज डायबिटीज के मरीज को खाने चाहिए :

  • ज्वार : स्टार्च युक्त आहार ज्वार को खाने से मरीज का पेट लम्बे समय तक भरा रहता है। परिणामस्वरूप शुगर के मरीज को भूख नहीं लगती जो कि उसके बीमारी का सबसे प्रमुख लक्षण है। मधुमेह के मरीज को स्टार्च के सेवन की सलाह डॉक्टर द्वारा अवश्य दी जाती है। डॉक्टरों के अनुसार शुगर के मरीज की थाली में स्टार्च की मात्रा सबसे अधिक होनी चाहिए। इसमें विटामिन के 1 होता है जो आपकी हड्डियों के विकास में भी सहायक होता है।
  • ओट्स : मधुमेह के रोगी के रक्त में ग्लूकोज की मात्रा को संतुलित करने के लिए जिन आहारों की आवश्यकता होती है उसमें ओट्स को भी शामिल किया जाता है। सरलता से बाजार में उपलब्ध होने वाला और आसानी से खाया जाने वाला ओट्स फाइबर, मैग्नीशियम और प्रोटीन से भरपूर होता है। ब्लड शुगर को संयमित करने में ये तीनों बहुत सहायक होते हैं।
  • बाजरा : साबुत अनाज की सूची में बाजरा एक ऐसा खाद्य पदार्थ है जो फाइबर युक्त आहार का सबसे अच्छा स्रोत है। शुगर के मरीज को पाचन की समस्या होती है। ऐसे में बाजरा में फाइबर कब्ज और पाचन की समस्या से राहत दिलाता है। इसमें आयरन की मात्रा भी बहुत अधिक होती है।
  • रागी : डायबिटीज अर्थात मधुमेह का उपचार तब भी सम्भव है अगर मरीज के शरीर में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा संतुलित रहे। ऐसे में सरसों का जुड़वा भाई ‘रागी’ बहुत लाभकारी होता है। यह कोलेस्ट्रॉल को संयमित कर ब्लड शुगर लेवल सामान्य पर ला देता है।
  • जौ : ब्लड शुगर को कंट्रोल करने का सबसे अच्छा साबुत अनाज जौ है। कारण? इसमें बीटा ग्लूटेन होता है जो मधुमेह के लिए अनुकूल होता है।

इसके अतिरिक्त शुगर के मरीज को निम्नलिखित आहार भी लेना चाहिए :

  • विटामिन सी की शक्ति : विटामिन सी युक्त आहार का सेवन शुगर के मरीजों के लिए अत्यंत लाभकारी होता है। संतरा, नींबू, अंगूर, मौसमी, जामुन आदि का सेवन रोगी के लिए सर्वथा उपयुक्त है। विटामिन सी के अतिरिक्त इस से फाइबर, फोलेट और पोटेशियम भी मिलता है जो मधुमेह को कम करने में मदद करता है।
  • हरी-सब्जी है जरूरी : पालक, मेथी, बथुआ, गोभी, लौकी, करेला और अन्य सभी तरह की पत्तेदार तथा हरी सब्जी खाने से अनेकों बीमारी दूर होती हैं विशेष रूप से मधुमेह को भी कम करने में यह बहुत सहायक होता है। हरी सब्जियों में मरीज को सभी पौष्टिक आहार और कम कैलोरी दोनों मिल जाते हैं।
  • दूध, दही और पनीर : शुगर के मरीज को कैल्शियम और प्रोटीन की आवश्यकता होती है। इसलिए दूध, दही और पनीर को दैनिक आहार में शामिल करने से मधुमेह को नियंत्रित किया जा सकता है। इसके अतिरिक्त दुग्ध पदार्थों का सेवन करने से हड्डियां और मांसपेशियां मजबूत होती हैं।

प्रोटीन है जरूरी : अगर मधुमेह को ध्यान में रखते हुए संतुलित आहार पर बात कर रहे हैं तो शुगर में क्या खाना चाहिए यह चर्चा प्रोटीन युक्त आहार के बिना अधूरी है। अरहर दाल, कुल्थी की दाल आदि का सेवन आपको प्रोटीन के साथ-साथ ओमेगा 3 भी देता है।

शुगर कंट्रोल कैसे करे?

किसी भी मधुमेह के मरीज के लिए सबसे भयानक और आवश्यक प्रश्न यह है कि शुगर कंट्रोल कैसे करे शुगर को कंट्रोल अर्थात कम करने के लिए डॉक्टर के इलाज के साथ-साथ मरीज के जीवन शैली को भी मधुमेह अनुकूल करने की आवश्यकता है। इसका सीधा-सीधा मतलब यह हुआ कि मरीज के खानपान या आहार के अतिरिक्त उसके जीवन को कुछेक नियम के अनुपालन की आवश्यकता है।

आइए जानें की दिनचर्या को सुनियोजित, संयमित और संतुलित कर मरीज शुगर कंट्रोल कैसे करे :

  • अच्छा आहार लेना है जरूरी : दूध, दही, पनीर, करेला, लौकी, बथुआ, मेथी, संतरा आदि का सेवन आपके ब्लड शुगर लेवल को संतुलित करता है। साथ ही आपका पेट भी लम्बे समय तक भरा रहता है जिस कारण भूख नहीं लगती। जो कि मधुमेह के मरीज के लिए एक बड़ी चुनौती है।
  • कसरत और योग : नियमित कसरत और योग करने से शरीर का वजन संतुलित रहता है परिणामस्वरूप इंसुलिन की मात्रा भी सामान्य रहती है।
  • फास्ट-फ़ूड से बचें : बाहर का खाना कम खाएं क्योंकि बाज़ार में मिलने वाला तला हुआ, मसालेदार भोजन आपके ककॉलेस्ट्रो और ब्लड शुगर दोनों को बढ़ा सकता है।
  • चीनी का कम से कम प्रयोग : शुगर के मरीज के लिए शक़्कर का सेवन हानिकारक है। शक़्कर या चीनी मधुमेह के मरीज के लिए ज़हर है।

इन बातों के अनुपालन से मरीज शुगर कंट्रोल कैसे करे यह जान जाता है। जनना ही जागरूकता और सतर्कता का अभिन्न अंग है। जागरूक रहने से शुगर की बीमारी पर नियंत्रण पाया जा सकता है।

निष्कर्ष

ऐसी गलत मान्यता है कि डायबिटीज की बीमारी में मनुष्य के रक्त में उपस्थित ग्लूकोज की असमान्य वृद्धि से शुगर लेवल बढ़ जाता है और उसे शुगर से परहेज करनी होती है। शुगर के मरीज की समस्या जितनी गंभीर होती चली जाती है उसे उतनी ही भिन्न-भिन्न बीमारियां होने लगती है। मधुमेह के कारण मरीज को किडनी, नेत्र रोग और पैरों से संबंधित बीमारियां भी होने लगती है। इसके साथ-साथ शुगर को कंट्रोल करना अर्थात शुगर को कम करना अल्पकालीन प्रक्रिया नहीं है। शुगर की बीमारी को दीर्घकालिक इलाज के माध्यम से ही ठीक किया जा सकता है। यह इलाज जीवन भर चल सकता है। ऐसे में निर्धन और मध्यम वर्गीय परिवारों के लिए इसका इलाज करना आसान नहीं होगा अपितु धन जुटाना भी बहुत मुश्किल होगा। ऐसी परिस्थिति में क्राउडफंडिंग एक अच्छा विकल्प हो सकता है।

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