शरीर में बाहरी तत्व के प्रवेश करने से संक्रामक रोग हो जाता है। संक्रामक रोग के जितने भी प्रकार हैं उन सभी की प्रवृत्ति गंभीर और घातक है। कुछ बीमारियों को जानलेवा रोग की श्रेणी में भी रखा जाता है। संक्रामक रोग का एक ऐसा ही प्रकार हैजा रोग या कालरा है। प्रचलित संक्रामक रोग होने के बावजूद लोगों में इस बीमारी को लेकर बहुत अधिक जानकारी नहीं है। इसलिए ये हमारी जिम्मेदारी है कि आपको जागरूकता कर सतर्कता के अंतर्गत इस बीमारी से जुड़ी सभी जानकारी प्रदान करें।
हैजा क्या है, हैजा किसके कारण होता है, हैजा रोग से कौन सा अंग प्रभावित होता है, हैजा कैसे फैलता है, हैजा के लक्षण, हैजा में कौन सा टीका लगाया जाता है, इन बातों का रखें विशेष ध्यान, हैजा होने पर क्या खाना चाहिए और निष्कर्ष पर विस्तार से प्रकाश डाला गया है।
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हैजा क्या है?

हैजा एक संक्रामक रोग है। इस रोग का संक्रमण वाइब्रियो कालरे नामक बैक्टीरिया से फैलता है इसलिएमेडिकल टर्मिनोलॉजी में ये रोग कॉलरा के नाम से भी जाना जाता है। हालांकि जनमानस की आम बोलचाल वाली भाषा में इसे हैजा कहते हैं। शुद्ध हिंदी में इसे विसूचिका कहते हैं। दूषित भोजन, गंदा पानी, खुले में शौच और स्वच्छता का पालन न करने से हैजा का संक्रमण फैलता है। संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने से भी हैजा फैलता है।
हैजा किसके कारण होता है?
आइए विस्तार से जाने कि हैजा किसके कारण होता है:
- बैक्टीरिया के कारण : वाइब्रियो कालरे नामक जीवाणु अर्थात बैक्टीरिया इसके प्रसार का मुख्य कारण है। वातावरण में ये जीवाणु सभी प्रकार के तत्वों को सहारा बना कर शरीर में प्रवेश करते हैं और शीघ्र प्रक्रिया के माध्यम से अपना व्यापक विस्तार करते हैं।
- दूषित भोजन और पानी के कारण : इस संक्रामक रोग को फैलाने के लिए जिम्मेदार जीवाणु जब दूषित पानी और भोजन में मिल जाते हैं और मनुष्य द्वारा इसका सेवन कर लिया जाता है तो स्वस्थ शरीर में हैजा रोग निवास कर लेता है।
- संक्रमित व्यक्ति के कारण : संक्रमित व्यक्ति से समाज में अन्यत्र हैजा फैल जाता है अर्थात जब कोई स्वस्थ व्यक्ति संक्रमित शरीर के संपर्क में आता है तो संक्रमण आसानी से फैल जाता है।
- अस्वच्छ शौच के कारण : अगर कोई व्यक्ति शौच के बाद हाथ नहीं धोता तो इससे हैजा अन्यत्र फैल जाता है। दरअसल शौच के पश्चात व्यक्ति अगर हाथ नहीं धोता तो बैक्टीरिया शरीर के उस अंग में लंबे समय तक जीवित रहते हैं। तत्पश्चात् यदि कोई स्वस्थ व्यक्ति इन दूषित हाथों का स्पर्श पाता है तो बैक्टीरिया के संपर्क में आने के कारण संक्रमण स्वस्थ शरीर में प्रवेश कर जाता है।
- स्वच्छता का पालन न करने पर : आप जिस वातावरण अर्थात समाज में रहते हैं, अगर वहां अनेक प्रकार की गंदगी है तो निश्चित ही उस स्थान में निवास कर रहे लोगों को हैजा हो जाएगा। जहाँ स्वच्छता का पालन होता है वहां कोई रोग टिक नहीं पाता।
- समुद्र में फैली अस्वच्छता के कारण : अगर मनुष्य का मल समुद्र में मिल जाता है तो मछलियों द्वारा इसका सेवन स्वाभाविक है। ऐसे में हैजा का संक्रमण इन मछलियों के सहारे स्वस्थ शरीर में प्रवेश कर जाता है।
- दूषित पानी से सींची गई सब्जियां : अगर बैक्टीरिया वाले पानी अर्थात दूषित पानी से सब्जियों को सींचा जाता है तो निश्चित ही संक्रमण इन भोजन पदार्थों के कण-कण में निवास करने लगता है। तत्पश्चात इस दूषित भोजन का सेवन करने से संक्रमण फैल जाता है।
- बासी-तिबासी भोजन करने से : कल का बचा हुआ खाना जिसे ‘बासी’ भी कहते हैं, उसका सेवन स्वस्थ शरीर के लिए हानिकारक होता है। भोजन केवल कुछ समय के लिए ताजा और खाने लायक होता है तथा समय अवधि समाप्त होने के पश्चात उसमें बैक्टीरिया का निवास करने लगता है।
हैजा रोग से कौन सा अंग प्रभावित होता है?
हैजा से आंत प्रभावित होती है। एक ऐसा संक्रामक रोग जो गंभीर दस्त में रूपायित हो जाता है। चूंकि आंत पाचन प्रणाली का अभिन्न हिस्सा है इसलिए पाचन संबंधी अंग विशेष रूप से प्रभावित होते हैं।
हैजा के लक्षण
आइए विस्तार से जानें कि हैजा के लक्षण जो कि निम्नलिखित हैं:
- बहुत पतली दस्त : संक्रमित व्यक्ति का शरीर पतली दस्त को प्रमुख लक्षण के रूप में प्रदर्शित करता है। कोई रंग न होने तथा संरचना में ये पतली दस्त पानी की तरह होती है इसलिए इसका एक अन्य नाम वाटरी डायरिया भी है।
- पानी की कमी : किसी रोग में होने वाली पानी की कमी को निर्जलीकरण या डिहाइड्रेशन भी कहते हैं। अत्यधिक और अनावश्यक रूप से लगातार दस्त होने के कारण संक्रमित व्यक्ति के शरीर में पानी की कमी हो जाती है। पानी की कमी इलेक्ट्रोलाइट की कमी को भी दर्शाता है।
- शुष्क मुँह : डीहाइड्रेशन के कारण संक्रमित व्यक्ति के मुँह में लार की भी कमी हो जाती है और फलस्वरूप वह सूखने लगता है और होंठ काले या नीले पड़ जाते हैं। पानी पीने से भी ये लक्षण आसानी से नहीं जाता।
- रूखी त्वचा : इसके अतिरिक्त शरीर की त्वचा भी रूखी, सूखी और बेजान हो जाती है। पानी और इलेक्ट्रोलाइट की कमी तथा अन्य पोषक तत्वों की हानि के कारण शरीर की नमी छूमंतर हो जाती है। मुलायम कोशिकाओं से बनी त्वचा किसी खुरदरी सतह के गुण विशेष को अपना लेती है।
- प्यास लगना : डिहाइड्रेशन में व्यक्ति को शुष्क मुँह की शिकायत रहती है। इसके चलते मुँह अनावश्यक और असामान्य रूप से सूख जाता है और लार भी नहीं बनती। परिणामस्वरूप बार-बार प्यास लगती है। ऐसे में इच्छा न होते हुए भी उसे पानी की घूँट पीने होती है।
- पेशाब कम आना : सामान्य व्यक्ति की तुलना में संक्रमित व्यक्ति को पेशाब बहुत कम आती है। निर्जलीकरण के कारण शरीर से पानी और इलेक्ट्रोलाइट दोनों की कमी हो जाती है। इसलिए व्यक्ति की यूरिनरी प्रणाली में पेशाब बनाने और निकालने का कार्य बाधित हो जाता है। चूंकि व्यक्ति संक्रामक रोग से ग्रसित है इसलिए पेशाब का रंग सफेद होने के स्थान पर गाढ़ा पीला होता है।
- गुर्दे की अस्थाई विफलता : पानी और इलेक्ट्रोलाइट की कमी के चलते गुर्दे के फिलटर अपना कार्य कर पाने में असमर्थ होते हैं और फलस्वरूप पेशाब भी बहुत कम लगती है। हालांकि ये अस्थायी समस्या है जो हैजा के उपचार पश्चात स्वस्थ ठीक भी हो जाती है। शरीर में स्थित गुर्दा तरल पदार्थ और अपशिष्ट पदार्थ निकालने में मुख्य भूमिका निभाता है। साथ ही ये इलेक्ट्रोलाइट का उत्पादन भी करता है।
- थकान और कमजोरी : ये संक्रामक रोग का सबसे आम, प्रचलित और प्रमुख लक्षण है। व्यक्ति को हमेशा थकान की अनुभूति होती है और फलस्वरूप वह कमजोरी की चपेट में आ जाता है। बिना कोई अथिक परिश्रम किए व्यक्ति ऊर्जा विहीन हो जाता है। ये अवस्था भ्रम और आलस को भी निमंत्रण देता है।
- मांसपेशियों में ऐंठन : संक्रमित व्यक्ति की ऐंठन की शिकायत रहती है। यह भी सबसे आम लक्षण है जिसे शरीर प्रमुख रूप से प्रदर्शित करता है। इलेक्ट्रोलाइट मांसपेशियों को मजबूती प्रदान करता है लेकिन संक्रमण और डिहाइड्रेशन के चलते शरीर में इसकी कमी हो जाती है।
- लो बीपी : संक्रमित व्यक्ति का ब्लड प्रेशर कम हो जाता है। दरअसल संक्रमण के कारण शरीर में पोटेशियम का लेवल भी सामान्य की तुलना में कम रहता है। जब पोटेशियम का संतुलन सही न हो तो रक्त से संबंधित बीमारियां होना स्वाभाविक है।
- उल्टी होना : संक्रामक रोग में उल्टी के लक्षण को संक्रमित शरीर अवश्य रूप से प्रदर्शित करता है। ये संक्रमण को बाहर निकालने की भी प्रक्रिया हो सकती है लेकिन मूलतः ये रोग के संकेत को सुनिश्चित करती है।
हैजा कैसे फैलता है?
संक्रामक रोग हैजा इस प्रकार फैलता है:
- वाइब्रियो कालरे नामक बैक्टीरिया से
- दूषित भोजन और पानी से
- खुली हुई नालियों से
- स्वच्छता का पालन नहीं करने से
- शौच के बाद हाथ नहीं धोने से
- गंदे पानी से सींची सब्जियों के सेवन से
- समुद्र में मनुष्य का मल खाने वाली मछलियों के सेवन से
- पुराना, बासी या खराब भोजन करने से
- पोटेशियम का लेवल कम होने पर
- पानी और इलेक्ट्रोलाइट की कमी से
हैजा में कौन सा टीका लगाया जाता है?
हैजा के लक्षण की जांच और डॉक्टर द्वारा परामर्श के पश्चात तीन टीके की सलाह दी जाती है:
- डुकोराल
- शंचोल
- युविचोल प्लस और
- वैक्सकोरा
इन बातों का रखें विशेष ध्यान
संक्रामक रोग हैजा होने पर संक्रमित व्यक्ति को इन बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए:
- गर्म और ताजा खाना : हैजा का संक्रमण फैलने का खतरा बासी खाने से अधिक होता है क्योंकि ऐसे भोजन में बैक्टीरिया आसानी से प्रवेश कर जाता है। इसलिए बासी के स्थान पर गर्म और ताजा खाना खाए। अगर कल का बचा हुआ भोजन खराब नहीं हुआ है तो उसे गर्म कर लेवे।
- उबला हुआ पानी पियें : संक्रमण फैलने का सबसे प्रमुख कारण दूषित पानी का सेवन है इसलिए पानी को उबालकर पीने से संक्रमित होने का खतरा टल जाता है। पानी को 100 डिग्री सेल्सियस पर उबालने से उसके कीटाणु मर जाते हैं।
- स्वच्छता का पालन करें : संक्रमण तभी फैलता है जब वातावरण उसके अनुकूल हो और गंदगी संक्रामक रोग के लिए अनुकूल वातावरण तैयार करता है। इसलिए अपने आस-पास जितने हो सके सफाई का ध्यान रखें। नाली को खुला न रहने दें। किसी भी स्थान पर पानी न जमा होने दे।
- फल, सब्जी आदि धो कर प्रयोग करे : चूंकि बैक्टीरिया फल, सब्जी आदि पर लंबे समय तक सक्रिय रह सकते हैं इसलिए इसका सेवन करने से पूर्व अच्छे से धो ले। प्रयास रहे कि भोजन पदार्थ को कच्चा या बिना पका हुआ न खाएं।
- हाथ धोने की आदत डालें : खाना खाने से पूर्व और पश्चात हाथ को अच्छे से धो लें। साथ ही सोच के पश्चात भी हाथ धोने की आदत डालें। हमारे हाथ संक्रमण के एजेंट होते हैं। इसलिए हाथ धोने की आदत डालने से शरीर संक्रमण और बीमारियों से कोसों दूर रहेंगे।
- घर का खाना : संक्रमण के फैलने का एक कारण यह भी है कि बाज़ार में मिलने वाले भोजन या खाद्य पदार्थ के विकल्प दूषित हो सकते हैं। संदेह भरी इस स्थिति में घर का खाना सबसे अच्छा उपाय है। घर में बना खाना स्वच्छ, पौष्टिक और स्वादिष्ट तीनों होता है।
- खुले में शौच को बोले अलविदा : संक्रमण का मुख्य कारण मनुष्य का मल है। अगर मल खुले में रह जाए तो निश्चित ही अनेक बीमारियों का कारण बन सकता है। इसलिए खुले में शौच के स्थान पर शौचालय का प्रयोग करें।
हैजा होने पर क्या खाना चाहिए?
अगर कोई व्यक्ति हैजा के रोग से ग्रसित या संक्रमित है तो ऐसे में कुछ घरेलू उपाय भी लाभकारी हो सकते हैं। हैजा दूषित पानी और भोजन के सेवन से फैलता है इसलिए खानपान में अगर लापरवाही न बरती जाए तथा स्वच्छता का पालन किया जाए तो संक्रमण के विरुद्ध आसानी से जीता जा सकता है।
आइए जानें कि हैजा होने पर क्या खाना चाहिए:
- नारियल पानी : किसी भी प्रकार के संक्रामक रोग में नारियल पानी का सेवन संक्रमण को समाप्त करने में बहुत मदद करता है। दरअसल नारियल पानी में एंटीबैक्टीरियल, एंटीफंगल और एंटीवायरल तीनों गुण होते हैं जो इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाते हैं ताकि संक्रामक रोग हो जाए छूमंतर। इसमें इलेक्ट्रोलाइट भरपूर मात्रा में होता है जो संक्रमित शरीर में इलेक्ट्रोलाइट की कमी को पूरा करता है और किडनी के अच्छे स्वास्थ्य हेतु काम करता है। नारियल पानी निर्जलीकरण को दूर करने में मदद करता है। ये पोटेशियम का सबसे अच्छा स्रोत होता है इसलिए हैजा के मरीज में लो बीपी को तुरंत ठीक कर देता है। हैजा में रूखी त्वचा को ठीक करने के लिए नारियल पानी एंटीऑक्सीडेंट प्रदत्त करता है। ये हैजा के मरीज में पतली दस्त की समस्या को भी तुरंत ठीक करता है।
- नमक और चीनी का घोल : घर की रसोई में आसानी से उपलब्ध ये घरेलू उपाय शरीर के लिए किसी वरदान से कम नहीं है। दरअसल नमक और चीनी से तैयार ये घोल संक्रमित शरीर में इलेक्ट्रोलाइट असंतुलन को पुनः संतुलित करता है। बस एक गिलास गुनगुने पानी में दो चम्मच नमक और एक चम्मच चीनी डाल कर घोल तैयार कर लेवे फिर संक्रमित व्यक्ति को पीने के लिए दे सकते हैं।
- ओ-आर-एस : इसका फुल फॉर्म ओरल रिहाइड्रेशन सलूशन है। अगर घर पर नमक और चीनी का घोल तैयार करने में किसी प्रकार की समस्या हो तो मेडिकल स्टोर से ओ-आर-एस का बना बनाया घोल अथवा पाउडर खरीद कर आप इसका प्रयोग कर सकते हैं। हालांकि ओ-आर-एस का घोल प्रयोग करने से पूर्व डॉक्टर से सलाह अवश्य लेवे।
निष्कर्ष
संसार का सबसे आम, प्रचलित किन्तु गंभीर संक्रामक रोग हैजा है। विकसित देशों की तुलना में विकासशील देश की बहुत बड़ी जनसंख्या इस बीमारी की चपेट में है। इसलिए इस रोग पर जागरूकता और सतर्कता दोनों जरूरी है। हैजा या कालरा एक ऐसा संक्रामक रोग है जिसमें मरीज को पतली दस्त की शिकायत मूल रूप से होती है। इसके अलावा उल्टी, डिहाइड्रेशन, शुष्क मुंह, रूखी त्वचा, पेशाब कम लगना आदि इसके लक्षण संक्रमित व्यक्ति द्वारा प्रदर्शित किए जाते हैं। इसका टीकाकरण भी उपलब्ध है।
अगर आपको एक ऐसी बीमारी हो जाए जिसके इलाज में ढेर सारे धन की आवश्यकता हो लेकिन आपके पास पर्याप्त धन नहीं है तो ऐसी परिस्थिति आपके लिए बहुत बड़ा संकट काल बन सकता है। उसके टेस्ट और इलाज में होने वाला खर्च आपके लिए वहन कर पाना कठिन होगा। ऐसे में क्राउडफंडिंग एक अच्छा विकल्प हो सकता है। ये आपको ऐसे लोगों से जोड़ता है जो कठिन समय में आपकी मदद कर सकते हैं।