अगर आप से पूछा जाए कि अपेंडिक्स क्या होता है तो आप क्या जवाब देंगे? अपेंडिसाइटिस अपेंडिक्स में होने वाली सूजन है जो बैक्टीरिया, पैरासाइट्स या किसी भी प्रकार के बाहरी तत्व से हो सकता है। संसाधन की कमी, सरकार की अनदेखी और जानकारी के अभाव में आम जनमानस को अपेंडिक्स का मतलब नहीं पता है। इसके अलावा अपेंडिक्स के लक्षण के बारे में अधूरी और गलत जानकारी है। अपेंडिक्स का मतलब लोगों को तभी पता चल सकता है जब उन्हें अपेंडिक्स क्या होता है के बारे में बताया जाए। साथ ही लोगों को जागरूकता और सतर्कता के अंतर्गत इसकी भी जानकारी देनी होगी अपेंडिक्स कैसे होता है।
अपेंडिक्स का मतलब एक थैलीनुमा ट्यूब है। इसका एक अन्य नाम ल्यूमेन है। इसका मुख्य कार्य अच्छे बैक्टीरिया का संचय है। देखने में किसी लंबे मुलायम कीड़े की तरह होता है। ये आकार में एक अंगुली के बराबर होता है और इसकी लंबाई तीन से चार इंच की होती है। अपेंडिक्स का मतलब वह पाचन तंत्र अंग है जो पाचन में विशेष भूमिका निभाते हुए भी महत्वपूर्ण अंग की उपाधि प्राप्त करता है।
इस लेख में अपेंडिक्स का मतलब, अपेंडिक्स क्या होता है, अपेंडिक्स का काम क्या होता है, अपेंडिक्स कहाँ होता है, अपेंडिक्स किस साइड होता है, अपेंडिक्स की बीमारी, अपेंडिक्स कैसे होता है, अपेंडिक्स कैसे पता चलता है, अपेंडिक्स के लक्षण, अपेंडिक्स के कारण, अपेंडिक्स का इलाज और निष्कर्ष पर विस्तार से चर्चा की गयी है ताकि इस गंभीर बीमारी को लेकर लोगों में जागरूकता और सतर्कता दोनों फैले।
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Table of Contents
- अपेंडिक्स का मतलब (Appendix Meaning In Hindi)
- अपेंडिक्स क्या होता है?
- अपेंडिक्स का काम क्या होता है?
- अपेंडिक्स कहाँ होता है?
- अपेंडिक्स किस साइड होता है?
- अपेंडिसाइटिस क्या होती है?
- अपेंडिक्स कैसे होता है?
- अपेंडिक्स कैसे पता चलता है?
- अपेंडिक्स के प्रकार
- अपेंडिक्स के लक्षण
- अपेंडिक्स का कारण
- अपेंडिक्स का इलाज
- निष्कर्ष
अपेंडिक्स का मतलब (Appendix Meaning In Hindi)

पाचन तंत्र का एक महत्वपूर्ण अंग जो पाचन में विशेष भूमिका निभाता है उस अपेंडिक्स का मतलब एक थैलीनुमा ट्यूब है जो अच्छे बैक्टीरिया के संचय का काम कराती है। ये आकार में एक अंगुली के बराबर होता है और इसकी लंबाई तीन से चार इंच की होती है। हालांकि मेडिकल साइंस में इसकी औसत लंबाई 9 सेंटीमीटर के रूप में उल्लेखित की गई है। चलिए अब चलते हैं लेख के अगले भाग में जहां हमें पता चलेगा कि अपेंडिक्स क्या होता है।
अपेंडिक्स क्या होता है?
इस दुनिया में अधिकतर लोगों को अपेंडिक्स क्या होता है ये नहीं पता था। लेकिन मेडिकल साइंस और अनेक शोधकर्ताओं ने अपेंडिक्स क्या होता है का जवाब खोज निकाला है। मानव शरीर में बड़े आंत से सटा हुआ ये अंग जिसे अपेंडिक्स के नाम से जाना जाता है, इसका एक छोर खुला हुआ होता है। ये भीतर से खोखला होता है और बड़ी आंत के नलीनुमा संरचना वाले सीकम से जुड़ा होता है। अपेंडिक्स और बड़ी आंत के बीच का अंतर इलियोसेक्ल वाल्व से होता है जो इन दोनों को अंग और संरचना के आधार पर अलग-अलग करता है।
अपेंडिक्स का काम क्या होता है?
अपेंडिक्स प्रत्यक्ष रूप से पाचन तंत्र की प्रक्रिया में अपनी भूमिका तय नहीं करता अपितु वह गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल ट्रैक्ट के क्रियान्वयन में विशेष भूमिका निभाता है। गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल ट्रैक्ट से अच्छे बैक्टीरिया गायब होने पर अपेंडिक्स बैक्टीरिया संचय का कार्य करने लगता है। लेकिन मेडिकल साइंस इसके कार्य और उपयोगिता को लेकर अभी भी संशय में है। अपेंडिक्स क्या होता है और इसका कार्य जान लेने के पश्चात अपेंडिक्स कहाँ होता है और अपेंडिक्स किस साइड होता है को जान लेना पाठकों के लिए आवश्यक हो जाता है जिसे लेख के अगले भाग में टंकित किया गया है।
अपेंडिक्स कहाँ होता है?
मानव शरीर में अपेंडिक्स पेट के निचले भाग में दाहिने ओर स्थित होती है। सरल भाषा में समझें तो ये दाहिने नितम्ब की हड्डी(कूल्हे की हड्डी) के पास स्थित होती है। अपेंडिक्स कहाँ होता है ये मरीजों या उनके परिवार वालों या फिर आम जनमानस द्वारा डॉक्टरों से सर्वाधिक पूछा गया प्रश्न है।
अपेंडिक्स किस साइड होता है?
बड़ी आंत से जुड़ा हुआ थैलीनुमा ट्यूब रुपी अंग मानव शरीर में पेट के निचले भाग में, दाहिने कूल्हे की हड्डी के पास स्थित होता है। यानी अगर कोई पूछे कि अपेंडिक्स किस साइड होता है तो बिना डरे और हिचकिचाए बता देना की पेट के निचले हिस्से में दाहिनी ओर, दाहिने कूल्हे की हड्डी के पास अपेंडिक्स होता है।
अपेंडिसाइटिस क्या होती है?
अपेंडिक्स की सूजन को अपेंडिसाइटिस कहते हैं। हालांकि मेडिकल टर्मिनोलॉजी में सूजन की इस बीमारी को अपेंडिसाइटिस का नाम दिया गया है। अपेंडिक्स में बाधा उत्पन्न होने के कारण सूजन आ जाती है लेकिन इस सूजन के चलते अनेक परेशानियों का सामना करना पड़ता है। हालांकि आम जनमानस में इस बीमारी को केवल अपेंडिक्स ही कहते हैं। अपेंडिक्स का मतलब जान लेने तथा अन्य सभी महत्वपूर्ण प्रश्नों के उत्तर प्राप्त कर लेने के पश्चात अपेंडिक्स कैसे होता है विषय पर सूक्ष्म दृष्टि डालने की आवयश्कता आन पड़ी है। इसलिए लेख के बढ़ते क्रम में अपेंडिक्स का मतलब जान लेने के पश्चात अपेंडिक्स कैसे होता है पर प्रकाश डाला गया है।
अपेंडिक्स कैसे होता है?
बैक्टीरिया, पैरासाइट्स जैसे सूक्ष्म किन्तु घातक बाहरी तत्व का अपेंडिक्स में प्रवेश और स्थान ग्रहण करने के पश्चात इस अंग में सूजन हो जाती है और उस सूजन को ही अपेंडिसाइटिस के नाम से जाना जाता है। बाहरी तत्व के प्रवेश को संक्रमण कहते हैं। अपेंडिक्स में बनने वाला द्रव्य रुपी विकार अर्थात बलगम ल्यूमेन की सहायता से बड़ी आंत में भेजा जाता है। किन्तु जब इसका एक छोर बंद हो जाता है तो यही बलगम बड़ी आंत में जाने के बजाये इसी में जमा होने लगता है। बंद होने तथा इसमें बलगम जमा होने के कारण खराब बैक्टीरिया पनपने लगते हैं। तत्पश्चात् संक्रमण फैलने लगता है और सूजन हो जाती है। सूजन के अतिरिक्त जलन की समस्या भी हो सकती है।
अपेंडिक्स कैसे पता चलता है?
अगर मल बहुत कठोर है या मल निकलने के दौरान बहुत अधिक कठिनाई का सामना करना पड़ता है तो यह अपेंडिसाइटिस के संकेत हैं। इसके इसके अतिरिक्त बार-बार दस्त लगना, बार-बार उल्टी होना, जी मिचलाना, सिरदर्द, बुखार, ठंड और कपकपी होती है तो इससे पता चलता है कि आपको अपेंडिसाइटिस हो गई है। इसके अलावा एक और तरीका है जिससे आप अपेंडिसाइटिस का पता लगा सकते हैं। अपने ही घर में अपेंडिसाइटिस पता लगाने का तरीका बहुत आसान है। पेट के निचले दाहिने भाग को दबाने पर अगर असमान्य रूप से पीड़ा हो तो समझ जाइए कि आपको अपेंडिसाइटिस है।
अपेंडिक्स के प्रकार
अपेंडिसाइटिस के दो प्रकार होते हैं। एक एक्यूट और दूसरा क्रोनिक। क्रोनिक अपेंडिक्स में संक्रमण धीरे-धीरे फैलता है लेकिन एक्यूट अपेंडिक्स क्रोनिक की तुलना में गंभीर होता है।
आइए इन दोनों प्रकार को विस्तार से जानें :
- एक्यूट अपेंडिक्स : इस प्रकार के रोग में मरीज को अचानक से पेट में असहनीय पीड़ा का सामना करना पड़ता है जिसके लिए तुरंत उपचार किया जाना अनिवार्य हो जाता है। इस प्रकार के रोग में लक्षण केवल चौबीस घंटे के भीतर ही पनपे लगते हैं तथा गंभीर लक्षण देखने को मिलते हैं।
क्रोनिक अपेंडिक्स : एक्यूट की तुलना में क्रोनिक के संक्रमण धीरे-धीरे तथा लम्बे अंतराल के पश्चात विकसित होते हैं। पेट के निचले दाहिने हिस्से में दर्द होने लगता है तथा लंबे समय तक दर्द रहता है।
अपेंडिक्स के लक्षण
अपेंडिसाइटिस में व्यक्ति के पेट में असहनीय पीड़ा होने लगती है। अकड़न और मरोड़ के संकेत देखने को मिलते हैं। बाधा या अवरोध या रुकावट के कारण पेट में अनेक प्रकार की समस्याएं होने लगती हैं। प्रमुख रूप से बार-बार दस्त होने लगती है। इसके उल्टी, जी मचलना, सिरदर्द आदि परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
आइए अपेंडिक्स के लक्षण को क्रमानुसार तथा विस्तार पूर्वक समझें :
- पेट में दर्द, अकड़न और मरोड़ : अपेंडिसाइटिस में संक्रमित व्यक्ति को पेट में एक असहनीय पीड़ा होने लगती है जो की अपेंडिक्स के लक्षण है। अमूमन नाभि के आस-पास अधिक पीड़ा होती है। तत्पश्चात् यह दर्द पेट के दाहिने निचले भाग में भी फैल जाता है। ये पीड़ा अचानक से शुरू होती है लेकिन बहुत कम समय में यह पीड़ा गंभीर रूप ले लेती है। इसके अतिरिक्त ऐसा भी देखा गया है कि शरीर के अधिकतर भागों में दर्द होने लगता है।
- मैकबर्नी बिंदु में पीड़ा : अधिकांश मरीज को मैकबर्नी बिंदु में ही असहनीय और अचानक से पीड़ा की अनुभूति होती है जो कि अपेंडिक्स के लक्षण में सबसे प्रमुख और आम लक्षण है। पेट के निचले दाहिने भाग या हिस्से को मैकबर्नी पॉइंट या मैकबर्नी बिंदु के नाम से जाना जाता है।
- उल्टी और उबकाई : अपेंडिसाइटिस में मरीज को बार-बार उल्टी अपेंडिक्स के लक्षण है। अपच की समस्या के चलते अनावश्यक उल्टी होने लगती है। इसके साथ ही उसे उबकाई भी आती है। उल्टी और उबकाई मरीज के नियंत्रण से परे होती है।
- ज्वर या बुखार होना : संक्रमित व्यक्ति का इम्यून सिस्टम संक्रमण से लड़ने लगता है और परिणामस्वरूप शरीर तपने लगता है जिसे ज्वर या बुखार कहते हैं। शरीर के इम्यून सिस्टम जब संक्रमण से लड़ता है तो बुखार प्रतिफलित होता है जो की अपेंडिक्स के लक्षण है।
- कपकपी लगना : इम्यून सिस्टम से प्रतिफलित हुए बुखार के कारण शरीर का तापमान गर्म हो जाता है जिस कारण उसे ठंड लगती है और बदन कांपने लगता है। लेकिन पसीना आने से बुखार चला भी जाता है क्योंकि तब शरीर सामान्य तापमान को अर्जित कर लेता है।
- भूख नहीं लगना : पाचन सही नहीं रहना, पेट में दर्द, उल्टी और उबकाई के चलते भूख नहीं लगती और मरीज अल्पाहारी हो जाता है। यानी वह भोजन आवश्यकता से कम खाने लगता है।
- बार-बार दस्त लगना : पेट में संक्रमण होने के कारण उसे निरंतर आवश्यक है इसलिए दस्त होने लगती है। यह समस्या तब गंभीर मानी जाती है जब व्यक्ति को आवश्यकता से अधिक दस्त लगने लगे।
- शौच में कठिनाई : अपेंडिसाइटिस में संक्रमित व्यक्ति को मल त्यागने में समस्या या परेशानी का सामना करना पड़ता है। अपच की समस्या के चलते शरीर से मल नहीं निकलता और अगर संक्रमित व्यक्ति मल त्यागने का प्रयास करे भी तो मलाशय छिद्र में पीड़ा होने लगती है और परिणामस्वरूप वह असफल रहता है।
अपेंडिक्स का कारण
अपेंडिसाइटिस में सूजन बैक्टीरिया और पैरासाइट्स के प्रवेश से अथवा ट्यूमर के बनने से या फिर अन्य कारणों के चलते हो जाती है। इसके सटीक कारण अज्ञात है लेकिन शोधकर्ताओं ने यह पाया है कि बाहरी तत्व जैसे बैक्टीरिया के कारण अपेंडिसाइटिस हो जाती है। ल्यूमेन के भीतर संक्रमण पनपने और फैलने लगता है जिस कारण सूजन हो जाती है। इस सूजन को ही अपेंडिसाइटिस कहते हैं। दरअसल ल्यूमेन में बनने वाला द्रव्य रूपी विकार अर्थात बलगम बनता है जो बड़ी आंत में जाता है लेकिन अपेंडिक्स के बंद हो जाने से यह बलगम उसी में जमा होने लगता है। तत्पश्चात् बैक्टीरिया पनपने लगता है और ल्यूमेन में सूजन हो जाती है। इस सूजन को अपेंडिसाइटिस कहते है।
अपेंडिक्स का इलाज
अपेंडिसाइटिस का इलाज किया जा सकता है। लेकिन उपचार बीमारी की गंभीरता पर निर्भर करता है। अगर समस्या गंभीर नहीं है तो डॉक्टर द्वारा परामर्श के पश्चात उचित दवाइयों का सेवन इस गंभीर बीमारी को जड़ से समाप्त कर देने में सक्षम है। अगर समस्या गंभीर हो तो डॉक्टर के परामर्श और दवाइयों के सेवन के अतिरिक्त सर्जरी सबसे अच्छा विकल्प है। हालांकि इस बीमारी के इलाज में सर्जरी अंतिम विकल्प माना जाता है।
सूजन की सर्जरी दो प्रकार से की जाती है :
- लेप्रोस्कोपिक सर्जरी : आंत से जुड़ी समस्याओं में लेप्रोस्कोपिक तकनीक की सहायता से सर्जरी को मूर्त दिया जाता है। इस सर्जरी का यह विशेष नामकरण इस तकनीक में उपयोग लायी जाने वाली उपकरण के चलते रखा गया है। इस उपकरण का नाम लेप्रोस्कोप है जो कि माइक्रोस्कोप का छोटा भाई है। लेप्रोस्कोप की सहायता से पेट या उसके आस-पास ट्यूमर, संक्रमण आदि की पहचान करने के पश्चात शरीर से अलग कर दिया जाता है। इस प्रकार की सर्जरी में चीरे कम लगते हैं और इलाज सटीक होता है।
- ओपन सर्जरी : इस प्रकार की सर्जरी में शरीर में एक बड़ा चीरा लगा कर संक्रमण को शरीर से अलग कर दिया जाता है। लेप्रोस्कोपिक सर्जरी की तुलना में चीरे बड़े और अधिक लगते हैं। साथ ही निशान अधिक और गहरे होने के कारण मरीज को सर्जरी के बाद ठीक होने में समय भी बहुत लगता है।
बच्चों और युवाओं में अपेंडिसाइटिस का इलाज कर पाना इतना आसान नहीं होता। केवल लक्षण के आधार पर इसका उपचार नहीं किया जाता अपितु संक्रमित व्यक्ति को कुछेक परीक्षण अर्थात मेडिकल टेस्ट कराना होता है ताकि अपेंडिसाइटिस का पता लगाया जा सके। अल्ट्रासाउंड कराने से अपेंडिसाइटिस का पता लगाया जा सकता है। इसके अतिरिक्त पेट का सीटी स्कैन कराने के पश्चात अपेंडिसाइटिस का पता लगाया जा सकता है।
निष्कर्ष
हमने लेख के प्रथम भाग में यह जाना अपेंडिक्स का मतलब जाना कि अपेंडिसाइटिस एक गंभीर बीमारी है जिसमें ल्यूमेन में बलगम जमा होने के कारण सूजन आ जाती है और इस सूजन के चलते पेट तथा शरीर में अनेक समस्याएं होने लगती है। साथ ही हमने यह भी जाना कि अपेंडिक्स कैसे होता है और इसके लक्षण क्या है। अपेंडिसाइटिस के लक्षण में बार-बार दस्त लगना, लगातार उल्टी और उबकाई होना, सिरदर्द होना, पेट में दर्द, भूख नहीं लगना, जी मिचलाना आदि हैं। इसके अतिरिक्त कब्ज के लक्षण भी अपेंडिसाइटिस में देखे गए हैं। अपेंडिसाइटिस से संक्रमित व्यक्ति को अधिकतम मैकबर्नी पॉइंट में दर्द होता है यानी पेट के निचले दाहिने भाग में दर्द होने लगता है।