क्यों बार-बार होने लगता है सर दर्द | Headache In Hindi

हर आदमी चाहता है कि उसे कभी कोई रोग ना हो। वह सुखी और तनाव मुक्त रहे ऐसी मंगल कामना वह प्रतिदिन करता है। लेकिन आज के इस भाग-दौड़ भरे जीवन में ऐसा कर पाना कठिन ही नहीं असंभव है। शरीर में निश्चित समय के अंतराल पर नाना प्रकार के रोग तो लगे ही रहते हैं। मनुष्य को कोई न कोई बीमारी अवश्य ही घेर लेती है। यही जीवन का नियम है। कभी उतार, कभी चढ़ाव। जीवन सुख और दुःख का संगम है जो आपके जीवन में अपनी उपस्थिति दर्ज कराते रहते हैं। वैसे तो बीमारियां कई प्रकार की होती हैं जैसे छोटी, बड़ी, सामान्य, दुर्लभ, गंभीर आदि। किन्तु आज के इस लेख में हम उल्लेख करने वाले हैं बहुत ही आम बीमारी सर दर्द के बारे में। इस लेख में हम सर दर्द क्या होता है, सर दर्द क्यों होता है, सर दर्द के प्रकार, सर दर्द के लक्षण, सर दर्द के कारण, सर दर्द कैसे ठीक करें, सर दर्द का इलाज, सर दर्द का घरेलू उपाय, और निष्कर्ष को सरल-सहज भाषा में जानने वाले हैं।

मनुष्य को होने वाली सभी बीमारियों में सर दर्द एक ऐसी बीमारी है जिससे छुटकारा मिलना इतना आसान नहीं होता। ऐसा लगता है कि सर दर्द का मनुष्य से कोई घनिष्ठ सम्बन्ध है। शायद कोई पिछले जन्म का नाता है। तभी तो एक बार सता लेने के बाद भी वह लौट आता है। यही कारण है कि हम इस लेख में बार-बार होने वाले सर दर्द के बारे में विस्तार से अध्ययन करने वाले हैं। सर दर्द के बारे में सम्पूर्ण जानकारी सरल-सहज भाषा में आत्मसात करने वाले हैं।

सर दर्द एक चिंताजनक विषय भी है क्योंकि इस बीमारी के कारण मनुष्य में अन्य दूसरी बीमारियों भी पनपती है लेकिन सामान्य रूप से यह सर के किसी भाग में होने वाली पीड़ा ही है जिसे समय रहते साध लेना आवश्यक हो जाता है।

सर दर्द क्या होता है?

Headache Meaning In Hindi

अगर आपके भी मन में ये दो प्रश्न उठते हैं कि सर दर्द क्या होता है और सर दर्द क्यों होता है तो आप विरले नहीं है। संसार सकल में प्रत्येक मनुष्य जो इस समस्या से जूझ रहा है उसके मन में ऐसे प्रश्नों का उमड़ना स्वाभाविक है। आइए पहले जान लेते हैं कि सर दर्द क्या होता है

बड़ी ही आम लगने वाली लेकिन आम होकर भी एक गंभीर समस्या है सर दर्द। अगर आसान भाषा में परिभाषित करें तो यह एक ऐसी अवस्था है जिसमें मनुष्य के सर के किसी विशेष भाग में अथवा पूरे सर में ही होने वाले असहनीय पीड़ा का अनिश्चित काल तक सामना करना पड़ता है।

अगर हम और भी अधिक विस्तार से समझें तो सर के किसी भाग में ऐसा प्रतीत होता है जैसे किसी ने रस्सी को कसकर गांठ बांध दी हो फिर इस रस्सी को जैसे-जैसे वह खींच रहा है वैसे-वैसे पीड़ा बढ़ती ही चली जा रही है। जैसे जैसे दर्द बढ़ने लगता है; वैसे-वैसे ऐसी अनुभूति होने लगाती है कि किसी के द्वारा सर के बहुत अधिक दवाब के साथ कचूमर बनाने का प्रयास किया जा रहा है।

सर दर्द क्यों होता है?

अगर हम इस प्रश्न का उत्तर समझने का प्रयास करें कि सर दर्द क्यों होता है तो उसके एक नहीं अपितु अनेक कारण हैं। इसका मूल कारण तनाव और चिंता को माना जाता है। विशेषज्ञों के अनुसार बहुत अधिक सोचना भी इस बीमारी का कारण भी हो सकता है। जिसे किसी मनुष्य को खांसी या छींक आना आम बात है ठीक उसी प्रकार मनुष्य को सर दर्द होना भी उतना ही स्वाभाविक है।

सर दर्द क्यों होता है इसका जवाब बहुत आसान भाषा में बताया जा सकता है। जब आपके जीवन में निश्चित अंतराल पर होने वाली दैनिक गतिविधियां अपने तय समय पर होने के बजाए उससे पूर्व या विलंब से होने लगे तो सर दर्द का सामना करना पड़ सकता है। इसे एक उदाहरण से समझें। मान लीजिए कि आप रात में आठ बजे खाना खाते हैं किंतु किसी कारणवश आप किसी दिन आठ बजे भोजन नहीं करते तो सर में दर्द होने लगता है। हालांकि यह पेट में बनने वाली गैस से भी संभव होता है लेकिन आपके दिनचर्या में आये परिवर्तन के कारण आपको इस बीमारी का सामना करना पड़ा।

इसके अतिरिक्त आपके जीवन में होने वाले तनाव और चिंता को भी सर में दर्द के बीज कारक की संज्ञा प्रदान की गयी है।

सर दर्द के प्रकार

यह बात अब सर्वविदित है कि सर में दर्द के अनेक प्रकार होते हैं। अर्थात मेडिकल साइंस ने सर दर्द के कितने प्रकार होते हैं इस समस्या का समाधान खोज लिया है। लेकिन उन विभिन्न प्रकारों का वर्गीकरण इस बात पर निर्भर करता है कि पीड़ा सर के किस भाग में हो रही है। साथ ही उस पीड़ा के प्रारंभ और अस्ति तथा इनके बीच के अंतराल से भी सर दर्द के प्रकार को तय किया जाता है।

लेख के इस बढ़ते क्रम में सर दर्द के प्रकार को विस्तार पूर्वक बताया गया है। सामान्य रूप से इसके दो ही प्रकार हैं:

  • प्राथमिक सर दर्द : मेडिकल टर्मिनोलॉजी में इसे प्राइमरी हेडेक भी कहते हैं। आसान भाषा में समझें कि यह एक सामान्य सर में दर्द है जो कि किसी सामान्य कारण अथवा कारणों से हो सकता है। प्राथमिक के भी उप प्रकार है जिस पर लेख के बढ़ते क्रम में चर्चा की गयी है।
  • माध्यमिक सर दर्द : यह सामान्य ना हो कर एक ऐसी गंभीर पीड़ा है जो आपकी किसी बीमारी के कारण जन्मा है। जैसे माहवारी में महिलाओं को सर में दर्द के लक्षण भी परिलक्षित होते हैं। इसके भी उप प्रकार है  जिस पर लेख के बढ़ते क्रम में प्रकाश डाला गया है।

आइए प्राथमिक अथवा प्राइमरी हेडेक के प्रकार पर चर्चा करें :

  • पीरियाडिक हेडेक : इसका अन्य नाम अल्पकालिक सर में दर्द है। निश्चित समय के अंतराल होने वाला सर में दर्द जिसकी समय सीमा 15 दिन से अधिक नहीं होनी चाहिए। दर्द की अवधि अधिकतम आधा घंटा होती है।
  • परसिस्टेंट हेडेक : इसका अन्य नाम दीर्घकालिक सर में दर्द है। पीरियाडिक की तुलना में परसिस्टेंट का अंतराल बहुत छोटा है लेकिन अवधि बहुत बड़ी है। कई घंटों तक मरीज असहनीय पीड़ा से जूझ रहा होता है।

अगर हम प्राथमिक सर में दर्द का वर्गीकरण इसके कारणों के आधार पर करें तो उसके प्रकारों की संख्या बहुत अधिक होगी। मूल कारणों के आधार पर प्राथमिक सर में दर्द अथवा प्राइमरी हेडेक के प्रकार ये हैं:

  • तनाव में सर दर्द : तनाव में होने वाला दर्द जिसमें खोपड़ी के मांसपेशियों में पीड़ा के साथ जलन की भी अनुभूति होती है। इसके अतिरिक्त शरीर के अन्य अंग जैसे माथा, गर्दन और कंधे में भी दर्द के लक्षण देखने को मिलते हैं।
  • क्लस्टर हेडेक : अर्थात समूह में होने वाला दर्द। आम तौर पर सर में दर्द एक दिन में एक बार या किसी अवधि में एक बार होता है लेकिन क्लस्टर हेडेक एक ही दिन में एक से अधिक बार आ सकता है। यह समस्या महिलाओं में नहीं देखी जाती लेकिन पुरुषों में क्लस्टर हेडेक होने की संभावना बनी रहती है। चुभन भरा दर्द और जलन इसका प्रमुख लक्षण है लेकिन यह सर के किसी स्थान विशेष को ही प्रभावित करता है। प्रभावित अंग के आस पास के अन्य अंग जैसे चेहरे और आँख के आस-पास दर्द और सूजन परिलक्षित होते हैं। ऐसा भी देखने को मिला है कि मरीज को प्रभावित क्षेत्र में सम्मिलित नेत्रों से अश्रु का रिसाव और पसीना भी बहुत आता है।
  • माइग्रेन : तंत्रिका संबंधी रोग की श्रेणी का सबसे प्रचलित और सबसे घातक रोग माइग्रेन। लेकिन अगर माइग्रेन क्या है परिभाषित किया जाए तो यह एक ऐसा सर में दर्द है जो बाहरी और आंतरिक दोनों कारणों से होता है। माइग्रेन में मरीज को बेचैनी और सर में दर्द होता है लेकिन दर्द किस स्थान पर होगा यह हर रोगी में अलग-अलग हो सकता है। चिंता, तनाव और बहुत अधिक सोचना इसका आंतरिक कारण है लेकिन मरीज के आसपास का वातावरण भी माइग्रेन को जन्म देता है जैसे अत्यधिक शोरगुल, रौशनी या अन्य किसी प्रकार का व्यवधान जो माइग्रेन रुपी पीड़ा को पैदा कर सकता है। इसके अतिरिक्त उल्टी होना या उसकी अनुभूति होना भी माइग्रेन के लक्षण के रूप में चिन्हित किया जाता है। हालांकि उल्टी होने के पश्चात मरीज को माइग्रेन की समस्या से निजात मिल जाती है।

माइग्रेन में नेत्र रोग होने की भी संभावना बनी रहती है। साथ ही माइग्रेन में मरीज की दृष्टि किसी सामान्य मनुष्य की दृष्टि से पूर्णतया भिन्न होती है। उसकी आँखों के सामने अंधेरा छाना, टिमटिमाने वाली रोशनी दिखना या टेढ़ी रेखाओं का दिखना भी सम्मिलित होता है। माइग्रेन के मरीज को बोलने में भी कठिनाई का सामना करना पड़ता है। अधूरे वाक्य या मुखारविंद से शब्द के प्रस्फुटन में भी समस्या होती है। 

  • न्यू डेली परसिस्टेंट हेडेक (एनडीपीएच) : अर्थात प्रतिदिन होने वाला दर्द जो लगातार बना रहता है एक दिन अचानक से चले जाने के बाद यह कभी वापस लौट कर आ सकता है। एनडीपीएच एक ऐसी गंभीर समस्या है जो त्वरित उपचार या घरेलू उपायों से ठीक नहीं होती। इसलिए डॉक्टरों द्वारा उचित सलाह और यथासंभव इलाज की आवश्यकता होती है।

प्राथमिक सर में दर्द को जान लेने के बाद अब लेख के बढ़ते क्रम में सर दर्द के प्रकार के अंतर्गत माध्यमिक सर में दर्द अर्थात सेकेंडरी हेडेक के विभिन्न प्रकारों पर चर्चा करने का समय आ गया है। माध्यमिक सर में दर्द में मरीज को किसी गंभीर रोग के कारण सर में दर्द की समस्या का सामना करना पड़ता है।

ये हैं सेकेंडरी हेडेक के विभिन्न प्रकार :

  • साइनस एलर्जी : एलर्जी के कारण नाक संबंधी विकार में होने वाला सर में दर्द। साइनस के आस-पास का क्षेत्र असहनीय पीड़ा का सामना करता है।
  • मेंसुरेशन हेडेक : महिलाओं को होने वाला मासिक धर्म जिसे माहवारी भी कहते हैं। इस अवस्था में महिलाओं को सर में दर्द की समस्या हो सकती है। मासिक धर्म में हार्मोन में होने वाले परिवर्तन तथा अन्य संबंधी कारणों के चलते यह समस्या बनी रहती है।
  • कैफीन बेस्ड हेडेक : अर्थात कैफीन की सीमित मात्रा के विपरीत अत्यधिक मात्रा में ग्रहण करने से सर में दर्द होने लगता है। मस्तिष्क तक जाने वाला रक्त परवाह कैफीन के कारण प्रभावित होता है। परिणामस्वरूप सिर में दर्द की समस्या होने लगती है। माइग्रेन के रोगी को कॉफी पीने से परहेज की सलाह इसी कारण दी जाती है।
  • थकान के कारण : जब शारीरिक क्षमता के विरुद्ध अधिक परिश्रम के चलते शरीर निढाल होना चाहे लेकिन उसे आराम ना मिले तो यह थकान आगे चलकर दर्द में परिवर्तित हो जाती है।

हाई ब्लड प्रेशर के कारण : उच्च रक्तचाप या हाई ब्लड प्रेशर के रोगी में यह समस्या देखने को मिलती है। लेकिन हाई बीपी के मरीज इस दर्द को हल्के में न लें। यह खतरे की घंटी हो सकती है। जब बीपी की रीडिंग 180/120 से अधिक होती है तभी सर में दर्द की भयावह समस्या दृष्टिगत होती है।

सर दर्द के लक्षण

वैसे तो सर में दर्द एक सामान्य बीमारी भी है और गंभीर बीमारी भी। लेकिन सर दर्द के लक्षण इसके प्रकार पर बहुत अधिक निर्भर करते हैं। हर बीमारी में और हर रोग में इसके लक्षण अलग-अलग हो सकते हैं। किंतु इसके कुछेक सामान्य लक्षण भी हैं जो सभी में सामान्य रूप से परिलक्षित होते हैं। जीवन में निश्चित अंतराल पर होने वाली दैनिक गतिविधियां अपने तय समय पर होने के बजाए उससे पूर्व या विलंब से होने लगे तो इस बीमारी का सामना करना पड़ सकता है। इसलिए इसके सामान्य लक्षण सभी मरीजों में एक समान देखने को मिलते हैं।

सर दर्द के लक्षण इस प्रकार हैं :

  • नींद की कमी : अगर दैनिक जीवन में किसी भी कारण से पर्याप्त नींद नहीं मिल पाती या अनिद्रा बानी रहे तो यह सर दर्द का लक्षण है।
  • चश्मे के नंबर में परिवर्तन : अगर आपके चश्मे का नंबर बढ़ जाए या कम हो जाए तो इससे यह समस्या पैदा होना आम बात है। चश्मे की पावर में सुधार होने पर इस समस्या को आसानी से राहत मिल जाती है।
  • अधिक शोरगुल : अगर आवाज़ असामान्य रूप से शोर में रूपायित हो जाए तो यह आपमें सर दर्द का कारण बन सकता है।
  • धूम्रपान : सिगरेट, बीड़ी में निकोटीन मष्तिष्क के रक्त परवाह को प्रभावित करता है। ऐसे में इसके सेवन से यह समस्या होना आम बात है।
  • गुटखा, तंबाकू और सुपारी सेवन : नशीले पदार्थों की आदत लग जाने पर अगर यह समय पर न मिले तो सर में दर्द होना आम लक्षण होते हैं।
  • शराब सेवन : शराब पीने के पश्चात सर में दर्द होना आम बात है। शराब मस्तिष्क को सुन्न और धीमा कर देता है तथा नींद से प्रभावित करता है। ऐसे में जब शराब का असर समाप्त होता है तो सर में दर्द एक आम समस्या है।
  • तनाव : मन का परेशान होना, चिंतित होना, अनावश्यक सोचना, यह सब तनाव को जन्म देते हैं। तनाव को सर में दर्द का प्रमुख लक्षण माना जाता है।

इस सभी के अतिरिक्त मरीज में सर में दर्द के प्रकार के आधार पर भिन्न-भिन्न लक्षण देखने को मिलते हैं। आइए प्रकार के आधार पर लक्षणों को सारगर्भित करें।

तनाव में सर में दर्द के लक्षण :

  • सर के एक या पूरे भाग में दर्द
  • माथे में दर्द और जलन
  • गर्दन और मांसपेशियों में दर्द

क्लस्टर डेस्क सर में दर्द के लक्षण :

  • चुभन भरा सर में दर्द और जलन
  • चेहरे के एक भाग में सूजन और जलन
  • आँख में भी सूजन और जलन
  • आंसू गिरना
  • पसीना आना

माइग्रेन के लक्षण : 

  • सर के एक भाग में बहुत तेज दर्द होना
  • बेचैनी
  • बोलने में कठिनाई
  • उल्टी की अनुभूति या उल्टी होना
  • आँखों के सामने अंधेरा छाना
  • टिमटिमाने वाली रोशनी दिखना
  • टेढ़ी रेखाओं का दिखना

सर दर्द के कारण

सर में दर्द की समस्या आपके जीवन में अनियमितता से पनपती है। आपके रहन-सहन, खान पान, दिनचर्या, दवाइयों का दुष्प्रभाव तथा अनेक ऐसे कारण हैं जो सर में दर्द को जन्म देते हैं। आसान भाषा में समझे तो केवल आपकी जीवनशैली में कुछेक परिवर्तन कर लेने से सर में दर्द से मुक्ति मिल सकती है।

ऐसे में इससे राहत पाने के लिए इलाज या उपचार से अधिक हमें इसके कारणों को पहचान कर लेना चाहिए और उन कारणों से परहेज करना चाहिए। सर में दर्द के कारण को जान लेने से हम यह भी जान जाएंगे की सर दर्द क्यों होता है। सर में दर्द के कुछ सामान्य कारण निम्नलिखित हैं :

  • धूम्रपान, शराब या नशीले पदार्थ का सेवन
  • किसी प्रकार का तनाव, चिंता और अनावश्यक सोचना
  • अनिद्रा या नींद आने में समस्या
  • शोरगुल भरा वातावरण
  • चमकीली रोशनी
  • थकान होने पर भी आराम कम करना

इसके अतिरिक्त खानपान की समस्या भी सर में दर्द को जन्म देती है जो कि इस प्रकार है :

  • पर्याप्त पानी न पीना : जल ही जीवन है। पर्याप्त मात्रा में पानी पीने से शरीर क्रियान्वित रहता है। शरीर ठीक से नहीं चलेगा तो सर में दर्द होना आम बात है इसलिए सर में दर्द से बचाव केवल पर्याप्त मात्रा में पानी पीने से हो जाता है।
  • ब्लड शुगर में परिवर्तन : शरीर में रक्तचाप ठीक तरीके से न हो और ब्लड शुगर का लेवल भी बिगड़ जाए तो सर में दर्द की समस्या हो जाती है। मैग्नीशियम की कमी इस प्रकार से सर में दर्द का कारण बन जाती है।
  • विटामिन डी की कमी : हमारे शरीर को विटामिन डी की आवश्यकता होती है। अगर इसकी पूर्ति न हो तो यह सर में दर्द का प्रमुख कारण बन जाती है।
  • विटामिन बी2 की कमी : माइग्रेन के मरीज को विटामिन बी2 की कमी रहती है। ऐसे में सर में दर्द की समस्या लंबे समय तक बनी रह सकती है।

सर दर्द कैसे ठीक करें?

अगर आपको या आपके किसी परिचित के सर में दर्द रहता है तो एक प्रश्न दिन जो रात सताता होगा कि सर दर्द कैसे ठीक करें। सर में दर्द एक आम बीमारी है जो सामान्य परिस्थितियों में किसी को भी हो सकती है। हालांकि इस बीमारी का घरेलू उपचार भी है और मेडिकल इलाज भी संभव है लेकिन कौन सा इलाज किसके लिए उचित है यह उसके दर्द के प्रकार पर निर्भर करता है। अगर समस्या गंभीर न हो तो घरेलू उपायों से भी त्वरित उपचार किया जाता है। इसलिए सर दर्द कैसे ठीक करें प्रश्न के उत्तर एक प्रश्न में निहित है। वह प्रश्न है सर में दर्द हो तो क्या करें? आइए इसका हल विस्तार से आत्मसात करें।

सर दर्द का इलाज

सर में दर्द से पीड़ित के मन में प्रश्न अनेक हैं। सर दर्द कैसे ठीक करें? सर में दर्द हो तो क्या करें? सवाल अनेक पर उत्तर एक – सही समय पर सर दर्द का इलाज यथासंभव करें। याद रहे कि सर दर्द का इलाज में मेडिकल उपचार हेतु अपने डॉक्टर से उचित सलाह के आधार पर दवाइयों का सेवन करें। सर में दर्द का कारण जान लेने के बाद सर दर्द का इलाज कर पाना और भी आसान हो जाता है। सर दर्द का इलाज में घरेलू उपायों से त्वरित उपचार अर्थात तुरंत ठीक कर सकते हैं। इसलिए घरेलू उपायों से सर में दर्द का इलाज किया जा सकता है।

सर दर्द का इलाज के अंतर्गत सर दर्द के घरेलू उपाय निम्न प्रकार हैं :

  • मैग्नीशियम वाली आहार : मैग्नीशियम की कमी से सर में दर्द होता है। इसके उपचार में ऐसी खुराक लें जिसमें मैग्नीशियम भरपूर मात्रा में हो जैसे पालक, पत्ता गोभी, बथुआ, मेथी, लौकी और कोई भी हरी पत्तेदार सब्जी का सेवन लाभकारी होता है।
  • दूध और दही है सही : मैग्नीशियम की पूर्ति करने के लिए दुग्ध पदार्थ का सेवन भी अत्यंत लाभकारी होता है।
  • जल ही जीवन है : पर्याप्त मात्रा में पानी पीने से सर में दर्द की समस्या से निजात पाया जा सकता है। डिहाइड्रेशन अर्थात पानी की कमी  सर में दर्द का कारण है।
  • धूप भी है जरूरी : सुबह की हल्की धूप का सेवन करने से हड्डियां मजबूत होती हैं तथा विटामिन डी की भी पूर्ती होती है। विटामिन डी की कमी सर में दर्द का प्रमुख कारण है।
  • फोर्टिफाइड अनाज : दूध, दही, सब्जी और फल से हर प्रकार की विटामिन की पूर्ति होती है। साथ ही सर में दर्द भी चला जाता है।
  • तेल मालिश : मसाज और मालिश से भी सर में दर्द को चुटकी में भगाता है और अच्छी नींद भी प्रदत्त करता है।
  • नारियल पानी : स्वच्छ पानी का सबसे अच्छा स्रोत नारियल पानी आपके शरीर में पानी की कमी को भी पूरा करता है।
  • बर्फ की सेक : बर्फ की सेक आपके सर के पीड़ादायक भाग को ठंडा करने में सहायक होता है।
  • नशा मुक्त रहें : शराब, गुटखा, तंबाकू, बीड़ी या अन्य किसी भी प्रकार के नशे से दूर रहें।
  • टेंशन को पेंशन देना होगा : चिंता, तनाव, अनावश्यक सोचना, क्रोध, दुःख जितना हो सके मोह को त्याग कर शांत, सरल और सहज जीवन का निर्वाह करें।

निष्कर्ष

सर में दर्द एक आम बीमारी है जिसका घरेलू उपचार जो इसकी रोकथाम के लिए पर्याप्त है। लेकिन सर में दर्द के अनेक प्रकारों में से एक माइग्रेन बहुत ही जटिल समस्या है। माइग्रेन एक दीर्घकालिक समस्या है। माइग्रेन का इलाज भी दीर्घकालिक प्रक्रिया है। ऐसे में निर्धन और मध्यमवर्गीय परिवारों के लिए माइग्रेन जैसी समस्या हेतु धन जुटा पाना चुनौतीपूर्ण कार्य हो सकता है। माइग्रेन में इलाज खान पान, रहन सहन, दवाइयों और काउंसलिंग इन चारों पर निर्भर करता है। इसलिए ऐसी परिस्थिति में माइग्रेन का इलाज बीच में ही छूट सकता है। ऐसी किसी भी परिस्थिति से बचने के लिए यह आवश्यक है कि आप धन की चिंता छोड़ें और क्राउडफंडिंग का सहारा लेकर अपने जीवन को माइग्रेन मुक्त तथा सुंदर बनाए। 

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