क्या है बवासीर के लक्षण? जानिए बवासीर का इलाज और बचाव

संसार की कुल आबादी को अगर सौ प्रतिशत मान लिया जाए तो 60% लोग कभी न कभी बवासीर की चपेट में आ चुके हैं। बवासीर को इंग्लिश में पाइल्स कहते हैं। इसका एक अन्य नाम हेमोरॉयड्स भी है। पाइल्स कोई खासम-ख़ास बीमारी नहीं है। किसी को भी हो सकती है। यह एक वैश्विक समस्या है। लेकिन यह असाध्य रोग नहीं है। अर्थात बवासीर का इलाज संभव है। कोई भी मरीज बवासीर के लक्षण की सही जानकारी प्राप्त कर इससे ठीक हो सकता है। हालांकि शुरुआती समय में घरेलू उपायों के माध्यम से इलाज किया जा सकता है।

लेकिन इतनी आम बीमारी के बारे में आम लोगों को या तो कम जानकारी है या कोई जानकारी ही नहीं है। जानकारी के अभाव में लोग सही समय पर सही जानकारी से वंचित रह जाते हैं। परिणामस्वरूप उपचार योग्य रोग भी असाध्य हो जाता है। समय के बढ़ते क्रम में समस्या बहुत बढ़ने लगती है। ऐसे में पाइल्स जैसी आम समस्या को अच्छे से जान लेना आवश्यक हो जाता है ताकि मरीज को इस बीमारी से होने वाली परेशानियों से मुक्ति मिल सके।आइए इस लेख के माध्यम से आसान भाषा में जाने की बवासीर क्या होता है, बवासीर क्यों होता है, बवासीर कैसे होता है, बवासीर के लक्षण, बवासीर के प्रकार, तथा बवासीर का इलाज कब और कैसे होता है।

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बवासीर क्या होता है?

Piles Meaning In Hindi

अगर आपके मन में भी यही प्रश्न उठ रहा है की बवासीर क्या होता है तो आपकी जानकारी के लिए बता दें कि विज्ञान ने इस बीमारी को विस्तार से परिभाषित किया है। मलाशय के निचले हिस्से में सूजन जिसके कारण उसके आस-पास के हिस्से अर्थात कूल्हे की कोशिकाओं में भी सूजन और दर्द होने लगे तो उसे बवासीर कहते हैं।

आमतौर पर दर्द और सूजन के अतिरिक्त मरीज के गूदे में खुजली और जलन भी होती है। निचले गूदे में सूजी हुई नसों के कारण गूदे और कूल्हे में सूजन आ जाती है। ये सूजी हुयी नसें अंतड़ियों के ऊपरी भाग में भी अपना साम्राज्य फैला लेती हैं।

यह सूजी हुयी नसें गूदे के आस-पास वाली जगह में असहनीय दर्द और पीड़ा की प्रमुख कारक होती हैं। यह सूजन छोटी और बड़ी अर्थात किसी भी आकार की हो सकती है। ये किसी भी जगह में निर्मित हो सकती हैं।

बवासीर के प्रकार

देह में स्थान विशेष के आधार पर बवासीर को दो श्रेणियों में बांटा जाता है : 

  • आंतरिक : दुनिया में सर्वाधिक पाइल्स के मामले इसी श्रेणी के होते हैं। इसमें पाइल्स गूदे के छिद्र से न्यूनतम दो सेंटीमीटर और अधिकतम चार सेंटीमीटर की दूरी पर स्थित होती है।
  • बाह्य या बाहर की ओर : गूदे के छिद्र के बाहर की और अर्थात् बाह्य सीमा पर पाइल्स हो जाती है।

वैसे तो सामान्य रूप से पाइल्स को दो श्रेणियों में वर्गीकृत किया जाता है। लेकिन चिकित्सा के दृष्टिकोण से पाइल्स के अनेक प्रकार हैं। इन विभिन्न प्रकारों का चिकित्सक द्वारा विभाजन बवासीर के इलाज में अनिवार्य और सहायक होता है।

आइए मरीज की बीमारी के गंभीरता के अनुसार इन विभिन्न प्रकारों पर विधिवत चर्चा करें : 

  • प्रथम श्रेणी : इसे प्राथमिक स्तर का पाइल्स कहते हैं। इसमें सूजन छोटे आकार के और बिना मेडिकल सर्जरी के ठीक हो जाते हैं। दवाइयों का इस्तेमाल आवश्यकता होने पर किया जाता है अन्यथा केवल घरेलू उपायों से ही उपचार हो जाता है। सूजन का स्थान गूदे की परत के भीतर स्थित होता है।
  • द्वितीय श्रेणी : प्रथम श्रेणी की तुलना में इस श्रेणी में सूजन का आकार बड़ा होता है तथा उनका स्थान गूदे के भीतर होता है। मल के निकलने पर वे बाहर आ जाते हैं किन्तु शौच पूरा होने पर पुनः गूदे में समा जाते हैं।
  • तृतीय श्रेणी : इस प्रकार के सूजन का स्थान गूदे के बाहर मलाशय या मल निष्कासन छिद्र के आस-पास होता है। सूजन के अतिरिक्त घाव और इन्फेक्शन भी हो सकते हैं। इसका एक अन्य नाम प्रोलैप्सेड पाइल्स भी है।
  • चतुर्थ श्रेणी : अन्य सभी श्रेणियों की तुलना में सूजन का आकर इतना बड़ा होता है कि शौच में अनिमियता और असहनीय पीड़ा जैसे लक्षण दृष्टिगत होते हैं। इस स्टेज पर अगर मरीज है तो निश्चित ही सर्जरी या यथासंभव उपचार की आवश्यकता होती है।

इस भाग में हमने पाइल्स के विभिन्न प्रकार अर्थात types of piles in hindi पर प्रकाश डाला है जो लक्षण पहचानने और इलाज में सहायक होते हैं।

बवासीर के लक्षण

बवासीर कितनी गंभीर बीमारी है यह मरीज पर निर्भर करता है। सभी मरीजों में यह इतनी गंभीर नहीं होती। किन्तु कुछ मामलों में यह इतनी गंभीर होती है कि यह स्वतः ठीक नहीं हो सकती। आंकड़ों के अनुसार 50% रोगियों को बवासीर के लक्षण की सही जानकारी नहीं होती। इनमें से 30% रोगी इस बात से अनभिज्ञ होते हैं कि उन्हें बवासीर जैसी कोई बीमारी है।

लेकिन डॉक्टरों ने इस बीमारी के कुछेक सामान्य लक्षण की खोज कर उपचार की प्रक्रिया और भी अधिक आसान कर दिया है। क्रमानुसार बवासीर के लक्षण अर्थात piles symptoms in hindi की जानकारी प्राप्त कर मरीज की स्थिति को बेहतर तरीके से समझने का प्रयास कर सकते हैं। इन लक्षणों को सही समय पर पहचान लेने से बवासीर कैसे होता है और बवासीर का इलाज इन दोनों प्रश्नों का उत्तर मिल जाता है जो मरीज के उपचार में सहायता करता है।

पाइल्स के मरीज को लक्षणों के रूप में इन समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है:

  • गूदे से खून का रिसाव : मल निष्कासित करने वाले अंग मलाशय से नित्यकर्म के उपरान्त मल के अतिरिक्त गाढ़े लाल रंग का खून निकलना।
  • मल में खून : शौच के समय मल निकलने के कारण रक्त का रिसाव होना। इस कारण मल में रक्त दृष्टिगत होता है। यह खुनी बवासीर भी कहलाता है।
  • खून की कमी : मल निष्कासन या शौच के समय रक्त के अत्यधिक रिसाव से शरीर में खून की कमी भी हो सकती है। परिणामस्वरूप बवासीर का रोगी को एनीमिया की भी बीमारी हो सकती है।
  • पेशाब करने में असमर्थ : पाइल्स के मरीज को पेशाब करने में समस्या का सामना करना पड़ सकता है।
  • खुजली : गूदे तथा उसके आस-पास की जगह पर तेज खुजली होना, बार-बार खुजली होना।
  • गूदे का लाल हो जाना : अत्यधिक खुजली होने के कारण गूदे को बार-बार खुजलाने से उसके आस-पास की त्वचा लाल हो जाती है। ऐसा करने से उस जगह की कोशिकाएं संवेदनशील हो जाती हैं। इससे मल निष्कासन में असंयमिता या अनर्गलता का अनुपालन होने लगता है।
  • शौच करने में समस्या : मल त्यागने के दौरान या उसके बाद असहनीय पीड़ा की अनुभूति होना कारणवश शौच एक कष्टदायक कर्म हो जाता है।
  • पीड़ादायक गांठ बन जाना : निचले गूदे में जलन होने के कारण खून के थक्के बन जाते हैं। इसे गांठ भी कहते हैं। इन गांठों के कारण मरीज को असहनीय दर्द और पीड़ा का सामना करना पड़ता है। खून के थक्के वाली पाइल्स को थ्रोम्बोस्ड एक्सटर्नल हेमोरॉयड्स भी कहते हैं।
  • एनल फिस्टुला : पाइल्स की बीमारी के कारण गूदे की थैली में इंफेक्शन हो जाता है।

जैसा कि पहले ही उल्लेख किया गया है कि सभी मरीजों में बवासीर की गंभीर समस्या देखने को नहीं मिलती। प्राथमिक स्तर पर घरेलू उपायों से उपचार करने के तत्पश्चात् पाइल्स की बीमारी से छुटकारा पाया जा सकता है। लेकिन प्राथमिक स्तर पर मरीज की हालत में सुधार होने के बजाय और अधिक नासूर होने लगे तो ऐसे में चिकित्सक से परामर्श कर लेना चाहिए। रक्त के अत्यधिक रिसाव और इंफेक्शन की परिस्थिति में मेडिकल सलाह आवश्यक हो जाती है। अधिकांश मरीजों को बवासीर के लक्षण की सम्पूर्ण जानकारी नहीं होती। अगर संकेतों और समस्याओं से भली-भांति परिचित हो तो तथा सही समय पर मरीज को यथासंभव उपचार मिले इस समस्या से आसानी से निपटा जा सकता है।

बवासीर का इलाज

मेडिकल साइंस में बवासीर का इलाज संभव है। लेकिन इलाज बीमारी की गंभीरता पर निर्भर करता है। अधिकांश मामलों में यह घरेलू उपायों से ठीक हो जाता है। लेकिन उससे भी ठीक ना हो तो चिकित्सक से सलाह लेना आवश्यक है। इलाज संभव है अगर बवासीर कैसे होता है इस अनिवार्य प्रश्न का उत्तर मरीज के स्व जांच या चिकित्सक के विभिन्न मेडिकल जांच के माध्यम से खोज लिया गया है। इसके अतिरिक्त बवासीर के लक्षण की पहचान भी इलाज की प्रक्रिया का महत्वपूर्ण हिस्सा है।

अगर घरेलू उपायों द्वारा प्राथमिक स्तर पर किये गए उपचार से मरीज में सुधार होने के स्थान पर बवासीर अगर बढ़ रही है तो चिकित्स्क आपको बवासीर के इलाज के अंतर्गत सामान्य चिकित्सा और सर्जरी दोनों में से कोई एक करने की सलाह देते हैं।

आइए सबसे पहले बवासीर के इलाज के अंतर्गत रुग्णालय अथवा अस्पताल में उपलब्ध सामान्य चिकित्सा पद्धति पर विस्तारपूर्वक चर्चा कर लेते हैं : 

  • रबर बैंड लिजिटेशन : मरीज के शरीर में जिस स्थान पर पाइल्स है उस पर एक बैंड बांध दिया जाता है। ऐसा करने से वह स्वतः देह से अलग हो जाता है।
  • स्क्लेरोथेरेपी : आपके सूजन रूपी पाइल्स में इंजेक्शन के माध्यम से एक द्रव्य को भरा जाता है। ऐसा करने से वह सिकुड़ जाता है।
  • इलेक्ट्रोथेरेपी : पाइल्स में इलेक्ट्रिक करंट देकर उसे सिकोड़ने की चिकित्सा पद्धति।
  • इंफ्रारेड पद्धति : इंफ्रारेड किरणों के माध्यम से पाइल्स का रक्त बहाव रोक दिया जाता है। ऐसी स्थिति में वह शीघ्र ही सिकुड़ जाते हैं।

इन सभी सामान्य चिकित्सा पद्धति में मरीज के पाइल्स प्रभावित जगह को सुन्न कर दिया जाता है। सफलतापूर्वक इलाज होने के बाद उसी दिन मरीज को डिस्चार्ज भी कर दिया जाता है। लेकिन सामान्य चिकित्सा पद्धति के उपचार पश्चात अगर सेहत में सुधार न हो तो सर्जरी ही रामबाण इलाज माना जाता है।

आइए क्रमानुसार विभिन्न प्रकार की सर्जरी पर चर्चा करें :

हेमोराहाईडेक्टोमी : अनुभवी सर्जन के द्वारा मरीज के पाइल्स को शरीर से काट कर अलग कर दिया जाता है।

हेमोराहाईडेक्टोमी : इस सर्जरी में सभी पाइल्स की आपस में नत्थी कर दी जाती है।

बवासीर के कारण

लेख के इस भाग में दो प्रश्नों के उत्तर को सारगर्भित किया गया है। पहला बवासीर कैसे होता है और बवासीर क्यों होता है। पाइल्स के लक्षणों को जान लेने के पश्चात इसके कारणों को जानना भी आवश्यक है।

आइए क्रमानुसार हम इन कारकों का सरल-सहज भाषा में परिचय प्राप्त करें : 

  • उम्र की दहलीज पार कर लेना : आयु के बढ़ते क्रम में मनुष्य ना केवल बूढा होता चला जाता है अपितु उसका शरीर बीमारियों का घर भी बनने लगता है। वृद्धावस्था में गूदे की नलिका (जिससे मल बाहर निकलता है) कमजोर और क्षीण होने लगती है।
  • बार-बार दस्त लगना : अगर मरीज को लगातार दस्त की समस्या बनी रहती है तो उससे पाइल्स की समस्या होने के आसार बढ़ जाते हैं।
  • गर्भवती महिला को : प्रसव अवस्था में महिला के शरीर की संरचना विशेष रूप से पेट के भीतर, बाहर और आस-पास की बनावट में परिवर्तन होता है। कारणवश उसे पाइल्स होने की संभावना बनी रहती है।
  • अत्यधिक भार उठाना : कोई भी ऐसा व्यक्ति जिसके दैनिक जीवन में भार उठाना सम्मिलित हो, उसे पाइल्स हो सकता है। भार उठाने से गूदे पर अधिक जोर पड़ता है इसलिए कम से कम भार उठाने का प्रयास करें।
  • शौच के समय बहुत ज़ोर लगाना : अगर मल निकालने में बहुत अधिक बल लगाना पड़ रहा है तो निश्चित ही आगे चलकर यह बवासीर की समस्या में रूपायित हो सकती है।
  • शौच में कठिनाई : नित्यकर्म के उपरान्त अगर मल आसानी से निकले तो यह निश्चित ही चिंता की बात है।
  • अचानक से वजन घटना : शरीर के भार में आयी अचानक से कमी पाइल्स को बुलावा देती है।

अगर आपको एक या एक से अधिक बवासीर के कारण पहचान में आ चुके हैं तो ऐसी परिस्थिति में चिकित्सक द्वारा परामर्श और उपचार अति आवश्यक हो जाता है।

बवासीर से बचाव

पाइल्स एक आम बीमारी है। अर्थात इसके अनेक उपचार प्राथमिक स्तर पर ही किये जा सकते हैं। कोई भी मरीज बवासीर से बचाव कर सकता है। इससे बचने के लिए बहुत सरल घरेलू उपायों का इस्तेमाल कर राहत मिल जाती है।

अगर गंभीर समस्या ना हो तो इन घरेलू उपायों की सहायता से आप बवासीर से बचाव कर सकते हैं : 

  • आहार में फाइबर : खाने में उस खाद्य पदार्थ को सम्मिलित करें जिसमें फाइबर की मात्रा सर्वाधिक पायी जाती हो। अगर ऐसा संभव न हो तो फाइबर सप्लीमेंट लेने से परहेज न करें। इसे साबुत अनाज भी कहते हैं। जौ, गेहूं, अरहर की दाल, मसूर की दाल और मूंग का सेवन करना चाहिए।
  • हरी सब्जी : जितना हो सके हरी सब्जी का सेवन करें। आयरन और फाइबर युक्त हरी सब्जियां पाइल्स ठीक करने में सहायक होती हैं। बथुआ, पालक, पत्ता गोभी, परवल, लौकी, तोरई, मेथी का साग, मूली के पत्ते, मेथी का साग, करेला और टिंडे का सेवन बहुत लाभकारी होता है।
  • छाछ और दही : सूजन की नसों को शांत करने का सबसे अच्छा तरीका है उसको ठंडा करना। ऐसे में छाछ और दही दोनों पाइल्स प्रभावित अंगों में ठंडक प्रदत्त करती है।
  • पानी पीते रहें : जल ही जीवन है। हर बीमारी का केवल एक इलाज की दिन भर में पर्याप्त पानी का सेवन करें। ऐसा करने से आपका मुंह नहीं सूखेगा तथा शौच भी बराबर होगा।
  • फास्टफ़ूड से बचें : अगर पाइल्स है किन्तु समस्या गंभीर नहीं है तो प्राथमिक उपचार यही है कि फास्टफूड का सेवन ना करें। बाहर के खाने का सेवन करने से जितना हो सके बचने का प्रयास करें।
  • धूम्रपान ना करें : अगर धूम्रपान को निषेध किया हुआ है तो निश्चित ही आप इस समस्या से शीघ्र ही छुटकारा पा सकते हैं।
  • सफ़ेद ब्रेड ना खावें : पाइल्स की समस्या में सफेद ब्रेड विष का काम कराती है। ऐसे में आप इससे जितना दूर रहेंगे उतना अच्छा होगा।
  • चाय और कॉफी न पिएं : भले ह ये पदार्थ मादकता की सूची में सबसे निचले पायदान पर हो लेकिन पाइल्स की समस्या में इन दोनों को सबसे प्रमुख कारक माना जाता है।
  • गुटखा का सेवन वर्जित : पान मसाला, गुटखा आदि का सेवन पाइल्स की समस्या को पैदा करता है।
  • बवासीर संबंधित दवाइयां : तेल, मलहम, लोशन या आयुर्वेदिक सिरप जो भी उपलब्ध और उचित हो उसे इस्तेमाल करें। ध्यान रहें कि डॉक्टर की सलाह अवश्य लें। उन दवाइयों का सेवन न करें जिससे जलन पैदा हो।
  • गर्म पानी से स्नान : खुजली और दर्द से राहत पाने के लिए गर्म पानी से नहाना चाहिए। ऐसा करने से मरीज को आराम मिलता है।
  • बर्फ से सेंक : टॉवल या मोटे कपड़े में बर्फ लपेट कर गूदे और आस-पास के प्रभावित इलाके पर सेंक सकते हैं। ध्यान रहे यह अस्थायी और क्षणिक उपचार है। इससे केवल थोड़े समय के लिए राहत मिलती है।

निष्कर्ष

पाइल्स इस संसार सकल में सबसे आम बीमारी में से एक है। उम्र की एक दहलीज पार कर लेने पर किसी भी मनुष्य को बवासीर हो सकता है। प्राथमिक स्तर पर अनेक घरेलू उपायों से बवासीर का इलाज किया जा सकता है। अगर घरेलू उपायों से मरीज को आराम न मिले तो सामान्य चिकित्सा पद्धतियों और सर्जरी के माध्यम से इलाज संभव है। समस्या बहुत गंभीर होने पर तुरंत डॉक्टर की सलाह लेने से परहेज न करें। चिकित्सक सर्जरी की सहायता से आपके सभी कष्टों का निवारण करने में सक्षम हैं। अगर आपको खूनी बवासीर है तो निश्चित ही सर्जरी एक महंगा तरीका हो सकता है। आप या आपके जान-पहचान में अगर कोई ऐसा निर्धन व्यक्ति है जो पाइल्स का इलाज करने में असमर्थ है तो क्राउडफंडिंग एक अच्छा विकल्प हो सकता है।

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