ऐसे जानें एंग्जाइटी के लक्षण | Anxiety In Hindi

हमारे चित्त अर्थात मन में अनेक भाव बसते हैं। कौन से भाव की उत्पत्ति कब होगी यह घटने वाली परिस्थितियों पर तथा उन परिस्थितियों में सम्मिलित क्रिया-प्रतिक्रिया पर निर्भर करती है। हम लाख प्रयास कर लें लेकिन दुःख की घड़ी में सुख का भाव नहीं ला सकते। इस कथन का विपरीत भी उतना ही सटीक और सत्य है। आधुनिक युग में जीवन भाग-दौड़ से भरा हुआ है। निरंतर घटने वाली संभावित और अप्रत्याशित घटनाएं मनुष्य को अत्यधिक सोचने पर मजबूर कर देती है। अगर मनुष्य किसी परिस्थिति में सफल नहीं होता या कोई घटना उसे सुख, संतुष्टि नहीं देती तो वह एक भाव में डूब जाता है जिसे दुःख कहते हैं। यह दुख चिंता का कारण है।  किसी बात की चिंता होना सामान्य बात है लेकिन सदैव चिंतित रहना मन की सेहत के लिए अत्यंत हानिकारक है। आज के लेख में हम उस हानिकारक और गंभीर बीमारी चिंता अर्थात एंग्जाइटी के बारे में बात करने वाले हैं |

इस लेख में एंग्जाइटी का मतलब, एंग्जाइटी क्या है, एंग्जाइटी अटैक क्या होता है, एंग्जाइटी के लक्षण या घबराहट के लक्षण, एंग्जाइटी क्यों होती है,एंग्जाइटी का इलाज और निष्कर्ष को सारगर्भित किया गया है।

एंग्जाइटी का मतलब (Anxiety Meaning In Hindi)

Anxiety Ke Lakshan In Hindi

चिंता एक मानसिक स्थिति है। यह हर मनुष्य के चित्त में वास करती है। चिंतित होना स्वाभाविक बात है। दरअसल एंग्जाइटी का मतलब यह है कि मनुष्य किसी घटना, क्रिया, प्रतिक्रिया, व्यक्ति या उसके विचार, कथन आदि पर सोच कर चिंतित रहने लगता है।

एंग्जाइटी डिसऑर्डर (Anxiety In Hindi)

अगर किसी दुखी मनुष्य से पूछा जाए कि एंग्जाइटी क्या होता है तो वह एंग्जाइटी का मतलब आसान भाषा में बता देगा। दुखी आदमी अधिक चिंतित रहता है। लेकिन मेडिकल साइंस ने एंग्जाइटी क्या होता है प्रश्न पर अनेकों वर्ष शोध करने के पश्चात इसका उत्तर खोज निकाला है। मानव जीवन का सबसे जटिल और चिंताजनक प्रश्न एंग्जाइटी क्या होता है के उत्तर ने लाखों लोगों के जीवन को नयी दिशा और दशा प्रदान की है।

आइए, एंग्जाइटी का मतलब आत्मसात कर लोगों को इस बीमारी के प्रति जागरूक करें। इसकी सही जानकारी लोगों को इसकी गम्भीरता के प्रति सतर्क करने का काम करेगी।

एंग्जाइटी डिसऑर्डर एक हानिकारक मानसिक रोग है। इस रोग के कारण मानसिक स्वास्थ्य खराब हो जाता है। मानसिक स्वास्थ्य अर्थात मन की सेहत। अत्यधिक या बार-बार चिंतित रहने से मनुष्य का मानसिक स्वास्थ्य बिगड़ जाता है। विस्तार से समझें तो एंग्जाइटी डिसऑर्डर में रोगी किसी घटना, क्रिया, प्रतिक्रिया, व्यक्ति या उसके विचार, कथन आदि पर आवश्यकता से अधिक या अनावश्यक सोचने लगता है। व्यर्थ की चिंताओं में उलझ कर रोगी स्वयं के मानसिक स्वास्थ्य को बिगाड़ लेता है।

एंग्जाइटी अटैक क्या होता है? (What Is Anxiety Attack In Hindi)

जब एंग्जाइटी डिसऑर्डर के मरीज में एंग्जाइटी का हमला अचानक से हो तो उस मेडिकल कंडीशन को  एंग्जाइटी अटैक कहते हैं। यह अटैक एक रोगी को बार-बार अर्थात लगातार आता रहता है।

विशेषज्ञों ने एंग्जाइटी अटैक क्या है के संदेह का निवारण आसान भाषा में किया है। उनके अनुसार मरीज को अचानक से किसी बात की इतनी चिंता होने लगती है कि उसे डर या भय सताने लगता है। अटैक के दौरान एक अजीब सी घबराहट होने लगती है। घबराहट के चलते मरीज के दिल की धड़कन भी तेज होने लगती है और उसे पसीना भी बहुत आने लगता है। इसके अतिरिक्त अनिद्रा, सांस लेने में समस्या, मुंह सूखना और शरीर में झुनझुनाहट भी होती है।

कुल मिलाकर कह सकते हैं कि मानसिक परेशानियों के अतिरिक्त, एंग्जाइटी डिसऑर्डर के रोगी को शारीरिक कष्टों का सामना भी करना पड़ता है। इन मानसिक और शारीरिक कष्टों को संयुक्त रूप से एंग्जाइटी के लक्षण कहते हैं।

मानसिक कष्टों के अंतर्गत एंग्जाइटी डिसऑर्डर के रोगी को :

  • अनावश्यक या व्यर्थ की बातों पर चिंता होने लगे
  • दिन के किसी भी क्षण भय या डर की अनुभूति होने लगे
  • सामान्य परिस्थितियों में भी घबराहट होने लगती है
  • बुरे विचार मन में आने लगते हैं

लेकिन शारीरिक कष्टों के अंतर्गत एंग्जाइटी डिसऑर्डर के रोगी का :

  • हाथ थर-थर कांपने लगता है
  • घबराहट के कारण पसीना आने लगता है
  • हृदय गति तेज हो जाती है
  • सांस फूलने लगती है
  • जी मचलने लगता है
  • चक्कर आने लगता है

एंग्जाइटी के लक्षण (Anxiety Symptoms In Hindi)

रोगी को एंग्जाइटी अटैक के दौरान मानसिक और शारीरिक दोनों प्रकार के कष्टों का सामना करना पड़ता है। यह अनेक प्रकार के कष्ट असल में एंग्जाइटी के लक्षण या घबराहट के लक्षण के रूप में चिन्हित किये जाते हैं। एंग्जाइटी के रोगी को होने वाले शारीरिक और मानसिक कष्टों को घबराहट के लक्षण के अंतर्गत चिन्हित कर इसका इलाज लक्षित किया जाता है।

लेकिन घबराहट के लक्षण इतनी आसानी से दिखाई नहीं देते। अगर दिखाई भी दें तो भी उनकी पहचान कर पाना इतना आसान नहीं होता। ऐसा इसलिए है क्योंकि एंग्जाइटी अटैक में वही लक्षण दिखाई देते हैं जो किसी मनुष्य को सामान्य परिस्थितियों में होने वाली चिंता में भी देखने को मिलते हैं। सामान्य चिंतित मनुष्य और मानसिक रोग से जूझ रहे व्यक्ति के बीच लक्षणों के आधार पर अंतर कर पाना एक बहुत बड़ी चुनौती है। कारणवश घबराहट के लक्षण को चिन्हित कर पाना कठिन होता है। फिर भी, विशेषज्ञों ने सामान्य लक्षणों को परिभाषित करते हुए जटिलताओं को सुलझा दिया है।

एंग्जाइटी के मरीज को शारीरिक और मानसिक दोनों प्रकार के कष्टों का सामना करना पड़ता है। डिसऑर्डर के इन कष्टों को संयुक्त रूप से घबराहट के लक्षण कहते हैं। चिंता में दिखने वाले सभी लक्षण या संकेतों को एक ही श्रेणी में नहीं रख सकते। दरअसल यह एक मानसिक रोग है इसलिए इसके लक्षण बाहरी और आंतरिक दोनों होते हैं। इन आंतरिक और बाह्य लक्षणों को शारीरिक और मानसिक संकेतों के रूप में विभाजित किया जाता है।

अगर सरल-सहज भाषा में समझें तो एंग्जाइटी के लक्षणों के दो प्रकार होते हैं :

  • शारीरिक लक्षण : चिंता के बाह्य या बाहरी लक्षणों को शारीरिक लक्षण कहते हैं। इस स्थिति में संकेत शरीर पर दिखाई देते हैं।
  • मानसिक लक्षण : चिंता के आंतरिक या अंदरूनी लक्षणों को मानसिक लक्षण कहते हैं। इस स्थिति में संकेत शरीर पर नहीं होते अपितु रोगी के भीतर या यूं कहे कि रोगी के मन में पनपते हैं।

आइए क्रमानुसार एंग्जाइटी के लक्षण के अंतर्गत शारीरिक लक्षणों को सारगर्भित करें :

  • हृदय गति का बढ़ना : चिंता के प्रमुख लक्षणों में से एक हृदय गति का तीव्रता से बढ़ना है। एंग्जाइटी अटैक के उपरान्त मरीज के दिल की धड़कन सामान्य गति की तुलना में बहुत तेज हो जाती है। हालांकि ऐसी अनेक गतिविधियां हैं जिनको करने से दिल तेजी से धड़कने लगता है। लेकिन चिंता के संकेतों में प्रमुख संकेत हृदय गति का बढ़ना है। चिंता से पनपे डर और बेचैनी के कारण हृदय गति सामान्य नहीं रहती।
  • चक्कर आना : चिंता का अगला प्रमुख लक्षण चक्कर आना है। घबराहट या डर के चलते मनुष्य का मस्तिष्क जब काम करना बंद कर दे तो ऐसे में उसे चक्कर आने लगते हैं। आँखों के सामने एकाएक अंधेरा छा जाना और मूर्छित हो कर गिर पड़ना चिंता का सबसे प्रमुख लक्षण है। इसके साथ ही मरीज को हल्केपन की अनुभूति होती है।
  • हाथ-पैर थरथराना : एंग्जाइटी के लक्षण में मरीज का हाथ-पैर कांपने लगता है। घबराहट के चलते शरीर थरथराना आम बात है लेकिन एंग्जाइटी के मरीज में सामान्य रूप से शरीर के अंग थरथर कांपने लगते हैं। यह केवल एंग्जाइटी अटैक के समय ही नहीं अपितु अटैक के बाद भी होता है।
  • पसीना आना : घबराहट और बेचैनी में शरीर से पसीना निकलना आम बात है। लेकिन एंग्जाइटी अटैक के समय मरीज को अतिशय पसीना आता है। यह सामान्य मनुष्य की तुलना में कहीं गुना अधिक होता है। परिणामस्वरूप मरीज को गर्मी भी बहुत लगती है।
  • सिर दर्द : चिंता में सबसे अधिक बल मनुष्य के मस्तिष्क पर पड़ता है। अधिकाधिक सोचने के कारण या अनावश्यक चिंतित रहने के कारण ऊर्जा रहित मानव अपने खोपड़े में एक असहनीय पीड़ा की अनुभूति करता है। चिंता में सिर दर्द होना प्राथमिक शारीरिक लक्षण है।
  • मुंह सूखना : चिंता के शारीरिक लक्षणों के अंतर्गत मुंह सूखना प्रमुख रूप से देखा जाता है। इस स्थिति में मुंह के भीतर लार नहीं बनती। मरीज को ऐसा लगता है कि उसे बहुत तेज प्यास लगी है लेकिन पानी पीने से भी तृप्ति नहीं होती।
  • जी मचलना : अर्थात उल्टी की अनुभूति होना। मरीज को ऐसा आभास होता है कि उल्टी होने वाली है। ऐसा भी देखा गया है कि मरीज को बार-बार उल्टी होती है लेकिन अधिकांश मामलों में केवल उल्टी होने की अनुभूति ही होती है। इसके साथ ही गले में कुछ फंसा हुआ प्रतीत होता है।
  • सीने में दर्द : बेचैनी और हृदय गति में तीव्रता मरीज की छाती में एक असहनीय पीड़ा को जन्म देती है। सीने में दर्द या जलन होना चिंता का प्रमुख लक्षण है।
  • अल्प आहार : चिंता के मरीज को हमेशा उल्टी की अनुभूति और गले में कुछ फंसा हुआ प्रतीत होता है। ऐसे में रोगी को खाना निगलने में कठिनाई का सामना करना पड़ता है। परिणामस्वरूप उसकी आहार कम हो जाती है। एंग्जाइटी अटैक के कारण मरीज को भूख भी नहीं लगती।

आइए अब चर्चा कर लेते हैं एंग्जाइटी के लक्षण के अंतर्गत उसके मानसिक लक्षणों की :

  • घबराहट : चिंता से घबराहट पैदा होना स्वाभाविक बात है। असल में एंग्जाइटी मरीज के भय या डर से निर्मित हुई मानसिक बीमारी है। यह डर बंदूक के ट्रिगर की तरह काम करता है। ट्रिगर रुपी डर के दबने से एंग्जाइटी गोली की भांति सीने में लग जाती है।
  • अनावश्यक सोचना : चिंता के मरीज की सबसे बड़ी समस्या यह है कि वह व्यर्थ की बातों पर या तो अनावश्यक सोचता है या फिर अत्यधिक सोचता है। साधारण और मामूली सी लगने वाली बात पर भी वह दर जाता है और व्यर्थ में चिंता करने लगता है। हालांकि यह बात ध्यान देने योग्य है कि वह वर्तमान को छोड़कर अतीत या भविष्य के बारे में चिंतित रहता है। ऐसे में दो ही परिस्थिति निर्मित होती हैं। एक तो यह कि अतीत के बारे में अत्यधिक सोच कर वह पछतावा करता रहता है या फिर भविष्य की चिंता कर बहुत बुरा होने की झूठी संभावना के साथ जीता रहता है।
  • काम में मन नहीं लगना : मरीज के मन में बानी घबराहट और बेचैनी उसका ध्यान भटकाती रहती है। किसी भी काम में उसका मन नहीं लगता। अगर वह कोई काम हाथ में ले भी ले तो भी उसे पूरा नहीं करता।
  • सदा उदास रहना : चिंता के रोगी के मन में केवल बुरी बातें ही घूमती रहती हैं। नकारात्मक बातों के कारण मन भी उसी प्रकार की ऊर्जा से भरा रहता है। ऐसे में मरीज हमेशा उदास रहता है और अकारण रोता रहता है।
  • अनिद्रा : ऐसी गंभीर समस्या से जूझ रहा व्यक्ति निद्रा की चपेट से बाहर रहता है। वह लाख प्रयास कर ले लेकिन उसे नींद नहीं आती। नींद न आने का कारण अनावश्यक सोचना, घबराहट, बेचैनी और उदासी है।
  • अशांति : चिंता के मरीज को सुख और शान्ति नसीब नहीं होती। उसका मन में शांति का निवास नहीं होता।

शारीरिक और मानसिक लक्षणों के अतिरिक्त, एंग्जाइटी के मरीज में व्यक्तिगत परिवर्तन भी दृष्टिगत होता है। इसका अर्थ यह हुआ कि उसके व्यवहार या व्यक्तित्व में भी परिवर्तन देखने को मिलते हैं। यही कारण है कि चिंता से संभव हुए इस प्रकार के परिवर्तन को व्यावहारिक लक्षण की नई श्रेणी में रखा जाता है।

एंग्जाइटी के व्यावहारिक लक्षण इस प्रकार हैं :

  • किसी भी काम में रुचि ना होना : एंग्जाइटी के मरीज को अनावश्यक चिंता सताने तथा घबराहट रहने के कारण किसी भी काम में रुचि नहीं रहती। किसी भी प्रकार के नए काम में उसका मन ही नहीं लगता।
  • अपने आप पर ध्यान न देना : चिंता ग्रस्त आदमी अटैक के लक्षणों से इस कदर जूझ रहा होता है कि वह  अपना ख्याल नहीं रख पाता।

संदेह से भरा व्यक्तित्व : ऐसा मनुष्य सदैव संदेह से भरा रहता है। परिणामस्वरूप उसे हर बात पर शक करना या अकारण सोचते रहना उनकी आदत हो जाती है। वह सभी को शंका की दृष्टि से देखता है अथवा अनावश्यक रूप से घटनाओं की जांच करता रहता है।

एंग्जाइटी क्यों होती है? (Anxiety Causes In Hindi)

चिंता या एंग्जाइटी में प्रमुख कारण तनाव है। एंग्जाइटी क्यों होती है इसका जवाब बहुत वृहत्तर और व्यापक है। आधुनिक युग का भाग-दौड़ भरा जीवन जो मनुष्य को उठा-पटक भरा जीवन प्रदत्त करता है। ऐसे में चित्त में अनेकों भाव का पैदा होना स्वाभाविक है। एंग्जाइटी के अनेक कारण हो सकते हैं। यह कारण व्यक्तिगत अधिक होते हैं। क्योंकि मनुष्य का जीवन एक जैसा नहीं है, उसके उतार-चढ़ाव नाना प्रकार के हैं।

एंग्जाइटी के कारण निम्नलिखित हैं : 

  • तनाव : किसी भी मानसिक रोग और विशेष रूप से एंग्जाइटी का कारण तनाव है। तनाव से बच पाना असंभव तो नहीं है लेकिन आसान भी नहीं है।
  • शराब, धूम्रपान या नशीले पदार्थ का सेवन : किसी प्रकार के मादक पदार्थों का सेवन मनुष्य के लिए शारीरिक रूप से नहीं अपितु मानसिक रूप से नुकसानदायक होता है।
  • अतीत की चिंताजनक घटना : अगर अतीत में कोई ऐसी घटना घटित हुई है जिसके चलते आपके जीवन में रिक्त स्थान कर दिया था तथा आपको दुखों के सागर में डूबा दिया तो यह आगे चलकर एंग्जाइटी का कारण बन सकता है।
  • सामाजिक और पारिवारिक प्रतिस्पर्धा : अच्छी शिक्षा, रोजगार के बेहतर विकल्प और आनंददायक जीवन की लालसा तथा आपके आसपास के लोगों की सफलता से चिंता और तनाव पैदा हो सकता है। इसी दौरान अगर आप असफलताओं से घिर जाते हैं तो आपके लिए यह मुश्किल हो सकता है। इसमें आर्थिक दबाव भी सम्मिलित है। सोशल मीडिया में दिखाई जाने वाली झूठी जीवन शैली भी चिंता का कारण बन सकती है।

एंग्जाइटी का इलाज (Anxiety Treatment In Hindi)

चिंता एक मानसिक रोग होने के कारण मेडिकल उपचार पर बहुत अधिक निर्भर नहीं है। यह आपके मन की सेहत से जुड़ा मुद्दा है। ऐसे में आपके मन का हरा-भरा होना अति आवश्यक है। मन को सुखी रखने का एक ही इलाज है कि अकारण चिंता न पाले और सरल-सहज जीवन बिताएं।

फिर भी, एंग्जाइटी का इलाज सामान्य और व्यापक रूप से क्या हो सकता है इसका उल्लेख निम्न रूप से किया गया है :

  • चिंता से मुक्ति : जितना संभव हो सके चिंता से दूर रहें। अनावश्यक और व्यर्थ की बातों पर विचार न करें।
  • तनाव को टाटा कहें : आधुनिक युग में विकास की गति के साथ चलना अच्छी बात है लेकिन इस चक्कर में तनाव को अपने गले का हार न बनने दें।
  • सरल-सहज जीवन : बहुत अधिक आधुनिकता और शहरीकरण से बचें। एकाकीपन सही है लेकिन अकेलापन नहीं। उससे बचने का प्रयास करें।
  • योग मिटाए रोग : योग और कसरत करने से शरीर चुस्त-दुरुस्त रहता है। शरीर की सक्रियता मन को भी नयी ऊर्जा से भर देता है। बुरे विहार का संचार समाप्त हो जाता है।
  • अच्छी नींद ले : एक अच्छी निद्रा मनुष्य के सारे रोग का निवारण कर लेती है। अच्छी नींद लेने से मनुष्य अगले दिन नयी किरण की भांति ऊर्जावान और जागृत रहता है।
  • साइकोथेरेपी : मनोचिकित्सक के द्वारा काउंसलिंग के माध्यम से अर्थात बातचीत के माध्यम से चिंता का जड़ से इलाज किया जाता है।
  • व्यवहार संबंधी मनोचिकित्सा : इस पद्धति के अंतर्गत मनुष्य के व्यवहार को समझ कर यथासंभव इलाज किया जाता है।

निष्कर्ष

चिंता मुक्त जीवन इस आधुनिक युग में संभव नहीं है लेकिन मनुष्य चाहे तो वह हर कठिन डगर पर चलकर अपने गंतव्य को प्राप्त कर सकता है। प्रयास यह रहे कि अनावश्यक बातों पर चिंतित रहने के बजाए अपनी समस्या को बढ़ने से रोक लें। अच्छा खानपान, अच्छी नींद और अच्छी कसरत ही तनाव मुक्त जीवन का मूल मंत्र है। आवश्यकता होने पर या गंभीर समस्या होने पर डॉक्टर की सलाह पर दवाइयों का सेवन कर सकते हैं। हालांकि एंग्जाइटी एक गंभीर और दीर्घकालिक समस्या है इसलिए इसका इलाज निर्धन और जरूरतमंद के लिए महंगा हो सकता है। ऐसे में आपके लिए क्राउडफंडिंग एक अच्छा विकल्प हो सकता है।

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