आज के युग में थायराइड की समस्या होना एक आम बात है। संसार सकल में महिलाओं को होने वाली विभिन्न समस्याओं को अगर सूचीबद्ध किया जाए तो शीर्ष दस आम बीमारियों की सूची में स्थान ग्रहण कर लेगा। इंटरनेट पर इस बीमारी को खूब खोजा जा रहा है। भारत में यह समस्या दिन-प्रतदिन बढ़ती ही चली जा रही है। ऐसे में थायराइड के बारे में सही जानकारी होना अब और भी आवश्यक हो गया है। इसलिए इम्पैक्ट गुरु का यह नवीन प्रयास आपको सारगर्भित लेख प्रदान कर रहा है। इससे कुछेक प्रयोजन सिद्ध होने वाले हैं। एक तो यह कि आप थायराइड क्या है का अर्थ ग्रहण करने में सक्षम हो जायेगें। दूसरा यह कि आप जानेंगे कि थायराइड की बीमारी क्या है और अंत में थायराइड के लक्षण, थायराइड के कारण और इलाज को आप जान पाएंगे।
इस लेख के माध्यम से हम थायराइड क्या है, थायराइड की बीमारी क्या है, थायराइड के प्रकार, थायराइड के लक्षण, थायराइड के कारण, थायराइड के घरेलू उपाय, थायराइड के इलाज और निष्कर्ष को खड़ी बोली हिंदी में सारगर्भित करने वाले हैं।
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Table of Contents
थायराइड क्या है? (Thyroid Meaning In Hindi)

लेख के इस भाग में हम सरल-सहज भाषा में थायराइड क्या है प्रश्न का उत्तर विस्तार से चर्चा करने वाले हैं ताकि इस आम बीमारी की आम लोगों की भाषा में जानकारी मिल सके। चलिए इस प्रश्न का उत्तर समझ लेते हैं।
यह थायराइड ग्रंथि गले के अग्र भाग में स्थित होती है। आकार में यह एक तितली की भांति होती है। इसका प्रमुख कार्य थायराइड हार्मोन को उत्पन्न कर शरीर में यथासंभव वितरण करना होता है। हृदय, मस्तिष्क और अन्य अंगों के विकास में सहायक होती है। मेटाबॉलिज्म तथा शरीर के विकास में यह ग्रंथि महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
मानव शरीर के गले में स्थित तितली के आकार की इस ग्रंथि से निकलने वाले हार्मोन को थायराइड हार्मोन कहते हैं। इसका वैज्ञानिक नाम ट्राई आयोडीन थायरोक्सिन 3 और थायरोक्सिन 4 और थायराइड स्टिमुलेटिंग हार्मोन है। इनके सूक्ष्म नाम टी3, टी4 और टीएसएच हैं।
लेकिन प्रश्न यह है कि क्या इस ग्रंथि का होना एक समस्या है या थायराइड की बीमारी होना एक विपत्ति है? असल में ग्रंथि का होना एक समस्या नहीं है। लेकिन थायराइड की बीमारी होना एक गंभीर समस्या है। इसलिए आसान भाषा में जानकर हम अपने आस-पास के लोगों को जागरूक और सतर्क कर सकते हैं। इसके लिए हमें थायराइड की बीमारी क्या है प्रश्न की गंभीरता को समझते हुए विधिवत चर्चा करना होगा।
थायराइड की बीमारी क्या है? (What Is Thyroid Disease In Hindi)
गूगल पर जिन बीमारियों पर आधारित प्रश्नों को सर्वाधिक सर्च किया गया है उन प्रश्नों में से एक है थायराइड की बीमारी क्या है और इससे हमें यह अभिप्राय मिलता है कि संसार सकल में इस बीमारी को लेकर जागरूकता और सतर्कता बढ़ रही है। अगर आप भी इस प्रश्न के उत्तर जानने को उत्सुक हैं और इंटरनेट के आभासी संसार में उपलब्ध जानकारी के समुद्र में यहाँ-वहाँ गोते लगा कर भटक रहे थे तो अब आप सही जगह आ पहुंचे हैं। चलिए जान लेते हैं कि आखिर ये थायराइड की बीमारी क्या है?
मेडिकल साइंस में उल्लेखित परिभाषा के अनुसार अगर कोई प्राणी विशेष रूप से महिलाएं इस बीमारी से जूझ रही हैं तो निश्चित ही उनमें थायराइड हार्मोन की या तो कमी है अथवा अधिकता है। इस कमी और अधिकता के आधार पर ही इस बीमारी के प्रकार का वर्गीकरण किया जाता है। लेकिन मूल रूप से एक समान लक्षण जो देखने को मिलता है वह यह कि इस बीमारी से ग्रसित मरीज अत्यधिक थकान की अनुभूति करने लगते हैं।
आइए इसके विभिन्न प्रकारों की सामान्य रूप से चर्चा कर इस विषय पर प्रकाश डालते हैं :
- हाइपो-थायराइड : जब ग्रंथि अल्प मात्रा में थायराइड हार्मोन की उत्पत्ति करने लगे तो उस बीमारी को हाइपो-थायराइड कहते हैं।
- हाइपर-थायराइड : जब यही ग्रंथि अत्यधिक मात्रा में हार्मोन की उत्पत्ति करने लगे तो उस बीमारी को हाइपर थायराइड कहते हैं।
थायराइड के लक्षण (Thyroid Symptoms In Hindi)
विभिन्न प्रकारों के अध्ययन और वर्गीकरण के तत्पश्चात ही इसके लक्षणों और कारणों को पहचान में आसानी होती है। सभी प्रकारों के लक्षण भी भिन्न-भिन्न हैं। लेख के इस भाग में थायराइड के लक्षण का उल्लेख किया गया है।
थायराइड के लक्षण इसके प्रकार के अनुरूप अलग-अलग हैं। इसलिए सर्वप्रथम हाइपो-थायराइड के लक्षणों को रेखांकित करने वाले हैं :
- शरीर के वजन में अचानक से वृद्धि :देह के भार का अप्रत्याशित रूप से बढ़ना हाइपो-थायराइड का लक्षण होता है। वैसे तो उम्र के बढ़ते क्रम में शरीर का सम्पूर्ण विकास होना सामान्य बात है। ऐसे में आपका वाजन बढ़ना शायद इस बीमारी के लक्षण के रूप में ना देखा जाए किन्तु आमतौर पर जो आपका वजन है अगर उसमें असमान्य वृद्धि हो तो निश्चित ही यह हाइपो-थायराइड का लक्षण हो सकता है।
- असामान्य हृदय गति : सामान्य हृदय के गति की तुलना में मरीज की हृदय गति धीमी होती है।
- सूजन : चेहरे, आँख और पैर में सूजन आना भी हाइपो-थायराइड का लक्षण माना जाता है। इसके अतिरिक्त मांसपेशियों और जोड़ों में अत्यधिक दर्द होना भी इसके लक्षण के रूप में देखा गया है। इसके मरीज की हड्डियां सामान्य लोगों की तुलना में कमजोर होती हैं।
- अत्यधिक पसीना बहना : अगर मरीज को बहुत पसीना आता है तो उसकी पहचान थायराइड के लक्षण के रूप में की जाती है। इस बात का ध्यान रखें कि बिना कोई परिश्रम किए और असामान्य रूप से अगर आपको पसीना आ रहा है तो यह चिंता की बात है।
- अनावश्यक थकान और नींद : अगर पूरा दिन कमजोरी अनुभूति हो, चक्कर आना और शरीर में आलस का निवास हो तो यह भी लक्षण के रूप में चिन्हित किया जाता है। ऐसा भी देखा गया है कि मरीज को निंद्रा भी बहुत आती है।
- अत्यधिक मात्रा में बाल झड़ना : इस बीमारी के मरीज के बालों का झड़ना सबसे स्वाभाविक और प्रमुख लक्षण है। ध्यान रहे की बढ़ते प्रदूषण से भी बाल झड़ने की समस्या हो सकती है। साथ ही त्वचा सम्बन्धी रोग होने से भी बाल झड़ने लगते हैं। ऐसे में यह सुनिश्चित करना आवश्यक हो जाता है कि बालों का झड़ना का कारण इस बीमारी की वजह से है या इसके पीछे कोई अन्य कारण है।
- पीरियड्स देर से आना : इस बीमारी का सबसे सबसे प्रमुख संकेत माहवारी चक्र में अप्रत्याशित परिवर्तन है। अगर पीरियड्स देर से या जल्दी आ रहे हैं तो यह चिंता का विषय हो सकता है। माहवारी में अनियमितता और बहुत कष्टकारी माहवारी होना भी अन्य संकेतों में सम्मिलित है।
- अनावश्यक अल्प आहार : अन्य लक्षणों में एक संकेत अत्यधिक मात्रा में देखा गया है कि मरीज को भूख कम लगती है।
- गर्भधारण में समस्या : हाइपो-थायराइड में महिलाओं को गर्भ से संबंधित समस्याएं हो सकती हैं। उदाहरण स्वरूप प्रजनन दर का घटना, गर्भपात की संभावना बनी रहना, खून की कमी इत्यादि।
- ठंड लगना : अगर सामान्य मौसम में भी आपने गर्म कपडे पहन रखें हैं जबकि आपके इर्द-गिर्द अन्य लोगों ने बिना बांह के पतले कपड़े पहन रखे हैं तो यह भी इसके लक्षण के रूप में देखा जाता है।
चलिए अब बात करते हैं हाइपर -थायराइड के लक्षण के बारे में :
- अतिशय आहार ग्रहण : मरीज में यह संकेत देखा गया है कि उसे आवश्यकता से अधिक भूख लगती है।
- दस्त लगना : आवश्यकता से अधिक भूख लगने पर मरीज की खुराक बढ़ जाती है किंतु वह शरीर को लगता नहीं। ऐसे में बार-बार दस्त लगती है।
- वजन घटना : पर्याप्त भोजन के तत्पश्चात बार-बार दस्त लगने के कारण अनावश्यक रूप से शरीर का वजन घटने लगता है। इसे प्रमुख लक्षणों के रूप में गिना जाता है।
- अनिद्रा : मरीज को नींद नहीं आती। शरीर को अनिद्रा जब सताने लगती है तो मनुष्य की गति असामान्य रूप से धीमी पड़ जाती है।
- गर्मी सताती है : हाइपो थायराइड की तुलना में हापर-थायराइड का मरीज अत्यधिक गर्मी की अनुभूति करता है। ऐसे में उसे अनावश्यक रूप से बेमौसम भी गर्मी लगने लगती है।
- बेचैनी : यह प्रमुख संकेतों में से एक है। कभी भी बेचैनी और घबराहट होने लगती है। ऐसे में हाथ-पैर भी कांपने लगते हैं। यह भी देखा गया है कि हृदय की धड़कन में उतार-चढ़ाव बहुत आने लगते हैं।
- मूड स्विंग : मरीज के हाव-भाव में अप्रत्याशित परिवर्तन आना, कभी ख़ुशी कभी गम का भाव त्वरित अंतराल में होना इसका संकेत है। चिड़चिड़ापन होना भी इस प्रकार के थायराइड के लक्षण के रूप में गिना जाता है।
- दृष्टी रोग : नेत्र संबंधी रोग विशेष रूप से मरीज की दृष्टि प्रभावित होने लगती है। निकट दृष्टि रोग, दूरंदेश रोग और मोतियाबिंद की समस्या भी देखने को मिली है।
जैसा की लेख के प्रारम्भिक भाग में उल्लेखित किया गया है कि विभिन्न प्रकारों में थायराइड के लक्षण भी भिन्न-भिन्न होते हैं। लेख के दूसरे भाग में हमने यह हाइपो-थायराइड और हाइपर-थायराइड दोनों के अलग-अलग लक्षणों को विस्तारपूर्वक आत्मसात किया। इन संकेतों से लोगों में जागरूकता और सतर्कता दोनों लक्षित होती है।
थायराइड के लक्षण को जान लेने से इसके कारण और इलाज का स्पष्ट चित्र उभरने लगता है। सही समय पर यथासंभव उपचार ही किसी मनुष्य को विशेष रूप से एक महिला के जीवन को नयी दिशा और दशा दोनों प्रदान करता है। इसलिए थायराइड के कारण की पहचान भी उतना ही महत्वपूर्ण है जितना इसके लक्षणों की पहचान। चलिए लेख के इस मध्य भाग में हम इसके विभिन्न कारणों पर वृहत्तर चर्चा करते हैं।
थायराइड के विभिन्न कारण (Thyroid Causes In Hindi)
हम लेख के इस भाग में थायराइड के लक्षण को जान लेने के तत्पश्चात विभिन्न कारणों को सारगर्भित करने वाले हैं। जिस प्रकार हाइपो-थायराइड और हाइपर-थायराइड के लक्षण भिन्न-भिन्न हैं; ठीक उसी प्रकार इन दोनों के कारण भी अलग-अलग हैं। दोनों के विभिन्न कारणों को समान रूप से अवलोकित नहीं किया जा सकता है। इसलिए हमें पृथक-पृथक वर्गीकरण करना होगा।
आइए सबसे पहले हम हाइपर-थायराइड के कारणों को सारगर्भित कर लेते हैं :
- ग्रेव रोग : सरल भाषा में इसे इस प्रकार परिभाषित कर सकते हैं कि एक ऐसा रोग जिसमें आपकी रक्षा प्रणाली या इम्यून सिस्टम प्रभावित होता है। थायराइड के कारण में सबसे प्रमुख कारक यह भी है। विस्तार से समझें तो इस रोग में रक्षा प्रणाली शरीर में उपस्थित थायराइड ग्रंथि को गलत सन्देश भेजकर भ्रमित करती है। परिणामस्वरूप ग्रंथि अतिसक्रिय हो जाता है और हार्मोन की अधिक उत्पत्ति करने लगता है।
- टॉक्सिक एडिनोमास : विषैली या ज़हरीली गाँठ जो थायराइड के ऊतक से बनती है।
- पीयूष ग्रंथि में खराबी : हालांकि ऐसा होने की संभावना बहुत कम है लेकिन विशेषज्ञों की राय है कि पीयूष ग्रंथि अर्थात पिट्यूटरी ग्लैंड में खराबी भी इसका कारण होता है।
चलिए अब चर्चा करते हैं हाइपो-थायराइड के कारणों चर्चा करते हैं :
- पोस्टपार्टम थायराइड : किसी महिला को प्रसव करने के वर्ष के भीतर में, गर्भ में शिशु की मृत्यु हो जाने और गर्भपात में इस समस्या का सामना करना पड़ सकता है। हालांकि यह एक दुर्लभ बीमारी है इसलिए किसी महिला को इससे ग्रसित होने की संभावना बहुत कम है।
- आयोडीन की कमी : ग्रंथि जिस आयोडीन की सहायता से हारमोन बनाता है उसकी कमी भी हाइपो-थायराइड को जन्म देती है। संसार सकल में सर्वाधिक लोगों को आयोडीन की कमी है।
- थायराइड की सर्जरी : अगर इस बीमारी की सर्जरी पहले कभी हुई है तो यह भविष्य में हाइपो-थायराइड को जन्म देती है।
- आयोडीन की अधिकता : अगर आयोडीन का अधिकाधिक सेवन अतीत में या वर्तमान में किया है तो यह प्रमुख कारणों में से एक है।
थायराइड टेस्ट कैसे किया जाता है?
विभिन्न कारणों को जान लेने से इस रोग को पहचान लेने में आसानी हो जाती है। हालांकि लक्षणों और कारणों को जान लेने के बाद भी कुछ मेडिकल जांच कराने की आवश्यकता होती है। चिकित्सक इन मेडिकल टेस्ट के माध्यम से यह सुनिश्चित किया जाता है कि मरीज में यह बीमारी है या नहीं।
किसी मरीज में थायराइड का पता लगाने के लिए निम्न जांच की आवश्यकता होती है :
- टी3
- टी4
- टीएसएच
इन सभी टेस्ट अथवा परीक्षणों को सामूहिक रूप से थायराइड प्रोफ़ाइल कहते हैं। रोगी के रक्त के नमूने को इकठ्ठा कर उसमें जांच कर यह पता लगाया जाता है कि रोगी के शरीर में हार्मोन का स्तर कितना है। रिपोर्ट मिलने के बाद चिकित्सक द्वारा सलाह ली जा सकती है। दरअसल यह सभी जांच थायराइड के इलाज का ही हिस्सा है। टेस्ट की रिपोर्ट से उपचार का मार्ग प्रशस्त किया जाता है।
थायराइड के इलाज (Thyroid Treatment In Hindi)
यह विश्व की सबसे आम समस्याओं में से एक है। लेकिन कई बीमारियों की तुलना में इस रोग का उपचार अथवा इलाज जीवंत पर्यन्त चलता है। असल में यह एक आजीवन चलने वाली समस्या है। इसलिए थायराइड के इलाज भी जीवन भर चलता रहता है।
लेकिन मेडिकल उपचार से पूर्व आप घरेलू उपायों की सहायता से इसकी रोकथाम कर सकते हैं। चूंकि यह जीवन भर चलने वाली बीमारी है इसलिए घरेलू उपायों को अपनी दिनचर्या में शामिल करना है। अर्थात आपका खानपान, व्यायाम और अन्य गतिविधियों में कुछेक परिवर्तन कर दैनिक जीवन के नियमों को स्वास्थ्यवर्धक बनाना है तथा हानिकारक गतिविधियों को जीवन से अलग करना है।
आइए इन विभिन्न घरेलू उपायों को सरल-सहज भाषा में समझें :
- हरी सब्जियों का सेवन : अपने आहार को केवल स्वादिष्ट ही नहीं अपितु पौष्टिक भी बनाना है। इसके लिए आपको अधिक से अधिक हरी सब्जी का सेवन करना है। जैसे लौकी, हरी धनिया आदि। प्रतिदिन खाली पेट लौकी का रस पीने से इस बीमारी पर विजय प्राप्त कर सकते हैं। धनिया को बारीक पीसकर एक गिलास पानी में घोलें और पी जाए।
- आंगन की तुलसी : तुलसी में असंख्य गुण होते हैं। यह सौ बीमारियों का एक इलाज है। तुलसी का सेवन रामबाण इलाज है। तुलसी के चम्मच भर रस का सेवन आपके अनेकों कष्टों का निवारण कर देगा।
- हल्दी युक्त दूध : हल्दी में ऐसे पौष्टिक तत्व हैं जो आपके थायराइड का प्रभाव काम करने में सहायक होते हैं। रात्रि में सोने से पूर्व हल्दी युक्त दूध का सेवन करना आपकी सेहत के लिए बहुत अच्छा है।
- नारियल पानी का सेवन : गैस की समस्या और पानी की पूर्ति करने वाला नारियल पानी इस बीमारी की रोकथाम के लिए उपयुक्त है।
- आयोडीन से भरपूर आहार : ग्रंथि आयोडीन की सहायता से ही हार्मोन बनाती है। लेकिन इसके मरीजों को आयोडीन की कमी हो जाती है। इसलिए आयोडीन युक्त भोजन करने से इसकी आपूर्ति आसानी से हो जाती है। आयोडीन युक्त नमक के अतिरिक्त, प्याज, टमाटर और लहसुन को खाने में प्रयोग करने से इसकी रोकथाम आसानी से हो सकती है।
- साबुत खाद्य पदार्थ : अर्थात फाइबर युक्त भोजन का सेवन मरीजों के लिए अत्यंत लाभकारी है। हरी सब्जियां फाइबर से भरपूर होती हैं।
- विटामिन-डी : धूप के अतिरिक्त दूध और दही से उसकी पूर्ति हो सकती है।
अगर घरेलू उपायों से इलाज संभव न हो तो डॉक्टरों से सलाह अवश्य लिया जा सकता है। इसके लिए आपको विशेषज्ञ से मिलकर यथासंभव दवाइयां और उपचार का अनुपालन करना होगा ताकि थायराइड के इलाज के माध्यम से मरीज को राहत मिल सके।
निष्कर्ष
अगर थायराइड के इलाज के अंतर्गत आपको थायरोक्सिन टेबलेट की सलाह दी गयी है तो यह आपका दीर्घकालिक उपचार करती है। लेकिन इसकी दवाइयों के जितने लाभ हैं उतने ही नुकसान भी हैं। इसके दुष्प्रभावों को चिकित्सक, विशेषज्ञ या डॉक्टर से समझा जा सकता है।थायराइड इस संसार सकल में होने वाली सबसे आम बीमारियों में से एक है। ग्रंथि से अल्प या अधिक मात्रा में हार्मोन बनने के कारण महिलाओं को इस समस्या से जूझना पड़ता है। यह भले ही आम समस्या है लेकिन अगर यह प्राथमिक स्तर पर है तो इसका इलाज जीवंत पर्यन्त चलता रहता है। परिणामस्वरुप अन्य बीमारियां भी जन्म लेती हैं जैसे हृदय संबंधी रोग, जोड़ों और माशपेशियों का दर्द, सर दर्द इत्यादि। ऐसे में निर्धन लोगों थायराइडके इलाज को कराने में कठिनाई का सामना करना पड़ सकता है। अगर आपको या आपके पहचान में कोई ऐसा इंसान है जिसे थायराइड के इलाज या उपचार हेतु धन की आवश्यकता है तो क्राउडफंडिंग एक अच्छा विकल्प हो सकता है।