सर से लेकर पाँव तक, आदमी टिप-टॉप रहना चाहता है। वह सुंदर दिखने के लिए अच्छे से अच्छा पहनावा, चश्मा, घड़ी आदि को प्रयोग में लाता है। फैशन में चल रहे ट्रेंड को फॉलो करता है। इसी कड़ी में वो जूते, सैंडल आदि किस प्रकार के पहने, इस पर भी ध्यान देता है। जूता आदमी का फैशन, शान और पहचान बन चुका है। लेकिन जूते अगर सही नाप के न हो तो क्या होगा? तो ये होगा कि आपके पैर में गोखरू हो जाएगा। त्वचा रोग का एक प्रकार गोखरू आपके पैर में होने वाली एक आम समस्या है लेकिन अगर समय रहते इसका उपचार नहीं हुआ तो हालत गंभीर हो सकती है।
आज के इस लेख में गोखरू क्या होता है, गोखरू का दूसरा नाम क्या है, कॉर्न और कैलस में क्या अंतर है, गोखरू क्यों होता है, गोखरू की पहचान क्या है, गोखरू होने के क्या कारण होते हैं, गोखरू से छुटकारा पाने का सबसे तेज़ तरीका क्या है, गोखरू की सर्जरी में कितना समय लगता है, क्या बिना सर्जरी के गोखरू ठीक किया जा सकता है, पैर में गोखरू का घरेलू इलाज और निष्कर्ष पर विस्तार से प्रकाश डाला गया है।
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Table of Contents
- गोखरू क्या होता है?
- गोखरू का दूसरा नाम क्या है?
- कॉर्न और कैलस में क्या अंतर है?
- गोखरू क्यों होता है?
- गोखरू की पहचान क्या है?
- गोखरू होने के क्या कारण होते हैं?
- गोखरू से छुटकारा पाने का सबसे तेज़ तरीका क्या है?
- गोखरू की सर्जरी में कितना समय लगता है?
- क्या बिना सर्जरी के गोखरू ठीक किया जा सकता है?
- पैर में गोखरू का घरेलू इलाज
- निष्कर्ष
गोखरू क्या होता है?

पैर की अंगुली में होने वाला एक कठोर उभार गोखरू के नाम से जाना जाता है। ये कठोर उभार त्वचा की अनेक नई परतों के सहयोग से मिलकर बना है। ये सभी प्रकार के त्वचा रोगों में होने वाला सबसे आम और प्रचलित बीमारी है। अधिकांश मामलों में ये गंभीर रूप धारण नहीं करता। साथ ही जिस व्यक्ति के पैर में गोखरू हो उसे प्रारंभिक अवस्था में असहनीय पीड़ा या दर्द की भी शिकायत नहीं रहती।
गोखरू का दूसरा नाम क्या है?
पैर में गोखरू को फुट कॉर्न के नाम से भी जाना जाता है। पैर में मकई के आकार की गांठ होने के चलते इसे अंग्रेजी में कॉर्न कहते हैं। जनमानस की आम भाषा में इसे गांठ भी कहते हैं।
कॉर्न और कैलस में क्या अंतर है?
फुट कॉर्न या गोखरू छोटे आकार की गांठ है जो पैर की उंगलियों के प्रेशर पॉइंट, अँगुलियों के बीच और एड़ी पर पर होते हैं। कैलस केवल प्रेशर पॉइंट्स पर ही होते हैं। गोखरू के उभार कठोर, ठोस और जड्ड होते हैं वहीं कैलस के उभार मुलायम होते हैं। गोखरू में व्यक्ति को असहनीय पीड़ा नहीं होती है लेकिन कैलस में बने उभार पीड़ादायक होते हैं अर्थात उन्हें छूने से या दबाने से दर्द होता है।
गोखरू क्यों होता है?
टाइट और नुकीले मुंह वाले जूते तथा ऊँची एड़ी वाली सैंडल(हाई हील) को लंबे समय तक पहनने से गोखरू होता है। जब व्यक्ति के पैर में घर्षण या किसी प्रकार का दबाव बने तो ऐसे में पैर की त्वचा की हानि होती है। इस घर्षण के विरोध में पैर की अंगुली में त्वचा की अनेक नई परतें बनने लगती है। देखने में ये एक विशेष प्रकार की गांठ ही है जो कि त्वचा की नई परतों को निर्मित करने के चलते बनी है और इससे घबराने की आवश्यकता नहीं है।
आइए जानते हैं कि गोखरू क्यों होता है:
- टाइट जूते में पंजे फंसे रहने के चलते
- नुकीले मुंह वाले जूते और सैंडल पहनने से
- ऐसे जूते या सैंडल जिसमें व्यक्ति के पंजे असहज हो
- हाई हील वाली सैंडल के चलते
- गलत प्रकार के जूते या सैंडल के प्रयोग से
- बहुत देर तक जूता पहनने पर
गोखरू की पहचान क्या है?
आइए विस्तार से जानें गोखरू के लक्षण जो कि निम्नलिखित हैं:
- उभार : फुटवियर या अन्य कारणों से जब पैर की अंगुली पर घर्षण होने लगे तो त्वचा की नयी परतें एक ही स्थान पर निर्मित होने लगती हैं और फलस्वरूप अंगुली में उभार देखने को मिलता है। इस उभार की प्रवृत्ति सामान्य त्वचा की तुलना में कठोर होती है।
- कठोर त्वचा : घर्षण और दबाव के विरोध में जब त्वचा अनेक नयी परतें निर्मित कर देती है तो वे सामान्य त्वचा की भांति रेशम जैसी मुलायम नहीं होती अपितु कठोर, ठोस और जड्ड होती हैं। उन्हें स्पर्श करने पर किसी पत्थर या पठार की अनुभूति होती है। ये कठोर, ठोस और जड्ड त्वचा अंगुली के उस स्थान पर होती है जिसके ठीक ऊपर नाखून होता है। पेअर की उंगलियों के जिस स्थान पर गोखरू की कठोर त्वचा के लक्षण दिखाई देते हैं उसे ‘प्रेशर पॉइंट’ कहते हैं।
- सूजन : ये एक प्रकार की सूजन ही है। इस सूजी हुई परत की भीतरी संरचना में असहनीय पीड़ा छिपी हुई रहती है। इसका स्पर्श किसी नरम, मुलायम गद्दे की अनुभूति देता है। मूलतः ये सूजन का आकार मकाई(मक्के अथवा कॉर्न) की तरह होता है इसलिए इसका एक अन्य नाम ‘फुट कॉर्न’ भी है।
- संरचना में परिवर्तन : पैर की सबसे बड़ी अंगुली सीधी रहने के स्थान पर टेढ़ी होने लगती है। वह ढीली नहीं होती लेकिन अपने असल स्थान से मूढ़ते हुए एक कोण बनाने लगती है। अत्यधिक दबाव के चलते जब अंगुली टेढ़ी हो जाती है।
- सीमित गतिविधि : उभार, दर्द के चलते संभव है कि पैरों की गतिविधि या क्रियाकलाप सीमित हो जाती है। चलना-फिरना, दौड़ना, खड़े रहना आदि काम करने में कठिनाई का सामना करना पड़ता है।
- असहनीय पीड़ा : हालांकि गोखरू में व्यक्ति को प्रारंभिक अवस्था में पैदा का सामना नहीं करना पड़ता। ये कठोर उभार इतने भी कठोर नहीं होते कि हल्के स्पर्श को भी झेल न सकें किन्तु गंभीर अवस्था में ये उभार दर्द या पीड़ा प्रदत्त कर सकते हैं। ये कठोर उभार जिसे कॉर्न कहते हैं, इनका नोकीला भाग त्वचा के भीतर चला जाता है और तंत्रिकाओं से छूने लगता है जिस कारण दर्द या असहनीय पीड़ा होने लगती है। अर्थात इन उभार को दबाने पर दर्द हो सकता है। हालांकि अंगुलियों के बीच में होने वाले उभार मुलायम होते हैं तथा उन्हें दबाने से दर्द नहीं होता। वहीं पैर की एड़ी के उभार दबाने पर दर्द करते हैं।
- रूखी-सूखी त्वचा : चूंकि गोखरू एक त्वचा संबंधी रोग है इसलिए त्वचा पर बाहरी लक्षण अवश्य प्रदर्शित होते हैं। पीड़ित व्यक्ति के पैर की त्वचा रूखी-सूखी होती है। अर्थात इतनी खुरदुरी कि नाखून चलाने पर सफेद दाग बन जाता है। तरोताज़ा और उमंग से भरी हुयी रहने के स्थान पर त्वचा बहुत बेजान सी लगती है।
गोखरू होने के क्या कारण होते हैं?
आइए विस्तार से जानें गोखरू होने के क्या कारण होते हैं:
- घर्षण या दबाव के कारण : जब व्यक्ति के पैर में जूते, सैंडल आदि पहनने से घर्षण होने लगता है तो त्वचा की हानि होने लगती है। इस हानि को रोकने के लिए त्वचा नई परतें अत्यधिक मात्रा में निर्मित करने लगती हैं।
- लंबे समय तक जूते या सैंडल पहनने के कारण : जूते या सैंडल में पंजे फंसे रहते हैं जिस कारण उनकी चाल या गतिविधि में बाधा आने लगती है। साथ ही हवा न लगने के चलते पसीना भी आने लगता है। लगातार जूते या सैंडल पहनने के चलते ये सभी समस्याएं आगे चलकर गोखरू का रूप धारण कर लेती है।
- गलत माप का फुटवियर : अगर व्यक्ति के जूते या सैंडल सही नाप के नहीं हो तो भी पंजे उसमें फंसे रहते हैं जो आगे चलकर फुट कॉर्न या गोखरू का रूप ले लेते हैं। हालांकि पैर की सभी उंगलियां गलत नाप के चलते असहज नहीं होती क्योंकि सभी का आकार अलग है। विशेष रूप से पैर की सबसे बड़ी अंगुली पर सबसे अधिक दबाव या घर्षण होता है। इसके अलावा आपकी एड़ी पर भी घर्षण और दबाव की अनुभूति होती है।
- ऊँची एड़ी का फुटवियर : हाई सोल वाला जूता, हाई हील वाली सैंडल आदि सभी ऊँची एड़ी वाले फुटवियर में भी पैर कसा हुआ या फंसा हुआ रहता है जो आगे चलकर बहुत सारी परेशानियों का कारण बनता है जिसमें एक गोखरू भी है।
- मोज़े नहीं पहनने के कारण : अगर व्यक्ति मोज़े नहीं पहने तो गोखरू की समस्या होने की संभावना बहुत बढ़ जाती है। मोज़े पाँव की अंगुली और एड़ी को फुटवियर के घर्षण और दबाव से सुरक्षा प्रदान करते हैं। इसलिए फुटवियर के साथ मोज़े भी पहनने की सलाह दी जाती है।
- रूमेटाइड आर्थराइटिस के कारण : हड्डियों और जोड़ों में होने वाला रोग जिसे क्रोनिक इंफ्लेमेटरी डिसऑर्डर की श्रेणी में रखा जाता है। इस हड्डी रोग में व्यक्ति द्वारा प्रदर्शित होने वाले लक्षण जैसे जलन, सूजन आदि गोखरू के लक्षण से मिलते-जुलते हैं।
- पारिवारिक इतिहास के कारण : गोखरू परिवार की नयी पीढ़ी को पुरानी पीढ़ी द्वारा विरासत में मिल सकती है अर्थात परिवार के पुराने सदस्यों से नए सदस्यों में ट्रांसफर हो सकती है। हालांकि ये इतनी आम बीमारी है कि बिना अनुवांशिक कारणों के भी लोगों को हो सकती है और पारिवारिक इतिहास के चलते व्यक्ति को गोखरू हो जाए ऐसे मामले बहुत कम देखने को मिलते हैं।
गोखरू से छुटकारा पाने का सबसे तेज़ तरीका क्या है?
अगर किसी व्यक्ति को गोखरू की बीमारी है तो उस पैर में(जिस पैर में गोखरू हुआ है) बर्फ की पट्टी का सेक करने से तुरंत आराम मिल जाता है। ये प्रक्रिया प्रतिदिन करने से व्यक्ति को इस बीमारी से छुटकारा भी मिल जाता है।
गोखरू की सर्जरी में कितना समय लगता है?
बूनियन या गोखरू की सर्जरी में तीन घंटे या उससे कम समय लगता है अर्थात ऑपरेशन पूर्व और पश्चात की तैयारी में लगने वाला समय 90 मिनट या उससे भी कम समय लगता है। सर्जरी के बाद रिकवरी के लिए 6-8 सप्ताह का समय लग सकता है। इस बीच कोई वाहन न चलाने की सलाह दी जाती है।
क्या बिना सर्जरी के गोखरू ठीक किया जा सकता है?
हाँ, गोखरू के दर्द को ठीक करने के लिए ऐसे विकल्प भी हैं जिसमें बिना सर्जरी या चीर-फाड़ के मरीज की बीमारी छूमंतर हो जाती है।
पैर में गोखरू का घरेलू इलाज
जैसा कि विदित है कॉर्न या गोखरू में बिना सर्जरी के उपचार की पद्धतियां उपलब्ध हैं। एक अच्छी बात ये भी है कि गोखरू का घरेलू इलाज भी है। निश्चित ही इन घरेलू उपायों की प्रक्रिया बिना दर्द के गोखरू को ठीक कर देती है लेकिन उसके लिए कठोर, ठोस और जड्ड उभार को मुलायम बनाना होता है तभी इलाज कारगर होगा।
आइए विस्तार से जानें पैर में गोखरू का घरेलू इलाज जो कि निम्नलिखित है:
- गर्म पानी की सेंक : गुनगुना पानी शरीर की त्वचा को मुलायम कर देता है। दरअसल गोखरू में अनेक परतें मिलकर एक कठोर उभार बनाती हैं जिसे नाखून से कुरेदना सही नहीं होगा। इसलिए गुनगुने पानी में गोखरू वाले पैर डुबोकर रखें। त्वचा स्वतः मुलायम हो जाएगी। अब आप किसी स्क्रब से इसे घिस दे। लीजिये आपकी समस्या का समाधान चुटकी बजाते हो गया।
- बर्फ से सिकाई : जिस प्रकार गर्म पानी में पैर डुबोने का लाभ यह होता है कि त्वचा मुलायम हो जाती है। उसी प्रकार बर्फ से गोखरू वाले पैर की सिकाई करने पर दर्द और जलन कम हो जाता है। दरअसल घर्षण के चलते पैर में असहनीय पीड़ा और जलन होना स्वाभाविक है। इसलिए बर्फ की सिकाई त्वचा के इस कष्ट को चुटकी में दूर कर देती है। साथ ही दर्द और जलन के चलते अगर त्वचा लाल हो गई है तो उससे भी राहत प्रदान करता है।
- समय पर नाखून काटे : अगर व्यक्ति के नाखून लंबे हो रहे हैं तो जूते या सैंडल अथवा कोई भी फुटवेयर पहनने पर ये नाखून मुड़ सकते हैं और पैर के प्रेशर पॉइंट्स पर कठोर, ठोस उभार बना सकते हैं। इसलिए एक निश्चित अंतराल पर नाखून काटते रहें।
- सरसों तेल लगाएं : अगर आप अपनी त्वचा को गोखरू या किसी भी प्रकार के त्वचा रोग से बचाना चाहते हैं तो सरसों तेल अवश्य लगाना चाहिए। ये त्वचा को उसके आवश्यक पोषक तत्व प्रदान करता है।
- ऊँची एड़ी वाले फुटवियर से बचें : लंबे समय तक ऐसी फुटवियर पहनने से गोखरू की समस्या हो सकती है इसलिए अगर आवयश्कता न हो तो लंबे समय तक लगातार ऊँची एड़ी वाले फुटवियर पहनने से बचें।
- टाइट, छोटे नाप के फुटवियर से बचें : अगर आप वयस्क हैं तो आपके पैर का आकार अब बढ़ने नहीं वाला इसलिए बहुत टाइट फुटवियर पहनने से बचें। जूते भी लंबे समय तक ना पहने। नुकीले मुंह वाले फुटवियर भी पांव की त्वचा के लिए नुकसानदायक होते हैं।
- मोज़े पहने : चाहे जैसा भी फुटवियर हो जूता, सैंडल आदि मोज़े पहनने का प्रयास अवश्य करें। फुटवियर और पैर की त्वचा के बीच मोजा सुरक्षा कवच की तरह काम करता है। अगर व्यक्ति मोजा न पहने तो निश्चित ही घर्षण और दबाव के चलते त्वचा की हानि हो सकती है।
निष्कर्ष
गोखरू एक ऐसा त्वचा रोग है जो सबसे आम, प्रचलित रोग है। प्रारंभिक अवस्था में इस रोग से घबराने की आवश्यकता नहीं है। इस रोग में व्यक्ति के पैर की उंगलियों के बीच, प्रेशर पॉइंट्स और एड़ी में कठोर उभार आ जाते हैं। साथ ही सूजन की भी समस्या हो सकती है। लंबे समय तक जूते पहनने के कारण इस समस्या का सामना करना पड़ सकता है। बिना सर्जरी के भी इसका इलाज संभव है। आप चाहें तो घरेलू उपाय से भी इसे ठीक कर सकते हैं।
गोखरू भले ही एक आम बीमारी हो लेकिन ऐसी भी अनेक गंभीर, घातक बीमारियां हैं जो आपको या आपके चित-परिचित को भविष्य में हो सकती है। उसके टेस्ट और इलाज में होने वाला खर्च आपके लिए वहन कर पाना कठिन हो सकता है। ऐसे में क्राउडफंडिंग एक अच्छा विकल्प हो सकता है। ये आपको ऐसे लोगों से जोड़ता है जो कठिन समय में आपकी मदद कर सकते हैं।