कार्सिनोमा कैंसर: अर्थ, प्रकार, लक्षण, कारण और संभावित इलाज

इस लेख में कार्सिनोमा कैंसर क्या है, मेलानोमा कैंसर क्या है, कार्सिनोमा और मेलानोमा कैंसर में अंतर, उत्पत्ति के आधार पर उसके प्रकार, विकास के आधार पर उसके प्रकार, प्रकार के आधार पर उनके लक्षण, प्रकार के आधार पर उनके कारण, कार्सिनोमा की जांच, प्रकार के आधार पर उनके उपचार और निष्कर्ष पर विस्तार से प्रकाश डाला गया है।

अगर एक सामान्य मनुष्य से पूछा जाए कि कैंसर के प्रकारों के नाम बताइए तो आम जन का जवाब होगा स्तन कैंसर, फेफड़ों का कैंसर, मुंह का कैंसर, प्रोस्टेट कैंसर आदि-आदि। लेकिन अगर हम आपसे कहें कि कैंसर के प्रकारों के नाम ये नहीं हैं तो? निश्चित ही आपको हैरानी हो रही होगी। जी हाँ, आपने बिलकुल सही पढ़ा कि कैसंर के प्रकार का तरीका जो आप  जानते हैं उसके अलावा भी एक तरीका है जिसकी सहायता से उसे वर्गीकृत किया जाता है।

आम जनमानस में कैंसर को लेकर यह भ्रम है कि कर्क रोग के प्रकार को अंग विशेष के आधार पर वर्गीकृत किया जाता है। उदाहरण के तौर पर फेफड़ों का कैंसर, स्तन कैंसर आदि-आदि। कर्क रोग के प्रकार को तय करने का यह एक तरीका हो सकता है लेकिन इसके अलावा भी कर्क रोग के प्रकार की परिभाषा और रूपरेखा तय की जा सकती है। वैज्ञानिकों ने कर्क प्रकार को उनकी उत्पत्ति वाले टिश्यू के आधार पर वर्गीकृत करने का आग्रह किया है।

टिश्यू के आधार पर कैंसर के प्रकार निम्नलिखित है :

  • कार्सिनोमा : जिसकी उत्पत्ति एपिथेलियल टिश्यू में होती है।
  • मेलानोमा :  बोन मैरो के भीतर प्लाज्मा सेल में होने वाला कर्क रोग।
  • ल्यूकेमिया : ब्लड सेल वाले बोन मैरो में होने वाला कर्क रोग।
  • लिंफोमा : लिंफ, नोड आदि में होने वाला कर्क रोग।
  • सारकोमा : मांसपेशी, बोन आदि में होने वाला कर्क रोग।
  • मिश्रित : एक से अधिक टिश्यू में होने वाला कर्क रोग।

कार्सिनोमा कैंसर क्या है?

Malignant Meaning In Hindi

कार्सिनोमा कैंसर कर्क रोग का वह प्रकार है जिसकी उत्पत्ति मानव शरीर के एपिथेलियल टिश्यू पर होती है। यह टिश्यू शरीर के अंग, आंतरिक मार्ग और त्वचा से संबंधित है। आज के युग में सबसे प्रचलित कैंसर बन चुका है। यह देखने में एक ट्यूमर की तरह होता है जो त्वचा के अतिरिक्त फेफड़ों, स्तन, प्रोस्टेट, किडनी आदि पर भी बनता है।

मेलानोमा कैंसर क्या है?

मेलानोमा कर्क रोग का वह प्रकार है जिसकी उत्पत्ति त्वचा पर होती है। अर्थात यह एक प्रकार का स्किन कैंसर है। मेलानोमा कैंसर की उत्पत्ति मेलानोसाइट्स में होती है। मेलानोसाइट्स एक सेल है जो पिगमेंट बनाता है। इस पिगमेंट की सहायता से त्वचा को उसका रंग प्राप्त होता है। इस पिगमेंट को ही मेलेनिन के नाम से जाना जाता है। अमूमन यह देखा गया है कि धूप में अधिक समय तक रहने वाली त्वचा पर ही मेलानोमा कैंसर की उत्पत्ति होती है।

कार्सिनोमा और मेलानोमा कैंसर में अंतर

दोनों ही स्किन कैंसर के प्रकार है लेकिन प्रमुख रूप से उत्पत्ति में भेद होने के कारण दोनों अलग-अलग हैं। इनमें क्या अंतर है इसे निम्न बिंदुओं के माध्यम से समझाया गया है :

  • उत्पत्ति का अंतर : कार्सिनोमा कैंसर की उत्पत्ति एपिथेलियल टिश्यू में होती है जो फेफड़ों, स्तन, किडनी आदि में होता है लेकिन मेलानोमा कैंसर की उत्पत्ति त्वचा के मेलानोसाइट्स में होती है। मेलानोसाइट्स ही मेलेनिन नामक पिगमेंट बनाता है जिसकी सहायता से त्वचा को रंग प्राप्त होता है।
  • संरचना का अंतर : कार्सिनोमा कैंसर देखने में ट्यूमर की तरह होता है लेकिन मेलानोमा कैंसर की संरचना मसे की तरह होती है।
  • मरीजों की संख्या का अंतर : कार्सिनोमा सबसे आम और प्रचलित कर्क रोग है। वहीं मेलानोमा कैंसर इतना दुर्लभ है कि इससे पीड़ित मरीजों की संख्या बहुत कम होती है।
  • स्थान का अंतर : कार्सिनोमा एपिडर्मिस की ऊपरी और निचली सतह पर पाया जाता है लेकिन मेलानोमा एपिडर्मिस के अंदरूनी भाग में पाया जाता है।
  • विस्तार का अंतर : कार्सिनोमा केवल वहां तक सीमित रहता है जहां उसकी उत्पत्ति हुई है लेकिन मेलानोमा शरीर में कहीं पर भी हो सकता है।
  • घातक होने का अंतर : कार्सिनोमा की तुलना में मेलानोमा कर्क रोग का सबसे घातक प्रकार है।

उत्पत्ति स्थान के आधार पर प्रकार

आइए निम्न बिंदुओं के माध्यम से कार्सिनोमा के प्रकार को विस्तारपूर्वक जानें :

  • एडेनोकार्सिनोमा : इस प्रकार के कार्सिनोमा की उत्पत्ति ग्लैंडुलर एपिथेलियल सेल में होती है। म्यूकस और पाचन संबंधी रस इसी ग्लैंडुलर एपिथेलियल सेल से निर्मित होते हैं। पैंक्रियाटिक कैंसर, स्तन कैंसर आदि सभी इसी श्रेणी में आते हैं।
  • डक्टल कार्सिनोमा इन सीटू : इसका सूक्ष्म नाम(शॉर्ट फॉर्म) डीसीआईएस है। स्तन के डक्ट्स लाइन में इसकी उत्पत्ति होती है। यह स्तन कैंसर की श्रेणी में पहले स्थान पर रखा जाता है। कार्सिनोमा का एक प्रकार होने के कारण यह स्तन के अलावा कहीं भी अपना विस्तार नहीं करता अर्थात यह स्तन तक ही सीमित रहता है। आश्चर्य की बात यह है कि डीसीआईएस कोई लक्षण प्रदर्शित नहीं करता।
  • इनवेसिव डक्टल कार्सिनोमा : इसका शॉर्ट फॉर्म आईडीसी है। इनवेसिव डक्टल कार्सिनोमा स्तन कैंसर का वह प्रकार है जिसकी उत्पत्ति स्तन के नलिकाओं की परत में होती है। चूंकि इसके नाम में इनवेसिव शब्द जुड़ा है इसलिए यह स्तन के अतिरिक्त उसकी टिश्यू और लिंफ नॉड्स में भी अपना व्यापक विस्तार कर लेता है।
  • बेसल सेल कार्सिनोमा : त्वचा की सबसे बाहरी परत एपिडर्मिस में इसकी उत्पत्ति होती है। यह तभी होता है जब कोई अंग लंबे समय तक धूप में रहे। चेहरा ही शरीर का वह अंग है जो धूप के संपर्क में बहुत अधिक आता है। इसमें त्वचा पर लाल धब्बे हो जाते हैं। इसका शॉर्ट फॉर्म बीसीसी है।
  • स्कैमस सेल कार्सिनोमा : एपिडर्मिस की ऊपरी परत में इसकी उत्पत्ति होती है। एससीसी के नाम से प्रचलित यह कर्क रोग शरीर के बाहरी और भीतरी दोनों प्रकार के अंगों में हो सकता है। अर्थात मुख, हाथ, पैर, गर्दन आदि में भी हो सकता है साथ ही फेफड़ों, गर्दन आदि के म्यूकस मेम्ब्रेन में भी हो सकता है।
  • रीनल सेल कार्सिनोमा : किडनी कैंसर का वह प्रकार जिसकी उत्पत्ति  किडनी के भीतर ट्युब्यूल लाइनिंग में होती है। ट्युब्यूल लाइनिंग की सहायता से किडनी ट्यूब और ब्लड को फिल्टर प्रदान करता है। साथ ही यह शरीर में पेशाब के बनने में भी मदद करता है।

विकास के आधार पर उसके प्रकार

उत्पत्ति के आधार पर होने वाले प्रकारों के अतिरिक्त कार्सिनोमा के प्रकारों के वर्गीकरण का एक और तरीका है। दरअसल कार्सिनोमा शरीर में शीघ्र प्रक्रिया के माध्यम से व्यापक विस्तार विकसित और समृद्ध होते हैं। कार्सिनोमा के सेल अपनी वृद्धि के उपरान्त अपने आप को बहुत सारे सेल के रूप में बढ़ोत्तरी करते हैं। बढ़ोत्तरी की इस प्रक्रिया को मेडिकल टर्मिनोलॉजी में मेटा-स्टेटा-साइज कहते हैं। अर्थात कार्सिनोमा के सेल कितने विकसित हो चुके हैं इसके आधार पर भी उसके प्रकार को तय किया गया है।

आइए जानें कि सेल के विकास के आधार कितने प्रकार हैं :

  • कार्सिनोमा इन सीटू : इसका अर्थ यह हुआ कि कार्सिनोमा ने अभी तक शरीर में अपना व्यापक विस्तार नहीं किया है। इसे आप प्राथमिक या आरम्भिक चरण भी कह सकते हैं। यानी ये कार्सिनोमा अपने उत्पत्ति वाले स्थान तक ही सीमित है। अपने उत्पत्ति स्थान तक सीमित रहने के कारण इस कार्सिनोमा की प्रवृत्ति नॉन-इनवेज़िव होती है।
  • इनवेज़िव कार्सिनोमा : उक्त टिश्यू जो कि कर्क रोग का उत्पत्ति टिश्यू भी है, उसके अतिरिक्त कार्सिनोमा अब आस-पास के टिश्यू में भी अपना विस्तार कर चुका है। हालांकि यह आवश्यक नहीं कि इस प्रकार के कार्सिनोमा पूरे शरीर में अपना विस्तार करे।
  • मेटास्टेटिक कार्सिनोमा : इसका अर्थ यह हुआ कि कार्सिनोमा अपने उत्पत्ति वाले स्थान और आस-पास वाले स्थान के अलावा अब व्यापक स्तर पर विस्तार कर चुका है। हालंकि इस स्तर पर पहुँचने वाले कार्सिनोमा अत्यधिक इनवेज़िव होते हैं।

प्रकार के आधार पर उनके लक्षण

कार्सिनोमा के लक्षण उसके प्रकार पर निर्भर करते हैं। यानी हर प्रकार का लक्षण अलग-अलग है क्योंकि सभी की उत्पत्ति भी अलग-अलग है। आइए जानें कार्सिनोमा के विभिन्न प्रकारों के लक्षण।

एडेनोकार्सिनोमा के लक्षण :

  • स्तन में गांठ का निर्माण
  • निप्पल से रिसाव
  • सांस लेने में परेशानी का सामना करना
  • बार-बार खांसी आना
  • बलगम के साथ खून आना
  • भूख कम लगना
  • अकारण वजन घटना,
  • पेट में दर्द
  • अपच की समस्या
  • पेशाब के रंग में परिवर्तन

डक्टल कार्सिनोमा इन सीटू के लक्षण : डीसीआईएस का मरीज कोई लक्षण प्रदर्शित नहीं करता इसलिए इसकी पहचान करने के लिए डॉक्टर कुछ टेस्ट की सलाह देते हैं जैसे मैमोग्राफी स्क्रीनिंग जिसकी सहायता से इसकी जांच आसानी से हो सकती है।

इनवेसिव डक्टल कार्सिनोमा के लक्षण :

  • स्तन के आस-पास की त्वचा पर गड्ढे(डिंपल) पड़ना
  • स्तन के आस-पास की त्वचा में सूजन जैसा मोटापा
  • एक अथवा दोनों स्तनों पर दानें पड़ना
  • किसी एक स्तन का आकार दूसरे की तुलना में बढ़ जाना
  • निप्पल का अंदर की ओर धंस जाना
  • स्तन में बेचैनी की अनुभूति होना

बेसल सेल कार्सिनोमा के लक्षण :

  • गहरे लाल रंग के धब्बे
  • खुले हुए घाव बन जाना
  • घाव में उभार होना
  • शरीर की त्वचा में गुलाबी रंग का उभार

स्कैमस सेल कार्सिनोमा के लक्षण :

  • मसे जैसा ट्यूमर बन जाना
  • शीघ्र वृद्धि की प्रवृत्ति वाला ट्यूमर
  • त्वचा पर पपड़ी बनना
  • त्वचा पर गहरे रंग के धब्बे बनना
  • घाव बनना

रीनल सेल कार्सिनोमा के लक्षण :

  • भूख कम लगना
  • अकारण वजन घटना
  • शरीर के एक भाग में गांठ बनना
  • पेट में गांठ बनना
  • शरीर में रक्त की कमी
  • पेशाब के साथ रक्त का रिसाव

प्रकार के आधार पर उनके कारण

कार्सिनोमा के कारण उसके प्रकारों के अनुसार अलग-अलग है। इसलिए उसके सामान्य कारण नहीं है। हालांकि वैज्ञानिकों को इसके सटीक कारणों की जानकारी अभी भी प्राप्त नहीं हुई है लेकिन कुछ हद तक कारकों का पता लग चुका है। आइए निम्न बिंदुओं के माध्यम से जानें कार्सिनोमा के विभिन्न प्रकारों के अलग-अलग कारण।

एडेनोकार्सिनोमा का कारण :

  • धूम्रपान के कारण
  • मदिरापान या शराब के सेवन के कारण
  • पूर्व या अतीत में हुई रेडिएशन थेरेपी के कारण
  • हानिकारक पदार्थों के सम्पर्क में आने के कारण

डक्टल कार्सिनोमा इन सीटू का कारण :

  • स्तन कैंसर का पारिवारिक इतिहास
  • बहुत अधिक वजन बढ़ना
  • कम उम्र में माहवारी आना
  • मीनोपॉज आना
  • अतीत में रेडिएशन थेरेपी कराने के कारण

इनवेसिव डक्टल कार्सिनोमा का कारण : चूंकि यह भी एक प्रकार का स्तन कैंसर है इसलिए इसके कारण भी वही हैं जो डक्टल कार्सिनोमा इन सीटू के हैं।

बेसल सेल कार्सिनोमा का कारण :

  • यूवी यानी अल्ट्रा वॉइलेट रेडिएशन के संपर्क में आने के कारण
  • सांवली त्वचा होने के कारण
  • नीली या हरी आँखों होने के कारण
  • हानिकारक पदार्थों के सम्पर्क में आने के कारण
  • पूर्व या अतीत में हुई रेडिएशन थेरेपी के कारण
  • इंफेक्शन के कारण

स्कैमस सेल कार्सिनोमा का कारण : बेसल और स्कैमस के कारण एक समान है यानी इनके कारकों में कोई अंतर नहीं है।

कार्सिनोमा की जांच

इलाज के पूर्व डॉक्टर के द्वारा कार्सिनोमा की जांच अति आवश्यक है। जांच या परीक्षण के लिए कुछ टेस्ट विशेषज्ञों द्वारा सुझाए जाते हैं जिससे न केवल कार्सिनोमा के प्रकार का पता चलता है अपितु उसके विकास की भी सही जानकारी प्राप्त होती है।

कार्सिनोमा की जांच के लिए इन टेस्ट की सलाह आपके डॉक्टर द्वारा दी जा सकती है :

  • ब्लड टेस्ट या रक्त परीक्षण
  • फुल बॉडी चेकअप
  • बायोप्सी
  • इमेजिंग टेस्ट

प्रकार के आधार पर उनके उपचार

कार्सिनोमा का उपचार उसके प्रकार पर निर्भर करता है। चूंकि इसके प्रत्येक प्रकार का लक्षण और उत्पत्ति अलग-अलग है इसलिए इन सभी का इलाज भी अलग-अलग है।

एडेनोकार्सिनोमा का इलाज :

  • सर्जरी
  • हार्मोनल थेरेपी
  • रेडिएशन थेरेपी
  • कीमोथेरेपी
  • इम्यूनोथेरेपी

डक्टल कार्सिनोमा इन सीटू का इलाज :

  • सर्जरी तथा इसके साथ हार्मोनल थेरेपी
  • रेडिएशन थेरेपी तथा इसके साथ लम्पेक्टोमी
  • मस्टेक्टोमी
  • लम्पेक्टोमी

इनवेसिव डक्टल कार्सिनोमा का इलाज :

  • मस्टेक्टोमी
  • लम्पेक्टोमी
  • रेडिएशन थेरेपी
  • हार्मोनल थेरेपी
  • कीमोथेरेपी
  • बायोलॉजिकली टार्गेटेड थेरेपी

बेसल सेल कार्सिनोमा का इलाज :

  • कीमोथेरेपी
  • इम्यूनोथेरेपी
  • सर्जरी
  • केमिकल पील
  • फोकस्ड थेरेपी
  • फोटोडायनेमिक थेरेपी

स्कैमस सेल कार्सिनोमा का इलाज :

  • रेडिएशन थेरेपी
  • क्रायोसर्जरी
  • एक्सीजन
  • इलेक्ट्रोडेसिकेशन
  • मोज़सर्जरी

रीनल सेल कार्सिनोमा का इलाज :

  • सर्जरी
  • रेडिएशन थेरेपी
  • कीमोथेरेपी
  • इम्यूनोथेरेपी
  • हार्मोनल थेरेपी

निष्कर्ष

कार्सिनोमा कैंसर कर्क रोग का वह प्रकार है जिसकी उत्पत्ति एपिथेलियल टिश्यू में होती है। उत्पत्ति और विकास के आधार पर इसके प्रकारों को तय किया जाता है। इसके लक्षण, कारण और इलाज विभिन्न प्रकारों के आधार पर भिन्न-भिन्न हैं। इलाज के पूर्व कार्सिनोमा के प्रकार और उसके विकास को समझना भी जरूरी है। इसलिए डॉक्टर द्वारा मरीज को कुछ टेस्ट की सलाह दी जाती है। इन टेस्ट या परीक्षण में आए परिणाम के अनुसार ही इलाज का मार्ग प्रशस्त किया जाता है।

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चेतावनी : इस ब्लॉग में उल्लेखित जानकारी केवल संदर्भ(रेफरेंस) के लिए है। अगर आपको या आपके चित परिचित को इस विषय में अधिक और सटीक जानकारी प्राप्त करनी हो तो इसका पुष्टिकरण व परामर्श कर्क रोग के विशेषज्ञ द्वारा ही किया जा सकता है।

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