सर्दी-जुकाम | Cold & Cough In Hindi

जब से दो पैर वाला यह प्राणी अपने अस्तित्व में आया है तभी से उसे सर्दी और जुकाम हो रही है। इसलिए मनुष्य के जीवन में खुशियां भले ना आये लेकिन छींक और खांसी अवश्य आती है। हंसी मजाक में ऐसी बात कही जाती है कि आदमी का सर्दी-जुकाम से सात जन्मों का नाता है। आज इसी बीमारी पर वृहत्तर चर्चा को इस लेख में सम्मिलित किया गया है ताकि आम जन का जनजीवन इस आम और अति साधारण बीमारी से प्रभावित ना हो।

जब शरीर का संक्रमण(वायरस) से संपर्क बनता है तो सर्दी और जुकाम के लक्षण देखने को मिलते हैं। अगर इस बीमारी से पीड़ित व्यक्ति की स्वास्थ्य स्थिति गंभीर न हो तो घरेलू इलाज एक अच्छा विकल्प है। लेकिन हालत अत्यधिक गंभीर होने पर डॉक्टर से यथासंभव उपचार अनिवार्य रूप से करा लेना चाहिए।

इस लेख में सर्दी-जुकाम क्या है, जुकाम क्यों होता है, जुकाम कैसे होता है, बार-बार सर्दी होने का कारण, जुकाम के लक्षण, जुकाम कैसे ठीक करें, जुकाम का इलाज, सर्दी-जुकाम का घरेलू इलाज, जुकाम में क्या करें और निष्कर्ष को सरल-सहज रूप में प्रस्तुत किया गया है ताकि पाठक इन्हें जान कर जागरूक और सतर्क रहे।

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सर्दी-जुकाम क्या है? 

Sardi Jukam

अगर सर्दी-जुकाम क्या है के प्रश्न का उत्तर को कम शब्दों में टंकित किया जाए तो ऐसा कह सकते हैं कि यह संक्रमण से होने वाली एक बीमारी है। रोगी का शरीर सर्दी और जुकाम का निवास स्थान बन जाता है। छींक और खांसी का आना सामान्य लक्षण है। द्रव्य रूपी विकार के कारण नाक भरी-भरी लगती है। कुछ लोगों में नाक बंद होने के लक्षण देखने को मिलते हैं तो वहीं कुछ लोगों की नाक से द्रव्य बहने भी लगता है। इसके अतिरिक्त पीड़ित का गला भी बैठ जाता है।

लेकिन यह बीमारी जीवन में एक बार नहीं होती। बार-बार सताती रहती है। साधारण सी लगने वाली यह बीमारी मरीज को शिथिल कर देती है। ऐसे में यह जानना आवश्यक हो जाता है कि जुकाम क्यों होता है? आइए इसे समझने का प्रयास करें।

जुकाम क्यों होता है?

अगर हमें इस प्रश्न के उत्तर को सारगर्भित करना हो की जुकाम क्यों होता है तो इसके जवाब को दो भाग में विभाजित किया जा सकता है। पहला भाग संक्रमण की सामान्य जानकारी और दूसरा भाग संक्रमण कैसे फैलता है।

आइए जानें संक्रमण का सामान्य परिचय। जब शरीर किसी संक्रमण अर्थात वायरस के संपर्क में आता है तो सर्दी-जुकाम हो जाती है। लेकिन इसका विशेष रूप से कोई एक वायरस नहीं हैं। अनेकों वायरस में से किसी एक के संपर्क में आने से आदमी को सर्दी-जुकाम हो सकती है। मूल रूप से ये चार वायरस ही मनुष्य को संक्रमित करते हैं :

  • राइनोवायरस
  • एडेनोवायरस
  • करोनावायरस
  • ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस

इन सभी प्रमुख वायरस के भी अनेक उपप्रकार हैं। सर्दी-जुकाम का संक्रमण राइनोवायरस से ही होता है। लेकिन वसंत और पतझड़ ऋतु में ही होने वाले संक्रमण का कारण राइनोवायरस है। इसके अलावा अन्य सभी ऋतुओं में होने वाला संक्रमण सामान्य सर्दी को जन्म देता है।

जुकाम कैसे होता है?

यह जानना भी आवश्यक हो जाता है कि यह बीमारी  कैसे होती है। शरीर के संक्रमित होने से रोगी को जुकाम हो जाता है। ये संक्रमण कहाँ से आता है? हमारे वातावरण में ये संक्रमण पहले से ही उपस्थित हैं। बस, शरीर इनके सम्पर्क में आते ही संक्रमित हो जाता है।

आइए जानें की संक्रमण कैसे फैलता है अर्थात जुकाम कैसे होता है :

  • अगर कोई संक्रमित व्यक्ति छींक या खांस दे
  • अगर किसी संक्रमित व्यक्ति से हाथ मिला लें
  • संक्रमित व्यक्ति की वस्तु का उपयोग करने से
  • संक्रमित व्यक्ति के साथ रहने से
  • अगर आपका घर और उसके आसपास गंदगी हो
  • ठन्डे के बाद गरम या गरम के बाद ठंडा खा लेने से

बार-बार सर्दी होने का कारण

अगर कोई बीमारी बार-बार हो रही है तो यह निश्चित ही चिंता का विषय है। कई लोगों को इस आम बीमारी के बारे में सही जानकारी नहीं होती। अधूरी या गलत जानकारी रखने वाले लोगों की संख्या भी बहुत अधिक है। ऐसे भी लोगों का व्यापक संख्या बल है जिन्हें इस बीमारी की कोई जानकारी नहीं है। यथासंभव उपचार और रोकथाम करने के लिए बार-बार सर्दी होने का कारण पर प्रकाश डालना अनिवार्य हो जाता है।

आइए बार-बार सर्दी होने का कारण को समझें : 

  • संक्रमित व्यक्ति के सम्पर्क में आना : जब कोई स्वस्थ व्यक्ति किसी संक्रमित व्यक्ति से हाथ मिलाता है तो उसके शरीर में पहले से उपस्थित संक्रमण स्वस्थ व्यक्ति में फ़ैल जाते हैं। संक्रमित व्यक्ति अगर हाथ मिलाने के बजाए कहीं पर भी स्पर्श करता है या आलिंगन में ले लेता है तो भी आपके शरीर में संक्रमण फ़ैल सकता है। अगर आप संक्रमित व्यक्ति के साथ में रह रहे हैं तो ऐसी परिस्थिति में संक्रमण फैलने की संभावना बहुत अधिक रहती है।
  • संक्रमित वस्तु के संपर्क में आना : अगर संक्रमित व्यक्ति के वस्तुओं का इस्तेमाल आप कर लेते हैं तो भी संक्रमण फैलने की संभावना बनी रहती है। संक्रमित व्यक्ति की वस्तुएँ जैसे की रुमाल, कपड़े, बर्तन, फोन आदि को आपने स्पर्श मात्र भी कर लिया तो वायरस के सम्पर्क में आने के आसार और अधिक बढ़ चुके हैं।
  • संक्रमित स्थान में निवास करना : अगर आपका वातावरण स्वच्छ नहीं है तो ऐसे में आपके संक्रमित होने के आसार बढ़ जाते हैं। आस-पास की गंदगी के कारण संक्रमण आसानी से फ़ैल सकता है। संक्रमित स्थान के कुछेक उदाहरण जैसे घर में साफ़-सफाई न होना, फल, सब्जी आदि खाद्य पदार्थों का सेवन बिना धोएं करना, घर के किसी एक अथवा अनेक कोने में मकड़ी के जाले लग जाना, कॉकरोच आदि का घर में निवास होना आदि।
  • किसी के छींकने या खांसने से : अगर आप किसी संक्रमित व्यक्ति के आस-पास खड़े हैं तो उसकी छींक और खांसी से निकला संक्रमण हवा के माध्यम से आपके शरीर में प्रवेश कर जाता है। हवा संक्रमण को फैलाने का सबसे अच्छा साधन माना जाता है। इसलिए हवा में संक्रमण सदैव सक्रिय रहता है। संक्रमित हवा के सम्पर्क में आने से शरीर में संक्रमण कब फैला यह जान पाना बहुत कठिन होता है।
  • उम्र की दहलीज पार कर लेने पर : बूढ़े व्यक्तियों में रोग से लड़ने की क्षमता काम होती है। असल में उम्र के बढ़ते क्रम में मनुष्य की प्रतिरोधक क्षमता काम होती चली जाती है। ऐसे में वृद्धजनों को अनेक बीमारियां परेशान करने लगती हैं। रोग निवारण क्षमता कम होने के कारण वृद्धावस्था में शरीर अनेक रोगों का घर बन जाता है इसलिए बूढ़े लोगों को सर्दी और जुकाम आसानी से हो जाता है।
  • उम्र के पहले-पहले कदम पर : जिस प्रकार बूढ़े लोगों में प्रतिरोधक क्षमता कम होने के कारण वे बीमारियों से लड़ने में असमर्थ होते हैं। ठीक उसी तरह नवजात शिशुओं और छोटे बच्चों का शरीर भी कमजोर होता है। ऐसे में उनके शरीर को अनेक बीमारियां घेर सकती हैं। बच्चों को होने वाली उन बीमारियों की सूची में यह बीमारी भी शामिल है।
  • प्रतिरोधक क्षमता क्षीण होने पर : आप चाहे किसी भी उम्र में हो लेकिन फिर भी अगर आपकी प्रतिरोधक क्षमता कमजोर रहे तो ऐसे में शरीर अनेक रोगों का घर बन जाता है।
  • धूम्रपान : अगर सिगरेट, बीड़ी या अन्य किसी भी प्रकार के नशीले पदार्थ के धूम्रपान का सेवन किसी व्यक्ति द्वारा किया जाता है तो उसे यह बीमारी आसानी से हो सकती है। धूम्रपान आपके फेफड़े, नाक, गला और मुंह में कैंसर ट्यूमर का निर्माण कर उस ट्यूमर स्थित अंग को कमजोर कर देता है ऐसे में नाक, कान, गला और फेफड़े संबंधित बीमारियां होने की संभावना अधिक बनी रहती है।
  • गुटखा, तंबाकू का सेवन : नशीले पदार्थ आपके स्वास संबंधी बीमारियों के प्रमुख कारक होते हैं।
  • शीतल पेय या पदार्थों का सेवन : ठंडा पेय या पदार्थ जैसे आइसक्रीम, कोल्ड ड्रिंक आदि का सेवन फेफड़ों और गले को नुक्सान पहुंचाता है। इनका सेवन अनेक बीमारियों को बुलावा देता है।
  • मौसम में अचानक से परिवर्तन : अगर आप के आसपास मौसम में अचानक से बदलाव हो जाए जैसे गर्मी में बारिश हो जाना तो यह भी सर्दी-जुकाम को निमंत्रण देता है।
  • शीतकालीन ऋतुओं का प्रभाव : ठण्ड के मौसम में नाक, कान, गला सम्बन्धी बीमारियों के होने के आसार बने रहते हैं।

जुकाम के लक्षण

किसी भी आम बीमारी की तरह जुकाम के लक्षण भी आसानी से पहचाने जा सकते हैं। अच्छी बात यह है कि इसके लक्षण छिपे हुए नहीं होते अर्थात वे मरीज में दिखाई देते हैं। संक्रमण फैलने के कुछ दिन बाद ही जुकाम के लक्षण मरीज में प्रदर्शित होने लगते हैं। लेकिन लक्षण कितने दिन बाद दिखाई देने लगते हैं यह हर मरीज में एक समान नहीं होता। कुछ मरीजों में इसके लक्षण दो से तीन दिन बाद दिखाई देते हैं। कुछेक परिस्थितियों में जुकाम के लक्षण एक सप्ताह पश्चात भी देखने को मिल सकते हैं।

आप इस प्रकार से जुकाम के लक्षण को पहचान कर इस बीमारी से बचाव कर सकते हैं :

  • गले में खराश : अगर जुकाम के लक्षण में प्रारंभिक लक्षणों की बात करें तो सबसे पहले मरीज के गले में खराश होने लगती है। कारणवश उसका गला बैठ जाता है और आवाज़ कर्कश हो जाती है।
  • गले में दर्द, जलन और खुजली : अगर व्यक्ति संक्रमित है तो सबसे पहले गले में दर्द और जलन होने लगती है। ऐसा होने का कारण गले में बनने वाला कफ है। इसके अतिरिक्त गले में खुजली भी होने लगती है।
  • खांसी आना : निश्चित ही अगर संक्रमित व्यक्ति को गले में खराश है तो उसमें लगातार खांसी के संकेत भी देखने को मिलते हैं। छाती में द्रव्य रुपी विकार कंजेशन को जन्म देता है। इस विकार को बाहर निकालने हेतु खांसी शुरू हो जाती है। खांसी सूखी या गीली दो प्रकार की होती है लेकिन जुकाम में गीली अर्थात कफ वाली खांसी ही आती है।
  • छाती में दर्द : कुछ परिस्थितियों में मरीज के छाती में दर्द भी देखने को मिला है। कफ निर्माण होने के कारण छाती में कंजेशन होने लगता है। परिणामस्वरूप छाती में एक असहनीय पीड़ा अर्थात दर्द होने लगता है।
  • बंद नाक : संक्रमित व्यक्ति में दिखने वाला पहला लक्षण बंद नाक ही होती है। इस स्थिति में मरीज को नाक की श्वास नालियों से सांस लेने में कठिनाई का सामना करना पड़ता है।
  • भरी हुई नाक : संक्रमित व्यक्ति के नाक में द्रव्य रुपी विकार भरा रहता है। नाक के बाल छन्नी की तरह काम करते हैं। इनका मुख्य उद्देश्य नेत्र से ओझल कचरे और दूषित पदार्थों को श्वास नालियों में जाने से रोकना है। लेकिन संक्रमित व्यक्ति के नाक के बाल काम करना बंद कर देते हैं और इस कारण नाक में कचरा जमा होने लगता है।
  • नाक बहना : जब नाक में संक्रमण के कारण द्रव्य रुपी विकार जमा होने लगता है तो ऐसे में उस द्रव्य का स्वतः बाहर आना स्वाभाविक है। इसलिए यह सबसे आम लक्षण है।
  • छींक आना : एक स्वस्थ मनुष्य को दिन में या सप्ताह में एक बार छींक आती है लेकिन संक्रमित व्यक्ति को दिन में कई बार छींक आती है। लगातार छींक आना जुकाम के लक्षण के रूप में चिन्हित किया जाता है।
  • सर दर्द : इन सभी लक्षणों के साथ-साथ सर में दर्द की समस्या भी बनी रहती है। मनुष्य के खोपड़े में एक असहनीय पीड़ा होने लगती है।
  • शरीर में असहनीय दर्द : कंधे, कमर और बदन में दर्द होना भी सामान्य लक्षण में गिना जाता है। अनिश्चित काल के लिए यह असहनीय पीड़ा दृष्टिगत होती है।
  • अनावश्यक थकान : बिना कोई परिश्रम या कठिन कार्य किये बिना ही थकावट की अनुभूति होने लगती है। शरीर हमेशा निढाल बिस्तर पर पड़ा रहता है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि इस समय शरीर में उपस्थित प्रतिरोधक क्षमता वायरस को हराने का भरपूर प्रयास कर रहा है।
  • बुखार और ठंड : बुखार आने के पश्चात शरीर किसी भट्टी की भांति तपने लगता है। शरीर में अचानक बढे हुए तापमान के कारण मरीज या संक्रमित व्यक्ति को ठंड लगने लगती है।

जुकाम कैसे ठीक करें?

जैसा की आपने अब तक इस लेख में संक्रमण में होने वाली कोल्ड और कफ बीमारी के बारे में महत्वपूर्ण जानकारियों के माध्यम से उसके लक्षण और कारणों को जाना। इनकी जानकारी मिलने से यह भी पता लगाया जा सकता है कि जुकाम कैसे ठीक करें

वायरस से होने वाली बीमारियों के इलाज की भी जानकारी को इकट्ठा करने के लिए लक्षणों और कारणों की जानकारी होना आवश्यक है। अर्थात लक्षण और कारणों की पहचान से जो जानकारी बटोरी गई है उसे जुकाम कैसे ठीक करें की जानकारी में रूपायित किया जा सकता है।

जुकाम का इलाज

अगर किसी मरीज की हालत बहुत गंभीर हो तो ऐसे में डॉक्टर को दिखा कर यथासंभव उपचार अनिवार्य हो जाता है। लेकिन जुकाम का इलाज के अंतर्गत मेडिकल उपचार में गोलियों का सेवन डॉक्टर के पर्चे के बिना नहीं करना चाहिए। क्योंकि सर्दी-जुकाम के टेबलेट के साइड इफेक्ट्स भी होते हैं। अगर संक्रमित व्यक्ति केवल सामान्य कोल्ड और कफ से पीड़ित है तो ऐसे में घरेलू उपायों के माध्यम से मरीज को ठीक किया जा सकता है।

जुकाम का इलाज दो प्रकार से होता है :

  • मेडिकल उपचार और
  • घरेलू उपाय

सर्दी-जुकाम का घरेलू इलाज

बहुत ही आम बीमारी का इलाज भी एकदम आम है। अगर संक्रमित व्यक्ति शरीर में निवास कर चुके तथा विकसित हो चुके संक्रमण का इलाज चाहता है तो उसे कुछ आसान घरेलू उपचार करने की आवश्यकता है। संक्रमण में जुकाम का इलाज के अंतर्गत सर्दी-जुकाम का घरेलू इलाज तुरंत असर करता है।

सर्दी-जुकाम का घरेलू इलाज निम्नलिखित है :

  • नमक पानी का गरारा : गले में बन रही खराश को जड़ से समाप्त करने के लिए नमक के पानी से गरारा करना रामबाण इलाज है। यह एक ऐसा इलाज है जो हर घर में आसानी से उपलब्ध हो सकता है। बस पानी को गुनगुना करें और नमक घोलने के पश्चात गरारा करें। यह तुरंत आराम पहुंचाता है। इससे गले में सूजन, दर्द और जलन से भी राहत मिलती है।
  • गर्म पानी का भाप : नाक बंद होने, बहती नाक और छाती में बने कफ को आसानी से बाहर निकालने के लिए भाप भी इस्तेमाल में लाया जाता है।
  • तुलसी का काढ़ा पिए : घर के आंगन में खिलने वाली तुलसी हर मर्ज का रामबाण इलाज है। तुलसी में अनेक गुण हैं जो वैसे तो हर बीमारी का इलाज करते हैं लेकिन नाक,कान और गला संबंधी विकार का अचूक इलाज तुलसी के काढ़े में निहित है। काढ़ा बनाने के लिए तुलसी के पत्तों को पीस कर पानी में घोलें और गर्म करें। आप चाहें तो अदरक, लौंग और अन्य औषधियों को भी इस काढ़े में मिला सकते हैं।
  • हल्दी वाला दूध : बंद नाक, बहती नाक, गले में दर्द और खराश को ठीक करने के लिए सबसे असरदार घरेलू नुस्खा गर्म दूध में हल्दी का घोल है। इसका सेवन तुरंत राहत देता है।
  • अदरक : कफ वाली खांसी आने पर अदरक को मुंह के एक कोने में रख कर उसके तीखे पानी को चूसने से अंदर जमा सारा कफ बाहर आ जाता है।
  • भुनी हुई लहसुन : प्रकृति ने हमें लहसुन के रूप में एक ऐसा पदार्थ दिया है जो वायरस और फंगी को जड़ से समाप्त करने की क्षमता रखता है। बस इसे भून कर खा लें और काम हो गया।

जुकाम में क्या करें

अगर किसी व्यक्ति को किसी कारणवश संक्रमण हो गया है तो उसके मन में आने वाला पहला प्रश्न यह है कि जुकाम में क्या करें? जुकाम की रोकथाम ही इस प्रश्न का उत्तर है। अर्थात अगर भीतर यह संदेह जन्म ले कि जुकाम में क्या करे तो निवारण केवल एक है – जुकाम की रोकथाम।

निम्नलिखित उपायों का प्रयोग में लाया जा सकता है :

  • संक्रमित व्यक्तियों से उचित दूरी बना कर रखें।
  • संक्रमित व्यक्ति के वस्तुओं को हाथ ना लगाएं।
  • संक्रमित स्थान में निवास न करें।
  • किसी भी स्थान या जगह में गंदगी न जमा होने दे।
  • साफ़-सफाई का पालन करें।
  • धूम्रपान, गुटका, बीड़ी और शराब का सेवन न करें।
  • खांसते या छींकते समय मुंह को ढक लें। साथ में रुमाल का भी सेवन करें।
  • ठंड से बचने हेतु गर्म कपड़े और कंबल का प्रयोग करें।

निष्कर्ष

सर्दी और जुकाम होना एक आम बात है। लेकिन आम बीमारियां भी यथासंभव इलाज के अभाव में घातक बीमारी का रूप ले लेती हैं। ऐसे में सामान्य रोग की भी सम्पूर्ण जानकारी रखना अनिवार्य हो जाता है। विशेष रूप से जब समाज में संक्रमण तेजी से फ़ैल रहा हो तब अधिक सतर्क रहने की आवश्यकता है।

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