ग्रीवा कैंसर (सर्वाइकल कैंसर) के लक्षण, इलाज और भी बहुत कुछ

कैंसर एक बहुत घातक बीमारी है। संसार के हरेक प्राणी की यही मंगल कामना है कि उसे कुछ भी हो जाए लेकिन कैंसर न हो। वैसे तो कैंसर के अनेक प्रकार हैं तथा स्त्री और पुरुष में होने वाले कैंसर भी अलग-अलग हैं लेकिन कुछेक प्रकार बहुत आम हो चले हैं। इसी तरह का एक प्रकार ग्रीवा कैंसर है जो महिलाओं में बहुत आम हो चला है। यह महिलाओं के गर्भाशय ग्रीवा में होने वाला कैंसर है जो आंतरिक प्रजनन प्रणाली को भी खराब कर देता है।इस लेख में गर्भाशय ग्रीवा कैंसर क्या है, सर्वाइकल कैंसर कहाँ होता है, सर्वाइकल कैंसर क्यों होता है, सर्विकल कैंसर के कितने स्टेज होते हैं, गर्भाशय ग्रीवा क्या है, आंकड़े क्या कहते हैं, गर्भाशय ग्रीवा कैंसर के लक्षण, ग्रीवा कैसंर के कारण, सर्विकल कैंसर से बचाव,और निष्कर्ष पर विस्तार से प्रकाश डाला गया है।

गर्भाशय ग्रीवा कैंसर क्या है?

ग्रीवा कैंसर

महिलाओं के गर्भाशय ग्रीवा (सर्विक्स) में होने वाला कैंसर है इसलिए इसे गर्भाशय ग्रीवा कैंसर कहते हैं। मेडिकल टर्मिनोलॉजी में ग्रीवा कैंसर को सर्विक्स कैंसर के नाम से भी जाना जाता है।  सरल-सहज भाषा में इसकी व्याख्या इस प्रकार होगी कि गर्भाशय ग्रीवा कैंसर क्या है तो कह सकते हैं कि महिलाओं के बच्चेदानी के मुंह में होने वाला कैंसर अर्थात गर्भाशय ग्रीवा कैंसर का एक अन्य नाम सर्वाइकल कैंसर भी है।

सर्वाइकल कैंसर कहाँ होता है?

सर्वाइकल कैंसर या गर्भाशय ग्रीवा कैंसर महिलाओं के सेरविक्स या यूट्रस में होने वाले कैंसर है। गर्भाशय का सबसे निचला भाग जो योनि (वेजाइना) को जोड़ता है उसमें कैंसर के कोशिकाओं की असामान्य और तीव्र प्रक्रिया के माध्यम से वृद्धि होने लगती है जो आगे चलकर घातक और खतरनाक रूप ले लेती है।

सर्वाइकल कैंसर क्यों होता है?

ह्यूमन पैपीलोमा वायरस (एचपीवी) के कारण महिलाओं के गर्भाशय में सर्वाइकल कैंसर या गर्भाशय ग्रीवा कैंसर होता है। किसी भी महिला को कुछ कारणों के चलते अगर एचपीवी टीका न लगा हो तो परिणामस्वरूप सर्वाइकल कैंसर हो सकता है। सेक्सुअली ट्रांसमिटेड डिजीज अर्थात एसटीडी के कारण भी ग्रीवा कैंसर होता है। यानी सम्भोग के समय कंडोम का प्रयोग न करने से, एसटीडी संक्रमित पुरुष के साथ संभोग करने से, कम उम्र में यौन संबंध बनाने से और एक से अधिक साथी के संभोग करने के कारण ग्रीवा कैंसर होता है। सरल-सहज भाषा में समझे तो सुरक्षित संभोग अर्थात सेफ सेक्स नहीं करने से ग्रीवा कैंसर फैलता है। इसके अतिरिक्त नियमित जांच अर्थात स्क्रीनिंग नहीं हो पाने के कारण तथा ग्रीवा कैंसर के लक्षण की पहचान न हो पाने के कारण भी सर्वाइकल कैंसर होता है।

एचपीवी क्या है?

एचपीवी को ह्यूमन पैपीलोमा वायरस कहते हैं। एचपीवी के कारण ग्रीवा कैंसर होता है। ये एक यौन संचारित संक्रमण है इसलिए इसका एक अन्य नाम एसटीआई (सेक्सुअली ट्रांसमिटेड इंफेक्शन) भी है। एसटीआई को सेक्सुअली ट्रांसमिटेड डिजीज या एसटीडी भी कहते है।  एचपीवी के 100 से भी अधिक स्ट्रेन हैं लेकिन इसके केवल 14 प्रकार को ही सबसे घातक वायरस की श्रेणी में रखा जाता है जिसमें दो वायरस प्रमुख रूप से सर्वाइकल कैंसर के कारक होते हैं। एचपीवी के कारण होने वाली समस्या बहुत अधिक गंभीर नहीं होती इसलिए यह स्वतः ठीक भी हो जाती है। लेकिन लक्षण दिखाई न देने के कारण अनजाने में यह समस्या गंभीर भी हो सकती है।

सर्वाइकल कैंसर के कितने स्टेज होते हैं?

किसी भी कैंसर के प्रकार की तरह सर्वाइकल कैंसर को अनेक चरणों या स्टेज में श्रेणीगत किया जाता है ताकि इसके लक्षणों की पहचान और उपचार में सुविधा प्रदत्त किया जा सके। सर्वाइकल कैंसर के चार स्टेज या चरण हैं जो कि इस प्रकार हैं :

  • स्टेज 1 : इस स्टेज में कैंसर की कोशिकाएं गर्भाशय के भीतर ही होती हैं तथा अपने विस्तार और विकास की यात्रा में प्रारंभिक चरण में होती हैं। कोशिकाओं का आकार इतना छोटा होता है कि उन्हें माइक्रोस्कोप से ही देखा जा सकता है। इसमें दो स्टेज – 1A और 1B होते हैं। स्टेज 1A में  दो स्टेज हैं – 1A1 जिसमें कोशिका का आकार तीन सेंटीमीटर से कम होता है तथा स्टेज 1A2 जिसमें ट्यूमर का आकार तीन से पांच सेंटीमीटर होता है। फिर अत है स्टेज 1B जो की पांच सेंटीमीटर या उससे अधिक गहरा ट्यूमर विकसित करने वाला चरण है। इसमें तीन स्टेज हैं – स्टेज 1B1, स्टेज 1B2 और स्टेज 1B3 जिनका आकार क्रमशः 2,4 और 4 से अधिक है।
  • स्टेज 2 : इस स्टेज में योनि के ऊपरी भाग या हिस्से में ट्यूमर का साम्राज्य फैल जाता है। इसमें दो स्टेज हैं – स्टेज 2A और 2A2 जो क्रमशः 4 और 4 सेंटीमीटर से अधिक है।
  • स्टेज 3 : इस स्टेज में कैंसर योनि के निचले भाग में फैल चुका है। इसके स्टेज 3A, 3B, 3C, 3C1 और 3C2 है।
  • स्टेज 4 : मूत्र विसर्जित करने वाले अंग मूत्राशय तथा मल त्यागने वाला अंग अर्थात मलाशय तक ट्यूमर का  विस्तार करने वाला स्टेज। इसमें 4A और 4B दो ही स्टेज हैं।

गर्भाशय ग्रीवा क्या है?

गर्भाशय का वह निचला किन्तु सकरा भाग (या हिस्सा) जो योनि से जुड़ा हुआ होता है उसे गर्भाशय ग्रीवा कहते हैं। ये महिलाओं का यौन अंग है जो प्रजनन प्रणाली में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। आंतरिक प्रजनन प्रणाली में गर्भाशय ग्रीवा के अतिरिक्त योनि, अंडाशय और फैलोपियन ट्यूब शामिल है। इसकी लम्बाई तीन-चार सेंटीमीटर होती है लेकिन इसका एक निश्चित आकर नहीं होत। दरअसल महिलाओं के जीवन चक्र के बढ़ते क्रम में इसका आकार परिवर्तित होता रहता है।

आंकड़े क्या कहते हैं?

सर्वाइकल कैंसर से जुड़े आंकड़े चौंकाने वाले हैं। वर्ष 2022 में भारत में सर्वाइकल कैंसर के कुल 200000 से भी अधिक मामले देखने को मिले थे। जिसमें से 79000 से अधिक महिलाओं के देहांत या मृत्यु का कारण सर्वाइकल कैंसर था। सकल संसार में 600000 से भी अधिक मामले दर्ज कराये गए थे।

गर्भाशय ग्रीवा कैंसर के लक्षण

सर्वाइकल कैंसर के मरीज में लक्षण प्रारंभिक चरण अर्थात इनिशियल स्टेज में दिखाई नहीं देते। गर्भाशय ग्रीवा कैंसर के लक्षण तभी पहचान में आ सकते हैं जब तक कि ये अपने अंतिम रूप को प्राप्त नहीं कर लेता। सरल भाषा में समझें तो लास्ट स्टेज में ही गर्भाशय ग्रीवा कैंसर के लक्षण दिखाई देते हैं या पहचाने जा सकते हैं। नियमित जांच के माध्यम से गर्भाशय ग्रीवा कैंसर के लक्षण को आसानी से पहचाना जा सकता है। नियमित जांच को मेडिकल टर्मिनोलॉजी में स्क्रीनिंग कहते है।

आइए क्रमानुसार और विधिवत तरीके से जानें कि गर्भाशय ग्रीवा कैंसर के लक्षण या ग्रीवा कैंसर के लक्षण क्या है :

  • योनि से असामान्य रक्तस्राव : महिलाओं की योनि या यूट्रस से अत्यधिक और आसमानी रूप से  रक्तस्राव होना गर्भाशय ग्रीवा कैंसर के लक्षण है। सर्वाइकल कैंसर के मरीज में ये सबसे आम लक्षण है। लेकिन असामान्य रूप से होने वाला रक्तस्राव भ्रमित करने वाला लक्षण भी हो सकता है। असल में एक स्त्री को सामान्य स्थितियों में भी रक्तस्राव होता है जैसे सम्भोग के बाद, माहवारी में या अन्य स्त्री संबंधी रोग के कारण। इसलिए रक्तस्राव होने पर इसकी अनदेखी न करें और स्त्री रोग विशेषज्ञ से मिलें। डॉक्टर द्वारा परामर्श और उचित उपचार लेना अनिवार्य हो जाता है।
  • आसमानी स्राव या डिस्चार्ज : महिलाओं की योनी से होने वाले रक्तस्राव से दुर्गंध आना ग्रीवा कैंसर के लक्षण हो सकता है जिसे डिस्चार्ज भी कहते हैं। हालांकि सामान्य स्थितियों में भी महिलाओं को डिस्चार्ज होता है लेकिन सर्वाइकल कैंसर के दौरान रक्तस्राव में दुर्गंध होना इसका संकेत हो सकता है। साथ ही सर्वाइकल कैंसर के ऊतक भी डिस्चार्ज में निकलते हैं। इसके अतिरिक्त डिस्चार्ज के समय रक्त का रंग लाल के अलावा कुछ भी हो सकता है जैसे भूरा, पीला या गुलाबी आदि।
  • वजन घटना : भूख कम लगना और असामान्य रूप से वजन घटना ग्रीवा कैंसर के लक्षण होता है। किसी भी कैंसर की तरह सर्वाइकल कैंसर में भी मरीज का वजन अकारण कम होने लगता है। सर्वाइकल कैंसर में शरीर का वजन निरंतर घटने लगता है। अगर आपको अपने वजन कम होने पर तनिक भी शंका है तो स्त्री रोग विशेषज्ञ से अवश्य परामर्श लें।
  • पीठ में असहनीय पीड़ा : पीठ में दर्द होना ग्रीवा कैंसर के लक्षण होता है। पेल्विक या पीठ के निचले भाग में दर्द या असहनीय पीड़ा होने लगाती है। सर्वाइकल कैंसर के अंतिम चरण या लास्ट स्टेज में यह दर्द पीठ से विस्तार करता हुआ पैरों तक अपना साम्राज्य बना लेता है। सेरविक्स में होने वाले संक्रमण के कारण पीठ के निचले हिस्से में दर्द होने लगता है।
  • संभोग के दौरान असामान्य रूप से दर्द : अगर किसी स्त्री को संभोग करने के दौरान असामान्य रूप से दर्द हो तो यह ग्रीवा कैंसर के लक्षण के रूप में शामिल होता है। मेडिकल टर्मिनोलॉजी में इसे डिस्पेर्यूनिया कहते हैं। सर्वाइकल कैंसर के कारण योनि में ट्यूमर बन जाता है जो संभोग या शारीरिक संबंध स्थापित करने के दौरान अत्यंत पीड़ा उतपन्न करता है।
  • मल त्यागने में कठिनाई : मलाशय में सर्वाइकल कैंसर का ट्यूमर होने के कारण मल त्यागने में कठिनाई होती है। भले ही सर्वाइकल कैंसर में ट्यूमर सबसे पहले सर्विक्स में बनता है लेकिन यह गांठ असामान्य रूप से तथा तीव्र प्रक्रिया के माध्यम से करते हुए किडनी और बड़ी आँतों तक अपने सम्राज्य का विस्तार कर लेती है।
  • पेशाब करने में कठिनाई : सर्वाइकल कैंसर के मरीज को पेशाब करने में समस्या होती है। योनि में बना ट्यूमर धीरे-धीरे मूत्राशय में अपना विस्तार कर लेता है इसलिए पेशाब करने के दौरान परेशानी का सामना करना पड़ता है।

ग्रीवा कैंसर के कारण

सर्वाइकल कैंसर के कारण पता लगाना इसलिए भी आवश्यक है क्योंकि यह इलाज में सुविधा प्रदान करता है तथा लोगों में एक गंभीर और खतरनाक बीमारी के लिए जागरूकता और सतर्कता दोनों फैलाता है। सेरविक्स में होने वाला कैंसर सेक्स और प्रजनन से संबंधित खतरों के कारण उत्पन्न होता है। इसलिए मूल रूप से सर्वाइकल कैंसर में सेफ सेक्स न होने के कारण महिलाओं को इसका शिकार होना पड़ता है।

सर्वाइकल कैंसर के कारण निम्नलिखित हैं :

  • असुरक्षित यौन संबंध बनाने के कारण : अगर शारीरिक संबंध स्थापित करने के उपरान्त अर्थात सेक्स के दौरान कंडोम का प्रयोग नहीं किया जाए तो महिला सर्वाइकल कैंसर की शिकार हो सकती है।
  • अधिक पुरुषों से संबंध बनाने के कारण : अगर कोई स्त्री अधिक पुरुषों के साथ बिना किसी सुरक्षा के यौन संबंध बनाती है तो उसे सर्वाइकल कैंसर होने की संभावना बनी रहती है।
  • बार-बार गर्भवती होने के कारण : अगर कोई महिला तीन बार से अधिक प्रेग्नेंट होती है तो उसे सर्वाइकल कैंसर होने का खतरा बना रहता है।
  • सेक्सुअली ट्रांसमिटेड डिजीज : यौन संचारित बीमारियां जैसे सेक्सुअली ट्रांसमिटेड इंफेक्शन और सेक्सुअली ट्रांसमिटेड डिजीज से संक्रमित पुरुष के साथ बिना किसी सुरक्षा के साथ संबंध बना लेने के कारण।
  • शराब और धूम्रपान के कारण : महिलाओं के लिए शराब और सिगरेट केवल फेफड़े और गुर्दे को खराब नहीं कराती अपितु वह आंतरिक प्रजनन प्रणाली के महत्वपूर्ण अंग गर्भाशय को भी खराब कर देती है।

सर्वाइकल कैंसर से बचाव

सर्वाइकल कैंसर से बचाव करने के उपाय में नियमित जांच अर्थात स्क्रीनिंग ही पर्याप्त है। साथ में सर्वाइकल का टीका लगाना सभी के अनिवार्य हो जाता है। मेडिकल साइंस इतना उन्नत हो चुका है कि सर्वाइकल कैंसर से बचाव किया जा सकता है। वैसे तो सर्वाइकल कैंसर या सर्विक्स कैंसर अपने प्रारंभिक चरण में ही उन्नत या विकसित या समृद्ध नहीं हो पाती। इसलिए वह स्वतः ही ठीक हो जाती है। लेकिन अगर समस्या गंभीर हो तो स्त्री रोग विशेषज्ञ से परामर्श अनिवार्य हो जाता है।

निष्कर्ष

लोगों में सर्वाइकल कैंसर या ग्रीवा कैंसर को लेकर जानकारी बहुत कम है। इसलिए गर्भाशय ग्रीवा कैंसर क्या है के उपाय अंतर्गत अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जागरूकता की मुहिम चलाई जा रही है। परिणामस्वरूप गर्भाशय ग्रीवा कैंसर एक वैश्विक समस्या बन चुका है। असामान्य और तीव्रता से अपना विस्तार करने वाला ग्रीवा कैंसर एक गंभीर और खतरनाक बीमारी है। जितना अधिक ये विकसित होगा उतना ही अधिक यह जानलेवा रूप धारण कर लेता है। एक और गंभीर समस्या जो गर्भाशय ग्रीवा कैंसर में देखने को मिलती है कि मरीज में इसके लक्षण दिखाई नहीं देते। परिणामस्वरूप गर्भाशय ग्रीवा कैंसर के लक्षण की पहचान कर पाना बहुत कठिन होता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि अधिकांश लोगों को गर्भाशय ग्रीवा कैंसर क्या है कि जानकारी नहीं है। सर्वाइकल कैंसर का इलाज उन लोगों के लिए आसान नहीं होगा जिसके पास धन की कमी है। इलाज से वंचित न रहने के लिए क्राउडफंडिंग एक अच्छा विकल्प हो सकता है।

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