स्तन कैंसर कैसे पता चलता है?

इस संसार में सभी के अपने संघर्ष हैं लेकिन एक महिला के रूप में जीवन निर्वाह करना बहुत ही कठिन है। इसे ऐसे भी समझ सकते हैं कि अगर आप एक महिला हैं तो चुनौतियाँ आपके द्वार पर सदा खड़ी रहती है। युवावस्था में प्रवेश करते ही आप में शारीरिक परिवर्तन होने लगते हैं. चेहरे पर कील-मुंहासे, देह की आवृत्ति में उभार, मासिक धर्म आदि-आदि। लेकिन एक समस्या ऐसी भी है जो जाने-अनजाने महिलाओं में आ सकती है। इस बीमारी को अंग्रेजी में ब्रेस्ट कैंसर और हिंदी में स्तन का कर्क रोग कहते हैं। अगर आप सतर्क और जागरूक नहीं है तो ऐसे में यह बीमारी दबे पाँव आती है और आपसे छीन लेती है सबसे अनमोल धन – आपका सुंदर जीवन। ब्रेस्ट कैंसर कैसे पहचाने एक ऐसा सवाल है जो हर महिला के मन में पनप सकता है. घबराएं नहीं! बस सही जानकारी हो तो इससे बचा जा सकता है। आवश्यकता है केवल जागरूकता की और यह मिलेगा स्तन कैंसर की सम्पूर्ण जानकारी से जो आपको इस लेख में विस्तार से बताया गया है।

इस लेख में स्तन कैंसर की परिभाषा, प्रकार, चरण और लक्षण, स्तन कैंसर के कारण  स्तन कैंसर का इलाज, सर्वाइवल रेट, बचाव और निष्कर्ष सम्मिलित हैं. सरल और सहज जानकारी आपको इसलिए प्रदत्त की गई है ताकि आप अपनी भाषा में इसे समझ कर अन्य लोगों से सतर्क और जागरूक करें।

ब्रेस्ट कैंसर क्या होता है?

स्तन कैंसर कैसे पता चलता है?

कर्क रोग विशेषज्ञों के द्वारा सर्वविदित तकनीकी परिभाषा कुछ इस प्रकार है कि कर्क रोग की श्रेणी का एक ऐसा प्रकार जिसमें कर्क रोग की कोशिकाएं अनियंत्रित हो जाती हैं। परिणामस्वरूप स्तन में तीव्र प्रक्रिया के माध्यम से इन कोशिकाओं का व्यापक विस्तार होने लगता है। महिलाओं के इस अंग में होने वाले कर्क रोग की आक्रामकता का परिणाम यह होता है कि होमो सेपियंस परिवार की सबसे विकसित सदस्य महिला के मेमेरी ग्लांड्स अर्थात स्तन धीरे-धीरे निष्क्रिय कर देता है। यह स्तन से शरीर के अन्य अंगों तक अपना साम्राज्य स्थापित करता है और आपकी देह को भी नुकसान पहुंचाता है।

कैसे होता है महिलाओं को यह रोग?

जैसा कि विदित है कि कर्क रोग के किसी भी प्रकार का नामकरण इस बात पर केंद्रित होता है कि वह शरीर के किस अंग में पनपा है। सभी अंगों में कर्क रोग की कोशिकाएं अपने अंतिम स्वरुप ट्यूमर अर्थात गाँठ में परिवर्तित हो जाती हैं। लेकिन यह अनेक गांठ कहाँ स्थापित होगी और अपना विस्तार कैसे करेगी, यह केवल शरीर के उस अंग की संरचना पर निर्भर करता है।

अन्य किसी भी कर्क रोग की भांति इसमें भी गांठ विभाजनकारी गुण दोष से परिपूर्ण है। अनियंत्रित होकर यह असामान्य रूप से स्तन में वृद्धि करता है। सबसे पहले यह स्तन के निचले भाग निप्पल में स्थान ग्रहण करता है। तत्पश्चात यह स्तन के ऊतक में अपना विस्तार करती है। निप्पल की दूध नलिकाओं (जिसका वैज्ञानिक नामकरण मिल्क लोब्यूल्स है) सर्वप्रथम उसमें कोशिकाओं का जन्म होता है। कर्क रोग के गुण दोष होने के कारण यह कोशिका अपनी संख्या में वृद्धि करने को उतारू रहती है। यहीं से गांठ का निर्माण होता है. ज्ञात हो कि एक गांठ से अनेक गांठ बनने लगती है।

दूध नलिका से स्तन के ऊतक में इन गांठों का विस्तार असामान्य रूप से विस्तार होता है। स्तन को क्षतिग्रस्त तथा निष्क्रिय करना इस प्रमुख लक्ष्य होता है परन्तु यह बात भी याद रहे कि केवल स्तन के ऊतक तक सीमित रहना इनका एकमेव लक्ष्य नहीं है। यह तो अपना साम्राज्य शरीर के अन्य अंगों में भी स्थापित करते हैं।

स्तन कैंसर के लक्षण

छाती के कैंसर के लक्षण को अगर समय रहते जान लिया जाए तो इस घातक बीमारी से बचा जा सकता है। लेकिन समस्या यह है कि स्तन कैंसर के लक्षण हर रोगी में दिखाई नहीं देते। यही कारण है कि इसकी पहचान सही समय पर नहीं हो पाती. लेकिन इसका अर्थ यह नहीं कि ब्रेस्ट कैंसर के लक्षण को पहचान पाना कठिन कार्य है। मेडिकल साइंस ने इस समस्या का समाधान कर अनेकों का जीवन आसान कर दिया है। इससे सही मायने में जागरूकता और सतर्कता दोनों फैली है। आपको ब्रेस्ट कैंसर के प्रारंभिक लक्षण की पहचान करने के लिए किसी चिकित्सक या परीक्षण की आवश्यकता नहीं है। किसी भी दिन केवल पांच मिनट के एकांतवास में आप स्तन कैंसर के संकेत का पता लगा सकते हैं।

स्तन के कर्क रोग के लक्षणों को जान कर इस घातक बीमारी पर जीत अर्जित करें। जीवन को और अधिक सुंदर बनाने के लिए ब्रेस्ट कैंसर के प्रारंभिक लक्षण का विधिवत उल्लेख निम्नलिखित हैं

  • गांठ बनना : स्तन में गांठ बनना स्तन कैंसर के लक्षण है। स्तन के छोटे या बड़े हिस्से में गांठ बन जाती है. लेकिन गांठ केवल स्तन में नहीं अपितु बगल या कांख में भी बन सकती है। यह गांठ आकार में मटर के दाने के समान होती है।
  • स्तन के आकार में परिवर्तन : स्तन के आकार में परिवर्तन हो जाता है। असल में यह स्तन की आवृत्ति में अनियंत्रित या अपेक्षित परिवर्तन करता है। ध्यान रहे कि एक महिला के जीवन में स्तन के आकार में नियमित परिवर्तन आना सामान्य बात है। युवा अवस्था से लेकर गर्भवती होने तक महिलाओं के स्तन के आकार निरंतर परिवर्तित होते हैं। इसलिए शारीरिक परिवर्तन और स्तन कैंसर के परिवर्तन में अंतर है. सामान्य स्तन की तुलना में कर्क रोग ग्रस्त स्तन बेढंगे आवृत्ति का अनुपालन करते हैं। हालांकि सामान्य स्तन की कोई विशेष परिभाषा नहीं है लेकिन यह भी स्तन कैंसर के संकेत के सूची में रखा जाता है।
  • स्तन में सूजन : यह सबसे प्रमुख स्तन कैंसर का लक्षण है. स्तन का सूज जाना स्तन के कर्क रोग में आवश्यक रूप से देखने को मिलता है। ऐसा भी देखा गया है कि स्तन का किसी भाग में मोटापा आ जाए. स्तन के मोटापे से उसकी पहचान हो सकती है।
  • निप्पल का धंसना : दूध की नलिकाओं अर्थात मिल्क लोब्यूल्स में स्तन कैंसर की कोशिकाओं से ट्यूमर निर्मित और अप्रत्याशित रूप से विभाजित होने लगता है. इस कारण निप्पल के आकार में परिवर्तन दृष्टिगत होता है। इस कारण वह अंदर की धंसने लगते हैं। इसके अतिरेक निप्पल के आस-पास की त्वचा में भी बदलाव देखने को मिलता है। इसका रंग बैंगनी, लाल या गहरे रंग का हो सकता है. धंसने और सिकुड़न के अतिरिक्त पपड़ी भी पनपने लगाती है। 
  • निप्पल से रक्त का रिसाव : जब स्तन कैंसर निप्पल में विस्तार कर लेता है तो निप्पल से रक्त का रिसाव होना सबसे प्रमुख स्तन कैंसर का लक्षण है। कुछ परिस्थितियों में रक्त के स्थान पर किसी तरल द्रव्य पदार्थ का भी रिसाव हो सकता है।

एक बात जो ध्यान में रखनी चाहिए कि हर रोगी में ब्रेस्ट कैंसर के प्रारंभिक लक्षण एक समान दिखाई नहीं देते। किन्तु इनमें कुछेक लक्षण अगर पता हो तो सही समय पर इसे रोका जा सकता है। एक बात का ध्यान रहे कि ब्रेस्ट कैंसर के लक्षण को पहचान लेने के बाद ही यह पता लगाया जा सकता है कि मरीज कौन से प्रकार से जूझ रहा है। इसलिए इलाज से पूर्व छाती के कैंसर के लक्षण को जान लेने में आपका हित निहित है।

स्तन कैंसर के कारण

मेडिकल साइंस ने लगभग सभी कैंसर पर वृहत्तर अध्ययन कर समाज में जागरूकता और सतर्कता फैलाने का प्रशंसनीय कार्य किया है। कैंसर पर अध्ययन कर ब्रेस्ट कैंसर के लक्षण और कारणों को रेखांकित किया जाता है। अगर हमें स्तन कैंसर के कारण की जानकारी हो तो लक्षण को पहचानने में आसानी होती है। सही समय इनकी पहचान मरीज को एक नया जीवन दे सकती है। विशेषज्ञों और शोधकर्ताओं द्वारा स्तन कैंसर के कारणों का अध्ययन उल्लेखनीय है। आइए हम इन कारणों पर विस्तार पूर्वक चर्चा करें :

  • उम्र की दहलीज पार कर लेना : स्तन कैंसर की समस्या युवा महिलाओं में कम देखने को मिलती है। अधेड़ और वृद्धजनों में यह एक आम समस्या है।
  • महिलाओं पर धरी है संकट की तलवार : पुरुषों में इस रोग के होने की संभावना कम है। लेकिन इस बात को नकारा नहीं जा सकता है कि पुरुषों को यह रोग हो नहीं सकता। किन्तु स्तन कैंसर के सर्वाधिक मामले महिलाओं में ही देखे जाते हैं।
  • धूम्रपान : सिगरेट पीने से महिलाओं का चरित्र धूमिल नहीं होता लेकिन स्तन कैंसर होने के आसार बने रहते हैं।
  • शराब का सेवन : मादक द्रव्यों का सेवन महिलाओं के लिए बहुत हानिकारक है। स्तन के कर्क रोग का बुलावा शराब पीने से संभव है।
  • मोटापा : अत्यधिक भार में वृद्धि अनेकों बीमारियों को जन्म देती है जिसमें स्तन का कर्क रोग भी शामिल है।
  • परिवार से मिली विरासत : अगर परिवार में स्तन कैंसर का इतिहास रहा है तो यह समस्या होने की संभावना अधिक रहती है।

पुरुष भी स्तन कैंसर से अछूते नहीं हैं

यह बात अटपटी लग सकती है। शायद अविश्वसनीय भी हो लेकिन मेडिकल साइंस और शोधकर्ताओं ने यह प्रमाणित कर दिया है कि होमो सेपियंस को स्तन का कर्क रोग होता है। यह एक भ्रम है कि महिलाओं को ही यह रोग अपनी चपेट में लेता है। दरअसल पुरुषों को भी यह बीमारी होने का डर बना रहता है। जी हाँ, पुरुषों के स्तन में कर्क रोग होने की संभावना बनी रहती है। यानी इस घातक बीमारी से होने वाले मृत्यु के आकंड़ों में पुरुषों की भी संख्या सम्मिलित है।

आंकड़े क्या कहते हैं?

फिलहाल युवा महिलाओं को इससे घबराने की आवश्यकता नहीं है। दरअसल युवा और कम उम्र की महिलाओं में इससे ग्रसित होने के मामले कम देखने को मिलते हैं। स्तन के कर्क रोग की समस्या वृद्ध महिलाओं में अधिक देखने को मिलती है. इसका मतलब यह हुआ कि जैसे-जैसे महिलाओं की उम्र बढ़ने लगाती है तो इस बीमारी के होने की संभावना और अधिक बढ़ने लगती है। बढ़ती उम्र के साथ शरीर भी बूढा होने लगता है. ऐसे में गतिरोधक क्षमता का कम होना स्वाभाविक बात है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन के आंकड़ें कहते हैं की वर्ष 2022 में छाती के कैंसर से होने वाली महिलाओं की मौत साढ़े छह लाख से भी अधिक है। ये आंकड़ें डराने वाले हैं लेकिन इसका अर्थ यह नहीं कि आंकड़ों का काम केवल डराना ही है. कुछ आंकड़ें हमें राहत भी देते हैं। जैसे इसी आंकड़ें में यह भी उल्लेखित है कि वर्ष 2022 में सकल संसार की दो लाख से भी अधिक महिलाओं के स्तन कैंसर को उपचार के माध्यम से ठीक किया गया है।

लेकिन एक चिंताजनक बात आंकड़ें अवश्य कहते हैं। भारत में अब महिलाओं को होने वाले कर्क रोग में स्तन कैंसर सबसे प्रमुख बिमारी है। किसी भी भारतीय महिला को अन्य किसी भी कर्क रोग से ग्रसित होने की संभावना स्तन कैंसर की तुलना में कई गुना कम है। अर्थात हर भारतीय महिला को छाती के कैंसर के लक्षण की जानकारी युवावस्था में ही मिल जानी चाहिए ताकि आगे चलकर यह समस्या विकराल रूप ना ले।

स्तन कैंसर के विभिन्न प्रकार

स्तन के कर्क रोग का यथासंभव उपचार उसके प्रकार के पता लगाने पर ही होता है। डॉक्टरों द्वारा पहले यह सुनिश्चित कर लिया जाता है कि कैंसर का कौन सा प्रकार है उसके पश्चात ही उपचार या निदान की प्रक्रिया को प्रारम्भ किया जाता है। प्रकार के आधार पर उपचार दुष्प्रभावों को काम करने में सहायक होता है। स्तन कैंसर के विभिन्न प्रकारों को सामान्य तौर पर दो वर्गों में बांटा जाता है – आम और सामान्य तथा विशेष। आइये हम क्रमानुसार इसके विभिन्न प्रकारों को अच्छे से जान लेवे जिसमें सबसे पहले आम और सामान्य प्रकार को रेखांकित करते हैं  : 

  • इनवेसिव डक्टल कार्सिनोमा (आईडीसी) : इसे घुसपैठिया कर्क रोग भी कहते हैं. असल में यह कर्क रोग स्तन में तीव्र प्रक्रिया के माध्यम से अपना विस्तार करता है ठीक वैसे ही जैसे कोई घुसपैठिया तेजी से किसी स्थान में प्रवेश करता है. अपने नाम के अनुरूप यह आक्रामक रवैया अपनाते हुए तेजी से साम्राज्य का विस्तार करता है.
  • लोब्यूलर ब्रेस्ट कैंसर : निप्पल में दूध की नलिकाओं में बनने वाली गांठ के परिणामस्वरूप जो कर्क रोग होता है उसे लोब्यूलर ब्रेस्ट कैंसर या दूध नलिका कर्क रोग कहते हैं. नलिकाओं में निर्मित होने के तत्पश्चात यह स्तन के ऊतकों तक विस्तार कर लेता है.
  • डक्टल कार्सिनोमा इन सीटू (DCIS) : इनवेसिव डक्टल कार्सिनोमा की तरह यह भी दूध नलिकाओं में निर्मित होता है लेकिन यह निप्पल से आगे अपना विस्तार करने में असफल रहता है।

अब हम चर्चा करने वाले हैं उन स्तन कैंसर के प्रकारों की जो आम नहीं है। इस प्रकार के स्तन कैंसर बहुत प्रचलन में नहीं रहते क्योंकि यह विशेष परिस्थितियों में होने वाले कैंसर है। आइए इन पर विस्तार से चर्चा करें : 

  • ट्रिपल नेगेटिव ब्रेस्ट कैंसर : अमूमन सभी स्तन कैंसर में रिसेप्टर्स होते हैं. रिसेप्टर का काम एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन हारमोन तथा HER2 को प्राप्त करते हैं ताकि कैंसर को तेजी से बढ़ा सके। रिसेप्टर्स का काम इन पदार्थों या प्रोटीन को किन कोशिकाओं से यथासंभव जोड़ना होता है। लेकिन ट्रिपल नेगेटिव में रिसेप्टर्स नहीं होते।
  • इंफ्लेमेटरी ब्रेस्ट कैंसर(आईबीसी) : स्तन पर दाने आने लगते हैं। मोटापे की शिकार महिलाओं में आईबीसी की समस्या होना आम बात है। यह समस्या वृद्ध पुरुषों में भी हो सकती है।
  • पेजेट डिजीज़ ऑफ ब्रेस्ट : निप्पल की बाहरी त्वचा पर होने वाला एक दुर्लभ कैंसर जिसका पता लगा पाना कठिन होता है. दरअसल इसके लक्षण त्वचा रोगों से मेल खाते हैं। यह दूध की नलिकाओं में होने वाला कर्क रोग है।

स्तन कैंसर के विभिन्न चरण

स्तन के कर्क रोग के सभी चरण निम्न प्रकार हैं : 

  • शून्य चरण : स्टेज ज़ीरो अथवा शून्य चरण को सरल भाषा में स्तन कैंसर पूर्व चरण कहते हैं। दूध नलिकाओं में निर्मित कोशिकाओं का अभी कहीं विस्तार नहीं हुआ है। इस चरण में ब्रेस्ट कैंसर के लक्षण परिलक्षित नहीं होते।
  • प्रथम चरण : यह प्रारंभिक चरण भी कहलाता है। स्तन ऊतकों में कोशिकाओं का निर्माण हो चुका होता है।
  • द्वितीय चरण :  इस चरण में कैंसर कोशिकाओं ने लिम्फ नोड्स में ट्यूमर को निमृत और विकसित कर लेता है। ट्यूमर का आकार न्यूनतम दो सेंटीमीटर और अधिकतम पांच सेंटीमीटर हो सकता है। कुछ केस में यह दो सेंटीमीटर से भी छोटे होते हैं।
  • तृतीय चरण : इस चरण में अगर कैंसर फ़ैल चुका है तो निश्चित ही चिंताजनक बात है। तृतीय चरण को उपचार की दृष्टि से प्राणघात संज्ञा की श्रेणी में शामिल हो जाता है। अर्थात खतरा इतना बड़ा हो सकता है कि मरीज को बचाने की सम्भावना कम रहती है। स्तन का कर्क रोग इस चरण में अपने उन्नत स्तर को प्राप्त कर चुका होता है। कोशिकाओं से घातक ऊतक में परिवर्तित होने के बाद अब ये इतने शक्तिशाली हो चुके हैं कि विभाजन प्रक्रिया का आसानी से अनुपालन कर सकते हैं।

चतुर्थ चरण : इसे अंतिम चरण भी कहते हैं। इस चरण में कोशिकाओं से बनी गांठ स्तन से बाहर अर्थात  शरीर के अन्य अंगों में भी तीव्र प्रक्रिया के माध्यम से अपना विस्तार कर लेती है। स्तन के बाहर यह कैंसर हड्डियों, लीवर, फेफड़ों और मष्तिष्क तक में फ़ैल जाता है. अधिकांश मामलों में मरीज इस स्टेज पर होता है क्योंकि प्रारंभिक चरणों में इसके लक्षण पहचान पाना इतना आसान नहीं होता। अगर मरीज इस चरण में है तो जीवित रहने की संभावना ना के बराबर रहती है। अंतिम चरण में प्राण पखेरू उड़ जाते हैं।

क्या स्तन कैंसर का इलाज संभव है?

अच्छी खबर यह है कि स्तन कैंसर का इलाज संभव है। अनेकों परीक्षणों के माध्यम से यह पता लगाया जाता है कि स्तन कैंसर का कौन सा प्रकार है तत्पश्चात उपचार किया है। परीक्षण से स्तन कैंसर के चरण का पता भी चलता है। सबसे पहले ब्रेस्ट कैंसर कैसे पहचाने सवाल का स्वयं उत्तर खोज निकालने। स्तन कैंसर के इलाज से पूर्व उससे संबंधित परीक्षण अर्थात टेस्ट के बारे में जान लेना अधिक उपयोगी होगा।

स्तन कैंसर की जांच

किसी मरीज में छाती के कैंसर के लक्षण और कारणों को जानने के लिए एक या अनेक परीक्षण की सलाह देते हैं। यह परीक्षण कैंसर के विभिन्न प्रकारों के आधार पर होते हैं। आइए इन पर क्रमानुसार चर्चा करें : 

  • अल्ट्रासाउंड : स्तन के भीतरी संरचना में कर्क रोग के विस्तार का छायाचित्रण इस तकनीक के माध्यम से किया जाता है।
  • एमआरआई स्कैन : स्तन में कैंसर ऊतक के छायाचित्रण हेतु इस तकनीक को प्रयोग में लाया जाता है।
  • बायोप्सी : कैंसर में बायोप्सी सबसे सटीक परिणाम देने वाला परीक्षण है। स्तन की बायोप्सी में एक सुई के माध्यम से स्तन के ऊतक को नमूने के तौर पर लिया जाता है ताकि उसका परीक्षण किया जा सके।
  • इम्म्यूनोहिस्टोकेमेस्ट्री : एंटी बॉडीज़ की सहायता से स्तन के कर्क रोगी ऊतकों में एन्टीजन का परीक्षण किया जाता है। यह एकल न हो कर सामूहिक परीक्षण कहलाता है क्योंकि इस परीक्षण के बाद बायोप्सी को अंजाम दिया जाता है।
  • जेनेटिक टेस्टिंग : इस परीक्षण के माध्यम से पारिवारिक इतिहास की जानकारी और अवलोकन को अंजाम दिया जाता है।

परीक्षणों के परिणाम से न केवल यथासंभव उपचार होता है अपितु स्तन कैंसर के विभिन्न चरणों की जानकारी भी प्राप्त होती है। आइये अब स्तन कैंसर के विभिन्न चरणों को समझें।

क्या इलाज संभव है?

विज्ञान और तकनीक में होने विकास प्रकाश वेग की गति से भी अधिक है। इन दोनों के सहयोग से ही कई मेडिकल आविष्कार संभव हो पाते हैं। एक राहत देने वाली खबर ये है कि मेडिकल साइंस के शोधकर्ताओं ने स्तन कैंसर के इलाज को साकार किया है।

आइए हम इन उपचार पद्धतियों का विधिवत अध्ययन करें : 

  • सर्जरी : जिस प्रकार सांप के विष को रोकने के लिए विषैले अंग को काट दिया जाता है ठीक उसी प्रकार स्तन कैंसर को बढ़ने से रोकने के लिए स्तन को आपरेशन के द्वारा शरीर से अलग कर दिया जाता है। इस प्रक्रिया को सर्जरी कहते हैं। स्तन कैंसर के उपचार में यह सर्वाधिक प्रयोग में लायी जाने वाली पद्धति है। सर्जरी के भी उपप्रकार होते हैं जिन्हें आवश्यकता अनुसार प्रयोग में लाया जाता है :
  • मास्टेक्टोमी : स्तन में उपस्थित कैंसर ऊतकों को सर्जरी की सहायता से निकाल दिया जाता है अर्थात पूरे स्तन को निकाल दिया जाता है।
  • लम्पेक्टोमी : इस प्रकार की सर्जरी में पूरे स्तन को नहीं अपितु स्तन में उपस्थित कोशिकाओं या आवश्यकता होने पर एक छोटे ऊतक को निकाल दिया जाता है। इस सर्जरी के कारण स्तन का आकार वैसा ही बना रहता है।
  • ब्रेस्ट रीकंस्ट्रक्शन : अगर किसी मरीज को सर्जरी के बाद स्तन को पुनः निर्मित करने की एक प्रक्रिया है। इसमें नकली स्तन या शरीर के किसी अंग के ऊतक को छाती पर लगा दिया जाता है।

आइए अब सर्जरी के अतिरिक्त उन उपचारों पर चर्चा करें जो सर्जरी के साथ में प्रयोग लाये जाते हैं : 

  • कीमोथेरेपी : स्तन में कर्क रोग के निदान हेतु कीमो पद्धति का प्रयोग किया जाता है। लेकिन केवल कीमो के प्रयोग से ही स्तन कैंसर का उपचार संभव नहीं है। सर्जरी प्रमुख उपचार शैली है लेकिन सर्जरी के पूर्व और सर्जरी के बाद कीमोथेरेपी के अंतर्गत दवाइयों का सेवन अनिवार्य है। ऐसा भी संभव है कि मरीज को अनेक प्रकार की दवाइयों के सेवन कीमो के तहत दिया जाए।
  • इंट्राऑपरेटिव रेडिएशन थेरेपी : सर्वप्रथम कर्क रोग के कुछेक ऊतक को सफलतापूर्वक निकाल दिया जाता है। तत्पश्चात बचे हुए ऊतकों पर रेडिएशन का इस्तेमाल कर उपचार किया जाता है।
  • इम्मुनोथेरपी : उपचार के इस माध्यम में मरीज के प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत कर कर्क रोग का उपचार किया जाता है।
  • हार्मोन थेरेपी : सर्जरी या मेडिकेशन के सहयोग से किया जाने वाला उपचार।
  • टार्गेटेड थेरेपी : ट्यूमर की विभाजन शक्ति को क्षीण कर दिया जाता है ताकि वह अपना विस्तार करने में सक्षम ना रहें।

इन सभी पद्धतियों को एकल या साथ में प्रयोग ला कर स्तन कैंसर के इलाज को सफल किया जाता है ताकि केवळ मरीज को ही नहीं बल्कि उसके परिवार, समुदाय और समाज को एक नया जीवनदान मिल सके।

क्या उपचार के दुष्प्रभाव हैं?

कैंसर के प्रत्येक उपचार पद्धति की भांति स्तन कैंसर के इलाज में भी दुष्प्रभाव सम्मिलित हैं। सभी चिकित्सा पद्धति के दुष्प्रभाव एक समान हैं। दुष्प्रभाव अनेक हो सकते हैं लेकिन कुछेक दुष्प्रभावों का उल्लेख यहाँ किया गया है:

  • अनावश्यक थकान
  • बार-बार उल्टी होना या उल्टी की अनुभूति होना
  • दस्त लगना
  • मुंह में छाले
  • चक्कर आना
  • जोड़े में दर्द

कैंसर के उपचार में जो दुष्प्रभाव दृष्टिगत होते हैं ठीक वही दुष्प्रभाव आपको स्तन कैंसर के उपचार के तत्पश्चात भी देखने को मिलते हैं।

सर्वाइवल रेट

स्तन कैंसर जैसी भयावह और घातक बीमारी में जान जाने का डर हमेशा बना रहता है। यह भी सत्य है कोई परिवार अपने किसी सदस्य को खोना नहीं चाहता। मेडिकल साइंस ने अपनों को खोने का दुःख को भली-भांति समझा और इस दिशा में काम करते हुए लोगों को एक नया जीवनदान दिया। अमेरिका की अग्रणी कर्क रोगी संस्थान नेशनल कैंसर इंस्टीट्यूट ने एक रिपोर्ट के हवाले से यह कहा है कि स्तन कैंसर से पीड़ित अधिकांश महिलाएँ उपचार के तत्पश्चात पांच वर्षों तक जीवित रही हैं।

लेकिन यह बात ध्यान रहे कि सर्वाइवल रेट इस बात पर निर्भर करता है कि स्तन का कर्क रोग ने कितना विस्तार किया है। अगर स्तन के बाहर इसका विस्तार नहीं हुआ है तो दीर्घायु होने की संभावना सर्वाधिक होती है।

निष्कर्ष

जैसा कि इस लेख के प्रारम्भ में उल्लेखित है कि एक महिला के रूप में जीवन का निर्वाह आसान नहीं है। हर राह, हर मोड़ पर चुनौतियाँ हैं। स्तन कैंसर इन सभी चुनौतियों में सबसे बड़ी चुनौती है। ऐसे में यह बहुत आवश्यक हो जाता है कि हम ब्रेस्ट कैंसर के प्रारंभिक लक्षण से परिचित हो और अपना बचाव कर सकें। अगर आपके परिवार में या आपके जान पहचान में कोई ऐसा है जिसे स्तन कैंसर की समस्या है और धन के अभाव में वह उपचार से वंचित है तो क्राउडफंडिंग एक बेहतर विकल्प हो सकता है।

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